हर्षोल्लास से मनाया गया क्रिसमस, कहा गया मौज-मस्ती नहीं प्रेम व शांति का संदेश देने का है यह पर्व
-सरोवरनगरी में इसाई समुदाय द्वारा हर्षोल्लास से मनाया गया क्रिसमस का पर्व, अन्य धर्मों के लोगों ने भी दी बधाइयां
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2018। क्रिसमस के अवसर पर सरोवरनगरी में मल्लीताल स्थित अमेरिकी मिशनरियों द्वारा निर्मित एशिया के सबसे पुराने ऐतिहासिक मैथोडिस्ट चर्च में पादरी फादर रेवरन आशुतोष दानी ने विशेष प्रार्थना कराई और प्रवचन दिए। उन्होंने दुनिया के आतंकवाद के खात्मे और प्रभु यीशू के संदेश के अनुरूप दुनिया में प्रेम व शांति का राज्य स्थापित होने के लिए दुवायंे मांगी। रुड़की से आये ग्लेडविन वैस्ली ने भी मसीह के जन्म से संबंधित कथा सुनाई। इस दौरान एक कटु सत्य को उजागर करते हुए कहा गया कि क्रिसमस मौज-मस्ती का नहीं वरन प्रेम व शांति का संदेश देने का पर्व है। इस दिन पूरी दुनिया में जहां शराब की बिक्री सर्वाधिक होती है, जबकि बाइबिल में शराब की ओर देखने भी नहीं की बात लिखी गयी है। वहीं माल रोड सहित कैथोलिक लेक होम चर्चं सहित अन्य चर्चों में भी विशेष प्रार्थना सभाएं हुईं तथा केक काटे गए।
इस दौरान कैथोलिक युवाओं की संस्था एमएफएफ के अनमोल पीटर, अविरल दास, अलीशा, सोनी अनीस आदि सदस्यों ने आया मसीह आया, आज है सूरज निकला जागो सोने वालो आज तुमको कोई जगाने आया है, एक रात अंधियारी देखो चमका सितारा, यह जिंदगी तेरी महिमा गाती रहे अब सदा आदि क्रिसमस गीत गाये। इससे पूर्व यहां बीती रात्रि साढ़े बजे से भी प्रार्थना सभा शुरू हो गई थी। ठीक रात्रि बजे प्रभु यीशू के जन्म के साथ घंटियों की मधुर ध्वनि के साथ एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया। यीशू के जन्म को नाटिका के माध्यम से भी दिखाया गया। इस दौरान यहां मुख्य रूप से नीलम दानी, जेओ पीटर, आरके लाल, ऐरिक मैसी, संध्या ग्रीनवर्ल्ड, जॉनी, बॉबी, सुशील, मुकेश दास, राजकुमारी दास आदि लोग प्रमुख रहे। उधर कैथोलिक चर्च में फादर रवि व सेंट फ्रांसिस होम चर्च में फादर जेरम ने भी इस मौके पर विशेष प्रार्थना सभा के अलावा दिन में विशेष भोज का आयोजन किया।
चित्र परिचयः 25एनटीएल-1ः नैनीताल। क्रिसमस के अवसर पर मैथोडिस्ट चर्च में क्रिसमस गीत गाते युवा।
शेरवानी हिल टॉप व मनु महारानी से निकले सेंटा, शहर भर में बांटे उपहार
नवीन समाचार, नैनीताल, 24 दिसंबर 2018। क्रिसमस से एक दिन पूर्व नगर के शेरवानी हिल टॉप होटल की ओर से पिछले वर्षों की तरह होटल से सुबह 11 बजे क्रिसमस परेड निकाली गयी। परेड होटल से मल्लीताल बाजार, माल रोड होते हुए पंत पार्क तक निकली। परेड में सेंटा क्लॉज बने बच्चे सिंह बच्चों को टॉफियां व उपहार देते हुए तथा होटल के महा प्रबंधक कमलेश सिंह, एमपीएस अधिकारी, दिनेश पालीवाल, विनोद पाठक, जीवन सिंह बिष्ट व प्रणव कुमार सहित समस्त होटल कर्मी नाचते-झूमते हुए चल रहे थे।
उधर मनु महारानी होटल की ओर से भी अपराह्न में क्रिसमस परेड निकाली गयी, जिसमें सेंटा क्लॉज छोलिया नर्तकों के साथ नाचता नजर आया। क्रिसमस परेड में होटल के महाप्रबंधक नरेश गुप्ता, अवतार सिंह, राहुल पांडे सहित अन्य लोग शामिल रहे। इधर होटल में करीब एक माह से तैयार किया जा रहा विशेष प्लम केक भी मेहमानों को परोसने के लिए तैयार हो गया है।
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सरोवरनगरी से बाहर के कम ही लोग जानते होंगे कि देश-प्रदेश के इस छोटे से पर्वतीय नगर में देश ही नहीं एशिया का पहला अमेरिकी मिशनरियों द्वारा निर्मित मैथोडिस्ट चर्च निर्मित हुआ, जो कि आज भी कमोबेश पहले से बेहतर स्थिति में मौजूद है। नगर के मल्लीताल माल रोड स्थित चर्च को यह गौरव हासिल है। देश पर राज करने की नीयत से आये ब्रिटिश हुक्मरानों से इतर यहां आये अमेरिकी मिशनरी रेवरन यानी पादरी डा. बिलियम बटलर ने इस चर्च की स्थापना की थी।
नैनीताल नगर के अन्य चर्च :
यह वह दौर था जब देश में पले स्वाधीनता संग्राम की क्रांति जन्म ले रही थी। मेरठ अमर सेनानी मंगल पांडे के नेतृत्व में इस क्रांति का अगुवा था, जबकि समूचे रुहेलखंड क्षेत्र में रुहेले सरदार अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हो रहे थे। बरेली में उन्होंने शिक्षा के उन्नयन के लिये पहुंचे रेवरन बटलर को भी अंग्रेज समझकर उनके परिवार पर जुल्म ढाने शुरू कर दिये, जिससे बचकर बटलर अपनी पत्नी क्लेमेंटीना बटलर के साथ नैनीताल आ गये, और यहां उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिये नगर के पहले स्कूल के रूप में हम्फ्री कालेज (वर्तमान सीआरएसटी स्कूल) की स्थापना की, और इसके परिसर में ही बच्चों एवं स्कूल कर्मियों के लिये प्रार्थनाघर के रूप में चर्च की स्थापना की। तब तक अमेरिकी मिशनरी एशिया में कहीं और इस तर चर्च की स्थापना नहीं कर पाऐ थे। बताते हैं कि तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नरी हेनरी रैमजे ने 20 अगस्त 1858 को चर्च के निर्माण हेेतु एक दर्जन अंग्रेज अधिकारियों के साथ बैठक की थी। चर्च हेतु रैमजे, बटलर व हैम्फ्री ने मिलकर 1650 डॉलर में 25 एकड़ जमीन खरीदी, तथा इस पर 25 दिसंबर 1858 को इस चर्च की नींव रखी गई। चर्च का निर्माण अक्टूबर 1860 में पूर्ण हुआ। इसके साथ ही नैनीताल उस दौर में देश में ईसाई मिशनरियों के शिक्षा के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र बन गया। अंग्रेजी लेखक जॉन एन शालिस्टर की 1956 में लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक ‘द सेंचुरी ऑफ मैथोडिस्ट चर्च इन सदर्न एशिया’ में भी नैनीताल की इस चर्च को एशिया का पहला चर्च कहा गया है। नॉर्थ इंडिया रीजनल कांफ्रेंस के जिला अधीक्षक रेवरन सुरेंद्र उत्तम प्रसाद बताते हैं कि रेवरन बटलर ने नैनीताल के बाद पहले यूपी के बदायूं तथा फिर बरेली में 1870 में चर्च की स्थापना की। उनका बरेली स्थित आवास बटलर हाउस वर्तमान में बटलर प्लाजा के रूप में बड़ी बाजार बन चुकी है, जबकि देरादून का क्लेमेंट टाउन क्षेत्र का नाम भी संभवतया उनकी पत्नी क्लेमेंटीना के नाम पर ही प़डा।