‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.11 करोड़ यानी 21.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, उत्तराखंड के सबसे पुराने, जनवरी 2010 से स्थापित, डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपना विज्ञापन संदेश ह्वाट्सएप पर हमें भेजें 8077566792 पर। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन उपलब्ध कराएं। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर 'निःशुल्क' 'नवीन समाचार' उपलब्ध कराते रह सकें...

November 22, 2024

नैनीताल: हिंदू जागरण मंच के अभ्यास वर्ग में धर्मांतरण रोकने, महिला सुरक्षा व सम्मान तथा वक्फ पर आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर चर्चा

0

RSS.डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 5 जून 2022। हिंदू जागरण मंच उत्तराखंड का तीन दिवसीय प्रांत अभ्यास वर्ग पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती बिहार दुर्गापुर में प्रारंभ हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण बोरा, क्षेत्र संगठक हितेश बंसल ने दीप प्रज्वलन कर अभ्यास वर्ग का ऑपचारिक शुभारंभ किया।

RSSइस अवसर पर क्षेत्र संगठक हितेश बंसल ने कार्यकर्ताओं को समस्याओं के समाधान का लक्ष्य बनाकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। प्रांत अध्यक्ष कृष्ण सिंह बोरा ने धर्मांतरण रोकने, महिला सुरक्षा व महिला सम्मान के लिए समाज के जागरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नशाखोरी एवं पलायन जैसी उत्तराखंड की प्रमुख समस्याओं की भी जानकारी दी।

संचालन प्रांत प्रचार प्रमुख हरीश राणा ने किया। अभ्यास वर्ग में 29 अप्रैल को वक्फ पर आए सरकार के निर्णय पर चर्चा हुई। कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने केवल स्वेच्छा से दान की गई संपत्तियों को ही वक्फ माना है अभ्यास वर्ग में मेरठ के प्रांत प्रचार प्रमुख चंद्रपाल प्रजापति, भास्कर जोशी, राहुल कंसल, पान सिंह बिष्ट, सत्यवीर तोमर, जगदीश जोशी, हरीश सोनी, मंगला प्रसाद उनियाल, रेनू उपाध्याय, रेखा भट्ट, मनीष चौहान, सुभाष सैनी, हिंद प्रताप, विजेंद्र आदि हिंदू जागरण मंच उत्तराखंड प्रांत के सभी जिलों के जिलाध्यक्ष, जिला महामंत्री और अपेक्षित कार्यकर्ता उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : संघ प्रमुख भागवत ने ली प्रांतीय प्रचारकों की बैठक, 7 मुद्दों पर हुई चर्चा

RSS Chief Mohan Bhagwat will arrive to Haldwani Uttrakhand on friday for  three days event - RSS चीफ मोहन भागवत शुक्रवार को पहुंचेंगे हल्द्वानी, संघ  के तीन दिवसीय कार्यक्रम में होंगे ...नवीन समाचार, हल्द्वानी, 9 अक्टूबर 2021। आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत उत्तराखंड के हल्द्वानी में हैं। यहां लामाचौड़ स्थित आम्रपाली संस्थान में उन्होंने शनिवार को प्रांत स्तर के प्रचारकों के साथ बैठक की।

हालांकि इस बारे में मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई, फिर भी बैठक स्थल से प्राप्त जानकारी के अनुसार बैठक में आगामी वर्षों में संघ के कार्यों और गतिविधियों को लेकर चर्चा तथा पिछले वर्षों के कार्यक्रमों की समीक्षा की गई बैठक में धर्म जागरण, सामाजिक समरसता, नियमित शाखा, पर्यावरण व जल संरक्षण, परिवार प्रबोधन, सामाजिक सद्भाव और ग्राम्य विकास पर चर्चा हुई है। आगे रविवार को सुबह 9 बजे से संघ प्रमुख संघ परिवार के सदस्यों साथ बैठक करेंगे और 12 अक्टूबर को हल्द्वानी से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। (नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : आरएसएस स्वयं सेवकों को कोरोना से परिवार के मुखिया को खोने वाली बहनों से नम आंखों से बांधी राखी

RSS
नम आंखों के साथ आरएसएस स्वयं सेवकों को राखी बांधती महिला।

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 अगस्त 2021। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने जनपद के दूरस्थ बेतालघाट क्षेत्र में रक्षा बंधन पर अनूठी मिशाल पेश की। इस त्योहार पर खंड कार्यवाह दीप रिखाड़ी के साथ अन्य पदाधिकारी स्वयं सेवकों ने कोरोना काल में अपने पारिवारिक मुखिया को खो चुके परिवारों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया और घर की महिलाओं से राखी बंधवाकर उन्हें हरसंभव मदद देने का संकल्प लिया। इस दौरान घर के मुखिया को कोरोना में खोने वाली महिलाओं की आंखें नम नजर आईं।

साथ ही कोरोना काल में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस कर्मियो को भी रक्षा सूत्र बांधे गए। इस अवसर पर खंड सम्पर्क प्रमुख आनंद बधानी, प्रचार प्रमुख नवीन कश्मीरा, धर्म जागरण प्रमुख संजय कश्मीरा, भाजयुमो अध्यक्ष मनोज पडलिया, क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रवीन पडलिया व धीरज महरा, मंडल कार्यवाह हरेंद्र महरा, मिलन प्रमुख राकेश आर्य, किसान मोर्चा उपाध्यक्ष दिलीप बोहरा, ग्राम प्रधान भूवन महरा, हेम जोशी सहित अन्य स्वयं सेवक शामिल रहे । आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : आरएसएस के कार्यक्रम में संघ के सुर से सुर मिलाते हुए ही बोले प्रणब मुखर्जी-भारतीयता हमारी अटूट पहचान

संघ संस्थापक हेडगेवार को बताया भारत माता का महान सपूत, देश-राष्ट्रीयता व देश भक्ति  से शुरू की बात 

देश के पूर्व राष्ट्रपति डा. प्रणब मुखर्जी ने बृहस्पतिवार को पूरे देश की नजर लगे अपने आरएसएस कार्यालय में दिए गए बहुप्रतीक्षित संबोधन में कहा कि भारत की शक्ति उसकी ‘विभिन्नता में एकता’ की विशिष्टता में है। 5000 वर्ष के इतिहास वाले देश भारत पर पिछले ढाई हजार वर्षों में मुगलों-अंग्रेजों की ओर से अनेक हमले हुए, लेकिन उसकी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की सांस्कृतिक पहचान नहीं बदली। उल्लेखनीय है कि डा. मुखर्जी के पढ़कर बोले गए संबोधन में यह कमोबेश वही बातें थीं, जो उनसे पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत भी अपने संबोधन में कह चुके थे। इस तरह एक तरह से पूर्व राष्ट्रपति ने यहां संघ के सुर में सुर मिलाए। अलबत्ता, साथ ही यह ताकीद भी की राष्ट्रवाद को आक्रामक नहीं होना चाहिए। इससे देश कमजोर होता है।

इससे पूर्व पूर्व राष्ट्रपति डा. प्रणब मुखर्जी गुरुवार 7 जून को को अपनी पार्टी-कांग्रेस के अनेक नेताओं और यहाँ तक कि अपनी पुत्री शर्मिष्ठा के विरोध को नज़रअंदाज कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने नागपुर पहुंचे। हेडगेवार भवन पहुंचने पर संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में संघ का झंडा फहराया गया। प्रणब ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार के जन्मस्थल पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, और हेडगेवार की तारीफ करते हुए विजिटर बुक में लिखा कि ‘वह भारत माता के महान सपूत थे’। इस दौरान उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।

इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि संघ केवल हिंदुओं का संगठन नहीं है, वरन देश के संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। कोई भी भारतवासी संघ के लिये पराया नहीं है। तमात मतांतरों-विवादों के बावजूद ‘विविधता में एकता’ भारत की विशिष्टता रही है। भारत की धरती पर जन्मा हर व्यक्ति भारत पुत्र है। हम सबका लक्ष्य अपनी विविधताओं के बावजूद एक साथ मिलकर देश को विश्वगुरु बनाने का है। उन्होंने बताया कि 1925 में डा. हेडगेवार ने केवल 17 लोगों के साथ अपने घर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की थी। कहा कि ‘भारत माता-सबकी माता’ है। सबके पूर्वक 40 हजार वर्षों से एक हैं। डीएनए विश्लेषण भी यह कहते हैं। अपने संकुचित विचार त्याग कर हम अपनी विविधताओं के साथ आगे बढ़ें। संगठित समाज ही भाग्य परिवर्तन की पूंजी है। समाज में हर कोई सोच कर नहीं चलता है। समाज वातावरण के अनुसार महापुरुषों के बताये रास्ते पर चलता है। वातावरण बनाने वाले लोग चाहिए, ऐसे विचारवान महापुरुषों की कमी भी नहीं है। सोचने-विचारने वाले लोगों की मत-भिन्नता लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा नहीं बनती है। कहा कि प्रणब जी जो भी पाथेय यहाँ प्रदान करेंगे, संघ उसे ग्रहण करेगा। सारा समाज संघ के कार्यों को परखे और यदि अच्छा लगे तो सब साथ चलें।

वहीं डा. मुखर्जी ने इस अवसर पर अपने बहुप्रतीक्षित, देश भर की निगाहें लगे भाषण में कहा, ‘मैं यहां आपके बीच अपनी आपके प्रति अपनी सोच को बताने, भारत की बात करने के लिए यहां आया हूं। यहां देश, राष्ट्रीयता व देश भक्ति यह तीन शब्द महत्वपूर्ण हैं। अपने देश के प्रति निष्ठा राष्ट्रभक्ति है। भारत का महान इतिहास है। फाह्यान, मेगास्थनीज व ह्वेनसांग आदि विदेशी नागरिक उस दौर में इसका अध्ययन करने यहां आये थे।’

भारत का राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना में निहित रहा है। भारत के दरवाजे पहले से खुले हैं। उन्होंने संघ प्रमुख को ही दोहराते हुए कहा, ‘विविधता हमारी शक्ति है। भारत में एकता की जड़ें बहुत गहरी हैं।’ साथ ही कहा ‘असहिष्णुता से हमारी शक्ति, राष्ट्रीय पहचान धूमिल होती है। अगर हम भेदभाव और नफरत करेंगे तो इससे हमारी पहचान पर संकट उत्पन्न होगा।’ उन्होंने महान सम्राट अशोक से लेकर गुप्त साम्राज्य व आगे भारतीय राज्यों के विघटन, फिर मुगलों और आगे अंग्रेजों के आगमन का जिक्र करते हुए कहा कि 2500 वर्षों में राजनीतिक बदलावों के बावजूद 5000 साल पुरानी हमारी पहचान अटूट रही है। देश की संस्कृति मुगलों व अंग्रेजों के तमाम हमलों के बावजूद कायम रही।

आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू और आजादी के बाद का जिक्र करते हुए उन्होंने सर्वप्रथम सरदार पटेल के देश के एकीकरण के लिए दिये गये योगदान के लिए याद किया। कहा नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जो लिखा वही राष्ट्रवाद है। अपने 50 वर्षों की राजनीतिक जीवन के अनुभवों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति विविधता में एकता से ही है। वह रोमांचित होते हैं कि कैसे मिजोरम से द्वारिका, हिमालय से लेकर समुद्र तक कैसे 122 भाषाएं और 1600 बोलियां बोलने वाले 3 बिलियन लोग कैसे एक व्यवस्था एक झंडे व एक संविधान के अंदर रहते हैं।

उन्होंने गांधी जी को उद्धृत करते हुए यह भी ताकीद की कि राष्ट्रवाद आक्रामक व विध्वंसक नहीं होना चाहिए। सबको शांति, सद्भावना और खुशी के लिए कार्य करना चाहिए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page