(Ram Mandir) 22 जनवरी को नैनीताल में मनायी जायेगी ‘दीवाली’, हर घर में जलेंगे दिये और बिजली की लड़ियां
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार December 28, 2023 0नवीन समाचार, नैनीताल, 28 दिसंबर 2023। अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा के मौके से घर-घर को जोड़ा जायेगा। इसके लिये नगर के सभी 15 वार्डों में श्रीराम जन्म भूमि से आए धर्माचार्यों द्वारा पूजित अक्षत कलश और फोटो को घर घर पहुंचाया जायेगा तथा 22 जनवरी को श्रीराम लला की मूर्तियों प्राण प्रतिष्ठा के दिन को नगर के सभी घरों में दिये तथा बिजली की मालाएं लगाकर दिवाली के रूप में मनाया जायेगा।
गुरुवार को नगर के नैनीताल क्लब में विश्व हिंदू परिषद के तत्वाधान में भाजपा व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि विभिन्न आनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की बैठक में इस पर विचार-विमर्श हुआ और तय किया गया कि नगर के सभी वार्डों में श्रीराम जन्म भूमि (Ram Mandir) से आए धर्माचार्यों द्वारा पूजित अक्षत कलश और फोटो को घर-घर पहुंचाया जायेगा, तथा सभी नगर वासियों से 22 जनवरी को मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को अपने घरों में दिए तथा बिजली की माला लगाकर दिवाली के रूप में मनाने का आग्रह किया जायेगा।
बैठक में विहिप के कार्यक्रम संयोजक प्रकाश नौटियाल, सह संयोजक भूपेंद्र बिष्ट, भाजपा के नगर मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट, विमला अधिकारी, कविता गंगोला, तारा राणा,रीना मेहरा, गजाला कमाल, तारा बोरा, ज्योति गोस्वामी, भानु पंत, पूरन मेहरा, लाल सिंह, विक्रम रावत, मनोज जगाती, संतोष कुमार, कैलाश रौतेला, अरविंद पडियार, सोनू साह, हंसी रावत, रेनू पंत, नवीन जोशी, शैलू बिष्ट, कनिका रावत,
तुलसी डालाकोटी, राजू बिष्ट, लता डफोटी, दीपिका बिनवाल, चंदर सिंह, सुमन मवाड़ी, चंदन चमियाल, प्रेम सागर, ज्योति ढौंडियाल, मनोज जोशी, कलावती असवाल, कमलेश बुधलकोटी, नवीन भट्ट, उमेश बिष्ट, उत्कर्ष बिष्ट, मोहित पंत, रवि जोशी, भावेश सौतियाल व मीरा बिष्ट आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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Toggleयह भी पढ़ें : अयोध्या से पहुंचे धर्माचार्यों-संतों ने नगर वासियों को दिया श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्यौता, निकाली गयी भव्य शोभायात्रा
नवीन समाचार, नैनीताल, 23 दिसंबर 2023। रविवार को अयोध्या से धर्माचार्य तथा संत अक्षत पूजित कलश के साथ सरोवर नगरी नैनीताल पहुंचे और उन्होंने नगर वासियों को 22 जनवरी 2024 को श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा तथा अभिषेक के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया। इस दौरान पूरे नगर में धर्माचार्य तथा संत अक्षत पूजित कलश के साथ विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में पूरे शहर में निकाली गई जिसमें सैकड़ो श्री राम भक्त शामिल हुए तथा शोभा यात्रा निकाली गयी।
शोभायात्रा का जगह-जगह फूल बरसा कर स्वागत किया गया तथा प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान नगर में जय श्री राम के जयकारे गूंजते रहे। बच्चों-बड़ों के हाथों में जय श्री राम लिखे भगवा झंडे लहराते रहे। शोभायात्रा में विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के सह संयोजक प्रकाश नौटियाल, अध्यक्ष राजीव, बजरंग दल के संयोजक गौरव हार्पर, सह संयोजक कुणाल बेदी, साप्ताहिक मिलन प्रभारी हर्षित, संगीत प्रमुख मयंक, नितिन कार्की, जतिन, प्रियांशु मर्दान, रोहन, नैतिक, सनी,
आदित्य, ऋतिक, मातृशक्ति संयोजक रश्मि शिराला, दुर्गा वाहिनी संयोजक वैशाली, सह संयोजक रेनू, विद्यार्थी प्रमुख आद्या, साप्ताहिक मिलन प्रमुख श्रेय, रेनू, गीता, कमला, रेखा, मालती, भाजपा के मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट, अरविंद पडियार, भूपेन्द्र बिष्ट, दयाकिशन पोखरिया, किशन व श्री राम सेवा दल अध्यक्ष मनोज कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में नगर वासी शामिल रहे।
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यह भी पढ़ें : Ram Mandir : अयोध्या में श्रीराम लला के दर्शनों के लिये उत्तराखंड सरकार बनाएगी अपना राज्य अतिथि गृह
नवीन समाचार, देहरादून, 19 दिसंबर 2023 (Ram Mandir)। श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में आगामी 22 जनवरी को रामलला विराजने जा रहे हैं। सैकड़ों वर्षों के बाद आ रहे इन दिव्य पलों के लिये पूरे देश-दुनिया के साथ उत्तराखंड वासियों में भी कौतूहल एवं उत्साह है। इस बीच उत्तराखंड सरकार की एक पहल इस संबंध में उत्तराखंड वासियों के लिये काफी सुखद होने जा रही है।
(Ram Mandir) उत्तराखंड सरकार अयोध्या में अपना राज्य अतिथि गृह बनाने जा रही है। इस अतिथि गृह के लिए राज्य की टीम ने प्रस्तावित जगह का निरीक्षण भी कर लिया है। साथ ही इसके साइट प्लान को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
बताया गया है कि श्री राम मंदिर से करीब साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान पर उत्तराखंड राज्य का अतिथि गृह बनाने के लिये उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश से 4000 वर्ग मीटर भूमि देने का अनुरोध किया है। जिसके स्वीकृत हो जाने की भी पूरी उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कह चुके हैं कि यहां एक विशाल अतिथि गृह बनाया जाएगा, जिससे रामलला के दर्शन करने आने वाले प्रदेशवासियों को ठहरने में कोई परेशानी न हो। इस जगह का निरीक्षण करने गई टीम ने मुख्यमंत्री को निरीक्षण आख्या के साथ के साइट प्लान भी सौंपा है, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति के बाद अब इस योजना को जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। राज्य संपत्ति विभाग के सचिव वीके सुमन ने बताया कि अभी उत्तर प्रदेश सरकार को भूमि का आवंटन करना है। प्रस्तावित स्थल पर टीम निरीक्षण कर आ चुकी है।
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यह भी पढ़ें (Ram Mandir): नैनीताल: 10 वर्षीय बच्ची ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए समर्पित किया अपना गुल्लक
नवीन समाचार, नैनीताल, 29 जनवरी 2021 (Ram Mandir)। नगर के सूखाताल क्षेत्र की निवासी भाजपा कार्यकर्ता हेमलता पांडे व उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्थायी अधिवक्ता जगदीश चंद्र पांडे की 10 वर्षीय पुत्री वैष्णवी पांडे ने शुक्रवार को अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपना गुल्लक श्री राम मंदिर निर्माण हेतु समर्पित किया। गुल्लक को खोलने पर करीब 2500 रुपये निकले।
(Ram Mandir) यह समर्पण राशि प्राप्त करते हुए आरएसएस के जिला प्रचारक मनोज व अभियान प्रमुख गोपाल रावत ने कहा कि ऐसे समर्पण से छोटी सी बच्ची राम भक्त के रूप में सभी के लिए प्रेरणा बनी है। इसमें बच्ची के माता-पिता की प्रेरणा की बड़ी भूमिका है। इस मौके पर विश्वकेतु वैद्य, दया बिष्ट व धीरज कुमार आदि स्वयंसेवक भी उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें (Ram Mandir) : बाबरी मस्जिद ढहाने वालों की सच्चाई.. ढांचा गिराने की तैयारियों से लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाने तक की पूरी रणनीति का खुलासा
नवीन समाचार, लखनऊ, 1 अक्टूबर 2020 (Ram Mandir)। सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल पहले अयोध्या में गिराई गई विवादित बाबरी मस्जिद के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से जहां भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और संत समाज के उस दावे की पुष्टि हुई है कि विवादित ढांचा गिराने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी तो वहीं उन लोगों का भी दावा सही निकला, जो छाती ठोंककर दावा करते थे कि उन्होंने ही मस्जिद गिराई थी।
(Ram Mandir) 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे के समीप भाजपा के नेता और राम जन्म भूमि आंदोलन के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, अशोक सिंघल, विष्णु हरि डालमिया, गिरिराज किशोर व नृत्य गोपाल दास समेत कई लोग मंच से भाषण दे रहे थे, तब एक दल ऐसा भी था, जो पूरी तैयारी के साथ विवादित ढांचे को गिराने के लिए आया था।
इस दल का नेतृत्व शिवसेना के नेता संतोष दुबे कर रहे थे, जिनके साथ अनेक बलिदानी दस्ते काम कर रहे थे, इसीलिए अगर आपको याद हो तो बाबरी ढांचा गिराए जाने के तुरंत बाद शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे का बयान आया था कि मस्जिद शिवसैनिकों ने गिराई है। उस वक्त लोग इस बात को मजाक में ले रहे थे, लेकिन सच यही था कि संतोष दुबे ने अपने साथ एक बलिदानी दस्ता तैयार किया था, जिसने पूरी तैयारी के साथ मस्जिद गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।
संतोष दुबे ने ढांचा गिराने की तैयारियों से लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाने तक की पूरी रणनीति का खुलासा किया था।
(Ram Mandir) सीबीआई के विशेष जज यादव ने अपने फैसले में यही कहा कि लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे नेताओं ने ढांचा गिराने की कोई योजना नहीं बनाई थी, वहां जो भी कुछ हुआ, अचानक हुआ और ‘कुछ अराजक एवं शरारती तत्वों’ ने किया। लालकृष्ण आडवाणी और डॉक्टर जोशी ने अपनी पेशी के दौरान कोर्ट को यही दलील दी थी कि मस्जिद गिराने का उनका कोई इरादा नहीं था। जब कुछ लोग मस्जिद के गुंबद के ऊपर चढ़ गए थे, तो वह माइक से जोर-जोर से बोलकर उन्हें नीचे उतरने की हिदायत दे रहे थे।
(Ram Mandir) यही बात राजमाता सिंधिया, उमा भारती भी माइक से बोल रही थीं, लेकिन जो लोग गुंबद के ऊपर चढ़कर ढांचे को गिरा रहे थे, दरअसल वह भाजपा या विश्व हिंदू परिषद के लोग थे ही नहीं, वे स्थानीय लोग थे, जो शिवसेना के मेंबर बन गए थे और राम मंदिर बनाने के मकसद से मस्जिद को गिरा रहे थे। इस कार्य में उनके साथ रविशंकर पांडे, देवराम दास वेदांती व गांधी यादव जैसे बलिदानी साथ थे।
(Ram Mandir) सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद संतोष दुबे ने खुशी जताई और कहा कि हमने जो भी कुछ किया, वह प्रभु राम के आदेश पर किया और हमारे ऊपर लगा कलंक भी आज मिट गया। संतोष दुबे कहते हैं कि उनका जीवन ही प्रभु श्रीराम के लिए समर्पित है। आज मेरा जीवन धन्य हो गया है। आज मेरे लिए भावुक क्षण है। आज तमाम लोगों के बधाई संदेश मिल रहे हैं, मैं इस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था।
(Ram Mandir) राम मंदिर के लिए मेरे परिवार की दो पीढ़ियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। वह याद करते हैं कि स्कूल की पढ़ाई के समय उनके मन में राम जन्म भूमि पर बनी मस्जिद को हटाने के ख्याल आने लगे थे। उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था और वह इसी उधेड़बुन में लगे रहते थे कि यहां भव्य मंदिर बनाने का रास्ता कैसे साफ किया जाए।
(Ram Mandir) दुबे बताते हैं कि यदि हम भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के कहने पर चलते तो ढांचा कभी नहीं गिरता, इसलिए हमने अपने तरीके से टीम बनाई और ढांचा गिराया। अन्य आरोपी पवन कुमार पांडे ने भी मस्जिद गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। वह अंबेडकर नगर से शिवसेना के विधायक थे। कोर्ट का फैसला आने पर पवन कुमार पांडे ने बताया कि हमने जो भी किया, वह प्रभु राम का कार्य था।
(Ram Mandir) आज बहुत खुशी का दिन है कि हमने जो बाबरी मस्जिद का कलंक हटाया था, आज हमारे सिर पर जन्म भूमि के कलंक हटाने पर लगाया गया कलंक भी हट गया। उन्होंने बताया कि आज मैं हनुमान गढ़ी के दर्शन कर रहा हूं। पांडे ने बताया कि आज अयोध्या में आंदोलनकारियों की बैठक भी होने वाली है। इस बैठक में मथुरा और काशी के मुद्दे पर बात होगी।
यह भी पढ़ें (Ram Mandir) : आडवाणी, जोशी, कल्याण, उमा, कटियार सहित सभी 32 आरोपी बाबरी मस्जिद विध्वंश के आरोपों से बरी..
नवीन समाचार, लखनऊ, 30 सितंबर 2020 (Ram Mandir) । सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नही, बल्कि एक आकस्मिक घटना थी। साथ ही मस्जिद विध्वंश में आरोपियों के शामिल होने के कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
(Ram Mandir) आरोपियों में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकुष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी व उमा भारती,, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास,
(Ram Mandir) सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर शामिल थे।
(Ram Mandir) उल्लेखनीय है कि सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने गत 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके।
(Ram Mandir) मालूम हो कि कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। वैसे मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है। फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437-ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये। यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई थी और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना-देना नहीं है।
(Ram Mandir) उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी। केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए।
(Ram Mandir) इस मामले में अदालत में पेश हुए सभी आरोपियों ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दुर्भावना से मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाया था। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गत 24 जुलाई को सीबीआई अदालत में दर्ज कराए गए बयान में तमाम आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से इस मामले में घसीटा गया है।
(Ram Mandir) इससे एक दिन पहले अदालत में अपना बयान दर्ज कराने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने भी लगभग ऐसा ही बयान देते हुए खुद को निर्दोष बताया था। कल्याण सिंह ने गत 13 जुलाई को सीबीआई अदालत में बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सियासी बदले की भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार ने अयोध्या में मस्जिद की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
यह भी पढ़ें (Ram Mandir) : राम मंदिर के शिलान्यास पर ‘चायना पीक’ में भी मनाई गई दिवाली
नवीन समाचार, नैनीताल, 05 अगस्त 2020 (Ram Mandir) । बुधवार को अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के प्रधानमंत्री द्वारा किये गये शिलान्यास पर जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल में लोगों ने शाम को दिवाली मनाई। इस दौरान नगर में दिन से लेकर देर शाम तक आतिशबाजी की गई, वहीं शाम ढलते ही लोगों ने घरों के बाहर दीप जलाकर दिवाली मनाई।
(Ram Mandir) वहीं आम आदमी पार्टी की नगर इकाई ने एक बड़ी पहल करते हुए नगर अध्यक्ष शाकिर अली के नेतृत्व में नगर की सबसे ऊंची 2160 मीटर ऊंची चाइना पीक व नैना पीक कही जाने वाली चोटी पर पैदल चढ़कर दीपक और मशाल जलाकर दिवाली मनाई। पार्टी कार्यकर्ताओं ने भगवान श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के पुनीत और पावन पर्व की नगर की जनता को हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं भी प्रेषित की गईं।
(Ram Mandir) नगर अध्यक्ष शाकिर अली ने कहा कि प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास पूरे देश प्रदेश और नगर की जनता के लिए हर्षोल्लास का विषय है, क्योंकि श्रीराम देश के जनमानस और कण कण में बसे हैं और समाज के हर वर्ग का दायित्व है कि वह इस पुनीत अवसर पर अपनी भूमिका सुनिश्चित करें।
(Ram Mandir) इस मौके पर चाइना पीक में दीपावली मनाने वालों में नगर उपाध्यक्ष आरसी पंत, मंत्री नवीन उप्रेती, कोषाध्यक्ष गंगा सिंह बिष्ट, युवा मोर्चा अध्यक्ष राजेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष देवेंद्र आर्य, दीपक कुमार, होशियार सिंह कन्याल, ऋतिक कुमार, सूरज कुमार व आदित्य पंत व आदि शामिल रहे।
(Ram Mandir) हिंदू जागरण मंच ने मनाया दीपोत्सव
नैनीताल। हिंदू जागरण मंच के प्रदेश प्रचार प्रमुख हरीश सिंह राणा द्वारा राम मंदिर अयोध्या के भूमि पूजन के शुभ अवसर पर हिन्दू जागरण मंच नैनीताल के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर शाम साढ़े सात बजे श्रीराम सेवक सभा मल्लीताल के प्रांगण में दीपोत्सव कार्यक्रम किया गया।
(Ram Mandir) राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े हुए कारसेवक राजेंद्र बिष्ट, चंद्रशेखर रावत, तेज सिंह बिष्ट द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके पश्चात मिष्ठान वितरण किया गया। कार्यक्रम में जगदीश बवाड़ी, नितिन कार्की, पान सिंह बिष्ट, नवीन तिवारी भास्कर आर्य, छात्र संघ अध्यक्ष विशाल वर्मा, राजेंद्र बजेठा, कमलेश डोंडियाल, आनंद बिष्ट अरविंद पडियार, मनोज जोशी, मोहित साह आदि उपस्थित रहे।
(Ram Mandir) महर्षि सेवा संस्था ने भी उत्साह-उल्लासपूर्वक दीप जलाए
नैनीताल। नगर के वाल्मिकी समाज व महर्षि सेवा संस्था के संयुक्त तत्वावधान में श्रीराम जन्म भूमि निर्माण की गौरवमय इतिहास तिथि को भगवान राम व महर्षि वाल्मीकि जी को समर्पित कर दीपक जलाकर, आतिशबाजी कर और मिष्ठान वितरण कर हर्ष के साथ मनाया।
उधर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पूजन के उपलक्ष्य में उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं द्वारा श्री हंस कीर्ति आश्रम सतपाल जी महाराज जी के आश्रम में दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम किया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ, उपमहाधिवक्ता तेज सिंह बिष्ट व एनएस पुंडीर, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पूरन बिष्ट, योगेश शर्मा,
(Ram Mandir) यूथ बार एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष अक्षय लटवाल, छात्र नेता एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष नवीन जोशी, वीरांगना वाहिनी की जिलाध्यक्ष केतकी तारा कुमैया, अनुराग बिसरिया, अंजली भागर्व, प्रभा पुंडीर, विरेन्द्र रावत, सिद्धार्थ बनकोटी, नवीन तिवारी व पान सिंह बिष्ट आदि लोग उपस्थित रहे।
केएमवीएन कर्मचारियों ने रोपे पौधे
नैनीताल। कुमाऊं मंडल विकास निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गुरुरानी की अगुवाई में बुधवार को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के शुभारंभ के अवसर पर समूचे कुमाऊं मंडल में निगम के कर्मचारियों ने ‘एक पौधा धरती मां के नाम’ अभियान के तहत पौधे लगाए। इसके साथ ही उन्होंने निगम प्रशासन से अनुरोध किया कि महासंघ द्वारा सकारात्मक रूप से पर्यावरण संरक्षण के तहत अपने आप में अनोखे आंदोलन को देखते हुए कर्मचारियों की समस्याओं का अति शीघ्र निराकरण करें।
यह भी पढ़ें (Ram Mandir) : बेहद उल्लासपूर्ण, नाच-झूम, पटाखे तोड़, मिष्ठान वितरण कर जताई श्रीराम मंदिर के शिलान्यास की खुशी
नवीन समाचार, नैनीताल, 5 अगस्त 2020 (Ram Mandir) । सर्वधर्म की नगरी सरोवरनगरी, जिला एवं मंडल मुख्यालय नैनीताल में भाजपा कार्यकर्ताओं में पहली बार बुधवार को ऐसी खुशी-ऐसा उल्लास देखा गया।
(Ram Mandir) कमोबेश पहली बार पार्टी कार्यकर्ता इस मौके पर झूमकर नाचे और पहली बार ही उन्होंने (पार्टी की लोकसभा व विधानसभा में भारी जीत के मौके पर भी खुद ही एक-दो डिब्बे मिठाई आपस में ही मिल-बांटकर खा लेने से इतर) उपस्थित लोगों को मिठाई के पैकेट श्रीराम के प्रसाद स्वरूप वितरित किये और जमकर पटाखे भी जलाकर भीतर फूट रही खुशी व आनंद को व्यक्त किया।
(Ram Mandir) मल्लीताल रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ता पार्टी के बड़े झंडे और श्रीराम नाम की दुशाला के साथ श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी भूमिका को याद करके भी अपनी खुशी को बढ़ा रहे थे। कार्यकर्ता यह देखकर भी बेहद आह्लादित व गर्वोक्त थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या में श्रीराम लला के दर्शनों के मौके पर किस तरह अभूतपूर्व तरीके से भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया। कहा पांच शताब्दियांे बाद ऐसी खुशी मिली है, जिसकी वास्तव में उम्मीद ही नहीं की थी।
(Ram Mandir) आज का दिन देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। इस मौके पर प्रमुख रूप से भाजपा के नगर अध्यक्ष आनंद बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष मनोज जोशी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गोपाल रावत, बिमला अधिकारी, जीवंती भट्ट, सभासद मोहन नेगी व कैलाश रौतेला, अरविंद पडियार, प्रमोद सुयाल, कुंदन बिष्ट, संतोष साह, कमलेश ढोंढियाल, विश्वकेतु वैद्य, पुनीत टंडन, भानु पंत, विक्रम राठौर, अनिल गढ़िया, मोहित साह, रुचिर साह व जतिन शर्मा सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल रहे।
(Ram Mandir) उधर तल्लीताल बाजार में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े पूर्व सभासद संजय साह की अगुवाई में आतिषबाजी कर श्रीराम मंदिर के शिलान्यास पर खुशी जताई गई। इस मौके पर सुखदीप आनंद, कमल कुमार, घनश्याम बेलवाल, रामेश्वर साह, अमन जोशी व गब्बर आदि लोग मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें (Ram Mandir) : राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ पर विशेष: राम को जैसा मैंने समझा, विवादित ढांचे को जैसा मैंने अपनी आंखों से देखा, और विवादित ढांचे पर जो अयोध्या के मुसलमानों का मानना था..
(नोट: इस आलेख के लेखक पूरन मेहरा राम जन्म भूमि आंदोलन से गहरे जुड़े हैं। यहां हम उनके आलेख को यथासंभव ज्यों-का-त्यों प्रस्तुत कर रहे हैं। इस आलेख में वे विवादित ढांचे के स्वयं किये हुए दर्शनों एवं उसके प्रति अयोध्या के मुस्लिम समुदाय के लोगों की भावना को भी प्रकट कर रहे हैं)
(Ram Mandir) भगवान राम की महिमा अपार और अनंत है। भगवान राम ही नही बल्कि उनके पिता दशरथ जी की महिमा को भी भारत का बच्चा-बच्चा जानता और मानता है। भारतीय जनमानस में वास्तविक नायक राम ही हैं, राम का अर्थ ही रम जाना है। भारतीय संदर्भ में व्यक्ति के लिए उसका लक्ष्य ही राम हैं। भारत का यही सांस्कृतिक आदर्श राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को दिशा देने का काम शुरू करेगा। सीता मातु कहि लघु बालक, सखी कहिं धनु मद को घालक।
(Ram Mandir) सीता जी की माँ सुनयना राम को देखते हुए बोलीं, ‘छोटा बालक है’, किंतु सखी ने कहा ‘यही धनुष और राजाओं के मद को तोड़ने वाले राम हैं’। रघुकुल के संस्कार लोगों में शिष्ट आचरण, सौम्य स्वभाव और सामाजिकता युक्त व्यवहार के लिए प्रेरित करते हैं। राम के मंगलकारी उच्चारण कानों में पड़ते ही शरीर में लहू होने का अहसास करवाकर हलचल पैदा कर देते हैं।
(Ram Mandir) भगवान राम हमें भवसागर में डूबने के लिए नही छोड़ते। जो राम के गुणों से किनारा कर लेते हैं उनका डूबना जारी रहता है। राम का जीवन दर्शन अनंत काल से जनमानस में आदर्श जीवन चरित्र को प्रेरित और प्रतिबिंबित करता रहा है। गांधी जी रघुकुल के जीवन-दर्शन व रामलीला को भारत की सांस्कृतिक पूंजी मानते थे।
(Ram Mandir) राम मंदिर निर्माण का समर्थन या विरोध का बहाना क्यों ? हजारों-हजार वर्ष से हम अभिवादन में ‘राम-राम’ कहते आये हैं। शरीर छोड़ने के बाद भी ‘राम’ नाम से ही अन्तिम यात्रा पूरी होती है। श्री राम राजनीतिक नही सामाजिक सांस्कृतिक राष्ट्रीय एवं वैश्विक महाशक्ति हैं। हमारे संविधान में भी प्रथम 14 महापुरुषों में सर्वप्रथम राम, जानकी व लक्ष्मण ही हैं।
(Ram Mandir) इसलिए भारत में राम मंदिर का निर्माण भारत की राजनीति ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय वैश्विक परिदृश्य को भी प्रभावित करेगा। ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की परिकल्पना को मानने वाला भारतीस कभी भी कट्टरवादी नही रहा, और न है। यह देश संतों का है। यहां बड़ी-बड़ी विभूतियां पैदा हुईं। यहां पैरों को छूकर प्रणाम किया है।
(Ram Mandir) यहां गंगा में डुबकी लगाकार पापों का अंत होता है, यहां जो अनुचित है उसे अस्वीकार करने की तत्परता समय-समय पर प्रकट होती रही है। यहां भीरुता को पापों की जननी माना गया है। हमने अपने प्रतीक जल्दबाजी में नहीं चुने, बल्कि वे अध्ययन और अनुभव से आए हैं। शेष संसार विजय का प्यासा है। वहां हार कर लौटने वाले लोग दुखी व जीतकर लौटने वाले लोग स्वयं ही आनन्दित होते हैं। पर हमारे यहां जीतकर भी उदास होने की चित्तदशा निर्मित होती रही है।
(Ram Mandir) राम रावण को जीतकर उदास थे। महाभारत के पांडव भी युद्ध जीतकर उदास हुए और हिमालय चले गये। सम्राट अशोक भी कलिंग का युद्ध जीतकर उदास हो गये और बौद्ध बन गए। इस प्रकार जीतकर उदास होने और हारकर फिर लड़ने व संघर्ष करने का रहस्य केवल व केवल हमारे पास है।
(Ram Mandir) आज का माहौल देश व जनता के बीच दूसरा है। 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण की पहली ईट रखी जा रही है। इसकी न कभी भारत की जनता को और न मुझे उम्मीद थी। जब मेरी उम्र महज 18 साल थी, मैने भारत की दिशा व दशा बदल देने वाले राम जन्मभूमि आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ भाग लिया था। राम जन्म भूमि आन्दोलन के दौरान मेरा 1990 से 95 तक पांच बार अयोध्या जाना हुआ।
(Ram Mandir) समाचार पत्रों में केवल मस्जिद दिखाई गयी थी। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के हवाले से लिखा था वहां ‘परिंदा भी पर नही मार सकेगा’। ऐसे समाचारों के आधार पर मैंने समझा था कोई बड़ा मैदान होगा, उसमें कोई बड़ी मस्जिद होगी। लेकिन वहां ऐसा कुछ भी नहीं था। बाजार के सिरे पर मंदिर था। जिसे तोड़कर मुगल बाबर के सेनापति मीरबांकी ने ऊपरी हिस्से में गुम्बद बना बाबरी मस्जिद का नाम दिया था। केवल तीन गुम्बदों की वजह से ही इतना बढा झगड़ा था।
(Ram Mandir) जब मैं पहली बार कारसेवा में शामिल हुआ तो मेरे बाल बढ़े हुए थे। कई अनुभवों के साथ मेरा उस दौरान सबसे बड़ा अनुभव एक बारबर की दुकान पर हुआ। मैं बाल कटवाने एक बारबर शॉप में गया। बाल काटने के दौरान मुझे लगा कि वह दूकान मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति की है। मैंने उनसे पूछ लिया, ‘आप यहां मन्दिर क्यों नही बनने देते ?’ शायद यह मेरी नादानी थी। पर बाल काटने वाले व्यक्ति मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग व्यक्ति थे।
(Ram Mandir) वे बोले, ‘जब आप बड़े हो जाओगे तो एक बार हिन्दुओं की तरह मुसलमानों की भी कारसेवा करवा देना। मंदिर स्वयं बन जायेगा।’ ऐसा इसलिए कि अयोध्या के मुस्लिम समुदाय को पता था कि अयोध्या में क्या है। जब मैं दूसरी बार अयोध्या गया, तब भी उस दुकान में गया। फिर मैंने वहीं बाल कटवाए। उन भले आदमी को मैंने चाचा संबोधन के साथ याद दिलाया। मैंने पहले भी आपके वहां बाल कटवाए थे। उनके पूछने पर बताया कि मैं नैनीताल से आया हूं। उन्होंने पूछा, ‘दर्शन कर लिये ? क्या देखा ?’
(Ram Mandir) मैंने उन्हें बताया, ‘जिसे मस्जिद (तब का विवादित स्थल, जिसे 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने ध्वस्त कर दिया) कहते हैं, वो तो मंदिर ही है। उसमें पूजा होती है। मंदिर की बुनियाद के ऊपर जिसे हम ‘डैडो’ कहते हैं, उसमें हिंदू मंदिरों की ही तरह की नक्काशी है। उस मस्जिद कहे जाने वाले मंदिर के आगन में एक अन्य छोटा मंदिर भी है। उसमें तो लाइन भी नही लगानी पड़ती है।
(Ram Mandir) परिसर मैं भगवान राम के पूर्वजों सहित सीता रसोई आदि काफी कुछ है। केवल तीन ऊपरी गोल गुम्बदों की वजह से इतना बड़ा झगड़ा है।’ तब उन्होंने कहा, ‘एक बार नेताओं के बगैर मुसलमानों की की भी कारसेवा हो तो वह खुद ही मंदिर बनवा देगें।’
(Ram Mandir) भगवान राम का आर्दश व चरित्र केवल मै ही नही मेरे जैसे न जाने कितने लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन में कितने समय से प्रतिबिम्बित होता रहा है। पांच अगस्त 2020 को केवल राम मंदिर निर्माण का विषय नही है यह भारत की प्राण चेतना का भी शिलान्यास है। भगवान राम भारत की धड़कन हैं, प्राण हैं।
(Ram Mandir) राम मंदिर के संबंध में कुछ तथ्य यह हैं कि 1528 (पन्द्रह सौ अट्ठाइस) में मुगल बाबर द्वारा भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर तोड़कर जो मस्जिद बनाई, वह 6 दिसम्बर 1992 तक सैकड़ों वर्षों से करोड़ों लोगों के विश्वास व मनोभावों को आक्रान्त करता रहा।
(Ram Mandir) भारत विश्व का प्राचीनतम राष्ट्र है लेकिन आजादी के इतने समय तक भगवान राम का अनादर क्यों हुआ ? दूसरी तरफ बनावटी रस्मों-रिवाज पंथ-अंधविश्वास वाले, फर्जी तांत्रिक व खुद को भगवान मानने वाले धोखेबाज फलते-फूलते रहे। अंधविश्वास और लोकतंत्र साथ-साथ नही चल सकते।
(Ram Mandir) इन सब विडंबनाओं के बावजूद इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के अंतिम वर्ष में आठवें माह की पांच तारीख को लोकतंत्र का मुख्य आधार जनभागीदारी से भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी, जिन्होंने इस जटिल समस्या का भी शान्तिपूर्ण समाधान किया व इस गहनतम गुत्थी को सुलझाया उन्हें कोटि-कोटि धन्यवाद।
(Ram Mandir) नये भारत में जनता किसी भी रुप में बड़बोलेपन व पाखंड को स्वीकार नही करना चाहती। गर्भगृह में प्रभु राम के मंदिर का निर्माण हर भारतवासी में ढांढ़स बधाता है। आज के युग में शहरी, कस्बाई व गांव में बैठा व्यक्ति तक नयेपन की पूरी जानकारी लिए बैठा हुआ है। लोकतान्त्रिक प्रकिया में नेतृत्व क्षमत,ा प्रशासनिक सामर्थ्य व वैचारिक समझ का प्रदर्शन करना ही पड़ता है। खुद को साबित करना ही पड़ता है। तंत्र को लोक के प्रति अपनी जिम्मेदारी तय करनी ही पड़ेगी।
(Ram Mandir) इतने विशाल और सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश में जिसे बहुआयामी बहुधर्मी कहा जाता है, वहां के नेतृत्व में समाहित होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा पैदा करने की क्षमता होनी चाहिए, जो अब एक लम्बे अन्तराल की शून्यता के बाद दिखाई देती है। जो श्रेष्ठ व्यक्ति राजनीतिक समस्या से कतराते नहीं, बल्कि उसका मुकाबला करते हैं। वह हो रहा है। सरकार न्यायालय के फैसले के बाद मजबूत फैसला लेने में पीछे नही हटी।
(Ram Mandir) यह भी तब भारतीय जनता पार्टी जानती थी कि एक आयातित आक्रान्ता द्वारा मंदिर तोड़कर उपरी हिस्से में बनाए गुम्बदों के ढांचे को ढहाने के बाद भी उसका वोट प्रतिशत महज 26 प्रतिशत के आसपास ही था। भारतीय समाज कभी भी स्वयं ढांचा ढहाने के पक्ष में नहीं रहा, लेकिन जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर निर्माण शीघ्र हो, ऐसा चाहता था। आजाद भारत के इतिहास में इसका दूरगामी परिणाम होगा।
(Ram Mandir) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बखूबी समझते हैं। भारत को भारत जैसा बनाना ही पडे़गा। बहुत सी विसंगतियां जो अभी भी विद्यमान हैं उन्हें दूर करना ही होगा। भारत भूमि के गौरवान्वित इतिहास से सीख लेकर अभी कई बड़े कदम उठाने होंगे। जन्मभूमि में मंदिर निर्माण से उन समूहों के सामने चुनौती होगी जो भारत को सोने की चिड़िया कहने वाले दस्तावेजों को जला देने की बात कहते थे।
(Ram Mandir) ‘लघुता दिखे काज बढ़ होई, तिनसे बढ़ो न जग में कोई।’
राम, गंगा, अणु, ब्रह्मांड, मोदी, सब छोटे नाम हैं, पर बल की सीमा नही है। भारत जगतगुरु है। विश्व इसका शिष्य है। भारत भूमि पर जन्मा है, हिन्दू जीवन-दर्शन। इस आशा के साथ भगवान ने भारत को जो दिया वह किसी भी देश को नही दिया, किन्तु कुछ दुसरे देशों को जो भी दिया वह सब भारत को दे दिया,।
– पूरन सिंह मेहरा।
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नवीन समाचार, रुद्रपुर, 9 नवंबर 2019 (Ram Mandir) । अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जनपद में दो लोगों को पुलिस ने कार्रवाई कर गिरफ्तार कर लिया है। पहले मामले में रुद्रपुर में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के शिवनगर वार्ड से पार्षद शिव कुमार गंगवार ने फेसबुक पर अमर्यादित पोस्ट डाल दी।
(Ram Mandir) भड़काऊ पोस्ट की जानकारी मिलते और मामले की संवेदनशीलता समझते हुए खुफिया विभाग, सोशल मीडिया सेल व ट्रांजिट कैंप पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पार्षद पर कानूनी कार्रवाई नहीं करने को लेकर दबाव भी बनाया गया, लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी।
(Ram Mandir) उधर काशीपुर में भी पुलिस के सोशल मीडिया सेल ने आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों पर नजर रखने के दौरान पुलिस ने जनपद के काशीपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सोशल मीडिया प्रभारी गिन्नी खेड़ा निवासी पुष्प कुमार विश्नोई को भारतीय दंड संहिता की धारा 295 व 153 के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है।
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-भाजपा-कांग्रेस के नेताओं ने दिया राम मंदिर के फैसले पर दिया सर्वधर्म संभाव का संदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 9 नवंबर 2019 (Ram Mandir) । सदियों से चले आ रहे भगवान राम के जन्म स्थान के विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय की 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ द्वारा दिये गये सर्वोच्च फैसले पर सर्वधर्म की नगर भी कही जाने वाली सरोवरनगरी पूरी तरह शांत रही। न किसी ने फैसले पर अति उत्साह में हर्ष जताया और न ही किसी ने दुःख। वहीं भाजपा व कांग्रेस के दो नेताओं के द्वारा इस दौरान सर्वधर्म का संदेश भी दिया गया।
(Ram Mandir) राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में परंपरागत तौर पर भगवा वासकोट में आये भाजपा नेता गोपाल रावत और हरे रंग के वासकोट में आये कांग्रेस नेता रईश भाई नगर की मल्लीताल जामा मस्जिद के सामने फ्लैट्स मैदान में एक-दूसरे को बांहों में लिये नजर आये और फैसले पर समान रूप से खुशी जताई। वहीं कांग्रेस नेता डा. रमेश पांडे ने उम्मीद जताई कि इसके बाद देश की सरकार अर्थव्यवस्था व रोजगार के बड़े व जरूरी मुद्दों पर कार्य करेगी।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 9 नवंबर 2019 (Ram Mandir) । देश के सबसे चर्चित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आज देश के सर्वोच्च न्यायालय की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुना दिया है।। इस बेहद संवेदनशील मामले को देखते हुए देश भर में पुलिस अलर्ट पर है। हम इस लाइव ब्लॉग के जरिए फैसले से जुड़ा हर अपडेट आप तक पहुंचा रहे हैं… अपडेट के लिए पोस्ट को रिफ्रेश करते रहें….
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा- हम फैसले का स्वागत करते हैं। मुस्लिमों ने राम को इमाम-ए-हिन्द का दर्जा दिया था।
सर्वोच्च फैसला: राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ, विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को दी गई। (11.14 AM) पांचों जजों ने कहा कि विवादित जमीन हिन्दुओं को सौंपा गया। केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाएगी जो मंदिर का निर्माण कराएगी। यह जमीन अभी केंद्र सरकार के पास रहेगी और बाद में ट्रस्ट को दी जाएगी।
5 एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी जाएगी (11.11 AM)
हिंदू पक्ष को शर्तों के साथ मिलेगी जमीन, केंद्र सरकार तीन माह में योजना के साथ बोर्ड बनाकर ट्रस्ट बनाए (11.09 AM) विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए, 3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए केंद्र, केंद्र विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज को सौंपेगा। मुस्लिमों को अयोध्या में 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन मिलेगी। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलेगा
मुस्लिम पक्ष को मिलेगी वैकल्पिक भूमि (11.07 AM) सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश दिया।
मुस्लिमों ने इस बात के सबूत पेश नहीं किए कि 1857 से पहले स्थल पर उनका ऐक्सक्लुसिव कब्जा था। 1949 तक उन्होंने वहां नमाज पढ़ा
इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह साबित हुआ है कि मुस्लिम ढांचे के भीतर इबादत करते थे और मुस्लिम उसके बाहर पूजा करते थे।
ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन है।
हिंदू पक्ष ने बाहरी हिस्से पर दावा साबित किया।
इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था
ASI यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था
बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था
हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है
हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है: सुप्रीम कोर्ट
केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर तकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया। उसने देरी से याचिका दायर की थी।
शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई गोगोई ने कहा, ‘हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं।’
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नवीन समाचार, नैनीताल, 9 मार्च 2019। सुप्रसिद्ध धर्मगुरु एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के विवाद को निपटाने के लिए बनी मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीश्री रविशंकर जनपद में हल्द्वानी आगमन पर प्रकृति के स्वर्ग सरोवरनगरी को देखने-महसूस करने का लोभ संवरण नहीं कर पाये।
(Ram Mandir) वे नौकुचियाताल से होते हुए शनिवार अपराह्न अचानक सरोवरनगरी पहुंचे और यहां पैदल ही नगर की आराध्य देवी माता नयना देवी के साथ ही नगर के सबसे प्राचीन पाषाण देवी सहित ठंडी सड़क के शनि देव, ग्वेल देवता आदि मंदिरों में भी शीष नवाये, साथ ही विश्व प्रसिद्ध नैनी झील का भी अवलोकन किया।
(Ram Mandir) इस दौरान हालांकि उनके साथ आये लोगों ने उनसे मिलने पहुंचे पत्रकारों से योग शिविर के अतिरिक्त कोई भी प्रश्न न पूछने की पहले ही हिदायत दे दी थी, अलबत्ता फिर भी मध्यस्थता समिति में उनके नाम को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होंने कहा, विवाद से कोई फर्क नहीं पड़ता है। कुछ लोगोंकुछ लोगों (ओवैसी) का काम हमेशा ही विरोध करना होता है।
(Ram Mandir) उन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्त किया है और वे फैजाबाद जाकर विवाद को निपटाने के लिए इमानदारी से हरसंभव प्रयास करेंगे। साथ ही कहा कि विवाद का समाधान बातचीत से ही संभव है।
यहां नगर में वे मल्लीताल स्थित फेयर हैवंस होटल में रुके हैं। बताया गया कि उन्होंने नैनी झील के दृश्य दिखाने वाले कमरे में रहने की इच्छा जताई, जिसके बाद उन्हें ऐसा ही कमरा उपलब्ध कराया गया है। इस दौरान उनकी एक झलक देखने के लिये लोगों की भीड़ जुट गयी। उन्होंने भी प्रशंसकों को अपने साथ फोटो खींचने का पूरा मौका दिया।
पूर्व समाचार : अयोध्या मामले का मध्यस्थता से हल निकालने को पैनल नियुक्त, जानें कौन तीन शामिल हैं पैनल में, और क्या निकल पाएंगे हल…
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 8 मार्च 2019। अयोध्या मामले का मध्यस्थता के जरिए हल के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता पैनल का ऐलान किया है, जिसमें आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल हैं। मध्यस्थता की पूरी कार्यवाही कैमरे में कैद होगी और मीडिया इसकी रिपोर्टिंग नहीं कर सकेगा। आइए, जानते हैं कि कौन हैं मध्यस्थता समिति में शामिल ये नाम।
जानिए, कौन हैं अयोध्या विवाद के 3 मध्यस्थ :
जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला :
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए गठित पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला को दी है। तमिलनाडु के रहने वाले जस्टिस कलीफुल्ला का पूरा नाम फाकिर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है। अपने लंबे न्यायिक सफर में उन्होंने एक वकील से लेकर हाई कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जज तक का रास्ता तय किया।
(Ram Mandir) 20 अगस्त 1975 को वकालत की शुरुआत करने वाले कलीफुल्ला 2000 में मद्रास हाई कोर्ट में परमानेंट जज नियुक्त हुए। फरवरी 2011 में वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जज बने और दो हफ्ते बाद ही ऐक्टिंग चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। सितंबर 2012 में वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। उसके बाद, 2 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 22 जुलाई 2016 को रिटायर हुए।
श्री श्री रविशंकर:
मध्यस्थता समिति में जाने-माने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी शामिल हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर इससे पहले भी व्यक्तिगत स्तर पर अयोध्या मामले को सुलझाने की पहल कर चुके हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके अलावा, वह कश्मीर में शांति के लिए भी व्यक्तिगत तौर पर पहल कर चुके हैं। श्रीश्री रविशंकर के देश-विदेश में करोड़ों अनुयायी हैं। उन्होंने 1981 में आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की थी। श्री श्री रविशंकर सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़े कार्यक्रमों के लिए भी जाने जाते हैं।
पैनल में गठित होते ही सबसे पहले हल्द्वानी पहुंचे श्री श्री, बोले जरूर निकलेगा राम जन्मभूमि विवाद का समाधान
हल्द्वानी। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि का मामला बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए गठित किये गये मध्यस्थता पैनल में शामिल आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर उत्तराखंड के हल्द्वानी पहुंचे हैं। यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मध्यस्थता कमेटी में शामिल होने की जानकारी उन्हें अभी-अभी प्राप्त हुई है।
(Ram Mandir) वे रामजन्मभूमि विवाद को अपने स्तर से सुलझाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे, और उन्हें उम्मीद है कि इसका समाधान जरूर निकलेगा। उन्हें कमेटी में रखने पर हो रही राजनीति पर सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि राजनीति करना राजनीतिक दलों का काम है। यह सवाल उन्हीं लोगों से पूछा जाना चाहिए।
श्रीराम पांचू :
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मसले पर गठित मध्यस्थता समिति में श्रीराम पांचू भी शामिल हैं। 40 सालों से वकालत कर रहे वरिष्ठ वकील पांचू पिछले 20 सालों से सक्रिय मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। वह मिडिएशन चैंबर्स के संस्थापक हैं। उन्होंने देश के तमाम हिस्सों में व्यावसायिक, कॉरपोरेट और अन्य क्षेत्रों से जुड़े कई बड़े और जटिल विवादों में मध्यस्थता कर चुके हैं।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 6 मार्च 2019। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सर्वोच्च न्यायालय को अब भी मध्यस्थता की गुंजाइश दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दलीलें सुनने के बाद मामले के स्थायी समाधान के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त और निगरानी में मध्यस्थता को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया।
(Ram Mandir) चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने साफ कहा कि हम अयोध्या जमीन विवाद और इसके प्रभाव को गंभीरता से समझते हैं और जल्दी फैसला सुनाना चाहते हैं। बेंच ने आगे कहा कि अगर पार्टियां मध्यस्थों का नाम सुझाना चाहती हैं तो दे सकती हैं।
मध्यस्थता पर सभी पक्ष सहमत नहीं
सुप्रीम कोर्ट में हिंदू महासभा ने क्लियर स्टैंड रखा कि मध्यस्थता नहीं हो सकती है। महासभा ने कहा कि भगवान राम की जमीन है, उन्हें (दूसरे पक्ष को) इसका हक नहीं है इसलिए इसे मध्यस्थता के लिए न भेजा जाए। रामलला विराजमान का भी कहना था कि मध्यस्थता से मामले का हल नहीं निकल सकता है। हालांकि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता का पक्ष लिया।
सिर्फ जमीन का नहीं, भावनाओं से जुड़ा मामला: जस्टिस बोबडे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये भावनाओं और विश्वास का टकराव है। दिल और दिमाग को पाटने का सवाल है। हमें गंभीरता पता है और हम आगे मामले को देख रहे हैं। यह उचित नहीं है कि अभी कहा जाए कि नतीजा कुछ नहीं होगा। जस्टिस बोबडे ने कहा कि आपसी बातचीत से मामले का समाधान निकलना चाहिए।
(Ram Mandir) उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जमीन का नहीं, दिल-दिमाग और भावनाओं से जुड़ा मसला है। बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वह इस बात का फैसला करेगा कि समय बचाने के लिए केस को कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता के लिए भेजा जा सकता है या नहीं।
बाबर के जिक्र पर जस्टिस ने क्या कहा?
हिंदू महासभा में अपना पक्ष रखते हुए मध्यस्थता का विरोध किया। महासभा ने कहा कि कोर्ट को ही फैसला करना चाहिए। जब हिंदू पक्षों ने कहा कि मध्यस्थता निरर्थक प्रयास होगा क्योंकि हिंदू इसे एक भावनात्मक और धार्मिक मामले के तौर पर लेते हैं।
(Ram Mandir) उन्होंने कहा कि बाबर ने मंदिर को ध्वस्त किया था। इस पर जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा, ‘अतीत में क्या हुआ, उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है। किसने हमला किया, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद था। हम मौजूदा विवाद के बारे में जानते हैं। हमें सिर्फ विवाद के निपटारे की चिंता है।’
मध्यस्थता पर रिपोर्टिंग बैन?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका मानना है कि अगर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होती है तो इसके घटनाक्रमों पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह कोई गैग ऑर्डर (न बोलने देने का आदेश) नहीं है बल्कि सुझाव है कि रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम पक्षों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने भी कहा कि पूरी प्रक्रिया बेहद गोपनीय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता की रिपोर्टिंग होती है तो सुप्रीम कोर्ट इसे अवमानना मान सकता है।
मुस्लिम पक्ष राजी, कहा- आगे बढ़ें
वकील राजीव धवन ने आगे कहा कि मुस्लिम पिटिशनर्स मध्यस्थता और किसी समझौते या सेटलमेंट के लिए राजी हैं, जो पार्टियों को बाध्य करे। उन्होंने बेंच से मध्यस्थता के लिए शर्तें तैयार करने को भी कहा। वहीं, जस्टिस बोबडे ने कहा कि यहां केवल एक मध्यस्थ नहीं बल्कि मध्यस्थों के एक पैनल की जरूरत है। एक हिंदू पक्षकार ने कहा कि मध्यस्थता के लिए पब्लिक नोटिस जरूरी है।
जस्टिस चंद्रचूड़ बोले, आसान काम नहीं
वहीं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विवाद दो समुदायों का है, सबको इसके लिए तैयार करना आसान काम नहीं है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये बेहतर होगा कि आपसी बातचीत से मसला हल हो पर कैसे? ये अहम सवाल है।
‘एक फीसदी भी गुंजाइश तो प्रयास कीजिए’
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक फीसदी भी बातचीत की गुंजाइश है तो प्रयास होना चाहिए। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों के वकील का कहना था कि वह इसके लिए प्रयास कर सकते हैं लेकिन राम लला विराजमान के वकील ने कहा था कि पहले ही इसके प्रयास हो चुके हैं और मध्यस्थता की संभावना नहीं है। अदालत ने कहा था, ‘हम चाहते हैं कि संबंधों की खाई को पाटा जाए।’
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नवीन समाचार, देहरादून, 7 फरवरी 2019। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने कहा है कि संघ लोकसभा चुनाव के बाद राम मंदिर निर्माण शुरू कर देगा, चाहे केंद्र में किसी की भी पार्टी की सरकार बने। बता दें कि इससे एक दिन पहले ही विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने ऐलान किया था कि वह लोकसभा चुनाव तक के लिए राम मंदिर आंदोलन को रोक रहा है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित आरएसएस के एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने राम मंदिर, धार्मिक भेदभाव और जातिगत आरक्षण संबंधी कई मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए। राम मंदिर के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि हाल ही में कुंभ मेले हुई ‘धर्म संसद’ के मुताबिक ही मंदिर का निर्माण होगा। इस बारे में आरएसएस के एक अन्य नेता ने कहा, ‘भागवतजी ने कहा है कि चुनाव के बाद कोई भी सरकार सत्ता में आए, संघ धर्मगुरुओं के साथ मिलकर कार्रवाई करेगा।’
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आरएसएस नेता ने हालांकि राम मंदिर निर्माण के लिए कोई तय तारीख तो नहीं बताई है लेकिन यह स्पष्ट किया है कि राम मंदिर और गोरक्षा ही हिंदू संस्कृति के आधार हैं और वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। वहीँ आरक्षण के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि वह इसके साथ हैं,
(Ram Mandir) लेकिन वह व्यापक सामाजिक पहुंच के भी पक्षधर हैं। एक आरएसएस नेता ने कहा, ‘भागवत ने कहा है कि आरएसएस आरक्षण के खिलाफ नहीं है लेकिन इसका लाभ जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर मिलने की बजाय जरूरतमंद लोगों को मिलना चाहिए।’
(Ram Mandir) वीएचपी, आरएसएस के फैसले से बीजेपी को राहत
(Ram Mandir) राम मंदिर मामले पर लोकसभा चुनाव तक शांत होने का वीएचपी और आरएसएस का फैसला भातीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए राहत भरा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में गैर-विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को लौटाने संबंधी याचिका दायर करके यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह राम मंदिर मामले को लेकर अभी भी संवेदनशील है। ऐसे में वीएचपी और आरएसएस के इन फैसलों से चुनावी माहौल में बीजेपी को थोड़ी राहत मिली है।
(Ram Mandir) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले में कह चुके हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है, तब तक किसी अन्य विकल्प पर विचार नहीं किया जाएगा। इससे पहले आरएसएस और वीएचपी ने मांग की थी कि केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। आरएसएस के मीडिया हेड अरुण कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की याचिका से संत समाज संतुष्ट है।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 16 सितम्बर 2018 (Ram Mandir) । बाबर के कानूनी वंशज ने कहा-राम मंदिर ध्वस्त करने पर शर्मिंदा, बने राम मंदिर, राजनीति न करें ओवैसी-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्डबाबर के कानूनी वंशज ने कहा-राम मंदिर ध्वस्त करने पर शर्मिंदा, बने राम मंदिर, राजनीति न करें ओवैसी-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्डबाबर के कानूनी वंशज ने कहा-राम मंदिर ध्वस्त करने पर शर्मिंदा, बने राम मंदिर, राजनीति न करें ओवैसी-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
लखनऊ, 17 सितंबर 2018 (Ram Mandir) । मुगल वंश के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के कथित उत्तराधिकारी होने का दावा प्रिंस याकुब हबीबउद्दीन तूसी करते रहे हैं। इस बार प्रिंस तूसी ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने बयान में प्रिंस तूसी ने कहा कि अगर अयोध्या की विवादित भूमि पर मंदिर का निर्माण करवाया जाता है तो हमें बाबर का वंशज होने के नाते कोई आपत्ति नहीं है। इसके अलावा अगर मंदिर की नींव रखी जाएगी तो पहली ईंट रखने के लिए खुद मैं वहां जाऊंगा।
#WATCH: Prince Yakub Habeebuddin Tucy, who claims to be a descendant of Mughal emperor Bahadur Shah Zafar speaks on the matter of Ram temple, says 'We have no objection…If a temple is built there we will be the ones to lay the foundation stone.' pic.twitter.com/QhbCHtMlAM
— ANI (@ANI) September 16, 2018
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(Ram Mandir) हैदराबाद के रहने वाले प्रिंस याकुब हबीबउद्दीन तूसी ने एएनआई से कहा,” बाबर ने मरने के वक्त हुमायूं से अपनी वसीयत के बारे में कहा था कि मीर बाकी ने अयोध्या में जो हरकत की है उससे पूरे तैमूरी खानदान पर कलंक लग गया है। दूसरी बात जो उन्होंने कही थी कि अगर हिंदुस्तान में तुम्हें हुकूमत करनी है तो संतों-महंतों को ऐहतराम करो। मंदिरों की हिफाजत करो और एक जैसा न्याय करो।”
यह भी पढ़ें : 2018 के अंत तक बनना शुरू हो जाएगा राम मंदिर : शिया वक्फ बोर्ड
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- शिया वक्फ बोर्ड के सदर द्वारा कही गयी बड़ी बातें: शिया वक्फ बोर्ड राम मंदिर के साथ है
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- अयोध्या में लड़ाई मुस्लिमों के किसी पैगंबर से जुड़े स्थान की नहीं, बल्कि हिंदुओं की आस्था की है
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- बाबरी मस्जिद का निर्माता मीर बाकी शिया था, इसलिए शिया वक्फ बोर्ड का मत सर्वोच्च न्यायालय में भी महत्वपूर्ण
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- सुन्नी वक्फ बोर्ड का पंजीकरण पहले ही अवैध हो चुका है घोषित, इसलिए उनके मत के कोई मायने नहीं
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- बाबर इस देश का लुटेरा था, उसने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं, इसलिये यह जगह मस्जिद और इबादत के लिए कभी भी जायज नहीं रही
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- बाबर या मीरबाकी के पास राम मंदिर के स्थान की मिल्कियत नहीं थी, बाबरनामा में भी इसका जिक्र नहीं
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- हज सब्सिडी हटाना मोदी सरकार का अच्छा फैसला, क्योंकि किसी अनुदान, कर्ज लेकर हज जाने का शरई प्राविधान नहीं है
नैनीताल, 29 जून 2018। यूपी शिया सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ यानी शिया वक्फ बोर्ड के सदर वसीम रिजवी ने देश के सबसे चर्चित अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि इसी वर्ष यानी 2018 के अंत तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो सकता है। शिया वक्फ बोर्ड राम मंदिर के साथ है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 में मीर बाकी ने बाबर के कहने पर किया था।
(Ram Mandir) बाबर इस देश का लुटेरा था, और उसने यहां के मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई थीं, यह तथ्य है। बाबर या मीर बाकी किसी के पास भी बाबरी मस्जिद के स्थान की मिल्कियत नहीं है, बाबरनामा में भी इसका जिक्र नहीं है। इसलिये यह जगह शुरू से विवादित है, और किसी विवादित जगह पर मस्जिद बनाना और इबादत करना दोनों नाजायज है, और यह जगह कभी भी नमाज के लिए जायज नहीं रही।
(Ram Mandir) वैसे ही यह स्थान मुस्लिमों के किसी पैगंबर से जुड़ा नहीं है, वरन हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। इसलिये यहां राम मंदिर ही बनना चाहिए। और मुस्लिमों के लिए 24 कोसी दायरे से बाहर कहीं ‘मस्जिद-ए-अमन’ के नाम से मस्जिद बननी चाहिए। इसका प्रस्ताव शिया वक्फ बोर्ड लखनऊ में दे चुका है। यही पक्ष शिया वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में दिया है।
(Ram Mandir) उम्मीद है कि इस वर्ष के आखिर तक सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में अपना फैसला दे देगा और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। कहा कि 2000 से अधिक लोगों की जान एवं मकान-कारोबार को नष्ट करने वाले इस मसले का हल जितना जल्दी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए हो जाए, उतना अच्छा है। इससे देश में अमन-शांति कायम करने और नफरतें दूर करने में भी मदद होगी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड अवैध
(Ram Mandir) श्री रिजवी शुक्रवार को सरोवरनगरी स्थित बोट हाउस क्लब में एक भेंट में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के बाबत उन्होंने कहा कि उनका 1944 का पंजीकरण एक अन्य मामले में उच्च न्यायालय और निचली अदालत में अवैध घोषित हो चुका है। वहीं बाबरी मस्जिद का निर्माता मीर बाकी एक शिया था, इसलिये सुन्नी वक्फ बोर्ड का खुद को बाबरी मस्जिद का कस्टोडियन बताना मायने नहीं रखता है।
(Ram Mandir) शिया वक्फ बोर्ड ही बाबरी मस्जिद का कस्टोडियन है और वह मुकदमा लड़ना ही नहीं चाहता है। यह बात उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में भी रखी है। साथ ही उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मामले में तीन पक्ष-राम लला, श्री रिजवीनिर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम पक्षकार हैं, सुन्नी वक्फ बोर्ड कोई पक्ष हैं।
(Ram Mandir) कांग्रेस देश के लिए सर्वाधिक नुकसानदेह जहीला पौधा
(Ram Mandir) श्री रिजवी ने कहा कि कांग्रेस ने जितना नुकसान इस मुल्क को पहुंचाया, उतना किसी भी पार्टी ने नहीं पहुंचायी। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में मुस्लिमों का जितना पिछड़ापन बताया जाता है, वह कांग्रेस की देन है। कांग्रेस मुल्क के लिए ऐसा नुकसानदेह जहरीला पौधा है जिसकी जड़ें भी नुकसान पहुंचा रही हैं और पत्ते व फल भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आतंकियों के छुपने तथा बच्चों को आतंकी बनाने के लिए हो रहा है मदरसों का इस्तेमाल
श्री रिजवी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, दक्षिण भारत व सीमा से जुड़े नये मदरसों का इस्तेमाल आतंकी छुपने आदि के लिए तथा बच्चों को आतंकी बनाने के लिए कर रहे हैं। इसलिए मदरसों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने दाउद इब्राहीम पर टिप्पणी की कि वह भारत में मुंबई बम विस्फोट कर मुसलमानों की हमदर्दी हासिल करने की कोशिश करता है,
(Ram Mandir) लेकिन इससे देश के मुसलमानों को नुकसान पहुंचता है। योग दिवस के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए है। इससे हमारा देश पूरी दुनिया में मशहूर हुआ है। इस पर राजनीति करना ठीक नहीं है।
(Ram Mandir) राममंदिर निर्माण के लिए अनुकूल है राजनीतिक माहौल : साध्वी ऋतंभरा
नैनीताल (Ram Mandir) : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अग्रणी रही साध्वी ऋतंभरा ने राम मंदिर निर्माण के लिए राजनीतिक माहौल अनुकूल बताते हुए कहा कि मंदिर आंदोलन में शामिल राष्ट्रवादी शक्तियों की यही प्रबल भावना है कि भव्य राम का मंदिर जल्द बने और करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम को टाट में बैठने से मुक्ति मिले।
(Ram Mandir) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस मामले में संतों से धैर्य रखने के बयान पर साध्वी ने कहा कि विकास के साथ ही आस्था की पूर्ति के लिए चित्त का शांत होना जरूरी है। उन्हें भरोसा है कि योगी और मोदी मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
(Ram Mandir) शुक्रवार को नैनीताल क्लब में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि हिन्दू समाज की 70 पीढि़यों ने मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया है। वैज्ञानिक व कानूनी तौर पर भी प्रमाणित हो चुका है कि अयोध्या ही रामजन्म भूमि है।
(Ram Mandir) कहा कि राममंदिर निर्माण मर्यादा पुरुषोतम राम के साथ ही कन्हैया बनकर किया जाएगा। विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडि़या के संगठन से अलग होने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि हिन्दू समाज का बिखराव समाज के हित में नहीं है। वह समाज का बिखराव रोकने की पुरजोर कोशिश करेंगी।