लिव-इन संबंधों पर क्या है उत्तराखंड के यूसीसी में, कौन रह सकते हैं लिव इन में-कौन नहीं, बाहरी लोगों पर भी लागू होगा यूसीसी…? धर्मगुरुओं से प्रमाण पत्र अनिवार्य?

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 फरवरी 2025(Live-in Relationship rules in Uttarakhand UCC) ।उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद से पंजीकरण को लेकर विभिन्न सवाल उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने स्पष्ट किया है कि लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण के लिए धर्मगुरुओं का प्रमाणपत्र अनिवार्य नहीं होगा, सिवाय उन मामलों के जहां संबंधित जोड़े के बीच विवाह प्रतिषिद्ध है। लिव-इन संबंधों से संबंधित अन्य समाचार पढ़ने को यहाँ क्लिक करें।
रजिस्ट्रार के समय लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण पेश करना जरूरी
यूसीसी विधेयक के अनुसार चाहे आप उत्तराखंड के रहने वाले हैं या नहीं, अगर उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो आपको रजिस्ट्रार के सामने धारा 381 की उपधारा (1) के तहत अपने संबंध का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है। वहीं, उत्तराखंड का रहने वाला कोई व्यक्ति अगर दूसरे राज्य में भी लिव-इन में रहता है तो उसे भी रजिस्ट्रार (जिसके अधिकार क्षेत्र में उसका घर है) के सामने अपने संबंध का विवरण प्रस्तुत करना होगा।
दस्तावेजों की आवश्यकता
यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण के समय निम्न दस्तावेज अनिवार्य होंगे:
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निवास प्रमाणपत्र
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जन्म तिथि प्रमाणपत्र
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आधार कार्ड
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किराएदार होने की स्थिति में किरायेदारी से संबंधित दस्तावेज
इसके अतिरिक्त, यदि संबंधित व्यक्ति पहले से विवाहित था और तलाक हो चुका है, तो विवाह समाप्ति का कानूनी आदेश प्रस्तुत करना होगा। जिनके जीवन साथी की मृत्यु हो चुकी है या पूर्व लिव-इन संबंध समाप्त हो चुका है, उन्हें भी इस संबंध में दस्तावेज देने होंगे।
धर्मगुरुओं से प्रमाणपत्र कब अनिवार्य?
मनु गौड़ ने स्पष्ट किया कि लिव-इन जोड़ों को धर्मगुरुओं से प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता केवल उन्हीं मामलों में होगी, जहां दोनों के बीच पूर्व में कोई रिश्ता रहा हो और वह रिश्ता अनुसूची-01 में दर्ज प्रतिषिद्ध श्रेणी में आता हो।
पूर्व संबंधों के दस्तावेज अनिवार्य
लिव-इन पंजीकरण के लिए यदि संबंधित व्यक्ति का पूर्व में कोई वैवाहिक संबंध रहा है, तो उसे निम्न दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
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तलाकशुदा व्यक्ति के लिए अंतिम तलाक आदेश
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विधवा/विधुर के लिए जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाणपत्र
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विवाह निरस्त होने की स्थिति में विवाह शून्य होने का अंतिम आदेश
एक वर्ष का निवास अनिवार्य
यूसीसी नियमावली के अनुसार, उत्तराखंड में एक वर्ष से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करा सकता है। इसका संबंध मूल या स्थायी निवास से नहीं है। मनु गौड़ ने बताया कि यदि इसे केवल मूल निवास प्रमाणपत्र पर निर्भर किया जाता तो अन्य राज्यों से आने वाले लोग इससे वंचित रह जाते। यूसीसी एक्ट में निवासी की परिभाषा केवल यूसीसी से संबंधित विषयों के लिए दी गई है, जिसमें पांच श्रेणियां तय की गई हैं।
जुर्माना और शुल्क अभी निर्धारित नहीं
रजिस्ट्रेशन कराने के लिए शुल्क अभी निर्धारित नहीं किए गए हैं। ये शुल्क समय-समय पर निर्धारित किए जाएंगे। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन न कराने पर जो जुर्माना देना होगा यह भी भविष्य में ही निर्धारित किया जाएगा। इसके अलावा वसीयत के नियम पहले के जैसे होंगे। हालांकि, यूसीसी लागू होने के बाद यह ऑनलाइन के अलावा ऑनलाइन भी की जा सकती है।
इस स्थिति में नहीं होगा लिव-इन का पंजीकरण
बिल के अनुसार अगर लिव-इन में रहने के इच्छुक लड़का-लड़की में से कोई एक व्यक्ति विवाहित है या नाबालिग है अथवा विवाह के नियमों के तहत यदि उनका विवाह नहीं हो सकता, तो उनका लिव-इन रिलेशनशिप भी पंजीकृत नहीं किया जाएगा। अलबत्ता लिव-इन में रहने वाले दंपति के बच्चों को अन्य बच्चों की तरह वैध बच्चा माना जाएगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की प्रक्रिया
रजिस्ट्रार के सामने निर्धारित प्रारूप में लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण पेश करना होगा। रजिस्ट्रार लिव-इन के विवरण की जांच करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि रिलेशनशिप धारा 380 के तहत है। रजिस्ट्रार उप-धारा (2) के तहत विवरण की जांच करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को बुला सकता है और उनसे रिलेशनशिप के बारे में अतिरिक्त जानकारी देने या सबूत पेश करने के लिए कह सकता है।
जांच के बाद रजिस्ट्रार अगर संतुष्ट होता है तो 30 दिन के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कर एक प्रमाण पत्र जारी करेगा। अन्यथा रिलेशनशिप को पंजीकृत करने से इनकार करते हुए इसकी वजह के बारे में संबंधित व्यक्तियों को लिखित रूप में जानकारी देगा।
लिव-इन रिलेशनशिप को कैसे खत्म किया जा सकता है?
लिव-इन के दोनों भागीदार या उनमें से कोई भी एक रिलेशनशिप को तोड़ सकता है और निर्धारित प्रारूप में रजिस्ट्रार के सामने इसका विवरण पेश कर सकता है। यदि केवल एक भागीदार संबंधों को समाप्त करता है तो ऐसे बयान की एक प्रति दूसरे भागीदार को भी देनी होगी।
लिव-इन रिलेशनशिप का कोई भी बयान रजिस्ट्रार द्वारा रिकॉर्ड के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को भेजा जाएगा। यदि भागीदारों में से कोई भी 21 साल से कम आयु का होगा तो उन्हें अपने माता पिता से अनुमति लेनी होगी। रजिस्ट्रार के द्वारा भी उनके माता-पिता या अभिभावकों को भी इस बारे में जानकारी दी जाएगी। यदि रजिस्ट्रार को भागीदारों पर संदेह होता है तो वह कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को इसकी जानकारी देगा। (Live-in Relationship rules in Uttarakhand UCC)
लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण न करने पर सजा
अगर कोई भी एक महीने से अधिक समय तक बिना पंजीकरण के लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दोषी ठहराए जाने पर उसे तीन महीने की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि कोई भी व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर गलत दावा करता है तो उसे 3 महीने की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। वहीं, अगर कोई भागीदार नोटिस मिलने पर भी लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण प्रस्तुत नहीं करता है तो उसे छह महीने तक की सजा या 25 हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
लिव इन पार्टनर ने अगर महिला को छोड़ दिया तो क्या होगा? (Live-in Relationship rules in Uttarakhand UCC)
अगर किसी महिला को उसका लिव-इन पार्टनर छोड़ देता है, तो वह अपने लिव-इन पार्टनर से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार होगी। इसके लिए उसे उस स्थान पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले सक्षम न्यायालय से संपर्क करना होगा, जहां वे दोनों एक साथ रहते थे।
पंजीकरण प्रक्रिया होगी सरल
यूसीसी के तहत भरे जाने वाले पंजीकरण फॉर्म में विभिन्न विकल्प दिए गए हैं, जिससे इसकी लंबाई 16 पृष्ठों की हो गई है। हालांकि, इसे ऑनलाइन भरने में केवल 5 से 10 मिनट का समय लगेगा। ऑफलाइन प्रक्रिया में अधिकतम 30 मिनट लग सकते हैं। वेब पोर्टल में आधार नंबर दर्ज करते ही संबंधित विवरण स्वतः भर जाएगा, जिससे ऑनलाइन पंजीकरण अधिक सुविधाजनक रहेगा।
नए नियमों का पालन आवश्यक
नए नियमों के तहत, उत्तराखंड में लिव-इन जोड़ों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पंजीकरण न कराने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पंजीकरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरीकों से पूरा किया जा सकता है। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए संबंधित पोर्टल ucc.uk.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।
शादियों का एक माह के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद होने वाली शादियों का एक माह के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद जुर्माना देना होगा। यूसीसी की नियमावली में शादियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें स्पेशल मैरिज एक्ट 2010 लागू होने से पहले और बाद की शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए छह महीने की मोहलत मिलेगी।
इसके अलावा लिव-इन रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बाकी सभी से अलग हैं। लिव-इन में रहने और अलग होने का रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रार स्तर के अधिकारी के यहां करना होगा। इसके सत्यापन के लिए 15 दिन का समय होगा। इसके बाद यदि कोई कमी रहती है तो इसकी 30 दिन के भीतर इसकी अपील की जा सकती है।
रजिस्ट्रेशन के लिए कई स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इसमें ग्रामीण स्तरों पर यह शक्ति ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के पास रहेगी। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में सब रजिस्ट्रार रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। इसके बाद जिला स्तर पर रजिस्ट्रार इन सभी सेवाओं के रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत होंगे। कैंट बोर्ड में समकक्ष अधिकारियों को यह जिम्मेदारी मिलेगी। सबसे अंत में राज्य स्तर पर रजिस्ट्रार जनरल स्तर के अधिकारी होंगे। ये अधिकार सचिव रैंक से नीचे नहीं होंगे। लिव-इन रजिस्ट्रेशन के अलावा सभी सेवाओं के लिए सब रजिस्ट्रार स्तर के अधिकारी ही रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत होंगे।
उत्तराखंड में लागू हुए यूसीसी के तहत लिव-इन जोड़ों के लिए पंजीकरण को कानूनी रूप से मान्यता प्रदान की गई है। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में धर्मगुरुओं का प्रमाणपत्र आवश्यक होगा। पंजीकरण प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध कराए हैं। इससे उत्तराखंड सरकार का डेटा बेस मजबूत होगा और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे।
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