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November 21, 2024

1860 के अंग्रेजी कानून के साथ ‘तारीख पर तारीख’ के दिन गये, आज से लागू हो गये देश के अपने 3 नये कानून, जानें नये कानूनों की 20 बड़ी बातें..

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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 1 जुलाई 2024 (Know about 3new laws come into force from 1 July)। आज एक जुलाई से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गये हैं। यह कानून अंग्रेजी दौर के 1860 में बने कानूनों का स्थान लेंगे। इससे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव आएंगे और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा। नए कानूनों से आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें जीरो एफआईआर पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना और एसएमएस के जरिए घर बैठे प्राथमिकी दर्ज कराना और एसएमएस से ही समन भेजने जैसी सुविधाएं होंगी। साथ ही, सभी जघन्य अपराधों के घटना स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल किये गये हैं।

बदल गए न्याय संहिताओं के नाम (Know about 3new laws come into force from 1 July)

Know about 3new laws come into force from 1 Julyआईपीसी यानी इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता-2023 या बीएनएस कही जायेगी।
सीआरपीसी यानी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर भारतीय भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता-1973 अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 या बीएनएसएस कही जाएगी।
इंडियन एविडेंस एक्ट-1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 या बीएसए कहा जाएगा। इस तरह नए कानून में ‘दंड’ की जगह ‘न्याय’ को प्राथमिकता दी गई है। 

नये कानूनों की 20 बड़ी बातें (Know about 3new laws come into force from 1 July):

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों में कुछ वर्तमान सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया है। संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का तंत्र उपलब्ध कराया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री के अनुसार इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है। आइये जानते हैं इन तीन नए आपराधिक कानूनों की 20 बड़ी बातें:

1. नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे और 45 दिन के भीतर फैसला आ जाएगा।
2. दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के भीतर देनी होगी।

3. नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी व जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
4. महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान जोड़ा गया है।

5. नये कानूनों में एक-दूसरे को ‘ओवरलैप’ करने वाली धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया और उन्हें सरलीकृत किया गया है। भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले नये कानून में केवल 358 धाराएं हैं।

6. शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामलों के लिये वर्तमान भारतीय दंड संहिता में कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
7. नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा। पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।

8. ‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।

9. नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की स्थिति में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।
10. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। इससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे।

11. नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। इससे मामले दर्ज किए जाने के 2 महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।

12. नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी चिकित्सालयों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले।
13. आरोपित और पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोप पत्र, बयान, स्वीकारोक्ति व अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा।
14. अदालतें समय रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के लिये अधिकतम 2 बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं।

15. नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए।
16. अब ‘लैंगिकता’ की परिभाषा में ट्रांसजेंडर भी शामिल किये गये हैं, जिससे समावेशिता और समानता को बढ़ावा मिलता है।
17. पीड़ित को अधिक सुरक्षा देने तथा दुष्कर्म के किसी अपराध के संबंध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा।

18. न्याय त्वरित गति से मिले, इसके लिये कानूनी प्रक्रिया को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह समय सीमा जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है। इससे नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे।

19. नये कानून में तय समय सीमा में प्राथमिकी यानी एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में व्यवस्था है कि सामान्य मामलों में शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर प्राथमिकी दर्ज करनी होगी। जबकि तीन से सात साल की सजा के मामले में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

20. नये कानून में आधुनिक तकनीकों का अधिकाधिक इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटाने का रास्ता भी बनाया गया है। शिकायत, सम्मन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की गति तेज होगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे। (Know about 3new laws come into force from 1 July)

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