पुरौला महापंचायत (Mahapanchayat) पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टीवी-सोशल मीडिया पर बहसों, आपत्तिजनक नारों पर रोक
Mahapanchayat, The Uttarakhand High Court has issued a significant order banning TV debates, objectionable slogans, and discussions on social media regarding the Puraula Mahapanchayat. The court directed the government to take strict action against any disobedience of these orders and ensure strict security arrangements. News channels and social media platforms are prohibited from discussing the Mahapanchayat, and the police will enforce the order. The court also instructed the state government to investigate individuals involved in the case. Protests have erupted in the Yamuna Valley region, leading to roadblocks and the detention of individuals. Hindu organizations have planned a Mahapanchayat in Barkot on June 25 as a response to these developments.
-सरकार को आदेशों की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई करने, सुरक्षा के कड़े प्रबंध करने और
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून 2023। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के पुरोला में आज होने वाली महापंचायत (Mahapanchayat) मामले पर सुनवाई करते हुए फिलहाल महापंचायत को लेकर टीवी पर होने वाली बहस और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगाने की बड़ी कार्रवाई की है। इस आदेश के बाद इस मामले पर अब कोई न्यूज चैनल इस मामले में बहस नहीं कर सकेगा साथ ही सोशल मीडिया पर भी इस पर चर्चा नहीं की जा सकेगी। आपत्तिजनक नारे भी नहीं लगाए जा सकेंगे। आदेशों की अवहेलना होने पर पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। खंडपीठ ने सरकार को सुरक्षा के कड़े प्रबंध करने को भी कहा है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड रोटी, चोटी और बेटी के लिए उत्तराखंड हुआ मुखर, मंदिर में कपड़ों को लेकर भी बढ़ रही जागरूकता
गुरुवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने उत्तरकाशी जनपद के पुरोला में 15 जून को धार्मिक संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत (Mahapanchayat) पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस तरह के मामलों में विधि अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इस तरह के मामलों में टीवी और सोशल मीडिया पर बहस व उपयोग नहीं किया जा सकेगा। यह भी कहा कि इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, पुलिस उसकी जांच करे। राज्य सरकार इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करे। यह भी पढ़ें : तीन वर्ष से राहुल बनकर युवती की अस्मत लूटता रहा तीन बच्चों का पिता शकील, अब बनाने लगा धर्म परिवर्तन का दबाव
उल्लेखनीय है कि पुरोला महापंचायत (Mahapanchayat) को लेकर ‘एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने 14 जून को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष पुरोला में 15 जून को हिंदू संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने हेतु जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की अवकाश कालीन खंडपीठ के समक्ष अपील की थी। लेकिन अवकाश कालीन पीठ ने इस याचिका को सुनने से इंकार करते हुए प्रदेश के उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए कहा है। यह भी पढ़ें : सरे आम नाबालिग से ‘गंदी बात’ करने लगा दूसरे धर्म का युवक, लोगों ने हाथ-पैरों से खंभे से बांधा…
याचिका में कहा गया था कि पुरोला की एक नाबालिग लड़की को दो युवकों द्वारा बहला-फुसलाकर भगाने के बाद पुरोला में सांप्रदायिक तनाव बना है। हालांकि आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। इसके बाद पुरोला से धर्म विशेष की दुकानों को खाली कराया जा रहा है। उन दुकानों के बाहर धार्मिक संगठन ने चेतावनी भरे पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने महापंचायत में धार्मिक संगठनों के नेताओं द्वारा ‘हेट स्पीच’ दिए जाने की आशंका जताई जिससे सांप्रदायिक माहौल खराब होगा।
उल्लेखनीय है कि आज इस मामले में पूरे यमुना घाटी क्षेत्र में जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। निजी वाहनों से जा रहे आम लोगों एवं व्यापारी नेताओं को जगह-जगह बैरियर लगाकर रोका गया है। रोके जाने के बाद वह जहां के तहां धरने पर बैठकर पंचायत करने का दावा कर रहे हैं। कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर बाद में छोड़ भी दिया है। आगे हिंदू संगठनों ने इस मामले में अब 25 जून को बड़कोट में महापंचायत करने का फैसला लिया है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।