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November 22, 2024

हनुमानगढ़ी में पर्यटन के लिए मौजूद है एक अनछुवा आयाम

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-हिरन प्रजाति के वन्य जीवों से गुलजार है यह क्षेत्र, बन सकते हैं पर्यटन का नया जरिया
नवीन समाचार, नैनीताल, 06 सितंबर 2020। जैव विविधता से परिपूर्ण सरोवरनगरी का हनुमानगढ़ी क्षेत्र इन दिनों हिरन प्रजाति के वन्य जीवों से गुलजार है। इस मौसम में यहां हिरन प्रजाति के घुरड़ों के कई सारे झुंड कई बार नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी आसानी से नजर आ जाते हैं। खुले में वन्य जीवों को इस तरह सड़क के पास खुले में घूमते देखना आम लोगों के लिए भी अनूठा व रोमांचक अनुभव होता है। सामान्यतया मानवों से दूर भागने वाले ये वन्य जीव हालिया समय से यहां लगातार वाहनों एवं लोगों के गुजरने से भी अधिक डरते नहीं हैं और अपनी जगह पर बने रहकर लोगों को फोटो खींचने का मौका भी देते हैं।
उल्लेखनीय है कि हनुमानगढ़ी क्षेत्र सूर्यास्त तथा सर्दियों में खूबसूरत ‘विंटर लाइन’ के प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही यहां बाबा नीब करौरी द्वारा स्थापित, कई नई-पुरानी फिल्मों में दिख चुका हनुमानगढ़ी मंदिर, स्वामी लीला शाह का आश्रम जहां कभी विवादित धर्म गुरु आशाराम भी रहा था, तथा चेचक व छोटी-बड़ी माता आदि त्वचा संबंधी रोगों के निदान के लिए जाना जाने वाला माता शीतला देवी का मंदिर भी स्थित है, और इन्हें देखने के लिए प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सैलानी व श्रद्धालु आते हैं। गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी व मोदी जी की धर्मपत्नी जशोदा बेन भी आए थे। गौरतलब है कि वन विभाग ने इस क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पहाड़ी घर व छतरियों युक्त पार्क बनाए हैं, तथा हनुमानगढ़ी मोड़ पर भी इन दिनों पार्क बनाए जा रहे हैं। ऐसे में यहां घुरड़ों की मौजूदगी इस क्षेत्र के पर्यटन महत्व को एक नया आयाम दे सकती है।

यह भी पढ़ें : झील के साथ ही खूबसूरत झरने भी बन सकते हैं नैनीताल की पहचान

नवीन जोशी, नैनीताल। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल की वैश्विक पहचान केवल नगर के भीतर के नैनी सरोवर व अन्य आकर्षणों की वजह से नहीं, इसके बाहरी क्षेत्रों की खूबसूरती के समग्र से भी है। और यह खूबसूरती भी सैलानियों को सर्वाधिक आकर्षित करने वाले ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन के दौरान की ही नहीं, वरन वर्ष भर और कमोबेस हर मौसम में अलग-अलग रूपों में कुदरत द्वारा उदारता से बरती जाने वाली नेमतों की वजह से भी है। मौजूदा वर्षा काल की ही बात करें तो इस मौसम में जहां पहाड़ की कमजोर प्रकृति की वजह से होने वाले खतरों की वजह से कम संख्या में सैलानी यहां आने का रुख कर पाते हैं, परंतु यही समय है जब यहां प्रकृति सुंदरी को उसकी वास्तविक सुंदरता को मानो नहा-धो कर साफ-स्वच्छ हुई स्थिति में देखा जा सकता है।

सरोवरनगरी नैनीताल पहुंचने के लिए यदि सैलानी हल्द्वानी-काठगोदाम की राह चुनते हैं, तो इस मार्ग पर पहाड़ों की शुरुआत होते ही प्रकृति अपनी खूबसूरती के नए-नए स्वरूप दिखाना प्रारंभ कर देती है। काठगोदाम से थोड़ा आगे ही सदानीरा गार्गी (गौला) नदी का सुंदर नजारा प्रस्तुत होता है। रानीबाग से आगे पर्वतीय क्षेत्र हरीतिमा युक्त वनों से मन मोह लेता है, वहीं तीन किमी आगे भुजियाघाट से पहले दो गधेरे सुंदर झरनों की कल-कल के साथ ही दिलकश दृश्यों से सैलानियों को रुकने को मजबूर कर देते हैं। आगे डोलमार के पास ऊंचे पहाड़ों सैकड़ों फीट ऊंची चट्टान से गिरते एक अन्य झरने के दृश्य भी रोमांचित कर देते हैं। इसी तरह दोगांव से आगे पुनः दो गधेरों में दो सुंदर झरने मन को आह्लादित कर देते हैं। आगे भी आमपड़ाव, ज्योलीकोट व नैना गांव के पास भी पहाड़ी गधेरों की जल राशियां सरोवरनगरी में नैनी सरोवर की अप्रतिम सुंदरता से पहले ही जल के करीब सहज रूप से खिंचे चले आने वाले मानव को रससिक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। इनके अलावा भी भवाली रोड पर पाइंस के पास, उधर भीमताल रोड पर सलड़ी तथा इधर कालाढुंगी व किलवरी रोड पर भी अनेक झरने सैलानियों को आकर्षित करने और बरसात के मौसम में सैलानियों के लिए नए आकर्षण तथा स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का केंद्र बनने की क्षमता रखते हैं।
 
पर्यटन के साथ ही स्थानीय लोगों के रोजगार का बन सकते हैं जरिया
नैनीताल। सरोवरनगरी नैनीताल आने वाले देशी-विदेशी सैलानी हल्द्वानी-काठगोदाम से ऊपर पहाड़ों की ओर चढ़ने के दौरान जगह-जगह विश्राम करना चाहते हैं। शासन-प्रशासन चाहे तो झरनों के ऐसे दिलकश नजारों युक्त स्थानों को चिन्हित करके तथा वहां पर साइनेज आदि लगाकर सैलानियों के रुकने और वहां पर मार्गीय सुविधाओं, शौचालय तथा नास्ते आदि की व्यवस्था की जा सकती है। इससे इन स्थानों पर क्षेत्रीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी तैयार हो सकते हैं।

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