जोशीमठ में हो रहे धूधंसाव पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दिए सरकार को निर्देश
-विशेषज्ञ समिति में डॉ. रौतेला व डॉ. बिष्ट को शामिल कर उनसे सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी, निर्माणों पर प्रतिबंध सख्ती से लागू करने को कहा
नवीन समाचार, नैनीताल, 12 जनवरी 2023। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू धंसाव को लेकर दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से बनाई विशेषज्ञों की समिति में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. पीयूष रौतेला व डॉ. एमपीएस बिष्ट को शामिल करने के निर्देश दिए हैं, तथा समिति से दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार को जोशीमठ में निर्माणों पर लगी पाबंदी को सख्ती से लागू करने के आदेश भी दिए हैं। यह भी पढ़ें : अपडेटेड : पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने के आरोप में आयोग के अधिकारी सहित चार गिरफ्तार…!
गुरुवार को खंडपीठ ने मामले में 2021 में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। इस दौरान राज्य सरकार व एनटीपीसी की ओर से कहा गया कि सरकार इस मामले को लेकर बेहद गम्भीर है। जोशीमठ में सभी निर्माण कार्य रोक दिए है। भू-धंसाव को लेकर सरकार वाडिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की मदद ले रही है। वहां प्रभावितों को हर संभव मदद दी जा रही है। यह भी पढ़ें : युवती से शादी का झांसा देकर नैनीताल व रामनगर के रिजॉर्ट में दुष्कर्म
गौरतलब है कि पीसी तिवारी ने चमोली जिले में ऋषिगंगा में आई भीषण बाढ़ के बाद 2021 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं और सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है, जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दे। उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं, उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे है। इस कारण बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती है। हाइड्रो प्रोजेक्ट टीम के कर्मचारियों के सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं, कर्मचारियों को केवल सुरक्षा के नाम पर हेलमेट दिए हैं, आपदा से निपटने को उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है, उनके पास कोई उपकरण भी नहीं हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : रात्रि में बड़ा हादसा, एक ही परिवार के 2 महिलाओं सहित 4 लोगों की मौत, दुर्घटनास्थल से ‘नवीन समाचार’ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
हरेंद्र बिष्ट @ नवीन समाचार, थराली, 22 अक्तूबर 2022। उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली तहसील के पैनगढ़ गांव में शनिवार को बेहद दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां पहाड़ी पर भूस्खलन के बाद गिरे बोल्डरों से तीन मकान क्षतिग्रस्त हो गए। जिसमें एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल है। ‘नवीन समाचार’ के माध्यम से दीपावली पर अपने प्रियजनों को शुभकामना संदेश दें मात्र 500 रुपए में… संपर्क करें 8077566792, 9412037779 पर, अपना संदेश भेजें saharanavinjoshi@gmail.com पर… यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के एक मंत्री जी द्वारा किए गए 40 तबादलों पर फिर लगी रोक, पिछली बार सीएम ने रोके थे तबादले
बताया गया कि यह परिवार बरसात के दौरान टेंटों में विस्थापित किए गए थे। इधर यह देहरादून रह रहे थे, किंतु दीपावली मनाने गांव आए हुए थे और बारिश होने के कारण अपने घरों को सुरक्षित मान कर अपने गांव के भूस्खलन प्रभावित घर में ही रह रहे थे, तभी शुक्रवार की देर रात 1.36 बजे बिन वर्षा के घर पर विशाल बोल्डर गिर गए। फलस्वरूप परिवार के पांच लोग बोल्डरों व मलबे में दब गए। इनमें से चार की मृत्यु हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल एक किशोर को उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया हैं। अभी भी तहसील प्रशासन, एनडीआरएफ एवं स्थानीय लोग मलबे को हटाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा तीन परिवारों के मकान पर भी मलबा गिरने से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि इनमें जनहानि नहीं हुई हैं। यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट की पाबंदी के बाद हल्द्वानी के साथ नैनीताल में पटाखा बाजार के लिए स्थान तय…
मिली जानकारी के अनुसार पैनगढ़ गांव में अचानक हुए भूस्खलन के कारण देवानंद सती का मकान उसकी जद में आकर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीण राहत एवं बचाव कार्य में जुटे और घटना की सूचना तहसील प्रशासन को दी गई। जिस पर देर रात ही प्रशासन की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी। इसके बाद सुबह तड़के बचुली देवी पत्नी माल दत्त उम्र 75 वर्ष का शव निकाल लिया गया था। जबकि घायल 37 वर्षीय सुनीता देवी पत्नी घनानंद सती ने रास्ते में उपचार के लिए ले जाते समय दम तोड़ दिया। यह भी पढ़ें : गेस्ट हाउस में युवती से अनैतिक देह व्यापार कराता संचालक गिरफ्तार
मकान के अंदर दबे देवानंद 57 एवं घनानंद 45 के शवों को तहसील प्रशासन, एनडीआरएफ एवं स्थानीय ग्रामीणों ने जेसीबी सहित अन्य संसाधनों के सहयोग से कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 8 बजे के करीब निकाला जा सका। जबकि घायल 15 वर्षीय योगेश पुत्र घनानंद को सीएचसी थराली में प्राथमिक उपचार के बाद हाईसेंटर रेफर कर दिया गया हैं। इस घटना से जहां भूस्खलन पीड़ित गांव में दहशत छा गई हैं, वही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। घटना स्थल पर पुलिस, एनडीआरएफ एसडीआरएफ की ओर से रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। चारों शव मलबे से बाहर निकाल दिए गए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-पर्वतीय राज्यों हेतु नैनीताल में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना किए जाने का सीएम ने किया स्वागत
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 अक्तूबर 2022। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में नगर स्थित डॉ रघुनंदन सिंह टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में ‘रिड्यूसिंग रिस्क एंड बिल्डिंग रेसीलेंस: कैपेसिटी बिल्डिंग इन द माउंटेन स्टेट्स’ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस मौके पर अकादमी के प्रेक्षाग्रह में 287 लाख से किये गए कार्यों का भी लोकार्पण किया गया। यह भी पढ़ें : नवविवाहिता बहु से 65 वर्षीय ससुर ने किया दुष्कर्म….
इस मौके पर श्री धामी ने कहा कि आज जबकि औसत वैश्विक तापमान में 2 डिग्री की वृद्धि हो रही है, और ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जल स्रोत सूख रहे हैं, तथा प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ रही हैं, ऐसे में पर्वतीय राज्यों में बादल फटने, हिमस्खलन, भूस्खलन आदि की समस्याएं यहां की भौगोलिक समस्याओं के कारण और बड़ी हो जाती हैं। इन आपदाओं से बचने के लिए आपदाओं का न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास किया जाना आवश्यक है। यह भी पढ़ें : बड़ा शातिर निकला छोटा खान, 5 साल से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध एक से बनाए, शादी दूसरी से कर ली….
उन्होंने पर्वतीय राज्यों हेतु नैनीताल स्थित उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना किए जाने एवं आपदा प्रबंधन में क्षमता विकास किए जाने में सहमति दिए जाने का स्वागत किया। साथ ही उम्मीद जताई कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला में गहन मंथन से लिए जाने वाले निर्णय व निष्कर्श धरातल पर उतारे जाने योग्य होंगे। उन्होंने इस दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से उत्तराखंड सहित सभी पर्वतीय राज्यो में क्षमता विकास में सहयोग भी मांगा। यह भी पढ़ें : दो अधिकारियों के खिलाफ विजीलेंस जांच के आदेश
बताया गया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय राज्यों की संवेदनशीलता को देखते हुए आपदा प्रबन्धन के विभिन्न आयामों यथा-प्रदेश को आपदा रोधी बनाने, अवस्थापनाओं का सुदृढ़ीकरण, भूकम्प अवरोधी भवन निर्माण करने, आपदाओं के जोखिम को कम करने हेतु नीतियाँ एवं योजनाऐं विकसित करना तथा खोज एवं बचाव दलों को अत्यधिक कौशलपूर्ण बनाने के हैं। इसके साथ ही अकादमी नैनीताल में भारत के उत्तरी पर्वतीय राज्यों हेतु एक उच्च कोटि के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में संस्थान का उन्नयन करना है, जहाँ विभिन्न राज्यों की आपदा की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ठोस रणनीति विकसित करके एक सुरक्षित और आपदा प्रबन्धन में निपुण व सक्षम व्यवस्था का निर्माण किया जा सके। यह भी पढ़ें :
कार्यशाला में विधायक सरिता आर्य, जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट, प्रो. शेखर पाठक, अकादमी के महानिदेशक भगवती प्रसाद पांडे, कुलपति प्रो. एनके जोशी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के अधिशासी निदेशक ताज हसन, नोडल अधिकारी प्रो संतोष कुमार, अकादमी के अधिशासी निदेशक प्रकाश चन्द्र, मंडलायुक्त दीपक रावत, एनडीआरएफ के डीआईजी टीएस चौहान आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में समन्वयक के रूप में डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. मंजू पांडे एवं एनआईडीएम के अली हैदर सहित आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ एवं अकादमी के समस्त संकाय व कार्मिक एवं उत्तराखंड सहित हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, आसाम, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लगभग 400 प्रतिभागी भी शामिल रहे। संचालन हेमंत बिष्ट ने किया। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल जनपद में भारी बारिश से कई घर जमींदोज होने की स्थिति में, तीन परिवारों पर बेघर होने का खतरा
-चमोली, बड़ौन व टीमर आदि ग्राम पंचायतों मे मडुवे, मक्का, मिर्च इत्यादि की फसल को भी भारी नुकसान
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 16 सितंबर 2022। नैनीताल जनपद में गत 15 सितंबर से लगातार रुक-रुककर हो रही र्वाा से जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं। ओखलकांडा विकास खंड मुख्यालय की ग्राम पंचायत ओखलकांडा मल्ला में बगौर के लिए सड़क निर्माण की वजह से कई घर भूस्खलन की जद में आ गए हैं, और कुछ पूरी तरह ध्वस्त होने की कगार पर आ गए हैं। इससे गोपाल राम, बालम राम व कृष्ण राम के तीन परिवारों पर बेघर होने की नौबत भी आ गई है। देखें सम्बंधित वीडियो :
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द बारिश बंद नहीं होती है तो कई घर लगभग जमीदोज भी हो सकते हैं। इन तीन परिवारो पर आर्थिक संकट के साथ साथ बेघर होने की नौबत भी आ सकती है। स्थानीय लोगों को कहना है कि प्रशासन को उचित कार्यवाही करनी चाहिए एवं इन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर रखने की कार्रवाई करनी चाहिए।
इसके अलावा बताया गया है कि जनपद के ग्राम पंचायत चमोली, बड़ौन व टीमर आदि ग्राम पंचायतों मे भी जगह-जगह भूस्खलन हुआ है। ग्राम चमोली के युवक मंगल दल अध्यक्ष रामू मछखोलिया, ललित चिलवाल, कुंदन मछखोलिया व इंद्रर चिलवाल आदि ने बताया कि खेतों मे खडी मडुवे, मक्का, मिर्च इत्यादि की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। खासकर मडुवे की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : भारी बारिश से बैंक का एटीएम एवं ज्वैलरी की सहित कई दुकानें बहीं, बड़ा नुकसान…
नवीन समाचार, उत्तरकाशी, 11 अगस्त 2022। उत्तरकाशी जनपद के पुरोला में बुधवार देर रात लगभग दो बजे तेज बारिश हुई। इस कारण कुमोला नाले के तेज उफान पर आने से कुमोला बाजार में पूरे बाजार में बारिश से भारी नुकसान हुआ है। प्रारंभिक तौर पर प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक का एक एटीएम भी पानी के तेज बहाव में बह गया है।
बारिश से लगभग 10 दुकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। नाले में कई कच्ची-पक्की दुकानों के भी बहने की सूचना है। बही दुकानों में दो ज्वैलरी की दुकानें भी शामिल बताई जा रही हैं। इस के कारण पहले ही खाली करवाई गई 8 कच्ची-पक्की अवैध दुकानों के भी क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। पुलिस एवं राजस्व विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंच चुके हैं। पीएनबी के शाखा प्रबंधक चंचल जोशी ने बताया कि बुधवार शाम को ही एटीएम में 24 लाख रुपये डाले गए थे।
यह भी बताया गया है कि बुधवार रात्रि को हुई बारिश से गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग सहित कई लिंक मार्ग बंद पड़े हैं। गंगोत्री राजमार्ग पर बन्दरकोट पहाड़ टूटने से एक मकान को हुआ भारी नुकसान पहुंचा है। राजमार्ग पर मातली में धरासू से सिलक्यारा के मध्य जगह जगह मलबा आ गया है। जबकि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डाबरकोट के पास मलबा और पत्थर आने से मार्ग अवरुद्ध हो गया।
जिला पंचायत सदस्य मनीष राणा ने बताया कि एक वर्ष पूर्व अपर जिलाधिकारी ने बड़े खतरा होने की सूचना दे दी थी लेकिन शासन-प्रशासन ने कोई उचित व्यवस्था नहीं की। तहसील पुरोला अंतर्गत अतिवृष्टि के कारण कुमोला खड्ड में पानी बढ़ने के कारण आठ कच्ची-पक्की अवैध दुकान जो खाली करवाई गई थीं, वे क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद पुलिस एवं राजस्व कार्मिक मौके पर राहत कार्य में जुटे हुए हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : फिर चमोली जैसे ग्लेशियर टूटने की घटना की पुनरावृत्ति, बीआरओ के मजदूरों की जान संकट में
नवीन समाचार, जोशीमठ, 23 अप्रैल 2021। चमोली जनपद के भारत-तिब्बत सीमा के अग्रिम चौकी सुमना के पास ग्लेशियर टूटने की खबर है। बताया जा रहा है कि सीमा क्षेत्र सुमना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप के समीप ग्लेशियर टूटकर मलारी-सुमना सड़क पर आ गया है। यहां बीआरओ के मजदूर रोड निर्माण के कार्य के लिये मौजूद थे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट कर कहा कि ग्लेशियर टूटने को लेकर सरकार अलर्ट कर दिया है।
बीआरओ के 21 टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल मनीष कपिल के अनुसार सुमना एरिया मे ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली है। वे स्वयं मौके के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।कोई नुकसान हुआ है या नही इसकी जानकारी मौके पर पहुंचने के बाद ही दी जा सकेगी। बहरहाल नीति घाटी इस वक्त बर्फबारी की चपेट में है। भापकुंड से आगे मलारी व सुमना तक पहुंचने के लिए भी भारी मसशक्कत करनी होगी।
कमांडर कर्नल मनीष कपिल ने कहा कि यह ग्लेशियर कहां पर टूटा है इसकी एग्जैक्ट लोकेशन नहीं चल पाई है। शरहद में तैनात आईटीबीपी और आर्मी की अग्रिम चौकियों में दूरसंचार के माध्यम से इस बात का पता लगाया जा रहा है। लेकिन खराब मौसम के चलते अग्रिम चौकियों में फिलहाल दूर संचार के माध्यम से संपर्क नहीं हो पा रहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट कर बताया कि नीति घाटी के सुमना में ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली है। इस संबंध में एलर्ट जारी किया है। लगातार जिला प्रशासन और बीआरओ के संपर्क में हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनटीपीसी और अन्य परियोजना में रात में काम रोकने के निर्देश दे दिये गए हैं।ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड चमोली आपदा : अब तक 51 शव मिले, अभी भी 153 लापता..
नवीन समाचार, चमोली, 15 फरवरी 2021। चमोली त्रासदी में खोज एवं बचाव कार्य 9वें दिन भी जारी रहा। सोमवार की सुबह भी 8 शव टनल से बरामद हुए हैं। वहीं पिछले 24 घंटों में 13 शव बरामद हो चुके हैं। आज टनल से 2 शव मिले, अब तक कुल 53 शव बरामद हुए हैंं। बीती रात्रि को लगभग 1.30 एक शव तथा आज सुबह 6.55 पर 1 अन्य शव तपोवन टनल से बरामद हुआ। अब तक टनल से 8 शव बरामद किए गए है। 151 लोग अभी लापता हैl
8th body recovered from the tunnel.15 bodies recovered in last 24 hours.#Tapovan@PIB_India @ndmaindia@ITBP_official @uttarakhandcops@DDNewslive @Ashokkumarips pic.twitter.com/2G0OO9gZGf
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 15, 2021
इससे पहले रविवार दोपहर तक रेस्क्यू टीम ने तपोवन टनल से पांच, रैणी से छह और रुद्रप्रयाग नदी के तट से एक यानि कुल 20 शव बरामद किया है। उल्लेखनीय है कि तपोवन आपदा में कुल 206 लोग लापता हुए है। जिसमें से 2 लोग घर मे सुरक्षित मिले। अब तक 51 शव बरामद किए गए। इनमें से 25 लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। रविवार को 13 शव मिले, जबकि 153 लोग अभी भी लापता है। बचाव दल आपदा क्षेत्र में लगातार रेस्क्यू चला रहा है।
चमोली प्राकृतिक आपदा में आज तपोवन टनल, रैणी गांव और रुद्रप्रयाग से 12 लोगों के शव बरामद किये गए। युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन। अभी तक कुल 50 लोगों के शव बरामद, 25 की हुई शिनाख्त।#Chamoli #RescueOperation #Tapovan #UttarakhandGlacierBurst #UttarakhandPolice pic.twitter.com/XdNlx3bjv2
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 14, 2021
तपोवन आपदा में 206 लोग लापता हुए है। जिसमें से 2 लोग घर मे सुरक्षित मिले। अब तक 51 शव बरामद किए गए। आज 13 शव मिले, 153 लोग अभी लापता है। बचाव दल आपदा क्षेत्र में लगातार रेस्क्यू चला रहा है।
@Ashokkumarips @ITBP_official @ndmaindia @tsrawatbjp @DDNewslive pic.twitter.com/BtObQbfRgO
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 14, 2021
इससे पहले रविवार सुबह तड़के मुख्य सुरंग के किनारे से एक के बाद एक तीन शव बरामद किए गए। इसके साथ लगने लगा कि अब बचाव दल मंजिल के करीब हैं। आगे जल्द ही कुछ और अच्छी-बुरी खबरें लगातार आ सकती हैं। अपडेट जानने को इस लिंक को लगातार अपडेट करते रहें।
आज दिनांक 14/02/2021 की सुबह टनल में मिले दोनों शवों की शिनाख्त हो गयी है।
रेस्क्यू कार्य लगातार जारी है।#Chamoli #Tapovan @uttarakhandcops @ANI @ndmaindia @DDNewsHindi @PIBHindi pic.twitter.com/eaCQaWhEMb
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 14, 2021
चमोली आपदा में टनल के अंदर 1 और शव मिला, जिसमें एक इलेट्रीशियन शामिल है। अभी तक कुल 41 शव बरामद हो चुके हैं।
165 लोग अभी भी लापता हैं। रेस्क्यू लगातार जारी।@uttarakhandcops @ndmaindia @Ashokkumarips @ITBP_official @DDNewslive @tsrawatbjp @ANI @PIBHindi pic.twitter.com/6fIVekwnvC— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 14, 2021
उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ से मिली जानकारी के अनुसार, टनल में 130 मीटर अंदर जाने के बाद तीन शव बरामद हुए हैं। बताया जा रहा है कि दोनों व्यक्ति इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। इस तरह अब तक उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान 204 लापता लोगों में से करीब 41 शव व अन्य मानव अंग बरामद कर चुके हैं, वहीं 165 लोगों की तलाश अभी भी जारी है। चमोली की डीएम स्वाति भदोरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि तपोवन में खोज और बचाव अभियान तेज कर दिया गया है।
यह भी पढ़ें : 1 और शव बरामद, 167 लोगों की तलाश जारी, उधर एक झील बनने से हड़कंप..
नवीन समाचार, देहरादून, 12 फरवरी 2021। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार सांय 6:30 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता में से 38 शव बरामद किए हैं। जिसमें से 13 शवों की शिनाख्त की गई है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार सांय 6:30 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता में से 38 शव बरामद किए हैं। जिसमें से 13 शवों की शिनाख्त की गई है। @PMOIndia @uttarakhandcops @DDnews_dehradun @tsrawatbjp @DIPR_UK @AmitShah @DDNewsHindi pic.twitter.com/Lcv9kbfDVy
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 13, 2021
लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है।
चमोली के समीप मैठाणा गांव के पास आज एक शव मिला। अभी तक कुल 37 शव बरामद हुए है। बाकी 176 लापता की तलाश जारी है।@uksdrf @uttarakhandcops @ITBP_official @AIRNewsHindi @tsrawatbjp @AHindinews @babyranimaurya @MLAPremAggarwal pic.twitter.com/j7wWuH3pPf
— DD NEWS UTTARAKHAND (@DDnews_dehradun) February 12, 2021
नियमानुसार 72 घंटे बाद बाकी शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद से बरामद किए गए 36 शवों में से 10 की पहचान कर ली गई है| फिलहाल 169 अन्य लोग अभी भी लापता हैं| नियमानुसार 72 घंटे बाद बाकी शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया|@PIBHindi @ndmaindia @uttarakhandcops#Chamoli pic.twitter.com/w4V2CNBeOO
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 12, 2021
वहीं ऋषिगंगा के मुहाने पर झील बनने से एक बार फिर क्षेत्र में बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं। शासन ने वाडिया, टीएचडीसी, एनटीपीसी और आईआईआरएस को जांच करने का आदेश दिया है।
A helicopter carrying scientists of DRDO, technical team of NDRF conducted survey of upper Himalayan region where Lake formation being reported. DRDO scientists are analysing the data regarding the flow and volume of water at lake.
Report: Sushil Tiwari pic.twitter.com/IEdL5hbgkc
— All India Radio News (@airnewsalerts) February 12, 2021
भारतीय वायु सेना का चिनूक की मदद से आपदा क्षेत्र में भारी सामान लाने मे मददगार साबित हो रहा है। रेस्क्यू टीम और साजो सामान के साथ आज चिनूक चौथी बार जोशीमठ हेलिपेड पर लैंड हुआ। चिनुक हेली से ड्रिल उपकरण और मशीनें लायी गईं।
भारतीय वायु सेना का चिनूक की मदद से आपदा क्षेत्र में भारी सामान लाने मे मददगार साबित हो रहा है। रेस्क्यू टीम और साजो सामान के साथ आज चिनूक चौथी बार जोशीमठ हेलिपेड पर लैंड हुआ। चिनुक हेली से लाये गए ड्रिल उपकरण और मशीनें।@PMOIndia @uttarakhandcops @AIRNewsHindi @tsrawatbjp pic.twitter.com/xuLIjlT62I
— DD NEWS UTTARAKHAND (@DDnews_dehradun) February 12, 2021
यह भी पढ़ें : आपदाग्रस्त धौलीगंगा में फिर पानी बढ़ा, रोकना पड़ गया रेस्क्यू अभियान, फिर हुआ शुरू..
नवीन समाचार, गोपेश्वर, 11 फरवरी 2021। उत्तराखंड के चमोली जनपद अंतर्गत तपोवन में धौली गंगा नदी जल स्तर और प्रवाह में अचानक वृद्धि होने के कारण गुरुवार को दोपहर बाद सुरंग में बचाव और तलाशी अभियान अस्थायी रूप से स्थगित करना पड़ गया है।
ऋषिगंगा मे पानी बढ़ा, तपोवन मे फ़िलहाल रेस्क्यू बंद कियाl 500 मी. तक खाली कराया जा रहा हैl नदी का जलस्तर बढ रहा है, पुलिस अधीक्षक चमोली यशवंत सिंह चौहान ने नदी के आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया है।@chamolipolice @uttarakhandcops @PIBHindi @Ashokkumarips pic.twitter.com/L7R0UK7WFY
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 11, 2021
अलबत्ता, ऋषि गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद एक बार फिर से बचाव दल ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया है।
ऋषि गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने के उपरान्त, एक बार फिर से बचाव दल ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया l @PMOIndia @AmitShah @uttarakhandcops @PIBHindi @PIBDehradun @AIRNewsHindi @AHindinews @DIPR_UK @babyranimaurya @MLAPremAggarwal pic.twitter.com/c0Hv0TFWEU
— DD NEWS UTTARAKHAND (@DDnews_dehradun) February 11, 2021
इससे पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने आज चमोली जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्र तपोवन का दौरा किया। राज्यपाल ने घटनास्थल का जायजा लिया और तपोवन टनल के अंदर फंसे लोगों के सकुशल बाहर आने की कामना की। विधानसभा अध्यक्ष ने आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। साथ ही आपदा में मारे गए लोगों के परिवारों से मिलकर उन्हें ढाँढस बंधाया। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है।
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने आज चमोली जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्र तपोवन का दौरा किया। राज्यपाल ने घटनास्थल का जायजा लिया और तपोवन टनल के अंदर फंसे लोगों के सकुशल बाहर आने की कामना की।@PMOIndia @tsrawatbjp @PIBDehradun @PIBHindi @babyranimaurya pic.twitter.com/LWaJHrEg0y
— DD NEWS UTTARAKHAND (@DDnews_dehradun) February 11, 2021
वहीं राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दोपहर साढ़े 12 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता लोगों में से 35 लोगों के शव बरामद कर लिए हैं, इनमें से 10 शवों की शिनाख्त ही हो पाई है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दोपहर 12:30 बजे तक बचाव दल ने 204 लापता में से 35 शव बरामद किए हैं। जिसमें से 10 शवों की शिनाख्त की गई है। @uttarakhandcops @tsrawatbjp @DDNewsHindi @ndmaindia pic.twitter.com/jvkk8Hx2K8
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उधर एसडीआरएफ के द्वारा श्रीनगर जलभराव क्षेत्र में सोनार सिस्टम से सर्चिंग की जा रही है। चमोली के रैणी से लेकर श्रीनगर तक सर्चिंग कार्य किया जा रहा है, SDRF, उत्तराखंड पुलिस की 8 टीमें सर्चिंग कार्य कर ही है। ड्रोन ओर मोटरवोट के जरिए भी सर्चिंग की जा रही है साथ ही SDRF डॉग स्क्वार्ड टीम भी मौके पर है। अलकनन्दा नदी के तटों पर बायनाकुलर से भी खोजबीन जारी है। श्रीनगर जलभराव क्षेत्र में सोनार सिस्टम द्वारा भी सर्चिंग की जा रही है।
#UttarakhandPolice की #SDRF द्वारा श्रीनगर जलभराव क्षेत्र में सोनार सिस्टम से सर्चिंग की जा रही है।#chamoli #UttarakhandGlacierBurst @ANI @ZeeNews @aajtak @PTI_News @PIBDehradun @ABPNews @DDnews_dehradun @PIB_India @News18India @NewsStateHindi pic.twitter.com/0fWmzAuAFy
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प्राप्त जानकारी के अनुसार ऋषिगंगा मे दोपहर में पानी बढ़ने से तपोवन मे फिलहाल खोज बचाव अभियान बंद किया गया। अब तक 500 मीटर तक टनल को खाली कराया जा रहा है। पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा अपराह्न 2 बजकर 19 मिनट पर जारी किये अलर्ट के अनुसार नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। पुलिस अधीक्षक चमोली यशवंत सिंह चौहान ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को सावधान रहने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है सिर्फ सर्तकता बनाये रखें। बताया गया है कि जहां बचाव अभियान चल रहा है, वहां पानी के स्तर में वृद्धि के कारण ऑपरेशन अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। जेसीबी मशीन, उपकरण और बचाव दल सुरंग से बाहर आ गए हैं। उधर, एनटीपीसी के परियोजना निदेशक उज्ज्वल भट्टाचार्य का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हमने महसूस किया कि वहां पानी आ रहा है। अगर हम ऑपेरेशन जारी रखते तो चट्टानें अस्थिर होतीं, जो परेशानी का सबब बन सकता था। इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है।
यह भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिकों व ग्लेशियोलॉजिस्ट्स ने बताया कुछ और ही कारण…
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 10 फरवरी 2021। आपदा से पहले और बाद के उपग्रह चित्रों का अध्ययन करने वाले अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिकों एवं ग्लेशियोलॉजिस्ट्स यानी हिमनद विज्ञानियों का कहना है कि उत्तराखंड के चमोली में प्राकृतिक आपदा का कारण भूस्खलन है न कि हिमस्खलन!
आपदा से संबंधित वर्तमान स्थिति :
Action taken report by State emergency operations center till 7:30 AM👇👇@PIB_India @uttarakhandcops @Ashokkumarips @ndmaindia @ITBP_official pic.twitter.com/1705is40r8
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विज्ञानियों का मानना है कि ग्लेशियर का एक हिस्सा पहाड़ से नीचे गिरने से भूस्खलन की शुरुआत हुई जो बाद में बाढ़ का कारण बनी। रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के फटने की घटना से जुड़ी मध्यम दृश्यता वाली सैटेलाइट तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय हैं।
उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की घटना के जुड़ी सैटेलाइट तस्वीरों पर अध्ययन करने वालों ने कारणों पर जो राय रखी है वह सोशल मीडिया पर यूजर्स का ध्यान आकृष्ट कर रही है।
प्लानेट लैब्स की तस्वीरें –
इस ओर उच्च ऊंचाई वाले हिमनदों और भूगर्भिक वातावरण के अध्ययन में एक्सपर्ट कैलगरी विश्वविद्यालय के डॉक्टर डी. शुगर (Dr Dan Shugar) ने सैटेलाइट इमेजेस के अध्ययन से ध्यान आकृष्ट कराया है।
उन्होंने प्लानेट लैब्स (Planet Labs) की आपदा के पहले और बाद की उपग्रह छवियों (satellite images) की स्टडी के आधार पर अपनी राय रखी है।
सैटेलाइट चित्रों की स्टडी के बाद उनकी राय है कि भूस्खलन (landslide) के कारण अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में प्रलयकारी बाढ़ आई। उन्होने सैटेलाइट चित्रों में मौजूद धूल की मौजूदगी पर भी ध्यान खींचा है।
पूर्व कयास –
पहले की रिपोर्ट्स में कहा गया था कि प्रलयकारी बाढ़ हिमनद झील के फूटने से पैदा हुई बाढ़ का परिणाम है। यह तब होता है जब हिमनद बर्फ से प्राकृतिक झील निर्मित होती है। हालांकि उपलब्ध उपग्रह छवियों (Satellite Images) में बाढ़ की घटना से पहले हिमनदी झील की उपस्थिति के संकेत नहीं मिले हैं।
लटकता टुकड़ा –
इस तर्क के अलावा ग्लेशियोलॉजिस्ट्स और भूवैज्ञानिकों ने दरार पैदा करने में सक्षम ग्लेशियर के एक छोटे से लटकते टुकड़े की भी पहचान की है।
अध्ययन कर रहे एक्सपर्ट्स ने संभावना जताई है कि इस टुकड़े ने दरार पैदा की जिससे भूस्खलन हुआ। इसके बाद भूस्खलन से हिमस्खलन निर्मित हुआ जो प्रलयकारी बाढ़ का कारण बना।
सैटेलाइट तस्वीरों (Satellite Images ) में रविवार को उत्तराखंड (Uttarakhand/ UK) के चमोली में ग्लेशियर फटने (glacier burst) की घटना के पहले की स्थिति पर विश्लेषकों ने अपनी राय रखी है।
आपको बता दें, हिमस्खलन (Avalanche/एवलॉन्च) में 30 लोगों के मारे जाने और 170 से अधिक लोगों के लापता होने की सूचना है।
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कोपरनिकस (Copernicus Sentinel 2) के सेंटिनल 2 उपग्रह की छवियों ने नंदादेवी ग्लेशियर में दरार के गठन या शुरुआत को दिखाया है। इन छवियों से माना जा रहा है कि इससे भूस्खलन शुरू हुआ।
क्या संभावना है?
संभावना जताई जा रही है कि, त्रिशूली में नंदादेवी ग्लेशियर का एक खड़ा हिस्सा टूट गया। इसे चट्टान की ढलान का अलगाव (rock slope detachment) भी कहा जाता है।
रिपोर्ट्स में उल्लेख है कि चट्टान के इस अलगाव ने संभावित रूप से लगभग दो लाख वर्ग मीटर बर्फ को 2 किलोमीटर तक लंबवत गिरा दिया। इसके गिरने से भूस्खलन हुआ, जिससे घाटी का फर्श प्रभावित हुआ और तुरंत कांच की तरह बिखर गया।
सैटेलाइट चित्रों के हवाले से इस बात को बल दिया गया है कि इससे उत्पन्न चट्टान और बर्फ का मलबा हिमस्खलन के रूप में नीचे की ओर सरकता नजर आया। इस बात की पुष्टि सैटेलाइट इमेज में नजर आ रहे धूल के निशान से हुई है।
प्रचंड गर्मी –
राय यह भी दी गई है कि ऐसे तीव्र प्रवाह में मलबे में शामिल चट्टानों के सरकने से प्रचंड गर्मी पैदा हो सकती है। इस गर्मी से बर्फ पिघल सकती है। फिर बर्फ के पिघलने से गंदी झीलों आदि से पानी का प्रवाह हो सकता है।
एक सिद्धांत यह भी –
न्यूज वेबसाइट द प्रिंट (theprint) पर नॉर्थम्ब्रिया विश्वविद्यालय (Northumbria University) के व्याख्याता मैट वेस्टोबी (Matt Westoby) के हवाले से जानकारी दी गई है कि; वहां अधिक आइस कोर्ड मोराइन हो सकते हैं अथवा तलछट से ढंकी हुई बर्फ होगी। साथ ही स्थिर हिमनद बर्फ नीचे की ओर जाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इस सिद्धांत के मुताबिक लगभग 3.5 किमी तक फैली बर्फ की ये बड़ी मात्रा भूस्खलन और हिमस्खलन से उत्पन्न होने वाली गर्मी के कारण और पिघल जाएगी, जिससे नदियों में पानी का भारी मात्रा में प्रवाह होगा। भूस्खलन विशेषज्ञों ने भी इस सिद्धांत की पुष्टि की है।
सेती नदी का हवाला –
शेफील्ड विश्वविद्यालय के डेव पेटली के अनुसार, यह घटना नेपाल में साल 2012 में सेती नदी (Seti river) में आई बाढ़ की ही तरह है, जो (बाढ़) चट्टानों में आई गड़बड़ी के कारण सक्रिय हुई थी।
आईआईटी-रुड़की में सहायक प्रोफेसर सौरभ विजय ने सैटेलाइट चित्रों के आधार पर पिछले सप्ताह बड़ी मात्रा में ताजे गिरे बर्फ की पहचान की, जो हिमस्खलन और पानी की मात्रा बढ़ाने का कारक है।
ग्लेशियर का आकार-प्रकार –
ग्लेशियर के स्थान छोड़ने, यानी पिघलने के कारण उसके आकार में कमी आ जाती है। ऐसा होने से यह पिघले हुए मीठे पानी में मिट्टी और रेत के साथ-साथ चट्टानों, बोल्डर और बजरी के रूप में तलछट छोड़ देता है।
इन निक्षेपों से अक्सर प्राकृतिक बांध बन जाते हैं जिन्हें मोराइन (moraine- ग्लेशियर द्वारा बहा कर लाया हुआ मलबा) कहा जाता है, जिसमें पिघली बर्फ का पानी बड़ी मात्रा में होता है।
आपदा के पहले और बाद की तस्वीरें –
प्लानेट लैब्स (Planet Labs) के सैटेलाइट विजन से उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) के पास प्राकृतिक आपदा के पहले और बाद की तस्वीरें प्राप्त हुई हैं। हासिल चित्र उस स्थान से संबंधित हैं जहां से पहाड़ों से ढहकर आया बर्फ और मलबा धौलीगंगा नदी घाटी में गिरा जो कि अलकनंदा नदी में मिलती है।
एक्सपर्ट्स ने 6 और 7 फरवरी को इस इलाके में आए बदलावों के बारे में सैटेलाइट चित्रों के आधार पर अपनी राय रखी हैं। इन दो दिनों की तस्वीरों में इलाके में आए प्राकृतिक बदलावों के संकेतों को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
प्रकृति की ताकत –
ये प्राकृतिक बांध या हिमनद झीलें अति प्रवाहित (over flow) या छिद्रित हो सकती हैं/टूट सकती हैं, जिसके कारण बाढ़ का पानी नीचे की ओर बह सकता है।
पानी के अत्यधिक दबाव के कारण हिमस्खलन से मोराइन में टूटन पैदा होती है। इससे भूकंप अथवा नैचुरल मोराइन के पतन का खतरा पैदा होता है। इसके अलावा वनों की कटाई और प्रदूषण से पड़ने वाले स्थानीय जलवायु पर प्रभाव भी आपदाओं के कारण हो सकते हैं।
यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि उत्तराखंड में आई आपदा का मूल कारण क्या है। हालांकि उपग्रह के नए चित्रों, सर्वेक्षण डेटा और आगामी जांच से अगले कुछ दिनों में अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
यह भी पढ़ें : अब तक 206 लापता लोगों में से 32 लोगों के शव व सात मानव अंग बरामद
नवीन समाचार, देहरादून, 09 फरवरी 2021। चमोली जिले के रैणी तपोवन क्षेत्र में गत रविवार को आई प्राकृतिक आपदा में लापता व्यक्तियों का राहत, बचाव और खोज अभियान लगातार जारी है। आपदा के तीसरे दिन आज मंगलवार को 9 अन्य लापता लोगों के शव नदी किनारे अलग अलग स्थानो से बरामद किए गए हैं। अभी तक 206 लापता लोगो में से कुल 32 लापता लोगों के शव बरामद हो चुके हैं , इसके अलावा 7 से 9 मानव अंग भी रेस्क्यू टीम को बरामद हुए है। मंगलवार को जिला प्रशासन ने नीति वैली के 126 फंसे हुए लोगों को हैलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर उनके गंतव्य तक पहुचाया। मंगलवार को रैणी क्षेत्र से 4, नंदप्रयाग के डिडोली व सैकोट के टैटूणा के पास एक एक शव बरामद हुए हैं। इनमें से आठ लोगों की शिनाख्त हो गई है, जबकि 197 लोग अभी भी गुमशुदा हैं।
अभी तक 206 लापता लोगो में से कुल 32 लापता लोगों के शव बरामद हो चुके हैं , इसके अलावा 7 मानव अंग भी रेस्क्यू टीम को बरामद हुए है। मंगलवार को जिला प्रशासन ने नीति वैली के 126 फंसे हुए लोगों को हैलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर उनके गंतव्य तक पहुचाया।@ndmaindiapic.twitter.com/aIOIyc3QZK
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 9, 2021
जनपद केेे जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने आपदा वाले दिन से ही जोशीमठ में जिला प्रशासन के साथ डेरा जमा रखा है। जिसके तहत आपदा पीड़ितों की हर संभव मदद की जा रही है। घटनास्थल पर डीएम की मौजूदगी से बचाव कार्य काफी तेजी से हो रहा है। वह जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान भी अपने अधीनस्थों के साथ मौके पर डटे हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के साथ उत्तराखंड पुलिस के जवान बचाव कार्य में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं । जनपद के दो वरिष्ठ अधिकारियों के मौके पर रहने से बचाव कार्य में तेजी आ रही है। रैणी, तपोवन, जोशीमठ रतूड़ा, गौचर, कर्णप्रयाग ,रुद्रप्रयाग, श्रीनगर डेम जलभराव क्षेत्र, सहित अलकनन्दा नदी तटों पर अनेक स्थानों में सर्चिंग दस्ते शवों की तलाश कर रहे है। वहीं जोशीमठ से रुद्रप्रयाग एवं रुद्रप्रयाग से श्रीनगर क्षेत्र में डीप डाइविंग टीम सर्चिंग कर रही है। श्रीनगर क्षेत्र में राफ्ट एवम मोटरबोट की सहायता से सर्चिंग की जा रही है। दूसरी ओर टनल में रास्ता बनाया जा रहा है। जहां पर रात दिन रेस्कयू कर सुरंग से मलवा हटा कर रास्ता बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यहां पर टनल मे 35 से 40 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। वही क्षेत्र मे इधर-उधर फंसे लोगो को हैलीकॉप्टर को उनके गतंव्य तक भेजा जा रहा है। मंगलवार को जिला प्रशासन ने नीति वैली के 126 फंसे हुए लोगों को हैलीकॉप्टर से रेस्कयू किया हैं।
यह भी पढ़ें : मृतक संख्या 28 पहुंची, 25 बचाये, अब भी 197 गायब
नवीन समाचार, देहरादून. 09 फरवरी 2021। उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में बचाव और राहत अभियान में सोमवार को तेजी आ गई। वही राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा आज सुबह 8 बजे जारी रिपोर्ट के अनुसार लापता लोगों की संख्या बढ़कर 206 हो गयी है। तथा अब तक कुल 28 लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं। 180 लोग अभी भी लापता हैं। 25 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। मंगलवार को भी दो लोगों के शव बरामद किए गए हैं।
About 35 people are stuck inside the tunnel, we're trying to drill and make way via rope to reach them. We have recovered 2 more bodies, total death count 28 so far. –@tsrawatbjp @ndmaindia @uttarakhandcops @PIB_Indiapic.twitter.com/LLIgDO2lB9
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 9, 2021
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा में लापता व्यक्तियों की राज्यवार सूचना। बचाव और खोज अभियान लगातार जारी है। #Chamoli #Uttarakhand @PibLucknow@PIBKolkata@RanchiPIB@PIBHindi pic.twitter.com/CpeddK1G8C
— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 9, 2021
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड त्रासदी कोष में 11 करोड़ रूपये की राशि का सहयोग देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार देवभूमि उत्तराखंड के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करेगी। बाढ़ से रैणी गांव के निकट नीति घाटी को जोडने वाला सड़क पुल बह गया है, जिससे घाटी व 13 गांवो का संपर्क टूट गया है। BRO के इंजीनियर ए.एस राठौड़ ने बताया कि जल्द ही बीआरओ के द्वारा वैकल्पिक मार्ग बना लिया जाएगा।
ऋषिगंगा घाटी के रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई बाढ से क्षतिग्रस्त 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट की निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजनाओं में लापता लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों के बचाव और राहत अभियान में जुट जाने से उसमें तेजी आ गई है। उत्तराखंड राज्य आपदा परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, आपदा में 171 लोगों के लापता होने की सूचना है जबकि अभी तक 26 शव बरामद हो चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों में पनबिजली परियोजनाओं में कार्यरत लोगों के अलावा आसपास के गांवों के स्थानीय लोग भी है जिनके घर बाढ़ के पानी में बह गए। केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और बताया कि एनटीपीसी की निर्माणाधीन 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को अनुमानित 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि एनटीपीसी को परियोजना में मरने वालों के परिजनों को 20—20 लाख रुपये मुआवजा देने को भी कहा गया है ताकि वह इस त्रासदी से उबर सकें। आपदा प्रभावित क्षेत्र तपोवन क्षेत्र में बिजली परियोजना की छोटी सुरंग से 12 लोगों को रविवार को ही बाहर निकाल लिया गया था जबकि 250 मीटर लंबी दूसरी सुरंग में फंसे 35 लोगों को बाहर निकालने के लिए अभियान जारी है। बचाव और राहत अभियान में बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और स्निफर कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, सुरंग के घुमावदार होने के कारण उसमें से मलबा निकालने तथा अंदर तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं। रविवार को मुख्यमंत्री रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और सोमवार को वह फिर बचाव और राहत कार्यों का जायजा लेने के लिए तपोवन पहुंचे। तपोवन के लिए रवाना होने से पहले सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘मैं प्रभावित क्षेत्रों में जा रहा हूं और रात्रि प्रवास वहीं करूंगा।’ उन्होंने कहा कि क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं और सरकार इसमें कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने इस हादसे को विकास के खिलाफ दुष्प्रचार का कारण नहीं बनाने का भी लोगों से अनुरोध किया। रावत ने कहा कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार कल से ही इस क्षेत्र में कैम्प किये हुए हैं जबकि गढ़वाल आयुक्त और पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल को भी सोमवार से वहीं कैंप करने के निर्देश दिये गये हैं।
इसी बीच, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक, गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत आदि ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। संपर्क से कट गए 13 गांवों में हैलीकॉटर की मदद से राशन, दवाइयां तथा अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही हैं। राहत और बचाव कार्यों के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल मद से 20 करोड़ रुपये तत्काल जारी कर दिए गए हैं। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि सरकार की मंशा लापता लोगों के परिजनों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की है जिसकी जल्द ही प्रक्रिया तय की जाएगी।
यह भी पढ़ें : अब तक 12 शव बरामद, खोज-बचाव अभियान जारी
नवीन समाचार, जोशीमठ, 8 फरवरी 2021। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की घटना में अब तक 12 शव बरामद हो गए है। इस आपदा में तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 100-150 कर्मी के लापता हैं। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान रविवार देर रात नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण रोकना पड़ा। इधर देश के बहादुर जवान रात भर के बचाव कार्य के पश्चात सुरंग के मुहाने तक पहुँच गए हैं। बचाव कार्य पूरे जोरों से चल रहा है। बचाव दलों ने अब तक 12 शवों को भी बरामद किया है। इस करीब ढाई सौ मीटर सुरंग में अब भी 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की संभावना थी।
#Search_Operation
फायर सर्विस यूनिट व एसडीआरएफ के द्वारा रतूडा के समीप धारकोट पुल के नीचे मलबे के नीचे से एक बॉडी को निकालने रेस्क्यू कार्य@uttarakhandcops
@diggarhwal @chamolipolice @sprudraprayag @uksdrf @DIPR_UK @MygovU pic.twitter.com/kg51tK13Do— Fire Service Uttarakhand Police (@UKFireServices) February 8, 2021
हमारे बहादुर जवान रात भर के बचाव कार्य के पश्चात सुरंग के मुहाने तक पहुँच गए हैं ।बचाव कार्य पूरे जोरों से चल रहा है और हम और अधिक लोगों की जान बचाने की उम्मीद कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, बचाव दलों ने अब तक 11 शवों को भी बरामद किया है। मेरी संवेदनाएँ सभी प्रभावित लोगों के साथ हैं। https://t.co/eI13b1ZjqU
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 8, 2021
सेना के 100, आईटीबीपी के 315, एनडीआरएफ के 250 जवानों को भी राहत और बचाव कार्य में लगाया गया। इधर, गाजियाबाद से भी एनडीआरएफ के 100 जवान, एयरफोर्स के विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। जिन्हें सोमवार को चमोली रवाना किया जाएगा। जबकि एनडीआरएफ के साठ जवानों की एक टुकड़ी पहले ही सड़क मार्ग से चमोली रवाना हो चुकी है।
आपदा प्रभावित गाँवों में राहत सामग्री पहुँचाई गई है #Uttarakhand pic.twitter.com/psJCfyc1oA
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 8, 2021
हादसे की वजह से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया है तथा रैणी गांव के पास बीआरओ का लगभग 90 मीटर लंबा पुल भी आपदा में बह गया। करीब ढाई सौ मीटर सुरंग में अब भी 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की संभावना है। अब तक 25 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। इनमें तपोवन से 12 लोगों को बचाया गया है। वहीं रेणी से 13 लोगों का रेस्क्यू किया गया है। 250 मीटर लंबी सुरंग में बचाव कार्य अभी भी जारी है। हालात को देखते हुए सेना के 100, आईटीबीपी के 315, एनडीआरएफ के 250 जवानों को भी राहत और बचाव कार्य में लगाया गया। इधर, गाजियाबाद से भी एनडीआरएफ के 100 जवान, एयरफोर्स के विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंच गए हैं, जिन्हें सोमवार को चमोली रवाना किया जाएगा। जबकि एनडीआरएफ के साठ जवानों की एक टुकड़ी पहले ही सड़क मार्ग से चमोली रवाना हो चुकी है। हादसे की वजह से रैणी गांव के पास बीआरओ का लगभग 90 मीटर लंबा पुल भी आपदा में बह गया।ऋषिगंगा पर स्थित यह पुल सीमावर्ती क्षेत्र मलारी को जोड़ता है, लेकिन इसके टूटने से फिलहाल यह क्षेत्र सड़क संपर्क मार्ग से अलग हो गया है। इसके अलावा चार अन्य झूला पुल भी बह गए। इसकी वजह से आसपास के गांवों का संपर्क भी टूट गया है। आपदा की वजह से ऋषिगंगा व धौलीगंगा के 17 गांवों का जिले से संपर्क पूरी तरह कट गया है। इनमें छह गांव ऐसे भी हैं जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते माइग्रेट कर लेते हैं। फिलहाल 11 गांवों के ग्रामीणों के सामने मुसीबतें बढ़ गई हैं।
इस बीच खबर है कि ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन के पास एक झील बन गई है। अब इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में जिलाधिकारी (डीएम) ने एहतियातन टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। वहीं अभी भी बड़ी संख्या में कर्मचारी प्रोजेक्ट के टनलों में फंसे हुए हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में एक जबकि एनटीपीसी प्रोजेक्ट की दो टनलें हैं। सीएम ने बताया कि बाढ़ से इन टनलों में लगभग 35 फीट तक गाद भर चुकी है। एनटीपीसी के एक टनल लगभग 250 मीटर लंबी है, जिसके लगभग 150 मीटर तक आईटीबीपी के जवान रोप वे बना कर प्रवेश कर चुके हैं, और देर शाम तक 12 लोगों को सकुशल निकाल चुके हैं। इनके अलावा ऋषिगंगा व एनटीपीसी प्रोजेक्ट में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी काम करते हैं। रविवार होने की वजह से ये अवकाश पर थे, जिससे जानमाल का नुकसान कम हुआ। सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि छह स्थानीय लोगों के भी लापता होने की खबर है। इनमें एक महिला भेड़-बकरियां चुगाने भी गई थी। साथ ही एनटीपीसी प्रोजेक्ट में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात चार में से दो पुलिस कर्मचरियों का भी बाढ़ आने के बाद से कोई पता नहीं चल पाया है।
हताहतों व गायबों पर CM ने साफ की तस्वीर…
महिपाल गुसांई, नवीन समाचार, जोशीमठ, 07 फरवरी 2021। उत्तराखंड में फिर केदारनाथ जैसी जल प्रलय में करीब 175 लोग गायब हैं, जबकि अब तक 7 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देर शाम पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।
देखें मुख्यमंत्री की पत्रकार वार्ता :
LIVE : चमोली में आई प्राकृतिक आपदा को लेकर प्रेसवार्ता। https://t.co/jprXHgW28x
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 7, 2021
उल्लेखनीय है कि नंदा देवी पर्वत की तलहटी के पास सुबह करीब 10 बजकर 45 मिनट पर से गौरा देवी के गांव रैणी के निकट एक बांध में ग्लेशियर के फट गया, साथ ही ऋषि गंगा प्रोजेक्ट व तपोवन में निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड परियोजना में भारी तबाही हुई। इन बांधों से पानी का जबरदस्त रिसाव हुआ। इससे तपोवन क्षेत्र में भारी तबाही की आशंका जताई गई। इसके बाद पूरे अलकनंदा घाटी में हरिद्वार तक हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। सभी लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई।
प्रधानमंत्री-गृह मंत्री रखे हैं नजर, एयरलिफ्ट करके भेज रहे एनडीआरएफ की टीमें
प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री भी उत्तराखंड में आ रही आपदा को लेकर सतर्क हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में ट्वीट करते हुए कहा है कि वह लगातार उत्तराखंड की स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं। वहीं गृह मंत्री अमित साह ने दिल्ली से एनडीआरएफ को एयरलिफ्ट करके उत्तराखंड भेजने की बात कही है।
Am constantly monitoring the unfortunate situation in Uttarakhand. India stands with Uttarakhand and the nation prays for everyone’s safety there. Have been continuously speaking to senior authorities and getting updates on NDRF deployment, rescue work and relief operations.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 7, 2021
NDRF की कुछ और टीमें दिल्ली से Airlift करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं। हम वहाँ की स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं। https://t.co/BVFZJiHiWY
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) February 7, 2021
इधर राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।
कर्णप्रयाग में आज ३ बज कर १० मिनट पर नदी में पानी की बहाव की स्थिति से साफ़ है कि बाढ़ की सम्भावना बहुत ही कम है। हमारा विशेष ध्यान सुरंगों में फँसे श्रमिकों को बचाने में है और हम सभी प्रयास कर रहे हैं। किसी भी समस्या से निपटने के सभी ज़रूरी प्रयास कर लिए गये हैं। #Uttarakhand pic.twitter.com/MrEjW4de05
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 7, 2021
बिग ब्रेकिंग : उत्तराखंड में जल प्रलय pic.twitter.com/N22zFIGBvn
— Navin Samachar @ deepskyblue-swallow-958027.hostingersite.com (@navinsamachar) February 7, 2021
मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूँ – मेरी सभी से विनती है कि कृपया कोई भी पुराने video share कर panic ना फैलाएँ। स्थिति से निपटने के सभी ज़रूरी कदम उठा लिए गए हैं । आप सभी धैर्य बनाए रखें।
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 7, 2021
आप 1905 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं https://t.co/WnpJRbcUek
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 7, 2021
राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है। pic.twitter.com/MoY3LX49rF
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) February 7, 2021
प्रशासनिक संदेश में कहा गया है, ’तपोवन रैणी’ क्षेत्र में ग्लेशियर आने के कारण ’ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट’ को काफी क्षति पहुंची है, जिससे नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस कारण अलकनंदा नदी किनारे रह रहे लोगों से अपील है जल्दी से जल्दी सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। इससे धौलीगंगा, अलकनंदा व गंगा के तपोवन, जोशीमठ, हैलंग, पीपलकोटी, मायापुर, गडोरा, चमोली, मैठाना, नंदप्रयाग, लंगासू, सौनला, कर्णप्रयाग, गौचर, घोलतिर आदि तटीय क्षेत्रों में प्रशासन ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है।
देखें विडियो :
उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से फिर केदारनाथ आपदा जैसी जल प्रलय
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार सुबह चमोली जिले में ग्लेशियर फट गया। इसके बाद मलबे और पानी का तेज बहाव धौलीगंगा की ओर बढ़ा। नतीजतन रैणी से करीब 10 किमी दूर तपोवन में धौलीगंगा नदी पर निर्माणाधीन 520 मेगावाट की विद्युत परियोजना का बैराज भी टूट गया। साथ चमोली जिले के ही अंर्तगत ऋषिगंगा नदी पर रैणी गांव में ऋषिगंगा और फिर धौलीगंगा पर निर्माणाधीन 24 मेगावाट का ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध भी टूट गया है। इससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए राज्य में चमोली से लेकर हरिद्वार तक अलर्ट जारी कर दिया गया है। जब यह हादसा हुआ, तब दोनों प्रोजेक्ट पर काफी संख्या में मजदूर कार्य कर रहे थे। बड़ी संख्या में मजदूरों के बहने की भी सूचना है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार इस घटनाक्रम पर निगरानी रखे हुए हैं। वे कुछ ही देर में घटनास्थल के लिए रवाना हो रहे हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल के अनुसा सुबह पहाड़ से भारी मलबा, हिमखंड टूटकर आने से इन हाइड्रो प्रोजेक्ट के बैराज क्षतिग्रस्त हुए। उन्होंने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए तपोवन से लेकर हरिद्वार तक के सभी जिलों में अलर्ट जारी करने के साथ ही गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। गंगा के किनारे के लगभग 100 कैंपों को खाली कराया जा रहा है। साथ ही बाढ़ के खतरे की जद में आ रही गंगा व उसकी सहायक नदियों के आसपास की बस्तियों को खाली करा दिया गया है। स्थिति पर निरंतर नजर रखी जा रही है।
तपोवन में रेस्क्यू कार्य जारी।
पुलिस प्रसाशन मोके पर। pic.twitter.com/OuQT3wEVz5
— Chamoli Police Uttarakhand (@chamolipolice) February 7, 2021
उधर, गढवाल मंडलायुक्त रविनाथ रमन के मुताबिक चमोली के डीएम और एसएसपी मौके के लिए रवाना हो गए हैं। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करते हुए लिखा है, चमोली जिले से एक आपदा का समाचार मिला है। जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं। किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है।
हरिद्वार में मेला अधिकारी दीपक रावत और जिलाधिकारी सी रविशंकर ने अलर्ट जारी किया। नदी किनारे सभी क्षेत्रों में बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी गई है। जिलाधिकारी श्री रविशंकर ने गंगा किनारे सभी क्षेत्रों को खाली करने के और खाली कराने के निर्देश जारी किए हैं। डूब क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को सुरक्षित इलाकों के स्कूल व अन्य सरकारी इमारतों में शिफ्ट किया जा रहा है। सभी गंगा घाटों को खाली करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा नदी किनारे हो रहे सभी कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। कार्य कर रहे, कर्मियों को जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं। हरिद्वार शहर को सुरक्षित रखने के लिए गंगा नहर को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश उत्तराखंड सिंचाई विभाग और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को दिए गए हैं, स्थिति पर नजदीक नजर रखी जा रही है और सभी को अलर्ट कर दिया गया है। पूरी प्रशासनिक मशीनरी इस कार्य में लग गई है। स्नान करने आए लोगों को स्नान छोड़कर गंगा घाटों को खाली करने को कहा जा रहा है।
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