उत्तराखंड में भू कानून में हुआ संशोधन, जानें क्या हैं अब उत्तराखंड में बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीदने के प्रविधान, देखें पूरा अधिनियम…

नवीन समाचार, देहरादून, 21 फरवरी 2025 (Land Law Passed in Uttarakhand-Know Provisions)। उत्तराखंड विधानसभा सत्र के चौथे दिन सदन में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में सख्त भू-कानून के लिए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 विधेयक शुक्रवार को विधानसभा में सदन के पटल पर रखा। विपक्ष ने इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की, जिसके बाद चर्चा के पश्चात विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया । यहाँ क्लिक करके देखें : उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक 2025
भू कानून के प्रमुख प्रावधान
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि इस भू कानून अध्यादेश में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। राज्य के 11 जनपदों में भूमि खरीद पर प्रतिबंध लगाया गया है और भूमि खरीदने के लिए शासन स्तर से अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। इससे राज्य की भूमि संरक्षित होगी और भूमि सुधार कानून राज्यवासियों के हित में रहेगा। उन्होंने बताया कि भू कानून उल्लंघन के 599 मामलों में से 572 मामले न्यायालय में लंबित हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद भू प्रबंधन में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने इसे और मजबूत करने का प्रयास किया है।
भू-कानून की खास बातें
- नए कानून के अनुसार आवासीय उपयोग के लिए 250 वर्गमीटर भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा।
- बाहरी व्यक्ति हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर को छोड़कर शेष 11 जिलों में कृषि व बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
- उद्योग, होटल, चिकित्सा सहित विभिन्न प्रयोजन के लिए भी खरीद सकेंगे, लेकिन इसके लिए संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना होगा।
- भूमि खरीद की अनुमति जिलाधिकारी के स्थान पर शासन देगा।
उत्तराखंड जमींदारी संशोधन विधेयक 2025: प्रमुख बदलाव और प्रभाव
उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन करते हुए उत्तराखंड जमींदारी संशोधन विधेयक 2025 पारित किया है। इस संशोधन का उद्देश्य भूमि सुधार, कृषि विकास, राजस्व प्रशासन में सुधार और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देना है। संशोधन के तहत कई प्रावधान लागू किए गए हैं, जिनमें से कुछ पूरे राज्य में लागू होंगे, जबकि कुछ केवल उधम सिंह नगर और हरिद्वार जनपदों को छोड़कर अन्य जनपदों में लागू होंगे।
भू कानून में निहित प्रमुख प्रविधान :
- निकाय सीमा में तय भू उपयोग से हटकर जमीन के इस्तेमाल करने पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
- अब राज्य में साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन खरीद की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
- पहाड़ों पर चकबंदी और बंदोबस्ती को तेजी से पूरा किया जाएगा।
- दूसरे राज्य के लोगों के लिए राज्य में जमीन खरीदना बेहद मुश्किल हो जाएगा. जमीनों की खरीदारी के लिए अब डीएम अनुमति नहीं दे पाएंगे।
- प्रदेश में जमीन खरीद के लिए पोर्टल बनाया जाएगा. पोर्टल में राज्य के बाहर के लोगों की एक एक इंच जमीन खरीद का भी ब्यौरा दर्ज होगा।
- सभी डीएम को राजस्व परिषद और शासन को सभी जमीनों की खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी।
- राज्य से बाहर के लोगों के इसका दुरुपयोग करने सरकार स्तर से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- नियमों से हटकर किए गए इस्तेमाल पर जमीन सरकार में निहित की जाएगी।
- भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
- सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी। पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ यह भू कानून विधेयक राज्य की भूमि सुरक्षा और अवैध अतिक्रमण पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का दावा है कि इससे भू माफिया पर सख्त नियंत्रण किया जा सकेगा और राज्य की प्राकृतिक संपदा संरक्षित रहेगी। हालांकि, विपक्ष ने इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की है, जिससे आने वाले समय में इस कानून को लेकर और बहस हो सकती है। (Land Law Passed in Uttarakhand-Know Provisions, Uttarakhand News, Land Laws in Uttarakhand, Pushkar Singh Dhami, Land Mafia)
प्रमुख संशोधन:
1. कृषि भूमि खरीदने के नियमों में बदलाव:
- गैर-कृषकों के लिए कृषि भूमि खरीदने की शर्तों में आंशिक ढील दी गई है।
- उधम सिंह नगर और हरिद्वार जनपदों को छोड़कर अन्य जनपदों में बाहरी व्यक्तियों के लिए कृषि भूमि खरीद की अनुमति दी गई है, लेकिन सीमित मात्रा में।
- बाहरी व्यक्ति अधिकतम 2.5 हेक्टेयर कृषि भूमि खरीद सकते हैं।
- सरकार की अनुमति से ही बड़े पैमाने पर कृषि भूमि का हस्तांतरण संभव होगा।
- पर्वतीय क्षेत्रों में उत्तराखंड से बाहर के लोग अधिकतम 1.25 हेक्टेयर कृषि भूमि खरीद सकते हैं, लेकिन केवल पर्यटन, बागवानी या जैविक कृषि उद्देश्यों के लिए। इस खरीद के लिए जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी।
2. पट्टे की भूमि के हस्तांतरण और स्वामित्व नियम:
- अनुसूचित जाति/जनजाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आवंटित पट्टे की भूमि के हस्तांतरण पर नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- यदि कोई पट्टा धारक अपनी भूमि को बिना अनुमति के बेचता है, तो सरकार उस पट्टे को निरस्त कर सकती है।
- उधम सिंह नगर और हरिद्वार में यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
3. भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया में सुधार:
- औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
- राज्य सरकार की अनुमति से ही भूमि उपयोग में बदलाव किया जा सकेगा। यह नियम पूरे उत्तराखंड में लागू होगा।
4. भूमि विवाद निपटान और राजस्व न्यायाधिकरण की स्थापना:
- भूमि विवादों के त्वरित समाधान के लिए एक विशेष राजस्व न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- न्यायाधिकरण के निर्णयों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी। यह प्रावधान पूरे राज्य में लागू होगा।
5. भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में बदलाव:
- सार्वजनिक हित में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है।
- प्रभावित किसानों और भूमिहीनों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास योजना का प्रावधान किया गया है। यह संशोधन पूरे राज्य में समान रूप से लागू होगा।
6. गैर-कृषि भूमि पर भवन निर्माण और उपयोग के नए नियम:
- गैर-कृषि भूमि पर भवन निर्माण के लिए नए नियम बनाए गए हैं।
- अवैध अतिक्रमण रोकने के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में बाहरी व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई भूमि पर केवल होमस्टे, रिसॉर्ट, कृषि पर्यटन या जैविक खेती की गतिविधियाँ संचालित की जा सकती हैं। यह प्रावधान पूरे राज्य में प्रभावी रहेगा।
संभावित प्रभाव:
- औद्योगिक निवेश को बढ़ावा: भूमि खरीद की प्रक्रिया को सरल करने से निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
- कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग: कृषि भूमि को गैर-कृषि कार्यों में बदलने की प्रक्रिया आसान होने से किसानों और व्यापारियों को लाभ होगा।
- भूमि विवादों का त्वरित समाधान: न्यायाधिकरण की स्थापना से विवादों के निपटारे में तेजी आएगी।
- बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीदने की अनुमति: यह प्रावधान राज्य में जनसंख्या और भूमि स्वामित्व के संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
- सामाजिक और आर्थिक असमानता: अनुसूचित जाति/जनजाति और कमजोर वर्गों के लिए किए गए प्रावधान उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
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पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि संरक्षण: बाहरी निवेशकों के लिए पर्यटन और जैविक खेती के प्रतिबंध से भूमि का अनियंत्रित शहरीकरण रोका जा सकेगा।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड जमींदारी संशोधन विधेयक 2025 राज्य की भूमि नीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है। यह आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसके दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन किए बिना इसे पूरी तरह सफल नहीं कहा जा सकता। सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि यह संशोधन सामाजिक संतुलन बनाए रखे और भूमि संबंधी विवादों को न्यूनतम स्तर तक लाया जाए। (Land Law Passed in Uttarakhand-Know Provisions, Uttarakhand News, Land Laws in Uttarakhand, Pushkar Singh Dhami, Land Mafia)
राज्य के संसाधनों को भू माफिया से बचाने के उद्देश्य से, भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों के हितों को भी ध्यान में रखते हुए संतुलित भू सुधार
सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने सदन में कहा कि सरकार ने भू कानून को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह कानून राज्य के संसाधनों को भू माफिया से बचाने के उद्देश्य से लाया गया है। पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है। सरकार ने निवेशकों के हितों को भी ध्यान में रखते हुए संतुलित भू सुधार की नींव रखी है।
भविष्य में आवश्यकतानुसार और सुधार हो सकते हैं
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह केवल शुरुआत है और भविष्य में इस कानून में आवश्यकतानुसार और सुधार किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य की भूमि सुरक्षा सुनिश्चित होगी और अनधिकृत भूमि खरीद को नियंत्रित किया जाएगा।
भू माफिया पर कार्रवाई
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य में भूमि खरीद की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन उनका सही उपयोग नहीं किया गया। इस नए भू कानून के लागू होने से इस समस्या का समाधान होगा और भू माफिया को पहचानने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार लगातार अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयासरत है और यह विधेयक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण और आर्थिक विकास दोनों को संतुलित रखते हुए कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि अब राज्य में भूमि खरीद के लिए शासन स्तर पर अनुमति आवश्यक होगी, जिससे अनधिकृत भूमि हस्तांतरण रोका जा सकेगा।
विपक्ष की मांग
विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था संशोधन विधेयक 2025 को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए, ताकि एक महीने के भीतर इस पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके। उन्होंने सवाल उठाया कि उत्तराखंड में भू कानूनों को लचीला बनाने के लिए कौन जिम्मेदार है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार भू माफियाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है और इस कानून में और अधिक कठोर प्रावधान जोड़े जाने चाहिए।
सरकार का जवाब (Land Law Passed in Uttarakhand-Know Provisions)
मुख्यमंत्री ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने भू माफियाओं और वास्तविक भूमिधरों के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए यह विधेयक लाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक को लाने से पहले सभी संबंधित पक्षों से परामर्श किया और विशेषज्ञों की राय ली है।
विधेयक पारित होने के बाद सरकार ने कहा कि यह कानून राज्य की भूमि सुरक्षा और अवैध कब्जे रोकने में सहायक सिद्ध होगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में आवश्यकतानुसार इसमें संशोधन किए जा सकते हैं। (Land Law Passed in Uttarakhand-Know Provisions, Uttarakhand News, Land Laws in Uttarakhand, Pushkar Singh Dhami, Land Mafia)
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