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November 8, 2024

चिंताजनक (1Naini Lake) : शीतकालीन वर्षा न होने से जनवरी माह में भी दिखने लगे नैनी झील किनारे डेल्टा

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Naini Lake

Meteorological Department issued Alert

नवीन समाचार, नैनीताल, 31 जनवरी 2024। बीते पांच माह से व खासकर शीतकालीन वर्षा नहीं होने से विश्व प्रसिद्ध नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर तेजी से गिर रहा है। बताया जा रहा है कि झील का जलस्तर हर रोज आधा से एक इंच तक घट रहा है। फलस्वरूप बीते वर्ष 10 सितंबर को 12 फीट रहा झील का जल स्तर करीब साढ़े चार माह में 5 फिट से अधिक घट कर 31 जनवरी तक 6 फीट साढ़े चार इंच के स्तर पर आ गया है।

(Naini Lake) शीतकालीन बारिश न होने से जनवरी माह में भी दिखने लगे नैनी झील किनारे डेल्टा  - हिन्दुस्थान समाचारउल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आज की तिथि में झील (Naini Lake) का जल स्तर 6 फिट 11 इंच यानी इस वर्ष के मुकाबले आधे फिट से अधिक था। यह तब है, जबकि झील से कमोबेश पिछले वर्ष जितना ही जल स्तर का पीने व अन्य कार्यों के लिये दोहन किया जा रहा है।

(Naini Lake) जनवरी माह में ही 5 फिट नीचे गिरकर 7 फिट से नीचे आ गया है नैनी झील का जल स्तरझील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर सामान्य दिनों में आधा इंच और छुट्टी वाले दिनों में एक इंच तक यानी औसतन पौना इंच प्रतिदिन गिर रहा है। ऐसे में माना जा सकता है कि यदि आगे भी शीतकालीन वर्षा नहीं होती है तो अगले करीब 100 दिनों में यानी मई माह के पहले पखवाड़े में ही (Naini Lake) झील का जल स्तर शून्य पर आ सकता है और इससे पहले ही झील के किनारे डेल्टा नजर आ सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि नैनी झील (Naini Lake) पूरी तरह से वर्षा पर आधारित प्राकृतिक झील है। झील सीधे वर्षा व बर्फबारी के जल से 60 प्रतिशत व भूमिगत जल से 40 प्रतिशत तक रिचार्ज होती है। खासकर शीतकालीन वर्षा व बर्फबारी नैनी झील का जलस्तर गर्मियों के मौसम तक बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसा न होने पर आगे नगरवासियों एवं सैलानियों को पेयजल आपूर्ति में अधिक कटौती सहित अन्य दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। देखें महिलाओं का नाले में मलबा डालने का वीडियो:

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यह भी पढ़ें : Naini Lake : भारी बारिश के बाद लबालब हुई नैनी झील (Naini Lake) , 1.5 फिट खोलने पड़े सारे गेट, नहीं हुई तो धूप के दिन होने वाली छुट्टी…

नवीन समाचार, नैनीताल, 7 अगस्त 2023 (Naini Lake)। नैनीताल जनपद के सभी क्षेत्रों के साथ खासकर नैनीताल और हल्द्वानी में बीते 24 घंटों में जमकर बारिश हुई है। नैनीताल में 71 मिलीमीटर तो हल्द्वानी में 68 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई है। इस कारण रविवार तक बमुश्किल 10 फिट 5 इंच के स्तर तक पहुंची नैनी झील (Naini Lake) आज रात्रि में हुई वर्षा से 7 इंच बढ़कर 11 फिट के स्तर को पार कर गई। 

Naini Lake नैनी झील का जल स्तरझील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके बाद खतरे की आशंका को देखते हुए झील के सभी पुराने गेट पूरे यानी 10 इंच और स्काडा के दोनों गेट पूरे 18 इंच यानी डेढ़ फिट तक खोलने पड़ गए। इससे नैनी झील (Naini Lake) वर्ष भर बाद रिफ्रेश हो रही है। इस दौरान नगर में कई लोगों व दुकानों के घरों में बारिश का पानी और नालियों का मलबा घुस गया। देखें वीडियो:

कालाढुंगी रोड पर भूस्खलन-पेड़ गिरा

इसके अलावा नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है। इसी कड़ी में कालाढुंगी रोड पर नारायण नगर में हिमालयन बॉटनिकल गार्डन के पास सड़क का करीब 30 फिट लंबा हिस्सा धंस गया है, जबकि बारापत्थर में घोड़ा स्टेंड के पास पहाड़ी से एक पेड़ भूस्खलन के साथ सड़क पर गिर गया। पेड़ को सड़क से हटाकर यातायात सुचारू कर दिया गया है।

भीगकर स्कूल पहुंचे बच्चे

वहीं मूसलाधर बारिश के बीच लोग आज स्कूलों में छुट्टी की उम्मीद कर रहे थे। इस बारे में प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सूचना भी दी गई, लेकिन छुट्टी घोषित नहीं हुई। ऐसे में बच्चे भीगते हुए विद्यालय पहुंचे और अनेक लोग यह कहते भी सुने गए कि आज धूप नहीं निकली, शायद इसलिए छुट्टी घोषित नहीं की गई। क्योंकि बारिश के दिन नहीं बल्कि अगले दिन छुट्टी घोषित की जाती है जबकि अगले दिन धूप निकल रही होती है।

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यह भी पढ़ें : खुशखबरी Naini Lake: बिन वर्षा के लबालब भरी नैनी झील (Naini Lake) , गेट खोलने की नौबत

नवीन समाचार, नैनीताल, 16 अक्तूबर 2022 (Naini Lake)। बीते सप्ताह चार दिन तक हुई लगातार बारिश के रुकने के बावजूद नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर बढ़ता जा रहा है, और रविवार को यह इस वर्ष में दूसरी बार 12 फिट के स्तर पर पहुंच गया है, और रविवार को बिना वर्षा भी नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर मापने का पैमाना पानी में डूब गया है। यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: हल्द्वानी के 2 स्पा सेंटरों से मुक्त कराई गईं 10 युवतियां देखें वीडियो:

बताया गया है कि अभी भी जबकि नगर में पूरे दिन धूप खिल रही है, फिर भी प्रतिदिन आधा इंच तक जल स्तर बढ़ रहा है। ऐसे में झील नियंत्रण कक्ष एवं सिचाई विभाग का उम्मीद है कि जल स्तर के बढ़ने की गति अगले कुछ दिनों में गिरेगी और 12 फिट के बाद आधा-एक इंच तक जल स्तर बढ़ने पर भी इसे संभाल लिया जाएगा। लेकिन इससे अधिक जल स्तर बढ़ता है तो झील के गेट पहली बार बिन बारिश के भी खोले जा सकते है। यह भी पढ़ें : सड़क पर खड़ी किसी अन्य की कार में नग्नावस्था में मृत मिला अज्ञात व्यक्ति ! 

झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि इससे पूर्व 13 अक्टूबर को नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर 12 फिट के उच्चतम स्तर तक पहुंचा था, तब झील के गेट खोले गए थे। लेकिन तब बारिश हो रही थी। किंतु अब बारिश न होने के बावजूद जल स्तर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक 1693.40 मिमी बारिश हुई है। यह भी पढ़ें : दीपावली पर उत्तराखंड में आधा दर्जन स्थानों को बम धमाकों से दहलाने की साजिश ! 

वहीं सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल कुमार वर्मा ने कहा यदि पानी का दबाव बढ़ता तो झील का जल स्तर 12 फिट पर स्थिर रखते हुए झील के गेट खोले जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 18 अक्टूबर के आसपास हुई भारी बारिश के बाद झील के गेट पूरे खोलने के बावजूद सड़क पर पानी आ गया था और घरों-दुकानों में लोगों के फंसने के बाद सेना की मदद लेनी पड़ी थी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Naini Lake): पहाड़ ‘सतझड़’ की ओर ! झील के पूरे गेट खोलने के बाद भी बढ़ रहा जल स्तर, गौला व कोसी नदियां चेतावनी के स्तर पर, जिले के 62 मार्ग बंद…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अक्तूबर 2022 (Naini Lake)। पिछले सप्ताह मानसून के करीब-करीब विदाई तक बारिश-पानी के लिए तरसता नैनीताल और इसकी विश्व प्रसिद्ध नैनी झील (Naini Lake) अब पानी से तरबतर व लबालब हो गए हैं। नगर में शुक्रवार रात्रि 10 बजे से यानी चार दिनों से लगातार बारिश हो रही है और पहाड़ पुराने दौर में लगातार सात दिनों तक होने वाली ‘सतझड़’ वर्षा की ओर जाते नजर आ रह हैं।

बारिश की वजह से नैनीताल में स्थिति यह है कि नैनी झील (Naini Lake) के चारों गेट स्काडा सिस्टम के माध्यम से पूरे यानी 18 इंच खोल दिए हैं। इनसे प्रति सेकेंड 150 क्यूसेक पानी बलियानाला से होते हुए नैनी झील (Naini Lake) से निकल रहा है, फिर भी कल 11 फिट तीन इंच रहा झील का जल स्तर बढ़कर 11 फिट आठ इंच हो गया है। इधर मौसम विभाग ने सोमवार सुबह आठ बजे एक बार फिर प्रदेश के नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, गढ़वाल व पिथौरागढ़ जिलों में अगले तीन घंटों के लिए भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है।

देखें आज का विडियो : 

गौरतलब है कि यदि बारिश और तेज हुई तो इसे संभालने का और कोई प्रबंध नहीं है। ऐसे में यदि झील का जल स्तर और करीब 10 इंच बढ़ता है यानी 12 फिट 6 इंच तक हो जाता है तो झील का पानी फिर सड़क तक आ सकता है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी। झील नियंत्रण कक्ष में प्रभारी सुपरवाइजर रमेश गैड़ा की अगुवाई में सिचाई विभाग के लोग इन स्थितियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। नगर में बारिश की वजह से मॉल रोड पर जगह-जगह सीवर लाइन उफन रही है। नाले भी पूरे जोर पर हैं।

इधर जनपद के आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह आठ बजे तक बीते 24 घंटों में नैनीताल में सर्वाधिक 136 मिमी, हल्द्वानी में 115, कोश्या कुटौली में 114, धारी में 115, बेतालघाट में 65, रामनगर में 35, कालाढुंगी में 39 व मुक्तेश्वर में 91.3 और इस प्रकार से जनपद में औसतन 88.3 जबकि इस वर्ष अब तक 1149.8 मिमी बारिश हुई है। बारिश के प्रभाव से जनपद में गौला नदी का जल स्तर 22750, कोसी का 32052 व नंधौर नदी का 2095 क्यूसेक पर पहुंच गया है।

उल्लेखनीय है कि गौला व कोसी नदी में चेतावनी और खतरे का स्तर 10 हजार क्यूसेक व 60 हजार क्यूसेक का है। इस प्रकार गौला व कोसी दोनों नदियों का जल स्तर चेतावनी के स्तर पर पहुंच गया है।

बारिश की वजह से जनपद के 1 राष्ट्रीय राजमार्ग ज्योलीकोट-खैरना-क्वारब, 6 राज्य मार्ग रामनगर-तल्ली सेठी, गर्जिया-बेतालघाट, काठगोदाम-सिमलिया बैंड, धानाचूली-ओखलकांडा-खनन्यू, रामनगर-भंडारपानी-जहना-रीची व गर्जिया-बेतालघाट-ओड़ाखान तथा दो मुख्य जिला मार्ग अंबेडकर-रिखोली व भुजान बेतालघाट एवं 53 ग्रामीण मार्गों सहित कुल 62 मार्ग बंद हो गए हैं।

(Naini Lake) अलबत्ता, अच्छी बात यह है कि बीते 24 घंटों में किसी भी पशु, भवन या जन हानि व फसलों की हानि के साथ किसी के घायल होने की भी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र को कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। अलबत्ता, जनपद में ओखलकांडा के कालागढ़, भीमताल, तल्लीताल, मेहरागांव, गरमपानी व सुयालबाड़ी में आंशिक रूप से बिजली की आपूर्ति बाधित है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: नैनी झील (Naini Lake) लबालब भरी, झील के गेट खोले

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अक्तूबर 2022। बरसात के मौसम के करीब-करीब सूखे बीतने और अब मानसून के लौटने के दौर में हुई पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश से नैनी झील (Naini Lake) आखिर लबालब भर गई है। इसके बाद भी अगले तीन दिन बारिश होते रहने की संभावना है। इस कारण रविवार को नैनी झील (Naini Lake) के गेट तय मानक 12 फिट से करीब 9 इंच पहले ही 11 फिट 3 इंच का जल स्तर होने पर अपराह्न एक बजकर 35 मिनट पर खोल दिए गए हैं। 

झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी सुपरवाइजर रमेश गैड़ा ने बताया कि अपराह्न में एसडीएम राहुल शाह एवं विभागीय अधिकारियों ने नैनी झील (Naini Lake) का निरीक्षण करने के उपरांत, आगे भी बारिश के जारी रहने की संभावना को देखते हुए 11 फिट तीन इंच के जल स्तर पर एक बजकर 35 मिनट पर झील के गेट खोलने का फैसला लिया। फिलहाल एक इंच गेट खोले गए हैं। देखें विडियो :

झील के गेटों को जल्दी खोले जाने का कारण पिछले वर्ष का अनुभव भी रहा है, जब झील 18 अक्टूबर के आसपास हुई इसी तरह की बारिश के कारण ओवरफ्लो हो गई थी। इसलिए इस वर्ष ऐसे हालातों से बचने के लिए पहले ही झील के गेट खोल दिए गए हैं।

यह भी माना जा रहा है कि यदि बारिश तत्काल रुक भी जाती है, तब भी चूंकि नैनी झील (Naini Lake) के जलागम क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज हो गए हैं, इसलिए उनसे भी झील का जल स्तर तीन से चार इंच बढ़ सकता है।

गौरतलब है कि झील के गेट खोले जाने से नैनी झील (Naini Lake) का पानी बदलाव भी होता है। इसे वर्ष भर पानी को स्थिर व एकत्र रखने वाली झील के पारिस्थितिकीय संतुलन व स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद लाभदायक माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि सरोवरनगरी नैनीताल सहित सभी निकटवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में बृहस्पतिवार रात्रि करीब 10 बजे से बारिश का सिलसिला करीब 65 घंटों से जारी है। बारिश की वजह से नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर जो 6 अक्टूबर को 10 डेढ़ इंच था, वह 7 अक्टूबर को 10 फिट 2 इंच व 8 को 10 साढ़े तीन होने के बाद आज 9 अक्टूबर को सुबह आठ बजे तक 11 फिट 1 इंच और अपराह्न एक बजे तक 11 फिट 3 इंच हो गया। यानी जल स्तर में पिछले दो दिनों में 11 इंच की बढ़ोत्तरी हुई है,

हालांकि यह अभी भी अक्टूबर माह के तय मानक 12 फिट से 11 इंच कम है। जबकि बारिश की बात करें तो मुख्यालय में कल 26 मिमी और आज 103 मिलीमीटर बारिश हुई है, और अब तक इस वर्ष यानी 2022 में कुल 1525 मिमी बारिश ही हुई है, जो नगर की औसत वर्षा 2500-3000 मिमी से अभी भी करीब आधी ही है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : पूरे दिन बिना रुके हुई बारिश, 10 घंटों में साढ़े तीन इंच बढ़ा नैनी झील (Naini Lake) का जल स्तर…

नवीन समाचार, नैनीताल, 8 अक्तूबर 2022। सरोवरनगरी में शुक्रवार रात्रि करीब 10 बजे से बारिश का सिलसिला शुरू हुआ था, जो करीब 20 घंटो के बाद भी जारी है। बारिश से बरसात के मौसम में भी पानी के लिए तरसती रही नैनी झील (Naini Lake) को राहत मिली है।

(Naini Lake) बारिश की वजह से शनिवार सुबह आठ बजे 10 फिट साढ़े तीन इंच रहा झील का जल स्तर शाम छह बजे तक यानी करीब 10 घंटों में करीब साढ़े तीन इंच बढ़कर 10 फिट सात इंच पर पहुंच गया है। सुबह आठ बजे तक बीते 24 घंटो में 26 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : अचानक काले रंग में रंगा नजर आया नैनी झील (Naini Lake) का एक बड़ा हिस्सा

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 सितंबर 2022। विश्व प्रसिद्ध नैनी झील (Naini Lake) का मल्लीताल-बैंड स्टेंड के पास का बड़ा हिस्सा बुधवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे से एक घंटे से अधिक समय तक गहरे काले रंग में नजर आया, इस पर पहले तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं।

(Naini Lake) बाद में खोजबीन करने पर पता चला कि झील के पास ही स्थित जल संस्थान के पंप हाउस की ओर से झील में काला पानी आया, जिसकी वजह से झील के बड़े हिस्से का पानी काला हो गया। इससे झील के प्रदूषित होने की चिंता भी उभर आई।

इस बारे में पूछे जाने पर उत्तराखंड जल संस्थान के सहायक अभियंता डीएस बिष्ट ने बताया कि बिड़ला की ओर पानी ले जाने वाली पानी की ‘राइजिंग मेन यानी मुख्य लाइन में कुछ खराबी होने पर झील के करीब स्थित पंप हाउस में वेल्डिंग की जा रही थी। इसके बाद लाइन को साफ करना पड़ता है। इससे ही यह कार्बन एवं पाइप लाइन की जंग युक्त पानी झील में गया होगा। अलबत्ता, उन्होंने दावा किया कि इससे झील में कोई प्रदूषण नहीं हुआ होगा। थोड़ी देर में काला पानी झील में बैठ जाएगा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनी झील में लगातार बूढ़ी होकर मर रहीं मछलियां…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 अगस्त 2022। नैनी झील में झील की प्राकृतिक तरीके से सफाई के उद्देश्य से समय-समय पर डाली जाने वाली एवं पिछले कई दशकों से यहां पल रहीं मछलियां अब बूढ़ी हो रही हैं एवं प्रशासन की ओर से इन्हें निकाले जाने की कोई व्यवस्था न होने के कारण लगातार मर रही हैं।

(Naini Lake) नैनी झील में स्वयं सेवक के तौर पर सफाई का कार्य करने वाले पर्यावरण प्रेमी यशपाल रावत व उनकी संस्था नासा के लोग लगातार लगातार और हर रोज 25 से 35 किलोग्राम तक वजन की करीब आधा दर्जन मरी हुई मछलियों को रोज निकाल रहे हैं।

रविवार को भी ऐसी चार मछलियां नगर के ठंडी सड़क की ओर से नैनी झील से निकाली गईं। मर रही मछलियों में बिग हेड प्रजाति की अवांछित प्रजाति की बताई जाने वाली मछलियां अधिक हैं। इन मछलियांे की पहचान नैनी झील के किनारे लोगों द्वारा ब्रेड व बंद आदि खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए भी होती है। नैनी झील के प्रति चिंतित पूर्व सभासद प्रकाश बिष्ट ने इन मरी हुई मछलियों की वजह से नैनी झील के दूषित-प्रदूषित होने का खतरा बताते हुए इन्हें यथाशीघ्र झील से निकाले जाने की आवश्यकता जताई।

इस बारे में पूछे जाने पर जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि गत दिवस डीएम नैनीताल धीराज गर्ब्याल ने इन मछलियों को निकालने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग को अधिकृत कर दिया है। वह ही देखेंगे कि किस प्रजाति की और कितनी मछलियां निकाली जाएंगी। इस आधार पर ही अवांदित व उम्रदराज मछलियों को बाहर निकालेंगे।

गौरतलब है कि नैनी झील को नैना देवी से संबंधित एवं पवित्र मानते हुए कुछ इक्का-दुक्का अवांछित तत्वों द्वारा चोरी-छिपे नैनी झील से मछलियों को निकाले जाने के अलावा नगर के मछलियों के शौकीन मांसाहारी लोग भी यहां की मछलियों को न ही मारते हैं, और न ही खाते हैं।

(Naini Lake) बल्कि इन्हें धार्मिक आस्था व मनोरंजन जैसे अन्य कारणों से प्रतिबंधित होने के बावजूद ब्रेड व बंद खिलाने वालों की कमी नहीं है। इस अवांछित भोजन को भी मछलियों के बड़ी संख्या में मरने का एक कारण बताया जाता है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनी झील की धमनियों को चोक कर रहा प्रतिवर्ष आ रहा हजारों क्यूबिक मीटर मलबा, घट रही झील की गहराई

-नालों से पिछले एक वर्ष में 3630 क्यूबिक मीटर मलबा नैनी झील में समाने के लिए आया
-सिंचाई विभाग ने निकाला
20 मीटर गाद भर गई है नैनी झील में... पानी है सिर्फ़ 25 मीटर – there is 20  meters silt in Naini lake… now only 25 meter water has in it – News18 हिंदीडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 अगस्त 2022। कमजोर भूस्थानिक परिस्थितियों वाली सरोवरनगरी नैनीताल में होने वाले भूस्खलनों को रोकने के लिए यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध नैनी झील के जलागम क्षेत्र के पूरे पानी को व्यवस्थित तरीके से नीचे लाने के लिए अंग्रेजों ने नाला व्यवस्था बनाई थी।

वर्ष 1880 में नगर में हुए सबसे बड़े 143 लोगों की जान लेने वाले भूस्खलन के बाद 62 नालों का निर्माण किया गया था। इनमें से 59 नाले आज भी मौजूद हैं। कुल 39 किमी लंबाई के इन नालों में से 44 नाले नैनी झील के जलागम क्षेत्र में, 7 सूखाताल के जलागम क्षेत्र में, 2 बलियानाला के जलागम क्षेत्र में और 6 बिड़ला पहाड़ी से पीछे शिप्रा नदी की ओर स्थित हैं। इन नालों को नैनी झील की धमनियां भी कहा जाता है।

लेकिन यह नाले नैनी झील में पानी लाने की अपनी जिम्मेदारी से इतर नैनी झील में मलबा व अन्य गंदगी लाने का माध्यम भी बन गए है। सिंचाई विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसा बीते एक वर्ष में इन नालों से 726 ट्रक यानी प्रति ट्रक औसतन 5 क्यूबिक मीटर के हिसाब से कुल 3630 क्यूबिक मीटर निष्प्रयोज्य निर्माण सामग्री के साथ मिश्रित रेता, बजरी, मिट्टी आदि निकाली गई है।

इस मलबे को पिछले वर्षों में नहीं निकाला गया। इस कारण नैनी झील की गहराई लगातार घटती रही है। वर्ष 2018 में सिंचाई विभाग की ओर से अधिकृत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी देहरादून ने झील की गहराई का परीक्षण किया था। उनके आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में झील की गहराई 16.90 मीटर मिली, जबकि यह 1989 में 18.52 मीटर थी।

(Naini Lake) यानी तीन दशक में झील की औसत गहराई में 1.62 मीटर की कमी आई। अब इस समस्या के समाधान के लिए नालों से लगातार मलबा निकालने का कार्य किया जा रहा है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनी झील में डाली गई ‘स्पोर्ट्स फिश’ के 60 हजार बीज

Screenshot 2022 07 23 17 42 44 66 7ecc343528d84aae1423bfb8eca3bd44नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जुलाई 2022। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध नैनी झील में आज शीतजलीय मत्स्यकी अनुसंधान निदेशालय और जिला प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल और शीतजलीय मत्स्यकी अनुसंधान निदेशालय के निदेशक पीके पांडे ने मल्लीताल बोट हाउस क्लब से एंगलिंग और स्पोर्ट्स फिश के नाम से मशहूर महाशीर मछली के 6000 बीज डाले गए।

बताया गया कि नैनी झील की गुणवत्ता परखने के लिए पूर्व में डाली गई महाशीर मछलियों के यहां के पनपने के बाद जिला प्रशासन ने आज महाशीर संरक्षण एवं संवर्धन अभियान के अंतर्गत यह पहल की।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में जिला प्रशासन ने नैनी झील में इसके जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर करने हुए पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के साथ मिलकर जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए लाभदायक ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प और महाशीर के एक लाख साठ हजार बीज डाले थे, जबकि गंबूशिया, पुंटियस और बिग हैड जैसी हानिकारक मछलियों को निकाला था। बताया गया कि झील में मत्स्य आखेट एवं ‘एंगलिंग’ के खेल की संभावनाओं के लिए भी प्रयास किये जाएंगे।

इस दौरान शीतजलीय मत्स्यकी अनुसंधान निदेशालय के निदेशक ने बताया कि कॉमन कार्प प्रजातियों की मछलियों से झील को नुकसान हो सकता है। नैनी झील में वर्तमान में 67 प्रतिशत मछलियों को झील के भविष्य को देखते हुए तत्काल निकालने की आवश्यकता है। इस पर डीएम गर्ब्याल ने कहा कि कॉमन कार्प मछलियों को सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। जनपद की अन्य झीलों में भी चरणबद्व रूप से महाशीर मछलियों को डाला जायेगा। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : एक वर्ष बाद ‘रिफ्रेश’ हुई नैनी झील, खोले गए झील के गेट

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 अगस्त 2021। उत्तराखंड की नैनीताल स्थित विश्व प्रसिद्ध नैनी झील का जल स्तर 12 फिट यानी अपने उच्चतम स्तर तक चढ गया है। इसके बाद झील के गेट खोल दिए गए हैं। झील को नियंत्रण करने वाले सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान के अनुसार झील का जल स्तर 12 फिट बनाए रखते हुए झील के गेटों झील का जल स्तर 12 फिट रखते हुए जितना जरूरी हो रहा है, उतना खोला जा रहा है। फिलहाल करीब एक इंच के आसपास गेट खोले गए हैं। देखें विडियो : 

उन्होंने बताया कि गेटों को खोलने के लिए मैन्युअल व हाइड्रॉलिक प्रणाली के साथ पिछले वर्ष इलेक्ट्रॉनिक स्काडा प्रणाली भी लगाई गई है। जिससे झील के गेटों को जल स्तर 12 फिट रखते हुए जितना जरूरी होता है, उतना खोला जाता है।

उल्लेखनीय है कि नैनी झील जैसी किसी प्राकृतिक व बारिश के पानी को संग्रहीत करने वाली जल राशि के लिए पानी का निकलना यानी पानी बदलाव होना या रिफ्रेश होना अच्छा माना जाता है, और जरूरी भी होता है। इससे झील का पुराना पानी निकलता है, और नया पानी भरता है। इससे झील के पानी पर ही पेयजल के लिए निर्भर नगरवासियों को भी स्वच्छ पानी उपलब्ध हो पाता है। इसलिए झील के गेट खोलने को झील के पर्यावरणीय स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छा माना जा रहा है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 1 अगस्त से करीब 4-5 दिन गेट खोले गए थे। इस प्रकार करीब एक वर्ष बाद झील के गेट खोले जा रहे हैं।

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 02 जुलाई 2021। नैनी सरोवर सरोवरनगरी का हृदय स्थल है। नगर का पूरा जनजीवन व आर्थिकी नैनी झील पर ही निर्भर है। नैनी झील न होती तो पता नहीं यह नगर भी होता अथवा नहीं। नैनी झील की वजह से न केवल नगर वासियों को पीने को पानी मिलता है, वरन नगर की बड़ी आबादी का चूल्हा भी नैनी झील की वजह से ही जलता है। लेकिन इसके बावजूद नगर के ही कुछ लोग हैं जो नैनी झील को दूषित करने, इसमें मलबा भरने से बाज नहीं आते।

नगर में पानी लाने के लिए बनाए गए न नैनी झील की धमनियां कहे जाने वाले नालों को लोगों को झील में कूड़ा-मलबा भरने का माध्यम बना लिया है। इसके लिए बारिश का इंतजार किया जाता है। बारिश होते ही मलबात नालों के जरिये झील में डाल दिया जाता है। इससे झील की जलधारण क्षमता घट जाती है और झील जल्दी भरने के साथ ही जल्दी खाली भी हो जाती है।
देखें महिलाओं का नाले में मलबा डालने का वीडियो:

अब तक झील में मलबा डालने वाले देखे नहीं जाते थे, क्योंकि वे ऐसा करते हुए किसी सूचना माध्यम की पकड़ में नहीं आते थे, लेकिन अब हर हाथ में मोबाइल जैसे सस्ते इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के आने से ऐसे लोगों को पकड़ा जाना आसान हो गया है। शुक्रवार को संभवतया पहली बार दो महिलाएं नाले में मलबा डालते हुए कैमरे में कैद हुए हैं।

नगर में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दो महिलाएं आज हुई तेज बारिश के बीच मेट्रोपोल नाले में मलबा डालती हुई बताई जा रही हैं। आगे देखने वाली बात होगी कि शासन-प्रशासन उनके खिलाफ कैसी सख्त कार्रवाई करता है, जो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मिसाल बने, अथवा हल्की चालानी कार्रवाई से ही अधिकारी अपने कर्तव्यों की इतिश्री करते हैं, अथवा इस वीडियो को ही जांच के नाम पर नजर अंदाज करने की कोशिश करते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : नैनी झील के डांठ होंगे ऑनलाइन व ऑटोमैटिक…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 जून 2021। विश्व प्रसिद्ध नैनीताल की पहचान नैनीझील के जल की जल की गुणवत्ता की जांच करने के प्रबंध करने के बाद अब झील के जल स्तर को नियंत्रित करने व जल के बरसात के मौसम में निर्धारित पैमाने से अधिक बढ़ जाने पर डांठ यानी गेट खोलने की व्यवस्था जल्द बदलने जा रही है।

झील में गेटो को खोलने की प्रक्रिया को ऑनलाइन व ऑटोमैटिक किया जा रहा है। इस हेतु सिंचाई विभाग द्वारा लगभग एक करोड़ रुपये के बजट से दो नये इलेक्ट्रॉनिक गेटों को लगाने की तैयारियां की जा रही हैं। गेट लगाने का काम काफी हद तक पूरा कर लिया गया है। बचे कार्य को सम्भवतया 15 जून तक पूरा कर लिया जायेगा।

मालूम हो कि नैनीझील में बरसात के दौरान होने वाले पानी के ओवरफ्लो को देखते हुए ब्रिटिश कालीन गेटों के स्थान पर अब नए गेट लगाने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा पूर्व में एक करोड़ रुपये से अधिक का लागत का प्रस्ताव तैयार किया गया था। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीश चंद्र सिंह भारती ने बताया कि झील के निकासी द्वार के पास ही दो नए इलेक्ट्रॉनिक गेट लगाने का काम अब लगभग पूरा हो चुका है।

नई व्यवस्था पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम पर आधारित है। जो बरसात के दिनों में झील का पानी ओवरफ्लो होने पर इंटरनेट सिस्टम से स्वतः ही खुलने व बन्द होने का काम करेंगे। विभाग द्वारा झील के गेटों को लगाने का कार्य निर्धारित समय में पूरा कर लिया गया है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें : चिंताजनक : नैनी झील के चारों ओर नजर आने लगे डेल्टा, मुख्य तात्कालिक कारण यह रहा, तात्कालिक उपाय निष्प्रभावी

-पिछले 6 माह में सिर्फ 61.5 मिमी बारिश, पेयजल आपूर्ति आधी कर दिए जाने से भी नहीं सुधर रहे हालात
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 09 अप्रैल 2021। विश्वप्रसिद्ध पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल की जीवनदायिनी नैनी झील का जलस्तर चिंताजनक स्तर तक नीचे गिर गया है। स्थिति यह हो गई है कि अप्रैल माह की शुरुआत में ही झील के चारों ओर पानी ने सतह छोड़ दी है और चारों ओर खाली जमीन के डेल्टा नजर नजर आ रहे हैं। ऐसा इसलिए कि झील का जल स्तर तय पैमाने पर मात्र 1.35 फिट रह गया है।

उल्लेखनीय है कि अगस्त माह में झील का जल स्तर करीब 11 फिट था यानी पिछले करीब छः माह में झील का जल स्तर 9.5 फिट यानी हर रोज आधे इंच से अधिक की दर से गिर रहा है। यह तब है, जबकि झील से नगरवासियों के पेयजल एवं अन्य कार्यों के लिए पानी लिए जाने की मात्र पिछले वर्षों के मुकाबले आधी से भी कम हो गई है। ऐसी स्थिति पर दीर्घकालीन कारणों की चिंता हम पहले भी कई बार कर चुके हैं, लेकिन आज सिर्फ तात्कालिक कारणों की बात करेंग।

इस स्थिति का स्पष्ट तात्कालिक कारण पिछले 6 माह में पानी का नहीं बरसना है। आंकड़ों के अनुसार पिछले छह माह में नगर में केवल 61.5 मिमी बारिश ही हुई है, जबकि इससे अधिक वर्षा तो कई बार बरसात के दिन में कुछ घंटों में ही हो जाती है।

नगर में पेयजल आपूर्ति करने वाले उत्तराखंड जल संस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर में वर्ष 2017 एवं उससे पहले 16 एमएलडी यानी 16 मीट्रिक लीटर प्रति दिन पानी की आपूर्ति होती थी। 2017 के बाद नैनी झील से लिए जाने वाले पानी की मात्रा में 50 फीसद तक की कटौती कर दी गई।

(Naini Lake) पिछले वर्ष 2020 तक नगर में 8 एमएलडी एवं ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में पानी की किल्लत होने पर सप्ताहांत यानी शनिवार व रविवार को 9 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, किंतु इस वर्ष झील में पेयजल की अधिक बुरी स्थिति को देखते हुए केवल 7 एमएलडी यानी प्रतिदिन दो से ढाई घंटे ही पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।

यह कटौती भी झील के जल स्तर को गिरने से रोक नहीं पा रही है। इसका कारण पिछले छह माह में हुई बारिश के आंकड़ों में स्पष्ट दिखता है। नगर में सितंबर 2020 में 12 मिमी, अक्टूबर व नवंबर में शून्य मिमी, दिसंबर में मात्र 2.5 मिमी बारिश व 7 मिमी बर्फबारी, जनवरी में 42 मिमी व फरवरी में 5 मिमी यानी कुल 61.5 मिमी बारिश व 7 मिमी बर्फबारी ही हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अधिक खराब, सिंचाई पूरी तरह ठप, पेयजल के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हुए ग्रामीण
नैनीताल। शीतकालीन वर्षा न होने से ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति शहरी क्षेत्रों से भी कहीं अधिक खराब हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जनपद के पर्वतीय क्षेत्रों में खेतों में सिंचाई पूरी तरह ठप हो गई और लोग पेयजल के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हो गए हैं। प्राकृतिक जल स्रोतों में भी 25 फीसद ही पानी रह गया है।

(Naini Lake) इन स्थितियों मंे जल संस्थान केंद्र व राज्य सरकार की ‘घर घर में नल व हर नल में जल’ नाम की अपनी योजना के बावजूद अनेक क्षेत्रों में रोस्टर के आधार पर एक दिन छोड़कर पेयजल की आपूर्ति कर पा रहा है। इन स्थितियों में पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि, फलोद्यान एवं बागवानी पर भी बुरा प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है।

यह भी पढ़ें : बरसात के बाद गत वर्ष के मुकाबले दो फिट अधिक गिरा नैनी झील का जल स्तर

नवीन समाचार, नैनीताल, 07 जनवरी 2020। विश्व प्रसिद्ध नैनी झील के जल स्तर में तेजी से कमी आ रही है। इससे नगर के पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं। जल स्तर के घटने की दर गत वर्ष से अधिक है। झील का जल स्तर बृहस्पतिवार को पांच फिट आठ इंच है, जबकि पिछले वर्ष झील का जल स्तर पर आ गया है, जबकि यह 6 सितंबर 2020 को सर्वाधिक 11 फिट साढ़े तीन इंच था।

यानी चार माह में जल स्तर में पांच फिट साढ़े सात इंच घट गया है। इसे पिछले वर्ष के तुलनात्मक रूप में देखें तो वर्ष 2019 में 30 सितंबर को अधिकतम 9 फिट ढाई इंच था और 7 जनवरी 2020 तक इसमें करीब साढ़े तीन माह में तीन फिट आठ इंच की ही गिरावट आई थी और यह पांच फिट साढ़े छह इंच था। यानी यह पिछले वर्ष के मुकाबले करीब दो फिट अधिक गिरा है।

वहीं झील नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष 6 सितंबर 2020 को नैनी झील का जल स्तर 11 फिट साढ़े तीन इंच था। आगे यह जल स्तर सितंबर के आखिर यानी 30 सितंबर को 10 फिट सात इंच, 31 अक्टूबर को 8 फिट 10 इंच, 30 नवंबर को 7 फिट 3 इंच और 31 दिसंबर 2020 को 5 फिट 10.5 हो गया। यानी झील के जल स्तर में अक्टूबर माह में 1 फिट 9 इंच, नवंबर में 1 फिट 7 इंच, दिसंबर माह में 1 फिट साढ़े चार इंच की कमी आई है।

यह भी पढ़ें : डीएम, इसरो व यूएनडीपी के प्रयासों से एक करोड़ रुपए से आम जन देख सकेंगे नैनी झील के पानी के आंकड़े..

-आंकड़े प्रदर्शित करने की एक करोड़ की परियोजना का एसडीएम ने किया निरीक्षण
-इसरो द्वार किये गए अन्वेषण कार्यों के उपरांत यूएनडीपी द्वारा किये जा रहे आंकड़ों के प्रदर्शन के प्रबंध
नवीन समाचार, नैनीताल, 18 अक्टूबर 2020। सरोवर नगरी का हृदय कही जाने वाली नैनी झील में यूनएनडीपी नई दिल्ली द्वारा लगभग एक करोड़ रुपए की लागत से ‘आर्टिफिशयल इंटैलिजैंस बेस्ड लेक मानिटरिंग सिस्टम फॉर नैनी लेक’ परियोजना के तहत सेंसर एवं डिस्प्ले स्क्रीन लगाये जाने का कार्य किया जा रहा है। रविवार को एसडीएम विनोद कुमार ने इन कार्यो का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान अधिशासी अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग विनीत कुरील, अधिशासी अभियंता सिचाई हरीश सिंह, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका अशोक वर्मा, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शैलेश कुमार, तकनीकी संस्थान बसार लैब के ताकर तथा धर्मेन्द आदि लोग मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में नैनी झील के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए डीएम सविन बंसल के प्रयासों से झील की तलीय संरचना एवं जल गुणवत्ता का विश्लेषण करने के लिए इसरो यानी भारतीय सुदुर संस्थान देहरादून के द्वारा अन्वेषण कार्य किये गए।

इसरो से प्राप्त आंकणों एवं सूचनाओं का जिला कार्यालय नैनीताल स्थित जीआइएस लैब में गहन विश्लेषण करते हुये नैनीझील की सम्पूर्ण सतत तलीय भौतिक संरचना (कन्टीन्यूएश लेक बैड मैपिंग) एवं जल गुणवत्ता (टोटल डिजाल्व सोलिड एंड डिजाल्व आक्सीजन मैपिंग) की गई, तथा प्राप्त परिणामों से नैनी झील के स्वास्थ्य का आंकलन किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने विगत 27 फरवरी को प्राप्त नतीजो का लोकापर्ण किया था और इस कार्य के लिए डीएम बंसल की सराहना करते हुए उन्हें शाबासी दी थी।

इन आंकड़ों का होगा प्रदर्शन
नैनीताल। नैनी झील में लगाए जा रहे सेंसरों से बायो कैमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी), कैमिकल आक्सीजन डिमांड (सीओडी), टोटल आर्गेनिक कार्बन (टीओसी), डिजाल्व आर्गेनिक कार्बन (डीओसी), डिजाल्व आक्सीजन, प्रेशर, क्लोराइड, पीएच, टैम्परेचर, ऑप्टीकल ब्राइटनैस, नाइट्रेट, टरबीटीटी, क्रूड ऑयल (सीडीओएम) आदि तत्वों से परिणामों का पता चलेगा। जिससे नैनी झील के अंतर्जलीय वनस्पति एवं जीव जंतुओं हेतु अनुकूल पर्यावरण विकास एवं प्रबंधन करते हुये झील का संरक्षण किया जायेगा।

उम्मीद की जा रही है कि गुणवत्ता से संबंधित इन आंकणों के सतत प्रदर्शन से स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों में नैनीझील को स्वच्छ रखने हेतु जागरूकता बढे़गी साथ ही नैनी झील को स्वच्छ बनाये रखने के लिए नगर पालिका, सिचाई, लोनिवि, जल संस्थान आदि विभागों पर सामुदायिक दबाव बनेगा।

यहां होगा आंकड़ों का प्रदर्शन, सीएम करेंगे लोकार्पण
नैनीताल। बताया गया कि इस परियोजना के तहत नैनी झील की जल गुणवत्ता के सतत मापन हेतु मल्लीताल पम्प हाउस तथा तल्लीताल एरियेटर प्लांट में एक-एक प्रोटियएस सेंसर स्थापित किये जा रहे है। जिनसे झील के पानी की गुणवत्ता से संबंधित आंकणो को तल्लीताल डांठ पर महात्मा गांधी की मूर्ति के पीछे एलईडी स्क्रीन तथा एसएमएस तथा ऐप द्वारा आम जनमानस के अवलोकनार्थ प्रसारित किया जायेगा। बताया गया है कि निकट भविष्य मे प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत नैनीताल आगमन पर इस महत्वपूर्ण परियोजना का लोकार्पण करेंगे।

यह भी पढ़ें : नैनी झील में मछलियों का अवैध शिकार, रोकने गए पालिका कर्मियों पर हमला, पुलिस ने की कार्रवाई

नवीन समाचार, नैनीताल, 28 जुलाई 2020। नैनी झील की मछलियों को सामान्यता नगर के लोग नगर की अधिष्ठात्री नैना देवी से जोड़कर पवित्र मानते हैं, इसलिए यहां बड़ी संख्या में मिलने वाली मछलियों का शिकार नहीं किया जाता है। फिर भी इधर यहां मछलियों का अवैध शिकार भी धड़ल्ले से होने लगा है।

(Naini Lake) साथ ही मछली मार रहे युवकों के होंसले इतने बुलंद हैं कि उन्होंने उन्हें रोकने आये नगर पालिका के कर्मचारियों पर ईटों से हमला कर दिया। सूचना मिलने पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने दो युवकों को पकड़ा और उनका पुलिस एक्ट के तहत चालान किया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन युवक मल्लीताल कैपिटल सिनेमा के पास अवैध रूप से मछली मार रहे थे तभी वहां से नगरपालिका के दो कर्मचारी पहुंचे और उन्होंने उन्हें टोका तो उल्टे वे पालिका कर्मियों पर हमलावर हो गए। एक युवक ने तो पालिका कर्मियों पर ईंट से हमला कर दिया, जिससे पालिका कर्मी बाल-बाल बचे।

(Naini Lake) पालिका कर्मचारी ने इसकी शिकायत कोतवाली में की, इस पर दो पुलिस कर्मियों ने उन्हें भोटिया मार्केट के पास से दो युवकों राहुल बिष्ट निवासी स्टाफ हाउस व अजहर निवासी चीना बाबा आउट हाउस को पकड़ा और उनके खिलाफ 81 पुलिस एक्ट के तहत चालान की कार्रवाई की।

यह भी पढ़ें : पिछले वर्ष के मुकाबले पांच गुना अधिक, 15 अगस्त तक के तय पैमाने से भी ऊपर भरी नैनी झील, खुल सकते हैं गेट

नवीन समाचार, नैनीताल, 20 जुलाई 2020। लॉक डाउन और बारिश इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध नैनी झील पर नेमत बन कर बरसी है। फलस्वरूप सोमवार सुबह तक नैनी झील का जल स्तर पिछले वर्ष के स्तर के करीब पांच गुने तक और 15 अगस्त तक के तय मानक 9.5 फिट से भी ऊपर आ गया है। ऐसे में नैनी झील के गेट कभी भी खोले जा सकते हैं। अलबत्ता गेटों का खोला जाना प्रशासनिक अधिकारियों पर निर्भर करता है कि वे कब गेट खोलने का फैसला लेते हैं।

झील नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह आठ बजे तक, बीते 24 घंटे में हुई 105.6 एवं जनवरी माह से अब तक हुई 988.8 मिमी बारिश के फलस्वरूप नैनी झील का जल स्तर 9 फिट 7 इंच पहुंच गया है, जो कि 15 अगस्त तक के तय मानक 9.5 फिट से भी अधिक है। इधर बताया गया है कि पिछले वर्ष आज के दिन यानी 20 जुलाई 2019 को नैनी झील का जल स्तर करीब दो फिट पर था। इस प्रकार इस वर्ष जल स्तर करीब पांच गुना हो गया है।

नैनीताल बाइपास, नैनीताल-पंगूट सहित आठ सड़कें बंद
नैनीताल। रविवार रात्रि से हुई बारिश की वजह से जनपद की आठ सड़कें बंद हो गई हैं। जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यालय से लगी नैनीताल बाइपास, भवाली-टांकीबैंड-पंगूट, पतलोट-ल्वाड़डोबा, अमजड़-मीडार, बोहरागांव-देवीधूरा, हैड़ाखान धाम, कांडा-डोमास व मल्ला रामगढ़-उमागढ़ मोटर मार्ग बंद हो गये हैं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में पहली बार सात फिट के स्तर पर पहुंचा नैनी झील का जल स्तर, झील व शहर में गंदगी भी घटी

-तीन दिनों में सात इंच से अधिक बढ़ा, दो वर्ष पूर्व आज की तिथि में शून्य था जल स्तर

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 मई 2020। मौसम में हुए बदलाव के साथ गर्मियों में मई माह में सर्दियों और बरसात के मौसम का एक साथ अनुभव करा रही बारिश-ओलावृष्टि जहां खाद्यान्न एवं फल-फूलों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रही है, वहीं विश्व प्रसिद्ध नैनी झील की पारिस्थितिकी के लिए यह वरदान साबित हो रही है।

हालिया तीन दिनों की वर्षा से ही विशाल नैनी झील का जल स्तर 7.5 इंच बढ़कर अंग्रेजों के दौर से बनी जल मापन के पैमाने पर छह फिट 11.5 इंच यानी सात फिट के करीब पहुंच गया है। झील का यह जल स्तर उत्तराखंड बनने के बाद कभी नहीं रहा है। झील का यह जल स्तर उत्तराखंड बनने के बाद यानी पिछले दो दशकों में कभी नहीं रहा है।

(Naini Lake) इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि 1977 से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मई माह में नैनी झील का जल स्तर का रिकार्ड 1998 का 8.51 फिट का है, और जून माह में 7.5 फिट पर झील को लबालब मानते हुए इसके गेट खोलने का प्राविधान है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में आज के दिन नैनी झील का जल स्तर शून्य के स्तर पर पहुंच गया था, जबकि गत वर्ष 2019 में छह फिट चार इंच था। झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रजत पांडे ने बताया कि बीते 24 घंटों में नगर में 90 मिमी बारिश दर्ज की गई है। वहीं इस वर्ष एक जनवरी से 414 मिमी बारिश हो चुकी है। जबकि गत वर्ष 217 मिमी व 2018 में 166.6 मिमी वर्षा ही हुई थी।

झील व शहर में गंदगी भी घटी
नैनीताल। इधर लॉक डाउन के प्रभाव में नैनी झील में गंदगी भी काफी घट गयी है। लॉक डाउन के दौरान नैनी झील एवं नालों की सफाई भी नहीं हो पा रही है। बावजूद नगर में पॉलीथीन में बिकने वाली चिप्स, तंबाकू, गुटखा, पानी की बोतलों, थर्मोकॉल आदि की सामग्री का उपयोग घटने से शहर में भी गंदगी काफी घट गयी है।

नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार सामान्य दिनों के मुकाबले इन दिनों 20-30 फीसद कूड़ा ही आ रहा है। गर्मियों के वर्तमान मौसम में अन्य वर्षों में 28-30 मीट्रिक टन और सर्दियों के मौसम में 20-22 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता था, जबकि इन दिनों केवल 16-18 मीट्रिक टन कूड़ा ही निकाल रहा है, और इसे केवल दो-तीन वााहनों से ही निस्तारित किया जा रहा है, जबकि पहले पांच से अधिक वाहन लगते थे। 

यह भी पढ़ें : नैनी झील के जल स्तर ने की 11 वर्ष के रिकार्ड की बराबरी, पूरे दिन इंटरनेट रहा धड़ाम

नवीन समाचार, नैनीताल, 14 मार्च 2020। नगर में रात्रि भर भारी ओलावृष्टि के बाद सुबह तेज हवाएं भी चलीं। इस कारण सुबह 8 बजे के नियत समय पर झील का जल स्तर भी नहीं मापा जा सका। अलबत्ता सुबह 9 बजे झील का जल स्तर अंग्रेजी दौर के तय पैमाने पर कल के 5 फिट 11 इंच की जगह 1 इंच बढ़कर 6 फिट रिकार्ड किया गया।

(Naini Lake) उल्लेखनीय है कि इससे पहले नैनीझील का जल स्तर 2009 में भी 6 फिट रहा था। झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा ने इस तरह नैनी झील ने इस वर्ष अच्छी शीतकालीन वर्षा के कारण 11 वर्ष पुराने रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष आज की तिथि में झील का जल स्तर 5 फिट ढाई इंच रहा था जबकि 2016 व 2017 में शून्य से नीचे था। श्री गैड़ा ने बताया कि यदि इसी तरह पानी की रोस्टिंग जारी रही तो इस वर्ष गर्मियों में पानी की समस्या नहीं आएगी और मई-जून माह में भी झील का जल स्तर न्यूनतम ढाई-तीन फिट तक रह सकता हैं और आगे कई वर्षों के बाद झील के लबालब भरने और इसका पानी पानी बाहर निकालकर झील के ‘रिचार्ज’ होने की उम्मीद भी की जा सकती है।

वहीँ, बीती रात्रि ओलावृष्टि और आकाशीय बिजली गिरने से बीएसएनएल के टावरों पर लगे उपकरणों को काफी नुकसान की खबर है। इससे नगर में बीएसएनएल की वायरलेस इंटरनेट ब्रॉडबैंड सुविधा ध्वस्त रही। जियो सहित अन्य कंपनियों के सिग्नल भी नहीं आ रहे थे। अपराह्न में बमुश्किल मुख्य टेलीफोन एक्सचेंजों से तीन टावरों के संयोजनो को वैकल्पिक तरीके से चलाकर धीमी गति की इंटरनेट सुविधा बहाल की गई। सात नंबर स्थित सहित अन्य टावर अब भी काम नहीं कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : सैलानियों को भारी पड़ा नैनी झील से खिलवाड़, पुलिस ने की कार्रवाई 

नवीन समाचार, नैनीताल, 12 फरवरी 2020। दिल्ली से नैनीताल घूमने आए तीन पर्यटकों का नैनी झील (Naini Lake) में नहाने पर पुलिस ने चालान कर दिया है। हुआ यह कि बुधवार को मल्लीताल बैंड स्टैंड के पास तीन युवक अचानक झील में कूद कर नहाने लगे। सूचना मिलने पर मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने तीनों का उत्तराखंड 81 पुलिस एक्ट में चालान कर दिया।

चालान किये गए युवकें की पहचान दिल्ली निवासी लक्ष्मण, हिमांशु वैद्य और इंद्र सिंह के रूप में हुई है। तीनों दिल्ली के निवासी बताए गए हैं। उल्लेखनीय है कि नैनी झील में नहाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है।

ह भी पढ़ें : नैनी झील के दीर्घकालीन संरक्षण के लिए राज्य स्थापना दिवस से शुरू होगी बड़ी पहल

-डीएम सविन बंसल की पहल: राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुडकी के वैज्ञानिक राज्य स्थापना दिवस से शुरू करेंगे खास बैथीमैट्री विश्लेषण

नवीन समाचार, नैनीताल, 8 नवंबर 2019। राज्य स्थापना दिवस 9 नवम्बर से नैनी झील (Naini Lake) में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुडकी के वैज्ञानिकों द्वारा बैथीमैट्री विश्लेषण प्रारम्भ किया जायेगा। डीएम सविन बंसल ने बताया कि बैथीमैट्री विशलेषण के जरिये नैनी झील (Naini Lake) की प्रकृति तथा पानी की सतह के नीचे पानी की आंतरिक संरचनाओं मे हुए परिवर्तन, झील के दीर्घकालीन संरक्षण, झील की जल संग्रहण क्षमता विकास तथा ईको सिस्टम को बनाए रखने हेतु वैज्ञानिक द्वारा सघन अध्ययन किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि देश-दुनिया में विख्यात नैनी झील की प्रकृति, पानी की सतह के नीचे की संरचनाओं, लैंड टोपोग्राफी, लेक फ्लोर एवं अन्य तकनीकी विषयों को ज्ञात करने के लिए बैथीमैट्री विशलेषण अति आवश्यक है। इसके लिए जलविज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वैभव गर्ग के नेतृत्व में 5 सदस्यीय तकनीकी टीम कार्य करेगी जो झील के विश्लेषण कार्य हेतु जीपीएस युक्त ईको बोट एवं सोनार तकनीकी पर कार्य करने वाले अन्य सहवर्ती उपकरणों के साथ कार्य करेगी। उम्मीद की जा रही है कि इस अध्ययन से नैन झील के संरक्षण हेतु दीर्घकालीन योजना बन पाएगी।

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लगातार सिकुड़ रही है नैनी झील, 2100 वर्ष ही बची है उपयोगी आयु

जी हां, नैनी झील लगातार सिकुड़ रही है। एक रिपोर्ट के आधार पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के अध्यक्ष एवं भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष भूगर्भ वेत्ता प्रो.सीसी पंत ने बताया कि नैनी झील की तलहटी में मलवा-मिट्टी के जमाव (Segmentation) की दर 1963-64 में तल्लीताल कोटर में 0.79 सेमी से 0.03 कम या अधिक मल्लीताल कोटर में 0.69 सेमी से 0.03 कम या अधिक थी जो कि 1993-94 में तल्लीताल कोटर में 0.6 से 0.07 कम या अधिक, बीच में 0.7 से 0.03 कम या अधिक तथा मल्लीताल कोटर में 1.35 से 0.05 कम या अधिक हो गई।

इस प्रकार औसतन झील के सिकुड़ने की दर प्रति वर्ष 0.86 सेमी से 0.03 सेमी कम मानी गई है। दूसरे तरीके से समझंे तो झील की अधिकतम गहराई जो 1872 में 93 फीट थी वह 1899 में ही घटकर 87 फीट रह गई थी और वर्तमान में झील की अधिकतम गहराई हालांकि वर्षों से मापी नहीं गई है, लेकिन माना जाता है कि वर्तमान में इसकी गहराई करीब 75 फीट ही रह गई है। इस आधार पर वैज्ञानिक यह कहने से संकोच नहीं करते कि नैनी झील की उपयोगी आयु (Useful life of the Lake) 2100 वर्ष आंकी जा रही है। 

झील की गहराई के बारे में यह भी जान लें कि झील के 10.03 प्रतिशत क्षेत्रफल की गहराई शून्य से 25 फीट, 17.9 प्रतिशत क्षेत्रफल की गहराई 25 से 35 फीट, 37.91 प्रतिषत की गहराई 50 से 75 तथा 34.15 प्रतिशत क्षेत्रफल की गहराई 75 प्रतिशत से अधिक है।

वहीं भूगोल विभाग के प्रो.जी.एल.साह द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार 1872 में किये गये तत्कालीन नैनी स्टेट के रेवन्यू सर्वे में नैनी झील का क्षेत्रफल 120 एकड़ यानी करीब 48.6 हैक्टेयर रिकार्ड किया गया। आगे 1899 में सर्वे आफ इंडिया द्वारा तैयार किये गये क्षेत्रफल में मापे जाने पर झील का क्षेत्रफल घटकर 47.77 हैक्टेयर ही पाया गया, इसका कारण 1880 में नगर में आये भयंकर भूस्खलन को जिम्मेदार माना जा सकता है।

आगे 1936 के सर्वे आफ इंडिया के नये नक्शे में झील का क्षेत्रफल करीब 45 हैक्टेयर ही रह गया। प्रो. साह इस कमी का कारण इस दौरान झील किनारे बढ़े विकास कार्यों, झील किनारे सड़कों और रिटेनिंग वाल को जिम्मेदार मानते हैं। अलबत्ता उनका मानना है कि वर्तमान में भी झील का क्षेत्रफल 45 हैक्टेयर के बराबर ही होगा। इसके अलावा प्रो. साह 1872 में नैनी झील की अधिकतम गहराई 93 फीट, 1899 में 87.3 फीट एवं 1970-80 के दशक में 27.3 मीटर यानी करीब 82 मीटर मानते हैं।

इसके साथ ही प्रो.साह ने भूगोल विज्ञान के विद्यार्थियों के साथ जून-2012 में नैनी झील के घटे जल स्तर के बाबत अध्ययन किया। पाया कि नैनी झील में 60 स्थानों पर डेल्टा उभर आये थे। इन डेल्टा के अध्ययन में पाया गया कि इस वर्ष 13 जून को झील में उपलब्ध पानी का क्षेत्रफल मात्र 43.83 हैक्टेयर पाया गया, यानी इस वर्ष झील के करीब एक हैक्टेयर क्षेत्रफल में पानी सूख कर बड़े डेल्टा बन गये थे।

एमबीटी के बड़े प्रभाव क्षेत्र में है नैनीताल
नैनीताल एमबीटी यानी मेन बाउड्री थ्रस्ट नाम के बड़े थ्रस्ट के प्रभाव में है। थ्रस्ट उस स्थिति को कहते हैं जिसमें एक चट्टान दूसरी अपनी जगह पर स्थिर चट्टान के सापेक्ष ऊपर जाती है, इसके उलट यदि चट्टान नीचे की ओर जाती है तो उसे फाल्ट कहते हैं।

प्रो.सीसी पंत बताते हैं कि बल्दियाखान के पास शिवालिक पर लघु हिमालय की चट्टान के चढ़ने के रूप में नैनीताल थ्रस्ट गुजरता है। इस कारण इस क्षेत्र में कई छोटे-छोटे टियर फाल्ट यहां बन गये। ऐसा ही एक छोटा फाल्ट ज्योलीकोट से कंुजखड़क को जोड़ता है, इसकी टियर लाइन नैनी झील (Naini Lake) को तल्लीताल डांठ के पास से झील के बीचों-बीच से गुजरते हुऐ चीना पहाड़ी पर सत्यनारायण मंदिर के पास नैना टॉल बैरियर से गुजरता है। इस फाल्ट लाइन से नैनीताल नगर दो भागों में बांट देता है।

जिसके अयारपाटा की ओर स्लेट, लाइमस्टोन व डोलोमाइट की यानी अधिक चूने वाली चट्टानें हैं। यह अपेक्षाकृत नई चट्टानें हैं, जो पानी को सोखती हैं, लिहाजा इस पहाड़ी पर अधिक नमी रहती है, लिहाजा इस ओर वनस्पतियां भी खूब होती हैं। जबकि दूसरी ओर शेर का डांडा व लड़ियाकांठा की ओर की पहाड़ी पर बालू, क्वार्टजाइट व सेल यानी चूरा-चूरा होने वाले भंगुर पत्थर की चट्टानें हैं। पहले इस पहाड़ी पर लोग यहीं बालू पैदा किये करते थे।

बहरहाल, भूगर्भीय हलचलों से उभरे इस फाल्ट के कारण शेर का डांडा पहाड़ी के ऊपर उठने से डांठ पर नदी का प्रवाह अवरुद्ध होने से यहां झील का निर्माण हो गया। इस प्रकार नैनी झील को विवर्तनिक (Tectonic) झील भी कहते हैं।

सीवर से 10 से 15 गुना तक बढ़ जाती है झील में कोलीफार्म बैक्टीरिया व दूषित तत्वों की मात्रा
विश्व प्रसिद्ध नैनी झील (Naini Lake) के संरक्षण को किये जा रहे अनेक प्रयासों के बीच एक क्षेत्र ऐसा है, जिस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस कारण झील में टनों की मात्रा में गंदगी पहुंच रही है। यह कारण है सीवर का उफनना।

(Naini Lake) सीवर के उफनने से झील में मानव मल में पाये जाने वाले खतरनाक कोलीफार्म बैक्टीरिया व नाइट्रोजन की मात्रा में 10 से 15 गुना तक की वृद्धि हो जाती है, जबकि फास्फोरस की मात्रा तीन गुने तक बढ़ जाती है। इस कारण झील में पारिस्थितिकी सुधार के लिये किये जा रहे कार्यों को भी गहरा झटका लग रहा है।

मानव मल में मौजूद कोलीफार्म बैक्टीरिया तथा फास्फोरस व नाइट्रोजन जैसे तत्व किसी भी जल राशि को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। शुद्ध जल में कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी रहती है तो यह पीलिया जैसे अनेक जल जनित संक्रामक रोगों का कारण बनता है, जबकि नैनी झील जैसी खुली जल राशियों में अधिकतम 500 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) यानी एक लीटर पानी में अधिकतम मात्रा हो तो ऐसे पानी को छूना व इसमें तैरना बेद खतरनाक हो सकता है।

लेकिन नैनी झील में कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा कई बार आठ से 10 हजार एमपीएन तक देखी गई है, जोकि झील में चल रहे एरियेशन व बायो मैन्युपुलेशन के कार्यों के बाद सामान्यतया दो से तीन हजार एमपीएन तक नियंत्रित करने में सफलता पाई गई है। लेकिन बरसात के दिनों में उफनने वाली सीवर लाइनें इन प्रयासों को पलीता लगा रही हैं।

(Naini Lake) नैनी झील के जल व पारिस्थितिकी पर शोधरत कुमाऊं विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. पीके गुप्ता बताते हैं कि झील का जल स्तर कम होने पर सीवर उफनती है तो झील में कोलीफार्म बैक्टीरिया की संख्या 10 से 15 गुना तक बढ़ जाती है।

बरसात के दिनों में जबकि झील में पानी कुछ हद तक बढ़ने लगा है, बावजूद बीते दिनों बारिश के दौरान माल रोड सहित अन्य स्थानों पर सीवर लाइनें उफनीं तो कोलीफार्म की मात्रा में तीन गुने तक की वृद्धि देखी गई। इसी तरह नाइट्रोजन की मात्रा 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से तीन गुना बढ़कर 0.8 से 0.9 मिलीग्राम प्रति लीटर तक एवं फास्फोरस तत्व की मात्रा 20 से 25 मिलीग्राम प्रति लीटर से 10 गुना तक बढ़कर 200 से 250 मिलीग्राम प्रति लीटर तक बढ़ती देखी गई है।

प्रो. गुप्ता ऐसी स्थितियों में किसी भी तरह सीवर की गंदगी को झील में रोके जाने की आवश्यकता जताते हैं। वहीं जल निगम के अधिशासी अभियंता एके सक्सेना का कहना है कि नगर में सामान्य जरूरत से अधिक क्षमता की सीवर लाइन बनाई गई थी, लेकिन नगर के घरों व किचन तथा बरसाती नालियों के पानी को भी लोगों ने सीवर लाइन से जोड़ दिया है, इस कारण सीवर लाइन उफनती है, इसे रोके जाने के लिये नालियों को सीवर लाइन से अलग किया जाना जरूरी है।

72 फीसद लोग जाते हैं खुले में शौच
यह आंकड़ा वाकई चौंकाने वाला लगता है, लेकिन भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान रुड़की की अगस्त 2002 की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि नगर में 72 फीसद लोग खुले में शौच करते हैं, जिनकी मल-मूत्र की गंदगी नगर के हृदय कही जाने वाली नैनी झील में जाती है। गौरतलब है कि नगर के कमजोर तबके के लोगों के साथ ही सैलानियों के साथ आने वाले वान चालकों,

बाहरी नेपाली व बिहारी मजदूरों का खुले में शौच जाना आम बात है। झील विकास प्राधिकरण ने नगर में सुलभ शौचालय बनाये हैं पर उनमें हर बार तीन रुपये देने होते हैं, इस कारण गरीब तबका उनका उपयोग कम ही कर पा रहा है। बारिश आने पर ऐसी समस्त गंदगी नैनी झील में आ जाती है।

फास्फोरस निकालने को मछलियां निकालना जरूरी
प्रो. पीके गुप्ता के अनुसार नैनी झील में भारी मात्रा में जमा हो रहे फास्फोरस तत्व को निकालने को एकमात्र तरीका झील में पल रही मछलियों को निकालना है। प्रो. गुप्ता के अनुसार फास्फोरस मछलियों का भोजन है। यदि प्रौढ़ व अपनी उम्र पूरी कर चुकी बढ़ी व बिग हेड सरीखी मछलियों को झील से निकाला जाऐ तो उनके जरिये फास्फोरस बाहर निकाली जा सकती है। अन्यथा उनके झील में स्वतः मरने की स्थिति में उनके द्वारा खाई गई फास्फोरस झील में ही मिल जाऐगी।

पार्किंग समस्या के आगे प्रशासन भी लाचार
पर्वतीय पर्यटन नगरी नैनीताल में प्रशासन की सीजन से पूर्व की गई तैयारियां खासकर वाहनों की पार्किंग के मामले में सीजन शुरू होते ही पूरी तर ध्वस्त हो जाती हैं। नियमानुसार नगर की सभी पार्किंग के भरने के बाद ही फ्लैट मैदान में वाहन खड़े करने का प्राविधान है, लेकिन फ्लैट मैदान में सीजन के दौरान चलने वाली ऐतिहासिक अखिल भारतीय टेªड्स कप हॉकी प्रतियोगिता के दौरान ही, जबकि नगर की मेट्रोपोल व सूखाताल पार्किंगें खाली रहती हैं, बावजूद हॉकी कोर्ट तक मैदान वाहनों से भर जाता है।

दूसरी ओर पार्किंग में बड़ी आकार की कारों को बड़ा वाहन मानकर बसों जैसे बड़े वाहनों के लिये तय दोगुना किराया वसूला जाता है, और नगर पालिका को आधा किराया और संख्या भी आधी गिनकर हर रोज करीब डेढ़ से दो लाख रुपये की आमदनी की जाती है, और नगर पालिका को महज कुछ हजार रुपये ही जबकि मैदान पर खेल गतिविधियां आयोजित करने वाले डीएसए (जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होते हैं) को एक रुपया भी नहीं मिलता है।

सीजन से पहले जिला प्रशासन ने हर हाल में सूखाताल की केएमवीएन की बहुमंजिला करीब 280 वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग को भरने का वादा किया था। इस हेतु सूखाताल की पार्किंग से होटलों तक शटल टैक्सी चलाने का वायदा किया गया था, जिसे निभाने में प्रशासन पूरी तरह अक्षम रहा है। नगर में पिछले एक दशक में जहां वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, वहीं पार्किंग क्षमता में कुछ सौ की बढ़ोत्तरी भी नहीं हुई है। और ऐसी स्थिति से फ्लैट मैदान का बुरा हाल हो गया है।

झील सूख जाऐ तो नैनी ही रह जाने का है खतरा
सरोवरनगरी में वर्ष  2012 गर्मियों में तापमान अधिकतम 31 डिग्री व न्यूनतम 21 डिग्री तक ही पहुंचा, बावजूद नैनी झील के चारों छोरों-तल्लीताल बोट स्टेंड, फांसी गधेरा व मल्लीताल नंदा-सुनंदा पार्क व बोट हाउस क्लब बोट स्टेंड के पास उभरे डेल्टा इतने बढ़े मैदानों तक फैल गये कि उनमें हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट या समुंदर के बीच पर खेले जाने वाले बीच बॉलीबाल जैसा कोई खेल भी खेला जा सकता था।

नैनी झील की ऐसी हालत लंबे समय बाद हुई। ऐसे में इसी दौरान पांच जून को आये विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कमोबेश हर नगर वासी के माथे पर इस बात को लेकर चिंता की लकीरें थीं कि कहीं झीलों का यह शहर नैनीताल से मात्र नैनी बनकर ही न रह जाऐ।

नैनीताल झील इस वैश्विक पचान वाले शहर का हृदय व जीवन रेखा कही जाती है। झील है तो यह शहर और यहां की समस्त गतिविधियां हैं, और इस पर बहुत हद तक शहर ही नहीं देश व प्रदेश का पर्यटन और विदेशी सैलानियों के जरिये विदेशी पूंजी अर्जित करने का दायित्व भी है। लेकिन इधर झील के चारों छोरों पर जिस तरह कमोबेस हर तरह के खेल खेलने लायक मैदान उभर आये, उससे नगर का हर निवासी तो चिंतित था ही, यहा आने वाले सैलानी भी चिंता जताये बिना नहीं रह पा रहे थे।

इन परिस्थितियों का तात्कालिक कारण तो सर्दियों के बाद से वर्षा न होना बताया गया, साथ ही इसके प्राकृतिक जल श्रोतों में बेतहाशा निर्माण होना भी प्रमुख कारण रहा।

इतिहासकार व पर्यावरणविद् डा.अजय रावत के अनुसार 19वीं शताब्दी में झील के जलागम क्षेत्र में 321 जल श्रोत मिलने के प्रमाण हैं, इनमें सूखाताल झील प्रमुख थी, लेकिन सभी जगह वैध-अवैध निर्माणों की बाढ़ ने जल श्रोत सुखा दिये हैं।

(Naini Lake) डा. रावत के अनुसार अब पूरे जलागम क्षेत्र में 10 फीसद श्रोत भी नहीं बचे होंगे। दूसरी ओर नगर में र ओर कंक्रीट की स़कें बारिश के दौरान पानी को धरती में सोखने के बजाय नहर की तरह सीधे शहर से बाहर ले जाने का कार्य करती हैं। यही कार्य सीवर लाइन भी करती है, जिसमें शहर की नालियां जोड़ दी गई हैं।

वहीं झील की धमनियां कहे जाने वाले अंग्रेजों के द्वारा निर्मित नाले झील में पानी की जगह मलवा लाने का कार्य कर रहे हैं। तीसरी ओर सीजन में जबकि बारिश नहीं हुई है, वहीं जल संस्थान की ओर से प्रतिदिन 17.5 मीट्रिक लीटर पर डे (एमएलडी) यानी प्रतिदिन करीब 17.5 लाख लीटर पानी पेयजल के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राजभवन, सेना के कैंट क्षेत्र सहित अन्य कई जगह भी नैनी झील (Naini Lake) के पानी की आपूर्ति अलग से होती है। ऐसे में नैनी झील (Naini Lake) की वर्तमान हालत हर किसी को कचोट रही है।

गांधी जी के चरणों में पड़ता है शहर भर का कूड़ा
1929 में जिस स्थान पर गांधी जी खड़े हुऐ थे, और उनके एक कौल पर नगर वासियों ने उन्हें उनके ‘हरिजन उद्धार’ कार्यक्रम के लिये तत्काल एकत्र कर 24 हजार (आज के हिसाब से करोड़ों) रुपये और स्वर्णाभूषण दे दिये थे, उसी स्थान पर आज मूर्ति रूप में खड़े गांधी जी के चरणों में उसी शहर के लोग ऊपर तो कभी-कभार ही फूल चढ़ाने का अभिनय करते हैं, जबकि नीचे शहर भर का कूढ़ा डाल रहे हैं।

जिला व मंडल मुख्यालय में तमाम अफसरों की नाक के नीचे और झील पर करोड़ों रुपये खर्चने व सफाई के कई अभियान चलाने के बावजूद यहां गांधी मूर्ति के नीचे डांठ में कई ट्रकों के हिसाब से कूड़ा, कचरा व प्लास्टिक इकट्ठा हो गया है।

सर्वविदित तथ्य है कि गांधी जी 1929 में अपने कुमाऊं भ्रमण के दौरान 14 जून को नैनीताल आये थे। तब डांठ पर उनका काफिला करीब उसी स्थान पर रुका था, जहां आज उनकी आदमकद  मूर्ति खड़ी है। इस स्थान पर गांधी जी ने अपने हरिजन उद्धार कार्यक्रम के लिये नगर वासियों से अनुग्रह की मांग की थी, जिस पर नगर वासियों ने उन्हें 24 हजार रुपये की धनराशि इकट्ठा करके दी थी। यह राशि आज के हिसाब से करोड़ों रुपये में होती।

इस पर गदगद होकर गांधी जी ने कहा था कि अपनी विपन्न आर्थिक स्थिति के बावजूद यहां के लोगों ने उन्हें जो मान और सम्मान दिया है वह उनके जीवन की अमूल्य पूंजी होगी। लेकिन आज उनकी मूर्ति का स्थल, जोकि इस पर्यअन नगरी का प्रवेश द्वार भी है। यहां से देश-दुनिया के सैलानी, राज्य व केंद्र सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह, मंत्री आदि कमोबेश रोज ही गुजरते हैं, और उस दुर्गंध को महसूस करते हैं, जो गांधी जी की मूर्ति के ठीक नीचे एकत्र की गई टनों गंदगी के सढ़ने से आ रही होती है।

दरअसल, नगर की प्राणदायिनी नैनी झील में नगर भर के कूढ़े के जाने का सिलसिला तमाम प्रयासों, करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने और झील की सफाई के नाम पर अखबारों में फोटो छपवाने के नाटकों के बावजूद बदस्तूर जारी है। खासकर बारिश होने पर नैनी झील, नगर की सफाई व्यवस्था की पोल तो खोलती ही है, नगर भर के विष को गंदगी के रूप में पी भी जाती है, यह गंदगी आखिर में हवाओं के साथ तल्लीताल सिरे पर गांधी मूर्ति के निकट आ जाती है।

इसे उठाने के लिये नगर पालिका व लोनिवि के द्वारा मजदूर लगाये जाते हैं, पर सच्चाई मूर्ति के नीचे का नजारा देखकर और वहां से उठने वाली दुर्गंध से साफ हो जाती है। मजदूरों पर जिम्मेदार विभागीय अधिकारी नजर नहीं रखते, फलस्वरूप मजदूर गंदगी उठाने के बजाय मूर्ति के नीचे सरका देते हैं। यही गंदगी गर्मी बढ़ने पर दुर्गंध से बजबजा उठती है, पर किसी जिम्मेदार विभाग का ध्यान इस ओर नहीं जाता है।

इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता हनुमान प्रसाद कहते हैं कि राष्ट्रपिता गांधी पर बातें तो बहुत होती हैं, परंतु उनके विचार कार्य रूप में परिणत नीं होते। गांधी जी के सपनों का स्वराज तो मिला पर सुराज नहीं, जिसकी परिणति यहां साफ दिखाई देती है।

केवल पांच-छः फीसद की दर से ही बड़ रहा है नैनीताल का पर्यटन
जी हां, नैनीताल में भले सीजन में पर्यटकों की जितनी बड़ी संख्या, भीड़-भाड दिखाई देती हो, पर पर्यटन विभाग के आंकड़ों को सही मानें तो प्रकृति के स्वर्ग कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी में अपार संभावनाओं के बावजूद केवल पांच से छः फीसद की दर से ही पर्यटन बढ़ रहा है, जबकि विभाग भी आठ से 10 फीसद की दर से पर्यटन बढ़ने की उम्मीद जताता रहा है।

उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश कहा जाता है, तो इसमें निस्संदेह बड़ी भूमिका सरोवरनगरी नैनीताल नगर की है। लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते राज्य बनने के बाद पर्यटन विभाग का ठीक से ढांचा तक न बन पाने जैसे कारण राज्य एवं नैनीताल का पर्यटन सैलानियों की संख्या में वृद्धि के बावजूद गर्त की ओर ही जाता नजर आ रहा है।

(Naini Lake) सरोवरनगरी में सैकड़ों की संख्या में होटल व गेस्ट हाउस मौजूद हैं, इनमें से 144 तो सराय एक्ट में ही पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से केवल 72 होटल व 55 पेइंग गेस्ट ही पर्यटन विभाग को अपने यहां ठहरने वाले सैलानियों के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।

इस आधार पर पर्यटन विभाग को मिलने वाले सैलानियों संबंधी आंकड़ों को सही मानें तो वर्ष 2010 में 2009 के मुकाबले 37,149 सैलानी अधिक आये जो कि 4.9 फीसद अधिक थे। इसी तरह बीते वर्ष 2011 में 2010 के मुकाबले छह फीसद के साथ 47,700 सैलानियों की वृद्धि हुई। यह स्थिति तब है जबकि नगर में पर्यटन सुविधाओं के नाम पर कोई वृद्धि नहीं हुई।

इस अवधि में न तो नगर में एक भी अतिरिक्त वाहन पार्किंग बनी और न नगर से बाहरी शहरों से ‘कनेक्टिविटी’ के लिहाज से टेªनों में कोई वृद्धि हुई। नगर स्थित पर्यटन सूचना केंद्र के अधिकारी बीसी त्रिवेदी मानते हैं कि नगर में आने वाले सैलानियों की वास्तविक संख्या पांच गुना तक भी हो सकती है। उत्तराखंड होटल ऐसोसिऐशन के महासचिव प्रवीण शर्मा का मानना है कि नगर में बेहतर सुविधाऐं, मुंबई, पंजाब व पश्चिम बंगाल से बेहतर आवागमन के साधन हों तो नगर के पर्यटन को पंख लग सकते हैं।

पर्यटन व्यवसायी नगर में होटलों की किराया दरें तय न होने, मनोरंजन के लिये फिल्म थियेटर तक न होने जैसे कारणों को भी नगर की पर्यटन विस्तार की रफ्तार के कम रहने का प्रमुख कारण मानते हैं।

नैनीताल में वर्षवार आये सैलानियों की संख्याः
वर्ष      देशी सैलानी    विदेशी सैलानी       कुल
2009 7,49,556     5,722          7,55,278
2010 7,86,705     7,123          7,93,828
2011 8,34,405     9,410          8,43,815

‘जंक फूड’ खाकर ‘मुटा’ रही हैं नैनी झील की परियां
जी हां, भले देश की आधी आबादी को आज भी रोटी के लिये कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा हो, पर देश-दुनिया की मशहूर नैनी झील की परियां कही जाने वाली मछलियां ब्रेड-बिस्कुट जैसा ‘जंक फूड’ डकार रही हैं। आसानी से मिल रहे इस लजीज भोजन का स्वाद मछलियों की जीभ पर ऐसा चढ़ा है कि वह अपने परंपरागत ‘जू प्लेंकन’, काई, छोटी मछलियांे व अपने अंडों जैसे परंपरागत भोजन की तलाश में झील में घूमने के रूप में तनिक भी वर्जिश करने की जहमत उठाना नहीं चाहतीं।

ऐसे में वह इतनी मोटी व भारी भरकम हो गई हैं कि कल तक अपनी दुश्मन मानी जाने वाली बतखों को आंखें दिखाने लगी हैं। लेकिन विशेषज्ञ इस स्थिति को बेहद अस्थाई बताते हुऐ खुद इन मछलियों के जीवन तथा झील के पारिस्थितिकी के लिये बड़ा खतरा मान रहे हैं।

नैनी झील देश-दुनिया का एक ख्याति प्राप्त सरोवर है, और किसी भी अन्य जलराशि की तरह इसका भी अपना एक पारिस्थितिकी तंत्र है, किंतु सरोवरनगरी की इस प्राणदायिनी झील में स्थानीय लोगों व सैलानियों के यहां पलने वाली मछलियों के प्रति दर्शाऐ जाने वाले प्रेम के अतिरेक के कारण झील के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ ही इनकी अपनी जिंदगी पर खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। लोग अपने मनोरंजन तथा धार्मिक मान्यताओं के चलते स्वयं के लाभ के लिये इन्हें दिन भर खासकर तल्लीताल गांधी मूर्ति के पास से ब्रेड और बिस्कुट खिलाते रहते हैं।

तल्लीताल में बकायदा झील किनारे ब्रेड-बंद व परमल आदि की दुकान खुल गई है, जहां से रोज हजारों रुपये की सामग्री मछलियों को खिलाई जा रही है, जबकि बगल में ही प्रशासन ने खानापूर्ति करते हुऐ मछलियों को भोजन खिलाना प्रतिबंधित बताता हुआ बोर्ड लगा रखा है।

(Naini Lake) यह लजीज भोजन चूंकि इन्हें बेहद आसानी से मिल जाता है, इसलिये हजारों की संख्या में पूरे झील की मछलियां इस स्थान पर एकत्र हो जाती हैं। इससे जहां वह झील में मौजूद भोजन न खाकर झील के पारिस्थितिकी तंत्र में अपना योगदान नहीं दे पा रहे हैं, वहीं उनकी भोजन की तलाश में वर्जिश भी नहीं हो पा रही, इससे वह मोटी होती जा रही हैं।

भारत रत्न पं. गोविंद वल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणि उद्यान के वरिष्ठ जंतु चिकित्सक डा. एलके सनवाल इस स्थिति को बेहद खतरनाक मानते हैं। उनके अनुसार मनुष्य की तरह ही जीव-जंतुओं में भी अपने परंपरागत भोजन के बजाय ‘जंक फूड’ खाने से शरीर को एकमात्र तत्व प्रोटीन मिलता है, जिससे वह मोेटी हो जाती हैं। परिणामस्वरूप उन्हें अनेक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट सकती है तथा जल्दी मृत्यु हो सकती है।

डा. सनवाल को आशंका है कि आगे दो-तीन पीढ़ियों के बाद उनमें मनुष्य की भांति ही ‘स्पर्म’ बनने कम हो जाऐंगे, जिससे वह नयी संतानोत्पत्ति भी नहीं कर पाऐंगी, उनके अंडों से बच्चे उत्पन्न नहीं होंगे, अथवा उनके बच्चों में कोई परेशानी आ जाऐगी। वह झील की सफाई का अपना परंपरागत कार्य पूरी तरह बंद कर देंगे। ब्रेड-बंद खिलाने से उनका प्राकृतिक ‘हैबीटेट’ भी प्रभावित हो गया है। इससे उनके अवैध शिकार को भी प्रोत्साहन मिल रहा है, कई लोग एक स्थान पर इकट्ठी मिलने वाली इन मछलियों को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं।

मछलियां चूंकि ब्रेड-बंद के लिये तल्लीताल में बड़ी संख्या में एकत्र होती हैं, लिहाजा बरसात के दिनों में झील के गेट खुलने पर वह बलियानाले में बहकर जान गंवा बैठती हैं। वह इस समस्या से निदान के लिये झील के तल्लीताल शिरे पर ऊंची लोहे की जाली लगाने की आवश्यकता जताते हैं, ताकि लोग इस तरह उन्हें ब्रेड-बंद न खिला पाऐं।

हालांकि एक अन्य वर्ग भी है जो नगर में पर्यटन के दृट्ठिकोण से मछलियों को सीमित मात्रा में बाहरी भोजन खिलाऐ जाने का पक्षधर भी है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के डा. ललित तिवारी कते हैं कि मछलियों को चारा खिलाने से एक आनंद की अनुभूति होती है। सैलानियों के लिये यह एक आकर्षण है, साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मछलियों को भोजन खिलाने से चित्त शांत होता है।

बहरहाल, वह भी सीमित मात्रा की ही हिमायत करते हैं। जबकि झील विकास प्राधिकरण के अधिकारी इस स्थिति को गंभीर मानते हैं। उनका मानना है कि मछलियों को लगाई जा रही जंक फूड की लत गत वर्षों से दुबारा कृत्रिम आक्सीजन के जरिये जिलाई जा रही नैनी झील के लिये बेहद खतरनाक हो सकता है।

2012 में इतिहास में सर्वाधिक गिरा गर्मियों में जल स्तर
पूरी बरसात के बाद भी नहीं खुल पाये झील के गेट

किसी भी जल राशि के लिए ‘पानी बदल’ कर ‘रिफ्रेश’ यानी तरोताजा होना जरूरी होता है। मूलतः पूरी तरह बारिश पर निर्भर नैनी झील को तरोताजा होने का मौका वर्ष में केवल वर्षा काल में मिलता है। इस वर्ष सावन के बाद भादौ माह भी बीतने को है, बावजूद अभी झील का जलस्तर आठ फीट भी नहीं पहुंचा है, जो कि इस माह की जरूरत के स्तर 11 फीट से तीन फीट से अधिक कम है। इधर जिस तरह बारिश का मौसम थमने का इशारा कर रहा है, ऐसे में चिंता जताई जाने लगी है कि इस वर्ष झील के गेट नहीं खोले जा सकेंगे।

परिणामस्वरूप झील ‘रिफ्रेश’ नहीं हो पायेगी। गत वर्ष 2011 से बात शुरू करें तो इस वर्ष नगर में सर्वाधिक रिकार्ड 4,183 मिमी बारिश हुई थी। झील का जल स्तर तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था, और 29 जुलाई को ही जल स्तर 8.7 फीट पहुंच गया था, जिस कारण गेट खोलने पड़े थे। इसके बाद 16 सितंबर तक कमोबेश लगातार गेट अधिकतम 15 इंच तक भी (15 अगस्त को) खोले गये। जबकि इस वर्ष गर्मियों में 30 अप्रेल से 17 जुलाई तक जल स्तर शून्य से नीचे (अधिकतम माइनस 2.6 फीट तक) रहा था, जिसका प्रभाव अब भी देखने को मिल रहा है।

अब तक नगर में 2,863.85 मिमी बारिश हो चुकी है, जो कि नगर की औसत वर्षा 2500 मिमी से अधिक ही है, बावजूद चार सितंबर तक जल स्तर 7.8 फीट ही पहुंच पाया है। स्पष्ट है कि गेट खोले जाने के लिये अभी भी इस माह की 15 तारीख तक 3.2 फीट और 15 अक्टूबर तक 4.2 फीट की जरूरत है, जो वर्तमान हालातों में आसान नहीं लगता। साफ है कि झील का इस वर्ष ‘रिफ्रेश’ होना मुश्किल है। नैनी झील पर शोधरत कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो.पीके गुप्ता भी झील से पानी निकाले जाने को महत्वपूर्ण मानते हैं।

उनके अनुसार झील के गेट खुलते हैं तो इससे झील की एक तरह से ‘फ्लशिंग’ हो जाती है। झील से काफी मात्रा में प्रदूषण के कारक ‘न्यूट्रिएंट्स’ निकल जाते हैं। वहीं राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के आनंद शर्मा ने बताया कि नैनीताल जनपद में इस वर्ष औसत 1,227 मिमी बारिश हुई है जो कि औसत 1,152 मिमी से छह फीसद कम है।

लुटती जा रही है, कुछ पाती नहीं है नैनी झील
  • रोज निकाला जाता है 25 एमएलडी से अधिक पानी, आता है सिर्फ बारिश के दिनों में
  • सबसे बढ़ा श्रोत सूखाताल सहित जलागम क्षेत्र का बढ़ा हिस्सा कंक्रीट के जंगल में तब्दील

Sukhatal, Rarely Filled with Water in Nainitalदेश-दुनिया की सुंदरतम प्राकृतिक झीलों में शुमार और प्रदेश की विरासत नैनी झील की खूबसूरती दिन-ब-दिन लुटती चली जा रही है। झील का जीवन रूपी जल बढ़ते मानवीय उपयोग व प्राकृतिक रिसाव के साथ दिन-प्रतिदिन घटता चला जा रहा है।

विभिन्न विभाग, नगरवासी, सैलानी, पर्यटन व्यवसायी अनेकों राष्ट्रीय व प्रदेश सरकार की योजनाओं व सैलानियों से झील से प्रतिदिन करोड़ों रुपये की आय तथा करीब हर रोज करीब 25 एमएलडी पानी तक प्रतिदिन प्राप्त करते हैं, पर झील को पानी की भरपाई के लिये भी बारिश का इंतजार करना पड़ता है, और पानी भी उसे पूरे शहर के मलवे, कीचड़ व सीवर की गंदगी के बिना नहीं मिल पाता है। झील में खर्च के नाम पर कुछ हो रहा है तो सिर्फ एयरेशन और बायो मैन्युपुलेशन, जिसके जरिये झील मानो डायलिसिस पर पढ़ी झील को कृत्रिम सांसें दी जा रही हैं।

नैनीताल का ताल देश-दुनिया को प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर कहा जाता है। जल ही जीवन है का सूत्र यहां भी काम करता है। जल है तो ताल है, और ताल है तो ही नैनी ताल है। अपने इसी ताल और खूबसूरती के बल पर यह नगर अंग्रेजी शासनकाल में छोटी बिलायत तक कहा गया, और नार्थ प्रोविंस की राजधानी भी रहा।

देश की नदियों के संरक्षण के लिये चलने वाली परियोजना कश्मीर की डल झील से भी पहले व कमोबेश देश में पहली बार इस छोटी सी झील के संरक्षण के लिये स्वीकृत हुई, जिसके तहत यहां 60 करोड़ रुपये की झील संरक्षण परियोजना के कार्य हुऐ, जिसमें से वास्तविक अर्थों में झील के संरक्षण हेतु केवल 4.9 करोड़ की प्रारंभिक लागत और करीब तीन लाख रुपये वार्षिक खर्च से एयरेशन का कार्य किया जा रहा है,

और सही मायनों में धनाभाव की मार झेलता हुआ बमुश्किल चल पा रहा है। इसके अलावा नैनी झील का ही प्रभाव रहा कि नगर के लिये शुरू में 360 करोड़ रुपये तक की प्रचारित की गई जएनएनयूआरएम योजना के तहत 4.68 करोड़ रुपये मलीन बस्तियों के पुनरुद्धार, ठोस कूड़ा अपशिट्ठ प्रबंधन, पेयजल प्रबंधन आदि कार्यों के लिये स्वीकृत हुऐ हैं। इसके अलावा पेयजल पुर्नगठन के लिये एडीबी से पहले चरण में 39.58 करोड़ व द्वितीय चरण में जल वितरण के लिये 3.27 करोड़ रुपये की परियोजनाऐं चल रही हैं।

लेकिन मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई भी परियोजना वास्तवित तौर पर नैनी झील के संरक्षण के लिये कुछ भी दीर्घकालीन हित का कार्य नहीं करने जा रही है। नैनी झील के सबसे बढ़े रिजर्वायर (मुख्य जल संरक्षक) के रूप में पहचानी जाने वाली सूखाताल झील को जल संरक्षित करने योग्य बनाने के लिये तक कुछ नहीं किया जा रहा, उल्टे यहां से रिस कर आने वाले जल को वहीं नलकूप बनाया कर निकाला जा रहा है, बरसातों में झील के भरने से झील में बने घरों को बचाने के नाम पर पानी को झील से जल्दी निकालने के लिये पाइप लाइनें डालने का कार्य शुरू होने वाला है।

नगर के आम लोग बताते हैं कि 1990 के दशक तक सूखाताल झील में वर्ष में तीन-चार माह तक नौकायन होता था, और यह लंबे समय तक नैनी झील को धीरे-धीरे रिसाव के जरिये पानी उपलब्ध कराती थी। बाद के वर्षों में सूखाताल झील अतिक्रमण की चपेट में आ गई। बरसात में इसके भरने से इसमें बने घरों को पानी से बचाने के लिये पानी पंप लगाकर बार निकाला जाने लगा। नगर के कंक्रीट की सड़कें बारिश के दौरान पानी के रिसाव का क्षेत्र सीमित करने के साथ पानी को किसी नहर की तरह सीधे बहाकर झील में लाने लगी।

नालियों को सीवर लाइन से जोड़ दिया गया, परिणामस्वरूप सीवर लाइनें उफनकर गंदगी झील में प्रवाहित करने लगी और सीवर लाइन के जरिये बारिश का पानी सीधे नगर से बाहर जाने लगा। झील भर भी गई तो गेट खोलकर उसका पानी भी बाहर निकाल दिया गया।

(Naini Lake) दूसरी ओर 17.5 एमएलडी पानी नगर में और करीब 7.5 एमएलडी पानी निकटवर्ती बल्दियाखान, बेलुवाखान, एरीज, मनोरा आदि गांवों से लेकर एयरफोर्स भवाली व लड़ियाकांठा तक को पेयजल के लिये तथा शेष ग्रांड होटल सहित अन्य स्थानों से रिसकर झील से बाहर निकल जाता है। इसलिये झील बरसात में लबालब भरने के बावजूद जल्द ही खाली हो जाती है।

नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष किशन पांडे कहते हैं कि यदि एक वर्ष किसी कारण पानी न बरसे तो झील पूरी तरह सूख सकती है। वह झील के संरक्षण हेतु सूखाताल झील को विकसित किये जाने, नगर में नया डेªनेज सिस्टम विकसित किये जाने तथा पेयजल की राशनिंग किये जाने की भी आवश्यकता जताते हैं। वहीं वरिष्ठ पत्रकार प्रयाग पांडे कहते हैं कि नैनी झील प्रदेश का बड़ा पर्यटन उत्पाद भी है, जिसे सभी लूट रहे हैं, पर इसके संरक्षण के लिये कोई कुछ नहीं कर रा है।

कोई एक जिम्मेदार विभाग नहीं
नैनी सरोवर से जल संस्थान करीब 19 लाख लीटर पेयजल प्रतिवर्ष निकालकर करोड़ों रुपये अर्जित करता है। झील विकास प्राधिकरण विभिन्न शुल्कों के माध्यम से, नगर पालिका झील में नौकायन कराकर तथा नगर के पर्यटन व्यवसायी परोक्ष व सीधे तौर पर नैनी झील से करोड़ों रुपये का विदोहन करते हैं। लोनिवि, पालिका सहित विभिन्न विभाग झील के नाम पर करोड़ों रुपये की योजनाऐं ले आते हैं, पूर्व में झील के जल पर सिंचाई विभाग नियंत्रण करता था,

लेकिन इधर समस्त विभाग झील की जिम्मेदारी के नाम पर पीछे हो जाते हैं। ऐसे में पूर्व कुमाऊं आयुक्त एस राजू को कहना पढ़ा था कि झील यदि किसी की नहीं है तो मेरी (सरकार की) है, क्योंकि मैं सरकार का प्रतिनिधि हूं। ऐसे में झील के प्रति चिंतित लोग झील की जिम्मेदारी किसी भी एक विभाग को दिये जाने की आवश्यकता जताते हैं।

गहन शोध तो दूर, नैनी झील का जल स्तर मापने का ही पूरा प्रबंध नहीं
प्रदेश के प्रमुख पर्यटन केंद्र विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल के साथ ही राज्य के बड़े तराई-भावर क्षेत्र के भू-जल स्तर को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली नैनी झील मानो भगवान भरोसे ही है। केवल झील के जल स्तर की ही बात करें तो महज इतना कह दिया जाता है कि नगर में बढ़ते सीमेंट-कंक्रीटीकरण, सूर्य की गरमी से कम-ज्यादा होने वाला वाष्पीकरण, नालों के 1गंदगी से पटने, झील की तलहटी में कचरा पटने से प्राकृतिक जल श्रोतों का न फूटना तथा मानवीय गतिविधियों के साथ जल के बढ़ती मांग प्रमुख कारण है।

गाहे-बगाहे झील से बड़ी मात्रा में पानी के रिसने के कयास भी लगाये जाते हैं, लेकिन इस बारे में कोई भी बात दावे के साथ नहीं कही जा सकती, क्योंकि इस बारे में लंबे समय से कोई औपचारिक शोध नहीं हो रहे हैं। ऐसे में देश-प्रदेश की इस बड़ी धरोहर का कभी किसी अंजान कारण से पूरी तर क्षरण हो जाऐ तो आश्चर्य न होगा।

नैनी झील के घटते-बढ़ते जल स्तर को झील नियंत्रण कक्ष में दर्ज झील के जलागम क्षेत्र में होने वाली बारिश-बर्फवारी के सापेक्ष देखें तो यह किसी अबूझ पहेली से कम नहीं लगता। कई बार ऐसा होता है कि बारिश अधिक होती है, तो भी झील का जल स्तर नीचे गिरता जाता है, और कभी कम बारिश के बावजूद भी जल स्तर अधिक दिखता है।

वर्ष में कभी झील का जल स्तर माल रोड तक आ जाता है, और इसके गेट खोलने की नौबत आती है तो ऐसे मौके भी आये हैं जब लोग झील के इस कदर खाली हो जाना देखने की दावे करते हैं कि वहां भुट्टे आदि की दुकानें लग गई थीं। इस वर्ष हुऐ हालातों को भी ऐतिहासिक बताते हुऐ कहा गया कि इतना जल स्तर कभी नहीं गिरा था।

आंकड़ों को यदि देखें तो जहां फरवरी माह में झील का जल स्तर 1980 में 114.5 मिमी बारिश होने के बावजूद 4.8 फीट रहा था तो 1985 में मात्र 6.4 मिमी बारिश होने के बावजूद 3.1 फीट रहा, जो अब तक का फरवरी माह का न्यूनतम जल स्तर भी है। वहीं फरवरी माह में ही झील का जल स्तर 1989 में 10.07 फीट व 91 में 10.34 फीट भी रहा है, जबकि इस वर्ष 18 फरवरी को 4.9 फीट तक गिर गया जो कि बीते तीन वर्षों में इस तिथि को न्यूनतम रहा, अलबत्ता वर्ष 2009 में इस तिथि को जल स्तर 4.8 फीट था। 

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