उत्तराखंड सरकार के अवैध धार्मिक निर्माणों के ध्वस्तीकरण अभियान पर एक याचिका ली गई वापस, एक और दायर…
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मई 2023। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य की सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निर्माणों के ध्वस्तीकरण के चल रहे अभियान के खिलाफ एक याचिका वापस लिए जाने के बाद एक और जनहित याचिका दायर की गई है। मामले में सरकार के साथ न्यायालय का कड़ा रुख नजर आया है, अलबत्ता न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय इससे पूर्व ऐसी ही एक याचिका को खारिज कर चुकी है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में बड़ा हाई प्रोफाइल दहेज-तलाक संबंधी मामला, विवाहिता के अपने आरोप, पर विवाहिता पर 100 करोड़ रुपए व विधानसभा की सीट मांगने के बड़े आरोप..
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी हमजा राव व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सरकार एक धर्म विशेष के धार्मिक स्थलों को अवैध बताकर ध्वस्त कर रही है। लिहाजा याचिका में सरकार की कार्रवाई को एक धर्म विशेष के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई बताते हुए इस पर रोक लगाने और ध्वस्त मजारों का फिर से निर्माण करने का आदेश पारित करने की प्रार्थना की है। यह भी पढ़ें : ‘सा…कु…’ ऐसे शब्दों ने ले ली आंटी की बेहद वीभत्स तरीके से जान, हल्द्वानी के चर्चित मामले का सनसनीखेज खुलासा
वहीं राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने खंडपीठ को बताया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका एकलपीठ खारिज कर चुकी है। एक ही बात को बार-बार जनहित याचिका के माध्यम से न्यायालय में लाया जा रहा है। सरकार की ओर से यह भी साफ किया गया कि अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में नियमों का अनुपालन किया गया है। करीब 300 अवैध मजारें हटा दी हैं और आगे और करीब 400 चिन्हित मजारों को हटाने की तैयारी है। यह भी पढ़ें : युवती का शव मिलने से सनसनी..
यह भी कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के आदेश दिये थे, और आदेश में यह भी कहा था कि इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो सबंधित राज्यों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। यह भी पढ़ें : यहां चल रही है खरीददारी पर 80 फीसद तक की छूट, एक दिन में डिलीवरी की सुविधा भी
नगर निगम की भूमि में बनी अवैध मजार के ध्वस्तीकरण पर जनहित याचिका वापस ली
नैनीताल। हरिद्वार में नगर निगम की भूमि पर बनी कनखल रोड आर्य नगर ज्वालापुर स्थित हजरत चंदन पीर बाबा मजार के मुतवल्ली सहित अन्य ने मजार के ध्वस्तीकरण के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर की गई अपनी दायर याचिका वापस ले ली गई है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। यह भी पढ़ें : दोस्तों ने ही कर दी 19 वर्षीय युवक की हत्या, युवती से अवैध संबंध बताए जा रहे हत्या का कारण
इस मामले पीठ बाजार ज्वालापुर हरिद्वार निवासी जुल्फिकार अख्तर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि वह कनखल रोड आर्य नगर ज्वालापुर स्थित हजरत चंदन पीर बाबा मजार के मुतवल्ली हैं। राज्य सरकार की ओर से उत्तराखंड लोक मार्गों, लोक पार्कों तथा अन्य स्थानों के अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने, पुर्नस्थापित करने, नियमितीकरण नीति-2016 का उल्लंघन कर इस मजार को ध्वस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता ने इससे पहले मजार को हटाने से संबंधित नोटिस को चुनौती दी थी। यह भी पढ़ें : पहाड़ के हिस्से की गैस हल्द्वानी में अवैध रूप से बिक रही थी, हुआ भंडाफोड़, एक ट्रक सहित तीन वाहन जब्त
नोटिस में सहायक नगर आयुक्त हरिद्वार की ओर से कहा गया था कि नगर निगम की भूमि पर बनाई गई इस मजार में व्यावसायिक गतिविधियां चल रहीं हैं। पिछले दिनों याचिकाकर्ता के अनुपस्थति रहने पर न्यायालय ने नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इसलिए मजार के पुनर्निर्माण को लेकर दूसरी याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता सहित केयर टेकर को विधिवत नोटिस देकर सुनवाई का पूरा मौका दिया गया। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।