
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 13 फरवरी 2024 (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)। हल्द्वानी में बीती 8 फरवरी को बनभूलपुरा में हुई हिंसा के मामले का मुख्य आरोपित अब्दुल मलिक पूर्व में भी और एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल जा चुका है। तब भी उसकी गिरफ्तारी के वक्त खूब बवाल हुआ था, और कई पुलिस वाले घायल हुए थे।
उल्लेखनीय है कि बीती 8 फरवरी को बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में मलिक के बगीचा में स्थित नमाज स्थल और मदरसे को ध्वस्त करने गई टीम पर भीड़ ने हमला बोल दिया था। पथराव, आगजनी में बड़ी संख्या में पुलिस, नगर निगम एवं मिडिया कर्मी घायल हुए। 5 लोगों की मौत हो गई। घटना से कुछ दिन पहले मौके से अतिक्रमण हटाने गई टीम का नेतृत्व कर रहे नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय से अब्दुल मलिक की झड़प हुई थी। प्रशासन इस पूरे बवाल का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक को मान रहा है। देखें वीडिओ-हल्द्वानी के पत्थरबाज अब कैसे मांग रहे माफी :
26 साल पहले भी अब्दुल मलिक के कारण हल्द्वानी में हुई थी अराजकता (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
अब्दुल मलिक पर हल्द्वानी के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मलिक ने बताया कि 26 साल पहले भी अब्दुल मलिक के कारण हल्द्वानी में अराजकता हुई थी। तब सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी के छोटे भाई अब्दुल रुऊफ सिद्दीकी राजनीति में उभर रहे थे। रुऊफ सिद्दीकी ने कम समय में ही अपनी पहचान बना ली थी। वह समाजवादी युवजन सभा के जिलाध्यक्ष थे, लेकिन बढ़ती लोकप्रियता के चलते वह प्रतिद्वंदियों को खटकने लगे थे।
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लखनऊ जाते वक्त की थी रुऊफ का हत्या (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
श्री मलिक ने बताया कि 19 मार्च 1998 को अब्दुल रुऊफ सिद्दीकी अपने साथी चन्द्र मोहन सिंह और त्रिलोक बनौली के साथ कार से लखनऊ जा रहे थे। बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र में एक बड़े वाहन ने उनकी कार को टक्कर मार दी थी और कार पलटने के बाद भाड़े के शूटरों ने रुऊफ पर निशाना साधते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें रुऊफ सिद्दीकी की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि चंद्रमोहन सिंह और त्रिलोक बनौली भी घायल हुए थे। हल्द्वानी में थाने का यह वीडियो हिला देगा…
इसके बाद रुऊफ सिद्दीकी हत्याकांड की रिपोर्ट भोजीपुरा थाने में दर्ज कराई गई थी। जिसमें अब्दुल मलिक सहित सात लोगों को नामजद किया गया था। मामले में बरेली और हल्द्वानी पुलिस नामजद आरोपितों की धरपकड़ को संयुक्त रूप से दबिश दे रही थी, लेकिन सभी आरोपित भूमिगत हो गए थे। इस हत्याकांड के कारण हल्द्वानी के बाजार कई दिनों तक बंद रहे। बरेली और हल्द्वानी की पुलिस ने मिल कर संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन अब्दुल मलिक अपने संबंधों के बूते बच निकला।
रसूख से कराई थी बदल दी थी जाँच (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)

पुलिस का शिकंजा कसता देख अब्दुल मलिक ने सत्ता में ऊंची पहुंच के चलते मामले की जाँच पुलिस से सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करा दी थी। इससे पुलिस बैकफुट पर आ गई। सीबीसीआईडी जाँच के आदेश के बाद अब्दुल मलिक और अन्य नामजद आरोपित भी हल्द्वानी आ गए।
अरविंद मलिक बताते हैं उस वक्त नैनीताल के एसएसपी नासिर कमाल थे। घटना के कुछ दिनों बाद ही ईद थी। ईद पर नमाज के बाद ईदगाह में एसएसपी नासिर कमाल और अब्दुल मलिक का आमना सामना हो गया। नासिर कमाल को ये बहुत नागवार गुजरा और उन्होंने कार्रवाई करने की ठान ली।
एसएसपी नासिर कमाल ईदगाह से लौटते ही अब्दुल मलिक को गिरफ्तार करने की रणनीति में जुट गए। रुऊफ हत्याकांड सीबीआईडी के पास जाने से उसमें गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। तब दूसरा रास्ता अपनाया और एक पुराने मामले में उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट ले लिए गए। गिरफ्तारी की जिम्मेदारी बनभूलपुरा के चौकी प्रभारी योगेश दीक्षित को सौपी गई। अच्छी कदकाठी व व्यक्तित्व वाले योगेश दीक्षित ईमानदार और कर्मठ पुलिस अधिकारी थे।
फिल्मी अंदाज में पकड़ा था मलिक को (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)

ईद के अगले दिन शाम को बनभूलपुरा चौकी प्रभारी दीक्षित दलबल सहित अब्दुल मलिक के आजाद नगर स्थित घर पहुंच गए। सीबीसीआईडी जाँच के आदेश के बाद अब्दुल मलिक बेफिक्र था और लाइन नंबर आठ आजादनगर में अपने घर पर ही था। योगेश दीक्षित ने गिरफ्तारी वारंट दिखाया तो वह अवाक रह गया। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
इसके बाद योगेश दीक्षित अब्दुल मलिक को लेकर खुद ही जिप्सी से हल्द्वानी पुलिस कोतवाली की ओर बढ़े। तभी मलिक की गिरफ्तारी से गुस्साए लाइन नंबर आठ के ज्यादातर लोग सड़क पर आ गए। देखते ही देखते नारेबाजी, पत्थरबाजी होने लगी। सड़क पर ठेले, दुकानों की बेंच इत्यादि डाल पुलिस की जिप्सी के आगे अवरोध पैदा किया गया। लेकिन दीक्षित इन सबसे जूझते हुए मलिक को लेकर कोतवाली पहुंच गए। उनकी जिप्सी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई थी, उसमें पत्थर भर गए थे। घंटों बवाल तथा पत्थरबाजी-आगजनी हुई। तत्कालीन एसपी सिटी पुष्कर सैलाल सहित कई पुलिस कर्मी चोटिल हुए और कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे।
अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर के बरेली भेजा गया। आगे मुकदमा चलता रहा और बाद में मलिक न्यायालय से बरी हो गया। जिनकी हत्या हुई, उनके भाई आज सपा के नेता हैं। दोनों परिवार दुश्मन थे, लेकिन ताजा मामले में दोनों फिरके एक साथ हैं। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
गवर्नर के साथ पहुंचा था लखनऊ (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
अब्दुल मलिक की सत्ता में ऊपर तक पकड़ रही है। उसी दौरान हरियाणा के सूरज भान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बनाए गए थे। मलिक की पहुंच का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सूरजभान जब पहली बार उत्तर प्रदेश आए तो अब्दुल मलिक उनके साथ हवाई जहाज में लखनऊ पहुंचा था। अमौसी हवाई अड्डे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने नए राज्यपाल की अगवानी की थी। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ अब्दुल मलिक की तस्वीर उस वक्त अखबारों में प्रकाशित हुई थी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ हत्यारोपित की तस्वीर को लेकर शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया था। शासन ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए सीबीसीआईडी जाँच का आदेश निरस्त कर दिया था। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
जिसकी हत्या की, उसका परिवार भी आज अब्दुल मलिक के साथ (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
अरविंद मलिक ने बताया कि अब्दुल मलिक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी दोनों का ही करीबी है। खास बात यह है कि उसने समाजवादी पार्टी के जिस मुस्लिम नेता अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की ही हत्या करवाई थी, आज उसका परिवार भी इस घटना में अब्दुल मलिक के साथ नजर आया है। अब्दुल रऊफ सिद्दीकी के भाई जावेद सिद्दीकी को जेल भेजा जा चुका है। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
श्री मलिक ने यह भी बताया कि अब्दुल मलिक देवबंदी है, जबकि जिसकी उसने हत्या करवाई थी वो बरेलवी मुस्लिम था। “हल्द्वानी में 20% देवबंदी हैं, जबकि 80% बरेलवी। देवबंदी और बरेलवी मुस्लिमों की मस्जिदें भी अलग-अलग होती हैं, लेकिन इसके बावजूद आज हत्या की दुश्मनी भूल कर दोनों ने दंगे में दोनों साथ हैं। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
अरविन्द मलिक ने बताया कि अब्दुल मलिक फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ चुका है, जहाँ उसे सफलता नहीं मिली। फिर वो कूड़े का कारोबार करने लगा था। बताते हैं वह वर्तमान में रेलवे व सड़कों की ठेकेदारी भी करता था। (Similar Violence 26 years ago due to Abdul Malik)
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