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March 31, 2025

पुरुष उत्पीड़न : बढ़ रहे मामले, पर न कोई रिकॉर्ड, न कोई सुनने वाला…

Purush Utpidan Man Youth Yuvak Harrasment

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 जनवरी 2025 (Male Harassment-Cases Increasing-none to listen) बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष के मामले के चर्चा में आने के बाद देश में पुरुष उत्पीड़न का विषय चर्चा में है। उत्तराखंड में हालांकि पुरुष उत्पीड़न की शिकायतों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड पुलिस विभाग के पास नहीं है। । लेकिन इस विषय पर बढ़ती जागरूकता और कुछ घटनाओं ने इस मुद्दे पर बहस को जन्म दिया है। कुमाऊं मंडल में महिलाओं द्वारा दर्ज की गई 3,078 शिकायतों के बीच यह सामने आया है कि कई मामलों में पुरुषों को भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

कानूनों का दुरुपयोग और पुरुषों की पीड़ा

Sarkari Karmi, (Male Harassment-Cases Increasing-none to listen)आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2024 तक कुमाऊं मंडल के छह जिलों में महिला हेल्पलाइन डेस्क पर महिलाओं द्वारा 3,078 शिकायतें दर्ज की गईं। नैनीताल जिले में सबसे अधिक 1,411 शिकायतें आईं, जबकि बागेश्वर जिले में केवल 64 शिकायतें दर्ज हुईं। इन शिकायतों में अधिकतर में पति और ससुराल पक्ष पर महिलाओं का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया। लेकिन कई बार जांच में यह पाया गया कि पति भी उत्पीड़न का शिकार थे।

पुरुष आयोग और पुरुष मंत्रालय की उठने लगी मांग 

विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के लिए बनाए गए कड़े कानूनों का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। कई बार महिलाएं इन कानूनों का हथियार बनाकर पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोप लगाती हैं। इसके बावजूद झूठे आरोप साबित होने पर महिलाओं को कोई बड़ी सजा नहीं मिलती, जबकि निर्दोष पुरुषों को मानसिक और कानूनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में कई लोग यह मांग कर रहे हैं कि महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग और पुरुष मंत्रालय बनाए जाएं ताकि पीड़ित पुरुषों को भी अपनी व्यथा सुनाने का उचित मंच मिल सके।

महिला हेल्पलाइन डेस्क के आंकड़े

महिला हेल्पलाइन डेस्क में दर्ज शिकायतों की स्थिति इस प्रकार है:

जिला शिकायतें निस्तारण शेष
नैनीताल 1,411 1,393 18
ऊधम सिंह नगर 1,014 972 42
अल्मोड़ा 219 219 0
पिथौरागढ़ 215 215 0
चंपावत 155 155 0
बागेश्वर 64 64 0

घरेलू विवादों के बढ़ते मामले

महिला हेल्पलाइन की प्रभारी सुनीता कुंवर का कहना है कि पति-पत्नी के बीच मोबाइल, विश्वास की कमी, विवाहेत्तर संबंध, और सहनशीलता की कमी जैसे मुद्दे घरेलू विवादों की जड़ हैं।

महिला हेल्पलाइन’ और ‘महिला ऐच्छिक ब्यूरो’ की जगह ‘परिवार समाधान केंद्र’ की आवश्यकता

वहीं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत के अनुसार पुरुषों की शिकायतें अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। महिला केंद्रित नामों जैसे ‘महिला हेल्पलाइन’ और ‘महिला ऐच्छिक ब्यूरो’ के कारण पुरुष खुलकर अपनी समस्या नहीं बता पाते। उनका मानना है कि इन केंद्रों का नाम ‘परिवार समाधान केंद्र’ रखा जाना चाहिए, जिससे दोनों पक्ष अपनी बात खुलकर रख सकें।

सुझाव और आगे की राह

  • पुरुषों के लिए विशेष हेल्पलाइन और आयोग का गठन किया जाए।
  • समाज में समानता के लिए पुरुषों के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई जाए।
  • घरेलू विवादों के समाधान के लिए तटस्थ और समावेशी नीति बनाई जाए।
  • झूठे आरोप लगाने के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान हो।

निष्कर्ष (Male Harassment-Cases Increasing-none to listen)

समाज में महिलाओं के लिए बनाए गए सशक्त कानूनों ने जहां उनके अधिकारों की रक्षा की है, वहीं पुरुषों के उत्पीड़न का मुद्दा अब भी गंभीर अनदेखी का शिकार है। इस मुद्दे पर समग्र दृष्टिकोण और संवेदनशीलता के साथ काम करने की आवश्यकता है ताकि सभी को न्याय मिल सके। (Male Harassment-Cases Increasing-none to listen)

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