सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णय को पलटते हुए कहा-लिव-इन में रहते हुए बने शारीरिक संबंध सहमति के, शादी के झांसे से बने नहीं माने जा सकते…

लिव-इन संबंध में शादी के झूठे वादे पर दर्ज अभियोग अस्वीकार्य: सर्वोच्च न्यायालय
नवीन समाचार, नई दिल्ली, 8 मई 2025 (Supreme Court Decision-Live-In Physical Relation)। सर्वोच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने लिव-इन संबंधों में रह रहे जोड़ों से संबंधित एक मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक निर्णय को पलटते हुए महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कहा है कि जब दो वयस्क व्यक्ति वर्षों तक एक-दूसरे के साथ सहमति से लिव-इन संबंध में रहते-सहवास करते हैं, और तो यह आरोप कि संबंध शादी के झूठे वादे पर आधारित थे, स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सहमति से बना संबंध बताया
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति संजय करोल और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जब कोई प्रेमी युगल लंबे समय तक लिव-इन संबंध में रहता है, तो यह अनुमान लगाया जाता है कि वे विवाह करने की इच्छा नहीं रखते, और उनके बीच संबंध वैध सहमति पर आधारित होते हैं।
समझौता करने के बाद दर्ज किया अभियोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुने गए मामले में युवक और युवती दो वर्ष से अधिक समय तक एक किराये के आवास में साथ रहे। इस दौरान 19 नवंबर 2023 को दोनों ने एक समझौता-पत्र तैयार कर अपने प्रेम को पुष्ट किया और विवाह करने की इच्छा जताई। इसके मात्र चार दिन बाद, 23 नवंबर को युवती ने युवक के विरुद्ध जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए अभियोग दर्ज कराया।
पीठ ने कहा कि प्राथमिकी में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि शारीरिक संबंध केवल इस कारण बनाए गये क्योंकि युवक ने विवाह का वादा किया था। अतः यह मामला बलपूर्वक या धोखे से बनाए गये संबंध की श्रेणी में नहीं आता है। पीठ ने टिप्पणी की कि मौजूदा मामला इसी प्रकार की स्थिति को स्पष्ट करता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने।
स्वयं निर्णय लेने में सक्षम थे दोनों
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि दो वयस्क वर्षों तक लिव-इन में रहकर सहवास करते हैं, तो यह अनुमानित है कि उन्होंने यह निर्णय स्वयं लिया और इसके परिणामों को भलीभांति समझा। ऐसी स्थिति में विवाह के झूठे वादे पर दर्ज अभियोग स्वीकार नहीं किये जा सकते।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय का निर्णय रद्द
सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया जिसमें आरोपित युवक की याचिका खारिज करते हुए अभियोग को यथावत रखा गया था। उल्लेखनीय है कि युवती की जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाने की शिकायत पर दर्ज अभियोग को युवक ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने युवक पर युवती द्वारा लगाए गए आरोप को संज्ञेय अपराध मानते हुए युवक की अपील अस्वीकार कर दी थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह आदेश न्यायसंगत नहीं है।
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता से बढ़े लिव-इन संबंध (Supreme Court Decision-Live-In Physical Relation)
पीठ ने यह भी कहा कि एक या दो दशक पूर्व लिव-इन संबंध समाज में स्वीकृत नहीं थे, लेकिन आज महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता ने उन्हें अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने की क्षमता प्रदान की है। इसी कारणवश लिव-इन संबंधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। अदालतों को ऐसे मामलों में अत्यधिक परंपरागत दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि परिस्थिति अनुसार विवेकपूर्ण निर्णय देना चाहिए। (Supreme Court Decision-Live-In Physical Relation)
आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे थ्रेड्स चैनल से, व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..।
(Supreme Court Decision-Live-In Physical Relation, Uttarakhand News, Supreme Court’s News, Uttarakhand High Court News, Physical Relations in Live in Relations, Court Order, Court News, Supreme Court overturned Decision of the Uttarakhand High Court, Physical Relations formed during live-in cannot be considered consensual, Sexual Relations under Pretense of Marriage, Supreme Court of India, Live-in Relationship Verdict, Consent in Relationship, Marriage Promise Case, Uttarakhand High Court, Indian Judiciary, Women’s Financial Independence, Live-in Laws India, Indian Legal News, Supreme Court Judgement 2025,)
डॉ.नवीन जोशी, पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय, ‘कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीएचडी की डिग्री प्राप्त पहले और वर्ष 2015 से उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। 15 लाख से अधिक नए उपयोक्ताओं के द्वारा 150 मिलियन यानी 1.5 करोड़ से अधिक बार पढी गई आपकी अपनी पसंदीदा व भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ के संपादक हैं, साथ ही राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्थान समाचार आदि समाचार पत्र एवं समाचार एजेंसियों से भी जुड़े हैं। देश के पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) उत्तराखंड’ के उत्तराखंड प्रदेश के प्रदेश महामंत्री भी हैं और उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त राज्य आंदोलनकारी भी हैं।











सोचिए जरा ! जब समाचारों के लिए भरोसा ‘नवीन समाचार’ पर है, तो विज्ञापन कहीं और क्यों ? यदि चाहते हैं कि ‘नवीन समाचार’ आपका भरोसा लगातार बनाए रहे, तो विज्ञापन भी ‘नवीन समाचार’ को देकर हमें आर्थिक तौर पर मजबूत करें। संपर्क करें : 8077566792, 9412037779 पर।

You must be logged in to post a comment.