सूचना-1ः आगे भविष्य में हम तकनीकी कारणों से ह्वाट्सएप ग्रुप्स या अन्य माध्यमों से ‘नवीन समाचार’ उपलब्ध नहीं करा पायेंगेे। इसलिये अभी हमारे ह्वाट्सएप चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें। 

सूचना-2: निश्चिंत रहें.. ‘नवीन समाचार’ पर लगातार आ रहे ‘पॉप अप’ वायरस नहीं बल्कि विज्ञापन हैं। इन्हें क्लिक करके देख सकते हैं।

सूचना-2: यदि आप नवीन समाचार बिना विज्ञापन के देखना चाहते हैं तो हमारी प्रीमियम सेवा लेने के लिये यहां क्लिक करें।

नैनीताल के हरदा बाबा-अमेरिका के बाबा हरिदास

1
समाचार को यहाँ क्लिक करके सुन भी सकते हैं

Baba Hari Dass - Mount Madonna Centerडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 21 अप्रैल 2023। (Harda Baba of Nainital – Baba Haridas of America) सरोवरनगरी नैनीताल का साधु-संतों से सदियों से, वस्तुतः अपनी स्थापना से ही अटूट रिस्ता रहा है। इस नगर का पौराणिक नाम ‘त्रिऋषि सरोवर’ ही इसलिये है, क्योंकि इसकी स्थापना सप्तऋषियों में गिने जाने वाले तीन ऋषियों (लंकापति रावण के पितामह महर्षि पुलस्त्य के साथ ब्रह्मा पुत्र अत्रि व पुलह) ने की थी। आगे भी यहां समय-समय पर तिगड़ी बाबा, नान्तिन बाबा, लाहिड़ी बाबा, पायलट बाबा, हैड़ाखान बाबा, सोमवारी गिरि बाबा व नीब करौरी बाबा जैसे संतों के कदम पड़ते रहे, और यह स्थान इन ‘सप्तऋषियों’ की भी तपस्थली रहा। यह भी पढ़ें : बाबा नीब करौरी, जिन्होंने नैनीताल की फल पट्टी के सेब को चख कर बना दिया दुनिया का ‘एप्पल’, बाबा व उनके कैंची धाम के बारे में पूरी जानकारी

नगर के हनुमानगढ़ी के बारे में कहा जाता है कि यहां स्थित अंजनी मंदिर में बहुत पहले कोई सिद्ध पुरुष आये थे, और उन्होंने कहा था कि एक दिन यहाँ अंजनी का पुत्र आएगा। उनकी बात 1935-38 में बाबा नींब करौरी (अपभ्रंस बाबा नीम करौली) के रूप में विख्यात हुए बाबा घनश्याम दास के चरण-पद पड़ने के साथ सत्य साबित हुई। बाबा नीब करौरी ने यूं अपने गुरु सोमबारी बाबा की तपस्थली काकड़ीघाट के निकट कैंची धाम क्षेत्र में धूनी रमाई, लेकिन नैनीताल और हनुमानगढ़ी भी उनके श्रद्धा के केंद्र रहे। यहीं हनुमानगढ़ी में संत लीला शाह ने भी तपस्या की, और यहीं एक अन्य दिव्य पुरुष का भी आविर्भाव हुआ, जिन्हें नैनीताल के पुराने लोग हरदा बाबा के नाम से जानते हैं, लेकिन वे सात समुद्र पार अमेरिका सहित पूरी दुनिया में अपने लाखों भक्तों में बाबा हरिदास और छोटे महाराजजी के रूप में अधिक विख्यात हैं। यह भी पढ़ें : धनी बनना चाहते हैं तो जानें बाबा नीब करौरी द्वारा बताए धनी बनने के तीन उपाय

अमेरिका में बाबा हरि दास undefined

undefinedहमारे हरदा बाबा और दुनिया के बाबा हरिदास (जन्म 26 मार्च 1923 – अवसान 25 सितंबर 2018) ) यानी छोटे महाराज जी अमेरिका के कैलीफोनियां स्थित माउंट मडोना सेंटर में दुनिया भर के लोगों में अष्टांग योग के साथ ही महर्षि पतंजलि के आर्युवेद, कर्म योग, राज योग, क्रिया योग, हठयोग, समाख्या, तंत्र योग, वेदांत दर्शन और संस्कृत के गुरु के रूप में विश्व प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1952 में ही हरदा बाबा ने मौन व्रत ले लिया था। वे वर्षों से मौन व्रत लिए हुए सीटी बजाकर तभा विभिन्न भाषाओं में लिखकर अपने विचार रखते रहे। बावजूद उन्हें दुनिया भर में हिंदू धर्म का प्रसार करने के लिये जाना जाता है। यह भी पढ़ें : विराट-अनुष्का सहित हजारों श्रद्धालुओं ने किए बाबा नीब करौली के दर्शन 

Baba Hari Dass Shraddha ceremonyundefinedअमेरिका में हर वर्ष वे रामायण का पाठ भी करवाते थे। वे हरिद्वार में श्री राम ऑरफॉनेज यानी अनाथाश्रम, हनुमान फेलोशिप, धर्म सार, साल्ट स्प्रिंग सेंटर वेंकुवर-अमेरिका, अष्टांग योगा सेंटर, माउंट मडोना इंस्टीट्यूट व माउंट मडोना स्कूल के संस्थापक भी रहे। मां रेनु, आनंद दास, ग्रेगरी बाटेसन, टॉम हारपर, स्टीफन लेविन, जैक कॉर्नीफील्ड, भगवान दास, रामदास, जेनी पार्वती, मिशेल टिएरा, प्रेम दास, महामंडलेश्वर स्वामी शंकरानंद व डा. वसंत लाद सहित उनके शिष्यों की लंबी श्रृंखला है। यह भी पढ़ें : बाबा नीब करौरी की कृपा से महिला विश्व चैंपियनशिप में जड़ा ऐतिहासिक ‘गोल्डन पंच’

नैनीताल में हरदा बाबा 

हरदा बाबा मूलतः अल्मोड़ा के रहने वाले थे। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की रामनवमी एवं अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार 26 मार्च 1923 को जन्मे हरदा बाबा का वास्तविक नाम हरी दत्त कर्नाटक था। 1950 के दशक में वे नैनीताल में वन विभाग में कार्यरत रहे। इस दौरान वे तल्लीताल बाजार में रहते थे। बाद में वे चीनाखान लाइन में भी रहे। यह वह दौर था जब बाबा नींब करौरी कैंची और हनुमानगढ़ी में (1952 से 1955 के बीच) मंदिरों का निर्माण कर रहे थे। यह भी पढ़ें : पाषाण देवी शक्तिपीठ: जहां घी, दूध का भोग करती हैं सिंदूर सजीं मां वैष्णवी

कहते हैं कि बाबा नीब करौरी के संपर्क में आने के बाद हरदा उनके सबसे निकटस्थ सहयोगी रहे, और उनकी देखरेख में ही कैंची में आश्रम एवं नैनीताल के हनुमानगढ़ी में मूल मंदिर (खासकर 1952 में छोटे हनुमान मंदिर का निर्माण, कहते हैं कि बाल हनुमान की मूर्ति का निर्माण हरदा ने ही किया था) एवं मंदिर के बाहर भरत मंदिरों का निर्माण हुआ था। यह भी पढ़ें : बाबा नीब करौरी ने बताये उन संकेतों को जानें, जिनसे आपके जीवन में आने वाले हैं ‘अच्छे दिन’

बताते हैं कि हरदा बाबा कैंची आश्रम में मंदिरों के निर्माण के दौरान रोज सुबह नैनीताल से पैदल कैंची जाते थे, और शाम को लौटते थे। जबकि हनुमानगढ़ी में मंदिर के निर्माण के दौरान वे वहीं रहने लगे थे। हालांकि बाद में उन्होंने किसी कारण बाबा नींब करौरी से दूरी भी बना ली थी। यहीं से अनेकों अंग्रेज श्रद्धालु उनके भक्त हो गऐ थे, और 1971 में उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गये। जहां उन्होंने कैलीफोनियां के माउंट मडोना में अपना ध्यान केंद्र-आश्रम स्थापित किया। यह भी पढ़ें : नाम के पहले अक्षर से जानें किसी भी व्यक्ति के बारे में सब कुछ

नैनीताल की यादें 

Baba Hari Dass - silent yogiनैनीताल में उनकी यादों को याद करते हुए लोगों ने बताया कि वे पैरों में जूते-चप्पल नहीं अलबत्ता कभी-कभी लकड़ी के खड़ाऊ पहनते थे। वे अविवाहित थे, किंतु बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। वे नगर के बच्चों को नैनी झील में तैरना भी सिखाते थे। वे स्वयं अन्न ग्रहण नहीं करते थे, परंतु अपनी कुटिया में बच्चों को बहुत स्नेह से भोजन कराते थे। बच्चों से इसी अगाध स्नेह के चलते आगे उन्होंने हरिद्वार में श्रीराम अनाथालाय की स्थापना की, जहां अब भी दर्जनों माता-पिता विहीन बच्चों को उनका प्यार-दुलार प्राप्त होता है, और यह आश्रम सैकड़ों अनाथ बच्चों का घर है। हरिद्वार में उन्होंने श्रीराम के नाम पर अस्पताल व स्कूल भी खोले। काम की बातें : अपने नाम में ऐसे मामूली सा बदलाव कर लाएं अपने भाग्य में चमत्कारिक बदलाव…

बचपन-युवावस्था 

Baba Hari Dass in India.jpgहरदा से जुड़े साहित्य के अनुसार वे बचपन से ही भक्ति, आस्था व श्रद्धा में रमे हुए थे। बचपन से ही वे संत सोमबारी बाबा, गुदड़ी बाबा, सूरी बाबा, खाकी बाबा, औघड़ बाबा व हैड़ाखान बाबा सहित अनेक सिद्ध योगियों की कहानियां सुनते थे। 1929 में जब से मात्र छह साल के ही थे, तभी उन्हें पिता के साथ हल्द्वानी आते हुए काकड़ीघाट में परमानंदजी महाराज भी कहे जाने वाले सोमबारी बाबा के दर्शन हो गए थे, जिनके दर्शन मात्र से उनमें आत्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। लेकिन इसके एक वर्ष के बाद ही उनके पिता का देहान्त हो गया। यह भी पढ़ें : सच्चा न्याय दिलाने वाली माता कोटगाड़ी: जहां कालिया नाग को भी मिला था अभयदान

इस दौरान वे अपनी मां से ईश्वर, आत्मा और मोक्ष पर अपनी शंकाओं का समाधान करने लगे और जल्द ही आठ वर्ष की उम्र में एक दिन उन्होंने अपनी मां से विदा ले ली, और ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया। इसी दौरान 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने कुछ विदेशी युवकों को सन्यास लेते हुए देखा और स्वयं भी हठ योग, राजयोग, सत्कर्म, मुद्रा और संस्कृत आदि की शिक्षा लेते हुए सन्यास लेने का निश्चय कर लिया। आगे 1942 में 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने वैरागी त्यागी वैष्णव परंपरा के रामानंदी संप्रदाय के बाबा रघुवर दासजी महाराज से सन्यास की दीक्षा ले ली। 1952-53 की सर्दियों में उनकी एक श्मशान घाट के पास गुफा में हैड़ाखान बाबा से मुलाकात हुई। यह भी पढ़ें : भगवान राम की नगरी के समीप माता सीता का वन ‘सीतावनी’

हरदा बाबा बताते थे कि उनका हाथ आग में चला गया था, तब हैड़ाखान बाबा ने उनका हाथ आग से हटाया था। 1952 में ही हरदा बाबा ने मौन व्रत ले लिया था। 1964 के दौरान हरदा नैनीताल में योगी भगवान दास और 1967 में साधु राम दास के संपर्क में आये, और बाद में अमेरिका चले गये। एक संदर्भ के अनुसार हरदा बाबा मंदिरों और देवी-देवताओं के निर्माण में भी प्रवीण थे। उन्होंने 1950 से 1964 के बीच कैंची आश्रम और हनुमानगढ़ी के साथ ही सोमबारी बाबा के काकड़ीघाट आश्रम में मंदिरों का निर्माण किया, और आगे फरवरी 1982 में अमेरिका के मडोना सेंटर में आग से ध्वस्त हुए भवन का जीर्णोद्धार कर अपने केंद्र की स्थापना की। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

नैनीताल में 2004 से 2008 के बीच रहे एक अन्य बाबा महा अवतारजी के बारे में यहां से जानें @ http://www.mahaavtarbabaji.org/

यह भी पढ़ें : नैनीताल-उत्तराखंड के पायलट बाबा ने प्रधानमंत्री को दो करोड़ जापानी येन की सहायता राशि भेजी

नवीन समाचार, नैनीताल, 21 अप्रैल 2020। सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु पायलट बाबा व उनकी जापानी शिष्या योगमाता काइको ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो करोड़ जापानी येन की सहायता राशि भेजी है। यह धनराशि भारतीय मुद्रा में करीब डेढ़ करोड़ डेढ़ करोड़ रुपए के बराबर बताई जा रही है। यह भी पढ़ें : नागेशं दारूका वने… ज्योर्तिलिंग जागेश्वर : यहीं से शुरू हुई थी शिवलिंग की पूजा, यहाँ होते हैं शिव के बाल स्वरुप की पूजा

जनपद के गेठिया स्थित पायलट बाबा आश्रम के प्रबंधक ज्योति प्रकाश शर्मा ने पत्रकारों को जमा की गई धनराशि की जापानी बैक की जमा पर्ची एवं पायलट बाबा एवं योगमाता काइको के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ के पुराने चित्रों के साथ यह जानकारी दी। जमा पर्ची के अनुसार यह धनराशि सोमवार की शाम प्रधानमंत्री केयर्स के भारतीय स्टेट बैंक के संसद मार्ग स्थित शाखा के खाते में जमा की गई है। इधर एक संपर्क के माध्यम से पायलट बाबा ने भी इसकी पुष्टि की है। यह भी पढ़ें : भद्रकालीः जहां वैष्णो देवी की तरह त्रि-पिंडी स्वरूप में साथ विराजती हैं माता सरस्वती, लक्ष्मी और महाकाली 

उल्लेखनीय है कि पायलट बाबा मूलतः कपिल सिंह के नाम से भारतीय वायु सेना में कमीशंड फाइटर पायलट थे। उन्होंने 1962 के भारत-चीन तथा 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में भाग लिया था। कहा कि 1962 के युद्ध में उनके द्वारा उड़ाया जा रहा मिग विमान तत्कालीन नेफा कहे जाने वाले पूर्वोत्तर भारत में संपर्क खो चुका था। तभी बकौल पायलट बाबा, उन्हें कॉकपिट में उनके आध्यात्मिक गुरु हरि बाबा के दर्शन हुए, जिसके बाद उनका जीवन एक योगी के रूप में परिवर्तित हो गया। नैनीताल जनपद के गेठिया के साथ ही उत्तराखंड के हरिद्वार व उत्तरकाशी के साथ ही सासाराम बिहार एवं जापान व नेपाल में भी उनके आश्रम हैं। यह भी पढ़ें : प्रसिद्ध वैष्णो देवी शक्तिपीठ सदृश रामायण-महाभारतकालीन द्रोणगिरि वैष्णवी शक्तिपीठ दूनागिरि

यह भी पढ़ें : राजुला-मालूशाही और उत्तराखंड की रक्तहीन क्रांति की धरती, कुमाऊं की काशी-बागेश्वर

(डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

 - 
English
 - 
en
Gujarati
 - 
gu
Kannada
 - 
kn
Marathi
 - 
mr
Nepali
 - 
ne
Punjabi
 - 
pa
Sindhi
 - 
sd
Tamil
 - 
ta
Telugu
 - 
te
Urdu
 - 
ur

माफ़ कीजियेगा, आप यहाँ से कुछ भी कॉपी नहीं कर सकते

सर्दियों के इस मौसम में जरूर जायें इन 10 स्थानों की सैर पर… इस मौसम में घूमने निकलने की सोच रहे हों तो यहां जाएं, यहां बरसात भी होती है लाजवाब नैनीताल में सिर्फ नैनी ताल नहीं, इतनी झीलें हैं, 8वीं, 9वीं, 10वीं आपने शायद ही देखी हो… नैनीताल आयें तो जरूर देखें उत्तराखंड की एक बेटी बनेंगी सुपरस्टार की दुल्हन उत्तराखंड के आज 9 जून 2023 के ‘नवीन समाचार’ बाबा नीब करौरी के बारे में यह जान लें, निश्चित ही बरसेगी कृपा नैनीताल के चुनिंदा होटल्स, जहां आप जरूर ठहरना चाहेंगे… नैनीताल आयें तो इन 10 स्वादों को लेना न भूलें बालासोर का दु:खद ट्रेन हादसा तस्वीरों में नैनीताल आयें तो क्या जरूर खरीदें.. उत्तराखंड की बेटी उर्वशी रौतेला ने मुंबई में खरीदा 190 करोड़ का लक्जरी बंगला नैनीताल : दिल के सबसे करीब, सचमुच धरती पर प्रकृति का स्वर्ग कौन हैं रीवा जिन्होंने आईपीएल के फाइनल मैच के बाद भारतीय क्रिकेटर के पैर छुवे, और गले लगाया… चर्चा में भारतीय अभिनेत्री रश्मिका मंदाना
%d bloggers like this: