हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र के रेलवे लाइन के नजदीक अतिक्रमण के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई, दिये गये बड़े निर्देश
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 24 जुलाई 2024 (Supreme Court on Encroachment in Banbhulpura)। लंबे समय से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र के रेलवे लाइन के नजदीक अतिक्रमण के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई है। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास से 4365 घरों को हटाए जाने से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का इंतजाम करने के लिए कहा है। साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया है कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए भूमि चिन्हित की जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिये राज्य के मुख्य सचिव को रेलवे प्रशासन और रेल मंत्रालय के साथ बैठक करने के लिए कहा है।
रेलवे के स्वामित्व वाली लगभग 30.04 हेक्टेयर भूमि पर 50,000 से अधिक लोग लगभग 4600 घरों में रहते हैं
इस मामले पर आज देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को दर्ज कर लिया है। इस विवाद में भूमि के एक हिस्से में रेलवे ट्रैक और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा एवं विस्तार के लिए तत्काल कदम उठाने की और अतिक्रमित भूमि की आवश्यकता बताई गई है। इन सुविधाओं के बिना हल्द्वानी रेलवे स्टेशन का विस्तार नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान पता चला कि रेलवे के स्वामित्व वाली लगभग 30.04 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण होने का दावा किया गया है। कथित तौर पर इस स्थल पर 50,000 से अधिक लोग लगभग 4600 घरों में रहते हैं।
सुनवाई के दौरान भूमि के एक हिस्से की तत्काल आवश्यकता को प्रदर्शित करने के लिए कुछ वीडियो और तस्वीरें भी संदर्भित की गईं, जहां अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे के अलावा निष्क्रिय रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सैकड़ों परिवार एक दशक से रह रहे हैं, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिए।
उन परिवारों की पहचान करने को भी कहा, जिनके प्रभावित होने की संभावना है। साथ ही ऐसे स्थल भी तलाशें जहां ऐसे प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जा सके। इस पर केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिवों को रेलवे अधिकारियों और केंद्रीय मंत्रालय के साथ बैठक बुलाने का निर्देश भी दिये हैं। साथ ही ऐसी पुनर्वास योजना भी लाने को कहा है जो उचित, न्यायसंगत और सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।
यह है मामला (Supreme Court on Encroachment in Banbhulpura)
वर्ष 2013 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर की गयी एक जनहित याचिका में कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में अवैध खनन हो रहा है। अवैध खनन के कारण 2004 में नदी पर बना पुल गिर गया था। याचिका पर न्यायालय ने रेलवे से जवाब मांगा। रेलवे ने 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का राजस्व रिकॉर्ड और 2017 का भूमि का सर्वे दिखाकर कहा कि यह जमीन रेलवे की है इस पर अतिक्रमण किया गया है। इसके साथ न्यायालय में यह साबित हो गया कि जमीन रेलवे की है।
इसके बाद लोगों को जमीन खाली करने के नोटिस दिये गये। लोगों ने जमीन खाली करने के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय से इन लोगों का भी पक्ष सुनने को कहा। लंबी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने पुनः इस इलाके में अतिक्रमण की बात मानी और 20 दिसंबर 2023 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण की बात मानते हुए इसे हटाने का आदेश दे दिया। इस बीच दो जनवरी को प्रभावितों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी थी। (Supreme Court on Encroachment in Banbhulpura)
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‘डॉ.नवीन जोशी, वर्ष 2015 से उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार, ‘कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीएचडी की डिग्री प्राप्त पहले पत्रकार’ एवं मान्यता प्राप्त राज्य आंदोलनकारी हैं। 15 लाख से अधिक नए उपयोक्ताओं के द्वारा 140 मिलियन यानी 1.40 करोड़ से अधिक बार पढी गई आपकी अपनी पसंदीदा व भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ के संपादक हैं, साथ ही राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्थान समाचार आदि समाचार पत्र एवं समाचार एजेंसियों से भी जुड़े हैं।
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