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November 8, 2024

कब्रस्तान की भूमि पर भी हो गया अतिक्रमण, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी 5 वर्षों से नहीं हटा अतिक्रमण, 4 वर्षों बाद भी नहीं दी प्रगति रिपोर्ट, अब हाईकोर्ट ने लगाया ₹30,000 का जुर्माना

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नवीन समाचार, नैनीताल, 4 अप्रैल 2024 (Encroachment not removed after High Court order)। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जनपद में लोगों ने कब्रस्तान की जमीन पर भी अवैध कब्जे कर दिये। यही नहीं सरकारी दस्तावेजों में संबंधित जमीन का खसरा नंबर भी बदल गया। हद तो यह कि मामले में उच्च न्यायालय ने प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिये थे, बावजूद 5 वर्षों के बाद भी प्रशासन ने अतिक्रमण नहीं हटाया और 4 वर्षों से मामले की प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में पेश नहीं की।

Policemen, High Court, Court Order, Encroachment not removed after High Court orderअब उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस मामले में ₹30,000 का जुर्माना लगा दिया है।

मामले के अनुसार काशीपुर की मौलाना आजाद सेवा समिति में 2015 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सन 1375 के बंदोबस्त में कब्रिस्तान के रूप में दर्ज जमीन पर लोग अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। जबकि नियमों के अनुसार कब्रिस्तान की भूमि का कोई दूसरा उपयोग नहीं किया जा सकता है।

2015 को ऊधमसिंह नगर के DM को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे (Encroachment not removed after High Court order)

आरोप लगाया था कि अधिकारी बंदोबस्त से खसरा नंबर नहीं बदल सकते, लेकिन खसरा नंबर बदल दिया गया। इस जनहित याचिका को 16 मार्च 2015 को निस्तारित करते हुए न्यायालय ने ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को कब्रस्तान की भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। (Encroachment not removed after High Court order)

लेकिन इस आदेश के चार वर्ष बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2020 में उच्च न्यायालय में एक पुर्नविचार याचिका दाखिल की गयी। जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए सरकार को जवाब सहित प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 2020 से अब तक प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं की गई। (Encroachment not removed after High Court order)

इस पर बुधवार को न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए सरकार पर 50 हजार रूपये का जुर्माना ठोक दिया। सरकारी अधिवक्ता के अनुरोध के बाद जुर्माने की राशि को 30 हजार रुपये किया गया। (Encroachment not removed after High Court order)

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