December 23, 2025

उत्तराखंड उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय, विनियमित दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को पेंशन और देयकों में मिलेगा पूर्व की सेवाओं का लाभ

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नवीन समाचार, नैनीताल, 21 अगस्त 2024 (UK High Court on Regulated Daily Wage Workers)। उत्तराखंड उच्च डच्च न्यायालय ने बुधवार को एक बड़ा निर्णय देते हुए विनियमित हुए दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी विनियमितीकरण से पूर्व की सेवा को पेंशन और अन्य देयकों में जोड़ने का आदेश दिया है। यानी अब विनियमित हुए दैनिक कर्मियों को उनकी पिछली सेवा से पेंशन और अन्य लाभ मिलेंगे। इससे प्रदेश के हजारों दैनिक वेतनभोगी कर्मी लाभान्वित होंगे।

(UK High Court on Regulated Daily Wage Workers)मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने वन विभाग के विनियमित दैनिक वेतन कर्मी सुरेश कंडवाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ ने 14 जून को इस मामले में अंतिम सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।

यह कहा गया था याचिका में (UK High Court on Regulated Daily Wage Workers)

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा कि वह वर्ष 2011 की नियमावली के तहत विनियमित सेवा में शामिल हुआ था और उसकी विनियमितीकरण से पूर्व की सेवाओं को पेंशन के प्रयोजनों के लिए गिना जाना चाहिए। इस मामले में एकलपीठ ने सुनवाई के बाद इसे खंडपीठ को भेज दिया था।

याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ के समक्ष सर्वोच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि इन अदालतों के फैसलों में स्पष्ट है कि विनियमितीकरण से पूर्व की सेवाओं को पेंशन और ग्रेच्युटी के प्रयोजनों के लिए गिना जाना चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया कि ऐसे कर्मचारियों को उनकी विनियमितीकरण से पूर्व की सेवा से पेंशन और अन्य देयकों का लाभ मिलना चाहिए।

माना जा रहा है कि उच्च न्यायालय का यह निर्णय भविष्य में विनियमित होने वाले कार्मिकों को भी लाभान्वित करेगा। हालांकि उच्च न्यायालय के इस आदेश का पालन सरकार किस तरह से करती है, यह देखने वाली बात होगी। विदित हो कि उच्च न्यायालय ने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके दैनिक वेतनभोगी व संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के आदेश भी दिये थे, लेकिन सरकार अभी इस आदेश के लिये नियमावली बनाने की प्रक्रिया में ही है। (UK High Court on Regulated Daily Wage Workers)

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