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November 7, 2024

बुरे फंसे…. अब्दुल मलिक व उसकी बीवी का कारनामा, 1988 में मरे व्यक्ति से 1994 में 13 बीघा जमीन ली दान में और 2007 में याचिका भी दायर करवा दी…

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Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha

Mastermind of Haldwani Violence, Sword ofArrest hangs on Abdul Maliks Wife Sofiya,

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 21 फरवरी 2024 (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)। वनभूलपुरा हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी साफिया मलिक पर गुरुवार को एक और मुकदमा धोखाधड़ी से संबंधित दर्ज हुआ है। मामले के अनुसार 1988 में मरे एक व्यक्ति के नाम पर मलिक दंपति 2007 तक न्यायालयों में उसे जिंदा दिखाकर उसके नाम से कूटरचित फर्जी शपथ पत्र दिखाकर न्यायालयों को भी भ्रमित करते रहे हैं।  यह भी पढ़ें : बनभूलपुरा मामले में आज 4 गिरफ्तार, मास्टर माइंड अब्दुल मलिक के साथ उसकी पत्नी के विरुद्ध भी अभियोग दर्ज…

Mastermind of Haldwani Violence, Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha,नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने हल्द्वानी से स्थानांतरित होकर जाने से पहले इस पूरे मामले का पटाक्षेप करते हुये बताया कि करीब 13 बीघा सरकारी जमीन को हड़पने और खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया गया है। और इसके बाद उप नगरायुक्त गणेश भट्ट ने इस संबंध में हल्द्वानी कोतवाली में शिकायत की इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह भी पढ़ें : कौन है अब्दुल मलिक, जिसकी वजह से 26 साल पहले भी पुलिस के साथ हुई थी ऐसी ही हिंसा, जिसकी हत्या की-आज वही परिवार साथ खड़ा…

500 आम के पेड़ों का ‘कंपनी बाग’ था, जिसे पेड़ काट ‘मलिक का बगीचा’ बना दिया गया (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)

मामले के अनुसार कंपनी बाग की 13 बीघा जमीन नबी रजा खां को बाग के लिए लीज पर दी गयी थी। इस बाग में आम के 500 पेड़ थे। 1988 में नबी रजा खां का इंतकाल हो गया। 1991 में मरहूम नबी रजा खां की बेवा सईदा बेगमं, पुत्र सलीम रजा खां तथा अख्तरी बेगम पत्नी नन्हे खां (अब्दुल मलिक की सास, अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक की मां) निवासी कंपनी बाग, हल्द्वानी की ओर से तत्कालीन हल्द्वानी पालिकाध्यक्ष को एक प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि नबी रजा खां का इंतकाल 3 अक्तूबर 1988 को हुआ था।

यह भी पढ़ें : हल्द्वानी हिंसा पर सपा नेता ने चला इमोशनल कार्ड, मरने वालों के लिये की ‘जन्नत’ की दुवा, अब्दुल मलिक को बताया भाई का हत्यारा…

1988 में मरे व्यक्ति ने 2007 में याचिका दाखिल की (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)

लेकिन 2007 में हल्द्वानी निवासी अख्तरी बेगम पत्नी नन्हे खां, नबी रजा खां पुत्र अशरफ खां के नाम से याचिका दायर कर दी गई। याचिका में अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक की ओर से एक शपथ पत्र लगाया गया था, उसमें नबी रजा खां की उम्र मरने के तीन साह बाद 55 साल बताई गई। यह भी पढ़ें : और बढ़ेंगी अब्दुल मलिक की दिक्कतें, भगोड़ा घोषित होने व कुर्की वारंट के बाद अब ‘लुक आउट नोटिस’ की तैयारी…!

1988 में मरे व्यक्ति ने 1994 में मलिक के ससुर को दान में दिया कंपनी बाग

साफिया मलिक की ओर से लगाये गये इस शपथ पत्र में बताया कि लीज होल्डर मरहूम नबी रजा खां ने 1994 में यह भूमि उनके पिता मरहूम हनीफ खां को हिबा यानी दाननामे के जरिए दी थी। सवाल यह हैं कि जब नबी रजा खां 1988 में मर गए थे तो 1994 में हिबा में ये जमीन कैसे साफिया मलिक को मिली।
सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर जब नबी रजा खां 1988 में ही मर गए थे तो उनके नाम से 2007 में याचिका किसने डाली। शपथ पत्र कैसे बन गया। शपथ पत्र कैसे सत्यापित हो गया। डीएम को क्या मरे हुए व्यक्ति ने फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया।

जमीन फ्री होल्ड नहीं हुई तो 10 से 100 रुपये के स्टांप में बेच दी सरकारी जमीन

हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक 1988 में मर गए मरहूम नबी रजा खां के नाम से नगर निगम, डीएम से लेकर न्यायालय तक पैरवी करता रहा। 16 साल तक सरकारी विभाग इससे बेखबर रहे। कंपनी बाग की 13 बीघा जमीन को खुर्द-बुर्द करने के लिए अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक सहित छह लोगों ने जमकर कागजों में कूट रचना की। जब नबी रजा खां को बाग के लिए लीज में मिली जमीन का फ्री होल्ड नहीं हुआ तो जमीन को 10 रुपये से 100 रुपये के स्टांप में बेच दिया गया।

जब मामले ने तूल पकड़ा तो नगर निगम ने इस जमीन से संबंधित कागजों की जांच की। जांच में कई तथ्य चौकानें वाले सामने आए। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि मलिक का बगीचा की उनके वहां कंपनी बाग नाम से नजूल अनुभाग में फाइल है। बताया कि नबी खां को ये बाग लीज में मिला था। स्पष्ट है कि साफिया मलिक ने 1988 में मर चुके नबी रजा खां के नाम का उपयोग कर ‘कंपनी बाग’ क्षेत्र की 13 बीघा सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द करने व हड़पने का प्रयास किया और इस जमीन को ‘मलिक का बगीचा’ नाम दे दिया।

कहां गया 500 फलदार पेड़ों का बाग (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)

कपंनी बाग में जब 1991 में 500 फलदार पेड़ थे तो सवाल उठता है कि वह इस समय कहा हैं। क्या जमीन बेचने के लिए पेड़ों को काट दिया गया। 13 बीघा जमीन कहां चली गई। नबी रजा खां के भाई गौस रजा ने 10 अक्तूबर 1991 में नगर निगम को लिखित बयान दिया था। इसमें कहा गया था कि अख्तरी बेगम मेरी मां है। उन्हें फालिस पड़ा है। नबी रजा खां की मृत्यु 1988 में हो गई है। (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)

इस जमीन में 500 फलदार पेड़ हैं। यहां पर एक 12 बाई 12 फिट का कमरा बना हुआ है। 31 जनवरी 2024 को गौस रजा खां ने शपथ पत्र देकर कहा है कि स्व. अख्तरी बेगम और नबी रजा खां ने अपने जीवित रहते हुए इस भूमि का हिब्बा साफिया मलिक के पिता स्व. अब्दुल हनीफ निवासी बरेली को कर दिया था। हिबा कब किया ये नहीं बताया गया है। (Scandal of Company Bag to Malik ka Bagicha)

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