नैनीताल-उत्तराखंड के लिए गौरव का दिन, हुई 150 करोड़ से 45 एकड़ में बनने वाले विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय के परिसर का भूमि पूजन…
-रामगढ़ के टैगोर टॉप में सीएम ने किया विश्व भारती केंद्रीय विश्वाविद्यालय के प्रथम परिसर का भूमि पूजन, 45 एकड़ भूमि पर पहले चरण में केंद्र सरकार के 150 करोड़ रुपयों से होगा परिसर का निर्माण
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 8 मई 2022। रविवार का दिन उत्तराखंड के लिए स्मरणीय रहेगा। आज नैनीताल जनपद के रामगढ़ में विश्व भारती केंद्रीय विश्वाविद्यालय के प्रथम परिसर का भूमि पूजन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि रामगढ़ का टैगोर टॉप गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कर्म स्थली रहा। यहीं गुरुदेव ने 19वीं शताब्दी में 5 बार अपनी प्रसिद्ध कृति गीतांजलि की काव्य रचना की। इस पर उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला जो किसी एशियाई को पहला नोबेल पुरस्कार था। श्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामगढ़ में रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना में अपनी रुचि व्यक्त की है। यह उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।
उल्लेखनीय है कि आज ही रामगढ़ के टैगोर टॉप में ‘शांति निकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया’ के तत्वाधान में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती ‘रवींद्र जन्मोत्सव-2022’ के रूप में मनायी गई। सीएम धामी ने इसका दीप प्रज्वलित करते हुए शुभारंभ किया। साथ ही उन्होंने कहा कि रामगढ़ में विश्व भारती केंद्रीय विश्वाविद्यालय के प्रथम परिसर की सौगात से जहां रामगढ़ को भारत के प्रमुख शिक्षा केद्र के रूप में स्थापित होने का अवसर प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के नये अवसर भी उपलब्ध होंगे, तथा यह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोधार्थियों के लिए भी नया गंतव्य बनेगा।
बताया कि उत्तराखंड सरकार ने परिसर के लिए 45 एकड़ भूमि मे विश्व भारती केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना की औपचारिकता पूर्ण कर ली है, जबकि प्रथम चरण के कार्यों हेतु 150 करोड़ रुपये की डीपीआर केंद्र सरकार में स्वीकृति की प्रक्रिया में है। उन्होंने इस हेतु विश्व भारती केंद्रीय विवि पश्चिम बंगाल के कुलपति प्रो. विद्युत चक्रवर्ती तथा शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के सदस्यों का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। बताया कि इसके लिए केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा मंत्री अजय भट्ट व पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के भी विशेष प्रयास रहे। इस अवसर पर ‘रवींद्र सृजनिका’ नाम की पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान संयोजक प्रो. अतुल जोशी, क्षेत्रीय विधायक राम सिंह कैड़ा, पूर्व विदेश सचिव शशांक, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, देवेंद्र बिष्ट, मंडल अध्यक्ष कुंदन चिलवाल आदि जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर अभिनंदन किया। इस दौरान राउमावि रामगढ़ के बच्चों ने सांस्कृतिक एवं देवभूमि सांस्कृतिक दल द्वारा छोलिया नृत्य की प्रस्तुति दी। उद्यान सहित विभिन्न विभागों व ग्रामीण आजीविका मिशन बोहराकोट द्वारा स्टॉल भी लगाए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की पत्नी गीता धामी, कुमाऊं विवि के कुलपति डॉ. एनके जोशी, डीएम धीराज गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, एडीएम अशोक जोशी, अजय सिह, अब्ज प्रसाद बाजपेई, योगेश मेहरा, ब्लाक प्रमुख धारी आशा रानी, कुंवर सिंह नेगी, डॉ. अनिल कपूर ‘डब्बू’, डॉ. दुर्गेश पंत, दया पोखरिया, रविंद्र, प्रधान रेखा जोशी सहित विभिन्न विभागीय अधिकारी सहित भारी जन समूह उपस्थित रहा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर का जन्मोत्सव
-संगोष्ठी में प्राप्त शोध पत्रों एवं आलेखों को सम्पादित पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया जाएगा
नवीन समाचार, नैनीताल, 7 मई 2021। शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के तत्वाधान में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर का जन्मोत्सव शुक्रवार 7 मई को अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। इसका उद्घाटन वर्चुअल माध्यम से मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया। इस अवसर पर ‘शिक्षा नीति 2020 तथा गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर’ विषय पर एक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
ट्रस्ट के सचिव प्रो. अतुल जोशी ने बताया कि इस वर्ष गुरुदेव का जन्मोत्सव कई अर्थों में विशेष है क्योंकि यह वर्ष जहाँ एक ओर गुरुदेव द्वारा 1921 में स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है वहीं इसी वर्ष लगभग 35 वर्षों के बाद देश को नयी शिक्षा नीति मिली है, जिसके निर्माण में गुरुदेव टैगोर के शिक्षा दर्शन का महत्त्वपूर्ण प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। इसी कारण जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित की जा रही अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय ‘शिक्षा नीति 2020 तथा गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर’ रखा गया है।
इस अवसर के लिए प्राप्त शोध पत्रों एवं आलेखों को सम्पादित पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया जाएगा। उत्तराखंड के लिए यह गौरवान्वित होने का भी अवसर है क्योंकि इसी वर्ष केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. ‘निशंक’ एवं नैनीताल के सांसद अजय भट्ट के सार्थक प्रयासों के परिणामस्वरूप, विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा गुरुदेव की कर्मभूमि रहे रामगढ़ उत्तराखंड में उसके प्रथम परिसर की स्थापना का निर्णय ले लिया गया है जिससे रामगढ़ क्षेत्र सहित समस्त उत्तराखंड के जनमानस में खुशी की लहर है। जन्मोत्सव कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि के रूप में क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट, विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिद्युत चक्रबर्ती, विदेश सचिव रिबा गांगुली दास, कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी तथा कैथोलिक यूनिवर्सिटी अमेरिका के डॉ. रिचर्ड डी. शार्प आदि द्वारा भी संबोधित किया गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : ब्रेकिंग : केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. निशंक को अवमानना याचिका पर एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 29 सितंबर 2020। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के द्वारा आवास, बिजली, पानी व अन्य सुविधाओं का भुगतान अभी तक नही किए जाने के खिलाफ दायर अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायालय ने पूर्व सीएम एवं मौजूदा केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। आज सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम विजय बहुगुणा व भुवन चंद्र खंडूड़ी की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उनको सर्वोच्च न्यायालय से स्टे मिल गया है, जबकि डा. निशंक की ओर से ऐसा कोई आदेश न्यायालय में पेश नही किया गया।
मामले के अनुसार देहरादून की रुलक संस्था ने अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि न्यायालय ने 2019 में सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवासों का किराया, पानी व बिजली सहित अन्य सुविधाओं का भुगतान 6 माह के भीतर करने को कहा था परन्तु अभी तक उनके द्वारा यह भुगतान नही किया गया। इसलिए संस्था ने इनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों व मुख्य सचिव को अवमानना याचिका में कारण बताओ नोटिस
नवीन समाचार, नैनीताल, 14 अगस्त 2020। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवासों का किराया व अन्य भत्तों को जोड़कर वसूली किये जाने संबंधी मामले में दायर अवमानना याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सख्त नाराजगी जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, बीसी खंडूरी सहित मुख्य सचिव ओम प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
उल्लेखनीय है कि देहरादून की रूरल संस्था की ओर से नैनीताल उच्च न्यायालय में पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करते हुए कहा था कि पूर्व में न्यायालय द्वारा 3 मई 2019 को जारी किये गये आदेशों का सरकार द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगलों व अन्य सुख सुविधाओं से संबंधित भत्तों को वसूलने में हीलाहवाली कर रही है। जिस पर आज सुनवाई करते हुए न्यायालय ने तीन मुख्यमंत्रियों सहित प्रमुख सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिये पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दरों पर बंगलों का किराया वसूलने के आदेश
नवीन समाचार, देहरादून, 9 जून 2020। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगलों के मामले में रूलक संस्था की जनहित याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने मामले में सभी पक्षगत पूर्व मुख्यमंत्रियों को उन्हें आवंटित बंगलों का बाजार दरों से किराया चुकाना होगा। साथ ही राज्य सरकार को उन्हें पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में दी गई सुविधाओं पर खर्च की गई धनराशि का आंकलन करना होगा और चुकाना भी होगा। साथ ही उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्री सुविधाएं अधिनियम 2019 को नियम विरुद्ध भी ठहरा दिया है।
मामले में याची के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इस अधिनियम की धारा 4ए और इसकी 4सी व धारा 7 के तहत की गई व्याख्या को भारतीय संविधान की धारा 14 के विरुद्ध माना है। साथ ही अधिनियम के कुछ प्राविधानों को संविधान की धारा 202 व 207 के विरुद्ध भी माना है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिये एक राज्यपाल सहित तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस भेजने के आदेश…
-पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगलों के किराये को माफ करने से संबंधित राज्य सरकार के अधिनियम को उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के माध्यम से दी गई है चुनौती
-इसी जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिया है आदेश, मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तिथि नियत
नवीन समाचार, नैनीताल, 11 फरवरी 2020। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास भत्ते व अन्य सुविधाओं में हुए खर्च के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा पारित अधिनियम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दस दिन के भीतर नोटिस देने को कहा है। आदेश में पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम भी शामिल है। मामले की अंतिम सुनवाई की तिथि 25 फरवरी नियत की गई है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
उल्लेखनीय है कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को पहले जारी हुए नोटिस केवल पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को छोड़कर शेष अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्राप्त हुए बिना वापस आ गए थे। लिहाजा मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान डा. निशंक के अधिवक्ता न्यायालय में मौजूद रहे, किंतु विजय बहुगुणा व भुवन चन्द्र खंडूरी के नोटिस वापस बिना हस्तगत हुए आ गए। उल्लेखनीय है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी व महाराष्ट्र के राज्यपाल बन गए भगत सिंह कोश्यारी का नाम पूर्व में नोटिस से अलग रखा था। लेकिन अब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम पुनः नोटिस में शामिल करते हुए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस देने की जिम्मेदारी सरकार को दी गई है। मालूम हो कि देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने राज्य सरकार के उस एक्ट को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी है जिसमें राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगलों के शेष बचे किराए को माफ कर दिया था। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकार के छुड़ाए भी नहीं छूटा सरकारी बंगलों का भूत, हाईकोर्ट ने फिर किया जवाब तलब..
नवीन समाचार, नैनीताल, 22 जनवरी 2020। पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगलों के किराये का भूत सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा। राज्य सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने गऐ गत दिनों पारित अधिनियम को भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती मिल गई है, और उच्च न्यायालय ने बुधवार को मामले में दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों डा. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा व भुवन चंद्र खंडूड़ी को अपने सरकारी मकानों के किराए के साथ-साथ अन्य भत्ते देने के लिए भी निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने इस मामले में मंगलवार को याचिका दाखिल कर राज्य सरकार द्वारा गत दिनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के लिए पारित अधिनियम के प्रावधानों को याचिका द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। गौरतलब है कि पूर्व में देहरादून की रूलक संस्था ने जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के लिए आदेश पारित करने की मांग की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर सुविधाओं का बकाया जमा करने के आदेश दिए थे। इसके बाद सरकार ने अधिनियम पारित कर बकाया जमा करने से पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत दे दी थी। अध्यादेश में कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाओं के एवज में मानक किराए से 25 फीसद अधिक किराया वसूला जाएगा। मानक किराया सरकार तय करेगी, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे लेकिन किराया सरकार तय करेगी। पूर्व में कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही कहा था कि इस अवधि में यदि सरकार ने अधिनियम बनाया तो याचिकाकर्ता उसे कोर्ट में चुनौती दे सकता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करने वाला विधेयक ध्वनि मत से पारित…
नवीन समाचार, देहरादून, 9 दिसंबर 2019। उत्तराखंड विधानसभा में सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करने वाला विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया । विपक्षी कांग्रेस के शोर शराबे के बीच ‘उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा :आवासीय एवं अन्य सुविधाएं : विधेयक—2019’ पारित हुआ। उसमें प्रावधान है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवास का किराया सरकार द्वारा निर्धारित मानक दरों से 25 प्रतिशत अधिक लिया जायेगा । पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवास के विद्युत, पानी शुल्क तथा सीवर शुल्क का भुगतान स्वयं करना पडेगा।
हांलांकि, वाहन चालक, वाहनों का रखरखाव, जनसंपर्क अधिकारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तथा अन्य ऐसी सुविधायें, जो सरकार द्वारा निर्धारित की गयी हैं, निशुल्क रहेंगी । इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा आवंटित आवास में मरम्मत कार्यो का भुगतान भी राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा । देहरादून स्थित गैर सरकारी संगठन ‘रूलक’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकार को पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधायें समाप्त करने का निर्देश दिया था। हांलांकि, बाद में सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाएं बहाल करने के लिये अध्यादेश ले आयी थी । हांलांकि, अभी भी मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के राज्यपाल होने के नाते कोश्यारी को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से मिली बड़ी राहत
-सरकारी बंगलों के किराये व अन्य सुविधाओं पर हुए खर्चे को वसूल करने के मामले में दायर जनहित याचिका से नाम अनुरोध पर हटाया
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 नवंबर 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगलों के किराये व अन्य सुविधाओं पर हुए खर्चे को वसूल करने के मामले में दायर देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था की जनहित याचिका से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के महाराष्ट्र के राज्यपाल होने के नाते उनके नाम को हटा दिया है।
सोमवार की मामले की सुनवाई के दौरान कोश्यारी के अधिवक्ता ने न्यायालय से उनका नाम इस जनहित याचिका से हटाने का अनुरोध किया, इस पर न्यायालय ने उनका नाम जनहित याचिका से हटा दिया। उल्लेखनीय है कि पूर्व में उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की मृत्यु् के बाद उनके नाम को भी नोटिस की श्रेणी से बाहर कर दिया था। मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सुविधाएं देने के मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जताया अपना इरादा..
नवीन समाचार, नैनीताल, 18 नवंबर 2019। उत्तराखंड हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास भत्ता व अन्य सुविधाओं में हुए खर्चे को वसूल करने के मामले में सुनवाई करते हुए 25 नवम्बर की अगली तिथि नियत की है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि आगामी विधान सभा सत्र मे पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा व खर्च पर संसद में नया कानून बनाया जा सकता है। जिस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जतायी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि अगर सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियो को लाभ पहुचाने के मकसद से विधान सभा सत्र में विधयेक पास करती है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
मामले के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने राज्य सरकार के 5 सितंबर 2019 के उस ऑर्डिनेंस को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी है, जिसमें राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया किराए को माफ कर दिया था। इससे पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा, और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को घर खाली कर ब्याज समेत बाजार मूल्य से किराया भरने को कहा था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर कर दिया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : पूर्व सीएम कोश्यारी व बहुगुणा की ‘किराया माफी’ की आखिरी दलील भी हाईकोर्ट में टूटी…
नवीन समाचार, नैनीताल, 7 अगस्त 2019। उत्तराखंड हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व भगत सिंह कोश्यारी की पुनर्विचार याचिका को निरस्त कर दिया है। दोनों पूर्व मुख्यंत्रियों ने आवास व अन्य सुविधाओं का किराया जमा करने में असमर्थता जताई थी। साथ ही कहा था कि उनको सुनवाई का मौका नही दिया गया। वहीं पूर्व मुख्यंत्री विजय बहुगुणा ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि वे पूर्व मे बोम्बे हाई कोर्ट के जज व एमपी रह चुके हैं। लिहाजा उनकी सेवाओं को ध्यान में रखा जाये। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि छः माह में जमा करने के आदेश दिए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि उनसे 30,500 रुपये प्रतिमाह की दर से किराया वसूल जा रहा है। यह भी कहा है कि जो आवास उन्हें आवंटित हुआ था वह सिंचाई विभाग की सम्पत्ति है और किराया भी सिंचाई विभाग को वसूलना चाहिए, जबकि उन्हें किराए का नोटिस सरकार की ओर से दिया गया है। इसी तरह विजय बहुगुणा ने भी बाजार दर पर किराया वसूलने के आदेश पर पुनर्विचार की अपील की है। बहुगुणा के आवास का किराया प्रतिमाह करीब 39 हजार निर्धारित किया गया है । कोश्यारी पर कुल 47 लाख व विजय बहुगुणा पर 37 लाख का बकाया है ।
उल्लेखनीय है कि देहरादून की रूरल लेटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह में बाजार दर से बकाया किराया जमा कराने और सरकार से चार माह के भीतर अन्य खर्चे बिजली, पानी, गनर, टेलीफोन व पेट्रोल सहित अन्य सभी खर्चों की अब तक गणना करके चार माह के भीतर वसूलने के आदेश दिये थे। इस आदेश पर राज्य सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। रिपोर्ट के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री निशंक पर 40.95 लाख, भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.5 लाख तथा भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख तथा पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर 1.13 करोड़ रुपए की राशि शेष है। वहीं संबंधित जनहित याचिका में न्यायालय से कहा गया था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा नियमविरुद्ध दी जा रही सरकारी भवन और सुविधाओं का पूरी अवधि का किराया वसूला जाए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में हाई कोर्ट ने सुनाया बेहद कड़ा फैसला..
नवीन समाचार, नैनीताल, 3 मई 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने रुलक यानी रूरल लिटीगेशन एंड एनटाइटिलमेंट केंद्र संस्था के अध्यक्ष अवधेश कौशल की इस जनहित याचिका पर सरकारी आवासों पर काबिज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अपना बहुप्रतीक्षित व कड़ा फैसला सुना दिया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बाजार की दरों के हिसाब से अब तक का किराया जमा करने के आदेश दिये गये हैं। ऐसा नहीं करने पर उन्हें अवमानना का सामना करना पड़ेगा। साथ ही सरकार से कहा है कि तथा चार माह में बिजली, पानी, टेलीफोन, गनर व पेट्रोल आदि अन्य खर्चों की जांच करके भी पूर्व मुख्यमंत्रियों से वसूल करे। यदि पूर्व मुख्यमंत्री 6 माह के भीतर किराया नहीं चुकाते हैं, तो सरकार किराया वसूले।
बताया गया है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर कुल 2.85 करोड़ रूपये की धनराशि बतौर किराया आंकी गयी थी। इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 47,57,758 रूपये, स्व0 नारायण दत्त तिवारी पर 1,12,98182 रूपये, रमेश पोखरियाल निशंक पर 40,95,560 रूपये, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 46,59,776 रूपये व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 37,50,638 रूपये की राशि बकाया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा की ओर से बताया गया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है जबकि भगत सिंह कोश्यारी की ओर से धन के अभाव में निर्धारित राशि जमा करने में असमर्थता जतायी गयी थी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं पूर्व मुख्यमंत्री
नवीन समाचार, नैनीताल, 5 मई 2019। उत्तराखंड हाइकोर्ट के ताज़ा आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया बाजार दर से (करीब 2.85 करोड़ एविंग अन्य खर्च एक करीब 13 करोड़) चुकाना होगा। इस पर पूर्व मुख्यमंत्रियों का कहना है कि अभी उन्होंने कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है। जरूरत पड़ी तो आदेश के खिलाफ अपील की जाएगी। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद कुछ पूर्व सीएम ने सरकारी किराया जमा भी कराया, लेकिन दिवंगत सीएम एनडी तिवारी और भगत सिंह कोश्यारी ने सरकारी किराया भी जमा नहीं कराया था। इस आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि उन्होंने अभी फैसला पढ़ा नहीं है। बाकी प्रदेशों में क्या स्थिति है, इसे देखा जाएगा। आवास आवंटन की नीति कोई हमने नहीं बनाई है। यदि हमें कहा गया होता कि बाजार दर से किराया लिया जाएगा, तो हम लेते ही नहीं। जरूरत पड़ने पर अपील होगी।
वहीं रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उन्हें आदेश की अभी जानकारी नहीं है। आवास सरकार ने आवंटित किया है। ऐसे में हाईकोर्ट में जवाब भी सरकार को ही देना है। बावजूद इसके पूरे फैसले का अध्ययन किया जाएगा। रिव्यू के लिए अपील की जाएगी। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जाया जाएगा। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवास खाली करने हैं, तत्काल आवास खाली कर दिए गए। बिना मांग के सरकार ने दिया। ऐसे में हम पिछला किराया कैसे बाजार दर के आधार पर दें। आवास आवंटन यूपी के नियमानुसार हुआ। ऐसे में सरकार मौजूदा समय में यूपी की व्यवस्था को देखते हुए फैसला ले। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।