December 22, 2025

सूखे दिसंबर में पश्चिमी विक्षोभ की आहट के साथ पहाड़ों पर गुनगुनी धूप-तराई में कोहरा, विशेषज्ञों से समझिए पहाड़ों तक झांकने लगे ‘स्मॉग’ और ‘फॉग’ का पूरा विज्ञान

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Mausam Samachar Uttarakhand Weather Report
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डॉ. नवीन जोशी @  नैनीताल, 22 दिसंबर 2025 (Causes of Smog-Fog in Planes)। देहरादून जनपद सहित पूरे उत्तराखंड और उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठंड के साथ घना कोहरा और प्रदूषण लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है। पहाड़ों में खिल रही धूप से इतर दिल्ली से लेकर देहरादून और रुद्रपुर-हल्द्वानी तक कई शहरों में शीत दिवस की स्थिति बन रही है और दृश्यता बेहद कम हो गई है। यहाँ तक कि गुनगुनी धूप तापती सरोवरनगरी के पास ज्योलीकोट तक कोहरा पहुंचकर सर्दियों के दिनों को सर्द करने लगा है।  मौसम वैज्ञानिक आने वाले कुछ दिनों तक भी मौसम ऐसा ही रहने की संभावना जता रहे हैं। 

(Causes of Smog-Fog in Planes) Delhi: Dense fog causes travel chaos in capital, other parts of north Indiaसवाल यह उठता है कि कोहरा अधिकतर सर्दियों में ही क्यों बनता है, स्मॉग और फॉग में वास्तविक अंतर क्या है और इस समय मौसम इतना गंभीर क्यों हो गया है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इसके पीछे गिरता तापमान, हवा में मौजूद नमी और वायुमंडलीय स्थिरता सबसे बड़े कारण हैं, जिनका सीधा असर स्वास्थ्य, यातायात और कृषि पर पड़ रहा है। पढ़ें पूर्व संबंधित समाचार :  दिसंबर में नैनीताल में गर्मी का अहसास, रात का तापमान दहाई में तो दिन का दोगुने से भी अधिक

सर्दियों में कोहरा क्यों बनता है-तापमान गिरते ही शुरू होती है संघनन की प्रक्रिया

मौसम वैज्ञानिक डॉ. रोहित थपलियाल के अनुसार हवा में हमेशा कुछ मात्रा में नमी यानी जलवाष्प मौजूद रहती है। सर्दियों में जैसे ही रात का तापमान तेजी से गिरता है, यह जलवाष्प ठंडी हवा के संपर्क में आकर संघनन की प्रक्रिया से गुजरती है। इस दौरान जलवाष्प बेहद सूक्ष्म पानी की बूंदों में बदल जाती है, जो हवा में तैरती रहती हैं। यही सूक्ष्म बूंदें जब जमीन के पास एकत्र होती हैं तो कोहरे का रूप ले लेती हैं। तापमान जितना अधिक गिरता है और हवा जितनी शांत रहती है, कोहरा उतना ही घना हो जाता है। 

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स्मॉग और फॉग में क्या है अंतर-प्राकृतिक प्रक्रिया बनाम प्रदूषण का मेल

विशेषज्ञों के अनुसार फॉग यानी कोहरा एक प्राकृतिक मौसमी प्रक्रिया है, जो केवल तापमान और नमी पर निर्भर करती है। इसके विपरीत स्मॉग प्रदूषण और कोहरे का मिश्रण होता है। सर्दियों में हवा की गति कम हो जाती है, जिससे वाहनों, उद्योगों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक कण वातावरण में ही फंस जाते हैं। जब यही प्रदूषक कण कोहरे की नमी के साथ मिलते हैं तो स्मॉग बनता है। यही कारण है कि सर्दियों में मैदानी क्षेत्रों में सांस की समस्याएं बढ़ जाती हैं और वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।

पश्चिमी विक्षोभ की भूमिका-नमी बढ़ने से बने अनुकूल हालात

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक सीएस तोमर के अनुसार इस समय पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है, जिसके कारण वातावरण में पर्याप्त नमी बनी हुई है। रात के तापमान में गिरावट और हवा की धीमी गति ने कोहरे के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना दी हैं। उनके अनुसार अगले चार से पांच दिनों तक प्रदेश में इसी तरह का मौसम बने रहने की संभावना है, खासकर मैदानी और तराई क्षेत्रों में। 

कोहरा और स्मॉग केवल मौसम की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवनशैली से सीधे जुड़े विषय हैं। बदलते मौसम में इनके पीछे के कारणों को समझना और सतर्क रहना आज पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

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सूखा दिसंबर और बढ़ती मुश्किलें-खेती, स्वास्थ्य और यातायात पर असर

उत्तराखंड में दिसंबर का अधिकांश समय बीत जाने के बावजूद व्यापक बारिश नहीं हुई है। इससे एक ओर पहाड़ी जिलों में दिन में धूप के साथ हिमालय की ओर से आती ठंडी हवाएं भी चल रही हैं, वहीं मैदानी क्षेत्रों में कोहरे और खराब वायु गुणवत्ता ने परेशानी बढ़ा दी है। देहरादून जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार पहुंच गया है, जिससे बुजुर्गों और सांस के रोगियों को अधिक दिक्कत हो रही है। बारिश न होने के कारण खेतों में नमी की कमी बढ़ रही है और रबी फसलों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

आगे क्या राहत मिलेगी ? हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना

मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में कहीं-कहीं बहुत हल्की बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो सकती है। इससे नमी का संतुलन बनेगा और कोहरे व प्रदूषण से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। लेकिन अन्य क्षेत्रों में फिलहाल मौसम शुष्क ही रहेगा और मैदानी इलाकों में अभी भी घना कोहरा छाए रहने की संभावना बनी हुई है, जिससे सड़क, रेल और हवाई सेवाएं प्रभावित रह सकती हैं।

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