डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 14 मार्च 2022। हिन्दू नव वर्ष यानी चैत्र महीने की 01 पैट (गते) को उत्तराखंड के कुमाऊं में मेष संक्रांति, फूल संक्रांति और फूल देई के नाम से मनाया जाता है। इस वर्ष बसन्त ऋतु के स्वागत का यह त्यौहार 14 मार्च 2022 को समूचे उत्तराखंड में बड़ी […]
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साफ-सफाई का सन्देश देता ‘खतडु़वा’ आया, सर्दियां लाया
-विज्ञान व आधुनिक बौद्धिकता की कसौटी पर भी खरा उतरता है यह लोक पर्व, साफ-सफाई, पशुओं व परिवेश को बरसात के जल जनित रोगों के संक्रमण से मुक्त करने का भी देता है संदेश डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 17 सितंबर 2021। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों, खासकर कुमाऊं अंचल में चौमांस-चार्तुमास यानी बरसात के […]
गौरा-महेश को बेटी-जवांई के रूप में विवाह-बंधन में बांधने का पर्व: सातूं-आठूं (गंवरा या गमरा)
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 अगस्त 2021। प्रकृति में रची-बसी देवभूमि के अधिकांश लोकपर्व-त्योहार प्रकृति के साथ देवी-देवताओं के साथ आध्यात्मिक तौर पर अत्यधिक गहरे जुड़े हुए हैं। सातूं-आठूं, गंवरा या गमरा लोक पर्व को देखिये। इस पर्व पर यहां की पर्वत पुत्रियां महादेवी गौरा से बेटी का और देवों के देव […]
कुमाऊं में परंपरागत तौर पर ‘जन्यो-पुन्यू’ के रूप में मनाया जाता है रक्षाबंधन
डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल। वैश्वीकरण के दौर में लोक पर्व भी अपना मूल स्वरूप खोकर अपने से अन्य बड़े त्योहार में स्वयं को विलीन करते जा रहे हैं। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों का सबसे पवित्र त्यौहार माना जाने वाला ‘जन्यो पुन्यू’ यानी जनेऊ पूर्णिमा और देवीधूरा सहित कुछ स्थानों पर […]
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का लोकपर्व घी-त्यार, घृत संक्रांति, ओलगिया…
प्रकृति एवं पर्यावरण से प्रेम व उसके संरक्षण के साथ ही अभावों में भी हर मौके को उत्साहपूर्वक त्योहारों के साथ ऋतु व कृर्षि पर्वों के साथ मनाना देवभूमि उत्तराखंड की हमेशा से पहचान रही है। यही त्योहारधर्मिता उत्तराखंड के कमोबेश सही लोक पर्वों में दृष्टिगोचर होती है। यहां प्रचलित हिंदू विक्रमी संवत की हर […]
नवीन समाचार एक्सक्लूसिव: कालीचौड़ मंदिर के पास मिले प्राचीन शिलालेख
नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अगस्त 2019। जनपद के गौलापार खेड़ा स्थित कालीचौड़ मंदिर में प्राचीन शिलालेख मिलने का खुलासा हुआ है। क्षेत्रवासी साहित्यकार दामोदर जोशी ‘देवांशु’ ने बताया कि कालीचौड़ मंदिर के पैदल मार्ग पर मंदिर से करीब 50 मीटर पहले मार्ग किनारे के एक पत्थर पर शिलालेख देखे गये हैं, जबकि क्षेत्र में […]