फ्रांस की मनोचिकित्सक ने कहा-उत्तराखंड के पहाड़ों में डंगरिये और गणतुए मात्र अंधविश्वास नहीं, उनका महत्वपूर्ण योगदान…
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नवीन समाचार, हल्द्वानी, 29 जनवरी 2025 (French Psychiatrist Dr Meena Kharkwal-Dangriya)। फ्रांस की प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. मीना खर्कवाल ने कहा कि जहां आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं, वहां परंपरागत उपचार पद्धतियां अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने पहाड़ों में डंगरियों और गणतुओं की उपस्थिति को मात्र अंधविश्वास मानने की धारणा को चुनौती दी।
पारंपरिक उपचार पद्धतियों पर डॉ. खर्कवाल का दृष्टिकोण
पिथौरागढ़ मूल की डॉ. मीना खर्कवाल पिछले एक दशक से फ्रांस में रह रही हैं और वहां की प्रतिष्ठित मनोवैज्ञानिक हैं। उन्होंने अपने शोध में पहाड़ों की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों पर गहन अध्ययन किया है। हल्द्वानी के बड़ी मुखानी स्थित एक रिसॉर्ट में आयोजित सेमिनार के दौरान उन्होंने बताया कि जिन स्थानों पर अस्पताल और चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं, वहां डंगरियों और गणतुओं की अहम भूमिका होती है। सुनें डॉ. मीना खर्कवाल का परंपराओं पर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण :
उन्होंने यह भी बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर और सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज अब दवाओं से संभव है। इस दौरान उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और परंपरागत उपचार पद्धतियों को आधुनिक मनोविज्ञान से जोड़ने पर बल दिया।
महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष जोर
डॉ. खर्कवाल ने महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने ध्यान, प्राणायाम, शारीरिक गतिविधि और संतुलित आहार को मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि एक मनोवैज्ञानिक की भूमिका निर्णय देने की नहीं, बल्कि मरीज की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनने की होती है, जिससे चिंता, अवसाद और कुंठा को कम किया जा सकता है।
उत्तराखंड में मानसिक स्वास्थ्य व आस्था पर शोध
डॉ. खर्कवाल ने उत्तराखंड के लोगों की मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं, जैसे शरीर में देवता आना, परी लगना, भूत लगना आदि पर गहन शोध किया है। उन्होंने कहा कि इन विषयों को पूरी तरह से अंधविश्वास कहकर नजरअंदाज करना उचित नहीं होगा, बल्कि इनके पीछे छिपे मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझना आवश्यक है।
अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन व हल्द्वानी कल्चरल फोरम का आयोजन (French Psychiatrist Dr Meena Kharkwal-Dangriya)
कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. भूपेन सिंह ने किया। सेमिनार की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त शिक्षिका डॉ. विजया सती ने की। आयोजन अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन और हल्द्वानी कल्चरल फोरम द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डॉ. अनिल जोशी, डॉ. सुरेश भट्ट, भास्कर उप्रेती, डॉ. लता जोशी, मंजुल पंत, विनोद जीना, पीयूष जोशी, यतीश पंत, दुर्गा प्रसाद, डॉ. आभा भैंसोंड़ा, डॉ. विमला जोशी, भावना पांडेय, उमेश तिवारी, सुमन बिष्ट, पूरन बिष्ट, सुरेश उप्रेती, कमल पाठक, डॉ. स्वाति मेलकानी, डॉ. एम.एस. नेगी, किशोर गहतोड़ी, हेम खोलिया, दयाल पांडेय, हेम पंत, महेश भट्ट सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। (French Psychiatrist Dr Meena Kharkwal-Dangriya)
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