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November 8, 2024

Ecology-Environment : दीपावली पर जमकर प्रदूषित हुई नैनीताल सहित राज्य के विभिन्न शहरों की आबोहवा…

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Ecology-Environment

-देहरादून के घंटा घर व नेहरू कॉलोनी में खतरे के 300 के स्तर से ऊपर रहा एक्यूआई
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 नवंबर 2023 (
Ecology-Environment)। अपनी प्राकृतिक सुंदरता व शुद्ध आबोहवा के लिये प्रसिद्ध पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल में पहली बार दीपावली पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण मापन की व्यवस्था की थी। इससे खुलासा हुआ है कि दीपावली पर नैनीताल की प्रकृति भी जमकर प्रदूषित हुई

Ecology-Environment How to prevent air pollution bad effect during Diwali 2020 - शरीर पर नहीं  होगा प्रदूषण का बुरा असर, डॉक्टर ने बताए इस समस्या से निपटने के तरीकेनैनीताल में 5 से 9 नवंबर के बीच 60 से 70 के बीच रहा एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 10 नवंबर को बढ़कर 100 के चेतावनी देने वाले स्तर से ऊपर 102, 11 नवंबर को 104 व 12 नवंबर यानी दीपावली की रात्रि 143 के स्तर तक पहुंचा।

वहीं राज्य के अन्य स्थानों की बात करें तो दीपावली की रात्रि देहरादून के घंटा घर पर एक्यूआई खतरे के 300 के स्तर से ऊपर 333 व नेहरू कॉलोनी में राज्य का सर्वाधिक 349 जबकि दून विश्वविद्यालय पर 272, ऋषिकेश नगर निगम कार्यालय के पास 196, एम्स पर 63, टिहरी नगर पालिका के पास 194, हरिद्वार के आयुर्वेदिक अस्पताल के पास 231, काशीपुर के राजकीय चिकित्सालय के पास 268 व जीआईसी के पास 205, रुद्रपुर में जवाहर लाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय के पास 255 तथा हल्द्वानी में जल संस्थान के पास 223 रहा।

पिछले वर्ष खतरे के निशान से नीचे था पूरे प्रदेश में प्रदूषण का स्तर
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व बीते वर्ष 2022 में दीपावली पर 24 अक्टूबर को देहरादून में प्रदूषण का औसत स्तर 247, ऋषिकेश में 236, हरिद्वार में 223, काशीपुर में 249, हल्द्वानी में 227 व रुद्रपुर में 240 यानी खतरे के 300 एक्यूआई के स्तर से नीचे रहा था।

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यह भी पढ़ें : Ecology-Environment : नैनीताल के वन क्षेत्र में हुआ होटलों के लिये सड़क का निर्माण, एनजीटी ने किया पैनल का गठन…

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 26 सितंबर 2023 (Ecology-Environment)। एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने उत्तराखंड के नैनीताल जिले में नैना देवी हिमालयन पक्षी संरक्षण अभयारण्य में नियमों का उल्लंघन कर कथित रूप से सड़क का निर्माण करने वाले निजी होटल मालिकों द्वारा पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान का पता लगाने के लिए एक पैनल का गठन कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि एनजीटी में एक याचिका कर आरोप लगाया गया है कि होटल मालिकों ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर 2017 में नैनीताल के पंगोट क्षेत्र में अभ्यारण्य के अंदर वन संरक्षण अधिनियम और मार्च 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों को काटकर और आरक्षित वन भूमि को ध्वस्त कर एक सड़क का निर्माण किया।

दावा किया है कि सड़क को चौड़ा करने का काम दिसंबर 2022 तक जारी रहा। इस पर न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आरोपों में पर्यावरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 11 दिसंबर के लिए निर्धारित की गयी है।

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यह भी पढ़ें : Ecology-Environment 1: पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुमूल्य कार्बन क्रेडिट हासिल करने की ओर नैनीताल-रानीखेत, जानें क्या होते हैं कार्बन क्रेडिट ?

-आयोजित हुई कार्बन प्रोजेक्ट तैयार करने को कार्यशाला
नवीन समाचार, नैनीताल, 13 सितंबर 2023 (Ecology-Environment)। नैनीताल चिड़ियाघर में बुधवार को कार्बन प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। वन संरक्षक-दक्षिणी कुमाऊँ वृत्त टीआर बीजूलाल के निर्देशन में एवं प्रभागीय वनाधिकारी नैनीताल वन प्रभाग चंद्रशेखर जोशी की अध्यक्षता में वृहद स्तर पर आयोजित इस कार्यशाला में टेरी नई दिल्ली के डॉ. आरिफ व डॉ. कपिल तथा सेवानिवृत्त प्रभागीय वनाधिकारी वीके सिंह ने कार्बन प्रोजैक्ट को तैयार किये जाने की विधि के बारे में विस्तार से बताया।

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कार्यशाला में उपस्थित वनाधिकारी व कर्मचारी।

इस अवसर पर भूमि संरक्षण प्रभाग, नैनीताल के प्रभागीय वनाधिकरी शिवराज चंद के साथ हेम चंद्र गहतोड़ी, राजकुमार, प्रमोद तिवारी, प्रमोद आर्या, भानु प्रकाश हरबोला, ललित मोहन कार्की, मुकुल शर्मा, नितिन पंत, त्रिलोक बोरा, सोनल पनेरू, विजय मेलकानी, गौरव उप्रेती, महेश सती, धीरज जोशी, हरीश टम्टा, सुरेन्द्र सिंह, राजीव जोशी, एनसी जोशी, एचसीएस नेगी, यूसी तिवारी, नितीश तिवारी, विपिन जोशी, लक्ष्मण बिष्ट, योगेश तिवारी, विष्णु जोशी, देवेंद्र कार्की, सहित प्राणी उद्यान नैनीताल के समस्त अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

क्या है कार्बन क्रेडिट प्रोजेक्ट

किसी क्षेत्र विशेष में पौधरोपण या मौजूद वनों के माध्यम से पिछले 5 वर्षों में कितना कार्बन अवशोषित किया गया है ? इस आधार पर 1000 किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्बन क्रेडिट मिलता है। यह कार्बन क्रेडिट उस क्षेत्र विशेष को बड़ा आर्थिक लाभ पहुंचा सकते हैं। इधर राज्य में पहली बार विभिन्न वन प्रभागों में बचाये जा रहे कार्बन डाई ऑक्साइड के अवशोषण को मापने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है।

नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि बुधवार को नैनीताल वन प्रभाग तथा नैनीताल, रानीखेत व रामनगर के भूमि संरक्षण प्रभागों के डीएफओ, एसडीओ एवं आरओ यानी वन क्षेत्राधिकारियों के लिए टेरी यानी द इनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के विषय विशेषज्ञों के माध्यम से कार्बन क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार करने हेतु जानकारियां दी गयीं।

उन्होंने बताया कि इन प्रोजेक्ट की बाद में धरातल पर पुष्टि की जाएगी और पुष्टि होने पर संबंधित प्रोजेक्ट को कार्बन क्रेडिट दिये जायेंगे। इससे प्राप्त होने वाले लाभ का विभिन्न वन पंचायतों में उनकी भूमिका के अनुसार वितरण किया जायेगा। इससे समुदायों का आर्थिक उन्नयन होगा तथा वे वनों को बचाने के लिए प्रेरित होंगे।

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यह भी पढ़ें (Ecology-Environment) : आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हो रहे अनेक कार्यक्रम, सभासद की पोस्ट भी हो रही वायरल

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 5 जून 2022 (Ecology-Environment)। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जनपद में पहला बड़ा कार्यक्रम नैनीताल वन प्रभाग के द्वारा सुबह साढ़े सात बजे से देश की गिनी-चुनी उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी में कैंची धाम के आस-पास की 12 किलोमीटर लंबाई में साफ-सफाई के लिए चलाया गया।

डीएफओ बीजू लाल टीआर की पहल पर हो रहे इस कार्यक्रम में विधायक सरिता आर्य के साथ डीएम धीराज गर्ब्याल एवं एसएसपी पंकज भट्ट भी वन विभाग के फील्ड कर्मचारियों एवं विद्यालयी बच्चों के साथ सफाई अभियान में शामिल हुए। इस दौरान नगर में सदगुरु संत निरंकारी मंडल के बाहर से आए सैकड़ों सदस्यों ने भी नगर में सफाई अभियान चलाया।

इधर पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में नगर के चाट पार्क, तिब्बती मार्केट, भोटिया मार्केट, पालिका मार्केट के व्यापारियों ने व्यापार मंडल के महासचिव त्रिभुवन फर्त्याल की अगुवाई में पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ फ्लैट्स पार्किंग क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया। अभियान में भूपाल बिष्ट, छिमी, टशी, येशी थुप्टेन, सिरिंग् टॉपग्याल, तेन्जिन् ल्हुन्दुप, तेन्जिन् सिरिंग, तेन्जिन् दावा, तेन्जिन् चोफेल, सिरिंग् यांगझों, कुनसँग चोएडॉन, पेमा छोएक्यी, चोफेल, तेन्जिन् ल्हाडोंन, उग्यें टशी, कुचोक थार्चेन व सिरिंग लहमो आदि व्यवसायी शामिल रहे।

वहीं आशा फाउंडेशन की अध्यक्ष आशा शर्मा के द्वारा इस अवसर पर पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए नगर के निकट आलूखेत, गेठिया पड़ाव और तल्ला गेठिया के आंगनबाड़ी केंद्रों जागरूक अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम प्रातः पौने 10 बजे से आलूखेत में, 12 बजे से गेठिया पड़ाव में एवं 2 बजे से तल्ला गेठिया में रखा गया है। इस कार्यक्रम में 15 वर्ष से अधिक आयु की बालिकाओं व महिलाओं को आमंत्रित किया गया है।

कुमाऊं विश्वविद्यालय में जीवित जीवाश्म वृक्ष जिंगो बाइलोवा के पौधे रोपे
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वन एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में केयूआईसी व उन्नत भारत अभियान प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष कार्यकम आयोजित हुआ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलसचिव दिनेश चंद्रा, विशिष्ट अतिथि शोध एवं प्रसार निदेशक प्रो. ललित तिवारी, संकायाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी, केयूआईसी के निदेशक प्रो. हरीश चद्र सिंह बिष्ट, प्रो. राजीव उपाध्याय, डॉ गीता तिवारी, डॉ. दीपाक्षी, डॉ. हर्ष, डॉ. नवीन व डॉ. हेम तथा राजभवन के प्रोटोकॉल अधिकारी संतोष सकलानी आदि ने विश्व की सबसे प्राचीन पादप प्रजाति, जीवित जीवाष्म वृक्ष कहे जाने वाले जिंगो बाइलोबा के पौधो का रोपण किया।

कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. एलएस लोधियाल के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी शामिल रहे। इस दौरान सफाई अभियान तथा पोस्टर एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। प्रो. एससी गड़कोटी, डॉ. गीता तिवारी, डॉ. सुषमा टम्टा, डॉ. नीलू लोधियांल एवं डॉ. रीना ने निर्णायक की भूमिका निभाई और विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किया।

आयोजन में डॉ. आशीष तिवारी, डॉ. नीता आर्या, डॉ. कुबेर गिन्ती, डॉ. ईरा तिवारी, डॉ. नंदन सिंह, डॉ. बिजेंद्र लाल व डॉ. मैत्री नारायण तथा डॉ. इक्रमजीत कौर, डॉ. श्रुति साह, डॉ. भावना कर्नाटक, फलक, रिया, शाहबाज, नवीन कुंजिका, आरिफ, नीलम, निर्मला, इंदर, योगेश, वसुंधरा, दिव्या, कविता, गीता, प्रियांशु, दीपा, भूमिका, आरती, मुकेश, शिखा, इशिता, मृणाल, अंकिता, हिमांशु एवम श्री गहलोत, राजेश, प्रेमा, संतोष ने विशेष योगदान दिया।

हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए वनाग्नि की रोकने हेतु ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत: निशंक
-“हिमालयी परितंत्र और वनाग्नि” विशेष संदर्भ-उत्तराखंड’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी-वेबीनार आयोजित
नैनीताल। विश्व पर्यावरण दिवस को समसामयिक व प्रासंगिक बनाने हेतु स्पर्श गंगा अभियान तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संयुक्त तत्वाधान में “हिमालयी परितंत्र और वनाग्नि” विशेष संदर्भ-उत्तराखंड’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी-वेबीनार आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में विषय से सम्बंधित आलेख व शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए।

आयोजन में वर्चुअल माध्यम से जुड़ते हुए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए वनाग्नि की रोकने हेतु ठोस कार्ययोजना बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते हिमालय के पारितंत्र को वनाग्नि से नहीं बचाया गया तो मानव जीवन के लिए संकट उत्पन्न हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि यह विडम्बना ही है कि परितंत्र को बचाने का उपदेश वे देश दे रहे हैं जो सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। अतः सभी संस्थानों को मिलकर जनसहभागिता आधारित एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए।

संचालन करते हुए स्पर्श गंगा अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. अतुल जोशी ने विषय के औचित्य पर कहा कि आज विश्व को सबसे अधिक संकट जल एवं प्राण वायु का है। यदि इस संकट से मानव जाति को केवल हिमालय ही बचा सकता है, और हिमालय को बचाने का एकमात्र तरीका वर्तमान में यही है कि हम इसे वनाग्नि से बचायें। उन्होने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि पूरा हिमालय वनाग्नि की चपेट में है और उसे प्रति वर्ष जैव विविधता सहित अरबों की सम्पत्ति का नुकसान होता है परन्तु इसके मूल्यांकन एवं रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।

जीबी पत हिमालयन पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. जगदीश चंद्र कुनियाल ने वनाग्नि के हिमालयी परितंत्र पर पड़ रहे कुप्रभावों पर विस्तार से ऑकड़ों का विश्लेषण किया। मैती आन्दोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने वनों के प्रबंधन की वर्तमान व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तनकी आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि उत्तराखण्ड के लिए ऐसी वन नीति बनाये जिसमें लोगों को लगे कि वे वन उनके हैं।

जन जागरूकता एवं सहभागिता प्रकोष्ठ स्पर्श गंगा अभियान के समन्वयक प्रो. प्रभाकर बड़ोनी ने पर्यावरण शिक्षा को विद्यालयी पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जाने के साथ-साथ पूर्व सैनिकों की सेवा वनाग्नि को रोकने के लिए लिये जाने की आवश्यकता जताईं।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसडी तिवारी ने वेबनार में राज्य सहित देश के विभिन्न राज्यों से जुडे सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। प्रो. आर.सी. सुन्दरियाल, मोहन चन्द्र जोशी, प्रो. एमसी पांडे, प्रो. केएल तलवार प्राचार्य प्रो. वीएन खाली डॉ. नवीन जोशी, प्रो. गिरीश पंत, प्रो एस.पीएस. मेहता सहित 100 से अधिक प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों एवं समाजसेवियों ने प्रतिभाग किया।

पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में केनफील्ड छात्रावासियों ने चलाया स्वच्छता एवं सफाई अभियान
नैनीताल। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में डीएसबी परिसर के केनफील्ड छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने छात्रावास के चीफ प्रीफेक्ट अनमोल वशिष्ठ, प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र और गार्डनिंग कमेटी के सदस्यों के साथ मिलकर छात्रावास परिसर के साथ साथ छात्रावास के नजदीकी क्षेत्रों में सफाई एवं स्वच्छता अभियान चलाया।

इस दौरान इस वर्ष के विश्व पर्यावरण की थीम ’ओन्ली वन अर्थ’ के तहत संदेश दिया कि अगर हमें धरती को आगे आने वाली पीढ़ियों के रहने के लिए सुरक्षित रखना है तो पर्यावरण की रक्षा भी हमें ही सुनिश्चित करनी होगी। इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को अपने जन्मदिन तथा किसी शुभ अवसर पर कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए और उसकी रक्षा भी स्वयं सुनिश्चित करनी चाहिए।

इधर मुख्यालय में सभासद मनोज साह लगाती की एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘नैनीताल के सभी नगरवासिायो से निवेदन है पर्यावरण दिवस् में पेड़ ना लगाएं, क्योंकि नैनीताल में पेड़ बरसात में लगाये जाते हैं। किसी पौधे की हत्या के भागीदार ना बनें, कृपया दिखावे के लिए पौधों को ना मारें। गर्मी में पेड़ नही लगाए जाते हैं। कृपया समझदार बनें। अपने क्षेत्र में सफाई चला कर इस धरती माँ को उपहार दें’।

उधर विश्व पर्यावरण दिवस को समसामयिक व प्रासंगिक बनाने हेतु स्पर्श गंगा अभियान तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संयुक्त तत्वाधान में सुबह 11 बजे से “हिमालयी परितंत्र और वनाग्नि” विशेष संदर्भ-उत्तराखंड’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी-वेबीनार आयोजित की जा रही है। इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी से https://meet.google.com/hyk-pawk-jxm लिंक पर जुड़ भी सकते हैं, और विषय से सम्बंधित अपने आलेख व शोध पत्र भी प्रस्तुत कर सकते है। डीएसबी परिसर के वन विज्ञान विभाग में भी इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है।

वहीं आशा फाउंडेशन की अध्यक्ष आशा शर्मा के द्वारा इस अवसर पर पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए नगर के निकट आलूखेत, गेठिया पड़ाव और तल्ला गेठिया के आंगनबाड़ी केंद्रों जागरूक अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम प्रातः पौने 10 बजे से आलूखेत में, 12 बजे से गेठिया पड़ाव में एवं 2 बजे से तल्ला गेठिया में रखा गया है। इस कार्यक्रम में 15 वर्ष से अधिक आयु की बालिकाओं व महिलाओं को आमंत्रित किया गया है।

इधर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर निदेशक कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध एवं प्रसार निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने बताया कि 2022 के इस कार्यक्रम की थीम ‘ओनली वन अर्थ’ केवल एक दुनिया है। उन्होंने कहा, पूरे ब्रह्मांड में एक ही पृथ्वी है। इसकी सुरक्षा हमारा कर्तव्य है। एक मनुष्य अपने 70 साल की उम्र में 65 पेड़ो द्वारा जनित ऑक्सीजन लेता है। पर्यावरण का ह्रास भूकंप, चक्रवात, अधिक वर्षा, वायु प्रदूषण, कार्बन फूट प्रिंट्स, समुंद्र के जीवों व आम नागरिकों की स्वास्थ समस्याओं, जैव विविधता के ह्रास, ओजोन परत के क्षय, कार्बन फ्लोरो कार्बन, ब्रोमाइड, क्लोराइड के बढ़ने, प्राकृतिक आपदा, प्राकृतिक संपदा के क्षय, अम्लीय वर्षा तथा प्रकाश एवं ध्वनि प्रदूषण के रूप में दिखाई दे रहा है।

पृथ्वी में प्राकृतिक संपदा हेतु डेढ़ गुना बड़ी पृथ्वी की जरूरत महसूस की जा रही है। वट, पीपल अर्जुन, अशोक बेल, करी, जामुन, एलोवेरा, तुलसी, लैवेंडर, अमलताश, नीम व इमली के पौधे लगा कर ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सतत विकास मे योगदान देने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाने एवं उसकी देखवाल करने का संकल्प लेना होगा।

अमेरिका में पर्यावरण वैज्ञानिक के रूप में नैनीताल की डॉ. स्वाति कर रहीं गौरवान्वित

नैनीताल। विश्व पर्यावरण दिवस पर एक गौरवान्वित करने वाला समाचार यह भी है कि नगर के आर्य समाज मंदिर के सचिव केदार सिंह रावत की पुत्री डॉ. स्वाति रावत एक पर्यावरण वैज्ञानिक के रूप में नैनीताल व देश का नाम अमेरिका में गौरवान्वित कर रही हैं। इन दिनों अपने घर नैनीताल आई स्वाति अमेरिका के ऑस्टीन टैक्सास में आर्केडिस नाम की ख्यातिप्राप्त कंपनी में पर्यावरण वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं, तथा विश्व को बिगड़ते पर्यावरण को बचाने के लिए गहन शोध कर रही हैं।

नैनीताल के सेंट मेरीज कान्वेंट से हाईस्कूल उत्तीर्ण स्वाति ने इंटर के बाद ऑल इंडिया इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पंतनगर विवि से बीटेक की डिग्री प्राप्त की और टैफे कंपनी चेन्नई में इंजीनियर के पद से कार्य प्रारंभ किया। यहीं से उन्होंने जीआरई तथा टौफिल की परीक्षा पास करने अमेरिका में वेको के वेलर विश्वविद्यालय से एमएस की डिग्री प्राप्त की और एक भारतीय नागरिक होते हुए अमेरिका में विश्व पर्यावरण पर शोध जारी रखा है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उच्च न्यायालय के कड़े रुख के बावजूद जारी है नैनीताल में अवहेलना

-उच्च न्यायालय के कड़े रुख के बावजूद मुख्यालय में जलाई जा रहीं बांज की पत्तियां

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 9 अप्रैल 2022। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बांज की पत्तियां न जलाने को लेकर गत दिवस याचिका दायर होने और इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके बावजूद मुख्यालय में बांज की पत्तियों को जलाने का सिलसिला जारी है।

नगर पालिका के अयारपाटा वार्ड के सभासद मनोज साह जगाती ने बांज की जलाई जा रही पत्तियों की तस्वीर साझा करते हुए बताया कि यह उच्च न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना है। इसमें नगर पालिका की गलती है। वह सोमवार को इस बारे में पुनः उच्च न्यायालय में शिकायत दर्ज कराएंगे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : शिप्रा नदी में शुरू किया नमामि गंगे अभियान, प्रतियोगिताओं में हिमानी व स्मृति रहे प्रथम…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 मार्च 2022। वन विभाग ने बुधवार को कैंची धाम में पूजा-अर्चना के साथ नमामि गंगे अभियान की शुरुआत की। पंडित कमल पांडे ने डीएफओ टीआर बीजूलाल को संकल्प दिलाकर अभियान शुरू कराया। अभियान के तहत राबाइंका, गोविंद बल्लभ पंत इंटर कॉलेज के एनसीसी केडे्टों ने शिप्रा नदी की सफाई की।

डीएफओ ने कहा कि पूरे प्रदेश में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नदियों के बचाने को जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। शासन की ओर से जिले में नदी चिह्नित कर सफाई अभियान की जिम्मेदारी दी है। इसके तहत बुधवार से कैंची मंदिर से अभियान शुरू किया गया है। पहले चरण में शिप्रा नदी की सफाई व दूसरे चरण में सुरक्षा व सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा।

डीएफओ ने लोगों से वनाग्नि रोकथाम में भी सहयोग की अपील की। विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में बंदर पकड़ने को भी अभियान चला रहा है। रेंजर मुकुल शर्मा ने बताया कि निगलाट में सोलर फेसिंग के लिए टेंडर किये जा चुके हैं, जल्द सोलर फेसिंग की जाएगी। इस मौके पर सूरज बिष्ट, दीप जोशी, ममता चन्द्र, ज्योति जोशी, सोनल पनेरू, वीरेंद्र बोहरा, प्रेम सिंह, मनीषा भंडारी, जगदीश जोशी, जया शंकर टम्टा, गणेश तिवारी, चन्दन रावत, त्रिलोक साही, जगदीश नेगी रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

प्रश्नोत्तरी व भाषण प्रतियोगिताओं में हिमानी व स्मृति रहे प्रथम

प्रश्नोत्तरी में हिमानी भाषण में स्मृति अव्वलइस मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव गंगा स्वच्छता पखवाड़े के तहत विद्यार्थियों के बीच प्रश्नोत्तरी व भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुईं। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में बिशप शा इंटर कॉलेज की हिमानी पांडे प्रथम, लॉग व्यू पब्लिक स्कूल के सुयश शर्मा द्वितीय, सेंट मैरिज कॉलेज की आस्था रावत तीसरे स्थान पर रही। जबकि लॉग व्यू पब्लिक स्कूल के मानस व रिहान को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

वहीं भाषण प्रतियोगिता में स्मृति पांडे ने पहला, उन्नति ने दूसरा व शिवम अधिकारी ने तीसरे स्थान पाया। आयुषी नेगी व मानस को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। गार्गी त्यागी को विशेष पुरस्कार दिया गया। डीएफओ टीआर बीजूलाल ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत चिड़ियाघर सभागार में विभिन्न स्कूलों के 60 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। उन्हें वन्य जीव जंतुओं वजंगलों पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। इस मौके पर वन क्षेत्राधिकारी अजय रावत, ममता चंद, सोनल पनेरु, अनुज व आनंद आदि उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : कश्मीरी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. तिवारी ने दिया व्याख्यान….

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 मार्च 2022। कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने गुलाम बादशाह विश्वविद्यालय राजौरी कश्मीर को बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस पर व्याख्यान दिया। बताया कि 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस व 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के बाद 22 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए जल संरक्षण एवं संतुलित जल प्रयोग को कारगर करना होगा।

उन्होंने कहा कि जल गुणों की खान है। विश्व में 4 बिलियन हेक्टेअर यानी 30 प्रतिशत भूमि पर हैं। भारत में 16 प्रकार के और उत्तराखण्ड में मुख्यतया 9 प्रकार के वन पाए जातें हैं। उत्तरकाशी, पौडी तथा नैनीताल में तीन हजार वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र है। पिथौरागढ जिले में अशोक, बेल, पीपल, सदाबहार, मदार, कदम्ब व हरश्रृंगार सहित 218 प्रजातियांे के हाट कालिका, चामुंडा, बेताल देवता, थलकेदार, रतकाली, पशुपतिनाथ तथा गोलू देवता के 6 सेक्रेड यानी पवित्र जंगल भी हैं।

साथ ही उन्होंने बताया कि विश्व में 2.2 बिलियन लोगों को आज भी पेयजल नहीं मिल रहा है और आधी आबादी के लिए पानी गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ संगठन ने 2025 तक 1.8 बिलियन लोगों के जल की समस्या से ही जूझने की बात कही है। भारत की प्राचीन सभ्यता मोहनजोदाडों में भी जल संरक्षण का जिक्र मिलता है।

तांबें तथा पीतल के बर्तन में जल को रखना तथा नाद में पानी पीना इस तरफ सकारात्मक कदम था। उन्होंने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों के पर्वत माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा, धौलागिरी, नंगा पर्वत, कामेट व नंदा देवी से सिंधु, सतलज, झेलम व ब्रहमपुत्र सहित हिन्दुकुश पर्वत माला से 10 बडी नदियां निकलती हैं जो भोजन एवं ऊर्जा के साथ 3 बिलियन लोगों को लाभन्वित करती हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने 2011 से 2020 के दशक को जैव विविद्यता के संरक्षण को तथा 2021-2030 के दशक को ‘ईकोसिस्टम रेस्टोरियन’ को समर्पित किया है ताकि 350 मिलियन हेक्टेअर भूमि को संरक्षित किया जा सके। इस कार्य में 9 ट्रिलियन डालर खर्च होंगें। कार्यक्रम में डॉ. श्रीकर पंत, प्रो. शाह, डॉ. बीएस कालाकोटी, डॉ. आशा रानी, डॉ. ममता भट्ट, डॉ. निशु व डॉ. ताहिर सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : दुनिया में औषधीय पौधों के क्षेत्र में कॅरियर एवं रोजगार सहित अपार संभावनाएं : प्रो. तिवारी

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 दिसंबर 2021। कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के शोध एवम प्रसार निदेशक प्रो.ललित तिवारी ने विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केंद्र में आयोजित फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में दो व्याख्यान दिए। इस दौरान प्रो. तिवारी ने ‘जैव विविधता पर्यावरण एवम औषधीय पौंधे’ विषय पर दिए गए व्याख्यान में कहा कि विश्व में 50 हजार से 80 हजार औषधीय एवं सुगंधीय पौंधे पांए जाते है।

इनका 80 फीसद दोहन जंगलों से होता है। विश्व में औषधीय पौंधों का लगभग 14 बिलियन डॉलर का व्यवसाय हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक औषधीय पौधों का कारोबार सात फीसद प्रतिवर्ष की दर से 5 ट्रिलियन डॉलर तक हो जायेगा। लिहाजा इस क्षेत्र में भविष्य में कॅरियर एवं रोजगार सहित अपार संभावनाएं हैं।

प्रो. तिवारी ने बताया कि भारत में विश्व के औषधीय पौधें के 44 फीसद औषधीय पौधे मिलते हैं। वहीं उत्तराखंड में 4700 अवृत बीजों में से 250 प्रजातियां व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस दोरान प्रो तिवारी ने हल्दी, तुलसी, एलोवेरा, नीम, हत्थाजड़ी, वज्रदंती, चुक, सतवा, अतीस, अमलतास तथा हरड़ के उपयोग भी बताए। उन्होंने कहा कि विश्व में 20 एग्रो प्रास्थतिक जोन हैं। भारत की गिनती 12 मेगा डायवर्सिटी देशों में होती है। विगत वर्षों में इसबगोल, अश्वगंधा, तुलसी, पीपली व तुलसी इत्यादि औषधीय पौधों की मांग 6 लाख टन तक बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पाए जाने वाले के अष्टवर्ग के पौधे दुर्लभ श्रेणी में आ गए हैं। ऐसे में विश्व के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह जैव विविधता का संरक्षण करे तथा अपने जन्मदिन एवं त्यौहार पर पौधरोपण अवश्य करें जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके। कार्यक्रम में देश की विभिन्न क्षेत्रों से प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : घर के कचरे से तैयार सजावटी उत्पादों की प्रदर्शनी ने मन मोहा

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 3 अक्टूबर 2021। महात्मा गांधी जी की जयंती के उपलक्ष्य में शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ एवं ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत घरों से निकलने वाले कचरे को रिसाइकिल करके उसका सदुपयोग कर तैयार किए गए सुंदर सजावटी उत्पादों की नगर पालिका के सभागार में प्रदर्शनी लगाई गई।

बताया गया कि सूखाताल वार्ड कीसभासद गजाला कमाल के प्रेरणा से इस मुहिम में 90 से अधिक बच्चों द्वारा इधर-उधर पड़े और घर से निकले सिंगल यूज प्लास्टिक को खाली बोतलों में भरकर रखने और एक स्थान पर जमा करने की मुहिम पिछले 5 महीनों से चल रही है। इन बोतलों से ही हिलदारी टीम के सदस्यों ने प्लांट गार्ड, पेन स्टैंड, फ्लावर प्लांटर, बैठने के स्टूल आदि खूबसूरत सामान बनाए और कार्यक्रम में उपस्थित अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार वर्मा, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ धर्मशत्तू, सफाई निरीक्षक कुलदीप कुमार, सभासद मोहन नेगी, पुष्कर बोरा व सागर आर्या को उपहार स्वरूप दिए गए।

कार्यशाला में करीब 75 बच्चों ने इंडोर खेल और भाषण प्रतियोगिता व स्वच्छता आदि विषयों पर विचार गोष्ठी में प्रतिभाग किया। साथ ही नेस्ले समर्थित हिलदारी संस्था, मोनाल स्वयं सहायता समूह व शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह आदि के द्वारा घर के कचरे से तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी कर यह संदेश दिया गया कि कचरे से काफी उपयोगी उत्पाद बन सकते हैं। आयोजन में नगर पालिका परिषद के हरीश मेलकानी, हिलदारी के शक्ति मिश्रा, लुबना, इशरत, संजय, रूबी आदि शामिल हुए और स्कूली बच्चों और हिलदारी टीम द्वारा किए जा रहे स्वच्छता संबंधी प्रयासों को सराहा।

यह भी पढ़ें : ऋषि गंगा और तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजनाओं पर रोक की याचिकाएं खारिज, याचियों पर 50 हजार जुर्माना

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 जुलाई 2021। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चमोली जनपद में ऋषि गंगा और तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजनाओं के लिए वन और पर्यावरण मंजूरी रद्द करने और चमोली जिले में चिपको आंदोलन की नेतृत्वकर्ता गौरा देवी के रैणी गांव के पुनर्वास की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही 5 याचिकाकर्ता पर दस-दस यानी कुल 50 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए यह धनराशि अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश पारित किया है।

रैणी गांव के संग्राम सिंह, सोहन सिंह, भवन राणा तथा जोशीमठ के अतुल सती व कमल रतूणी की जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान एनटीपीसी के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत से कहा कि अत्यधिक महत्व की ऐसी परियोजनाओं को केवल शिकायतों पर नहीं रोका जा सकता है। याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी ईमानदारी दिखाने में विफल रहे है।

जिसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। डॉ गुप्ता ने कहा कि तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना उत्तराखंड राज्य और एनटीपीसी के लिए अत्यधिक महत्व की है। प्रोजेक्ट हमेशा पर्यावरणीय मंजूरी के साथ काम करता है। पहाड़ियों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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