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March 19, 2024

RTI : कहां है महंगाई, बेरोजगारी, पैसे की कमी ? ₹5,38,67,650 करोड़ तो खर्च कर दिये वीआईपी नंबरों पर…

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RTI

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नवीन समाचार, हल्द्वानी, 11 नवंबर 2023 (RTI)। देश में गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी के साथ ही अमीरों व गरीबों के दो भारत होने जैसी बहसों व अपने-अपने तर्कों की चर्चा वित्तीय पर्व माने जाने जाने वाले दीपावली-धनतेरस पर अधिक प्रासंगिक हो जाती है। इस दौरान किसी एक शहर में धनतेरस के एक दिन कितने टन सोने तथा वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित अन्य सामानों की कितने अरबों-खरबों की खरीद-बिक्री हुई इसके अंदाजों के आधार पर आ रही खबरें इन विषयों पर सोचने को विवश कर रही हैं।

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Keeping eye on info: Visually-challenged Hemant Gauniya uses RTI to help  distressed- The New Indian Express
हेमंत गौनिया

वहीं हम आपको बताने जा रहे हैं कि उत्तराखंड वासियों ने गाड़ियां खरीदने पर नहीं, और गाड़ियों के पंजीकरण पर नहीं, बल्कि विशेष-वीआईपी नंबर लेने के लिये हालिया वर्षों में 5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये हैं। यह आंकड़े अमीरी-गरीबी की खाई के और गहरे होने के अथवा राज्य में समृद्धि के बढ़ने के तौर पर देखे जा सकते हैं।

हल्द्वानी निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के अधीन ली गयी जानकारी के अनुसार संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय हल्द्वानी के द्वारा राज्य बनने के बाद 10,160 फैंसी नंबर ऑनलाइन और ऑफलाइन जारी किए गए हैं। इन नंबरों की बिक्री से परिवहन विभाग को ₹5,38,67,650.00 यानी पांच करोड़ अड़तीस लाख सड़सठ हजार और छह सौ पचास रुपये राजस्व के रूप में सरकार को हासिल हुए हैं।

इसमें चार पहिया वाहनों से चार करोड़ छियानब्बे लाख सत्ताईस हजार और तीन सौ तीस रुपये (₹4,96,27,330.00) और दो पहिया वाहनों से बयालीस लाख चालीस हजार और तीन सौ बीस रुपये (₹42,40,320.00) शामिल हैं।

हालांकि आरटीओ हल्द्वानी द्वारा दी गई सूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह जानकारी केवल उनके कार्यालय की है, अथवा पूरे प्रदेश की, जबकि श्री गौनिया ने जानकारी ‘उनके विभाग’ के बारे में यानी पूरे प्रदेश की मांगी गई है, लेकिन परिवहन विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार यह जानकारी केवल आरटीओ हल्द्वानी कार्यालय से संबंधित हो सकती है।

साथ ही दी गई जानकारी को राज्य बनने के बाद से बताया गया है, जबकि बताया गया है कि विशिष्ट नंबरों की व्यवस्था संभवतया वर्ष 2005-06 से लागू हुई थी। ऐसे में यह जानकारी केवल पिछले करीब 17-18 वर्षों की हो सकती है। दी गयी सूचना में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस मामले में आरटीओ संदीप सैनी से स्पष्टता के लिये संपर्क करने का प्रयास किया गया, किंतु उनका फोन नहीं उठा।

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यह भी पढ़ें (RTI) : विश्वास करेंगे ? उत्तराखंड सरकार ने राज्य वासियों के मुफ्त उपचार पर अब तक खर्च किए साढ़े पांच अरब रुपये…

-आयुष्मान योजना के लाभ को लेकर दूरस्थ गांवों में भी बढ़ी है जन-जागरूकता
-उत्तराखंड में 3.83 लाख बार लाभार्थी ले चुके हैं मुफ्त उपचार
-बाहरी प्रांतों के जरूरतमंद लाभार्थियों को भी मिल रहा है योजना का लाभ

नवीन समाचार, देहरादून, 6 दिसंबर 2021 (RTI)। 5.46 अरब की धनराशि कोई छोटी राशि नहीं होती। यह राशि वह है जिसे राज्य की सरकार ने बीमारी से ग्रस्त अपने वासिंदों के मुफ्त उपचार पर खर्च किया है। खर्च का यह आंकड़ा दिनो-दिन बढ़ रहा है। इसी आंकड़े ने इस बात पर भी मुहर लगा दी है कि आयुष्मान योजना प्रदेश और देश की नहीं अपितु विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है।

यहां राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संचालित राज्य की आयुष्मान योजना के बारे में बात हो रही है। 4 दिसंबर 2021 तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक आयुष्मान योजना के कार्ड धारक मरीजों के निशुल्क उपचार पर प्रदेश सरकार के 546 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है। अरबों का यह विशाल आंकड़ा जितना बड़ा है उतना ही सुकून देने वाला है। क्योंकि जाहिर तौर पर यह राशि किसी जरूरतमंद के बुरे वक्त में काम आई है। लाखों की तादाद में संकट के समय जरूरतमंदों को इससे हौसला मिला, और रूग्णता से घिरी जिंदगी मेें फिर से स्वास्थ्य की लालिमा से खिलखिला गई।

यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में अब तक 45.20 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। राज्य में 3.83 लाख से अधिक मरीजों ने अब तक इस योजना के तहत राज्य में योजना के तहत सूचीबद्ध 221 और देश भर में सूचीबद्ध 27 हजार से अधिक अस्पतालों में योजना का लाभ लेकर उपचार कराया है। अच्छी बात यह भी है कि बाहरी प्रांतों के लोग भी इस योजना का लाभ ले रहे हैं। आमजन की सुविधा के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से टॉल फ्री नंबर 155368, 18001805368 भी जारी किए हैं। जहां से योजना से संबंधित कोई भी जानकारी ली जा सकती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कोरोना के इलाज के लिए हल्द्वानी के पैनल अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड धारक को 2 लाख लूटकर कर दिया कंगाल, सीएम तक शिकायत के बावजूद राहत नहीं..

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 30 सितंबर 2021। जी हां, एक आयुष्मान कार्ड धारक गरीब ने दावा किया है कि हल्द्वानी के एक निजी चिकित्सालय ने उसके कोरोना के इलाज के लिए करीब दो लाख रुपए ले लिए। इससे उसका परिवार कर्ज के बोझ के तले दब गया। एक पक्ष यह भी है कि पीड़ित ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक में करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, इस कारण उसने मीडिया में आकर गुहार लगाई है।

नैनीताल जनपद के ओखलकांडा विकासखंड के ग्राम पश्यां निवासी जगदीश चंद्र परगाई का कहना है कि वह ग्रामीण अंचल का रहने वाला आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति है। गत 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद उसे परिजनों ने हल्द्वानी के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। यहां वह 9 मई तक यानी करीब 10 दिन रहा। यह चिकित्सालय आयुष्मान कार्ड की पैनल सूची में था, फिर भी उसका आयुष्मान कार्ड नहीं माना गया और उससे करीब दो लाख रुपए वसूले गए, जो उसके परिजनों ने लोगों से मांग कर जुटाए।

उसने इसकी शिकायत जनपद की मुख्य चिकित्सा अधिकारी से लेकिर 1905 सीएम हेल्प लाइन में भी की। इधर उसके पत्र पर धारी के एसडीएम अनुराग आर्य ने भी इस संबंध में सीएमओ एवं हल्द्वानी के सिटी मजिस्ट्रेट को लिखा है, जबकि सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत पर बॉम्बे हॉस्पिटल से स्पष्टीकरण मांगा गया है। अलबत्ता अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, और पीड़ित को कोई राहत भी नहीं मिली है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : ब्रेन ट्यूमर के इलाज में गरीब महिला को नहीं मिला प्रधाानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ

नवीन समाचार, नैनीताल, 06 जून 2020। नगर की एक जरूरतमंद गरीब महिला को ब्रेन ट्यूमर जैसी जानलेवा समस्या आने पर प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ नहीं मिला। फलस्वरूप महिला का परिवार पर करीब तीन लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर के मल्लीताल नैनीताल में स्टाफ हाउस क्षेत्र में रहने वाली व लोगों के घर में झाड़ू-पोछा करके गुजारा करने वाली महिला प्रेमा देवी पत्नी दौलत राम को 28 दिसंबर 2019 को सिर में तेज दर्द व चक्कर आने की शिकायत पर स्थानीय बीडी पांडे जिला चिकित्सालय में दिखाया गया। यहां से उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज के लिये संदर्भित कर दिया गया। महिला की पुत्री काजल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में उनकी मां को भर्ती किये बिना ही मस्तिष्क का सीटी स्कैन व एमआरआई स्कैन प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड होने के बजाय निर्धारित शुल्क लेकर किया गया। पहले चिकित्सकों ने भर्ती नहीं किया, फिर बताया गया कि बिना भर्ती हुए प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिलता। यहां से उसे ब्रेन ट्यूमर बताकर हायर सेंटर रैफर कर दिया।

ऐसे में महिला की बेटियां कर्ज लेकर उसे पहले हल्द्वानी के एक निजी चिकित्सालय और फिर 14 जनवरी को दिल्ली के एम्स ले गयीं। वहां बताया गया कि उत्तराखंड का प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा, लिहाजा पूरा भुगतान लेकर महिला का 15 फरवरी 2020 को सफल ऑपरेशन हो पाया। काजल ने बताया कि वह नगर में एक स्टोर में, पिता एक होटल में काम करते हैं। परिवार पर करीब तीन लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया है। इधर लॉक डाउन की वजह से वह कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। लिहाजा उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

केवल एक पखवाड़े में चार लाख लोग जुड़े अटल आयुष्मान योजना से, RTI से नुमाया हुई योजना की सफलता की कहानी…

नवीन समाचार, नैनीताल, 14 मई 2019। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जन्म दिन 25 दिसंबर 2018 को उत्तराखंड में देश में सर्वप्रथम लागू हुई केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी अटल आयुष्मान योजना में केवल पहले पखवाड़े में ही तीन लाख 98 हजार 945 लोग जुड़े और इनमें से दो लाख 41 हजार 414 लोगों के कार्ड बने। इस अवधि में 1347 लोगों को इस कार्ड के माध्यम से उपचार मिला तथा इनमें से आये 374 लोगों को उनके द्वारा क्लेम की गयी 34 लाख 74 हजार 140 रुपये की धनराशि का भुगतान किया गया।
यह खुलासा अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को दी गयी सूचना से हुआ है। यह भी बताया गया है कि योजना में एफएचपीएल नाम की कंपनी की सहायता ली जा रही है।

इन 69 अस्पतालों में है आयुष्मान योजना की सुविधा

नैनीताल। उपलब्ध कराई गयी सूचना में बताया गया है कि जिला बेस अस्पताल अल्मोड़ा, सीएचसी बैजनाथ, सीएची गैरसैण, घाट, बीरोंखाल, थलीसैण व विकासनगर, कालिंदी अस्पताल देहरादून, कृष्णा मेडिकल सेंटर, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जिला अस्पताल देहरादून, मैक्सवेल जनजीवन अस्पताल हरिद्वार, सार्थक नर्सिंग होम हरिद्वार, बीडी पांडे जिला अस्पताल नैनीताल, बृजेश अस्पताल और बॉम्बे हॉस्पिटल हल्द्वानी, जिला महिला अस्पताल पौड़ी, बीडी पांडे जिला अस्पताल पिथौरागढ़, जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग, डीएच बौराड़ी अस्पताल टिहरी, अली नर्सिंग होम और आंनद अस्पताल जिला ऊधम सिंह नगर, जिला अस्पताल उत्तरकाशी सहित कुल 69 निजी और सरकारी अस्पतालों में अटल आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिरों पर बरसा है इतना अकूत धन, सोना, चांदी-जवाहरात…

-जानें कब तक रहा 2013 की आपदा का असर और अब क्या है स्थिति

-2015-16 तक रहा केदारनाथ में आई आपदा का असर, 2017-18 व 2018-19 में बने हैं चढ़ावे के बड़े रिकार्ड
नवीन समाचार, नैनीताल, 1 मई 2019। प्रदेश ही नहीं देश के चार धामों में शामिल श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धामों पर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था व श्रद्धा अकूत धन के साथ ही सोना, चांदी एवं जवाहरात के रूप में बरस रही है। जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा मांगी गयी सूचना पर संभवतया पहली बार खुलासा हुआ है कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के खजांची द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से खुलासा हुआ है कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति एवं श्री केदारनाथ मंदिर के पास 6 किलोग्राम 652 ग्राम 165 मिलीग्राम सोना, 11.5 ग्राम सोने की अशरफी व सोने की ही 28.67 ग्राम की गिन्नी के साथ ही 8 कुंतल चार किग्रा 794 ग्राम 270 मिलीग्राम चांदी, चांदी के 941 रुपये, 9 अठन्नी व 10 चवन्नी तथा 84 रुपये, 8 अठन्नी व 2 चवन्नी के गरारी सहित अकूत संपदा मौजूद है। साथ ही प्राप्त जानकारी से साफ है कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा का प्रभाव बदरीनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं व उनके द्वारा चढ़ाये जाने वाले चढ़ावे पर 2013-14 के साथ ही 2014-15 और 2015-16 में बहुत बुरी तरह से पड़ा। अलबत्ता 2017-18 तक आने तक मंदिर इस आपदा से न केवल पूरी तरह से उबर गया, बल्कि इसके आगे दोनों वर्षों में लगातार चढ़ावे के रिकॉर्ड बन रहे हैं।

इसके अलावा प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर को चढ़ावे में राज्य बनने के बाद वर्ष 2001-02 में 1.1 करोड़, 2002-03 में 1.07 करोड़, 2003-04 में 1.67 करोड़, 2004-05 में 1.64 करोड़, 2005-06 में 2.17 करोड़, 2006-07 में 2.8 करोड़, 2007-08 में 3.22 करोड़, 2008-09 में 3.73 करोड़, 2009-10 में 4.87 करोड़, 2010-11 में 5.39 करोड़, 2011-12 में 6.21 करोड़, 2012-13 में 7.24 करोड़, 2013-14 में 6.65 करोड़, 2014-15 में 1.86 करोड़, 2015-16 में 3.34 करोड़, 2016-17 में 7.33 करोड़, 2017-18 में 10.8 करोड़ एवं 2018-19 में 12.16 करोड़ रुपय से अधिक का चढ़ावा मिला है। बीते वर्ष 2018 में मंदिर को 2.399 किलो सोना, 1.7255 किग्रा चांदी एवं 409.85 ग्राम जेवहरात, 296 चांदी के सिक्के मिले हैं, जबकि पूर्व से मौजूद जेवहरातों को जोड़कर वर्तमान में मंदिर के पास 915.934 ग्राम शुद्ध सोना, 39.165 किग्रा 703 मिग्रा सोना, 30 क्विंटल, 27 किग्रा 583.996 ग्राम चांदी, 8 किग्रा 300 ग्राम 961 मिलीग्राम जेवहरात, 9 अशर्फियां, 6814 चांदी के सिक्के, 241.35 ग्राम की गिन्नियां, 92 चांदी की अठन्नी, 132 चांदी की चवन्नी, 12 दुअन्नी, 478 रुपये की गरारी, 53 अठन्नी की गरारी, 85 चवन्नी व 1 दुअन्नी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें : UK के इन 75 पीसीएस अधिकारियों ने नहीं दिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के संपत्ति के ब्योरे, दें भी क्यों-जब कार्रवाई ही नहीं होनी हो…

नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अप्रैल 2019। उत्तराखंड के 75 पीसीएस अधिकारियों ने अब तक पिछले दो वित्तीय वर्षों-वर्ष 2016-17 और 17-18 के दौरान अपनी संपत्ति का वार्षिक ब्योरा नहीं दिया है। काशीपुर के ग्राम मिस्सरवाला निवासी आरटीआई कार्यकर्ता आसिम अजहर द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई उत्तराखंड राज्य के पीसीएस अधिकारियों की संपत्ति के संबंध में सूचना पर इस बात का खुलासा हुआ है कि राज्य में कुल 151 पीसीएस व नौ प्रभारी अधिकारी हैं। इनमें से 75 पीसीएस अधिकारी ऐसे हैं, जिनकी इस अवधि में संपत्ति में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है, उन्होंने इसका ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया है। सूचना में यह भी जानकारी दी गई है कि संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध न कराने वाले अफसरों पर अभी तक कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई है। यानि जब कार्रवाई ही नहीं होनी तो क्यों नियम माने जाएँ, चाहे आप खुद दूसरों से नियम मनवाने वाले ही क्यों न हों….!

ये हैं संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध नहीं कराने वाले पीसीएस अधिकारी

वीर सिंह, गिरीश चंद्र गुणवंत, अर्चना गहरवार, देवमूर्ति यादव, देवानंद, प्रकाश चंद, आरडी पालीवाल, उदय सिंह राणा, नवनीत पांडे, जगदीश चंद्र कांडपाल, कैलाश टोलिया, रुचि मोहन रयाल, संजय कुमार, ललित नारायण मिश्र, प्रवेश चंद्र डंडियाल, भगत सिंह फोनिया, हंसा दत्त पांडे, श्याम सिंह राणा, लक्ष्मी राज चौहान, प्रशांत आर्य, प्यारे लाल शाह, रामजी शरण शर्मा, बृजेश कुमार तिवारी, नंदन सिंह नगन्याल, शिवचरण द्विवेदी, सुरेंद्र सिंह जंगपांगी, ललित मोहन रयाल, मेहरबान सिंह नेगी, जगदीश लाल, दीपेंद्र सिंह, राजकुमार पांडे, संतोष कुमार पांडे, राकेश चंद्र तिवारी, देवेंद्र सिंह नेगी, नारायण सिंह डांगी, गिरधारी सिंह रावत, चतर सिंह चौहान, निधि यादव, डीपी सिंह, पंचराम चौहान, राहुल कुमार गोयल, अनिल कुमार, तीरथ पाल सिंह, रेखा कोहली, हरगिरी, कुसुम चौहान, बी एल फिरमाल, आलोक कुमार पांडे, रवनीत चीमा, मनमोहन सिंह, पंकज उपाध्याय, विजय नाथ शुक्ल, ईला गिरी, भगवत किशोर मिश्रा, दीप्ति सिंह, नरेश दुर्गापाल, विनोद गिरी गोस्वामी, प्रकाश चंद्र दुमका, आशीष भट्टगई, जयभारत, बंशीधर तिवारी, सोहन सिंह सैनी, अनिल कुमार चन्याल, प्रमोद कुमार, हरीश चंद्र कांडपाल, रिचा सिंह, कौस्तुभ मिश्र, जितेंद्र कुमार, कमलेश मेहता, रविंद्र सिंह, सौरभ असवाल, अमृता परमार, योगेंद्र सिंह व माया दत्त जोशी आदि।

यह भी पढ़ें : ए-3 पेज पर सूचना के लिए मांगे गये ढाई गुना रुपये, जताई आपत्ति

नैनीताल। नैनीताल के नगर पालिका सभासद कैलाश रौतेला ने नगर पालिका द्वारा ए-3 पेज पर सूचना दिये जाने के लिए 10 रुपये मांगे जाने पर नगर पालिका के प्रथम अपीलीय अधिकारी उप जिलाधिकारी से शिकायत की है। उनका कहना है कि नगर पालिका के सूचना अधिकारी ने उनसे ए3 पृष्ठ पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 10 रुपये प्रति पृष्ठ की दर से धनराशि की मांग की है, जो कि ए3 पेज की बाजार में प्रचलित दर 4 रुपये से दो गुने से भी अधिक है। कहा है कि यह लोक सूचना अधिकारी नैनीताल का सूचना नहीं देने का व अपीलार्थी को सूचना लेने से हतोत्साहित करने का कुत्सित प्रयास है। वहीं ए4 आकार के पेज के लिए 2 रुपये प्रति पृष्ठ की दर से ही धनराशि मांगी जा रही है जो कि बाजार दर के हिसाब से उचित है।

बड़ा खुलासा : सांसद निधि खर्च करने में कोश्यारी अव्वल, खंडूड़ी-टम्टा फिसड्डी

-पिछला खर्च नहीं कर पाये तो दो सालों की सांसद निधि ले ही नहीं पाये खंडूड़ी व टम्टा, सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा

नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मार्च 2019। जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने क्षेत्रों में दिखाई गयी सक्रियता उनके द्वारा उनके द्वारा खर्च की गयी उनकी सांसद निधि के आंकड़ों से भी होता है। इस कसौटी पर नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी राज्य के पांच सांसदों में साफ तौर पर अव्वल नजर आते हैं। कोश्यारी ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में सर्वाधिक, चार वर्ष की सांसद निधि 2 करोड़ रुपये प्राप्त की है, और इसमें से वे 1636.31 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। वहीं उनके पीछे दूसरे स्थान पर मौजू हरिद्वार के सांसद डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 1810.34 लाख रुपये सांसद निधि प्राप्त कर इसमें से 1297.24 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। इसी तरह तीसरे स्थान पर टिहरी की सांसद राज लक्ष्मी 1500 लाख में से 1248.95 लाख खर्च कर चुके हैं। चौथे स्थान पर अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा 1250 रुपये में से 810.76 लाख एवं सबसे फिसड्डी नजर आ रहे पौड़ी सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी 1250 लाख में से केवल 721.02 लाख ही खर्च कर पाये हैं। तीन फिसड्डी सांसदों के साथ तो स्थिति यहां तक दयनीय है कि वे अपने शुरुआती तीन वर्ष के कार्यकाल में ही ऐसे पिछड़े कि आखिर के दो सालों की सांसद निधि प्राप्त ही नहीं कर पाये हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को सूचना के अधिकार के तहत जनवरी 2019 तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे पहले नैनीताल सांसद कोश्यारी की बात करें तो वह वर्ष 2014-15 की अपनी पूरी पांच करोड़ की सांसद निधि खर्च कर चुके हैं। 15-16 की निधि में से 8.26 लाख, 16-17 में 6.52 लाख और 17-18 की निधि में से 19.63 लाख यानी कुल मिलाकर चार वर्षों की निधि में से 34.41 लाख की निधि ही शेष है। हालिया 2018-19 की निधि के आंकड़े शून्य दर्शाए गये हैं। वहीं टिहरी सांसद शाह अपने शुरुआती तीन वर्षों की पूरी 15 करोड़ की सांसद निधि में से क्रमशः 76.32, 56.118 व 118.55 लाख यानी कुल 251.05 लाख रुपये खर्च नहीं कर पायी हैं। उन्हें भी बाद के दो वर्षों की निधि प्राप्त ही नहीं हुई है। वहीं निशंक की बात करें तो उनके पहले वर्ष के 10.63 लाख, दूसरे वर्ष 15.58 लाख, तीसरे वर्ष के ब्याज सहित 560.34 लाख की निधि से 236.89 लाख एवं चौथे वर्ष के 250 लाख में से पूरे ढाई सौ यानी कुल 513.1 लाख रुपये खर्च नहीं कर पाये हैं। इसी तरह अल्मोड़ा सांसद टम्टा की बात करें तो पहले वर्ष की निधि से 25.29, दूसरे वर्ष की निधि से 160.36 लाख व तीसरे वर्ष की आधी मिली 250 लाख की निधि में से भी वे 165.69 लाख यानी कुल 439.24 लाख रुपये खर्च नहीं कर पाये हैं। जबकि सबसे पीछे चल रहे पौड़ी सांसद टम्टा भी केवल शुरुआती तीन वर्षों में 1250 लाख की निधि ही प्राप्त कर पाये हैं, और इसमें से 528.98 लाख रुपये खर्च नहीं कर पाये हैं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में करीब 40 करोड़ रुपये में हुआ था पिछला लोक सभा चुनाव, अब लगेंगे कितने…?

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 फरवरी 2019। चुनावों के काफी महंगे होने की बात कही जाती है, परंतु चुनाव में वास्तव में कितना खर्च होता है यह जानने में सभी की दिलचस्पी होती है। इधर जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना से खुलासा हुआ है कि पिछले 2014 के लोक सभा चुनाव में प्रदेश के पोड़ी जनपद की छह विधानसभाओं में दो करोड़ 72 लाख 43 हजार 422 रुपये खर्च हुए थे, जबकि इस हेतु दो करोड़ 76 लाख 9 हजार रुपये प्राप्त हुए थे, यानी आवंटित धनराशि के सापेक्ष तीन लाख 65 हजार 578 रुपये बच गये थे। इसमें सर्वाधिक खर्च कार्यालय व्यय के रूप में 1.17 करोड़ रुपये और 98.79 लाख रुपये यात्रा व्यय एवं 28 लाख रुपये मानदेय, 16.48 लाख लेखन सामग्री व प्रपत्र छपाई पर हुए हैं। उल्लेखनीय है कि गौनिया ने राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय से पूरे प्रदेश की सभी लोकसभाओं में लोक सभा चुनाव के दौरान हुए खर्च की जानकारी मांगी थी, किंतु चुनाव आयोग ने केवल एक जनपद की सूचना भेजकर अपने कर्तव्यों की इंतिश्री कर ली है। ऐसे में यदि एक जनपद के आंकड़ों को प्रदेश के सभी जनपदों का औसत मानें तो माना जा सकता है कि पूरे चुनाव में राज्य में करीब 40 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इधर फिर चुनाव होने वाले हैं, और इतना तय है कि चुनावों पर इससे अधिक ही खर्च होगा।

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यह भी पढ़ें : किसानों के नाम पर 50 फीसद से अधिक का मुनाफा कमा रही हैं बीमा कंपनियां

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 जनवरी 2018। केंद्र सरकार की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की योजना के विपरीत उत्तराखंड का कृषि महकमा सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने पर तुला नजर आ रहा है। खासकर केंद्र सरकार की की फसल बीमा योजना जैसी अति महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में तो विभाग की स्थिति ऐसी ही नजर आ रही है। इस कारण प्रदेश के किसानों को उनकी फसल के बर्बाद होने पर सरकार की ओर से अनुमन्य सहायता नहीं मिल पा रही है।
हल्द्वानी के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गोनिया को सूचना के अधिकार से मिली जानकारी इन आरोपों को पुष्ट करने वाली है। गौनिया को मिली सूचना के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ में 2 प्रतिशत से अधिक और रवि मौसम में 1.5 प्रतिशत से अधिक प्रीमियम की धनराशि सब्सिडी के तौर पर भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा 50-50 के अनुपात में बीमा कंपनी को भुगतान की जााती है।
जहाँ कृषि उत्तराखंड के लोगों की आजीविका का आज भी सबसे बड़ा साधन है, वहीं पिछले 5 वर्षों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत होने वाले पंजीकरणों में हर वर्ष निरंतर गिरावट आई है। प्राप्त सूचना के अनुसार उत्तराखंड में अभी तक 4,80,607 किसानों को ही 18 सूचीबद्ध कंपनियों के द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जोड़ा गया है, जिनमें से अभी तक 10 फीसद से भी कम, 40,738 किसानों को फसलों के नुकसान होने पर रु. 795.77 लाख की धनराशि बीमा कंपनी द्वारा दी गई है। जबकि राज्य सरकार अपने 50 फीसद हिस्से में से 599.91 लाख रुपए प्रीमियम के रूप में तथा 199.35 लाख रुपए क्रॉप कटिंग योजना के नाम पर दे चुकी है। जाहिर है कि केंद्र सरकार भी अपना 50 फीसद दे चुकी है। इन स्थितियों में यदि किसानों को हुए भुगतान देखने पर यह साफ पता चलता है कि बीमा कंपनियां 50 फीसद से अधिक फायदे में हैं, और इसका लाभ बीमा कंपनियों को नहीं मिल पा रहा है।

कुमाऊं कमिश्नरी में आत्मदाह का हुआ प्रयास, जानें फिर क्या हुआ..

नवीन समाचार, नैनीताल, 2 जनवरी 2019। हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विजय सिंह रावत ने सोमवार को कुमाऊं कमिश्नरी में आत्मदाह करने का प्रयास किया। रावत ने अचानक कमिश्नरी पहुंचकर पुलिस एवं अभिसूचना इकाइयों की पहले से मौके पर मौजूदगी के बावजूद उनकी आंखों में धूल झोंककर बोतल में लाया हुआ पेट्रोलियम पदार्थ स्वयं पर छिड़क दिया, किंतु जब तक वह खुद पर माचिस जलाकर आग लगाता इससे पूर्व ही अभिसूचना इकाई के एसआई नंदन बिष्ट व आरक्षी अखिलेश सिंह तथा तल्लीताल थाना पुलिस के एसआई मनोज नयाल ने उसे दबोच लिया एवं आत्मदाह के प्रयासों को विफल कर दिया।
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी स्थित आरटीओ यानी संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में अनियमितताओं, खासकर वहां से कथित दलालों को बाहर किये जाने एवं हल्द्वानी से अवैध टैक्सी स्टैंड को हटाए जाने की मांग पर रावत ने पहले ही 1 जनवरी तक कार्रवाई न होने पर कमिश्नरी में आत्मदाह करने की धमकी दी थी, इसलिये बुधवार को सुबह 10 बजे से ही अभिसूचना इकाई एवं तल्लीताल थाना पुलिस के कर्मी कमिश्नरी में तैनात हो गये थे। वहीं दोपहर एक बजे आत्मदाह किये जाने की अपुष्ट सूचनाओं पर मुख्यालय के मीडियाकर्मी भी मौके पर पहुंच गये। इस बीच करीब एक बजकर 10 मिनट पर सिर में सरदारों की तरह पगड़ी एवं चेहरे पर प्रदूषण से बचने के लिये बांधा जाने वाला मास्क लगाकर आये रावत ने अचानक ही आयुक्त राजीव रौतेला के कार्यालय के बाहर अपनी जेब में बोतल में लाया हुआ तरल पेट्रोलियम पदार्थ स्वयं पर छिड़क लिया। इतनी देर तक पुलिस व अभिसूचना विभाग के कर्मी उसे पहचान नहीं पाये थे। लेकिन जैसे ही उसने हरकत की, उसे तत्काल दबोच लिया गया। रावत ने बाद में मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्होंने हल्द्वानी के आरटीओ कार्यालय में अनियमितताओं को लेकर पूर्व में 8 दिनों तक आमरण अनशन भी किया था, जिसके बाद आयुक्त ने दिशानिर्देश भी जारी किए थे। किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे आहत होकर उसे यह कदम उठाना पड़ा।
चित्र परिचयः 02एनटीएल-1 व 2ः नैनीताल। बुधवार को कमिश्नरी में आत्मदाह करने आये समाजसेवी विजय रावत को दबोचते पुलिस एवं अभिसूचना विभाग के कर्मी।

पूर्व समाचार

आठ दिन के आमरण अनशन के बावजूद नहीं हिली प्रशासनिक व्यवस्था, आरटीआई से हुआ खुलासा

-केमू पर 6 बिंदुओं पर कार्रवाई किये जाने के मांग पत्र पर आरटीओ ने कोई कार्रवाई करने के बाद केमू से किया महज ‘अनुरोध’
नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 दिसंबर 2018। 18 वर्ष की उम्र के बालिग भर हो रहे राज्य की व्यवस्थाएं लगता है समय पूर्व ही बूढ़ी हो गयी हैं। राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की बूढ़ी हड्डियों एवं आंखों का सूख चुका पानी शायद एक व्यक्ति के सामाजिक उद्देश्य से आठ दिन आमरण अनशन कर अपनी जान जोखिम में डालने के बावजूद नहीं पिघल रहा है।
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में विजय रावत नाम के व्यक्ति ने दो माह पूर्व 11 अक्तूबर को अपनी मांगों पर आठ दिन का आमरण अनशन किया था। तब उनकी सभी मांगों को मानने का आश्वासन देकर उनका अनशन तुड़वाया गया, लेकिन इधर दो माह बाद उनकी मांगों पर हुई कार्रवाइयों के बारे में जब इस आंदोलन में साथ रहे सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने सूचना के अधिकार के तहत पूछा तो पता चला है कि किया कुछ भी नहीं गया। विजय ने तब केमू प्रबंधन एवं वाहन स्वामियों पर स्वीकृत सीमा से अधिक किराया वसूले जाने का आरोप लगाते हुए बिना परमिट के वाया गगास रानीखेत से द्वाराहाट जाने वाली तथा फिक्स मार्गों व ‘नो रोड’ की सभी सहित से केमू की करीब 54 से अधिक बस सेवाओं एवं हल्द्वानी शहर में अवैध टैक्सी स्टेंड को हटाने की 6 सूत्रीय मांगें की थीं। इस संबंध में आरटीओ हल्द्वानी ने सभी मांगों को मांगने का समझौता किया था, किंतु अब तक इस संबंध में की गयी जानकारी के बारे में इतना भर बताया है कि इस संबंध में केमू को इन मागों के संबंध में कार्रवाई करने का ‘अनुरोध’ किया गया है। यानी अधिकारपूर्वक कोई कार्रवाई करने के निर्देश तक नहीं दिये हैं। इस पर गौनिया एवं रावत ने फिर से आंदोलन करने का इरादा जाहिर किया है।

पार्किंग शुल्क से ही करोड़ों कमा रहा रोडवेज, पर नहीं दिला रहा स्टेशनों पर सुविधाएं

नैनीताल, 23 नवंबर 2018। उत्तराखंड परिवहन निगम अपने स्टेशनों पर बसों के खड़े होने से वर्ष में लाखों तथा पिछले कुछ वर्षों में ही करोड़ों रुपये कमा रहा है। किंतु स्टेशनों पर सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है। जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार केवल हल्द्वानी के रोडवेज स्टेशन से ही निगम को वर्ष 2014 में 27.48 लाख, 2015 में 35.24 लाख, 2016 में 43.82 लाख, 2017 में 51.25 लाख एवं इस वर्ष 2018 में अब तक 43.49 लाख यानी पिछले पांच वर्षों में दो करोड़ रुपये से अधिक की आय प्राप्त हो चुका है। यह स्थिति तब है, जबकि हल्द्वानी के रोडवेज स्टेशन पर न तो बसों के खड़े होने के लिये पर्याप्त जगह नहीं है, और दी गयी सूचना में यह स्वीकारोक्ति भी की गयी है। बताया गया है कि स्टेशन पर हर रोज 90-95 बसें आती हैं, और एक घंटे से कम देरी तक खड़े होने वाली बसों से 118 रुपये, रात्रि में रुकने वाली बसों से 236 रुपये एवं यूपी के केसरबाग व राजस्थान के जयपुर डिपो की बसों से 472 रुपये लिये जाते हैं, क्योंकि इन दोनों डिपो में खड़ी होने वाली यहां की बसों को भी वहां इतनी ही धनराशि देनी पड़ती है। गौनिया का कहना है कि इतनी बड़ी धनराशि प्राप्त करने के बाद भी स्टेशन की दशा नहीं सुधारी जा रही है। यही स्थिति प्रदेश के अन्य रोडवेज स्टेशनों की भी है।

यह भी पढ़ें : पांच वर्ष की कवायद और शिलान्यास के एक वर्ष बाद भी मोबाइल टावर अधर में

नैनीताल, 19 नवंबर 2018। जनपद के दूरस्थ ग्राम गौनियारो में करीब पांच वर्ष से चल रही कवायद और एक वर्ष पूर्व क्षेत्रीय विधायक एवं सांसद द्वारा शिलान्यास किये जाने के बावजूद बीएसएनएल के मोबाइल टावर का निर्माण अधर में पड़ा हुआ है। क्षेत्रीय निवासी एवं सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने बताया कि उनके गांव में लोगों को मोबाइल के सिग्नल प्राप्त करने के लिये करीब 5 किमी दूर पैदल जाना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए वे पिछले करीब पांच वर्षों से प्रयासरत हैं, और दिल्ली में दूरसंचार मंत्रालय और बीएसएनएल के मुख्यालय तक पत्राचार करने के बाद किसी तरह बीएसएनएल का मोबाइल टॉवर स्वीकृत हुआ। इस पर श्रेय लेने के लिए क्षेत्रीय विधायक राम सिंह कैड़ा व सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने करीब एक वर्ष पूर्व टावर का शिलान्यास भी कर दिया। किंतु इधर एक वर्ष बीत जाने के बावजूद बीएसएनएल की ओर से बरती जा रही निष्क्रियता की वजह से अभी भी टॉवर का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने शिलान्यास करने वाले विधायक व सांसद पर टावर के शीघ्र निर्माण के लिए प्रयास भी नहीं करने का आरोप भी लगाया।

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