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March 19, 2024

नैनीताल में जाम और पार्किंग के हल्ले से घटी नैनीताल आने वाले सैलानियों की संख्या, नैनीताल के पर्यटन की वास्तविक स्थिति पर देखें रिपोर्ट (Nainital-Crises)

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Nainital-Crises, The number of tourists visiting Nainital has significantly decreased due to traffic congestion and parking issues, as reported by ‘Naveen Samachar.’ In an effort to provide an accurate assessment of the city’s tourism and traffic situation, the media outlet conducted on-ground reporting over the weekend. Several factors, such as diverted routes for vehicles, road repairs, and inconvenient parking arrangements, have contributed to the decline in tourist arrivals. The report also highlights concerns regarding online hotel bookings, illegal hotels, and the impact on traditional establishments. Furthermore, the closure of Delhi-Nainital bus services and the challenges faced by older hotels in renovating themselves have further affected the tourism industry in Nainital. Digvijay Bisht, President of the Nainital Hotel and Restaurant Association, suggests allowing vehicles with octroi stickers to enter the city directly and utilizing vacant parking spaces to alleviate congestion. Nainital tourism, Nainital tourism problems,
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नवीन समाचार, नैनीताल, 11 जून 2023। (Nainital-Crises) नैनीताल के बारे में जाम और पार्किंग की समस्याओं के साथ मीडिया में आ रही खबरों का ऐसा असर है कि नैनीताल आने वाले पर्यटकों की संख्या बुरी तरह घटी है। ‘नवीन समाचार’ शनिवार और रविवार को की गई ग्राउंड रिपोर्टिंग में नगर की पर्यटन व यातायात व्यवस्थाओं की सही स्थिति सामने रखने का प्रयास कर रहा है।

Nainital-Crises1. हल्द्वानी की ओर से आ रहे वाहन मोतीनगर से ही कालाढुंगी रोड की ओर भेजे जा रहे हैं। इसका असर यह है कि हल्द्वानी, काठगोदाम, रानीबाग में भी अब पिछले वर्षों जैसी जाम की स्थिति नहीं है।
2. रानीबाग में भीमताल की ओर से आने वाले वाहनों को रानीबाग तिराहे से लाया जा रहा है, जबकि भीमताल की ओर जाने वाले वाहनों को एचएमटी फैक्टरी की ओर से भेजा जा रहा है। इस कारण ज्योलीकोट की ओर से हल्द्वानी को लौट रहे वाहन लंबे जाम में फंस रहे हैं। यहां टूटा पहाड़ तक दो किलोमीटर तब लंबा जाम लग रहा है।
3. नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर डोलमार से आगे करीब दो वर्ष बाद हो रही सड़क की मरम्मत के कारण दोनों ओर और भवाली में मस्जिद तिराहे से भवाली तक वाहनों का लंबा जाम लग रहा है।

4. भवाली की ओर से आने वाले वाहनों को नैनीताल से मात्र 8 किलोमीटर दूर स्थित मस्जिद तिराहे से सीधे नैनीताल आने देने की जगह गेठिया-ज्योलीकोट होते हुए करीब 20 किलोमीटर दूर रूसी बाइपास भेजा जा रहा है, और वहां रोककर वहां से 8 किलोमीटर दूर ही नैनीताल टाटा सूमो जैसे वाहनों से शटल टैक्सियों के रूप में नैनीताल भेजा जा रहा है। यानी 20 किलोमीटर अतिरिक्त ईधन व समय खर्च करने के बावजूद सैलानी शहर से 8 किलोमीटर पहले ही अपने वाहन छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
5. रूसी बाइपास व नारायण नगर आने वाले वाहनों को पूछताछ करके नैनीताल भेजा या रोका जा रहा है। नैनीताल की चुंगी के पास वाले वाहनों से भी नैनीताल की आईडी मांगी जा रही है। एक-एक वाहन को रोककर पूछने के कारण भी यहां जाम लग रहा है। यह भी है कि पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान एक प्रसिद्ध फिल्म के अभिनेता अमिताभ बच्चन की भूमिका में नजर आते हैं, कि जहां वह खड़े हो जाते हैं, वहीं से वाहनों की लाइन-जाम शुरू हो जाता है।
6. बिना पार्किंग वाले पर्यटक वाहनों को रूसी बाइपास व नारायण नगर में रोके जाने की वजह से ऐसे होटलों में बुकिंग न करा पा रहे पर्यटक नैनीताल आने से बच रहे हैं। इस कारण खासकर हल्द्वानी की ओर से नैनीताल आने वाले पर्यटक वाहनों की संख्या काफी सीमित नजर आ रही है। इस कारण रविवार को पूरे दिन रूसी बाइपास के पास और पूरी नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर नैनीताल आने वाले वाहनों की संख्या बेहद सीमित रही।

7. इस कारण नगर की लेक ब्रिज चुंगी पर भी वाहन नहीं पहुंच रहे हैं। इस कारण चुंगी ठेकेदार को काफी नुकसान पहुंच रहा है।
8. दूसरी ओर नारायणनगर में अपेक्षाकृत अधिक संख्या में सैलानी अपने वाहनों से पहुंच रहे हैं। आरोप है कि यहां कुछ बाहरी लीज वाले होटल वाले ‘सेटिंग’ करके वहीं से अपने होटलों के लिए बुकिंग कर रहे हैं।
9. होटलों की ऑनलाइन बुकिंग के दो प्रभाव दिख रहे हैं। पहला, इस कारण बुकिंग वाले होटलों को ही बुंकिंग मिल रही हैं, और बिना बुंकिंग वाले पूरी तरह से अवैधानिक तरीके से चल रहे तथा ‘मॉल रोड पर सैलानियों की संख्या देखकर होटलों के कमरों की दरें घटाने-बढ़ाने वाले होटल’ हतोत्साहित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी है कि ओटीए यानी ओयो व एमएमटी यानी मेक माई ट्रिप जैसी ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों अवैध होटलों को अधिक बढ़ावा दे रही हैं। क्योंकि ऐसे गैर पंजीकृत होटल इन कंपनियों को अधिक कमीशन दे देते हैं। यह गैर पंजीकृत होटल पंजीकृत होटलों से सस्ते में भी उपलब्ध हैं। क्योंकि उन्हें पंजीकृत होटलों की तरह वाणिज्यिक दरों पर बिजली व पानी के बिल तथा अन्य खर्चे नहीं देने होते हैं।

10. यही स्थिति होम स्टे को लेकर भी है। राज्य सरकार की होम स्टे योजना का लाभ राज्य के मूल निवासियों की जगह बाहरी लोग उठा रहे हैं। वह एक तरह से होम स्टे के नाम पर ऑनलाइन बुकिंग करके पूरे होटल चला रहे हैं। वह भी वाणिज्यिक दरों की जगह आवासीय दरों पर बिजली-पानी का बिल देकर 10-12 हजार रुपए तक में कमरे उपलब्ध कराकर बड़ा लाभ कमा रहे हैं। जबकि उनसे सरकार को भी राजस्व नहीं मिल रहा है। होम स्टे के किराये की कोई सीमा भी सरकार ने निर्धारित नहीं है। इसका समाधान यह है कि केवल स्थानीय मूल निवासियों को ही ‘होम स्टे’ की अनुमति मिलनी चाहिए। बाहरियों को नहीं। ऐसा भी न हो कि यह होम स्टे किसी तरह स्थानीय लोगों के नाम पर दिखाने भर को कर दिए जाएं, लेकिन लाभ बाहर के लोग ही कमाएं।
11. दिल्ली से नैनीताल के लिए चलने वाले बड़ी बसों के बंद होने से भी नैनीताल के पर्यटन को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
12. नगर के पुराने होटलों के लिए अपने यहां नवीनीकरण करना कठिन है। इस कारण भी वह नए अवैधानिक तरीके से चल रहे होटलों का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। प्रेस-मीडिया के प्रतिनिधियों को हमेशा होटलों में कमरे भरे बताने के बाद ‘नैनीताल पैक’ की खबरों से भी वह नुकसान झेल रहे हैं।

13. यह भी है कि नगर में पिछले वर्षों में ‘क्लास टूरिज्म’ यानी स्तरीय पर्यटकों की संख्या में खास तौर पर कमी साफ तौर पर आ रही है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश व इसके भी उत्तराखंड की सीमा से लगे रुहेलखंड मंडल के और दिल्ली के सैलानी ही अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। बंगाली व गुजराती सैलानियों की संख्या में काफी कमी आई है। 

नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट ने कहा कि स्थानीय वाहनों पर लगे चुंगी के स्टीकरों-पास वाले वाहनों को सीधे नगर में आने दिया जाए, इससे रूसी बाइपास पर लगने वाले जाम से बचा सकता है। शहर में केएमवीएन की पार्किंग भी खाली रह रही है। नगर में पार्किंग खाली रहने तक वाहनों को नगर में प्रवेश दिया जाना चाहिए। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-सैलानियों को रोके जाने को लेकर प्रशासन व होटलियर्स के बीच हुई बैठक

नवीन समाचार, नैनीताल, 02 अक्टूबर 2020। शुक्रवार को सरोवरनगरी नैनीताल आने के तीन में से दो मार्ग रोक दिए थे। नगर में आ रहे सैलानियों को पुलिस ने बैरियर लगाकर कालाढुंगी व रानीबाग में रोककर केवल भीमताल-भवाली के रास्ते नैनीताल भेजा। इस कारण सैलानी अत्यधिक परेशान हुए। इस पर शनिवार को प्रशासन एवं नैनीताल होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के बीच बैठक हुई। बैठक में होटलियर्स ने बिना उन्हें विश्वास में लिये नैनीताल आने वाले वाहनों को रोकने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। बताया गया कि इस दौरान संज्ञान में आया कि लोनिवि ने डामरीकरण के लिए यातायात रोके जाने की मांग नहीं की थी एवं जिला प्रशासन की ओर से भी इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं हुए थे।

इस पर होटलियर्स ने कहा कि आगे से बिना लिखित आदेश के वाहनों को न रोका जाए, अन्यथा होटलियर्स अपना कारोबार बंद कर सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने मेट्रोपोल होटल की पार्किंग से नगर पालिका के वाहन हटाने की मांग भी रखी ताकि वहां अन्य वाहन खड़े किये जा सकें। उन्होंने नगर के गैर पंजीकृत होटलों को भी समय सीमा के भीतर पर्यटन विभाग में पंजीकृत किये जाने की मांग भी रखी।

इस दौरान प्रशासन की ओर से होटलियर्स से होटलों को खोलने पर शासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा और होटल कर्मियों की कोरोना जांच कराने की पेशकश की। साथ ही तय हुआ कि होटलों में कोरोना से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रशासन की होटल एसोसिएशन के सदस्यों को शामिल करते हुए समिति बनेगी। कहा कि कोरोना काल में खुले में धूम्रपान करना भी वर्जित रहेगा। साथ ही सैनिटाइजेशन एवं सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।

प्रशासन होटल कर्मियों की अनियमित आधार पर कोरोना जांच कराएगा। बैठक में एसडीएम विनोद कुमार, सीओ विजय थापा, जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़, कोतवाल अशोक कुमार सिंह, तल्लीताल थाना प्रभारी विजय मेहता, ईओ अशोक वर्मा, खाद्य अभिहीत अधिकारी अश्विनी कुमार सिंह, नैनीताल होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश साह, सचिव वेद साह, दिग्विजय बिष्ट, संयुक्त सचिव स्नेह छावड़ा व पीआरओ आलोक साह आदि मौजूद रहे। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनीताल में डामरीकरण: अक्टूबर माह में पहली बार काठगोदाम से लेकर रानीबाग, भीमताल, भवाली, नैनीताल में जाम

नवीन समाचार, नैनीताल, 02 अक्टूबर 2020। जिला एवं मंडल मुख्यालय में बीते कुछ दिनों से नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 109 पर डामरीकरण का कार्य शुरू हो गया है। यह कार्य अक्टूबर माह में हो रहा है। पूर्व में इस तरह का डामरीकरण सीजन से पहले अप्रैल-मई माह में हुआ करता था। तब भी कभी ऐसी स्थिति नहीं होती थी, जैसी इस बार हो रही है।

डामरीकरण की वजह से शुक्रवार को रानीबाग से नैनीताल आने वाले वाहनों को भीमताल की ओर डायवर्ट कर दिया गया। फलस्वरूप कॉलटैक्स काठगोदाम से भी पहले टेढ़ी पुलिया हल्द्वानी से करीब तीन-चार किमी लंबा जाम लग गया। ऐसी ही जाम की स्थिति भवाली, भीमताल व भवाली में तथा नैनीताल में भी दिखाई दी। नैनीताल में तो दो पहिया वाहनों को भी पहले ज्योलीकोट के पास एक नंबर बैंड व फिर नया बाजार के पास रोक दिया गया। ऐसे में नगर में आने वाले लोग एवं सैलानी संभवतया पहली बार अक्टूबर माह में इस तरह नगर में आने के लिए परेशान रहे।

बताया गया कि मुख्यालय में गांधी जयंती का अवकाश सप्ताहांत के साथ मिलने के कारण सैलानियों के वाहनों की आवक बढ़ गई। इससे नगर में भी वाहनों की काफी भीड़भाड़ बढ़ गई। डीएसए मैदान स्थित मुख्य कार पार्किंग भी वाहनों से पट गई है, जबकि माल रोड पर सैलानियों और नैनी झील में सैलानियों की अच्छी रौनक नजर आ रही है। अलबत्ता अभी भी नगर के अधिकांश प्रमुख होटल नहीं खुले हैं। लेकिन जो खुले हैं वे 75 फीसद तक भर गए। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में नहीं चल सकेंगे ये वाहन, राज्य सरकार की स्वीकृति, केंद्र सरकार कभी भी कर सकती है घोषणा..

नवीन समाचार, नैनीताल, 22 जून 2019। उत्तराखंड की सड़कों पर अब दिल्ली की तर्ज पर 15 साल से पुराने डीजल वाहन नहीं चल सकेंगे। एनजीटी के निर्देश पर बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा है, जिसे राज्य सरकार की मंजूरी के बाद केंद्र को भेजा गया है। केंद्र से इस पर अंतिम निर्णय होना है।

पहले चरण में सिर्फ कॉमर्शियल वाहनों को बंद किया जाएगा। प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए पहले देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर और ऋषिकेश में ही ये नियम लागू होगा। इसके बाद एक एक कर अन्य शहरों में कॉमर्शियल डीजल वाहन बंद किए जाएंगे।

एक्शन प्लान तैयार
पीसीबी ने इन शहरों में प्रदूषण रोकने के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार किया है। जिसके तहत 15 साल पुराने सारे कॉमर्शियल डीजल वाहनों को बंद करने का प्रस्ताव दिया गया। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद एक्शन प्लान केंद्र को भेजा गया है, जहां से वाहन बंद करने पर फैसला होगा।

पुराने वाहनों में सबसे अधिक ट्रक
इन चारों शहरों में वर्तमान में करीब 21 हजार कामर्शियल डीजल वाहन हैं। इनके अगले पांच साल में करीब 25 हजार होने की संभावना है। इनमें ज्यादातर ट्रक हैं। इन वाहनों में से करीब 80 फीसदी तो 15 साल से पुराने हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी वे चल रहे हैं। जिससे इन शहरों में सबसे ज्यादा प्रदूषण है। इन शहरों में लगा प्रदूषण बढ़ रहा है। इनमें एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले दस साल में करीब दो गुना हो गया है।

यह भी पढ़ें : इस बार नव वर्ष पर नैनीताल आने में नहीं होगी परेशानी, तय हुईं यातायात व्यवस्थाएं

नवीन समाचार, नैनीताल, 17 दिसंबर 2018। पर्यटन नगरी सरोवरनगरी में आगामी विंटर कार्निवाल, क्रिसमस एवं नव वर्ष के अवसर पर पिछले वर्ष जैसी परेशानी नहीं आएगी। बल्कि नगर में वाहनों का दबाव अधिक होने पर ही वाहनों को पहले चक्र में रूसी बाइपास तथा भवाली रोड पारंस पर रोका जाएगा, एवं वहां से मैक्सी कैब की शटल सेवा के माध्यम से शहर में लाया जाएगा। रूसी बाईपास से नगर का किराया प्रति यात्री 50 रुपये एवं पाइंस से 30 रुपये होगा। इसके अलावा वाहनों का अत्यधिक दबाव होने पर ही छोटे-बड़े वाहनों को कालाढुंगी एवं काठगोदाम में रोका जाएगा तथा वहां से रोडवेज की शटल बस सेवा से नगर में लाया जाएगा। दबाव होने पर रूसी बाइपास से भी नगर के लिए शटल बस सेवा लगाई जाएगी।

यह बातें सोमवार को तल्लीताल थाने में एसएसपी के निर्देशों पर एएसपी हरीश चंद्र सती द्वारा टैक्सी यूनियन एवं संचालकों की बैठक में तय हुईं। इससे साफ हुआ कि पिछली बार की तरह पुलिस-प्रशासन अनावश्यक तौर पर वाहनों को यहा-वहां रोकने का हव्वा नहीं बनायेगा। कोशिश रहेगी कि यात्री नगर में आ सकें। इस हेतु ठीक से व्यवस्थाएं बनायी जाएंगी। बैठक में तल्लीताल के थाना प्रभारी राहुल राठी, एआरटीओ कुलवंत सिंह चौहान, एसएसआई रोडवेज इंद्रा भट्ट, रोडवेज के रमेश जोशी, नीरज अधिकारी, रमेश जोशी, दीप पंत, ललित जोशी, राजेंद्र सिंह, संदीप सेलवाल आदि लोग मौजूद रहे।

पिछले वर्ष यह रही थी स्थिति : आज पार्किंग नहीं तो गाड़ी रुकवाओगे, कल गेहूं नहीं तो जहर दिलाओगे….

-सरोवनगरी में नये वर्ष के स्वागत की जगह भारी आक्रोश के साथ निकली जन आक्रोश रैली
नैनीताल। आज पार्किंग नहीं तो गाड़ी रुकवाते हो-कल गेहूं न होगा तो जहर दिलाओगे.., जाम तो एक बहाना है, अंग्रेजी शासन लाना है, रोडवेज बस शहर में आ सकती है तो पर्यटक बस क्यों नहीं, नैनीताल पर्यटन स्थल है-इसे पर्यटन स्थल रहने दो, हड़पो नहीं, नैनीताल में वीवीआईपी जमावड़ा क्यों, टैक्सी से नैनीताल प्रतिबंधित मोहर हटाओ, रोजी-रोटी पर तकरार-यह कैसा मौलिक अधिकार सरीखे नारे लिखी पट्टियों के साथ रविवार को नव वर्ष के स्वागत की जगह सरोवरनगरी ऐसे ही नारों से शाम ढलते गूंज उठी, और अंधेरा घिरने के साथ दिन में भी आंख मूंदे हुक्मरानों को रोशनी दिखाने को हाथों में मोमबत्तियां जल उठीं।

लोग कदम से कदम मिलाते हुए गहरी नाराजगी के साथ मल्लीताल रामलीला मैदान से एकत्र होकर तल्लीताल तक आक्रोश के साथ गए और वापस लौटे। नैनीताल नागरिक मंच के तत्वावधान में आयोजित हुए इस प्रदर्शन में मल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन सिंह नेगी, टैक्सी-ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष नीरज जोशी, होटल एसोसिएशन अध्यक्ष दिनेश साह, तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष भुवन लाल साह, विवेक वर्मा, ओमवीर सिंह, नरेंद्र नैनवाल, महावीर बिष्ट, दर्शन भंडारी, चंदन जोशी, सोनू बिष्ट, जीवंती भट्ट, जीत सिंह आनंद, कैलाश अधिकारी, भाजपा नगर अध्यक्ष मनोज जोशी व त्रिभुवन फर्त्याल सहित बड़ी संख्या में नगर वासी शामिल रहे।

यह भी देखें : स्थानीय स्तर पर तमाम नकारात्मकताओं, नाराजगी व सैलानियों के स्वागत के लिए दशकों से नगर को नववर्ष की पूर्व संध्या पर सजाने और सवा किमी लम्बी माल रोड को संगीत व अलाव के प्रबंध के साथ ‘दुनिया के सबसे बड़े डांसिंग फ्लोर’ में तब्दील करने जैसे प्रबंध न करने के बावजूद नैनीताल में कितनी संख्या में उमड़े सैलानी और वाहन.. क्योंकि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी….

नैनीताल की इस बड़ी समस्या पर अब मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया पत्र

नैनीताल, 3 दिसंबर 2018। नगर के टैक्सी-ट्रेवल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज जोशी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को नगर के बदहाल यातायात व्यवस्था को लेकर पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि विश्व पटल पर अग्रणी स्थान रखने वाली सरोवर नग में बीते कुछ वर्षों में वाहनों के जाम एवं बदहाल प्रशासनिक व्यवस्था की वजह से नगर की छवि धूमिल होती जा रही है। इससे निपटने के लिए एसोसिएशन जिला प्रशासन को एक बेहतर यातायात योजना बनाकर दे चुका है लेकिन इस पर जिला एवं पुलिस प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। इसलिए मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई जा रही है।
पत्र में कहा गया है कि एसोसिएशन की यातायात योजना आईआईटी नई दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा सराहा एवं अपनी यातायात योजना में शामिल किया। लेकिन आईआईटी दिल्ली की यातायात योजना को भी जिला एवं पुलिस प्रशासन ने लागू नहीं किया है। एसोसिएशन देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आदि से भी इस संबंध में पत्र व्यवहार कर चुकी है। राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से इस पर राज्य के मुख्य सचिव को भी आदेशित किया गया, किंतु राज्य सरकार की ओर से भी इस संबंध में कोई पहल नहीं की गयी है। ऐसे में मुख्य न्यायाधीष से नगर के बिगड़े हालातों व बदहाल यातायात व्यवस्था पर उचित कार्रवाई करने की आशा की गयी है।

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-प्रधानमंत्री के निर्देशों के बावजूद कार्रवाई न होने पर भड़के टैक्सी वाले
-दी लोक सभा चुनावों के बहिस्कार व आमरण अनशन की धमकी, 5 सूत्रीय मांगों पर
नैनीताल। नगर के टैक्सी ट्रैवल्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि उनके मांग पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर से राज्य के मुख्य सचिव को कार्रवाई के आदेश दिये गये, बावजूद उन्हीं की पार्टी की प्रदेश सरकार और प्रदेश का शासन-प्रशासन उनकी मांगों पर आंखें मूंदे बैठा है। ऐसे में वे आगामी अप्रैल माह में तल्लीताल गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन करेंगे, तथा इसके बाद भी कार्रवाई न होने पर आगामी लोक सभा चुनावों में आरटीओ को अपने वाहन उपलब्ध नहीं कराएंगे, और चुनाव का बहिस्कार भी कर सकते हैं।

एसोसिएशन ने गुरुवार को नगर में टैक्सी संचालन बंद रख कर तल्लीताल गांधी चौक में एकत्रित हुए, और धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान नैनीताल के लिए टैक्सी के परमिट पर रोक लगाने के प्रशासन के फैसले का पुरजोर विरोध किया। अध्यक्ष नीरज जोशी की अगुवाई में वक्ताओं ने टैक्सी चालकों के लिए टैक्सी के परमिट में नैनीताल को प्रतिबंधित करने का विरोध किया। कहा कि स्थानीय बेरोजगार किसी तरह टैक्सी के माध्यम से रोजगार कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन के आदेश पर परमिट में रोक लगाने से वह इस कार्य से वंचित हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने उत्तराखंड के टैक्सी वाहनों से नैनीताल शहर में प्रवेश के प्रतिबंधित शब्द को हटाने, प्रत्येक शहर में निःशुल्क स्थाई स्टैंड की व्यवस्था करने, पर्यटक बसों को पूर्व की भांति एसटीए एक्ट के अनुसार शहर में प्रवेश देने की मांग की। इस मौके पर भवाली के नीरज अधिकारी, मनीष बिष्ट, भीमताल के कुर्बान जाफरी, काठगोदाम के विक्रम अधिकारी, रामनगर के एम सूठा, कालाढूंगी के चंदन, केएल आर्या आदि मौजूद रहे। आंदोलन को होटल एसोसिएशन, नाव चालक, नागरिक एकता मंच, फड़ कारोबारियों आदि ने भी समर्थन दिया।

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मल्लीताल स्थित पंत पार्क में फड़ लगाने वाली 4 महिलाओं सहित 6 फड़ वालों के खिलाफ के खिलाफ पुलिस ने बलवा सहित अन्य मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 186, 323, 504, 332, 353 व 309 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी रोहिताश शर्मा की ओर से दी गई तहरीर पर कार्रवाई करते हुए मल्लीताल पुलिस ने , फड़ व्यवसायी नेता जमीर अहमद, दिनेश कुमार, रीना कश्यप पत्नी धर्मेंद्र, मीना देवी पत्नी करन, शायरा खानम उर्फ़ बबली पत्नी शईद-उल हसन व रूपवती पत्नी राजेंद्र सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई की है।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व फड़ वालों ने बृहस्पतिवार को पूरी तरह टकराव के मूड में आकर पालिका-प्रशासन व पुलिस बल की मौजूदगी में आत्मदाह की धमकी देकर फड़ लगाने की कोशिश की, जिसे प्रशासन ने सख्ती से नाकाम कर दिया।इस बीच प्रशासन एवं फड़ वालों के बीच जबर्दस्त धक्का-मुक्की भी हुई।  करीब 11 बजे  के नेता जमीर अहमद के आने के बाद फड़ वाले फड़ लगाने लगे। उन्हें रोकने का प्रयास किया गया तो उन्होंने स्वयं पर केरोसीन उड़ेलने का प्रयास किया। बीच बचाव में काफी मात्रा में केरोसीन एसआई बीसी मासीवाल की वर्दी में भी गिर गया। दैवयोग से आग लगने की घटना नहीं हुई। पुलिस ने जमीर को उठा कर अलग करने की कोशिश की, लेकिन फड़ वालों ने उसे छुड़ा लिया। इस बीच दोनों पक्ष आमने सामने आ गये। खासकर नगर पालिका के ईओ रोहिताश शर्मा फड़ वालों के निशाने पर रहे। महिला पुलिस कर्मियों की कमी के बीच महिला फड़ व्यवसायियों ने ईओ को बुरी तरह से घेर लिया। बाद में एक महिला फड़ व्यवसायी मीना, लीला व बबली आदि ने ईओ रोहिताश शर्मा के खिलाफ पुलिस कोतवाली में तहरीर देकर मारपीट, उनका सामान ले जाने व अभद्र व्यवहार करने के आरोप भी लगाए। मीना द्वारा पेट में चोट लगने की बात कहने पर अस्पताल भी ले जाया गया, हालांकि बाद में वह खुद ही अस्पताल से वापस पहुंचकर दुबारा फड़ लगाने का उद्यत दिखी। दिन भर चले इस ड्रामे-बवाल के बाद पहुंचे एडीएम हरबीर सिंह के पहुंचने और आगामी 26 फरवरी को नगर पालिका में सभी पक्षों की वेंडर जोन गठन के लिए बैठक आयोजित कर इसमें कोई निर्णय ले लिये जाने के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।  इसके बाद एडीएम हरबीर सिंह के निर्देश पर ईओ रोहिताश शर्मा ने भी देर शाम कोतवाली में फड़ व्यवसायियों के खिलाफ तहरीर दी। इसमें कहा गया कि फड़ कारोबारियों ने पालिकाकर्मियों के साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की, तथा सरकारी काम में बाधा डालने, पालिका पर दबाव बनाने के लिए खुद पर मिट्टी तेल उड़ेल कर आत्मदाह का प्रयास भी किया गया।

30-40 को छोड़कर सभी फड़वाले बाहर व एक खास समुदाय के: ईओ
नैनीताल। विवाद से आक्रोशित नगर पालिका के ईओ रोहितोश शर्मा ने कहा कि फड़ व्यवसायी अपने अलग-अलग गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे और नगर पालिका को जबर्दस्ती बीच में ला रहे हैं। इनमें से 30-40 को छोड़कर अधिकांश यूपी के और एक खास समुदाय के हैं, कई महिला फड़ व्यवसायी भी बाहर विवाहित हो चुकी हैं। पूर्व में नगर पालिका कई बार फड़ व्यवसायियों को दुकानें देकर पुर्नवासित कर चुकी है, बावजूद कई दुबारा यहीं फड़ लगा रहे हैं। बावजूद नगर पालिका मानवता के नाते उन्हें पुर्नवासित करना चाहती है, इसके लिए नियमानुसार चिन्हीकरण की प्रक्रिया भी चल रही है। लेकिन नगर में इतनी संख्या में लोगों के लिए स्थान नहीं है। वैसे भी 2014 से उनकी अध्यक्षता में गठित समिति की उपसमिति में वेंडर जोन के लिए स्थान का सर्वसम्मति से चयन नगर के फड़ व्यवसायियों व व्यवसायियों को करना है। उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में पंत पार्क से गुरुद्वारे तक के स्थान में किसी को भी फड़ लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भोटिया मार्केट के अतिक्रमण पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में व्यवसायियों की ओर से उनके अतिक्रमण को नियोजित करने का प्रत्यावेदन प्राप्त हुआ है। इस नीतिगत मामले में पालिका बोर्ड की बैठक में विचार किया जाएगा।

हाईकोर्ट का आदेश हटाने का नहीं बसाने का: जमीर
नैनीताल। वहीं रेहड़ी पटरी हॉकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जमीर अहमद ने दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय के साथ ही उच्च न्यायालय का आदेश फड़ वालों को हटाने नहीं बसाने का है। इसके लिए नगर पालिका में 2014 से चल रही प्रक्रिया में कुछ भी कार्य नहीं हुआ है। इस कारण फड़ वालों के रोजगार का यह अंतिम विकल्प हाथ से जाने के बाद बुरे कार्यों में जाने की स्थितियां उत्पन्न हो गयी हैं, जो ठीक नहीं हैं। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की ही है।

वेंडर जोन में नगर के युवाओं को मिले प्राथमिकता
नैनीताल। शुक्रवार को नगर के युवाओं की तल्लीताल में हुई बैठक में कहा गया कि नगर में प्रस्तावित वेंडर जोन में नगर के स्थायी निवासी रोजगार विहीन युवाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष दीपक रुबाली ने कहा कि कुछ लोग कागजी खानापूरी के जरिये अपना हक जता रहे हैं। इस संबंध में सोमवार को डीएम से मिलकर अपने हक के लिए आवाज उठायी जाएगी। बैठक में पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष योगेश बोरा, गौरव कुमार व पवन जाटव आदि ने भी इस बात को उठाया कि कई फड़ वालों के परिजन सरकारी नौकरियों अन्य रोजगार में हैं। कैलाश रौतेला, ललित आर्या, नवीन कुमार, सोनू, मो. गुलरेज, रमेश जोशी, मनोज कुमार, राजेंद्र बिष्ट व संतोष कुमार आदि भी शामिल रहे।

यह भी पढ़ें : पूर्व आलेख : नैनीताल के व्यापारियों का हाईकोर्ट के कूच का ऐलान, अपनी तरह की दूसरी घटना

    • अपराह्न तीन बजे से बाजार बंद किए, दूसरे दिन भी बाजार बंद रखकर सुबह 10 बजे मल्लीताल रामलीला मैदान में एकत्र होकर हाईकोर्ट कूच करने का किया ऐलान
  • हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नगर के मल्लीताल गुरुद्वारे से पंत पार्क तक के प्रतिबंधित क्षेत्र में फड़ लगने को लेकर जताया गया विरोध

नैनीताल। गत दिनों से नगर के व्यवसायियों की प्रशासन के आदेशों के खिलाफ चल रही नाराजगी, नए वर्ष की पूर्व संध्या (31 दिसंबर 2017) पर नैनीताल नागरिक मंच के बैनर तले जनाक्रोश रैली की कड़ी में बुधवार को व्यापार मंडल मल्लीताल व तल्लीताल की नाराजगी नगर पालिका के विरोध-प्रदर्शन के रूप में सामने आई। और आगे कमोबेश पूरे दिन नगर पालिका के सामने चले विरोध-प्रदर्शन के आखिर में मामला 3 जनवरी 2018 को अपराह्न तीन बजे से नगर की बाजारों को बंद करने और 4 जनवरी को सुबह 10 बजे मल्लीताल रामलीला मैदान में एकत्र होकर उच्च न्यायालय का कूच करने का ऐलान किया गया। आंदोलन की अगुवाई कर रहे मल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन सिंह नेगी व तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष भुवन लाल साह ने कहा कि प्रशासन उच्च न्यायालय के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत केवल उन्हें निशाना बना रहा है, और उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद फड़ वालों को नहीं हटा रहा है। इसलिए उच्च न्यायालय के कूच का निर्णय लिया गया है। उन्होंने पूछे जाने पर आज के आंदोलन का पूर्व के आंदोलनों से संबंध न होने का दावा भी किया।

इससे पूर्व बुधवार (3 जनवरी 2018) सुबह करीब 11 बजे ही नगर के व्यापारी नगर पालिका कार्यालय के सामने नारेबाजी करते हुए धमक आए। इस दौरान उन्होंने पालिका के अधिशासी अधिकारी रोहिताश शर्मा को ज्ञापन सोंपा, और पहले उनका करीब एक घंटे, और बाद में संयुक्त मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला एएसपी हरीश चंद्र सती आदि का भी काफी देर घेराव किया। ज्ञापन में उनका कहना था कि वह कई वर्षों से और इधर नैनीताल क्लब में हुई बैठक में भी अवैध अतिक्रमणकारी फड़ वालों को हटाने की मांग प्रशासन के साथ कोर्ट कमिश्नर को भी कह चुके हैं। लेकिन इस पर कार्रवाई करने की जगह उल्टे प्रशासन द्वारा व्यवसायियों को रोड से सामान हटाने के लिए भारी जुर्माना लगाने की धमकी दी जा रही है।
इसके बाद ईओ ने पुलिस बल की मौजूदगी में फड़ हटाने निकले, जहां फड़ वालों ने उन पर व्यापारियों के दबाव में कार्य करने का आरोप लगाते हुए विरोध किया, और आगे स्वयं फड़ हटाने की बात कही। वहीं बाद में अपराह्न तीन बजे के बाद संयुक्त मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला एएसपी हरीश चंद्र सती आदि के साथ व्यापारियों से वार्ता करने पहुंचे, लेकिन व्यापारियों ने प्रशासन पर दबाव में कार्य करने का आरोप लगाते हुए वार्ता नहीं की, और घेराव कर दिया। समाचार लिखे जाने तक व्यापारी कल बाजार बंद व हाई कोर्ट कूच करने के लिए बाजार में लाउड स्पीकर से घोषणा कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वालों में व्यापारी नेता कमलेश ढोंडियाल, सोनू बिष्ट, विवेक साह, जीत सिंह आनंद, त्रिभुवन फर्त्याल, विक्की वर्मा, आनंद खम्पा, दिग्विजय बिष्ट, कुंदन बिष्ट सहित अनेक व्यापारी शामिल रहे।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : सर्वप्रथम 1897 में उठी थी अलग राज्य की मांगउत्तराखंड के इतिहास में उत्तराखंड कूच की इस तरह की घटना एक बार पहले भी 1 सितंबर 2003 को हो चुकी है, जोकि देश की अपनी तरह की पहली घटना बताई जाती है, जिसमें नैनीताल के साथ ही पूरे उत्तराखंड वासियों ने संयुक्त संघर्ष समिति के तहत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश की खुली मुखालफत की थी, जबकि ऐसा करना न्यायालय की खुली अवमानना माना जाता है। नगर के वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने बताया कि तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति पीसी वर्मा एवं न्यायमूर्ति एमएम घिल्डियाल की खंडपीठ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के आरोपी अनंत कुमार सिंह को दोषमुक्त करार दे दिया था। यह खबर स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि स्वयं सिंह ने दिल्ली के समाचार पत्रों में जारी करवाई थी। यह खबर लगने पर संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य आंदोलन के खटीमा कांड की बरसी पर एक सितंबर 2003 को उच्च न्यायालय जाकर वहां इस आदेश की प्रति जलाने का ऐलान किया। इस ऐलान के तीन दिन पहले 29 अगस्त को उच्च न्यायालय ने अपने इस आदेश को वापस ले लिया। बावजूद आंदोलनकारी अपने ऐलान पर अड़े रहे। एक सितंबर को नैनीताल में पुलिस की ओेर से हर ओर से आंदोेलनकारियों का प्रवेश रोकने के प्रबंध किए गए, और नगर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। बावजूद आंदोलनकारी तल्लीताल डांठ पर जुटे और सभा की। इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारियों को उच्च न्यायालय तक न जाने व माल रोड से होते हुए मल्लीताल तक शांतिपूर्वक प्रदर्शन करते हुए जाने की शर्त पर मना लिया। इसके बाद मल्लीताल तक जुलूस निकाला गया, और मल्लीताल में भी सभा हुई। आगे देखने वाली बात होगी कि आज के ऐलान की परिणति किस तरह की होती है।

तत्कालीन डीएम दीपक रावत के निर्देशों पर लगे हैं फड़: ईओ
नैनीताल। उच्च न्यायालय से प्रतिबंधित नगर के पंत पार्क से गुरुद्वारा तक के क्षेत्र में फड़ लगने के बाबत पूछे जाने पर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी रोहिताश शर्मा ने कहा कि पूर्व में पालिका लगातार फड़ हटाती थी। लेकिन तत्कालीन डीएम दीपक रावत के निर्देशों पर पेड़ों से पीछे चार फिट की चौड़ाई में स्थानीय फड़ व्यवसायियों को दुकानें लगाने दी गयीं। आज व्यवसायियों ने फड़ हटाने को लेकर ज्ञापन दिया। प्रशासन किसी दबाव में कार्य नहीं करता है। बावजूद पालिका ने चंपावत सहित बाहरी लोगों के आठ फड़ हटवाए गए, जबकि कई स्वयं भाग गये। फड़ वालों को स्थान देने के लिए दो माह पूर्व वेंडर जोन कमेटी की कर निरीक्षक की अध्यक्षता एवं तल्लीताल व मल्लीताल व्यापार मंडल के पदाधिकारियों युक्त उपसमिति से 15 दिन के भीतर वेंडर जोन के लिए स्थल का चयन कर रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अभी उप समिति ने वेंडर जोन के लिए सर्वेक्षण ही नहीं किया है। उन्होंने विरोध का मोहन-को मार्ग की पैमाइश और व्यापार मंडल के आगामी चुनावों से जुड़ाव होने का भी अंदेशा जताया।

फड़ न लगने देने के आश्वासन के बाद टला हाईकोर्ट कूच, नैनीताल रहा बंद

-इससे पूर्व छावनी में तब्दील रहा शहर, पुलिस ने हाईकोर्ट से पहले ही व्यापारियों का कूच रोकने के लिए किए थे अभेद्य प्रबंध
-एक प्लाटून पीएसी मिलेगी नगर पालिका को, पालिका ईओ सुनिश्चित करेंगे फड़ों का न लगना
-भोटिया व तिब्बती मार्केट में व्यापारी भी हटवाएंगे अपना अतिक्रमण
नैनीताल। गत दिनों से नगर के व्यवसायियों की प्रशासन के आदेशों के खिलाफ चल रही नाराजगी, नए वर्ष की पूर्व संध्या पर नैनीताल नागरिक मंच के बैनर तले जनाक्रोश रैली की कड़ी में बृहस्पतिवार को व्यापार मंडल मल्लीताल व तल्लीताल का हाईकोर्ट कूच का ऐलान नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी रोहिताश शर्मा के द्वारा फड़ न लगने देने के आश्वासन के बाद टल गया। अलबत्ता, नगर में दूसरे दिन भी बाजार दवाइयों की दुकानों को छोड़कर पूरी तरह से बंद रहे। पालिका को पुलिस की ओर से फड़ न लगने देने के लिए एएसपी हरीश चंद्र सती ने एक प्लाटून पीएसी उपलब्ध कराने की घोषणा की। इसके साथ ही नगर के भोटिया और तिब्बती बाजार क्षेत्र में दुकानों से बाहर निकले एंगलों को हटाने का व्यवसायियों की ओर से आश्वासन दिया गया।

नगर के व्यापार मंडलों के सुबह 10 बजे मल्लीताल रामलीला मैदान में एकत्र होकर उच्च न्यायालय का कूच करने के ऐलान के मद्देनजर बृहस्पतिवार को मुख्यालय सुबह से ही पुलिस द्वारा पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। खासकर उच्च न्यायालय की ओर व्यापारी कूच न कर पाएं, इस हेतु अभेद्य सुरक्षा प्रबंध और हर तरह की कार्रवाई की तैयारी कर ली गयी थी। उधर सुबह पंत पार्क से गुरुद्वारा तक के प्रतिबंधित क्षेत्र में फड़ नहीं लगने दिए गए। ऐसे में व्यापारियों ने मल्लीताल रामलीला मैदान में सभा की, और यहां से हाईकोर्ट की बजाय वे नगर पालिका की ओर जुलूस की शक्ल में आए, और कार्यालय में एडीएम बीएल फिरमाल की अध्यक्षता में वार्ता हुई। वार्ता में पालिका ईओ व एएसपी के आश्वासनों के बाद व्यापारी संतुष्ट दिखे। इस दौरान व्यापारी नेता किशन सिंह नेगी ने कहा कि व्यापारी हाईकोर्ट के अतिक्रमण विरोधी अभियान का स्वागत करते हैं, पर इसकी आढ़ में केवल व्यापारियों के विरुद्ध एकतरफा कार्रवाई की जा रही थी, और पिछले छह माह से उनके कोर्ट कमिश्नर तक से कहने के बावजूद अवैध फड़ लगाने वाले अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी। त्रिभुवन फर्त्याल व सोनू बिष्ट ने बाहरी फड़ वालों के लगातार बढ़ती हिमाकत की ओर इशारा करते हुए भविष्य में किसी बड़ी घटना के प्रति चेताया। बताया गया कि बीती 31 दिसंबर व नव वर्ष पर सैलानियों की भारी भीड़ के बावजूद स्थानीय व्यवसायी निराश रहे। जबकि फड़ वालों ने बड़े पैमाने पर बिक्री की। इससे व्यापारी नाराज थे। प्रदर्शन-वार्ता करने वालों में व्यापारी नेता कमलेश ढोंडियाल, विवेक साह, विक्की राठौर, विवेक वर्मा, जीत सिंह आनंद, जगदीश बवाड़ी, पूरन मेहरा व कुंदन बिष्ट सहित अनेक व्यापारी शामिल रहे।

‘पीआईएल मैन’ डा. रावत के ‘आहत’ होने के निकाले जा रहे हैं निहितार्थ

नैनीताल। सरोवरनगरी की पारिस्थितिकी को बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर करने के लिए ‘पीआईएल मैन’ कहे जाने वाले पर्यावरण प्रेमी डा. अजय रावत द्वारा उच्च न्यायालय से अपनी बहुचर्चित जनहित याचिका वापस लेने की अर्जी दी है। खासकर ऐसे दिन जबकि नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नगर वासी एवं नगर के पर्यटन से जुड़े लोग नये वर्ष के स्वागत और यहां हजारों की संख्या में आए सैलानियों का आतिथ्य करने के बजाय अन्य वर्षों के उलट बिना उत्साह, नगर में सजावट व संगीत का प्रबंध किये बगैर ‘कैंडल मार्च’ निकाल रहे हैं। खासकर इसे जनहित याचिका पर आ रहे अनेक ‘प्रतिबंध युक्त’ आदेशों के विरुद्ध जनता के आक्रोश के दबाव का परिणाम बताया जा रहा है तो डा. रावत का कहना है कि उन्होंने पांच वर्षों में अपनी जनहित याचिका के मूल विषयों पर कार्य न होने और इसकी जगह अन्य प्रतिबंध थोपने की स्थितियों में उठाया है। उन्होंने नगर को माथेरन की तरह ‘ईको सेंसिटिव जोन’ घोषित करने की मांग भी की है, जिसके लिए केंद्र सरकार से धनराशि मिलती है, तथा नगर में व्यवसायिक निर्माणों पर रोक लगती है, और नगर वासियों को असुविधा नहीं होती हैं।

डा. अजय रावत का कहना है कि उनकी पीआईएल संख्या 31/2012 के जरिए 2012 से ही झील विकास प्राधिकरण द्वारा हरित क्षेत्र में चिन्हित किये गए अवैध, अनियंत्रित निर्माण पर तुरंत रोक लगाने और साथ ही नैनीताल को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने का अनुरोध किया था था, जिससे नैनीताल झील को 50 फीसद से अधिक जल उपलब्ध कराने वाले सूखाताल झील क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाए। लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, अलबत्ता कई बड़े व्यवसायिक निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहे। वहीं नैनी झील को लगातार नुकसान होता रहा. उन्होंने अपनी जनहित याचिका को वापस लेने वाली याचिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि सूखाताल के ईको सेंसिटिव जोन में तत्काल रूप से निर्माण गतिविधियों पर रोक लगायी जाए, जिससे नैनी झील को पुनर्जीवित किया और नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि उनकी जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान कई नए मुद्दे जुड़ते गए और याचिका मूल विषय से दूर हो गयी। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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