उत्तराखंड में भी टैक्स फ्री हो सकती है ‘द केरला स्टोरी’, जानें क्या है फिल्म की कहानी, क्यों है फिल्म पर विरोध…
नवीन समाचार, देहरादून, 9 मई 2023। देश भर में चर्चा का केंद्र बनी फिल्त ‘द केरल स्टोरी’ को मध्यप्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी करमुक्त करने की तैयारी है। प्रदेश के काबीना मंत्री सतपाल महाराज ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह बात कही है। इधर मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजधानी के हाथीबड़कला स्थित सेंट्रियो मॉल में फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ देखने वाले हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले में अदालत का आया नया आदेश…
कर्नाटक में कल होने वाले चुनाव के बीच आई फिल्म द केरला स्टोरी धार्मिक के साथ ही राजनीतिक कारणों से भी चर्चा में है। फिल्म को दो तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है। एक वर्ग इसे गैर मुस्लिमों के साथ हो रही अमानवीयता बता रहा है, तो दूसरा इसे मुस्लिमों की छवि को खराब करने वाला बता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने फिल्म को देखने की अपील की है। एक फिल्म को देखने की अपील करने पर उनकी आलोचना भी हो रही है। मध्य प्रदेश ने जहां फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है, वहीं पश्चिम बंगाल ने फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है। राजस्थान में एक युवक को इस फिल्म को देखने की अपील करने पर गला रेतने की धमकी मिली है। यह भी पढ़ें : नैनीताल के बेटे विनीत जोशी को जातीय हिंसाग्रस्त मणिपुर में हालात शांत करने की बड़ी जिम्मेदारी, बनाया गया मुख्य सचिव…
फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ की कमाई
फिल्म द्वारा की गई कमाई के आंकड़ों की बात करें तो गत 5 मई को रिलीज हुई ‘द केरला स्टोरी’ ने पहले दिन 8.3 करोड़, दूसरे दिन 11.22 करोड़ और तीसरे दिन 16 करोड़ का यानी तीन दिनों में 35. 25 करोड़ रुपये का बिजनेस किया है। यानी फिल्म की कमाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हर किसी के मन में फिल्म के बारे में जानने की इच्छा है, भले ही वह फिल्म का समर्थन करता है या विरोध। ऐसे में हम यहां फिल्म की कहानी को प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : नैनीताल : एक बार फिर शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल कंपाउंड के 128 अतिक्रमणकारियों को नोटिस
https://deepskyblue-swallow-958027.hostingersite.com/padmavat-sameeksha/
फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ की कहानी
सच्ची घटनाओं पर आधारित बताई जा रही फिल्म में चित्रित की गई घटनाएं केरल की चार महिलाओं से प्रेरित लगती हैं, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था और 2016 और 2018 के बीच आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफगानिस्तान की यात्रा की। इन लड़कियों में शालिनी एक पारंपरिक हिंदू परिवार से है। फिल्म की कहानी केरला एक हिंदू लड़की शालिनी उन्नीकृष्णन से शुरू होती है जो आईएसआईएस की आतंकवादी फातिमा बी बन चुकी है, और अफगानिस्तान की जेल में मौजूद है। जहां उससे पूछताछ हो रही है कि वह आईएसआईएस से कब जुड़ी। इस पर वह बताती है कि इससे अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि वह आईएसआईएस से क्यों और कैसे जुड़ी। इस पर अपनी पूरी कहानी बताने लगती है। वहीं गीतांजलि मेनन एक कम्युनिस्ट परिवार से, तीसरी लड़की निमाह इसाई परिवार से और चौथी लड़की मलप्पुरम की आसिफा है। यानी चार प्रमुख धर्मों की लड़कियों को प्रतिनिधि स्वरूप दिखाया गया है। यह भी पढ़ें : पिता की शिकायत पर होटल में मिली नाबालिग लड़की, साथ ले जाने वाला गिरफ्तार, होटल संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई
फिल्म में तीन कहानियां एक साथ आगे बढ़ती हैं। एक कहानी में अमेरिकी सेना ने एक महिला आतंकवादी को हिरासत में ले रखा है, और दो कहानियां फ्लैशबैक में चल रही हैं । एक कहानी सामान्य जीवन की है और एक है लव जिहाद के षड्यंत्र की। इनमें से पहली मूल हिंदू परिवार की लड़की को अपने हिंदू संस्कृति और परम्पराओं का निर्वहन कर रहे परिवार से इतर नई पीढ़ी के प्रतिनिधिस्वरूप अपनी परम्पराओं और रीति रिवाजों से कुछ विशेष लगाव नहीं है। यह भी पढ़ें : 50 वर्ष पुराने मंदिर व 30 वर्ष पुरानी मजार सहित दर्जनों अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्त, मजार बचाने तो विधायक तक उतरे, मंदिर बचाने कोई नहीं आया..
दूसरी लड़की कम्युनिस्ट परिवार से है जो भगवान, संस्कृति और परम्पराओं को नहीं मानती। तीसरी लड़की कैथोलिक ईसाई है, जो अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का अनुसरण करती है और चौथी मुस्लिम लड़की, अपने मजहब के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। यह सभी लड़कियां फिल्म में बाद में जिहादी आतंकी के रूप में भी नजर आती हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी: इंटर की 16 वर्षीय छात्रा फंदे पर लटकी मिली, पुलिस कर रही कारणों की जांच…
फिल्म में चारों लड़कियां नर्सिंग की पढ़ाई के लिए अपने घर से दूर कासरगोड के नर्सिंग कॉलेज में दाखिला लेती हैं, और वहां हॉस्टल में ही रहती हैं। चार में से तीन लड़कियां वास्तविक रूप से पढ़ने ही आई हैं। लेकिन आसिफा मजहब का अनुसरण करते हुए एक विशेष मकसद के लिए भी काम करती दिखाई गई है। आसिफा बार-बार बाकी तीनों से बातचीत करते हुए एक ही बात कहती है, कि केवल एक ही ईश्वर है। यह भी पढ़ें : शादी की सालगिरह पर फंदे पर लटका मिला युवक, पत्नी रह गई स्तब्ध
आसिफा कॉलेज के पास ही रहती है और हमेशा अपने घर वालों के संपर्क में रहती है और अपने मजहबी रीति-रिवाजों का पूरा अनुसरण करती है। ईद पर अपने घर जाती है। अपनी तीनों मित्रों को साथ ले जाती है। फिल्म में एक दृश्य है, जिसमें नास्तिक परिवार से संबंध रखने वाली गीतांजलि बहुत ध्यान से आसिफा की बात सुनती है कि, ‘बिना प्रार्थना के भोजन करना पाप है, और केवल अल्लाह ही हमारी रक्षा कर सकता है’। फिर कुछ ऐसा घटता है कि आसिफा बाकी तीनों लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए भी तैयार कर लेती है। यह भी पढ़ें : नयना देवी मंदिर के 140वें स्थापना दिवस पर पहली बार होगा 9 दिवसीय देवी भागवत का आयोजन
इसमें दिखाया गया है कि कैसे आसिफा जहां अपने मजहबी त्योहार पर घर जाती है, वहीं बाकी दो हिंदू लड़कियां दीपावली पर भी घर न जाते हुए त्योहार पर होने वाली परेशानियों की बातें करने लगती हैं और कहती हैं कि भक्ति करने के लिए बुढ़ापे का समय पड़ा है। समय के साथ आसिफा अपने मजहबी मित्रों के साथ अन्य तीनों लड़कियों के साथ ‘लव जिहाद’ का शिकार बना देती है। यह भी पढ़ें : 50 वर्ष पुराने मंदिर व 30 वर्ष पुरानी मजार सहित दर्जनों अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्त, मजार बचाने तो विधायक तक उतरे, मंदिर बचाने कोई नहीं आया..
फिल्म के एक दृश्य में है कि हिंदू लड़की को उसकी मां प्रसाद देती है तो लड़की का जवाब होता है कि ऐसे भगवान किस काम के हैं जो स्वयं की भी रक्षा न कर सकें तो मां की ओर से जवाब में एक थप्पड़ पड़ता है। यह एक थप्पड़ यहां हिंदू परिवार की लाचारी को प्रदर्शित करता हुआ नजर आता है। यह भी पढ़ें : 8 वर्षीय बच्चे के साथ किया कुकर्म
फिल्म में दिखाया गया है कि वास्तव में हिंदू परिवारों में युवा पीढ़ी को उनके धार्मिक-संस्कृति रीति-रिवाज और कथाओं से कभी परिचित ही नहीं करवाया जाता है। केवल आधुनिक शिक्षा के नाम पर स्कूलों में डाल दिया जाता हैं और वहां पढ़ाकर नौकरी के लिए तैयार किया जाता है। न कोई सामाजिक जिम्मेदारी की बात की जाती है और न ही परिवार का मर्म समझाया जाता है। लव जिहाद में फंसने वाली लगभग अधिकांश लड़कियां अपने परिवार और मूल संस्कृति से दूर रहने वाली होती हैं। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड को समर्पित गीत आते ही छाया, कुछ ही घंटों में हजारों लोगों ने सुना…
फिल्म के एक दृश्य में भाग्य लक्ष्मी का एक पात्र भी है, वो कहती है धर्म और जाति के चलते परिवार वाले लड़की को किसी के भी पल्ले बांध देते हैं। उन्हें हमारे सच्चे प्रेम की कद्र नहीं होती और सच्चे प्रेम के लिए किसी भी सीमा तक जाया जा सकता है। यही भाग्यलक्ष्मी बाद में आतंकवादी कैम्प में पहुंच जाती है और फिर अपनी व्यथा सुनाती दिखती है। यह भी पढ़ें : हद है, अपनी बहन की शादी में दहेज देने के लिए पत्नी से मांगा दहेज, विरोध करने पर पत्नी को बेरहमी से पीटकर व तीन तलाक देकर घर से भगा दिया…
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि आतंकवादियों और उनके रहनुमाओं के लिए गैर इस्लामिक लड़कियां केवल शारीरिक भूख की पूर्ति का एक साधन हैं, उससे अधिक और कुछ भी नहीं। ऐसे में छद्म प्रेम के षडयंत्र को पहचान कर सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह भी पढ़ें : बड़ा समाचार: पेंशन पर घिरी उत्तराखंड सरकार ला रही पेंशन पर नया कानून, राज्यपाल ने दी मंजूरी, पुरानी पेंशन लागू करने का फॉर्मूला भी बन रहा…
फिल्म के एक दृश्य में इसाई लड़कियों का प्रतिनिधित्व करने वाली निमाह मैथ्यू से सवाल करती है, ‘क्या आप जानते हैं सर कि कासरगोड में कुछ गांव हैं, जहां शरीयत का बोलबाला है? दुनिया में जब भी कहीं बम विस्फोट होता है, फिर चाहे वह श्रीलंका में, सिंगापुर में या अफगानिस्तान में, केरल कनेक्शन जरूर निकलकर आता है सामने। ऐसा क्यों होता है सर?’ यह भी पढ़ें : दुकान में सामान लेने गई हाईस्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा के साथ दुकानदार ने किया ‘अपना’ मुंह काला…
फिल्म में दिखाया गया है कि निमाह एक ईसाई परिवार की लड़की है, जो इस्लाम कबूल कर लेती है। आतंकी संगठन आईएस के लिए उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है। लेकिन वह वापसी करना चाहती है। निमाह पर्दे पर इस मेसेज के साथ आती है कि, उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया और बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। इस फिल्म में वास्तविक निमाह का भी कुछ हिस्सा दिखाया गया है। जिसमें वह कहती है कि वह इस फिल्म का स्वागत करती है, क्योंकि यह संदेश सभी तक पहुंचना चाहिए। वह नहीं चाहती है कि जो उसके साथ हुआ है, वह किसी और लड़की के साथ हो। यह भी पढ़ें : परिवार पर मधुमक्खियों का हमला, ढाई साल के मासूम की मौत
फिल्म में निमाह के किरदार की तरह गीतांजलि के माता-पिता भी फिल्म के आखिर में दिखाए जाते हैं और उनका संदेश होता है, ‘जिस शख्स ने उनकी बेटी का शोषण किया, उसके खिलाफ वह कुछ कर नहीं पाए। कम से कम उसकी तस्वीर फिल्म में दिखाई जाए ताकि दूसरे लोग सावधान हो सकें।’ यह भी पढ़ें : बड़ी वारदात : उत्तराखंड नंबर की कार से आए युवकों ने बरेली में मामूली सी बात पर कर दी कारीगर की हत्या…
फिल्म में बार-बार कैमरा एक दीवार पर फोकस करता है, जिस पर लिखा है, ‘राष्ट्रवाद हराम है, तुम्हारी पहचान मुस्लिम है।’ पूरी फिल्म का ट्रीटमेंट बॉलिवुड स्टाइल में है, लेकिन उस तरह का पैनापन नहीं दिखता। फिल्म पर बैन के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि इस तरह की फिल्म मुश्किल से ही राज्य के सेक्युलर ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती है। यह भी पढ़ें : फायदे का समाचार: यहां चल रही है 85 फीसद तक छूट, बस कल तक मौका…
फिल्म इस दृश्य के साथ खत्म होती है, जहां आसिफा और बाकी तीन लड़कियां हॉस्टल के कमरे में साथ दिखती हैं। यह अंत संकेत देता है कि केरल में अब भी धर्म परिवर्तन जारी है और आईएस जैसे आतंकी संगठन साजिश में लगे हुए हैं। फिल्म यह भी बताती है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि चरमपंथी संगठन केरल को इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं। यह भी पढ़ें : शाम को आंगन में खेल रहे 4 वर्षीय बच्चे को उठा ले गया गुलदार, सुबह बरामद हुआ शव
फिल्म में यह भी दिखाया गया कि केरल की करीब 32 हजार लड़कियों ने आईएसआईएस जॉइन कर लिया है। फिल्म में एक दृश्य है, जब शालिनी कासरगोड के नर्सिंग कॉलेज में पहली बार जाती है, तो वहां एक स्लोगन लिखा दिखता है, ‘फ्री कश्मीर’। हालांकि अगले सीन में बुरका पहने एक महिला आती है, जो कॉलेज की हेड है और वह इस तरह के स्लोगन के लिए फटकार लगाती है कि भारत जैसे मुल्क में इस तरह की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। यह भी पढ़ें : ‘नवीन समाचार’ की खबर का असर ! उत्तराखंड सरकार कर सकती है प्रदेश में जमीन खरीदने वाले ऐसे लोगों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
इसी तरह, अपने प्यार द्वारा धोखा दिए जाने और ब्लैकमेल किए जाने पर गीतांजलि आत्महत्या कर लेती है। खुद को खत्म करने से पहले वह अपने पिता को दोष देती है कि अपनी विचारधारा और अपने धर्म के बारे में सिखाने के बजाय उन्होंने उसे कम्युनिज्म की विदेशी विचारधारा सिखाई। यह भी पढ़ें : दो विभागों की कई महत्वपूर्ण फाइनलें गायब होने से हड़कंप ! मुकदमा दर्ज करने की तैयारी…
ऐसा लगता है कि फिल्म यह दिखाने का प्रयास कर रही है, जो धर्म पर विश्वास नहीं रखते उन्हें बरगलाना ज्यादा आसान होता है। फिल्म दिखाती है कि कैसे भारत की हजारों गैर इस्लामिक लड़कियों को इस्लामिक देशों में बैठे आतंकवादियों की शारीरिक भूख की पूर्ति के लिए वस्तु बनाकर उनके सामने फेंक दिया जाता है। फिल्म सवाल उठाती है कि जिस धर्म में प्रेम करना भी हराम कहा जाता है, वहां एक वर्ग की वजह से ‘लव’ यानी प्रेम के साथ आतंकवाद के लिए भी प्रयोग किया जाने वाला ‘जिहाद’ शब्द भी ‘हलाल’ हो जाता है। यानी प्रेम के नाम पर लड़कियों को आतंकवाद की ओर धकेला जा रहा है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
(‘The Kerala Story’ can be tax free in Uttarakhand too, know what is the story of the film, why there is protest against the film, uttaraakhand mein bhee taiks phree ho sakata hai ‘da kerala storee’, jaanen kya hai philm kee kahaanee, kyon hai philm par virodh)