नैनीताल को ‘कमजोर’ नगर बताना कितना सही ?
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अगस्त 2022। (श्री नंदा स्मारिका 2015 में प्रकाशित पूर्व आलेख के आधार पर) भूगर्भीय नहीं भूकंपीय दृष्टिकोण से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के साथ जोन-चार में रखे गए नैनीताल नगर की भूगर्भीय व भूसतहीय कमजोरी के बात खूब बढ़-चढ़ कर कही जाती है। राष्ट्रीय चैनल नगर के कमजोरी के दर्द पर ‘नमक-मिर्च’ छिड़कने का कार्य करते हैं। हालिया दिनों में भी ऐसी कोशिश हुई है। इसलिए हम पड़ताल करने की कोशिश कर रहे हैं कि नैनीताल कितना सुरक्षित या असुरक्षित शहर है ? और इसे असुरक्षित बताना कोई साजिश तो नहीं है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष, भूवैज्ञानिक डॉ. चारु चंद्र पंत बताते हैं नैनीताल निस्संदेह यहां मौजूद अनेक भ्रंसों के कारण कमजोर प्रकृति का शहर है। किंतु विश्व में जापान को फुकूहोमा जैसा सबसे कमजोर कहा जाने वाला शहर भी है, जहां लगातार भूकंप आते रहते हैं, और ज्वालामुखी फटते रहते हैं। फिर भी यहां भारी संख्या में पर्यटक धरती के हिलने को महसूस करने और ज्वालामुखी को करीब से देखने के लिए जाते हैं। इसके लिए बकायदा जापान की सरकार पूरे सुरक्षा प्रबंधों के साथ यह सब दिखाने के प्रबंध भी करती है।
वैसे भी सोचिए, किस पर्वतीय नगर में भूस्खलन नहीं होते ? और मैदानी शहर भी क्या बाढ़-तूफ़ान जैसी समस्याओं से असुरक्षित नहीं होते हैं ? प्रकृति का यदि कोप हो ही तो कौन उससे पार पा सकता है ? हां आधुनिक तकनीकों से इसका न्यूनीकरण अवश्य किया जा सकता है। आज के तकनीकी के दौर में कुछ भी कमजोर नहीं है, बल्कि कमजोरी को मजबूती में बदले जाने की जरूरत है।
नैनीताल की कमजोरी के दावों के उलट इस बड़े तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इस नगर के बचाव के लिए अंग्रेजी दौर से किए गए मजबूत प्रबंधों की वजह से नगर के भीतरी, नैनी झील के जलागम क्षेत्र में 1880 के बाद से और पूरे नगर के समग्र पर भी बीती पूरी और मौजूदा सदी के करीब सवा सौ वर्षों में भूस्खलन से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। इस तथ्य से क्या नगर की मजबूती का भरोसा नहीं मिलता है ? निस्संदेह इस भरोसे को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मृत्यु शैया पर पड़े लाइलाज बीमारी से ग्रस्त रोगी को कोई कम बुद्धि और कम संसाधनों वाला चिकित्सक भी कभी नहीं कहता कि उसका बेहतर इलाज उसका जीवन समाप्त कर देेना है।
लेकिन प्रकृति द्वारा दोनों हाथों से अपनी नेमतें लुटाए प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी के लिए मानो उसका उपचार करने की जिम्मेदारी वाले चिकित्सक, शासन-प्रशासन, बिना उसके उपचार के प्राथमिक प्रयास किए ही मानो निर्लज्जता के साथ कह रहे हैं, उसे बचाने का एक ही और आखिरी उपाय है-उसके कमजोर हिस्सों को काट दिया जाए। वह अपने दर्द से मरें ना मरें, पहले ही उसकी जान ले ली जाए। नगर भले ‘श्मशान’ में बदल जाए, पर यदि वह इसमें सफल रहे तो उन पर पूर्व में किए गए उनके, अतीत से लेकर वर्तमान तक अपनी जेबें भरकर नगर को कुरूप कर देने के ‘पापों’ से मुक्ति मिल जाएगी। उनके कुकृत्यों को लोग भूल जाएंगे और उन पर लगातार उठने वाली अंगुलियां आगे नहीं उठ पाएंगी।
इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर सकता कि ‘हमारा अपना’ शासन-प्रशासन नैनीताल नगर का उपचार करना दूर, ‘पराए’ अंग्रेज नियंताओं द्वारा किए गए मजबूत प्रबंधों की देखभाल-मरम्मत करने में ही पूरी तरह से विफल रहा है। उल्टे वह महज नगर के दो दशक पुराने हल्के-गहरे रंगों में रंगे नक्शे के जरिए नगर को कमजोर और अधिक व अत्यधिक कमजोर बताकर यह साबित करने की कोशिश करने में अधिक गंभीर नजर आ रहा है कि नगर बेहद जर्जर है, और मानो नगर में अधिसंख्य इलाके का ध्वस्तीकरण ही सारी समस्याओं का इलाज है।
नगर की कमजोरी की बातों में अनेकों स्तरों पर अजब और परले दर्जे का विरोधाभाष नजर आता है।
1- नैनीताल कथित तौर पर बेहद कमजोर नगर है। इसका सबसे कमजोर हिस्सा रोप-वे स्टेशन के बिलकुल करीब से लेकर ऊपर की ओर सात नंबर तक का स्थान बताया जाता है, और यहीं 1985 में करीब 12 व्यक्तियों को एक साथ लेकर चलने वाले 825 किग्रा भार वहन क्षमता के भारी-भरकम ढांचे युक्त रोप वे का निर्माण किया गया, जो कि इतने वर्षों से बिना किसी समस्या के सीजन के कई दिनों में हजार सैलानियों को भी नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की सैर कराता है।
2- नैनीताल की दूसरी सबसे कमजोर नब्ज है नगर का आधार-बलियानाला, जिसके ऊपर प्रशासन ने तल्लीताल में ‘न्यू ब्रिज कम बाईपास’ का निर्माण करा डाला है, और पुराने बस अड्डे को खाली कराकर इस पर ही रोडवेज की भारी-भरकम बसों को खड़ा करने की ‘जिद’ भी पूरी कर डाली है। इसके अगल-बगल भी हाल में निर्माण हुए हैं। जेल में भी निर्माण जारी है।
3- नगर की तीसरी कमजोर दुःखती रग प्रदेश के नैनीताल राजभवन को निहाल नाले की ओर से खोखला कर रही है।
4- चौथा नगर की सबसे ऊंची व ताजा भ्रंश युक्त चोटी नयना पीक के नीचे प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है, और वहां भी अनवरत भारी भरकम निर्माण जारी हैं।
इसी तरह मल्लीताल रिक्शा स्टेंड हजारों रुपए से बने ढांचे को तोड़कर ठीक नाला नंबर 21 के ऊपर फिर लाखों रुपए खर्च कर बनाया गया है। यानी नगर की कमजोरी का उपयोग अपनी पसंद के हिसाब से हो रहा है। जहां काम बनाना हो, जनहित की बात कह दी जाए, अन्यथा जनता की जान का डर दिखा दिया जाए।
बावजूद हम पूरी गंभीरता के साथ दोहरा रहे हैं-नैनीताल कमजोर नहीं मजबूत स्थान है। हमारे इस बात को कहने का आधार फिर वही है, और हमारे विश्वास को मजबूत करने वाला तथ्य यह है कि नगर में पिछले करीब सवा सौ वर्षों में एक भी जनहानि नगर की कमजोरी या भूस्खलनों की वजह से नहीं हुई है।
अब पड़ताल करते हैं उन कारणों की जिनकी वजह से नगर की ऊपर बताई गई इतनी कमजोरी के बावजूद नगर सवा सौ वर्षों से पूरी तरह सुरक्षित है। यह आधार 18 सितंबर 1880 को आए नगर के महाविनाशकारी, उस दौर के केवल करीब ढाई हजार की जनसंख्या वाले नगर में 108 भारतीयों व 43 ब्रितानी नागरिकों सहित कुल 151 लोगों की जान लीलने वाले भयानक भूस्खलन के बाद नगर के अंग्रेज नियंताओं द्वारा बनाए गए कैचपिट युक्त 100 शाखाओं युक्त 50 नाले हैं, जिन्हें नगर की आराध्य देवी माता नयना और प्रदेश की कुल देवी नंदा-सुनंदा का स्वरूप और नगर का हृदय कही जाने वाली नैनी झील की धमनियां कहा जाता है।
निर्विवाद तौर पर माता नयना तथा नंदा-सुनंदा तथा यह नाले ही नैनीताल को इतने वर्षों में हुई हजारों सेंटीमीटर-मीटर वर्षा की अकल्पनीय विभिषिका से बचाए हुए हैं। इनकी ताकत और कृपा को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। लेकिन इनकी ताकत-क्षमता के बारे में इतना दावे के साथ कहा जा सकता है कि नैनीताल नगर में इन नालों का सफल व सही प्रयोग ‘नैनीताल मॉडल’ के रूप आगे भी न केवल नैनीताल को हमेशा के लिए ही नहीं, वरन देश-दुनिया के किसी भी अन्य पर्वतीय शहर को बारिश की वजह से होने वाले भूस्खलन के खतरों से बचा सकता है। पिछले वर्षों में भूस्खलन की जद में आए अल्मोड़ा व वरुणावत पर्वत के खतरे से घिरे उत्तरकाशी और केदारनाथ में ‘नैनीताल मॉडल’ को लागू कर बचाया जा सकता है।
ध्यान में रखना होगा कि नैनीताल नगर में पर्यटन और अच्छे बड़े शैक्षणिक संस्थान ही इस नगर का आधार हैं। नैनीताल में जो कुछ भी और जो भी व्यक्ति है, प्रत्यक्ष या परोक्ष इन्हीं दो प्रमुख कारणों की वजह से है। यह न रहें तो नगर कुछ ही समय में खाली हो जाएगा। राष्ट्रीय मीडिया या अन्य मीडिया पर पूरे नैनीताल जनपद की बुरी-डरावनी घटनाओं को नैनीताल की घटना बताकर सनसनी व व्यूअरशिप तो हासिल की जा सकती है, पर इससे शहर की आर्थिकी का कितना नुकसान हो जाता है, इसका ध्यान रखना भी आवश्यक है।
एक कटु सच्चाई यह भी है कि जिला विकास प्राधिकरण के सेट बैक छोड़ने जैसे निमयों और बिन सुविधा शुल्क के नक्शा पास न होने जैसी आम चर्चाओं के कारण प्राधिकरण नगर के निर्माणों को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार भी ठहराया जा सकता है। क्योंकि नक्शे आसानी से पास न होने के कारण लोग जल्दबाजी में और रातों-रात निर्माण करने की कोशिश में कच्चे निर्माण करते हैं। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : देवभूमि को आपदा से बचा सकता है “नैनीताल मॉडल”
–वर्ष 1880 के भूस्खलन ने बदल दिया था सरोवरनगरी का नक्शा, तभी बने नालों की वजह से बचा है कमजोर भूगर्भीय संरचना का यह शहर
इसी तरह से अन्यत्र भी हों प्रबंध तो बच सकते हैं दैवीय आपदाओं से पहाड़ का परंपरागत मॉडल भी उपयोगी
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अगस्त 2022। कहते हैं कि आपदा और कष्ट मनुष्य की परीक्षा लेते हैं और समझदार मनुष्य उनसे सबक लेकर भावी और बड़े कष्टों से स्वयं को बचाने की तैयारी कर लेते हैं। ऐसी ही एक बड़ी आपदा नैनीताल में 18 सितंबर 1880 को आई थी, जिसने तब केवल ढाई हजार की जनसंख्या वाले इस शहर के 151 लोगों और नगर के प्राचीन नयना देवी मंदिर को लीलने के साथ नगर का नक्शा ही बदल दिया था, लेकिन उस समय उठाए गए कदमों का ही असर है कि यह बेहद कमजोर भौगोलिक संरचना का नगर आज तक सुरक्षित है। इसी तरह पहाड़ के ऊंचाई के अन्य गांव भी बारिश की आपदा से सुरक्षित रहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि नैनीताल और पहाड़ के परंपरागत मॉडल केदारघाटी व चारधाम यात्रा क्षेत्र से भी भविष्य की आपदाओं की आशंका को कम कर सकते हैं।
1841 में स्थापित नैनीताल में वर्ष 1867 में बड़ा भूस्खलन हुआ था, और भी कई भूस्खलन आते रहते थे, इसी कारण यहाँ राजभवन को कई जगह स्थानांतरित करना पढ़ा था। लेकिन 18 सितम्बर 1880 की तिथि नगर के लिए कभी न भुलाने वाली तिथि है। तब 16 से 18 सितम्बर तक 40 घंटों में 20 से 25 इंच तक बारिश हुई थी। इसके कारण आई आपदा को लिखते हुए अंग्रेज लेखक एटकिंसन भी सिहर उठे थे। लेकिन उसी आपदा के बाद लिये गये सबक से सरोवर नगरी आज तक बची है और तब से नगर में कोई बड़ा भूस्खलन भी नहीं हुआ है।
उस दुर्घटना से सबक लेते हुए तत्कालीन अंग्रेज नियंताओं ने पहले चरण में नगर के सबसे खतरनाक शेर-का-डंडा, चीना (वर्तमान नैना), अयारपाटा, लेक बेसिन व बड़ा नाला (बलिया नाला) में नालों का निर्माण कराया। बाद में 1890 में नगर पालिका ने रुपये से अन्य नाले बनवाए। 23 सितम्बर 1898 को इंजीनियर वाइल्ड ब्लड्स द्वारा बनाए नक्शों के आधार पर 35 से अधिक नाले बनाए गए। वर्ष 1901 तक कैचपिट युक्त 50 नालों (लम्बाई 77,292 फीट) और 100 शाखाओं का निर्माण (लंबाई 1,06,499 फीट) कर लिया गया।
तब बारिश में कैच पिटों में भरा मलबा हटा लिया जाता था। अंग्रेजों ने ही नगर के आधार बलिया नाले में भी सुरक्षा कार्य करवाए जो आज भी बिना एक इंच हिले नगर को थामे हुए हैं। यह अलग बात है कि इधर कुछ वर्ष पूर्व ही हमारे इंजीनियरों द्वारा बलिया नाला में कराये गए कार्य पूरी तरह दरक गये हैं। बहरहाल, बाद के वर्षो में और खासकर इधर 1984 में अल्मोड़ा से लेकर हल्द्वानी और 2010 में पूरा अल्मोड़ा एनएच कोसी की बाढ़ में बहने के साथ ही बेतालघाट और ओखलकांडा क्षेत्रों में जल-प्रलय जैसे ही नजारे रहे, लेकिन नैनीताल कमोबेश पूरी तरह सुरक्षित रहा।
ऐसे में भूवैज्ञानिकों का मानना है ऐसी भौगोलिक संरचना में बसे प्रदेश के शहरों को “नैनीताल मॉडल” का उपयोग कर आपदा से बचाया जा सकता है। कुमाऊं विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं भू-वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत एवं यूजीसी वैज्ञानिक प्रो. बीएस कोटलिया का कहना है कि नैनीताल मॉडल के सुरक्षित ‘ड्रेनेज सिस्टम’ के साथ ही पहाड़ के परंपरागत सिस्टम का उपयोग कर प्रदेश को आपदा से काफी हद तक बचाया जा सकता है। इसके लिए पहाड़ के परंपरागत गांवों की तरह नदियों के किनारे की भूमि पर खेतों (सेरों) और उसके ऊपर ही मकान बनाने का मॉडल कड़ाई से पालन करना जरूरी है।
प्रो. कोटलिया का कहना है कि नदियों-नालों व झीलों से न्यूनतम 60 फीट की ऊंचाई तक किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इधर आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र (डीएमएमसी) के अध्ययन “स्लोप इनस्टेबिलिटी एंड जियो-एन्वायरमेंटल इश्यूज ऑफ द एरिया अराउंड नैनीताल” के मुताबिक नैनीताल को 1880 से लेकर 1893, 1898, 1924, 1989, 1998 में भूस्खलन का दंश झेलना पड़ा। 18 सितम्बर 1880 में हुए भूस्खलन में 151 व 17 अगस्त 1898 में 28 लोगों की जान गई थी।
इन भयावह प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेते हुए अंग्रेजों ने शहर के आसपास की पहाड़ियों के ढलानों पर होने वाले भूधंसाव, बारिश और झील से होने वाले जल रिसाव और उसके जल स्तर के साथ ही कई धारों (प्राकृतिक जल स्रोत के जलस्राव की दर आदि की नियमित मॉनीटरिंग करने व आंकड़े जमा करने की व्यवस्था की थी। यही नहीं प्राकृतिक रूप से संवेदनशील स्थानों को मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त रखने के लिए कई कड़े नियम कानून बनाए थे। मगर आजादी के बाद यह सब ठंडे बस्ते में चला गया। शहर कंक्रीट का जंगल होने लगा।
पिछले 10 वर्षो में ही झील व आस-पास के वन क्षेत्रों में खूब भू-उपयोग परिवर्तन हुआ है और इंसानी दखल बढ़ा है। नैनीझील के आसपास की संवेदनशील पहाड़ियों के ढालों से आपदा के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए गंभीर छेड़छाड़ की जा रही है। पहाड़ के मलबों को पहाड़ी ढालों से निकलने वाले पानी की निकासी करने वाले प्राकृतिक नालों को मलबे से पाटा जा रहा है। नैनी झील के जल संग्रहण क्षेत्रों तक में अवैध कब्जे हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरोवरनगरी में अवैध निर्माण कार्य अबाध गति से जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रों में हुए सूक्ष्म बदलाव भी नैनी झील के वजूद के लिए खतरा बन सकते हैं। इस दावे को सच मानने पर जरूर सवाल उठेगा कि नैनीताल नगर के लिए जीवन-मरण जितने महत्वपूर्ण इन नालों में इतनी ही ताकत है तो फिर नगर में पिछले वर्षों में नैनीताल नगर में कई भूस्खलन क्यों हुए। विश्लेषण करने पर इन सवालों का जवाब भी आसानी से मिल जाता है।
चलिए, इस बात की पड़ताल करते हैं कि 1880 से पहले और बाद में नैनीताल में कितने भूस्खलन आए और उनसे क्या नुकसान हुआ। पहले बात नैनीताल नगर की स्थापना के बाद आए भूस्खलनों की। नगर के अंग्रेज नियंता नगर की कमजोर प्रकृति से सर्वप्रथम 1866 और फिर 1869 व 1879 में रूबरू हुए। नगर की आल्मा पहाड़ी पर हुए इन भूस्खलनों की वजह से तत्कालीन गवर्नर हाउसों में भी दरारें आ गई थी। अंग्रेजों ने इससे बचाव के तरीके खोजने ही प्रारंभ किए थे कि 18 सितंबर 1880 को वर्तमान रोप-वे के पास पुनः आल्मा पहाड़ी पर आए भूस्खलन ने 151 लोगों को जिंदा दफन करने के साथ नगर का नक्शा भी बदल दिया। नगर की आराध्य देवी माता नयना को भी नहीं बक्शा। नयना देवी का वर्तमान बोट स्टेंड के पास स्थित मंदिर भी झील में समा गया, जिसके बाद मंदिर को वर्तमान स्थान पर बनाया गया।
-सीमेंट हाउस, पाइंस गार्डन, बिड़ला चुंगी व अयारपाटा जद में
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अगस्त 2022। अपनी स्थाापना से ही भूगर्भीय दृष्टिकोण से कमजोर सरोवरनगरी नैनीताल को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए जिला विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत ने कमान अपने हाथ में ले ली है। बीती रात्रि उन्होंने नगर के मल्लीताल में स्थित पायल बार का निरीक्षण किया और यहां हो रहे तीसरी मंजिल के निर्माण पर कार्रवाई करने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि आयुक्त अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय को नगर में अवैध निर्माणों की जानकारी न होने पर बेहद गंभीर टिप्पणी भी की है।
इसके अलावा उन्होंने शाम से लेकर देर रात्रि तक प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय एवं एसडीएम राहुल साह व नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार वर्मा आदि के साथ नगर के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र सीमेंट हाउस, पाइन्स गार्डन, बिड़ला चुंगी व अयारपाटा क्षेत्रों का भी औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने यहां धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए प्राधिकरण सचिव जिला विकास प्राधिकरण को उनके द्वारा निरीक्षण किए गए क्षेत्रों के अंतर्गत ग्रीन बेल्ट मे प्रथम चरण में हुए वाणिज्यिक अवैध निर्माणों को चिन्हित कर सुनिश्चित करने कि उनमें चालान कब किए गए हैं।
यदि चालान किए गए है तो अभी तक वह सील क्यों नहीं किए गए। क्या सील किए जाने के बावजूद निर्माण कार्य होता रहा, यदि हां तो संबंधित के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई, या कब होगी, और अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अभी तक क्यों नहीं की गई, इसकी सुस्पष्ट आख्या तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान आयुक्त ने कहा कि नैनीताल पर्यावरण के दृष्टिगत से बड़ा ही संवेदनशील क्षेत्र है। यहां कई जगहो पर हो रही भूस्खलन की घटनाओं का बहुत बड़ा कारण ग्रीन बेल्ट में धड़ल्ले से अवैध निर्माण का होना भी है। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : हड़कंप मचना तय, कमिश्नर रावत ने तलब की वर्ष 2015 से अब तक नैनीताल में ग्रीन बेल्ट व असुरक्षित क्षेत्र में हुए निर्माणों की रिपोर्ट…
-नैनीताल में असुरक्षित क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट में प्रतिबंध के बावजूद अवैध निर्माण होने व इसकी जानकारी प्राधिकरण सचिव को न होने को मंडलायुक्त ने बताया गंभीर मामला
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 1 अगस्त 2022। जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय को सोमवार को कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत से कड़ी फटकार लगी। मंडलायुक्त ने अवैध निर्माणों के बारे में जिला विकास प्राधिकरण के सचिव को जानकारी नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘सचिव को अवैध निर्माणों की जानकारी न होना एक गम्भीर मामला है।’
मंडलायुक्त ने प्राधिकरण सचिव को नैनीताल में असुरक्षित क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट की वर्ष 2015 और वर्तमान की गूगल इमेज का परीक्षण कर, वर्ष 2015 से वर्तमान तक ग्रीन बेल्ट और असुरक्षित क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण की विस्तृत आख्या देने के निर्देश भी दिए हैं। इससे क्षेत्र में हड़कंप मचना तय है।
इस दौरान मंडलायुक्त दीपक रावत ने सचिव जिला विकास प्राधिकरण को नैनीताल में ग्रीन बेल्ट और असुरक्षित क्षेत्र में अवैध निर्माण को चिन्हित कर एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि मल्लीताल क्षेत्र में राजमहल कम्पाउंड में एकल आवासीय भवन निर्माण की अनुमति पर व्यवसायिक निर्माण किया जा रहा था। इसके साथ ही अयारपाटा क्षेत्र के स्टाबरी लॉज काशीपुर हाउस में प्राधिकरण से नक्शा पारित किए बिना दोनों निर्माण कार्य किये जा रहे थे।
आयुक्त रावत ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से 1995 से नैनीताल में व्यावसायिक निर्माण पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद नगर में अवैध निर्माण होना और इन अवैध निर्माणों की जानकारी जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सचिव को ना होना एक गम्भीर मामला है। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : आखिर 11 वर्ष बाद शुरू हुई अगले 19 वर्षों की आवश्यकताओं के अनुरूप नैनीताल, भीमताल, मुक्तेश्वर की महायोजना बनाने की तैयारी
-मंडलायुक्त ने बैठक लेते हुए 2041 की जनसंख्या की आवश्यकता के अनुरूप पार्किंग व अन्य सुविधाओं के प्राविधान करने के दिए निर्देश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 5 जुलाई 2022। जनपद नैनीताल की वर्ष 2011 में समाप्त हो चुकी महायोजना की जगह नैनीताल-भीमताल एवं निकटवर्ती क्षेत्र की वर्ष 2041 की जनसंख्या की आवश्यता के अनुरूप अमृत उपयोजना के अंतर्गत जीआईएस आधारित महायोजना (मास्टर प्लान) तैयार की जा रही है। इसकी तैयारी को लेकर सोमवार को मंडलायुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में नैनीताल-भीमताल महायोजना को लेकर बैठक आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि नागपुर की संस्था मैसर्स क्रिएटिव सर्कल द्वारा इस महायोजना को तैयार किया जा रहा है।
बैठक में संस्था के शहर नियोजक देवांग पांडेय द्वारा पीपीटी के माध्यम से महायोजना की विस्तार से जानकारी दी। वहीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंडलायुक्त दीपक रावत ने कहा कि वर्ष 2011 में नैनीताल-भीमताल महायोजना की अवधि समाप्त हो गई थी। अब वर्ष 2041 की जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुरूप नई महायोजना की तैयारी चल रही है। इस हेतु प्रस्तावित महायोजना का कुल क्षेत्रफल 66 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें नैनीताल-भीमताल- भवाली व मुक्तेश्वर तक मुख्यमार्ग से सलंग्न दोनों ओर 220 मीटर तक का क्षेत्र सम्मिलित है।
इसका उद्देश्य है कि नियंत्रित एवं नियोजित विकास किया जाए। इस सम्बंध में उन्होंने समस्त विभाग को भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए अपने सुझाव लिखित रूप में देने को कहा ताकि भविष्य में विभागों की भूमि संबंधी आवश्यकता को वर्तमान में ही आरक्षित कर लिया जा सके। मंडलायुक्त ने महायोजना में नैनीताल में पार्किंग की समस्या के निस्तारण हेतु पार्किंग निर्माण के लिए भूमि को चिन्हित करने के निर्देश भी दिए।
इसके लिए संस्था पीक सीजन व एक दिन में अधिकतम आने वाले पर्यटकों की संख्या का विस्तार से अध्ययन कर आख्या दे। साथ ही उन्होंने कहा कि महायोजना इस तरह तैयार की जाये कि इससे भविष्य में किसी प्रकार की समस्या न हो। बैठक में डीएम धीराज गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, जगदीश चंद्र, सीएमओ डॉ. भागीरथी जोशी, संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक जैन, जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय, सह नियोजक हरि शंकर बिष्ट, मैसर्स क्रिएटिव सर्कल केे टीम लीडर मंजूषा, आदित्य सिंह, आयुष गोविल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल : प्राधिकरण ने एक होटल किया सील, एक निर्माण ध्वस्तीकरण के आदेश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मई 2022। जिला विकास प्राधिकरण ने बारापत्थर में अवैध रूप से संचालित होटल हिल व्यू को सील कर दिया है। इसके अलावा नगर के पर्दाधारा में एक अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि गत दिवस घोड़ों के अस्तबलों एवं दुकानों व अन्य निर्माणों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दिन घोड़ा चालक संघ के पूर्व अध्यक्ष ने भी इसके संचालन पर आपत्ति जताई थी और प्रशासन की कार्रवाई की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। इधर जिला विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता सतीश चौहान ने बताया कि नगर पालिका के दौर में इस होटल के एक हिस्से का नक्शा पास था, जिस पर अतिरिक्त निर्माण कर और नया टिन शेड आदि बनाकर यहां मूल स्वामी राहत जान द्वारा हल्द्वानी के किसी अन्य व्यक्ति को लीज पर देकर यहां होटल संचालित किया जा रहा था। होटल के नक्शे आदि की जांच की जा रही है और फिलहाल अवैध संचालन के कारण इसे सील कर दिया गया है।
इसके अलावा नगर के मल्लीताल पर्दाधारा क्षेत्र में एक अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश हुए हैं। श्री चौहान ने बताया कि कई दिन पूर्व में यहां 5 अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश हुए थे, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने मंडलायुक्त न्यायालय में अपील कर दी थी। वहां से कमल कटियार के मामले को निस्तारित कर 15 दिन के भीतर अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश हुए हैं। अन्य की फाइल मंडलायुक्त के न्यायालय में विचाराधीन है। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : प्राधिकरण ने अवैध निर्माण ध्वस्त किया
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 8 अप्रैल 2022। जिला विकास प्राधिकरण की टीम ने शुक्रवार को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक अवैध निर्माण में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। बताया गया कि नगर के मल्लीताल चार्टन लॉज क्षेत्र में व्यवसायी दिलावर और राशिद के द्वारा द्वितीय तल में निर्माण कार्य किया जा रहा था।
प्राधिकरण की टीम ने यहां आरसीसी की बनाई गई छत के नीचे की गई ईट की चिनाई तोड़ दिया, एवं इससे छत झुक गई। कार्रवाई में प्राधिकरण के सहायक अभियंता सतीष चौहान, परियोजना अभियंता सीएम साह, अवर अभियंता कमल जोशी, पूरन तिवारी, महेश जोशी, खुशाल सिंह व गोपाल आदि कर्मी शामिल रहे। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : प्राधिकरण की बैठक में मल्लीताल में एकल आवासीय भवन एवं झील किनारे भवनों की मरम्मत सहित अनेक मुद्दों पर हुई चर्चा
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 26 मार्च 2022। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण नैनीताल की शनिवार को सर्किट हाउस काठगोदाम में कुमाऊं मंडलायुक्त एवं प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक रावत की अध्यक्षता में आयोजित हुई 16वीं बोर्ड की बैठक में अनेक प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बैठक में श्री रावत के निर्देश पर अधिकारियों ने भवाली में बहुमंजिला पार्किंग व बहुउददेशीय भवन के भूमि हस्तांतरण, कोश्याकुटौली तहसील में बहुमंजिला पार्किंग निर्माण और वाणिज्यिक दुकानों के निर्माण के स्थान पर पेट्रोल पंप निर्माण की स्वीकृति पर बात हुई।
इसके साथ ही ग्राम चनैती में रेस्टोरेंट भवन का मानचित्र स्वीकृत करने, मल्लीताल में एकल आवासीय भवन, सीएमओ कार्यालय के भवन का मानचित्र, वर्ल्ड आर्य कला केंद्र के जीर्णशीर्ण भवन के पुर्ननिर्माण, ग्राम करायत में आईओसीएल के पेट्रोल पंप, नैनी झील से 30 मीटर परिधि में निर्मित वैध भवनों की मरम्मत की जानकारी दी।
नौकुचियाताल में एयरेशन सिस्टम के संचालन एवं रखरखाव की स्वीकृति के साथ ही झीलों में चलाई जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का अधिकार प्राधिकरण को दिये जाने पर भी चर्चा हुई। इसके बाद झील के आसपास राजस्व की भूमि में पार्किंग स्थलों का निर्माण कर बोर्ड के आय के स्रोतों मे बढ़ावा दिये जाने के अतिरिक्त झीलों मे वाणिज्यिक गतिविधियों के प्रस्ताव प्रस्तुत करने के साथ ही भीमताल टापू में एक्वारियम व कॉफी हाउस से चार नौकाओं के संचालन सम्बन्धी विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा की गई। बैठक में आयुक्त ने प्राधिकरण के अधिकारियों को पुर्ननिर्माण संबधी कामों का स्थलीय निरीक्षण करने को कहा।
प्राधिकरण ने वर्ष 2021-22 का वास्तविक व्यय और वर्ष 2022-23 का प्रस्तावित बजट के आय व्यय का विवरण दिया। इस दौरान माउंटवैली फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा हरित पट्टी क्षेत्रों में निर्माण किये जाने वाली यूर्निवसीटी मे विशेष रूप से फार्मेसी, इंजीनियरिंग, लॉ, नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुर्वेदा, होटल मैंनेजमैंट और योगा जैसे विषयों को लेकर प्रथम चरण में रोजगारपरक योजनाओं के कार्य करने के निर्देश सोसाइटी के परियोजना प्रबंधक को दिये।
बैठक में प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, सिटी मजिस्टेट ऋचा सिंह, अधिशासी अभियंता पेयजल निगम एके कटारिया, कोषाधिकारी हेम कांडपाल, सीएफओ डीएलडीए पूजा नेगी आदि विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। (डॉ. नवीन जोशी) अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल : प्राधिकरण ने दो अवैध निर्माण ध्वस्त किए
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 मार्च 2022। जिला विकास प्राधिकरण की टीम ने बुधवार को मल्लीताल बैरमविला कंपाउंड क्षेत्र में दो अवैध निर्माण ध्वस्त किए। जिला विकास प्राधिकरण के कनिष्ठ अभियंता कमल जोशी ने बताया कि बीते माह मोबिन व निशाद तथा रवि अवैध रूप से भवन निर्माण ध्वस्त करने पर नोटिस जारी किया था। लेकिन उन्होंने निर्माण ध्वस्त नहीं किया।
इस पर बुधवार को टीम ने कार्रवाई कर दोनों के अवैध भवन ध्वस्त कर दिए हैं। बताया गया कि मोबिन व निशाद द्वारा भूतल में बनाए गए कॉलम भी आज तोड़ दिए गए। वहीं रवि के द्वारा काफी समय पहले खुदान करने पर चालान किया गया था। अब कॉलम बनाने शुरू कर दिए थे। इधर दो-तीन दिन पूर्व भी यहां कॉलम तोड़े गए थे आज भी यहां ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : प्राधिकरण ने ध्वस्त किया अवैध निर्माण
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 मार्च 2022। जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल की टीम ने मंगलवार से एक बार फिर अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस दौरान प्राधिकरण की टीम नगर के मल्लीताल में सीआरएसटी के पास रामा कॉटेज-बो कॉटेज क्षेत्र में रियाजुद्दीन, जाहिद व गोपुली देवी के अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने निकली। किंतु रियाजुद्दीन व जाहिद के मामलों की बुधवार को कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई की जानकारी मिलने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई रोक दी गई, जबकि गोपुली देवी का अवैध अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिया गया।
प्राधिकरण के अवर अभियंता कमल जोशी ने बताया कि गोपुली देवी का निर्माण पूर्व में भी तोड़ा गया था। लेकिन उसके बाद भी यहां ईंट की चिनाई कर दी गई थी। उन्होंने बताया कि बुधवार को भी प्राधिकरण की टीम बैरमविला कंपाउंड में अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : ग्रीन बेल्ट में निर्माणों के ध्वस्तीकरण के लिए गई प्राधिकरण की टीम को बैरंग लौटना पड़ा…
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 7 मार्च 2022। भूगर्भीय दृष्टिकोण से जोन-4 में आने वाले जिला एवं मंडल मुख्यालय नैनीताल में निर्माणों को लेकर जितनी अधिक पाबंदियां हैं, उतनी ही अधिक संख्या में अवैध निर्माण किए गए हैं और जारी हैं। यहां तक कि पुरानी नैनीताल महायोजना के अंतर्गत बिड़ला रोड पर सीमेंट हाउस के पास के ग्रीन बेल्ट में आने वाले क्षेत्र में एक दशक से भी अधिक समय से निर्माण किए गए हैं, लेकिन ज्ञात जानकारी के अनुसार इतनी लंबी अवधि में पहली बार जिला विकास प्राधिकरण की ओर से यहां आठ निर्माणों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ की गई है। ऐसे में विरोध संभावित था और विरोध किया भी गया। फलस्वरूप प्राधिकरण की टीम को बिना कार्रवाई किए आज बैरंग लौटना पड़ा।
जिला विकास प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि यहां के 8 भवन स्वामियों को पूर्व में 15 दिन के भीतर अपने अवैध निर्माण ध्वस्त करने के नोटिस दिए गए थे, लेकिन उनके द्वारा अवैध भवनों को ध्वस्त न किए जाने पर प्राधिकरण की टीम ने सोमवार को चंदन थापा, यश पाठक, कैलाश आर्या व नरेंद्र फर्त्याल तथा मंगलवार को सावित्री भैसोड़ा, राम प्रसाद, लीला आर्या व आनंद मेहता के भवनों को ध्वस्त करने का कार्यक्रम बनाया था।
लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए और प्राधिकरण के अधिकारियों पर निजी आरोप भी लगाते देखे गए। जबकि प्राधिकरण की ओर से बताया गया है कि अवैध निर्माणकर्ता ध्वस्तीकरण के लिए कुछ और समय की मांग कर रहे थे। इस कारण आज ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हो पाई। प्राधिकरण की टीम में प्राधिकरण के सहायक अभियंता सतीश चौहान, तहसीलदार नवाजीश खलीक, परियोजना अभियंता सीएम साह, अवर अभियंता कमल जोशी व हेम उपाध्याय, महेश जोशी, पूरन तिवारी, खुशाल सिंह व इरशाद आदि लोग शामिल रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : आचार संहिता में अवैध निर्माणों की बाढ़, अब मांद से निकला प्राधिकरण….
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 18 फरवरी 2022। विधानसभा चुनाव की चुनाव आचार संहिता के दौर में भूगर्भीय दृष्टिकोण से जोन-4 की खतरनाक श्रेणी में आने वाली सरोवरनगरी में अवैध निर्माणों की बाढ़ आई रही। अब मतदान हो जाने के बाद जिला विकास प्राधिकरण ने भी मांद से निकलते हुए अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इस दौरान नगर के शेरवानी क्षेत्र में स्थित बालमोरल कंपाउंड में बसंत लाल व लंघम हाउस तल्लीताल में दीपक बिष्ट द्वारा किए गए अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की गई।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि बसंत लाल के द्वारा आरसीसी के स्लैब डाले गए थे, जिसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया। वहीं दीपक बिष्ट के द्वारा स्लैब डाली गई थी। प्राधिकरण की टीम ने स्लैब के नीचे की शटरिंग हटा दी। जानकारी देते हुए प्राधिकरण के अवर अभियंता कमल जोशी ने बताया कि कार्रवाई शनिवार को और आगे भी जारी रहेगी।
बताया गया है कि इससे पूर्व प्राधिकरण की टीम ने सहायक अभियंता सतीश चौहान के नेतृत्व मे स्नोव्यू क्षेत्र निवासी दीप जोशी, बेकंबरी कंपाउंड निवासी दीपा जोशी और चार्टन लॉज निवासी रमा देवी के द्वारा कराये जा रहे अवैध निर्माण को सील किया गया। अन्य ताज़ा नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : सीलिंग के बावजूद निर्माण जारी रखने पर पुलिस में शिकायत, दूसरे मामले में ध्वस्तीकरण के आदेश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 जनवरी, 2021। आसन्न विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के बीच चल रहे चर्चित अवैध निर्माणों पर जिला विकास प्राधिकरण का कड़ा रुख सामने आया है। प्राधिकरण ने एक मामले में अवैध निर्माण को सील करने के बावजूद अवैध निर्माण जारी रखने पर पुलिस में शिकायती पत्र देकर अभियोग पंजीकृत करने एवं कार्रवाई करने का अनुरोध किया है, तो दूसरे मामले में अवैध निर्माणकर्ता को ध्वस्तीकरण का नोटिस दे दिया है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय की ओर से मल्लीताल कोतवाली में दिए गए शिकायती पत्र के अनुसार मार्शल कॉटेज क्षेत्र में सील बंद भवन में अवैध निर्माण जारी रखने पर ललित मेहरोत्रा के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करने का अनुरोध किया गया है। इस पर नगर कोतवाल प्रीतम सिंह ने बताया कि मामले की जांच उप निरीक्षक हरीश सिंह को सोंपी गई है। जांच के उपरांत मुकदमा पंजीकृत किया जा सकता है।
वहीं एक अन्य मामले में अयारपाटा स्थित प्रतिष्ठित होटल के प्रबंधक को होटल के परिसर में वनाच्छादित क्षेत्र में बनाए गए तीन आरसीसी कॉलम को एक सप्ताह के भीतर स्वयं ध्वस्त कराने का नोटिस दिया गया है। अन्यथा इन कॉलम को बलपूर्वक ध्वस्त किए जाने की चेतावनी दी गई है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : आचार संहिता में अवैध निर्माणों की बाढ़, आम से लेकर खास तक सक्रिय, प्राधिकरण ने सील किए दो निर्माण
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 जनवरी 2022। भूगर्भीय दृष्टिकोण से जोन-4 में आने वाले जिला मुख्यालय नैनीताल में आदर्श चुनाव आचार संहिता में अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई है। क्या आम-क्या खास, जिसे मौका मिल रहा है, अवैध निर्माण करने में व्यस्त हैं। प्राधिकरण खासकर खास लोगों पर कार्रवाई करने में ‘नख-दंत विहीन’ नजर आ रहा है। फिर भी बुधवार को जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल ने दो अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की है।
जिला विकास प्राधिकरण के अवर अभियंता कमल जोशी ने बताया कि आज नगर के चार्टन लॉज क्षेत्र में निर्मला साह द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को सील कर दिया गया है। यहां निर्माणकर्ता के द्वारा पुराने टिन शेड की जगह दोमंजिले भवन का निर्माण किया जा रहा था। हैरत की बात है कि प्राधिकरण को दोमंजिले तक पहुंचने के बावजूद सड़क किनारे हो रहे इस निर्माण की जानकारी नहीं थी। ‘नवीन समाचार’ में समाचार प्रकाशित होने के बाद यहां निर्माण कार्य को आज सील कर दिया गया। इसके अलावा नगर के मार्शल कॉटेज क्षेत्र में ललित मल्होत्रा द्वारा किए जा रहे निर्माण के कॉलम आज हिला दिए गए।
श्री जोशी ने बताया कि इस मामले में पूर्व में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है, और निर्माण को सीलबंद भी किया जा चुका है। फिर भी यहां आचार संहिता का फायदा उठाकर निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि अयारपाटा क्षेत्र में किए गए निर्माण कार्य पर भी चालानी कार्रवाई की जा चुकी है, और अब सीलिंग की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। आज की कार्रवाई में प्राधिकरण के सहायक अभियंता सतीश चौहान, अवर अभियंत कमल जोशी, पूरन तिवारी, महेश जोशी व इरशाद हुसैन आदि कर्मी शामिल रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : सीलिंग के बावजूद अवैध निर्माण जारी रखने पर भवन के ध्वस्तीकरण के आदेश
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अक्टूबर 2021। जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल ने नगर के पिलग्रिम लॉज स्थित एक भवन के ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए हैं। भवन स्वामी गिरीश चंद्र कांडपाल को 15 दिन के भीतर स्वयं अनाधिकृत भवन को ध्वस्त करने को कहा गया है, अन्यथा प्राधिकरण द्वारा निर्माणकर्ता के खर्च पर बलपूर्वक ध्वस्तीकरण किया जाएगा।
प्राधिकरण की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आरोपित ने अपने भवन के भूतल में पुराने भवन के अंदर व अग्र भाग में 6 आरसीसी कॉलम कास्ट किए हैं। इस पर उन्हें पहले गत 2 जून को नोटिस दिया गया। इसके बावजूद भी अवैध निर्माण जारी रखते हुए प्रथम तल में ईंट की चिनाई कर टीन की छत की ऊंचाई बढ़ा दी गई। जिसे गत 20 सितंबर को सील कर दिया गया, तथा भवन के ध्वस्तीकरण के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नई नैनीताल महायोजना में हार्वे साइड को ‘ग्रीन जोन’ से हटाए जाने को सीएम को भेजा ज्ञापन
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 10 सितंबर 2021। नगर के हार्वे साइड शेर का डांडा क्षेत्र वासियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर यहां ग्रीन जोन के नाम पर यहां हुए निर्माणों का जिला विकास प्राधिकरण द्वारा सील किए जाने पर नाराजगी जताई है, और नई महायोजना में इस क्षेत्र को ग्रीन जोन से हटाए जाने की मांग की है।
माधवी आर्य, कौशल्या देवी, डूंगर सिंह मेहता, निर्मला मथेला, विनोद सिंह, खीम सिंह, चंद्रा फुलारा, तलवंत सिंह, हरीश लाल, राजा, भोला व मंजू पंत आदि द्वारा भेजे गए ज्ञापन में क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां मीना साल पुत्री उदय नाथ साह की डामरीकृत सड़क के आसपास की भूमि वर्ष 2006 से 2010 के बीच कई सेवारत एवं सेवा निवृत्त सरकारी कर्मचारियों व अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा क्रय की गई, और इस पर भवन बनाए गए। भूमि की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज के साथ ही भवनों से भूमि-भवन कर, जल कर, सीवर कर, सफाई कर आदि लगातार सरकार को दिए जा रहे हैं।
लेकिन प्राधिकरण ने इस क्षेत्र को बिना भूमि की मूल स्वामी की सहमति के नियमविरुद्ध ‘ग्रीन जोन’ घोषित कर यहां भवनों के मानचित्र स्वीकृत करने से इंकार कर दिया है और भवनों को सील किया जा रहा है, और इस कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। जबकि भूमि की रजिस्ट्री के समक्ष उन्हें क्षेत्र के ग्रीन जोन होने से अवगत नहीं किया गया। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां भूमि के आगे-पीछे दोनों ओर लोनिवि द्वारा निर्मित पक्की सड़क तथा इसके पास ही डाक अधीक्षक कार्यालय व आवासीय कॉलोनी है तो उनके निजी आवासों को ग्रीन जोन माना जाना न्याय संगत नहीं है।
वर्ष कुमाऊं मंडल के आयुक्त ने इन भवनों का समन करने का आदेश भी पारित किया था परंतु सीलिंग के आदेश को बिना कारण बताए निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान में यह प्रकरण अपर सचिव-उडा उत्तराखंड शासन में लंबित है। यह भी कहा है कि नैनीताल विकास प्राधिकरण की 10 वर्षीय महायोजना की अवधि 31 मई 2011 को ही समाप्त हो चुकी है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में सस्ता व सरल हो गया भवन निर्माण को नक्शे पास कराना, शासनादेश जारी
नवीन समाचार, देहरादून, 28 जुलाई 2021। उत्तराखंड में विकास प्राधिकरणों से भवन निर्माण हेतु नक्शा पास कराना सस्ता हो गया है साथ ही इसकी प्रक्रिया भी आसान कर दी गई है। आवास विभाग ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश के विकास प्राधिकरणों के काम काज में सुधार के लिए आवास मंत्री बंशीघर भगत की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आवास विभाग ने तीन अहम बदलाव लागू कर दिए हैं। इसमें विकास प्राधिकरणों में अब सब डिविजनल शुल्क एक समान एक प्रतिशत कर दिया गया है। पहले विकसित क्षेत्रों में यह शुल्क सर्किल रेट का एक प्रतिशत और अविकसित क्षेत्रों में पांच प्रतिशत लिया जा रहा था। इस तरह प्राधिकरण में नए शामिल क्षेत्रों में अब नक्शे की फीस घट जाएगी। इसी तरह विस्थापित क्षेत्रों में भवन बनाने पर मूल आवंटियों से भी विकास शुल्क नहीं लिया जाएगा। अलबत्ता मूल आवंटियों से जमीन खरीदकर कोई भवन बनाता है तो उन्हें विकास शुल्क देना होगा।
आवास विभाग ने महायोजना वाले क्षेत्रों में भू उपयोग में बदलाव की प्रक्रिया को भी आसान कर दिया है। अब चार हजार से दस हजार वर्ग मीटर तक के भूखंड का भू उपयोग बदलाव का अधिकार जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को दे दिया गया है। जबकि 10001 से पांच हजार वर्ग मीटर तक का अधिकार उडा और इससे बड़े भूखंड का भू उपयोग शासन स्तर से बदला जा सकेगा। इसी तरह पीएम आवास योजना के लिए भू उपयोग परिवर्तन स्थानीय विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में हो सकेगा।
वहीं, उद्योग विभाग के सिंगल विंडो से आने वाले आवेदनों पर मुख्यसचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी के अनुमोदन के बाद जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण निर्णय लेंगे। पहले भू उपयोग के लिए कैबिनेट तक जाना पड़ता था, जिसमें अत्यधिक समय लगता था। इसके साथ ही विभाग ने भवन उपनियमों में 25 प्रतिशत तक छूट का अधिकार स्थानीय जिला विकास प्राधिकरण को दे दिया है, इसके बाद 50 प्रतिशत तक छूट उड़ा दे सकेगा, जबकि इससे अधिक छूट प्रदान करने का अधिकार शासन के पास सुरक्षित रहेगा। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : नैनीताल जिले में स्वीकृत होंगे होम-स्टे के मानचित्र
-जिला विकास प्राधिकरण की 13वीं बोर्ड बैठक में लिए गए कई निर्णय, भीमताल महायोजना की होगी पुर्नव्याख्या, नैनीताल-भीमताल मास्टर प्लान बनेगा व्यवहारिक
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 12 जुलाई 2021। नैनीताल जनपद में होम स्टे योजना के अंतर्गत जिले की होम स्टे कमेटी द्वारा स्वीकृति व प्राधिकरण के मानकों के अनुरूप होम स्टे से संबंधित मानचित्रों को स्वीकृति प्रदान की जायेगी। साथ ही 20 वर्ष पूर्व बनी भीमताल महायोजना की मौजूदा परिप्रक्ष्य में विस्तृत पुर्नव्याख्या की जाएगी। सोमवार को हुई जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की 13वीं बोर्ड बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त अरविन्द सिंह ह्यांकी की अध्यक्षता में एलडीए सभागार में आयोहित हुई बैठक में 20 वर्ष पूर्व बनी भीमताल महायोजना के विभिन्न बिंदुओं की वर्तमान में व्यवहारिकता पर गहनता से समीक्षा की गयी तथा जन सामान्य को सुविधाऐं देने के लिए महायोजना में जोनिंग रेगुलेशन के विभिन्न बिन्दुओं पर परिवर्तन हेतु शासन में प्रस्ताव भेजने की सहमति दी गयी। बोर्ड द्वारा जनहित में भीमताल महायोजना के विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से व्याख्या करने का भी निर्णय लिया। इसके अलावा श्री ह्यांकी ने अमृत योजना के अंतर्गत तैयार किये जा रहे नैनीताल-भीमताल मास्टर प्लान की विस्तार से जानकारी लेते हुए मास्टर प्लान में गतिशीलता एवं लचीलापन लाने एवं इसे सैद्धान्तिक के बजाय व्यवहारिक बनाने के निर्देश दिए।
इस कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों को शामिल करते हुए संबंधित क्षेत्रों की भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्यालय स्थित जिला कलक्ट्रेट परिसर में बहुमंजिला पार्किंग निर्माण हेतु संक्रिय ठेकेदारों को आमंत्रित करने तथा प्रीबिड कॉन्ट्रेक्टर्स के साथ बैठक करने के निर्देश भी दिये। बैठक में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने जनपद में विभिन्न स्थानों के सौन्दर्यकरण, विकास एवं निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नरेंद्र भंडारी, मुख्य कोषाधिकारी अनीता आर्या, सचिव पंकज उपाध्याय व प्रत्यूष सिंह, संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक जैन तथा रिचा सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें : प्राधिकरण खत्म होने के बाद भी नैनीताल जिले का बड़ा क्षेत्र रहेगा विनियमित, प्राधिकरण में शामिल नगरों-गांवों की सूची जारी
-विनियमित क्षेत्र में लागू रहेंगे प्राधिकरण के नियम
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 मार्च 2021। प्रदेश के विकास प्राधिकरणांे को 2016 के पूर्व की स्थिति में लाने का शासनादेश जारी हो गया है। इसके क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पंकज उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2016 से पूर्व नैनीताल जिले में स्थित नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण नैनीताल एवं विनियमित क्षेत्रों को छोड़कर नये सम्मिलित क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया अग्रिम आदेशों तक स्थगित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि जनपद नैनीताल में वर्ष 2016 में विद्यमान रहे नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण नैनीताल, हल्द्वानी विनियमित क्षेत्र एवं रामनगर विनियमित क्षेत्र की सीमा में अग्रिम आदेशों तक मानचित्र स्वीकृति पूर्व की भांति की जायेगी। शेष क्षेत्र में कार्यवाही स्थगित रहेगी। उन्होंने बताया कि नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण नैनीताल में पूर्व की भांति नैनीताल के कैन्टोमेंट क्षेत्र, नौ, वायु एवं सेना तथा वन विभाग के किसी अधिकारी के प्रयोजनार्थ भूमि को छोड़ते हुए नैनीताल, भवाली, भीमताल के नगरीय क्षेत्र तथा इन नगरों एवं नौकुचियाताल, सातताल, खुर्पाताल एवं गागर से लेकर मुक्तेश्वर मार्ग तक मुख्य मोटर मार्ग के दोनों ओर 220 मीटर के अंतर्गत आने वाले सभी राजस्व ग्रामों की सीमा एवं सिलौटी पांडे, थपलियागांव, ढुंगसिल रावत, ढुंगसिल मल्ला, सांगुडीगांव, सोनगांव, कुरपागांव को सम्मिलित किया गया है। वहीं हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम सीमा के भीतर पड़ने वाले सभी क्षेत्रों के साथ ही तहसील हल्द्वानी के हीरागढ़ दलीप सिंह, व्यूरा खाम, व्यूरा बंदोबस्ती, दमुवाढुंगा बंदोबस्ती, दमुवाढुंगा खाम, बमौरी मल्ली, बमौरी तल्ली बन्दोबस्ती, बमौरी तल्ली खाम, बिठौरिया नं.1, हरीपुर गांगू, हरीपुर शील, बिठौरिया नं. 2, लोहरियासाल मल्ला, लोहरियासाल तल्ला, चीनुपर, हरिनगर, कुसुमखेड़ा, मुखानी, छड़ायल नायक, छड़ायल सुयाल, छड़ायल नयावाद, जयदेवपुर, हरिपुर नायक, देवचौड़ खाम, जीतपुर नेगी, मानपुर पश्चिम, मानपुर पूर्व, मानपुर उत्तर, हरिपुर सूखा, हल्द्वानी तल्ली, गौजाजाली उत्तर, गौजाजाली बिचली, भगवानपुर जयसिंह, हिम्मतपुर मल्ला, भगवानपुर विचला, भगवानपुर तल्ला, हिम्मतपुर तल्ला, कमलुवागांजा नरसिंह मल्ला, कमलुवागांजा नरसिंह तल्ला, प्रेमपुर लोश्ज्ञानी, जौलसाल उर्फ करायल, करायल चतुर सिंह, देवलचौड़ बन्दोबस्ती, बेड़ा पोखरा, धौडाखेड़ा, अर्जुनपुर, हरिपुर तुलाराम, हरिपुर पूर्णानंद, गौजाजाली दक्षिण, खेड़ा, नवाड़ खेड़ा, देवला तल्ला, देवला मल्ला, देवला तल्ला पजायां व कुॅवरपुर ग्रामसभा तथा विनियमित क्षेत्र रामनगर में नगर पालिका परिषद रामनगर क्षेत्र के साथ ही तहसील रामनगर के ग्राम गौजनी (काया नाई), चोरपानी, बेराजहार, लोटवा, गोरखपुर, करनपुर, धरमपुर ढ़ाकहोला, भवानीपुर, नयागांव चौहान, लक्ष्मीपुर वानिया, टॉडा मल्लू, नन्दपुर, चिलकिया, तेलीपुरा, चौनपुर, गोबरा, जासा गंज, मगलर, भगुवा बंगर, जोगीपुरा, पछारों, शंकरलाल बचुवापुर, शंकरलाल खजांची, शिवलालपुर पाडी, शिवलालपुर रिउरिया ग्रामों की सीमा के अन्तर्गत पड़ने वाले क्षेत्र विनियमित क्षेत्र में शामिल किए गए हैं।