2024 की आरक्षण नियमावली को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई दूसरे दिन भी रही और आगे भी रहेगी जारी…
नवीन समाचार, नैनीताल, 7 जनवरी 2025 (Hearing on Reservation Rules-2024 on Elections)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में नगर निकाय और पंचायत चुनावों में 2024 की आरक्षण नियमावली को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का सिलसिला मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा गया, जबकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने सरकार के तर्कों का जवाब देते हुए अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। सुनवाई आगे भी जारी रहेगी।
सुनवाई का घटनाक्रम
मंगलवार को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कमलेश तिवारी और दुष्यंत मैनाली ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने इन निर्णयों की अनदेखी की है। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
राज्य सरकार ने दावा किया कि आरक्षण निर्धारण में सभी प्रावधानों का पालन किया गया है। याचिकाकर्ताओं के तर्कों को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि प्रक्रिया को कानून सम्मत तरीके से पूरा किया गया। सरकार ने अदालत को यह भी आश्वासन दिया कि यदि कोई प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण पाई जाती है, तो उसे सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
अधिवक्ताओं के तर्क और उच्चतम न्यायालय के निर्देश
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, आरक्षण प्रक्रिया में सभी प्रभावित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह भी तर्क दिया गया कि सरकार को आरक्षण प्रक्रिया में भेदभाव रहित तरीके से कार्य करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि वर्तमान आरक्षण प्रक्रिया में सरकार ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां
याचिकाकर्ताओं ने शिकायत में आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया में असंवैधानिक प्रावधानों का उपयोग किया है। जैसे-अधिसूचना जिस दिन जारी की गई, उसी दिन शाम को चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया, और आपत्ति दर्ज कराने का समय नहीं दिया गया। शक्तिगढ़ नगर पंचायत, धारचूला नगर पालिका, अल्मोड़ा नगर निगम, द्वाराहाट नगर पंचायत, महुआडाबरा नगर पंचायत और गुप्तकाशी नगर पंचायत के आरक्षण को विशेष रूप से चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि आरक्षण प्रक्रिया में सरकार ने उन मानकों का पालन नहीं किया, जो उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत अनिवार्य हैं। इन निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण केवल उन्हीं स्थानों पर लागू किया जा सकता है, जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की जनसंख्या 10,000 से अधिक हो।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से आरक्षण नियमावली के औचित्य पर जोर देते हुए यह बताया गया कि नियमावली को संविधान के अनुरूप ही तैयार किया गया है। सरकार के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि चुनावों की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया को पूरा किया गया। सरकार ने अदालत के समक्ष यह भी दावा किया कि आरक्षण नियमावली में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है।
याचिकाओं की मुख्य मांगें
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि आरक्षण प्रक्रिया को दोबारा पारदर्शी तरीके से निर्धारित किया जाए। यह भी आग्रह किया है कि आरक्षण प्रक्रिया में केवल संविधान और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत निर्धारित मानदंडों का पालन किया जाए।
आगे की सुनवाई (Hearing on Reservation Rules-2024 on Elections)
इस मामले में बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। अदालत यह तय करेगी कि आरक्षण प्रक्रिया में राज्य सरकार के कदम संविधान के अनुरूप हैं या नहीं। इससे यह स्पष्ट होगा कि आरक्षण प्रक्रिया में सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वे सही हैं या नहीं। (Hearing on Reservation Rules-2024 on Elections)
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