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September 21, 2024

राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती, हाई कोर्ट का रोक से इनकार

High Court of Uttarakhand Nainital Navin Samachar

-हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब 

नवीन समाचार, नैनीताल, 19 सितंबर 2024 (State Agitators Reservation Challenged in HCourt) उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने से संबंधित नए एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स मामले में फिलहाल किसी तरह की रोक लगाने से इंकार कर दिया, लेकिन लोक सेवा आयोग को भी इस आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया ताकि आगे की प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सके।

साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही सरकार से आरक्षण तय करने का आधार और संबंधित डेटा पेश करने को भी कहा है।

असंवैधानिक घोषित किया जाए : याचिकाकर्ता (State Agitators Reservation Challenged in HCourt)

इस मामले में याचिकाकर्ता भुवन सिंह सहित अन्य ने जनहित याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने 18 अगस्त 2024 को बने इस नए कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया गया था, जिसे 2017 में हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। अब सरकार ने उसी फैसले के खिलाफ यह नया कानून बनाया है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं दे सकती, क्योंकि राज्य के सभी नागरिक राज्य आंदोलनकारी थे। इस फैसले को राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी थी, लेकिन 18 अगस्त 2024 को नया कानून बनाकर आरक्षण देने का फैसला किया। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह कानून उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश के विरुद्ध है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए।

राज्य को इस मामले में कानून बनाने का अधिकार : महाधिवक्ता

(State Agitators Reservation Challenged in HCourt)राज्य के महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से तर्क दिया कि राज्य को इस मामले में कानून बनाने का अधिकार है। वर्तमान में राज्य की परिस्थितियां बदल चुकी हैं और सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नई आरक्षण नीति का आदेश दिया है, जिसके आधार पर राज्य सरकार ने यह नया कानून बनाया है। (State Agitators Reservation Challenged in HCourt)

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