नवीन समाचार, देहरादून, 16 जुलाई 2023। (Sting Operation) उत्तराखंड की राजनीति में अगले कुछ दिनों तक छायी रहने वाली एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इस खबर के आने के बाद प्रदेश की राजनीति में कम से कम बयानबाजी का भूचाल आने की पूरी संभावना है। स्टिंग प्रकरण में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के साथ एक ऑडियो क्लिप डालते हुए लिखा है:
कृपया तथाकथित स्टिंग के क्रम में इस अंश को भी देखें। यह छोटी सी वार्तालाप यह स्पष्ट करती है कि तथाकथित स्टिंग प्रकरण कुछ लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट था। मैं इन इन्वेस्टर्स का शिकार हूं। देखें श्री रावत द्वारा सोशल मीडिया में डाला गया ऑडियो:
वहीं एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘संविधान के अनुसार एक राजनीतिक दल का दायित्व बनता है कि वह चुनाव लड़े, बहुमत हासिल करे और सरकार बनाए। एक मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह सदन में अपना बहुमत बनाए रखे और सरकार चलाए। जो लोग और शक्तियां दल-बदल करवाती हैं और दल-बदल करती हैं, जिन्हें न्याय के देवता महापापी कहते हैं, सीबीआई उनके आदेश पर उस व्यक्ति को अभियुक्त के रूप में खड़ा करना चाहती है,
जिस व्यक्ति ने संवैधानिक दायित्व का पालन करते हुए अपनी सरकार को बचाने का प्रयास किया और विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत बनाए रखने का प्रयास किया। कर्तव्य पालन करना सीबीआई की नजर में अपराध है और जो संविधान व लोकतंत्र के साथ अपराध करते हैं उनके आदेश का सीबीआई पालन करती है। यह कैसी विडम्बना है, इस पर आप मनन करें। सत्यमेव जयते’
रावत ने ऑडियो के साथ तीन लोगों की तस्वीर भी साझा की है, अलबत्ता उनके नामों का खुलासा नहीं किया है। ऑडियो में तीन लोग बिना नाम लिये किसी पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध शडयंत्र करने और 13 लाख रुपए .खर्च करने और कुछ 75 लाख रुपए का एक तरह का इन्वेस्टमेंट करने की बात कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 16-17 मार्च 2016 को हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में एक स्टिंग ने उत्तराखंड की राजनीति को हिला कर रख दिया। इसके बाद हरीश रावत खतरे में पड़ गई थी। इनमें दो तत्कालीन व एक वर्तमान विधायक का नाम भी सामने आया था, इनमें से दो वर्तमान में कांग्रेस पार्टी में और एक निर्दलीय विधायक हैं। ऑडियो में सुनाई दे रही तीन में एक आवाज एक मौजूदा विधायक की बताई जा रही है।
2018 में सामने आया था यह ऑडियो
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2018 में भी यह ऑडियो सामने आई थी। इसमें एक संदेश के साथ आवाज के कथित तौर पर तत्कालीन समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार, चैनल के डायरेक्टर शशांक बंसल और आयुष गौड़ के होने का दावा किया जा रहा था। एक मिनट तीन सेकेंड के इस ऑडियो में उत्तराखंड के सीएम को गिराने की बात हो रही थी। हम यह दावा नहीं करते कि यह बातें इन्हीें तीनों लोगों के बीच हो रही थी, अलबत्ता जिनके बीच भी बात हो रही थी वे सीएम को गिराने में 13 लाख रुपये खर्च होने की बात कह रहे हैं, जिसे इन्वेस्टमेंट भी कहा जा रहा है।
कहा जा रहा है 10 लाख तो एक व्यक्ति ही ले गया है। बातचीत में ऑपरेशन होने की बात कही जा रही है। ऑडियो में किसी और पॉलिटिकल पार्टी की बात भी कही जा रही थी, जो 75 लाख रुपये खर्च करने को तैयार थी। कुछ बात कोड शब्दों में भी की जा रही थी। साथ ही सरकार गिराने, नई राजनैतिक समीकरण बनने और चौका मारने जैसी बातें भी हो रही थीं।
(डॉ. नवीन जोशी)आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें सहयोग करें..यहां क्लिक कर हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें। यहां क्लिक कर यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से, हमारे टेलीग्राम पेज से और यहां क्लिक कर हमारे फेसबुक ग्रुप में जुड़ें। हमारे माध्यम से अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें।
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-एसएसपी से लेकर डीजीपी, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन और मेजरनामे, लगाया झूठा मुकदमा दर्ज कराने का आरोप
नवीन समाचार, नैनीताल, 10 फरवरी 2019। जनपद के कालाढुंगी में कार्यरत पत्रकार मुस्तजर फारूकी ने कालाढुंगी पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाकर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। इस संबंध में फारूकी ने जिले के एसएसपी से मिलकर तथा प्रदेश के डीजीपी, देश के प्रधानमंत्री एवं सर्वोच्च न्यायालय को मामले में शिकायती पत्र, ज्ञापन एवं क्षेत्रीय जनता के मेजरनामे भेजे हैं।
फारूकी का कहना है कि कालाढुंगी के तत्कालीन थाना प्रभारी नरेश चौहान, उप निरीक्षक रजनी आर्या व आरक्षी नवीन कन्याल ने कालाढुंगी थाना क्षेत्र की तमाम अनियमितताओं की खबरें प्रकाशित करने पर उनके विरुद्ध साजिशन झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। पहले एक महिला को उनसे पांच हजार रुपये दिलवाये और बाद में शेष बचे ढाई हजार रुपये लौटाने के लिए कहने पर बीती 7 जनवरी को हुए मामूली विवाद के बाद अनपढ़ महिला की ओर से हाथापाई व कपड़े फाड़ने आदि के आरोप जोड़ते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 452, 354, 504 व 506 के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
यह भी बताया कि मामले में उन्होंने 7 जनवरी को ही पुलिस में तहरीर दे दी थी किंतु महिला से 9 जनवरी को पुलिस ने तहरीर खुद लिखकर अंगूठा लगवाया। दावा किया कि महिला तहरीर में लगाये गये आरोपों से स्वयं इंकार भी कर रही है, और मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत दर्ज कराये गये बयानों में केवल कहासुनी होने की बात कही है।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 4 दिसंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश शर्मा के खिलाफ जारी बी वारंट पर लगी रोक को तीन सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान मामले के जांच अधिकारी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने पर कोर्ट से क्षमा मांगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में हुई। मामले को सुनने के बाद एकलपीठ ने अगली सुनवाई की तिथि तीन सप्ताह के बाद की नियत की है।
पूर्व समाचारः Sting Operation : उधर उमेश कुमार रिहा, इधर एसएसपी, एसएचओ, आईओ हाई कोर्ट में तलब
नैनीताल, 29 नवंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने एक बार फिर समाचार प्लस चैनल के मालिक उमेश जे कुमार के मामले में कड़ा रुख बरकरार रखते हुए एसएसपी देहरादून, संबंधित थाना प्रभारी और मामले के विवेचनाधिकारी को 4 दिसंबर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।
साथ ही एकलपीठ ने पूछा है कि विवेचनाधिकारी ने किस आधार पर शर्मा को गिरफ्तार करने के लिए देहरादून कोर्ट से बी वारंट हासिल किया, जबकि हाईकोर्ट उनकी गिरफ्तारी पर पहले ही रोक लगा चुकी है। उधर बताया गया है कि उमेश कुमार रांची जेल से तीन दिन पूर्व मिली जमानत के बाद बृहस्पतिवार को रिहा हो गये हैं।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी विनय मलिक ने उमेश कुमार और उनके तीन साथियों आशीष एरोन, विक्रम व जितेंद्र के खिलाफ बीती 2 नवंबर 2018 को राजपुर थाने में अपने प्लॉट पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। जबकि उमेश कुमार का कहना था कि यह प्लांट आशीष एरोन का है। कोर्ट ने 1999 में आशीष एरोन के हित में इस प्लॉट से संबंधित निर्णय दिया था, और आशीष को उच्च न्यायालय से पूर्व में स्टे भी मिल चुका है।
इधर स्टिंग प्रकरण में उमेश के फंसने और उत्तराखंड हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे मिलने के बाद राची पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद मामले के विवेचनाधिकारी ने उमेश को रांची जेल से लाने के लिए निचली अदालत से बी वारंट जारी करवा लिया था। इस बी वांरट को उमेश के द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इस बी वारंट पर भी कोर्ट दो दिन पूर्व 27 नवम्बर को रोक लगा चुकी है।
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देहरादून, 30 नवंबर 2018। समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार की रिहाई के बाद भी स्टिंग प्रकरण में नित नये खुलासे हो रहे हैं। इधर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक ताजा ऑडियो में कथित तौर पर उमेश शर्मा, चैनल के डायरेक्टर शशांक बंसल और आयुष गौड़ के होने का दावा किया जा रहा है। एक मिनट तीन सेकेंड के इस ऑडियो में उत्तराखंड के सीएम को गिराने की बात हो रही है। हम यह दावा नहीं करते कि यह बातें इन्हीें तीनों लोगों के बीच हो रही हैं, परंतु जिनके बीच भी हो रही है वे सीएम को गिराने में 13 लाख रुपये खर्च होने की बात कह रहे हैं, जिसे इन्वेस्टमेंट भी कहा जा रहा है।
कहा जा रहा है 10 लाख तो एक ही ले गया है। बातचीत में ऑपरेशन होने की बात कही जा रही है। ऑडियो में किसी और पॉलिटिकल पार्टी की बात कही जा रही है, जो 75 लाख रुपये खर्च करने को तैयार है। कुछ बात कोड में भी की जा रही है। साथ ही सरकार गिराने, नई राजनैतिक समीकरण बनने और चौका मारने जैसी बातें भी हो रही है। ऑडियो में आवाज उमेश, शशांक और आयुष गौड़ की ही है, यह बात भी इसके साथ वायरल हो रहे संदेश में बताई जा रही है।
किये गये स्टिंग को सामने लाएंगे उमेश !
नैनीताल। उत्तराखंड सरकार में यदि भ्रष्टाचार है तो यह समाचार सरकार के लिये चिंताजनक हो सकता है। स्टिंग प्रकरण में एक माह बाद जेल से रिहा हुए समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा ने कहा है कि राज्य के भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने की उनकी मुहिम जारी रहेगी। जो स्टिंग आपरेशन हुए हैं वे सामने लाये जाएंगे। सरकार ने पुलिस से आपराधिक षड्यंत्र के तहत उन्हें गिरफ्तार कराया था। यह भी कहा कि चार माह में उत्तराखंड और झारखंड सरकार पूरी ताकत झोंकने के बाद भी उनके खिलाफ ब्लैकमेलिंग का एक भी सबूत नहीं ला सकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के ईद-गिर्द भ्रष्टाचारियों का जमावड़ा है।
पूर्व समाचार : नैनीताल हाईकोर्ट से उमेश कुमार को एक और मामले में राहत
नैनीताल, 28 नवंबर 2018। प्रदेश के बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण के बाद से चर्चाआंे में आए ‘समाचार प्लस’ चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार को नैनीताल हाईकोर्ट की न्यायाधीश लोकपाल सिह की अदालत से फिर बड़ी राहत मिली है। देहरादुन निवासी चेतन तोमर नाम के व्यक्ति ने बीती 18 नवम्बर को देहरादून थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी की उमेश शर्मा व उनके साथियो ने 17 नवंबर की रात उनके साथ मारपीट व लूटपाट की, जिसमें वह चोटिल हो गए।
इसके बाद देहरादून पुलिस ने उमेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। इस एफआईआर को उमेश कुमार की ओर से यह कहते हुए चुनौती दी गई की 17 नवम्बर की रात को वह देहरादून में ही नहीं, बल्कि झारखंड की राची पुलिस की हिरासत में थे। मामले को गंभीरता से लेते हुए एकलपीठ ने शिकायत कर्ता चेतन तोमर और मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी को शपथ पत्र पेश कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद बुधवार को मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अपर महाधिवक्ता ने एकलपीठ को बताया कि अब उमेश शर्मा की गिरफ्तारी नही की जाऐगी।
यह भी पढ़ें : स्टिंग प्रकरण में उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट से फिर झटका
नैनीताल, 27 नवंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में उत्तराखंड सरकार को फिर झटका दे दिया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव आदि का स्टिंग कर प्रदेश सरकार को अस्थिर करने के आरोप में प्रदेश में दर्ज मुकदमों में पहले ही उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद भी प्रदेश के स्टिंग किंग कहे जा रहे समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार को बहुत चतुराई से झारखंड में दर्ज एक अन्य मामले में रांची भेज दिया गया था, और वहां वह अब भी जेल में बंद हैं।
उल्लेखनीय है कि उमेश पर कई अन्य मामले भी दर्ज हैं। इन्हीं में से एक, एक वर्ष पुराना मामला देहरादून की एक भूमि विवाद से भी जुड़ा है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार-उत्तराखंड पुलिस की योजना उमेश के रांची जेल से छूटने के बाद बी-वारंट लेकर इस मामले में गिरफ्त में लेने की थी। जांच अधिकारी नेे निचली अदालत से बी वारंट हासिल भी कर लिया था। उमेश के अधिवक्ताओं ने उच्च न्यायालय में इस बी वारंट को चुनौती दी गयी मंगलवार को उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने निचली अदालत से जारी बी वारंट पर रोक लगा दी है। साथ ही बी वारंट लेने वाले जंाच अधिकारी को जवाब पेश करने को कहा है, और जवाब पेश न करने की स्थिति में व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने को भी कहा है।
यह भी पढ़ें : स्टिंग प्रकरण में उमेश कुमार को निचली अदालत से मिली जमानत
देहरादून, 16 नवंबर 2018। प्रदेश के बहुचर्चित स्टिंग प्रकरण में समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार को देहरादून की जिला अदालत से जमानत मिल गयी है। उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व नैनीताल उच्च न्यायालय ने उमेश कुमार की जमानत अर्जी पर आज ही सुनवाई व निस्तारित करने के देहरादून जिला जज को आदेश दिये थे। उल्लेखनीय है कि इस मामले में पहले ही अन्य आरोपितों को भी जमानत मिल चुकी है। हालांकि उमेश के जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आने की संभावनाओं पर ‘किंतु-परंतु’ की स्थिति बनी हुई है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इसी बीच उमेश कुमार के विरुद्ध झारखंड में दर्ज मुकदमे को लेकर उन्हें झारखंड पुलिस को सोंप सकती है।
यह भी पढ़ें : स्टिंग प्रकरण में उमेश कुमार के पॉलीग्राफ टेस्ट पर रोक, सीएम के भाई-दोस्त को नोटिस
नैनीताल, 15 नवंबर 2018। प्रदेश के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन सेे संबंधित टीवी समाचार चैनल के चर्चित सीईओ उमेश शर्मा की नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट की याचिका को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है, और देहरादून के एडीजे/सीजेएम को कल 16 नवंबर को जमानत याचिका पर सुनवाई करने को कहा है । मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मुख्यमंत्री के भाई बिल्लू, दोस्त संजय गुप्ता और जांच अधिकारी को नोटिस जारी करने को कहा है। नार्को और ब्रेन मैपिंग टैस्ट करने की अनुमति संबंधी याचिका को सरकार ने उच्च न्यायालय में मामला चलने तक वापस ले लिया है।
इसके अलावा बताया गया है कि उच्च न्यायालय ने देहरादून के जिला जज को कल 16 नवंबर को जमानती अर्जी पर सुनवाई करने के साथ ही मामले में फैसला लेने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। गौरतलब है कि 28 अक्तूबर को पुलिस ने उमेश शर्मा को गाजियाबाद स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया था। अगले दिन 29 अक्तूबर को न्यायालय ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस ने उमेश शर्मा को सात घंटे की कस्टडी रिमांड में लेकर इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के पासवर्ड आदि के बारे में भी पूछताछ की थी, मगर पुलिस को इसमें कोई सफलता नहीं मिली थी। इस पर पुलिस ने उसकी पांच दिन की और कस्टडी रिमांड मांगी थी, लेकिन न्यायालय ने बचाव पक्ष के तर्कों को सुनकर पुलिस की अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उसका नार्को टेस्ट कराने की योजना बनाई थी। इसके लिए बुधवार को राजपुर पुलिस ने अदालत में प्रार्थनापत्र दाखिल किया था।
यह भी पढ़ें : स्टिंग ऑपरेशन मामले में उत्तराखंड सरकार को ‘तीसरा’ झटका, डॉ. मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी पर भी रोक
नैनीताल, 12 नवंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गत 28 अक्तूकर को प्रकाश में आये बहुचर्चित ‘स्टिंग प्रकरण’ से जुड़े राहुल भाटिया तथा प्रवीण साहनी और सौरभ साहनी के बाद अब उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने उनके साथ कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही मिश्रा को भी पुलिस की जांच में सहयोग करने को कहा है, और जाँच अधिकारी को आदेश दिया है कि वह बिना भय के हर ओर से निष्पक्ष जांच करें।
अलबत्ता मामले की एफआईआर को निरस्त करने संबंधित मूल याचिका पर कोई राहत नहीं दी है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व न्यायालय ने पहले राहुल भाटिया और फिर 2 नवंबर को प्रवीण साहनी और सौरभ साहनी की याचिकाओं पर भी यही आदेश दिये थे। इसलिये आज के आदेश को राज्य सरकार के लिए तीसरा झटका माना जा रहा है।
मामले के अनुसार 10 अगस्त 2018 को समाचार प्लस चैनल से जुड़े ग्रेटर नोएडा के आयुष गौड़ ने देहरादून के राजपुर थाने में चैनल के सीईओ उमेश कुमार सहित चार अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। शिकायत में कहा गया था कि उमेश शर्मा द्वारा उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह किसी बड़े अधिकारी का स्टिंग करें। राहुल भाटिया ने इस एफआईआर को गलत बताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उसे निरस्त करने तथा अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की भी प्रार्थना की है। मामले की सुनवई न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में हुई ।
पुलिस को मिली ‘स्टिंग किंग’ की सात घंटे की पुलिस रिमांड, उस खास जैकेट की है पुलिस को तलाश
देहरादून, 31 अक्तूबर 2018। स्टिंग केस में फंसे समाचार प्लस समाचार चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा को अदालत ने सात घंटे की पुलिस रिमांड पर देने के आदेश दिए हैं, वहीँ उनकी जमानत याचिका को फ़िलहाल पुलिस रिमांड पूरी होने तक के लिए खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले शर्मा के अधिवक्ताओं ने कल मामले में तैयारी के लिए समय मांगा था, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए आज का दिन नियत किया था।
बताया गया है कि रिमांड मांगने के लिए पुलिस ने उस विशेष जैकेट की बरामदगी का तर्क भी दिया है, जो कि स्टिंग करने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। इसी में खुफिया कैमरे और रिकॉर्डिंग डिवाइस फिट किये जाते थे। आयुष गौड़ को भी यही जैकेट पहनाकर देहरादून और दिल्ली में भेजा गया था। बताया जा रहा है कि देहरादून में मुख्यमंत्री आवास में जाने से पहले आयुष ने यह जैकेट निकालकर बाहर रख दी थी।लिहाजा पुलिस रिमांड की अवधि में पुलिस को उमेश कुमार से वह विशेष जैकेट भी बरामद करने पर फोकस रह सकता है।
इससे पहले सोमवार को न्यायालय ने उमेश शर्मा को आठ नवंबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। इस दौरान पुलिस ने कस्टडी रिमांड और बचाव पक्ष ने जमानत अर्जी अदालत में दायर की थी। मंगलवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय रिंकी साहनी की अदालत में बचाव पक्ष और पुलिस के प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होनी थी। दोपहर से संबंधित मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर जाने से मामले को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ शहजाद ए वाहिद की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।
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देहरादून, 28 अक्तूबर 2018। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के दौर से चर्चित और पिछले मुख्यमंत्री हरीश रावत के अपदस्थ होने के दौर में उनका जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर स्ट्रिंग कराने को लेकर भी चर्चा में रहे और प्रदेश के ‘स्टिंग किंग’ कहे जाने वाले एक स्थानीय चैनल के मालिक उमेश कुमार के गिरफ्तार होने की खबर है। जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन में चैनल मालिक को शनिवार देर रात्रि गाजियाबाद स्थित उनके घर से हिरासत में लिया गया है। उन पर शासन के एक बड़े अफसर का स्टिंग ऑपरेशन करने और उन्हें ब्लैकमेल करने का आरोप लगा है।
रविवार को उमेश कुमार सहित चार और आरोपियों राहुल भाटिया, प्रवीण साहनी, सौरभ साहनी और डॉ. मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ धारा 386, 388 और 120B के तहत राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। मालूम हो कि डॉ. मृत्युंजय मिश्रा उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के पूर्व रजिस्ट्रार हैं। सूत्रों की मानें तो पुलिस ने उनके चैनल के एक अन्य पत्रकार आयुष गौड़ से करीब 5 दिन पूर्व ही कई स्टिंग ऑपरेशनों की सीडी प्राप्त कर उन्हें पुलिस सरकारी गवाह बना लिया था। गौड़ की तहरीर पर ही यह मामला दर्ज हुआ है। जांच पड़ताल के बाद कई स्टिंग ऑपरेशन की सीडी भी पुलिस ने हासिल की है।
इधर बताया जा रहा है कि स्ट्रिंग आपरेशन 12 जनवरी 2018 को उत्तराखंड गेस्ट हाउस नई दिल्ली में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का किया गया था, और आरोप है कि उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही थी। साथ ही उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. मृत्युंजय मिश्रा की मदद से 5 मई 2018 को प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को स्टिंग ऑपरेशन करने की भी कोशिश की गयी थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शिकायत पांच दिन पहले राजपुर थाने में दर्ज की गई थी। शनिवार को सीओ विकासनगर और सीओ मसूरी की टीम ने यूपी पुलिस की मदद से छापा मारकर उनके एनसीआर स्थित घर से गिरफ्तार किया।
वहीं, उनके घर की भी तलाशी ली गई है। सूत्रों की मानें तो वहां से भी लाखों की नगदी मिली है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व पूर्व फरवरी माह में भी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाये जाने के बाद उनकी गिरफ्तारी की चर्चा थी। सरकारों के मीडिया प्रबंधन के गुरु भी माने जाने वाले उमेश कुमार को वाई श्रेणी की सुरक्षा भी प्राप्त है।
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5 अगस्त 2018 को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के थाना सहसपुर में पत्रकारिता के पवित्र पेशे को कलंकित करने वाली घटना प्रकाश में आई। यहाँ एक युवती ने सूचना दी कि वह विकासनगर में किराये के घर में रहती है। अब से करीब 3 वर्ष पहले पति का देहांत हो चुका है और खुद टीबी की मरीज है। वह 4 अगस्त 2018 को पास ही चाउमीन-मोमो की दुकान चलाने वाली अपनी छोटी बहन के पास अपने इलाज के लिए पैसे मांगने गई थी। वहाँ पर मौजूद एक लड़के ने उसे शारीरिक संबंध बनाने को और बदले में पैसे देने को कहा। उसे पैसों की सख्त जरूरत थी इसलिए उसने उसका आफर स्वीकार कर लिया। वह लड़का उसे दुकान के पीछे बने कमरे में ले गया और उसके कपड़े उतारे, तथा इसी दौरान उसने अपने फ़ोन से किसी को मैसेज किया, जिस पर तुरंत वहाँ पर गले मे न्यूज़ चैनल के आईडी कार्ड डाले व हाथ मे माइक लेकर 4 लोग पहुंचे और नग्न अवस्था में उसकी वीडियो बना ली और वीडियो को अपने एक अन्य साथी के मोबाइल पर व्हाट्सएप के द्वारा भेजा और पांचो लोग कहने लगे कि वे ‘वेलकम न्यूज़’ के पत्रकार हैं।
पीड़िता उन्हें 1 लाख रुपये दे, अन्यथा वे यह वीडियो अभी सभी को भेज देंगे, और उसे पुलिस से पकड़वा देंगे। जिससे वह डर गई, और यह सारी बात तभी उसने अपने जीजा और बहन को बताई। बाद में भी वे पांचो उसे लगातार डराते-धमकाते और पैसो की मांग करते रहे। इस पर उसकी बहन ने अपना मंगलसूत्र गिरवी रखा और कुछ पैसे उधार लेकर उन पांचों को 25 हजार रुपये नकद और 25 हजार रुपये का एक चेक दिया।
इस सूचना पर थाना सहसपुर पर तत्काल धारा 354/384 भादंवि एवं 67 आईटी एक्ट में अभियोग दर्ज किया गया। इस पर एसएसपी, एसपी व सीओ के निर्देशन-पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष सहसपुर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने ‘वेलकम न्यूज़’ चैनल से जानकारी लेकर उसमें कार्यरत 4 व्यक्तियों क्रमशः राइटर-नवीन कुमार पुत्र यशपाल सिंह निवासी मोहल्ला अजीतनगर थाना विकासनगर देहरादुन उम्र 39 वर्ष, प्रभारी पछवादून-रवि कुमार पुत्र महेंद्र कुमार निवासी ग्राम बेरागीवाला थाना सहसपुर देहरादुन उम्र 30 वर्ष, प्रभारी उत्तराखंड-हरीश गर्ग पुत्र अशोक गर्ग निवासी डाकपत्थर थाना विकासनगर देहरादून उम्र 26 वर्ष, स्टाफ रिपोर्टर-अशद पुत्र अफजल निवासी ग्राम सहसपुर थाना सहसपुर देहरादुन उम्र 22 वर्ष व शिवम पुत्र राजेश कुमार निवासी टीचर कॉलोनी सहसपुर थाना सहसपुर देहरादुन उम्र 20 वर्ष को लक्ष्मीपुर से हिरासत में लिया एवं उनके पास से ₹ पच्चीस (25) हजार नकद, नवीन कुमार के पक्ष में चेक ₹ 25 हजार, 4 मोबाइल फ़ोन जिनमें पीड़िता की नग्न वीडियो बनाने और उसको व्हाट्सएप पर भेजने की पुष्टि हुई, घटना में प्रयुक्त कार आल्टो नंबर DL9CP5385, चारों के वेलकम न्यूज़ के आईडी कार्ड, एक माइक आईडी वेलकम न्यूज़ व एक कैमरा सोनी कंपनी का भी बरामद किया।
पांचो की पीड़िता से शिनाख्त कराई गई तो पीड़िता द्वारा उक्त घटना में उक्त पांचो को संलिप्त होना बताया जिस पर पांचो को नियमानुसार गिरफ्तार किया गया। इनमें से हरीश गर्ग पूर्व में हत्या के अपराध में वर्ष 2015 में हरकेश मर्डर केस में थाना सहसपुर से जेल जा चुका है। अन्य के आपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है। अभियुक्तों से प्रारम्भिक पुछताछ पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि उक्त चारों पत्रकार द्वारा अपनी सोची समझी साजिश के तहत अपने पांचवे साथी शुभम को उक्त स्थान पर ग्राहक बनाकर भेजा और चारों पत्रकार द्वारा शुभम को बताया कि जब महिला नग्न अवस्था मे हो तो वह तुरंत उनको मैसेज कर दे शुभम ने ऐसा ही किया और ये चारों लोग पहले से ही तैयार वैठे थे और वीडियो बनाते हुए अंदर गए और पीड़िता का नग्न अवस्था का वीडियो बनाकर उसको डरा धमकाकर वीडियो को सोशल मीडिया में भेजने का कहकर पैसे और चेक ब्लैकमेल करके ले गए।पुलिस टीम में नरेश सिंह राठौड़ थानाध्यक्ष सहसपुर, उप निरिक्षक कवींद्र राणा, बिनेश कुमार, लक्ष्मी जोशी, आरक्षी संदीप, इजलाल, प्रवीण, श्रीकांत शामिल रहे।