
नवीन समाचार, नैनीताल, 23 अगस्त 2023 (ISBT-Gaulapar)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित आईएसबीटी यानी इंटर स्टेट बस टर्मिनल यानी अंतरराज्यीय बस अड्डे को तीनपानी में स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की ओर से यह महत्वपूर्ण व नजीर बन सकने योग्य टिप्पणी की कि यह कैबिनेट का निर्णय है। सरकार की योजना के अनुसार इसे कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है। इस प्रकार उच्च न्यायालय से उत्तराखंड सरकार को इस मामले में बड़ी व दीर्घकालीन प्रभाव डालने वाली राहत मिली है।
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी के गौलापार निवासी रवि शकंर जोशी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आज कहा कि गौलापार में पूर्व में चिन्हित आईएसबीटी की जगह अब दूसरे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए जमीन रिजर्व की गई है, इसलिए इसे सरकार दूसरी जगह स्थानांतरित करना चाहती है।
जबकि इससे पहले जोशी ने उच्च न्यायालाय में दायर जनहित याचिका में कहा है कि सरकार आईएसबीटी के नाम पर राजनीति कर बार-बार आईएसबीटी की जगह बदल रही है। सरकार की ओर से 2008 में गौलापार में वन विभाग की आठ एकड़ भूमि पर आईएसबीटी बनाने के लिए संस्तुति दी गई थी और इस जगह आईएसबीटी बनाने को केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल चुकी थी। राज्य सरकार यहां 11 करोड़ रुपये भी खर्च कर चुकी थी और आईएसबीटी निर्माण के लिए यहां मौजूद 2,625 पेड़ भी काटे जा चुके हैं।
यह भी कहा कि गौलापार के अलावा आईएसबीटी बनाने के लिए हल्द्वानी में कहीं भी इससे अधिक जमीन नहीं है। इसके बाद भी सरकार इतने पेड़ काटे जाने व सरकारी धन का दुरुपयोग करने के बाद आईएसबीटी को हल्द्वानी के तीनपानी में बनाना चाहती है। जबकि गौलापार आईएसबीटी बनाने के लिए उपयुक्त जगह है। यहां पर इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी बन चुका है। ऐसे में शहर जाम मुक्त भी रहेगा, इसलिए आईएसबीटी को यहां से दूसरी जगह स्थानांतरित न किया जाए। लेकिन खंडपीठ रवि शंकर जोशी की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई और नीतिगत मामला बताते हुए यायिका को खारिज कर दिया।
पृष्ठभूमि (ISBT-Gaulapar):
उल्लेखनीय है कि ग्रेटर हल्द्वानी (गौलापार) में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 14 अक्तूबर 2016 आठ हेक्टेयर भूमि पर 76 करोड़ रुपए की लागत से आईएसबीटी के निर्माण का शिलान्यास किया था। मार्च 2017 तक सत्ता में रही कांग्रेस यहां हल्द्वानी विधायक व तत्कालीन काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर कुछ भी खास काम प्रारंभ नहीं करा पाई। जबकि भाजपा सरकार ने आने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इसके पीछे जाहिर तौर यहां निर्माण कार्य के दौरान खुदाई में कुछ कंकाल मिलने को कारण बताया गया, लेकिन पीछे से आ रही खबरों के अनुसार कांग्रेस सरकार के दौर में अपने लोगों को दिये ठेके व घूसखोरी के साथ हल्द्वानी शहर से आईएसबीटी के लिए ‘पहुंच मार्ग में दिक्कत’ बताई गयी है। इस तरह यह मामला राजनीति की भेंट चढ़ता भी नज़र आया है।
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यह भी पढ़ें (ISBT-Gaulapar) : रविवार को ढाई करोड़ के खर्च और 2625 हरे पेड़ों को काटे जाने का हिसाब मागेंगे गौलापार के 25 दिनों से ‘प्यासे’ ग्रामीण
नवीन समाचार, नैनीताल, 3 अक्टूबर 2020। उत्तराखंड की वाणिज्यिक राजधानी हल्द्वानी से सटा गौलापार क्षेत्र मौजूदा भाजपा सरकार के द्वारा सत्तारूढ़ दल का विधायक होने के बावजूद पूरी तरह से उपेक्षित रखा गया है। भाजपा सरकार ने आते ही यहां पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास 20 एकड़ भूमि में स्थापित होने वाले अंतर्राज्यीय बस अड्डे (ISBT-Gaulapar) की महत्वाकांक्षी योजना को अन्यत्र स्थानांतरित किया किंतु साढ़े तीन वर्ष का कार्यकाल बीत जाने के बावजूद कहीं और भी आईएसबीटी को स्थापित नहीं किया।
वहीं गौलापार क्षेत्र की उपेक्षा का हाल यह है कि यहां भाजपा सरकार के कार्यकाल में विकास की एर्क इंट भी नहीं लगी है। बल्कि इन दिनों तो यहां खेड़ा व नवाड़खेड़ा ग्राम सभा में पिछले 25 दिनों से नलों से पानी की एक बूंद भी नहीं टपकी है।
ऐसे में क्षेत्रीय प्यासे ग्रामीण रविवार को हल्द्वानी के बुधपार्क में प्रदर्शन करने जा रहे हैं, जिसमें वे सरकार से आईएसबीटी की भूमि पर ढाई करोड़ रुपए खर्च कर समतलीकरण व अन्य कार्य करने तथा शीशम, कन्जू, बेल व खैर आदि के 2625 हरे पेड़ों को काटे जाने के बावजूद आईएसबीटी का निर्माण न होने पर सरकार का जवाब तलब करेंगे। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन बिष्ट सहित अन्य ग्रामीण इस कार्यक्रम के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।
यह भी पढ़ें : गौलापार से आईएसबीटी (ISBT-Gaulapar) हटाने पर महापंचायत, विरोध की रणनीति तय
नवीन समाचार, नैनीताल, 24 सितंबर 2020। पिछली कांग्रेस सरकार के दौर में हल्द्वानी के निकट अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम के पास गौलापार क्षेत्र में अंतर्राज्यीय बस अड्डे-आईएसबीटी (ISBT-Gaulapar) का निर्माण प्रस्तावित किया गया था, जिसे मौजूदा सरकार ने निरस्त कर दिया। यहां तक कि इसकी जगह हल्द्वानी में अन्यत्र आईएसबीटी स्थापित करने की बात कही गई, किंतु सरकार को साढ़े तीन वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी आईएसबीटी कहीं भी धरातल पर नहीं है।
इस मुद्दे पर गौलापारवासियों एवं जनप्रतिनिधियों में अब भी कसक बाकी है। इस मुद्दे पर बृहस्पतिवार को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की श्रीराम मैरिज हॉल खेड़ा गौलापार में बैठक आयोजित हुई। बैठक में बस अड्डे को हटाने का विरोध करने के लिए चर्चा की गई और एक महापंचायत का आह्वान करते हुए इस मुद्दे पर आगे की रणनीति बनाई गई। तय हुआ कि पूरे गौलापर क्षेत्र की जनता को साथ लेकर इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बैठक में पूर्व में कांग्रेस से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख संध्या डालाकोटी, नीरज रैक्वाल, किरन डालाकोटी, ग्राम प्रधान हरीश बिष्ट, क्षेत्र पंचायत सदस्य देवला मल्ला मनोज रावत, भगवान संभल, तपिश बड़ौदा, भोपाल संभ व इंद्रपाल आदि जन प्रतिनिधि मौजूद रहे। संचालन पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य खेड़ा अर्जुन बिष्ट ने किया।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 10 जनवरी 2019। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने करीब 11 माह बाद एक बार फिर हल्द्वानी गौलापार से आईएसबीटी (ISBT-Gaulapar) को कहीं अन्य जगह बनाये जाने के सम्बन्ध में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में सुनवाई के दौरन यह तथ्य सामने आया कि निर्माणाधीन आईएसबीटी को सरकार कहीं अन्य जगह शिफ्ट कर रही है जबकि इस जगह पर 11 करोड़ रूपये खर्च व विभिन्न प्रजातियों के 2625 हरे पेड़ कट चुके हैं, और वन विभाग ने आठ हेक्टेयर भूमि आईएसबीटी बनाने के लिए दे चुकी है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए है कि आईएसबीटी के निर्माण के लिए अब बिना केंद्र सरकार व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के पेड़ न काटे जाएं।
पूर्व समाचार (ISBT-Gaulapar) : गौलापार से आईएसबीटी हटाने पर सरकार से हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब
- हाईकोर्ट ने सरकार से माँगा अब तक के खर्च का हिसाब व पूछा क्यों हटाया गौलापार से आईएसबीटी, तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा
नवीन समाचार, नैनीताल, 21 फरवरी 2018। हल्द्वानी के गौलापार में आईएसबीटी (ISBT-Gaulapar) के निर्माण में हाथ खींचना कांग्रेस के विरोध के बाद उच्च न्यायालय पहुंचकर सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गया लगता है। उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई कर सरकार से 3 हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। पूछा है कि आईएसबीटी पर अब तक कितना धन खर्च हुआ है, और क्यों बेवजह इसे यहां से हटाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मामले में गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने नैनीताल उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल दाखिल कर कहा है कि गौलापार में ही बस अड्डा बनाया जाना चाहिये, क्योंकि वर्ष 2008-09 में आईएसबीटी (ISBT-Gaulapar) बनाये जाने की अनुमति मिलने के बाद से 2015 में भूमि को वन विभाग ने परिवहन विभाग को हस्तांतरित हुई। 2015 के बाद बमुश्किल इस स्थान पर 27 सौ हरे पेड़ों का कटान हुआ, और 8 हैक्टेयर भूमि से अन्य पौधों को भी हटाकर निर्माण शुरु किया गया।
जमीन के प्रस्ताव पास होने के दौरान डीएम, डीएफओ व आरटीओ ने भी प्रमाणित रिपोर्ट दी कि हल्द्वानी में कहीं भी बस अड्डे (ISBT-Gaulapar) के लिये भूमि उपलब्ध नहीं है। इसीलिये इस भूमि को बस स्टेशन के लिये हस्तांतरित किया गया, और इस पर अब तक 3 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं। बावजूद अब कहा जा रहा है कि आईएसबीटी को यहां से शिफ्ट किया जायेगा, जिसका कोई आधार व कारण भी नहीं बताया गया है।
बुधवार को खण्डपीठ में हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार से पूरे मामले पर निर्देश मांगे है कियाचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने बताया कि न्यायालय ने सुनवाई के दौरान इसे जनहित से जुड़ा मुद्दा माना और कहा कि गौलापार में बस अड्डा बनने से सरकार का ही पैंसा बचेगा।