ब्रेकिंग: इतिहास में पहली बार जुलाई माह में 10.9 फिट स्तर होने के बाद आज नैनी झील से छोड़ दिया गया पानी
-इससे पहले 29 जुलाई 2011 को झील का जल स्तर 8.7 फीट पहुंचने पर गेट खोले गए थे
-2018 के बाद से नहीं खोले गए हैं नैनी झील के गेट
नवीन समाचार, नैनीताल, 28 जुलाई 2020। जी हां, इतिहास में पहली बार जुलाई माह में 10.9 फिट स्तर होने के बाद आज ठीक सुबह साढ़े नौ बजे नैनी झील से पानी छोड़ दिया गया है। अलबत्ता, ऐहतियात के तौर पर केवल एक इंच ही झील के गेट खोले गए हैं। बताया गया है कि झील का जल स्तर 10 फिट के स्तर तक आने तक गेट खोले जाएंगे।
गौरतलब है कि किसी भी जल राशि के लिए ‘पानी बदल’ कर ‘रिफ्रेश’ यानी तरोताजा होना जरूरी होता है। खासकर नैनी झील सरीखी रुके हुए पानी की जल राशि के लिए ‘रिफ्रेश’ यानी ‘पानी बदल’ होना पारिस्थितिकी के लिए भी जरूरी माना जाता है। मूलतः पूरी तरह बारिश पर निर्भर नैनी झील को तरोताजा होने का ऐसा मौका वर्ष में केवल वर्षा काल में मिलता है। नैनी झील को ऐसा मौका इस वर्ष दो वर्ष बाद आज मिल रहा है, जबकि नैनी झील का जल स्तर आज ऐतिहासिक तौर पर, 1977 से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जुलाई माह का सर्वाधिक 10.9 फिट पहुंच गया है। अलबत्ता, ऐसा इसलिए है कि इस वर्ष निर्धारित पैमाने के अनुसार पहले झील के गेट नहीं खोले गए, जबकि गेटों को नियम के अनुसार 8.5 फिट का जल स्तर होने पर ही खोला जाना चाहिए था।
गौरतलब है कि इससे पूर्व नैनी झील का जल स्तर जुलाई माह में 1981 में 9.5 फिट, 1982 में 10 फिट, 1986 मं 9.9 फिट, 1989 में 10 फिट, 1990 में 9.58 फिट, 1992 में 9.87 फिट, एवं 1993 में 9.72 फिट तक रहा और झील का जुलाई माह में लबालब भरे रहना आम बात थी, लेकिन खासकर वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पेयजल के बढ़ते उपयोग के कारण झील का घटता जल स्तर चिंता का विषय बनने लगा, और हालिया वर्षों में जून माह में झील के चारों ओर घूमने के लिए स्थान बन जाने जैसी स्थिति में तीन जून 2017 को लोगों को ‘नंगे पैर चलकर’ झील के प्रति लोगांे का ध्यान आकृष्ट करने का उपक्रम भी करना पड़ा था। इसके बाद झील से पेयजल के लिए पानी लिये जाने में 50 फीसद से अधिक की कटौती की गई, जिसके सुखद परिणामस्वरूप हालिया वर्षों में झील अब बरसातों में लबालब भरने लगी है। फलस्वरूप 2018 में भी झील के गेट खोले गए थे और अब आज 28 जुलाई 2020 को भी खोले जा रहे हैं। वहीं जुलाई माह में गेट खोलने की बात करें इससे पहले 2011 में 29 जुलाई को झील के गेट खोले गए थे। 2011 में नगर में सर्वाधिक रिकार्ड 4,183 मिमी बारिश हुई थी। फिर भी झील का जल स्तर तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था, और 29 जुलाई को ही 8.7 फीट पहुंच गया था, जिस कारण गेट खोलने पड़े थे। इसके बाद 16 सितंबर तक गेट लगातार व अधिकतम 15 इंच तक भी (15 अगस्त को) खोले गये। इससे पहले 15 अगस्त 2012 को नैनीझील का पानी मॉल रोड के स्तर पर आ गया था। तब नावों से सैलानी सीधे मॉल रोड पर उतरते कैमरे में कैद हुए थे। वहीं 5 सितंबर 2018 को भी नैनी झील का स्तर यहां लगाए गए 12 फिट के पैमाने से भी करीब 2 इंच चढ़कर तल्लीताल में मॉल रोड के स्तर पर आ गया था।
भू वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के अनुसार नैनी झील का निर्माण करीब 40 हजार वर्ष पूर्व तब की एक नदी के बीचों-बीच फाल्ट उभरने के कारण वर्तमान शेर का डांडा पहाड़ी के अयारपाटा की ओर की पहाड़ी के सापेक्ष ऊपर उठ जाने से तल्लीताल डांठ की जगह पर नदी का प्रवाह रुक जाने से हुआ था। इस प्रकार नैनी झील हमेशा से बारिश के दौरान भरती और इसी दौरान एक निर्धारित से अधिक जल स्तर होने पर अतिरिक्त पानी के बाहर बलियानाला में निकलने से साफ व तरोताजा होती है। अंग्रेजी दौर में तल्लीताल में झील के शिरे पर गेट लगाकर झील के पानी को नियंत्रित करने का प्रबंध हुआ, जिसे स्थानीय तौर पर डांठ कहा जाता है। गेट कब खोले जाऐंगे, इसका बकायदा कलेंडर बना, जिसका आज भी पालन किया जाता है। इसके अनुसार जून में 7.5, जुलाई में 8.5, सितंबर में 11 तथा 15 अक्टूबर तक 12 फीट जल स्तर होने पर ही गेट खोले जाते हैं। नैनी झील पर शोधरत कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो.पीके गुप्ता भी झील से पानी निकाले जाने को महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार झील के गेट खुलते हैं तो इससे झील की एक तरह से ‘फ्लशिंग’ हो जाती है। झील से काफी मात्रा में प्रदूषण के कारक ‘न्यूट्रिएंट्स’ निकल जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि नैनी झील से पूर्व में 17.5 एमएलडी तक और वर्तमान 8 एमएलडी तक पानी नगर की पेयजल आवश्यकताओं के लिए और करीब 7.5 एमएलडी पानी निकटवर्ती बल्दियाखान, बेलुवाखान, एरीज, मनोरा आदि गांवों से लेकर एयरफोर्स भवाली व लड़ियाकांठा तक को पेयजल के लिये तथा शेष ग्रांड होटल सहित अन्य स्थानों से रिसकर झील से बाहर निकल जाता है। इसलिये झील बरसात में लबालब भरने के बावजूद जल्द ही खाली हो जाती है।
नैनी झील के जलस्तर से सम्बंधित कुछ आंकड़े :
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31 मई 2016 को सर्वाधिक रिकॉर्ड न्यूनतम -7.1 फीट के स्तर तक नैनी झील का जल स्तर गिरा।
- जून 2018 व मई 2012 में न्यूनतम -2.5 फीट तक जल स्तर गिरा था।
- 2018 में 24 जुलाई तक झील का जल स्तर शून्य पर बना रहा, इससे पूर्व 2017 में 13 जुलाई को व 2016 में 18 जुलाई को शून्य से ऊपर आया था झील का जल स्तर।
- फरवरी माह के पहले सप्ताह में नैनी झील का जलस्तर 1985 में 5.3 फीट एवं 1989 में 10.7 फीट रहा।
- 2017 में इतिहास में पहली बार 25 जनवरी को शून्य के स्तर पर आ गयी थी नैनी झील
- 2011 में दो मई को, 2012 में 30 अप्रैल को, 2013 में 26 मई को, 2014 में 17 मई को झील का जलस्तर शून्य पर पहुंचा था, जबकि 2015 में हुई थी रिकार्ड 4684.83 मिमी बारिश, इसलिए वर्षभर ऐसी स्थिति नहीं आयी।
- इससे पूर्व 2010 में नगर की सामान्य 248 सेमी से करीब दोगुनी 413 सेमी, 2011 में 4,183 मिमी व 2015 में हुई थी रिकार्ड 4684.83 मिमी बारिश हुई।
- नैनीताल नगर की औसत वर्षा 2480 मिमी और नैनीताल जनपद की औसत वार्षिक वर्षा 1,152 मिमी है।
- 1990 में जनवरी माह में बारिश नहीं हुई थी, बावजूद झील का जलस्तर 9.4 फीट था। ऐसी ही स्थितियों में 1997 में जलस्तर 8.3 फीट था।
- झील के गेट जून में 7.5, जुलाई में 8.5, सितंबर में 11 तथा 15 अक्टूबर तक 12 फीट जल स्तर होने पर ही गेट खोले जाते हैं।
- ईईआरसी यानी इंदिरा गांधी इंस्टिटय़ूट फार डेवलपमेंटल रिसर्च मुंबई की 2002 की रिपोर्ट के अनुसार नगर की सूखाताल झील नैनी झील को प्रति वर्ष 19.86 लाख यानी करीब 42.8 फीसद पानी उपलब्ध कराती है।
यह भी पढ़ें : नैनीताल में भारी बारिश से मॉल रोड तक चढ़ आया नैनी झील का जल स्तर, एहतियातन खोले गए झील के गेट
नवीन समाचार, नैनीताल, 25 सितंबर 2018। सोमवार रात्रि हुई भारी वर्षा के बाद नैनी झील का स्तर मंगलवार सुबह तल्लीताल में मॉल रोड के स्तर पर आ गया। इसे एवं आगे और बारिश की संभावनाओं को देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीश चंद्र सिंह ने झील नियंत्रण कक्ष कर्मी रमेश सिंह गैड़ा के साथ मौका-मुआयना एवं उच्चाधिकारियों से बात कर झील के गेट खुलवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि झील का जल स्तर यहां लगाए गए 12 फिट के पैमाने से भी करीब 2 इंच चढ़ गया है। गेट खोलकर झील के जल स्तर को 12 फिट के स्तर पर रखा जाएगा। इधर झील नियंत्रण कक्ष कर्मी रमेश सिंह गैड़ा ने बताया कि फिलहाल बारिश रुकने के बाद केवल गेट के ऊपर लगे तख्ते हटाये गए हैं, ताकि नालों से आ रहा पानी निकलता रहे, और जलस्तर 12 फिट बना रहे।
उल्लेखनीय है कि नगर में रात्रि में करीब 44 मिमी बारिश दर्ज की गई है। वहीं इस वर्ष 1 जनवरी से अब तक 2010 मिमी बारिश हुई है। यह बारिश नगर की औसत वर्षा करीब 2480 मिमी से ही करीब 470 मिमी कम है। जबकि नगर में 2010 में नगर की सामान्य 248 सेमी से करीब दोगुनी 413 सेमी, 2011 में 4,183 मिमी व 2015 में सर्वाधिक रिकार्ड 4684.83 मिमी बारिश होने के रिकॉर्ड हैं। इस लिहाज से इस वर्ष की वर्षा आधी से भी कम है। बावजूद इसके माल रोड के स्तर तक भरने में इस वर्ष पेयजल की 2 तिहाई स्तर तक की गई रोस्टिंग की बड़ी भूमिका है। साथ ही यह भी उम्मीद की जा रही है कि रोस्टिंग के आगे भी जारी रहने पर अगले वर्ष 2019 में झील का जल स्तर शून्य पर नहीं पहुंचेगा।
इससे पूर्व हालिया वर्षों में 15 अगस्त 2012 को भी नैनीझील का पानी मॉल रोड के स्तर पर आ गया था। तब नावों से सैलानी सीधे मॉल रोड पर उतरते कैमरे में कैद हुए थे।
यह भी पढ़ें : भारी बारिश से एक घंटे में करीब ढाई इंच बढ़ा नैनी झील का जल स्तर
नैनीताल, 25 अगस्त 2018। मौसम विभाग की भारी बारिश के चेतावनी और इसके बावजूद जिले के स्कूलों में अवकाश न होने के बीच जिला व मंडल मुख्यालय सहित जिले के समस्त पर्वतीय क्षेत्रों में रात्रि से ही मूसलाधार बारिश हो रही है। सुबह नौ बजे तक मुख्यालय में 50.2, हल्द्वानी में 108, कालाढुंगी में 47, मुक्तेश्वर में 41.2, रामनगर में 25 व कोश्या-कुटौली क्षेत्र में 10 तथा जिले में औसतन 35.39 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड हुई है, जबकि इसके बाद भी बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसी बारिश में मुख्यालय स्थित नैनी झील का जल स्तर एक घंटे में ढाई इंच बढ़ गया है। झील नियंत्रण कक्ष के रमेश सिंह गैड़ा ने बताया कि बीती रात्रि बारिश शुरू होने से पूर्व झील का जल स्तर 7.6 फिट था जो आज सुबह 9 बजे 8 फिट और 10 बजे 8 फिट ढाई इंच, 11 बजे 8 फिट 3.5 इंच और 2 बजे 8 फिट 5 इंच हो गया।
यह दर कितनी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भरपूर गर्मियों में जब नगर में हर रोज सैलानियों की संख्या एक लाख तक भी होती है, और वाष्पीकरण भी चरम पर होता है, तब करीब 4 वर्ग किमी क्षेत्रफल की नैनी झील का जल स्तर 24 घंटों में करीब आधे इंच की दर से घटता है। झील के जल स्तर का तेजी से बढ़ना फिलहाल सुखद भी है।
उल्लेखनीय है कि नैनी झील का जल स्तर 15 अगस्त तक 9.5 फिट एवं माह के अंत तक 10 फिट में झील के गेट खोले जाने का प्राविधान है। बरसात बंद हो जाने की स्थिति में जल स्तर 11 फिट भी रखा जा सकता है। झील का जल स्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में झील के गेट खोले जाने की स्थितियां बनती नजर आ रही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से झील का जल स्तर अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुंच पाने के कारण इसके गेट नहीं खोले जा सके हैं। किसी भी नैनी झील सरीखी रुके हुए पानी की जल राशि के लिए इस तरह गेट खोले जाने से ‘रिफ्रेश’ यानी ‘पानी बदल’ होना पारिस्थितिकी के लिए जरूरी माना जाता है।
पूर्व समाचार: सरोवरनगरी में भारी बारिश, 1 घंटे में डेढ़ इंच और दिन भर में 4.5 इंच बढ़ा जल स्तर
नैनीताल, 23 अगस्त 2018। सरोवरनगरी में मौसम विभाग की चेतावनी के अनुरूप बृहस्पतिवार को दूसरे दिन भी भारी बारिश हुई। सुबह 8 बजे के करीब नगर में तेज बारिश का पहला दौर शुरू हुआ। बाद में दिन में कुछ देर धूप के भी दर्शन हुए। किंतु अपराह्न तीन बजे के बाद फिर से मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। वहीं सुबह 9 बजे तक नगर में 27.2 मिमी बारिश तथा अब तक इस वर्ष में कुल 1372 मिमी बारिश दर्ज की गयी। जबकि पिछले वर्ष अब तक 2795.78 मिमी बारिश हो चुकी थी। बृहस्पतिवार को सुबह 9 बजे झील का जल स्तर 7 फिट 2 इंच था, जो कि शाम तक करीब दो इंच बढ़कर 7.5 इंच हो गया है। शाम को बारिश इतनी तेज थी कि 5 बजे 3.5 इंच तथा अगले एक घंटे में डेढ़ इंच बढ़कर 7 फिट 5 इंच, साढ़े 6 बजे तक 7 फिट 6 इंच और साढ़े सात बजे तक 7 फिट 6 इंच हो गया। इसके बाद बारिश भी कुछ धीमी पढ़ गयी।
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- 25 जुलाई की सुबह साढ़े आठ बजे तक 1 और अपराह्न तक 5 इंच बढ़कर आधे फिट हो गया है नैनी झील का स्तर, लेकिन अब भी सामान्य से 8 फिट नीचे है नैनी झील का जल स्तर
- पिछले वर्षों में सर्वाधिक देरी से जुलाई आखिर तक शून्य पर रहा झील का जल स्तर
नवीन जोशी, नैनीताल, 25 जुलाई 2018। आखिर बुधवार 25 जुलाई को बीते 3 दिनों से हो रही बारिश के कारण नैनी झील का जल स्तर सामान्य यानी शून्य के स्तर से ऊपर आ गया। लेकिन इसके साथ ही यह दुःखद रिकार्ड भी बन गया कि इतिहास में पहली बार 24 जुलाई तक नैनी झील का जल स्तर बरसात के मौसम में भी शून्य से नीचे रहा, और 25 जुलाई को इससे ऊपर आया।
25 जुलाई की सुबह नैनी झील का जल स्तर इस वर्ष अधिकतम माइनस 2.5 फिट तक गिरने के बाद इस मौसम में पहली बार शून्य से ऊपर 1 इंच के स्तर पर पहुंचा, और दिन में हुई अच्छी बारिश के बाद यह अपराह्न तीन बजे तक 5 इंच और बढ़कर आधे फिट के स्तर पर आ गया। 24 जुलाई तक झील का जल स्तर शून्य पर बने रहने की स्थिति अपने आप में एक रिकार्ड की तरह है। इससे पूर्व 2017 में 13 जुलाई को झील का जल स्तर वापस शून्य से ऊपर आ गया था। जबकि 2016 में झील का जल स्तर रिकार्ड माइनस 7.1 फिट तक गिरने के बावजूद 18 जुलाई को शून्य से ऊपर आ गया था, जबकि 2015 में माइनस में गया ही नहीं था।
ऐसी स्थितियों का कारण इस वर्ष अच्छी बारिश का न होना माना जा रहा है। इस वर्ष 1 जनवरी से 25 जुलाई तक मात्र 801 मिमी बारिश हुई है, जबकि 2017 में 25 जुलाई तक 2462.80 मिमी बारिश हुई थी। उल्लेखनीय है कि अंग्रेजी दौर से तय मानकों के अनुसार जुलाई माह के अंत तक नैनी झील का जल स्तर 8.5 फिट होना चाहिए। इस प्रकार अभी भी झील का जल स्तर सामान्य से 8 फिट नीचे है।
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-सितम्बर के बाद से चार महीने रहे हैं पूरी तरह वर्षाविहीन, पिछले तीन महीनों में हुई है केवल 17 मिमी की बेहद मामूली बारिश, इससे पूर्व बीते वर्ष 2015 में हुई थी रिकार्ड 4684.83 मिमी बारिश
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनी झील के जलस्तर के बारे में वर्ष 1977 से यानी पिछले 40 वर्षो के रिकार्ड उपलब्ध हैं, लेकिन उपलब्ध रिकार्डों के अनुसार जनवरी माह के आखिर और फरवरी माह के पहले सप्ताह में नैनी झील का जलस्तर 1985 में 5.3 फीट एवं अधिकतम 1989 में 10.7 फीट रहा है, लेकिन 2017 में यह इतिहास में पहली बार अभूतपूर्व रूप से 25 जनवरी को शून्य के स्तर पर आ गया। जबकि इससे पूर्व इस तरह की स्थिति सामान्यत: मई माह में आती रही है। वहीं बुजुर्गों की मानें तो पिछले 82 वर्षो में ऐसी स्थिति पहली बार आयी है। इसका कारण नगर में सितम्बर के बाद से चार महीने पूरी तरह वर्षाविहीन रहे हैं। इस दौरान केवल तीन दिन कुल मिलाकर 17 मिमी के बराबर बेहद मामूली बारिश ही हुई है। यह स्थिति इसलिए भी अधिक गंभीर है, क्योंकि भले इस वर्ष अब तक केवल 2.54 मिमी ही बारिश हुई हो, किंतु इससे पूर्व बीते वर्ष 2015 में पहली बार रिकार्ड 4684.83 मिमी बारिश हुई थी और पूरे वर्ष झील का जलस्तर शून्य पर नहीं पहुंचा था, जबकि अनेक वर्षो में बारिश न होने के बावजूद झील का जलस्तर कहीं ऊपर रहा है।
नैनी झील का जलस्तर नगर ही नहीं प्रदेशभर में शीतकालीन वर्षा न होने और पानी की बढ़ती खपत के प्रत्यक्ष कारण से संबंधित है, किंतु नगर में अलग-अलग लोग झील के घटे जलस्तर के अलग-अलग कारण बता रहे हैं। नगर के वरिष्ठ नागरिक एवं पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर रहे गंगा प्रसाद साह ने इसे इस वर्ष नंदा देवी महोत्सव में हुए व्यवधान से जोड़ते हुए कहा कि कुछ लोगों के विघ्न का खमियाजा पूरे नगर व प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि नयना देवी पूरे राज्य की कुलदेवी, आराध्य देवी एवं युद्ध की विजय देवी हैं। बकौल श्री साह ‘अपनी 82 वर्ष की आयु में उन्होंने ऐसे हालात कभी नहीं देखे।’ वहीं अन्य बुजुर्गों ने दावा किया कि नैनी झील में इसकी स्थापना से पूर्व मौजूदा डांठ जैसी व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना था कि नैनी झील में भीमताल झील के बीच में डूबी हुई अवस्था में हालिया वर्षो में ही जलस्तर गिरने पर प्रकाश में आये कैंचुला देवी के मंदिर की तरह यहां भी दो कोटरों के बीच वाले स्थान पर मंदिर स्थित है, जो इस वर्ष नजर आ सकता है।
वहीं झील नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षो की बात करें तो वर्ष 2011 में दो मई को, 2012 में 30 अप्रैल को, 2013 में 26 मई को, 2014 में 17 मई को झील का जलस्तर शून्य पर पहुंचा था, जबकि 2015 में वर्षभर ऐसी स्थिति नहीं आयी। वहीं पिछले वर्षो में पांच फरवरी को झील के जलस्तर और बारिश की बात करें तो वर्ष 1990 में जनवरी माह में बारिश नहीं हुई थी, बावजूद झील का जलस्तर 9.4 फीट था। ऐसी ही स्थितियों में 1997 में जलस्तर 8.3 फीट था। वहीं बीते वर्ष सितंबर माह के बाद हुई बारिश की बात करें तो 13 अक्टूबर को 2.54 मिमी, 30 अक्टूबर को 12.7 मिमी और इधर 29 जनवरी की रात्रि 2.54 मिमी ही बारिश हुई। जबकि पिछले वर्ष जुलाई माह में 1706.88 और खासकर छह जुलाई को 388.42 मिमी बारिश ने नगर को हिलाकर रख दिया था।
अंग्रेजों के जमाने की जलस्तर मापने की व्यवस्था खराब
नैनीताल। नैनीताल झील नियंत्रण कक्ष में इन दिनों अंग्रेजों के जमाने में लगी जलस्तर मापने की व्यवस्था काम नहीं कर रही है। झील के जलग्रहण वाले क्षेत्र गंदगी और मलबे से पटे हैं, इसलिए जलस्तर मापना संभव नहीं है। ऐसे में नियंत्रण कक्ष के कर्मी मौजूदा गेज को नियंत्रण कक्ष से कुछ दूर झील किनारे पानी के पाइप को वाटर गेज के रूप में काम चलाकर झील का जल स्तर मापने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि अंग्रेजी दौर में लगे गेज में जब पानी नहीं पहुंचता तो झील का जलस्तर शून्य बताया जाता है। इधर पिछले कई वर्षो से यहां शून्य से नीचे कहे जाने वाले जलस्तर को मापने के लिए उचित प्रबंध किये जाने की मांग पर्यावरण प्रेमियों की ओर से उठती रहती है। अंग्रेजी दौर में तल्लीताल में झील के शिरे पर गेट लगाकर झील के पानी को नियंत्रित करने का प्रबंध हुआ, जिसे स्थानीय तौर पर डांठ कहा जाता है। गेट कब खोले जाऐंगे, इसका बकायदा कलेंडर बना, जिसका आज भी पालन किया जाता है। इसके अनुसार झील के गेट जून में 7.5, जुलाई में 8.5, सितंबर में 11 तथा 15 अक्टूबर तक 12 फीट जल स्तर होने पर ही गेट खोले जाते हैं।
नैनी झील के 2012 में वर्षा और जल स्तर के रिकॉर्ड
नैनी झील का जल स्तर 2012 में तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था, और 29 जुलाई को ही 8.7 फीट पर पहुंच गया था, जिस कारण गेट खोलने पड़े थे। इसके बाद 16 सितंबर तक कमोबेश लगातार गेट अधिकतम 15 इंच तक भी (15 अगस्त को) खोले गये। जबकि 2012 में गर्मियों में 30 अप्रेल से 17 जुलाई तक जल स्तर शून्य से नीचे (अधिकतम माइनस 2.6 फीट तक) रहा था। उल्लेखनीय है कि नैनीताल नगर की औसत वर्षा 2480 मिमी और नैनीताल जनपद की औसत वार्षिक वर्षा 1,152 मिमी है। इससे पूर्व 2011 में नगर में सर्वाधिक रिकार्ड 4,183 मिमी बारिश हुई थी।
वहीं, 2010 में ठीक 18 सितंबर और 2011 में भी सितंबर माह में प्रदेश व निकटवर्ती क्षेत्रों में जल प्रलय जैसे हालात आये। 2010 में नगर की सामान्य 248 सेमी से करीब दोगुनी 413 सेमी बारिश रिकार्ड की गई, बावजूद नगर पूरी तरह सुरक्षित रहा।
चित्रों में देखें 2012 में जून माह में बने थे ऐसे हालात
वहीं, ईईआरसी यानी इंदिरा गांधी इंस्टिटय़ूट फार डेवलपमेंटल रिसर्च मुंबई की 2002 की रिपोर्ट के अनुसार नगर की सूखाताल झील नैनी झील को प्रति वर्ष 19.86 लाख यानी करीब 42.8 फीसद पानी उपलब्ध कराती है।
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पूरे उत्तराखण्ड के पहाड़ों में सूखे से खेती तबाह, उग ही नहीं रही रबी की फसल
नैनीताल। इस बार मौसम के ऐसे हालत केवल नैनीताल में ही नहीं पूरे उत्तराखण्ड के सभी पहाड़ी क्षेत्रों में हैं। नैनीताल जिले के ओखलकांडा, धारी, रामगढ व बेतालघाट जैसे सभी पहाड़ी ब्लॉक सूखे से प्रभावित हैं, यहाँ सूखे से खेती तबाह हो गयी है। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के बीज अंकुरित ही नहीं हो रहे हैं। बारिश ने पहाड़ों से ऐसा मुंह मोड़ा है कि सूखे के हालात बन गए हैं, और सूखे ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। काश्तकारों की सारी खेती ही चौपट हो गई है। बारिश नहीं होने से खेतों में कुछ भी नहीं उग सका है, और जहां बीज अंकुरित होकर फूटा भी है तो उस पर भी सूखे की मार पड़ गई है। किसानों को सिंचाई के लिए तो पानी दूर अब पीने के पानी का भी संकट पैदा हो गया है। ऐसे में किसान सरकार की ओर मदद के लिए मुंह ताकने को मजबूर हो रहे हैं। आशंका इस बात को लेकर भी है की अभी न हुई फसल बागों में फलदार पेड़ों में फूल लगने के समय ओलों से फूलों को भी नष्ट न कर दें, जबकि बारिश-बर्फवारी न होने से सेब जैसे फलों की फसल के बर्बाद होने, फल छोटे ही रह जाने की स्थितियां भी बन गयी हैं। साथ ही जानवरों के लिए भी चारे का संकट उत्पन्न होने का खतरा नजर आ रहा है। पहाड़ की चौपट खेती के बाद अब जिले का महकमा सूखे का आंकलन करने में जुटने की बात कर रहा है। डीएम नैनीताल दीपक रावत का कहना है कि जिले के मुख्य कृषि अधिकारी को आंकलन करने के निर्देश दे दिए हैं।
झील में मलबा सफाई: बिना काम ख़तम-पैसा हजम
नवीन जोशी, नैनीताल। काम खत्म होने के बाद पैसा हजम हो जाए तो कोई बात नहीं, किंतु नैनीताल जिला प्रशासन नैनी झील का मलबा हटाने के लिए वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहा है। वह भी बिना काम खत्म पैसा हजम के फार्मूले पर चलकर। यहां यह बताना जरूरी है कि नैनी झील से मलबा हटाने के लिए प्रशासन ने तीन मदों से 80 लाख रपए तो खर्च कर दिए गए, किंतु झील में आया पूरा मलबा हटाना दूर, स्वयं इकट्ठा किया गया मलबा भी बारिश आने पर झील में वापस जाने के लिए छोड़ दिया गया और ऐसा बहुत सारा मलबा झील में वापस चला भी गया है। वहीं झील में दोबारा मलबा न आए, इस के लिए नालों की सफाई जैसे कार्य पिछले एक वर्ष से लंबित पड़े हैं। नालों की मरम्मत के भी पिछले वर्ष जुलाई माह में आई बारिश के बाद ध्वस्त हुए कार्य आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं, जिस कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, और हालातों में पिछले वर्ष से कोई सुधार नहीं देखने को मिला है।
इधर झील में -12 फीट तक जल स्तर मापने का प्रबंध भी किया जा रहा है। माल रोड पर इंडिया और एवरेस्ट होटल के बीच हल्की सी बारिश में भी नाला नंबर 6 से आने वाले मलबे का ढेर लग रहा है। यहां 12-12 मीटर की दो दीवारें अब तक नहीं बन पाई हैं, इस कारण यहां मलबा हटाने के लिए हर समय जेसीबी डोजर मशीन तैनात रखनी पड़ रही है। वहीं पिछले वर्ष क्षतिग्रस्त हुए नाला नंबर 20 भी मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के पीछे भारी मात्रा में मलबा आने से चोक हो गया है। उल्लेखनीय है कि सर्वप्रथम नैनी झील में जलस्तर कम होने से उभरे मलबे के डेल्टा से मलबा हटाने के लिए स्थानीय विधायक सरिता आर्य की निधि से पांच लाख रुपए से कार्य शुरू हुआ। इसके बाद डीएम ने झील विकास प्राधिकरण से 10 लाख रपए लेकर कार्य आगे बढ़ाया और इस बीच शासन को भी मलबा हटाने के लिए 64.55 लाख का प्रस्ताव भेजा। यह धनराशि भी प्राप्त हो गई और इसे भी मलबा हटाने के नाम पर खर्च कर दिया गया।इधर लोनिवि के अधिशासी अभियंता एसके गर्ग ने दावा किया कि कुल करीब 4500 ट्रकों से प्रति ट्रक पांच घन मीटर के हिसाब से करीब 19000 घन मीटर मलबा झील से हटा लिया गया है। बहरहाल, झील से मलबा हटाने का कार्य धनराशि खर्च हो जाने की बात कहकर कार्य रोक दिया गया है, लेकिन माल रोड के मध्य में पालिका पुस्तकालय के पास तथा झील की पूरी परिधि में डेल्डा पूर्व की तरह बरकरार हैं, और इन्हें हटाने के लिए छुआ तक नहीं गया है। केवल मल्लीताल बोट स्टैंड, तल्लीताल बोट स्टैंड, फांसी गधेरा और नैना देवी मंदिर के पास के सिरों से मलबा हटाया गया है। इनमें से भी नैना देवी मंदिर के पास एकत्र किया गया मलबा हटाया नहीं जा सका है।
सर नैनी झील का फोटो भी डालें. इस बार जा तो नही पाये।🙏🙏
सर नैना देवी मन्दिर की आरती का live प्रसारण करवायें जैसे अमरनाथ का लाइव प्रसारण दिखाया जा रहा है। फेसबुक live पर भी आरती का प्रसारण हो सकता है जैसे केदारनाथ की आरती का प्रसारण बहुत लोग करते हैं।
आपकी बात नयना देवी मंदिर ट्रस्ट तक पहुंचा दी गई है…