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December 22, 2024

बड़ा समाचार : धामी सरकार ने पेश किया बजट, जानें आपके जीवन पर क्या पड़ेगा प्रभाव…

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Imageनवीन समाचार, देहरादून, 15 मार्च 2023। धामी सरकार के वित मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल नेे बुधवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में राज्य के लिए 2023-24 का 77407.84 करोड़ का नया बजट प्रस्तुत किया। पहाड़ी बोली में शुरू किए गए बजट भाषण में राज्य के दो शहरों में होने जा रहे जी-20 कार्यक्रमों के लिए 100 करोड़ रुपए, जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र के लिए एक हजार करोड़ का प्राविधान, देहरादून में मेट्रो रेल के लिए 101 करोड, स्वरोजगार योजना के लिए 40 हजार करोड़, लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके अलावा साइन्स सिटी व विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए 26 करोड़ 21 लाख रुपए का प्राविधान, युवाओं के लिए मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु 11 करोड़ रुपए, बालिका साइकिल योजना के लिए 15 करोड़ रुपए एवं पिछड़ी जातियों की छात्राओं के लिए एक करोड़ 90 लाख का प्रावधान किया गया है। यह भी पढ़ें : एक ही रात में 26 अवैध मजार ध्वस्त, मजारों में नहीं मिला कोई मानव अवशेष…

इसके अलावा बजट में वीरता पुरस्कार विजेताओं के लिए निशुल्क यात्रा का प्राविधान, उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति को 10 करोड़ दिया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय बढ़ाने का प्राविधान भी किया गया, उत्तराखंड का युवा नौकरी करने के बजाय नौकरी देगा, स्वरोजगार योजना के लिए 40 हजार करोड़ का प्रावधान, जी-20 के लिए 100 करोड़, बालिका साइकिल योजना के लिए 15 करोड़ का प्राविधान, लोक सेवा आयोग की तैयारी के लिए 50 हजार मिलेंगे, बजट में युवा शक्ति पर विशेष फोकस किया गया है, मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन के लिए 11 करोड़ का प्रावधान, भर्तियों में घोटाला करने वालों के खिलाफ कड़ा कानून, एनसीसी कैडेटों का भत्ता बढ़ाया गया, 15 रुपये प्रति प्लेट से बढ़ाकर भत्ता 45 रुपये प्रति प्लेट कर दिया गया है। यह भी पढ़ें : घर में चलता मिला कोठा, दो लड़कियां व चार लड़के आपत्तिजनक स्थिति में गिरफ्तार, जेल भेजा…

Imageपिछड़ी जातियों की छात्राओं के लिए एक करोड़ 90 लाख की छात्रवृत्ति का प्रावधान, 2025 तक राज्य को सर्वश्रेष्ठ बनाने की दिशा में काम, बालिका साइकिल योजना के लिए 15 करोड़ तथा उत्तराखंड का युवा नौकरी करेगा नहीं बल्कि देगा, स्वरोजगार योजना के लिए 40 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। नकल करने अथवा कराने पर 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने व आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान किया गया। पॉलीहाउस हेतु ₹200 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मिशन एप्पल योजना के अन्तर्गत ₹35 करोड़ का प्रावधान किया गया है। राजकीय नियुक्तियों हेतु राज्य लोक सेवा आयोग के अन्तर्गत ₹133.53 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह भी पढ़ें : तलाकशुदा-एक बेटी की मां को भारी पड़ा खुद से कम उम्र के युवक से प्रेमालाप

यह विधेयक भी किए गए पेश
– उत्तराखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक
– यूनिवर्सिटी आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी रुड़की (संशोधन) विधेयक
– उत्तराखंड सेवा का अधिकार (संशोधन) विधेयक
– सरकारी अनुदान अधिनियम 1895 (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक
– उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : रास नहीं आ रहीं मौजूदा गाड़ियां, अब ढाई गुना तक महंगी गाड़ियों में धूमेंगे उत्तराखंड के मंत्री-अधिकारी…

बुलेट प्रूफ कार में सफर करने वाले उत्तराखंड के पहले सीएम बने त्रिवेन्द्र,  नहीं होगा हमले का कोई असर - trivandra became the first cm of uttarakhand to  travel in a bulletनवीन समाचार, देहरादून, 3 फरवरी 2023। उत्तराखंड की आर्थिक दशा किसी से छुपी नहीं है, पर अब राज्य के काबीना मंत्रियों, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, डीजीपी से लेकर डीएम एवं एसडीएम स्तर तक के अधिकारियों के लिए 7 वर्ष पूर्व के मुकाबले ढाई गुना तक, 12 से 25 लाख रुपए तक मूल्य की महंगी कारें खरीदने का प्राविधान किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार परिवहन विभाग की संशोधित वाहन खरीद नीति पर वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी है। नई नीति में कम प्रदूषण वाली व प्रदूषण रहित वाहनों को खरीदे जाने के प्राविधान भी किए जा रहे हैं। अब इस नीति को आगामी 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में रखे जाने की संभावना है। यह भी पढ़ें : कॉलेज में चल रहा है हाई वोल्टेज ड्रामा, कॉलेज की छत पर चढ़ी छात्र संघ अध्यक्ष…

बताया गया है कि इससे पहले राज्य में 2006 की नीति लागू थी। जिसमें अधिकतम 15 लाख रुपए तक की गाड़ियां ही खरीदने का प्राविधान था। तब बोलेरो की कीमत करीब छह लाख रुपए आंकी गई थी, जो वर्तमान में करीब 8.50 लाख की है। इनोवा की कीमत उस वक्त करीब 15 लाख आंकी गई, जो कि अब करीब 20 लाख की है। सभी वाहनों की कीमतें बढ़ने के साथ ही ई-वाहन भी बाजार में आ गए हैं। इसके अलावा तब बीएस-4 वाहनों के हिसाब से नीति थी, जो कि अब बीएस-6 वाहनों के हिसाब से बनाई गई है। यह भी पढ़ें : हन्द्वानी में ठगों ने बैंक से ही कर डाली लाखों रुपए की धोखाधड़ी, दबोचे गए, एसएसपी ने की पुलिस टीम के लिए ईनाम की घोषणा…

अब बताया गया है कि इतनी धनराशिकी कारें राज्य के मंत्रियों-अधिकारियों को रास नहीं आ रही हैं। इस कारण प्रदेश में 1500 सरकारी वाहनों की खरीद की प्रक्रिया लटकी हुई है। बताया गया है कि परिवहन विभाग ने 2016 की नीति में चार श्रेणियों में वाहन खरीद के लिए अधिकतम मूल्य तय किया गया था। इस बार विभाग ने पांच श्रेणियां बना दी है। ए-श्रेणी में कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, जज, अपर मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक आदि के लिए वाहन की कीमत की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख प्रस्तावित की गई है। यह भी पढ़ें : मानव-वन्य जीव संधर्ष: हाथी ने सड़क पर 35 वर्षीय युवक को मार डाला, दुकान-कार को भी किया क्षतिग्रस्त

वहीं बी-श्रेणी में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए वाहनों की कीमत 12 लाख से बढ़ाकर 20 लाख, सी-श्रेणी में डीएम, विभागाध्यक्षों, सीनियर पुलिस अधिकारियों के लिए वाहन की कीमत की सीमा आठ लाख से बढ़ाकर 18 लाख, उनके अधीनस्थ अधिकारियों के लिए डी-श्रेणी में वाहनों की कीमत की सीमा छह लाख से बढ़ाकर 15 लाख यानी ढाई गुना महंगी और जिलों के एसडीएम, तहसीलदार आदि अधिकारियों के लिए ई-श्रेणी में वाहन कीमत की सीमा 12 लाख प्रस्तावित की गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में सर्वाधिक (30%) तेज़ी से बढ़ती मतदाताओं की संख्या व बदलती डेमोग्रेफी की जाँच के आदेश….

-उत्तराखंड में पंजाब, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और गोवा की तुलना मे कहीं ज़्यादा तेजी से बढ़ी मतदाताओं की संख्या की होगी वृहद् जांच

-2022 विधान सभा चुनावों में थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड की निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट को लेकर आदेश

-उत्तराखंड की तेज़ी से बदलती डेमोग्राफी और शहरों की कैरिंग कैपेसिटी को लेकर बड़े सवाल

Uttarakhand Mapनवीन समाचार, देहरादून, 28 जनवरी 2023। उत्तराखंड में पिछले 10 वर्षों के अंतराल में तेजी से बढ़ी मतदाताओं की संख्या के कारणों की अब राज्य स्तर पर जांच होगी। भारत निर्वाचन आयोग के आदेश पर राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 जनवरी 2023 को समस्त जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर हर जिले में जिला स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर और मतदान केंद्र स्तर पर कमिटियों का गठन कर त्वरित जांच करने का आदेश दिया है।

वर्ष 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन ने पिछले 10 वर्षों में राज्य में मतदाताओं की संख्या में हुई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को लेकर निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी । एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में मतदाताओं की बढ़ोत्तरी की तुलना उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा के मतदाताओं से की थी जहां उस दौरान एक साथ विधान सभा चुनाव हुए थे। इन सभी राज्यों में उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई थी। एसडीसी फाउंडेशन ने इस संबंध में एक रिपोर्ट ‘डेमोग्राफिक चेंजेज, डिस्ट्रिक्ट अपडेट एंड कॉन्सिट्वेंसी नंबर्स’ जारी की थी । रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से 2022 के बीच उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जबकि पंजाब मे 21 प्रतिशत , उत्तर प्रदेश मे 19 प्रतिशत, मणिपुर मे 14 प्रतिशत और गोवा मे 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व आईएफएस अधिकारी और उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. वीके बहुगुणा ने मुख्य चुनाव आयुक्त से पहले प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी इस बारे में पत्र लिखे थे और लगातार मामले की जांच करवाने की मांग करते रहे। उन्होंने कहा था कि मतदाताओं की संख्या में इस असामान्य बढ़ोतरी से उत्तराखंड की सांस्कृतिक अखंडता को खतरा पैदा हो गया है। डॉ. बहुगुणा ने यह भी कहा था कि उत्तराखंड की कैरिंग कैपेसिटी कई साल पहले ही खत्म हो चुकी है, ऐसे में अनूप नौटियाल के नेतृत्व में एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट सभी नीति निर्माताओं और सामान्य लोगों के लिए एक चेतावनी है।

करीब 10 महीने बाद आखिकार भारत निर्वाचन आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को पूरे राज्य में मामले की जाँच करने के आदेश दिये हैं । राज्य निर्वाचन आयोग ने इस आधार पर जिले, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र में कमेटियां गठित करने का आदेश सभी जिलाधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को भेजा है।

तीन स्तरीय समितियां बनेंगी

मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी की एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट के आधार पर जांच के लिए जिला स्तर पर बनाई जाने वाली समिति में उप जिला निर्वाचन अधिकारी सहित 4 सदस्य होंगे। विधानसभा क्षेत्र स्तर की समिति में निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी सहित 4 सदस्य और बूथ स्तर की समिति मे उप जिलाधिकारी द्वारा नामित पटवारी सहित 5 सदस्य होंगे। राज्य चुनाव आयोग ने यह जांच पूरी करके 28 फरवरी, 2023 तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

उत्तराखंड की डेमोग्राफी और उत्तराखंडियत पर बड़ा सवालिया निशान : डॉ. वीके बहुगुणा 

उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. वीके बहुगुणा के अनुसार उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हो रही है। पिछले 10 वर्षों के दौरान राज्य की सभी सीटों पर मतदाताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन मैदानी जिलों की सीटों पर यह बढ़ोत्तरी बेहद चिंताजनक है। डॉ. बहुगुणा के अनुसार यह तथ्य एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट से सामने आए और मैदानी क्षेत्रों में मतदाओं की इतनी बड़ी संख्या में यह बढ़ोत्तरी इशारा करती है की पर्वतीय क्षे़त्रों से हो रहे पलायन की तुलना में सम्भवता अन्य राज्यों के लोगों का उत्तराखंड मे बहुत ज्यादा पलायन हुआ है ।

डॉ. बहुगुणा ने कहा की रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट तौर से प्रतीत होता है की मैदानी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग आकर उत्तराखंड में बस रहे हैं। यह उत्तराखंड की डेमोग्राफी और उत्तराखंडियत पर एक बड़ा सवालिया निशान है। ऐसे में सरकार, प्रशासन, पुलिस और समाज को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि क्या उत्तराखंड में बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से आने वाले लोग सुनियोजित तरीके से बसाये जा रहे हैं और क्या यहां मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनाना ज्यादा आसान है।वे कहते हैं कि यदि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आकर उत्तराखंड में बस रहे हैं तो इसके कारणों की जांच करना, इसका मूल्यांकन करना और इसके परिणामों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि आखिरकार भारत निर्वाचन आयोग ने इस गंभीर मसले का संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दिये हैं।

कैरिंग कैपेसिटी और क्या राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक या सुरक्षा कारणों से सुनियोजित तरीके से हो रहा है बदलाव : अनूप नौटियाल

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने चुनाव आयोग द्वारा अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में कहीं ज्यादा बढ़ोत्तरी की जांच के आदेश दिये जाने पर संतोष जताया। उन्होंने कहा की जिन सीटों पर मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ी है, वे सभी मैदानी सीटें हैं। प्रदेश की 70 सीटों मे देहरादून जिले के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता बढ़े हैं। पिछले 10 वर्षों में इस विधान सभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 72 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। धर्मपुर के अलावा रुद्रपुर, डोईवाला, सहसपुर, कालाढूंगी, काशीपुर, रायपुर, किच्छा, भेल रानीपुर और ऋषिकेश की टॉप 10 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा 41% से 72% बढ़ोत्तरी हुई है। अनूप नौटियाल ने कहा की इतनी बड़ी संख्या में सम्भवता बाहर से आकर लोगों के उत्तराखंड में बसने से राज्य के शहरों की कैरिंग कैपेसिटी पर बहुत अधिक दबाव बड़ा है। राज्य के ज्यादातर शहर पहले से ही अपनी कैरिंग कैपेसिटी से कहीं ज्यादा बोझ झेल रहे हैं। इससे नागरिक सुविधाओं की कमी और विभिन्न किस्म की शहरी समस्याएं लगातार बढ़ रही है।

अनूप नौटियाल ने आशंका जताई है कि मतदाताओं की संख्या में इस बढ़ोत्तरी का संबंध अगले नौ महीने में होने वाले स्थानीय नगर निकायों के चुनाव से भी हो सकता है। उत्तराखंड में आठ नगर निगम देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर हैं। उन्होंने कहा की इन्हीं आठ शहरों और उनके जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है की कहीं वोट बैंक मजबूत करने के लिए बाहर से लाकर लोगों को यहां बसाया जा रहा है । इन सब के साथ राजनीतिक कारणों के अलावा सामाजिक, धार्मिक या सुरक्षा कारणों से सुनियोजित तरीके से ऐसा किये जाने की संभावना भी हो सकती है।

एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट “डेमोग्राफिक चेंजेज, डिस्ट्रिक्ट अपडेट एंड कॉन्सिट्वेंसी नंबर्स’ के 10 मुख्य बिंदु :

  1. वर्ष 2012 से 2022 के बीच उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई।
  2. 2012 के तीसरे विधानसभा चुनाव में राज्य में 63,77,330 मतदाता थे। यह संख्या 2022 के पांचवें विधानसभा चुनाव में 82,66,644 हो गई।
  3. राज्य में 2012 से 2022 के बीच मतदाताओं की संख्या में 18,89,314 (राउंड ऑफ 19 लाख) की बढ़ोत्तरी हुई।
  4. चार मैदानी जिलों ऊधमसिंह नगर, देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार की 36 सीटों पर 10 वर्ष के दौरान 37 प्रतिशत मतदाता बढ़े। सबसे ज्यादा 43 प्रतिशत मतदाता ऊधमसिंह नगर जिले में बढ़े।
  5. नौ पर्वतीय जिलों उत्तरकाशी, टिहरी , पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, चम्पावत, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी और अल्मोड़ा की 34 सीटों पर 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई। सबसे कम 13 प्रतिशत मतदाता अल्मोड़ा जिले में बढ़े।
  6. 2,07,718 के साथ देहरादून जिले की धर्मपुर सबसे बड़ी विधान सभा है। यहां 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा 72 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई।
  7. धर्मपुर के अलावा रुद्रपुर, डोईवाला, सहसपुर, कालाढूंगी, काशीपुर, रायपुर, किच्छा, भेल रानीपुर और ऋषिकेश की टॉप 10 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में 10 वर्षों में सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत से 72 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई।
  8. अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा क्षेत्र में 10 वर्षों के दौरान सबसे कम 8 प्रतिशत मतदाता बढ़े।
  9. सल्ट विधानसभा के अलावा रानीखेत, चौबटाखाल, पौड़ी, द्वाराहाट, लैंसडौन, जागेश्वर, यमकेश्वर, डीडीहाट और लोहाघाट में 10 वर्षों के दौरान सबसे कम 8 प्रतिशत से 16 प्रतिशत मतदाता बढ़े।
  10. सर्वाधिक वोटर वृद्धि वाली टॉप 10 विधानसभ उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में हैं जबकि सबसे कम मतदाता वृद्धि वाली नीचे से दस विधान सभा नौ पहाड़ी जिलों में हैं।

यह भी पढ़ें : सुबह का सुखद समाचार : महिला आरक्षण व धर्मांतरण सहित 14 विधेयक राजभवन भेेजे गए, जल्द बन जाएंगे कानून

नवीन समाचार, देहरादून, 6 दिसंबर 2022। उत्तराखंड में महिलाओं को राज्य सरकार की नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार बहुत जल्द मिलने वाला है। विधानसभा में पारित होने के बाद विधायी विभाग ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक सोमवार को राजभवन भेज दिया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड निवासी युवक ने की अपनी लिव-इन-पार्टनर महिला साथी की पाटल से हत्या…

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय से महिला आरक्षण से संबंधित शासनादेशों पर रोक लगने के बाद से महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर संशय बन गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद शासन ने सर्वोच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी। वहां से स्थगन आदेश लेने के साथ ही अधिनियम बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। 30 नवंबर को सरकार ने विधानसभा में इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराया। अपर सचिव (विधायी) महेश कौशिबा ने विधेयकों को राजभवन भेज दिए जाने की पुष्टि की है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की युवती से हरिद्वार व गुरुग्राम में पिस्टल की नोक पर और ब्लेकमेल कर दुष्कर्म

श्री कौशिबा ने बताया कि प्रदेश में जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण रोकने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पारित किया गया था। यह विधेयक भी राजभवन भेज दिया गया है। इसके अलावा उत्तराखंड विनियोग (2022-23 का अनुपूरक) विधेयक समेत 11 अन्य संशोधित विधेयक भी राजभवन भेज दिए गए हैं। यह भी पढ़ें : कुछ ही घंटों में पुलिस ने किया खुलासा, क्यों थाने की पीछे सरकारी आवास में हुई युवक की हत्या

इनमें बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक अनुबंध) विधेयक, उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक, उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक, उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एव, थूकना प्रतिषेध संशोधन विधेयक, उत्तराखड जिला योजना समिति संशोधन विधेयक, पंचायती राज संशोधन विधेयक, हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक, उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास संशोधन विधेयक, उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) संशोधन विधेयक भी शामिल हैं। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : आज फिर धामी मंत्रिमंडल की बैठक, इन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लग सकती है मुहर

नवीन समाचार, देहरादून, 21 नवंबर 2022। सोमवार को राज्य सचिवालय में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक होने जा रही है। अपराह्न 4 बजे से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आहूत बैठक में खासकर आगामी विधानसभा सत्र के दौरान पेश होने वाले अनुपूरक बजट का प्रस्ताव लाया जा सकता है। यह भी पढ़ें : रात में गिरी कार, सुबह-सुबह दिखी तो हो चुकी थी कार सवारों की मौत…

साथ ही सरकारी सेवाओं में नकल निषेध विधेयक सहित विधानसभा के पटल पर रखे जाने वाले प्रत्यावेदनों पर भी चर्चा हो सकती है। साथ ही शहरी विकास विभाग की ओर से स्मार्ट सिटी योजना के तहत देहरादून में ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। इसके अलावा नई राजस्व संहिता का प्रस्ताव भी मंत्रिमंडल की की बैठक में विचाराधीन है। इस पर भी चर्चा हो सकती है। यह भी पढ़ें : दो बच्चों के पिता ने किया धोखे में रखकर निकाह, अप्राकृतिक संबंध बनाए, ननदोई ने भी किया दुष्कर्म

साथ ही सोंग बांध परियोजना के पुनर्वास एवं विस्थापन के इस प्रस्ताव पर भी चर्चा हो सकती है। विभिन्न विभागों की सेवा नियमावली विधानसभा के पटल पर रखे जाने वाले प्रत्यावेदन पर चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के लिए आर्थिकी के मोर्चे पर लंबे समय के बाद एक सुखद समाचार….

Economic Survey 2021-22: Economy Of Uttarakhand Towards Improvement,  Economic Growth Rate Increased - Economic Survey 2021-22: सुधार की ओर  उत्तराखंड की आर्थिक अर्थव्यवस्था, विकास दर बढ़ी, 6.13 फीसदी ...नवीन समाचार, नैनीताल, 19 नवंबर 2022। लगातार ‘ऋणं लित्वा घृतं पीवेत्’ यानी कर्ज लेकर अपने खर्चे पूरे करने के लिए मजबूर उत्तराखंड राज्य के लिए आर्थिकी के मोर्चे पर लंबे समय के बाद एक सुखद समाचार है। राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 265488 करोड़ रुपये का हो गया है, और मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर के पिछले तीन वर्षों के सर्वाधिक 7.05 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इसे कोरोनाकाल में ध्वस्त राज्य की आर्थिकी को संभालने के लिए किए गए उपायों का प्रतिफल और राज्य की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटकर गति पकड़ने का संकेत माना जा रहा है। यह भी पढ़ें : दुष्कर्म के मामले में लापरवाही पर महिला दरोगा सस्पेंड, इंस्पेक्टर के खिलाफ भी जांच…

राज्य के अर्थ एवं संख्या निदेशालय के 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के दूसरे संशोधित अनुमानों से यह खुलासा हुआ है। जारी आंकड़ों के अनुसार 2011-12 के स्थिर भाव पर राज्य की विकास दर में तगड़ा उछाल आया है। 2016-17 में राज्य की विकास दर 9.83 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में गिरकर 7.90 प्रतिशत रह गई थी। यह अगले एक साल में यानी 2018-19 में 5.07 प्रतिशत गिरबर 2.83 प्रतिशत हो गई। गिरावट का यह सिलसिला अगले दो वर्षों तक भी जारी रहा। वर्ष 2017-18 की तुलना में 2019-20 में विकास दर 5.93 फीसदी तक गिर कर 1.93 प्रतिशत और और 2020-21 के दौरान कुल 13.28 प्रतिशत गिरकर -5.38 प्रतिशत और प्रति व्यक्ति आय 1.90 लाख से घटकर 1.85 लाख रुपये तक पहुंच गई। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में पुलिस थाने के पास शराब की दुकान के कर्मियों द्वारा युवक को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, सिर पर शराब की बोतल भी फोड़ी..!

इसे कोविड महामारी का प्रभाव बताया गया। इसके फलस्वरूप राज्य की अर्थव्यवस्था की पूरी तरह से कमर टूट गई और विकास दर शून्य से नीचे जा पहुंची। 2019-20 के बाद जीएसडीपी में 406 करोड़ रुपये की कमी आई और 2020-21 के संशोधित अनुमान के अनुसार विकास दर -5.38 तक जा गिरी। जबकि 2020-21 से 2021-22 के दौरान जीएसडीपी में 26631 करोड़ की वृद्धि हुई, और विकास दर वापस 7.05 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत है। यह भी पढ़ें : स्पा सेंटर में मसाज की आड़ में देह व्यापार होते पकड़ा, 2 गिरफ्तार, 3 महिलाएं मुक्त कराईं…

इस तरह गिरकर उठी विकास दर
वित्तीय वर्ष विकास दर प्रतिव्यक्ति आय जीएसडीपी
2016-17 9.83 161752 195125
2017-18 7.90 180858 220222
2018-19 2.83 186207 230327
2019-20 1.97 190558 239263
2020-21(आरई)-5.38 185761 238857
2021-22 (पीई)7.05 205840 265488 (प्रतिव्यक्ति व जीएसडीपी के आंकड़े आय चालू भाव पर। आरई यानी रिवाइज्ड इस्टीमेट (संशोधित अनुमान), पीई यानी प्रोविजनल इस्टीमेट (अस्थायी अनुमान) स्रोत: अर्थ एवं संख्या निदेशालय।)

राज्य के अर्थ एवं संख्या निदेशक सुशील कुमार ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था के बारे में इस साल के दूसरे संशोधित अनुमान हैं। आंकड़े राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। कोरोनाकाल के बाद से द्वितीय और तृतीय क्षेत्रों में सुधार दिखाई दे रहा है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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नवीन समाचार, देहरादून, 17 जून 2022। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट में उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय में करीब आठ फीसदी की वृद्धि हुई है। शुक्रवार को विधानसभा बजट सत्र में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट सदन में रखी, जिसमें यह खुलासा हुआ।

विधानसभा बजट सत्र में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट सदन के पटल रखी। इसमें बताया गया कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था कृषि, बागवानी, पशुपालन, वन, खनन, विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल व रेस्टोरेंट तथा अन्य क्षेत्रों पर निर्भर है। रिपोर्ट की मानें तो उत्तराखंड में विकास दर में भी सुधार दर्ज किया गया है। उत्तराखंड की विकास दर 6.13 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि साल 2020-21 में 4.42 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई थी। लेकिन, राष्ट्रीय स्तर से उत्तराखंड की विकास दर अभी भी काफी कम है। रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल 2020-21 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 82 हजार 696 रुपए थी, जो करीब आठ फीसदी की वृद्धि के साथ वर्ष 2021-22 में बढ़कर 1 लाख 96 हजार 282 रुपए पहुंच गई है।

उल्लेखनीय हे कि उत्तराखंड विधानसभ में शुक्रवार को विपक्ष के हंगामे के बीच सत्ता पक्ष ने विभागवार बजट पर चर्चा की। सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या अधिक होने के चलते विभागवार बजट ध्वनिमत से पास हुआ। इस दौरान सरकार ने विभागवार बजट पास किया, जिसमें जलापूर्ति आवास एवं नगर विकास विभाग का 2110 करोड़ 25 लाख 53 हजार रुपये का बजट पास हुआ। इसी प्रकार कृषि विभाग का 1206 करोड़ 19 लाख 93 हजार, परिवहन विभाग का 337 करोड़ 4 लाख 95 हजार, समाज कल्याण विभाग का 2022 करोड़ 65 लाख 78 हजार, पशुपालन विभाग का 531 करोड़ 66 लाख 61 हजार, श्रम एवं रोजगार विभाग का 605 करोड़ 31 लाख 88 हजार, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का 534 करोड़ 32 लाख 54 हजार, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग का 2804 करोड़ 19 लाख 76 हजार, संसदीय कार्य विभाग का 94 करोड़ 28 लाख 63 हजार, पुलिस एवं जेल विभाग का 2423 करोड़ 55 लाख 4 हजार, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का 3994 करोड़ 16 लाख 38 हजार, ग्रामीण विकास विभाग का 3699 करोड़ 13 लाख 37 हजार, लोक निर्माण विभाग का 2338 करोड़ 86 लाख 50 हजार का बजट पास किया गया।

बताया गया कि उत्तराखंड सरकार की कुल कमाई में से 19 प्रतिशत हिस्सेदारी आबकारी विभाग की है। इस साल शराब से 3260 करोड़ का राजस्व कमाया है। अल्मोड़ा में गरीबी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। अल्मोड़ा की 25.65 प्रतिशत आबादी बहुआयामी गरीब की श्रेणी में आई है। जबकि उत्तराखंड की करीब 17 प्रतिशत आबादी गरीब है। शिक्षा के बाद सर्वाधिक खर्च 22 प्रतिशत खर्च प्रशासनिक सेवाओं पर किया गया है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड ब्रेकिंग: प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक से निकले गरीबों, पशु पालन कर्मियों, गेहूं किसानों व केदारनाथ वासियों के लिए तोहफे सहित बहुत कुछ…

नवीन समाचार, देहरादून, 12 मई 2022। पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की गुरुवार को दूसरी मंत्रिमंडल की बैठक हुईं बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई, साथ ही कई बिंदुओं पर मुहर भी लग गई। बैठक में सबसे बड़ी बात राज्य में अंत्योदय राशन कार्ड धारकों के लिए तीन गैस सिलिंडर मुफ्त दिए जाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यसचिव एसएस संधू ने बताया कि खाद्य आपूर्ति विभाग 1.84 लाख परिवारों को साल में 3 गैस सिलेंडर मुफ्त देगा। इस योजना से सरकार पर प्रतिवर्ष 55 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने किसानों को प्रति कुंतल गेहूं पर 20 रुपए बोनस देने का भी निर्णय लिया है। अभी सरकार किसानों को प्रति कुंतल 2015 रुपए दे रही है, अब बोनस मिलाकर कुल 2035 रुपए मिलेंगे। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने केदारनाथ में स्थानीय व्यक्तियों को एक मंजिले की जगह दो मंजिले भवन बनाने की अनुमति भी दे दी है।

इसके अलावा गन्ना मूल्य भुगतान के लिए दी जाने वाली शासकीय गारंटी के लिए विभाग शासन को एक्ट के हिसाब से शुल्क देगा। यदि किसानों को मदद की आवश्यकता होगी तो विभाग शासन को अवगत कराएगा इसके पश्चात शासन द्वारा मदद की जाएगी। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने कृत्रिम गर्भाधान करने वाले कर्मचारियों को पूर्व की भांति पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति पशु 50 रुपये और मैदानी क्षेत्रों में 40 रुपये प्रति पशु धनराशि देने, गेंहू खरीद पर किसानों को मिलेगा प्रति कुंतल 20 रुपये बोनस देने को भी मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल ने विधानसभा के सत्रावसान का अनुमोदन भी कर दिया और हरिद्वार में पंचायत चुनाव मामले में अगली बैठक में निर्णय लेने की बात कही।

हालांकि उम्मीद की रही थी की इस बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी चर्चा हो सकती है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को लेकर कई प्रस्ताव भी आ सकते हैं। कोविड काल में अस्पतालों में रखे गए आउटसोर्स कर्मचारियों को भी सरकार दोबारा रख सकती है। नौकरी से हटाए जाने के बाद ये कर्मचारी आंदोलनरत हैं। स्वास्थ्य मंत्री इन्हें दोबारा रखने का आश्वासन दे चुके हैं। इसके साथ ही जल जीवन मिशन के तहत पाइपों के दाम संशोधित करने, ई वाहन पालिसी आदि महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिल सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड को मिली गंगा किनारे यूपी की अलकनंदा और यूपी को उत्तराखंड में भागीरथी…

नवीन समाचार, हरिद्वार, 5 मई 2022। देश की आत्मा से जुड़ी मां स्वरूप गंगा नदी के दो अन्य नाम है भागीरथी और अलकनंदा। आज यूपी व उत्तराखंड के बीच इन तीनों का अजब संयोग देखने को मिला। हरिद्वार में गंगा किनारे बने उत्तराखंड पर्यटन विभाग के नए होटल भागीरथी का यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साथ मिलकर लोकार्पण किया और इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अलकनंदा होटल की चाबी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी।

सीएम योगी ने हरिद्वार में भागीरथी पर्यटक आवास का किया लोकार्पण, बोले- नई  विकासगाथा लिख रहे हैं यूपी और उत्तराखंड – चम्पावत ख़बरमालूम हो कि वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखण्ड राज्य का गठन होने के बाद से दोनों राज्यों के बीच में परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं हो पाया था। इस बीच यूपी के स्वामित्व वाले अलकनंदा होटल पर उत्तराखंड ने अपने हक जताया, जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, और शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड के दावे को सही माना। बाद में दोनों सरकारों के बीच हुए समझौते के तहत उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड में जमीन उपलब्ध करवाई, जिस पर यूपी सरकार ने एक 100 कमरों का आलीशान पर्यटक आवास तैयार किया है और उसे भागीरथी पर्यटन आवास नाम दिया। साथ ही अलकनंदा को उत्तराखंड को हस्तांतरित कर दिया।

बताया गया दें कि पहाड़ी शैली से गंगा नदी किनारे बनाए गए भागीरथी होटल में 100 कमरों में 12 वीआईपी और 88 लग्जरी रूम हैं। आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त भागीरथी होटल में लिफ्ट, एसी और बैंक्वेट हॉल की व्यवस्था भी है। इस होटल के एक बैंक्वेट हॉल में 100 लोगों जबकि दूसरे में 150 लोगों के जमा होने की क्षमता है। इस होटल की बालकनी से पर्यटक गंगा नदी के दर्शन कर सकते हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड की धामी 2.0 सरकार की पहली मंत्रिमंडल की बैठक में यूनिफार्म सिविल कोड पर हुआ बड़ा निर्णय

उत्तराखंड सरकार की पहली कैबिनेटनवीन समाचार, देहरादून, 24 मार्च 2022। उत्तराखंड की धामी सरकार पहली मंत्रिमंडल की बैठक में यूनिफार्म सिविल कोड पर बड़ा निर्णय ले लिया गया है। राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समिति बनाने का निर्णय ले लिया गया है। समिति में विधि विशेषज्ञ शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि देश में अब तक केवल गोवा में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है। पहली कैबिनेट बैठक में पार्टी संगठन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरकार का दृष्टि पत्र सौंपा। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार ने सीएम को दृष्टि पत्र सौंपा। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि जनता ने भाजपा और भाजपा के दृष्टि पत्र पर भरोसा किया है और सरकार उस पर पूरी तरह से खरी उतरेगी।

सीएम धामी ने कहा कि हमने चुनाव से पहले कहा था कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। हमारा राज्य दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी लगा है। ऐसे में जरूरी है कि उत्तराखंड में ऐसा कानून हो जो सभी के लिए समान हो। समाज, विधि विशेषज्ञ को मिलाकर हम एक समिति बनाएंगे। यह कमेटी ड्राफ्ट तैयार करेगी और इस यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लागू करेंगे। आर्टिकल 44 के तहत राज्य को इसकी पावर है। मंत्रिमंडल ने तय किया है कि जल्द ही इसे लागू करेंगे। गोवा के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जो यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लाएगा। बताया कि विधानसभा सत्र का प्रस्ताव भी मंत्रिमंडल के पास है।

उन्होंने कहा कि युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व मे मंत्रिमंडल के सदस्य राज्य को तरक्की की दिशा मे ले जाने के लिए अधिक ऊर्जा से कार्य करेंगे। कहा कि हमने जो संकल्प प्रदेश की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे थे, उन पर जनता ने सहमति देते हुए अपना आशीर्वाद दिया। राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प बद्ध है। इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री श्री सुरेश भट्ट व सभी कैबिनेट मंत्री उपस्थित रहे। विस्तृत समाचार पाने के लिए इस लिंक को रिफ्रेश करते रहें। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड को दो माह के भीतर मिले दूसरे नए ब्रांड एंबेसडर, अभिनेता अक्षय कुमार पहले भी रह चुके हैं राज्य के ब्रांड एंबेसडर

Imageनवीन समाचार, देहरादून, 7 फरवरी 2022। बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार दूसरी बार उत्तराखंड के ‘ब्रांड एंबेसडर’ होंगे। सोमवार को प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह जानकारी दी। इससे पूर्व उन्होंने मिलने आए अक्षय कुमार को पहाड़ी टोपी और पुष्प गुच्छ देते हुए अपने आवास पर उनका स्वागत किया और बाद में उन्हें प्रदेश का ब्रांड एंबेसडर बनाते हुए उन्हें केदारनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति भेंट की।

इससे पहले धामी सरकार ने गत 20 दिसंबर 2021 को राज्य के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी ऋषभ पंत को जबकि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली को भी ब्रांड एंबेसडर बना चुकी है। स्वयं अक्षय कुमार को भी वर्ष 2017 में भी स्वच्छता अभियान के लिए उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर के लिए नामित किया गया था। उस समय उन्होंने इस काम के लिए कोई फीस नहीं ली थी। अलबत्ता यह पब्लिक डोमेन में नहीं है कि इन ब्रांड एंबेसडरों ने उत्तराखंड के लिए क्या कार्य किये।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उन्होंने अक्षय कुमार को प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार लिया। अब वे प्रदेश के लिए एंबेसडर के तौर पर काम करेंगे। उन्होंने कहा, “एक कलाकार के साथ-साथ अक्षय कुमार एक अच्छे इंसान भी हैं। हमने उनसे कहा और वे तैयार हो गए हैं। वे उत्तराखंड के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम करेंगे।”

इससे पहले सीएम धामी ने ट्वीट में कहा था, “आज प्रख्यात अभिनेता, युवाओं के प्रेरणास्रोत और मेरे मित्र अक्षय कुमार का मुख्यमंत्री आवास में स्वागत एवं अभिनन्दन किया। अक्षय कुमार ने राज्य के युवाओं को प्रेरित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।”

उल्लेखनीय है कि अक्षय कुमार कई समय से मसूरी में अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं। उन्हें उत्तराखंड से इतना लगाव है कि उन्होंने यहाँ अपना एक घर बनाने की इच्छा भी जताई। उन्होंने 31 साल के फिल्मी करियर में उत्तराखंड को बेहद खूबसूरत कहा और बताया कि वह प्रदेश की खूबसूरती देख ज्यादा प्रभावित हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : यूपी-उत्तराखंड के बीच के 21 वर्ष पुराने विवाद समाप्त, आदेश जारी, देखें किसे क्या मिला…

नवीन समाचार, लखनऊ, 21 दिसंबर 2021। उत्तराखंड सरकार ने पिछले 21 वर्षों से लंबित यूपी से परिसंपत्तियों के मुद्दे को आखिर निपटा दिया है। पिछले दिनों दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बनी सहमति के आधार पर अब इस पर सरकारी आदेश व मुख्यमंत्रियों की बैठक का कार्यवृत्त भी जारी हो गया है।

उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार की ओर से जारी सहमति के कार्यवृत्त के अनुसार उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा हरिद्वार में बनवाया गया अलकनंदा पर्यटक आवास को उत्तराखंड राज्य को दिया जाएगा। दोनों राज्यों के बीच जिन मामलों में सहमति बन गई है उससे जुड़े जो भी मामले न्यायालय में चल रहे हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। दोनों राज्यों के बीच देनदारियों को लेकर भी सहमति बन गई है। यूपी को करीब 300 करोड़ देना था और उत्तराखंड को 105 करोड़, इसका समायोजन हो गया है। शेष बचे 195 करोड़ रुपए यूपी उत्तराखंड को देगा। बचे मामलों का निस्तारण दोनों राज्य के मुख्य सचिव करेंगे।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की उत्तराखंड में खाली भूमि व भवन को उत्तराखंड राज्य को हस्तांतरण पर सहमति बन गई है। सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड में उपयोग के लिए जरूरी भूमि व भवन दिया जाएगा। इसके लिए यूपी और उत्तराखंड के अधिकारी संयुक्त सर्वे कर 15 दिन के अंदर रिपोर्ट देंगे।

हरिद्वार में यूपी सिंचाई विभाग की 697.567 हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व यूपी के पास ही रहेगा। अलबत्ता इस पर कुंभ मेला व अन्य जरूरी प्रयोजन उत्तराखंड करा सकेगा। ऊधमसिंह नगर स्थित धौरा, बैगुल व नानक नगर जलाशय में पर्यटन व जल क्रीड़ा के लिए यूपी सिंचाई विभाग की अनुमति उत्तराखंड को दी जाएगी। पुरानी ऊपरी गंगा नहर में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति उत्तराखंड को दी जाएगी। किच्छा बस स्टैंड की जमीन उत्तराखंड को दी जाएगी। वनबसा बैराज का भी पुर्ननिर्माण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भागीरथी पर्यटक आवास का लोकार्पण अगले माह करेंगे। इस कार्यक्रम के समय ही अलकनंदा पयर्टक आवास को उत्तराखंड को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। (डॉ. नवीन समाचार) अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : देवस्थानम बोर्ड, नजूल नीति सहि 23 प्रस्तावों पर धामी मंत्रिमंडल की मुहर

नवीन समाचार, देहरादून, 6 दिसंबर 2021। उत्तराखंड की धामी मंत्रिमंडल की सोमवार को हुई बैठक में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का निर्णय ले लिया गया है। साथ ही उत्तराखंड नजूल नीति को मंजूरी दे दी गयी है। इनके साथ बैठक में कुल 23 प्रस्तावों पर मुहर लगी है।

आज लिए गए निर्णयों में एक जनवरी 2020 से 30 जून 2021 के बीच सेवानिवृत कार्मिकों के महंगाई भत्ता को ग्रेच्यूटी एवं अवकाश नकदीकरण का भुगतान, 28 प्रतिशत के महंगाई भत्ते के साथ देने का निर्णय लिया गया। रोशनाबाद हाकी स्टेडियम का नाम वंदना कटारिया के नाम पर रखा जाएगा। राजकीय सेवा में पति-पत्नी के साथ कार्यरत होने पर दोनों में से किसी एक को ही आवास किराया भत्ता अनुमन्य होगा। उत्तराखंड निर्यात नीति 2021 को मंजूरी दे दी गई है। नैनीताल जनपद में आम्रपाली विश्वविद्यालय की स्थापना को मंजूरी दे दी गई है। परफार्मेंश गारंटी कम सिक्योरिटी डिपाजिट के दरों में कमी करने का निर्णय लिया गया। शहरी क्षेत्रों में निर्धन परिवारों को 100 रुपये में जल संयोजन दिया जाएगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति-2015 के अन्तर्गत राज्य में स्थापित विदेशी मदिरा के बाटलिंग प्लांट तथा बियर उत्पादन वैट प्रति पूर्ति की अधिकतम सीमा का निर्धारण कर दिया गया है।

इसके अलावा उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक-2021 में हरिद्वार पंचायत चुनावों को छह माह आगे बढ़ाने, उत्तराखंड पशुपालन विभाग (प्रयोगशाला सहायक) सेवा नियमावली 2021, राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय सहकारी विकास द्वारा उपलब्ध ऋण की राशि पर 256 दिनों के ब्याज को सरकार द्वारा वहन करने, कार्बेट टाइगर रिजर्व में कोविड समय के दौरान पर्यटकों से प्राप्त एडवांस बुकिंग की धनराशि वापस करने, सकल घरेलू उत्पाद के समान सकल पर्यावरणीय उत्पाद का आंकलन करने, परिवहन विभाग में देहरादून, ऊधमसिंह नगर में ऑटोमेटिक वाहन फिटनेस टेस्टिंग सेंटर को निजी क्षेत्र से संचालित करने उत्तराखंड उद्यम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन संशोधन अधिनियम 2012 के अन्तर्गत प्राधिकृत समितियों को अधिकार देने, प्रदेश के पॉलिटेक्निकों में 2018 के दौरान हटाए गए संविदा प्रवक्ता को पुनः सेवायोजित करने, उत्तराखंड जमीदारी विनाश भू-व्यवस्था नियमावली में संशोधन करने, सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में 103 औषधियों को निःशुल्क देने, राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण सीडा की नीति में परिर्वतन करने, काशीपुर में 133.8 एकड़ भूमि पर इलैक्टॉनिक पार्क के लिए उद्योग विभाग की भूमि 25 सौ करोड़ के निवेश हेतु सिडकुल को देने, परिवहन विभाग में अधीनस्थ चयन बोर्ड से चयनित 24 कार्मिकों अन्य विभागों में समायोजित करने तथा राज्य योजना के प्रचार-प्रसार के लिए एएनआई को अधीकृत करने के प्रस्तावों को भी बैठक में मंजूरी दे दी गई।

इसके अलावा तय किया गया कि उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम अधिनियम को वापस लेने के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक पेश करेगी। आगामी विधानसभा सत्र नौ व 10 दिसंबर को होना है। माना जा रहा है विधानसभा के शीत सत्र में देवस्थानम अधिनियम को वापस लिया जाएगा। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन से पहले बदरीनाथ व केदारनाथ की व्यवस्था बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अधीन थी, जबकि गंगोत्री व यमुनोत्री की अपनी-अपनी मंदिर समितियां थीं। अब बोर्ड भंग होने पर यही व्यवस्था बहाल हो जाएगी। (डॉ. नवीन समाचार) अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : धामी मंत्रिमंडल ने दी राज्य की नई खेल नीति सहित 28 प्रस्तावों को मंजूरी

नवीन समाचार, देहरादून, 23 नवंबर 2021। उत्तराखंड की धामी मंत्रिमंडल ने मंगलवार को नई खेल नीति पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही भोजनमाताओं और पीआरडी जवानों का मानदेय भी बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 30 प्रस्ताव लाए गए, जिनमें से 28 पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। इनमें महत्वपूर्ण खेल नीति 2021 सर्वप्रमुख है।

खेल नीति लागू होने के साथ ही प्रदेश के खिलाड़ियों को राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का प्रोत्साहन मिलेगा। खेल नीति में एक ओर जहां हर साल प्रदेश भर के 2600 खिलाड़ियों को दो-दो हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी तो दूसरी ओर आठ साल की उम्र से ही खिलाड़ियों की पहचान के लिए फिजिकल एंड स्पोर्ट्स एप्टीट्यूड टेस्ट लागू किया जाएगा। उच्च स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं को राज्य की समूह-ख एवं समूह-ग सेवाओं में आउट आफ टर्न नियुक्ति का तोहफा मिलेगा।

मंत्रिमंडल की बैठक की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि राशन डीलरों के लिए अंशदान बढ़ोतरी के साथ ही अब लीज की भूमि पर भी होम स्टे योजना का लाभ लिया जा सकेगा। अब राज्य में 25 हजार से ज्यादा भोजनमाताओं को प्रतिमाह तीन हजार रुपये मानदेय मिलेगा। वहीं पीआरडी जवानों के दैनिक मानदेय में 70 रुपये की वृद्धि की गई। उन्हें 570 रुपये दैनिक मिलेंगे। एक माह में यह वृद्धि 2100 रुपये की गई है। इसके अलावा यह निर्णय भी लिए गए :

  • पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने को मल्टी लेवल या मल्टी स्टोरीड पार्किंग, साथ में पार्किंग को केव टनल बनाने को मंजूरी, टीएचडीसी को बनाया प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट
  • बदरीनाथ धाम में सहमति के आधार पर होगा भूमि अधिग्रहण, निजी भूमि अधिग्रहण पर सर्किल रेट की दोगुना राशि, आवास के बदले आवास देने पर सहमति, कुल 83 करोड़ राशि का दिया जाएगा मुआवजा
  • दीनदयाल होम स्टे योजना में सब्सिडी 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत अथवा 15 लाख राशि करने पर मुहर, लीज भूमि पर बनाए जा सकेंगे होम स्टे
  • मेगा इंडस्ट्रियल-इन्वेस्टमेंट पालिसी को 31 मार्च, 2025 तक लागू रखने को मंजूरी, अब 50 करोड़ से 400 करोड़ के प्रोजेक्ट पर अधिकतम 75 लाख तक ब्याज प्रतिपूर्ति व अन्य छूट मिलेंगी
  • मेगा टेक्सटाइल पार्क पालिसी को सहमति, इसके तहत पहले से स्थापित उद्यम को विस्तार करने पर भी पालिसी के प्रविधानों का मिलेगा लाभ
  • सरकारी मेडिकल कालेजों में इसी वर्ष से सभी एमबीबीएस के छात्रों पर लागू होगी सस्ती फीस
  • उत्तराखंड आबकारी विदेशी मदिरा के प्रीमियम रिटेल वैंड्स, शापिंग माल्स, डिपार्टमेंटल स्टोर एवं एयरपोर्ट स्थित विदेशी मदिरा की दुकानों के अनुज्ञापन नियमावली को मंजूरी।
  • विधानसभा सत्र की पुरानी तिथियां 28 व 29 नवंबर निरस्त करने का निर्णय, नई तिथियां जल्द होंगी तय
  • पर्यटन विकास परिषद में नौ पदों को सृजित करने पर सहमति।
  • अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वर्ग-तीन व वर्ग-चार पट्टाधारकों को 3.125 एकड़ तक भूमि मुफ्त विनियमित करने को मंजूरी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के बीच 21 वर्ष पुराने परिसंपत्तियों के विवाद का 30 मिनट में निपटारा होने का दावा

-उत्तराखंड को मिलेंगे परिवहन व वन निगम के करीब 300 करोड़ व अलकनंदा होटल
-उत्तर प्रदेश को दी जाएगी 1700 घरों सहित बड़ी भूमि
-जीर्णशीर्ण बनबसा व किच्छा बैराजों का पुर्ननिर्माण कराएगा यूपी
– आवास विकास की देनदारियों का दोनों राज्य आधा-आधा वहन करेंगे
Imageनवीन समाचार, लखनऊ, 18 नवंबर 2021। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनावों की बेला में दोनों राज्यों के बीच 21 वर्षों से चल रहा परिसंपत्तियों का विवाद सुलझ जाने का दावा किया गया है। बृहस्पतिवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आमने-सामने बैठे तो दोनों ही राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए चला आ रहा विवाद करीब 30 मिनट तक चली बैठक में ही एक ही झटके में खत्म होने का दावा किया जा रहा है।

बैठक के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि दोनों राज्यों के बीच 21 साल पुराने परिसंपत्तियों का विवाद को सुलझा लिया गया है। अपने लाव लश्कर के साथ लखनऊ पहुंचे सीएम धामी ने कहा कि यूपी-उत्तराखंड के बीच छोटे-बड़े भाई जैसा रिश्ता है और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विवादों को निपटाने के लिए अपनी सहमति दे दी है। सहमति के अनुसार परिसंपत्तियों पर दोनों राज्यों का संयुक्त सर्वे होगा और इसके बाद 1700 घरों सहित बड़ी भूमि यूपी को दी जाएगी। हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल को एक माह के भीतर उत्तराखंड को सौंपा जाएगा और सीएम योगी इस मौके पर वहां रहेंगे।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखंड परिवहन निगम को बकाया 205 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। साथ ही किच्छा बस स्टैंड की जमीन उत्तराखंड को हस्तांतरित की जाएगी तथा यूपी सरकार उत्तराखंड वन विभाग को 90 करोड़ रुपये देगी। इसके अलावा उत्तराखंड के जिन दो बैराजों (वनबसा और किच्छा) की स्थिति खराब है, उनका पुनर्निर्माण यूपी सरकार करेगी। वहीं, आवास विकास की देनदारियों का भुगतान दोनों राज्यों द्वारा 50-50 प्रतिशत वहन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सीएम धामी के साथ कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, मुख्य सचिव एसएस संधू और सचिव पुनर्गठन रंजीत सिन्हा भी लखनऊ पहुंचे हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-राज्य के शीर्ष आईएएस अधिकारियों जितने वेतन-भत्ते लेते हैं हर माह 300 करोड़ का कर्ज ले रहे उत्तराखंड के माननीय-सूचना के अधिकार के तहत मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को प्राप्त सूचना से हुआ खुलासा

नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 7 दिसंबर 2018। अक्सर हम प्रदेश के कर्मचारियों, उन्हें सातवें वेतनमान देने पर बढ़ने वाले खर्च को वहन करने के लिए हर माह करीब 300 करोड़ और बीते नवंबर माह में 600 करोड़ रुपये बाजार के ‘कर्ज लेकर घी पीने’ जैसी समाचार पढ़ते रहते हैं। लेकिन आज जो ‘नवीन समाचार’ है वह राज्यवासियों की आंखें खुली की खुली रख देगा, और इस राज का भी पर्दाफाश करेगा कि आखिर हमारे जनप्रतिनिधि समाजसेवा के नाम पर राज्य विधानसभा या संसद पहुंचने के लिए इतना जोर क्यों लगाते हैं, और साथ में यह सवाल भी आपके मन में जरूर उठेगा कि यदि इतनी आय वे प्राप्त कर ही लेते हैं तो फिर खनन के पट्टों, नौकरियों-स्थानांतरणों के लिए क्यों मोटी धनराशि की मांग करते हैं, या ऐसे आरोप उन पर लगते हैं। जनपद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया को मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से इस राज से काफी हद तक परदा उठ जाता है। इससे साफ हो जाता है कि वास्तव में राज्य में ‘ऋण लेकर घी’ कौन पी जा रहे हैं।

दिखाने के दांत अलग, और खाने को अलग

वैसे विधायकों के वेतन की बात करें तो यह ‘हाथी के दांत’ की तरह लगता है, यानी दिखाने के दांत अलग, और खाने को अलग। कहने को विधायकों का मासिक वेतन मात्र 30 हजार रुपये है, पर इसमें भत्तों की बात करेंगे तो असल खाने वाले दांत दिखाई देंगे। एक विधायक को हर माह डेढ़ लाख रुपये निर्वाचन क्षेत्र में मिलने आने वाली जनता के नाम पर निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 12 हजार रुपये प्रतिमाह चालक भत्ता, 12 हजार रुपये ही साथ में रखने के लिए सचिवीय भत्ता, दो हजार रुपए प्रतिदिन यानी 60 हजार रुपये महीना उनके द्वारा की जाने वाली ‘जनसेवा’ के लिए जनसेवा भत्ता यानी कुल करीब 2 लाख 64 हजार रुपये के भत्ते मिलते हैं। इसके अलावा प्रति वर्ष तीन लाख 55 हजार रुपये के रेलवे के कूपन भी मिलते हैं, जिनमें से विधायकों द्वारा मांग किये जाने पर 27,083 रुपये प्रतिमाह डीजल-पेट्रोल व्यय के रूप में भुगतान किया जाता है। साथ ही हर माह 6 हजार रुपये प्रतिमाह तक मोबाइल-टेलीफोन का बिल भी दिया जाता है। इसे भी मिला दें तो एक विधायक हर माह करीब 3 लाख्रुपये से अधिक की धनराशि होती है। साथ ही रेलवे कूपनों के अतिरिक्त हवाई यात्रा करने पर टिकटों की एक सीमा तक प्रतिपूर्ति भी की जाती है। इस प्रकार एक विधायक को पांच वर्ष के उनके कार्यकाल में राज्य के शीर्ष आईएएस अधिकारियों के बराबर वेतन-भत्ते मिलते हैं। इस प्रकार एक विधायक से पांच वर्ष के कार्यकाल में राज्य पर करीब 1.8 करोड़ एवं 70 विधायकों को मिलाकर देखें तो 126 करोड़ का भार केवल वेतन-भत्तों के जरिये पड़ रहा है।

अन्य सुविधाएं भी अलग
विधायकों को उपरोक्त वेतन-भत्तों के साथ ही निर्वाचन क्षेत्र तथा मुख्यालय में एक-एक टेलीफोन, एक मोबाइल सिम, स्वयं तथा परिवार के सदस्यों के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा, कार्यकाल में एक लेपटॉप, प्रतिवर्ष 2000 पृष्ठों के छपे हुआ लेटरपैड एवं 1000 मुद्रित लिफाफे भी मिलते हैं। वहीं किसी सदस्य की पद के दौरान मृत्यु होने की दशा में उसके आश्रित को उसकी पेंशन की 50 फीसद पारिवारिक पेंशन उसके सदस्यता काल में दी जाती है, तथा कार्यकाल पूरा होने के बाद भी पेंशन दी जाती है।

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