5 वर्षीय बच्चे को पड़ोसी युवक ने कुकर्म कर जान से मार दिया था, मिली थी फांसी की सजा, हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदला…
नवीन समाचार, नैनीताल, 21 मई 2024 (Court change Death Sentence in Life Imprisonment)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने रुद्रपुर में पांच वर्षीय दिव्यांग बच्चे के साथ कुकर्म कर उसकी निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त को फांसी की सजा में राहत दे दी है और सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है, अलबत्ता अभियुक्त के माता व पिता की सजा को बरकरार रखा है।
मामले के अनुसार 21 फरवरी 2019 को वार्ड नंबर 4 आजाद नगर निवासी एक व्यक्ति ने ट्रांजिट कैंप थाने में प्राथमिकी देकर कहा था कि उसका पांच वर्षीय दिव्यांग बच्चा घर की छत पर खेलते हुये गायब हो गया था। इस पर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गयी। पुलिस की जांच में पता चला कि उनका पड़ोसी बच्चे की खोजबीन में सहयोग नहीं कर रहे थे और उनसे नजरें चुरा रहे थे।
पड़ोसी के घर में बोरे में बरामद हुई थी बच्चे की लाश (Court change Death Sentence in Life Imprisonment)
रात को पड़ोसी उनकी छत पर पानी के टैंक का ढक्कन खोलने का प्रयास कर रहा था, जिसे पकड़ने का प्रयास भी किया गया, लेकिन वह धक्का देकर भाग गया। इसके बाद उस पर शक गहरा गया और बच्चे के परिजनों ने हत्या की आशंका जताई। पुलिस ने 21 फरवरी 2019 को पड़ोसी के यहां पड़ताल की तो घर में एक बोरे में बच्चे की लाश बरामद हुई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। रिपोर्ट में बच्चे के गुप्तांग सहित शरीर पर चोटें बताई गई और गला घोंटकर हत्या करने की पुष्टि हुई।
इस पर पुलिस ने मौके से एक युवक व उसके माता-पिता को गिरफ्तार किया और उन्हें पॉक्सो अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की धाराओं में अभियोग दर्ज कर जेल भेजा। न्यायालय में सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विकास गुप्ता ने 11 गवाह पेश कर बच्चे के साथ कुकर्म व हत्या करने का आरोप सिद्ध किया। इस पर पॉक्सो न्यायाधीश विजय लक्ष्मी विहान ने अपना निर्णय सुनाते बच्चे के साथ कुकर्म कर निर्मम हत्या करने के अपराध में आरोपित युवक को फांसी की सजा और साक्ष्य छुपाने पर उसके पिता को 4 साल के और मां को 3 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। (Court change Death Sentence in Life Imprisonment)
पॉक्सो न्यायालय के इस आदेश को सजा प्राप्त अभियुक्तों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने अभियुक्त को पॉक्सो कोर्ट रुद्रपुर द्वारा दी गयी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। (Court change Death Sentence in Life Imprisonment)
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