December 23, 2025

💻 100 करोड़ रुपये के झांसे में अधिकारी से 7.40 करोड़ की साइबर ठगी

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(Retired Ranikhet Teacher Cyber-Cheated Rs 43Lakh) (Cyber ​​Fraud-Duped Kumaon University Employee) Cyber Frauds Cheated Retired Officer-Young Woman (3 Cheaters Cheated a Businessman of Rs 2 Crore)
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नवीन समाचार, देहरादून, 25 अगस्त 2025 (Cyber ​​Fraud of Rs 7-40 Crore from an Officer)। देहरादून जनपद में एक अधिकारी से साइबर ठगों के द्वारा शेयर बाज़ार में निवेश से 100 करोड़ रुपये कमाने का झांसा देकर सात करोड़ 40 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। इस मामले में पीड़ित ने न केवल अपनी पूरी जमा पूंजी गंवाई, बल्कि बैंक से ऋण और रिश्तेदारों व मित्रों से उधार लेकर भी धन ठगों के खातों में जमा करा दिया। साइबर अपराध की यह घटना उत्तराखंड की अब तक की सबसे बड़ी ठगी मानी जा रही है। मामले में साइबर थाना देहरादून में अभियोग दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।

(Cyber ​​Fraud of Rs 7-40 Crore from an Officer) (Attempt of Cyber Fraud in Name Operation Sindoor) (Cyber ​​Fraud with Female IFS officer 98Thousand) (Big Cyber Fraud of Crores in Name of Taj Group)पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अजबपुर खुर्द नेहरू कॉलोनी निवासी 57 वर्षीय संजीव कुमार आर्या वर्तमान में एनजीसी अगरतला (त्रिपुरा) में महाप्रबंधक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने साइबर थाना देहरादून में तहरीर दी कि 15 जून को उन्हें एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप लिंक प्राप्त हुआ। लिंक पर क्लिक करते ही वे एम-02 वेल्थ सीक्रेट्स एक्सचेंज नामक व्हाट्सएप समूह में जुड़ गये। इस समूह की संचालक मंडली में मुकेश कुमार शर्मा और ज्योति गौतम नामक महिला शामिल थी।

इस प्रकार फंसे ठगों के जाल में

समूह में रोज़ाना शेयर बाज़ार से जुड़े निःशुल्क सुझाव साझा किये जाते थे और दावा किया जाता था कि निवेश कर अच्छी कमाई संभव है। 25 जुलाई को समूह में एक एप का लिंक भेजा गया। संजीव कुमार ने एप डाउनलोड कर आधार कार्ड से पंजीकरण किया। इसके बाद उन्हें दूसरे समूह से जोड़ दिया गया, जहां उन्हें लगातार निवेश के लिए प्रेरित किया जाने लगा।

ठगों ने उन्हें कुछ बैंक खातों के नंबर भेजे और धनराशि जमा करने को कहा। 22 जुलाई से 20 अगस्त तक उन्होंने 15 अलग-अलग खातों में कुल 7 करोड़ 39 लाख 50 हजार रुपये जमा कर दिये। एप में उनके खाते में 100 करोड़ रुपये का अवशेष दर्शाया जाने लगा, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि वे भारी लाभ कमा चुके हैं।

बैंक ऋण और परिजनों से उधार लेकर आई पैतृक संपत्ति तक बेचने की नौबत 

प्रारंभ में संजीव कुमार ने लगभग ढाई करोड़ रुपये निवेश किये। इसके बाद और अधिक लाभ कमाने की आशा में उन्होंने बैंक से ऋण लिया तथा रिश्तेदारों और मित्रों से भी उधार लिया। अब स्थिति यह हो गई है कि उन्हें जीवन भर की कमाई गंवाने के बाद परिजनों से लिया गया कर्ज लौटाने के लिये पैतृक संपत्ति तक बेचनी पड़ सकती है।

ऐसे हुआ ठगी का अहसास (Cyber ​​Fraud of Rs 7-40 Crore from an Officer)

21 अगस्त को संजीव कुमार ने कंपनी से पांच करोड़ रुपये निकालने का आवेदन किया। अगले दिन उन्हें बताया गया कि पहले तीन करोड़ रुपये कर (टैक्स) के रूप में जमा कराने होंगे। उन्होंने आग्रह किया कि निर्धारित कर काटकर शेष राशि जारी कर दी जाये, लेकिन कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय दलाल संस्था (इंटरनेशनल ब्रोकर फर्म) होने का हवाला देते हुए कर अलग से जमा कराने की शर्त रखी। इस पर संजीव कुमार को अहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करायी। 

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