पाषाण युग से यायावरी का केंद्र रहा है कुमाऊं
-पाषाणयुगीन हस्तकला को संजोए लखु उडियार से लेकर रामायण व महाभारत काल में हनुमान व पांडवों से लेकर प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग, आदि गुरु शंकराचार्य, राजर्षि विवेकानंद, महात्मा गांधी व रवींद्रनाथ टैगोर सहित अनेकानेक ख्याति प्राप्त जनों के कदम पड़े
-इनके पथों को भी विकसित किया जाए तो लग सकते हैं कुमाऊं के पर्यटन को पंख
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, उत्तराखंड का प्राकृतिक व सांस्कृतिक तौर पर समृद्ध कुमाऊं अंचल युग-युगों से प्रकृति की गोद में ज्ञान और शांति की तलाश में आने वाले लोगों की सैरगाह और पर्यटन के लिए पहली पसंद रहा है। पाषाण युग की हस्तकला आज भी यहां अल्मोडा के पास लखु उडियार नाम के स्थान पर सुरक्षित है जो उस दौर में भी यहां मानव कदमों के पड़ने और उनकी कला प्रियता के साक्षी हैं। त्रेता युग में रामायण के कई चरित्र व महाभारत काल में कौरव-पांडवों से लेकर आगे प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग, आदि गुरु शंकराचार्य, राजर्षि स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, घुमक्कड़ी साहित्य लेखक राहुल सांस्कृत्यायन, सुप्रसिद्ध छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा सहित अनेकानेक ख्याति प्राप्त जनों के कदम यहां पड़े। वहीं स्कंद पुराण के मानसखंड में देवभूमि के रूप में वर्णित अनेकों धार्मिक महत्व के स्थलों से लेकर दुनिया के सबसे ऊंचे श्वेत-धवल नगाधिराज हिमालय पर्वत के अलग-अलग कोणों से सुंदरता के साथ दर्शन कराने वाले और अपनी आबोहवा से बीमार मानवों को प्राकृतिक उपचार से नवयौवन प्रदान करने तथा समृद्ध जैव विविधता और वन्य जीवों से परिपूर्ण जिम कार्बेट पार्क व अस्कोट मृग विहार जैसी अनेकों खूबियों वाले यहां के सुंदर पर्यटन स्थल मानव ही नहीं, पक्षियों को भी आकर्षित करते हैं, और इस कारण पक्षियों के भी पसंदीदा प्रवास स्थल हैं। कुमाऊं में इनके अलावा भी अपनी अलग वास्तुकला, सदाबहार फल-फूल, समृद्ध जैव विविधता के साथ ईको-टूरिज्म तथा ऐसी अनेकों विशिष्टताएं (आधुनिक पर्यटन के लिहाज से यूएसपी) हैं कि इनका जरा भी प्रयोग किया जाए तो कुमाऊं में वर्ष भर कल्पना से भी अधिक संख्या में पर्यटक आ सकते हैं।
पाषाण युग से बात शुरू करें तो अल्मोड़ा से आगे पेटशाल के पास सुयाल नदी के तट पर एक लाख गुफाओं (उडियारों) का समग्र बताए जाने वाले स्थान उस दौर के आदि मानवों द्वारा विशाल चट्टान पर निर्मित भित्ति चित्रों से आकर्षित और आश्चर्यचकित करता है। वहीं त्रेता युग में यहीं दूनागिरि के पास महाबली हनुमान को श्रीराम के अनुज लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी बूटी मिली थी। यहीं सीताबनी-रामनगर में सीता को बनवास के दौरान महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में आश्रय मिला था। यहीं द्वापर युग में पांडवों के कुमाऊं आगमन की पुष्टि भीमताल, पांडुखोला, पनुवानौला, पांडुथल व कैरूथल जैसे अनेक स्थानों के नामों से होती है। वहीं कुमाऊं का काशीपुर क्षेत्र न केवल चीनी चात्री ह्वेनसांग और फाहियान के पथ का पाथेय रहा वरन यहां मौजूद प्राचीन गोविषाण किला व पंचायतन मंदिर क्षेत्र पूरी बौद्ध कालीन पुरातात्विक विरासत का गवाह रहा है।
इधर हल्द्वानी के पास गहन नीरव वन में स्थित कालीचौड़ मंदिर आदि गुरु शंकराचार्य का उत्तराखंड में प्रथम पड़ाव रहा है, और यहीं पास ही भुजियाघाट से अंदर जंगल में महर्षि मार्कंडेय के आश्रम के अवेशेष आज भी मौजूद हैं। एक साधारण से भिक्षुक नरेंद्र को एक अणु में ब्रह्मांड का दर्शन कराकर राजर्षि विवेकानंद बनाने वाला पीपल का ‘बोधिवृक्ष” आज भी यहां हल्द्वानी-अल्मोड़ा रोड पर काकड़ीघाट में मौजूद है। यहां नैनीताल आकर देश को लूटने व राज करने वाले अंग्रेजों को भी अपना घर ‘छोटी बिलायत” नजर आया, तो यहीं के ‘मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं” की वजह से एक शिकारी से अंतराष्ट्रीय पर्यावरणविद् व लेखक बने जिम कार्बेट के नाम पर रामनगर में स्थापित एशिया का पहला जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान और ब्याघ्र अभयारण्य है। यहीं कौसानी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ‘भारत के स्विटजरलेंड’ के दर्शन हुए और साहित्यकार डा. धर्मवीर भारती को भी यहीं ‘ठेले पर हिमालय” दिखा, तो गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को यहां रामगढ़ के टैगोर टॉप में और सुप्रसिद्ध छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा को पास ही उमागढ़ में साहित्य साधना के लिए उपयुक्त ठौर मिला। यहीं राजुला-मालूशाही और उत्तराखंड की रक्तहीन क्रांति की धरती, कुमाऊं की काशी–बागेश्वर, देश का सबसे बड़ा मंदिर समूह-जागेश्वर, नैना देवी व पूर्णागिरि शक्तिपीठ, सारे संसार से इतर पंचाचूली की गोद में ‘सात संसार-एक मुनस्यार’ कहा जाने वाला मुन्स्यारी,
प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही चाय के बागानों के लिए मशहूर चौकोड़ी-बेरीनाग, उत्तराखंड का कश्मीर-पिथौरागढ़, संस्कृति के साथ ही चंद व कत्यूरी शासकों की राजधानी व स्थापत्य कला के केद्र-चंपावत, अल्मोड़ा, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत सहेजे और स्याल्दे बिखौती मेले के लिए प्रसिद्ध-द्वाराहाट, कोणार्क से भी पुराना बताया जाने वाला अथवा समकालीन कटारमल सूर्य मंदिर, अपनी खूबसूरत लोकेशन के लिए 60 के दशक में फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद रहा रानीखेत, जैव विविधता के साथ ही हिमालय और सूर्यास्त के दृश्यों के लिए विख्यात मुक्तेश्वर और बिन्सर, सातताल, नल दमयंती ताल, नौकुचियाताल, खुर्पापाल, सरियाताल, हरीशताल व लोहाखामताल आदि झीलों का समग्र-नैनीताल, पक्षी प्रेमियों के लिए ‘इंटरनेशनल बर्ड डेस्टीनेशन’ के रूप में विकसित होने जा रहा किलवरी-पंगोट-विनायक क्षेत्र, आज भी अनूठे पत्थर युद्ध-बग्वाल से पाषाणयुग की याद दिलाने वाला देवीधूरा, नागों की भूमि-बेरीनाग, न्याय के देवी-देवताओं के स्थान घोड़ाखाल, चितई और कोटगाड़ी, प्रसिद्ध वैष्णो देवी शक्तिपीठ सदृश रामायण-महाभारतकालीन द्रोणगिरि वैष्णवी शक्तिपीठ-दूनागिरि, बाबा नींब करौरी का कैंची धाम, हैड़ाखान बाबा के हैड़ाखान व चिलियानौला, सोमवारी बाबा के धारी आश्रम तथा मायावती अद्वैत व नारायण आश्रम, सिख धर्म के प्रसिद्ध स्थल नानकमत्ता और रीठा साहिब के साथ ही हर स्थल अपनी एक अलग विशेषता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा भी साहसिक पर्यटन के शौकीनों के लिए यहां पिंडारी, सुंदरढूंगा, काफनी व मिलम ग्लेशियरों के साथ ही आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर के ट्रेक, सरयू व कोसी नदियों पर बागेश्वर व पंचेश्वर में रीवर राफ्टिंग, नौकुचियाताल में पैराग्लाइडिंग तथा मुन्स्यारी में स्नो स्कीइंग की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। कुमाऊं हवाई यातायात से पंतनगर तथा रेलवे से रामनगर, काठगोदाम व टनकपुर तक जबकि सड़क यातायात से सभी प्रमुख स्थानों तक जुड़ा हुआ है।
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- कुमाऊं से संबंधित आलेख
- कुमाऊं का प्राकृतिक सौंदर्य
- महानतम हिमालय
- कुमाऊं-उत्तराखंड का सांस्कृतिक सौंदर्य
- फल-फूल
- कुमाऊं की वास्तुकला
- कुमाउनी समग्र
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लखु उडियार शैलाश्रय :
- Lakhu Udiyar, A Stone Age Shelter Near Petshal (Almora)
जागेश्वर एवम आसपास :
- Naini-Jageshwar
- Naini-Jageshwar
- Jageshwar Temple
- Jageshwar Temple
- Jageshwar Temple
- Jageshwar Temple
- Jageshwar Temple
- Naini-Jageshwar
- Sam Mandir Naini, near Jageshwar
- A Hilly Villege Near Panuanaula-Briddh Jageshwar Road (Almora)
- Shita Ram Baba Mandir, Shaukiyathal (Jageshwar)
- Jageshwar Temple
- Naini-Jageshwar
- Jageshwar Temple Campus (Almora)
- Dandeshwar, Jageshwar
- Devdar Trees on the way to Jageshwar
कुमाऊँ के अन्य खूबसूरत नज़ारे :
- पिंडारी ग्लेशियर
- चम्पावत
- भवाली
- नीले-नीले अम्बर पर चाँद जब आये….
- Bakhali- A long range of Hilly Houses
- Yacht in Nainital (night)
- Nainital viewing itself in Mirror Like Naini Lake
- Natural Beauty in Nainital During Rains
- Jadoo ! Koi Mil Gaya..!!!
- पयां (पद्म)
- A Clear Day in Nainital
- गुलाब
- Nature @ Sattal (Nainital)
- Boating in Naini tal
- Jama Masjid, Nainial
- Boating with Nature
- Nainital in Springs
- बुरांश
- Naini tal in Springs
- Nainital in Diwali
- Nayna Devi Temple, Nainital
- अल्मोड़ा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाटक
- Nainital with Himalaya
- गुलाब
- Naini Lake like Mirror
- Goljyu Temple Ghorakhal (Nainital)
- घिंघारू
- London Fog in Nainital
- Nainital Panorama
- Nanda Devi Peaks on Himalayas
- Nanda-Sunanda 2010
- Pangot Fall
- Pashan Devi Temple in Night
- पुरानी पाल नौकाएं
- Ramganga River @ Thal on Munsyari Rout
- St. Nicholas Church
- रंग-बिरंगी सोमेश्वर घाटी
- मनमोहक गगास घाटी
- Shivalay Near Manaan (Someshwar)
- Kosi River, on the way to Someshwar from Almora
- Greanery, on the way to Someshwar from Almora
- Tea Factory Kausani
- Green Paddy Fields on the way to Garur from Kausani
- Mahatma Gandhi’s Anasakti Ashram, Kausani (Bageshwar)
- Mahatma Gandhi’s Anasakti Ashram, Kausani (Bageshwar)
- Greanery on Almora-Kausani Road
- Green Paddy Fields on the way to Garur from Kausani
- A Hilly Jhula Bridge on the Way Almora-Kausani
- Tea Garden, Kausani
- Greanery on Almora-Kausani Road
- Greanery on Almora-Kausani Road
- Mahatma Gandhi’s Anasakti Ashram, Kausani (Bageshwar)
- Ramganga River @ Thal on Munsyari Rout
- Ramganga River, Thal, On the way to Munsyari
- Birthi Fall, on the way to Munsyari
- Birthi Fall on the Way to Munsyari
- Birthi Fall on the Way to Munsyari
- Baijnath-Garur (Bageshwar)
- Garur (Bageshwar)
- Kali Mandir, Kanda Parao (Bageshwar)
- Bagnath Mandir (Bageshwar)
- (Bageshwar)
- Buildings on the Rock, Near Bageshwar
- Loote (Grass Holding) near Bageshwar-Kapkote Road
- Jhula Pul on the Way to Kapkote (Pindari Glacier) from Bageshwar
- Bhagwate Mata Mandir, Pothing, Kapkote (Bageshwar)
- Bhagwate Mata Mandir, Pothing, Kapkote (Bageshwar)
- Bhimeshwar Temple, Kashipur
- Balsundari Mandir kashipur