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March 19, 2024

नैनीताल (Politics): श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बधाई संदेश दे रहे बदल रही राजनीति का संकेत…

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Politics

नवीन समाचार, नैनीताल, 23 जनवरी 2024। अयोध्या में भगवान श्रीराम के नये मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पांच शताब्दियों के बाद लौटने के साथ देश-प्रदेश के साथ नगरों तक की भावी राजनीति (Politics) के बदलने के संकेत मिल रहे हैं।

नैनीताल नगर की बात करें तो नगर भगवान श्रीराम के चित्रों के साथ सामाजिक क्षेत्र से जुड़े अनेकों लोगों के शुभकामना संदेशों युक्त होर्डिंगों से पटा हुआ है। इन होर्डिंगों में एक बात जो खास तौर पर उल्लेखनीय है, वह यह कि एक ओर जहां सीधे तौर पर कांग्रेस सहित दूसरे दलों से जुड़े लोग इस मौके पर बधाई संदेश देने से बचते नजर आये हैं।

लेकिन विपक्ष के दलों एवं दूसरे धर्मों से जुड़े लोग भी होर्डिंगों के माध्यम से नगर वासियों को इस दिन की बधाई देते नजर आ रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि गैर भाजपाई नेताओं के शुभकामना संदेशों में भी स्थानीय विधायक एवं सांसद के चित्र ऊपर से लगाये गये हैं।

इसे बदलती राजनीति का एक इशारा-संकेत भी माना जा रहा है। इनमें कई ऐसे लोग भी हैं जो आगे नगर पालिका के चुनाव लड़ने के इच्छुक भी बताये जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह भी मान रहे हैं कि आगे की उनकी राजनीति (Politics) में भगवान राम के प्रति उनकी आस्था का प्रदर्शन बड़ी भूमिका निभा सकता है, इसलिये वह भी राम की शरण में आ रहे हैं।

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यह भी पढ़ें : उत्तराखंड: ‘कुम्भ के मेले की तरह’ 2 गांधी भाई मिले और राजनीतिक (Politics) चर्चायें शुरू हो गयीं….

नवीन समाचार, केदारनाथ, 7 नवंबर 2023 (Politics)। उत्तराखंड के केदारनाथ में मंगलवार को दो गांधी भाई राहुल और वरुण गांधी की कुम्भ के मेले की तरह लंबे समय के बाद मुलाकात हुई है, और इस पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गयी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केदारनाथ में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के वेटिंग रूम में देश के राहुल और वरुण गांधी की अचानक भेंट हुई। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे की कुशलक्षेम पूछी।

Politics केदारनाथ में मिले राहुल और वरुण गांधी, बीकेटीसी के वेटिंग रूम में हुई दोनों की मुलाकात; सालों बाद मिले भाईउल्लेखनीय है कि राहुल गांधी रविवार को केदारनाथ दर्शन को पहुंचे थे, जबकि वरुण गांधी मंगलवार को यहां अपनी पत्नी और बेटी के साथ आए। राहुल आज सुबह लगभग नौ बजे केदारनाथ से रवाना होने को हेलीपैड की ओर बढ़ रहे थे। तभी उनकी नजर बीकेटीसी के वेटिंग रूम के बाहर खड़े वरुण गांधी पर पड़ी। इस पर राहुल वरुण के पास पहुंचे और उनसे मुलाकात की।

बताया गया है कि हालांकि इन दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात चंद सेकेंड की ही रही। और इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने किसी को फोटो खींचने नहीं दिया। लेकिन चूंकि इन दोनों भाइयों की सार्वजनिक जगहों पर मुलाकात बेहद कम मौकों पर होती है। ऐसे में यह चर्चा में आ गयी।

हालांकि इस मुलाकात को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही नेता कुछ भी कहने से बचते दिखे। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजेय ने बताया कि समिति की तरफ से दोनों को बाबा केदार का प्रसाद भेंट किया गया।

वहीं, यह भी उल्लेखनीय है कि बीते लंबे समय से वरुण गांधी और उनकी माता मेनका गांधी अपने पार्टी लाइन से हटकर आने वाले बयानों के कारण अपनी पार्टी भाजपा से नाराज बताये जाते हैं, अलबत्ता अभी हाल में मोदी सरकार द्वारा महिला आरक्षण का विधेयक पेश किये जाने के मौके पर मेनका गांधी पूरी दमदारी के साथ मोदी सरकार के फैसले के साथ दिखाई-सुनाई दीं। ऐसे में राहुल व वरुण की मुलाकातों पर चर्चायें होना व कयास लगाया जाना सामान्य बात है।

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यह भी पढ़ें : Politics : ‘मैं किसी दौड़ में नहीं हूं’ अपने इस बयान में नेता प्रतिपक्ष ने ‘लेकिन’ जोड़कर दे दी राजनीतिक चर्चाओं को हवा…

-बताया, नैनीताल-ऊधमसिंह लोक सभा की खटीमा, मुक्तेश्वर, बाजपुर विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करने के साथ पूरी लोकसभा में उनका राजनीतिक (Politics) अनुभव रहा है
नवीन समाचार, हल्द्वानी, 28 अक्टूबर 2023 (Politics)। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के एक बयान से उत्तराखंड की नैनीताल-ऊधमसिंह लोक सभा में आने वाले समय में राजनीतिक (Politics) चर्चायें तेज होनी तय हैं।

Yashpal Arya : सात बार विधायक रहे आर्य की बड़े दलित नेता के रूप में है  पहचान, विस चुनाव से ठीक पहले की थी कांग्रेस में वापसी - Yashpal Arya became  MLAअब तक खुद को आगामी लोक सभा चुनाव लड़ने के प्रश्न पर दौड़ में न होने की बात कर रहे आर्य ने अब अपने इसी बयान में एक ‘लेकिन’ जोड़ दिया है। इससे आने वाले समय में नैनीताल-ऊधमसिंह लोक सभा चुनाव में खासकर कांग्रेस पार्टी के अन्य संभावित प्रत्याशियों को असहज होना पड़ सकता है।

श्री आर्य ने एक बयान में आगामी लोक सभा चुनाव के दृष्टिगत ‘मैं इस दौड़ में नहीं हूं..’ से ही बात शुरू करते हुये कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी व पार्टी नेतृत्व का सम्मान किया है। उन्होंने पूर्व से कहा है कि वह इस दौड़ में नहीं हैं।

‘लेकिन’ यदि पार्टी नेतृत्व का निर्देश होगा तो नैनीताल-ऊधमसिंह लोक सभा क्षेत्र से एक कार्यकर्ता के रूप में, पार्टी नेतृत्व के निर्देशों का पालन करेंगे। नैनीताल एवं ऊधमसिंह जनपद के कई साथियों-कार्यकर्ताओं ने उन्हें नैनीताल-ऊधमसिंह लोक सभा से चुनाव लड़ने को कहा है।

उन्होंने कहा कि उन्हें टनकपुर, खटीमा, सितारगंज, चोरगलिया, गौलापार, ओखलकांडा, धारी, रामगढ़ से उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया है। राज्य निर्माण के बाद नैनीताल-मुक्तेश्वर विधानसभा का भी उन्होंने प्रतिनिधित्व किया है, और वर्तमान में बाजपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने पुनः उन्हें विधानसभा में भेजा हैं। लिहाजा उनका लंबा राजनीतिक (Politics) जीवन इस पूरी लोक सभा में रहा है। लिहाजा नेतृत्व के (चुनाव लड़ने के) आदेश को शिरोधार्य करेंगे।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल लोक सभा से पिछली बार हरीश रावत कांग्रेस के प्रत्याशी रहे थे। इससे पहले केसी सिंह बाबा इस सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, जबकि वर्तमान में प्रदेश की पांचों सीटों की तरह यह सीट भी भाजपा के कब्जे में है और केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट इस सीट से सांसद हैं।

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यह भी पढ़ें : Politics : प्रधानमंत्री मोदी के कुमाऊं मंडल दौरे पर कांग्रेस के तीन नेताओं के आये बयान, तीनों के अलग-अलग सुर, ऐसे करेंगे 2024 में मुकाबला ?

नवीन समाचार, नैनीताल, 11 अक्टूबर 2023। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार गैर राजनीतिक (Politics) मौके पर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल आये और मंडल के 6 जिलों के लिये 4200 करोड़ की बड़ी धनराशि की परियोजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण किये। इसकी जहां प्रशंसा भी हो रही है, वहीं स्वस्थ राजनीति (Politics) के तहत आलोचना भी की जा सकती है।

उत्तराखंड के नए कप्‍तान और नेता प्रत‍िपक्ष समेत तीनों पद कुमाऊं को, प्रीतम  सिंह को बड़ा झटका - Karan Mahara appointed as uttarakhand congress  president yashpal arya become leader ...लेकिन राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महरा इस मुद्दे पर जहां राजनीति (Politics) ही करते नजर आये हैं, वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का बयान स्वस्थ राजनीतिक (Politics) आलोचना की श्रेणी में नजर आ रहा है।

करन महरा ने पीएम मोदी की ओर से पिथौरागढ़ को 4200 करोड़ रुपए की सौगात को ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ बताने के साथ ही यह तक कह दिया कि यह ‘सौगात’ या ‘खैरात’ नहीं है, बल्कि उत्तराखंड का अधिकार है। क्योंकि, उत्तराखंड में आपदा समेत कई तरह से नुकसान हुआ है। महरा ने यह भी कहा है कि पीएम मोदी को मणिपुर और सिक्किम की सुध लेनी चाहिए, लेकिन वे कहीं और का दौरा कर रहे हैं।

यानी शायद महरा केवल इतना नहीं कह पाये हैं कि मोदी को उत्तराखंड नहीं आना चाहिये। और वह इस प्रश्न का शायद ही जवाब दें कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती केंद्र सरकारें उत्तराखंड का 4200 करोड़ से कितना बड़ा अधिकार दे चुकी हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराखंड आगमन को मणीपुर व सिक्किम से जोड़ना भी समझ से परे है।

इससे बेहतर तो यह होता कि करन माहरा इस पर सवाल उठाते कि मोदी पिछले 9 वर्षों में क्यों नहीं कुमाऊं मंडल के गैर राजनीतिक (Politics) दौरे पर आये। यदि वह अधिक बार आते तो शायद उत्तराखंड व कुमाऊं मंडल का अधिक भला होता। महरा शायद इस प्रश्न का जवाब भी न दे पायें कि राहुल गांधी क्यों पीएम मोदी से भी कम उत्तराखंड आते हैं। राहुल गांधी जब पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे, तब भी वे उत्तराखंड नहीं आए।

वहीं, महरा से इतर प्रदेश के उप नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी का कहना है अब से पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई दौर हुए हैं। उनमें की गई तमाम बातें जुमला ही साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड में स्वागत करते हैं, लेकिन कुछ देकर भी जाएं। वहीं राहुल गांधी के जल्द ही उत्तराखंड आगमन पर कापड़ी ने कहा राहुल वीआईपी की तरह नहीं, आम लोगों की तरह उत्तराखंड आएंगे।

जबकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का आदि कैलाश, गौरीकुंड, बागेश्वर और पिथौरागढ़ का भ्रमण-दर्शन कार्यक्रम विशुद्ध रूप से राजनीतिक (Politics) दौरा सिद्ध हुआ है। इस दौरे से उत्तराखंड को कुछ हासिल नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि कुमाऊँ के लोगों को प्रधानमंत्री जी अपने पद और कद के अनुसार पूर्व में स्वीकृत टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग सहित सामरिक-राष्ट्रीय और राज्य के महत्व की कुछ बड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखते लेकिन कुमाऊं के लोगों को इस मामले में निराशा हाथ लगी है।

श्री आर्य ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री जी ने केदारनाथ और बदरीनाथ के बाद अब मानस खंड के नाम पर कुमाऊं ही नहीं देश के लोगों की भावनाओं से खेलना शुरु कर दिया है। जबकि पिछले 7 सालों से मोदी जी 6 बार केदारनाथ व 2 बार बदरीनाथ आने के बाद भी मोदी जी, केन्द्र और राज्य सरकार अभी तक बदरी-केदार की समस्याओं का हल नहीं निकाल पाए है तो मानस खंड के लिए दिखाए जाने वाले सपने न जाने कब पूरे होगें।

आज तक भी केदारनाथ में बाबा केदारनाथ की भोग मण्डी नहीं बन पायी है। अभी भी बाबा केदारनाथ के मुख्य पुजारी, वेदपाठी और कर्मचारी बिना आवासों के रह रहे हैं। केदारनाथ के तीर्थपुरोहित सरकार से अपने भूमिधरी अधिकारों और केदारनाथ के सोने के घोटाले की जांच के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

भू-बैकुठंधाम बदरीनाथ के कायाकल्प के नाम पर भी बदरीनाथ में एक नई बरबादी को आमंत्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी को केदारनाथ के सोने के पीतल बनने की जांच के संबध में भी वस्तुस्थिति साफ करनी चाहिए थी क्योंकि इस विवाद से उत्तराखण्ड की पूरी दुनिया में बड़ी बदनामी हो रही है।

इस प्रकार कांग्रेस के तीन बड़े व पदेन नेताओं के बयानों से यह भी लगता है तीनों नेताओं या कहें कि पार्टी में कोई आपसी समन्वय नहीं हैं। तीनों के बयान अलग-अलग दिशाओं में जाते प्रतीत हो रहे हैं। आपस में कोई रणनीति बनाकर प्रधानमंत्री के उत्तराखंड दौरे का एकमत से विरोध नहीं किया गया है, बल्कि लगता कि विपक्षी दल अपनी विरोध के लिये विरोध करने की नीति पर ही अटका हुआ है।

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यह भी पढ़ें :Politics : इस सप्ताह उत्तराखंड आ रहे हैं मोदी, शाह और योगी, कर सकते हैं विपक्षी गठबंधन के ‘मंडल-2’ के नये दांव के खिलाफ देश की नई राजनीति (Politics) ‘कमंडल-2’ का शंखनाद….

नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अक्टूबर 2023 (Politics)। विपक्ष आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन बनाने और बिहार में जातिगत सर्वेक्षण कराने के बाद देश में जातिगत राजनीति (Politics) के दूसरे संस्करण ‘मंडल-2’ के जरिये आगामी लोकसभा चुनाव जीतने का ख्वाब पाले है। भाजपा इसका जवाब 1991 के दौर की तरह जातिगत राजनीति (Politics) का जवाब हिंदुओं को संगठित कर ‘कमंडल-2’ से देना चाहती है।

(Politics) Big News : PM मोदी, अमित शाह समेत यूपी के सीएम योगी ने दी उत्तराखंड के CM  पुष्कर धामी को बधाई - Khabar Uttarakhand Newsदेश में अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिये नये तीर-तेवर तरेरे जा रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा अगले एक सप्ताह के भीतर अपनी कमंडल-2 की राजनीति (Politics) का श्रीगणेश चार धामों के साथ ही गंगा-यमुना एवं कई ज्योर्तिलिंगों व शक्तिपीठों की धरती देवभूमि उत्तराखंड से करने जा रही है।

इस हेतु सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और आखिर में प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड से पार्टी की कमंडल-2 की राजनीति (Politics) का शंखनाद करने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ कल 7 अक्टूबर को नरेंद्र नगर में आयोजित हो रही मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने आ रहे हैं। उनका बैठक के बाद केदारनाथ धाम जाने और वहीं रात्रि विश्राम करने के बाद 8 अक्टूबर को बद्रीनाथ धाम जाने का कार्यक्रम है। केंद्रीय गृह मंत्री भी इस मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने के लिये उत्तराखंड आ रहे हैं।

बल्कि इससे पहले वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं यूसीसी यानी कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने में जुटी समिति की अध्यक्ष रंजना देसाई के साथ भी बैठक कर चुके हैं। यानी उत्तराखंड से जल्द देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का बिगुल फूंके जाने की तैयारी है।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 12 अक्तूबर को उत्तराखंड आ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वह सबसे पहले दुनिया में शिवलिंग की सबसे पहले पूजा शुरू होने के लिये तथा देश में मौजूद द्वादश ज्योतिर्लिंगों के साथ देश की 25 पुरातात्त्विक धरोहरों में भी शामिल जागेश्वर धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना करने वाले हैं, साथ ही उनकी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में स्थित जोलिंगकांग से चीन में स्थित कैलाश पर्वत और उत्तराखंड में स्थित आदि कैलाश या छोटा कैलाश और प्राकृतिक तौर पर बने ऊं पर्वत के दर्शन करने की कोशिश है। यानी एजेंडा साफ नजर आ रहा है।

यह है प्रधानमंत्री मोदी के 12-13 को उत्तराखंड प्रवास का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 12 अक्तूबर को सबसे पहले जागेश्वर धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद वह सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में भारत-चीन सीमा के पास उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित जोलिंगकांग पहुंचकर वहां स्थानीय ग्रामीणों के उत्पाद को देखेंगे और उनसे चर्चा करेंगे, साथ ही वहां से आदि कैलाश के भी दर्शन करेंगे।

उसी दिन वह पिथौरागढ़ में भी एक जनसभा को संबोधित करेंगे, और सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करेंगे। इसके उपरांत मोदी चंपावत स्थित मायावती अद्धैत आश्रम में रात्रि विश्राम करेंगे और 13 अक्तूबर की सुबह वापस लौटेंगे। इस दौरान वह राज्य के विकास के लिये कुछ नई योजनाओं की सौगात भी दे सकते हैं।

जबकि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 7 अक्तूबर को देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे और यहां से चलकर नरेंद्र नगर में होने वाली मध्य भारत विकास परिषद की बैठक में शिरकत करेंगे। लगभग 2 घंटे की इस बैठक के बाद वह देहरादून में एफआरआई में होने वाली पुलिस सांइस सेमीनार को संबोधित करेंगे।

मंडल-2 का जवाब कमंडल-2 से
गौरतलब है कि वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद हुए आंदोलन के बाद बनी थी। वह देश में जातिगत राजनीति (Politics) के चरम का दौर था। लेकिन इसके बाद भाजपा ने देश में यात्रायें करके और अयोध्या के लिये कार सेवा कर हिंदुत्ववादी राजनीति (Politics) का श्रीगणेश किया। इसे ही मंडल के विरुद्ध कमंडल की राजनीति (Politics) कहा जाता है।

इधर नीतीश कुमार और लालू यादव की गठबंधन सरकार ने बिहार में जातियों सर्वे के आंकड़ों को जारी कर एक बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश में यही मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी जातीय जनगणना की पुरजोर मांग करते हुए ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा देकर यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी गठबंधन देश में ‘मंडल पार्ट 2’ की राजनीति (Politics) शुरू कर इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने जा रहा है। कहा जा रहा है विपक्षी दलों की कोशिश भाजपा के पक्ष में एकजुट माने जाने वाले हिंदुओं को जातियों में तोड़कर 2024 में सत्तारूढ़ होने की है।

लेकिन इसके बरक्श 2024 में लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने की तैयारियों में जुटी भाजपा, विपक्षी गठबंधन के मंडल पार्ट-2 की राजनीति (Politics) को मात देने के लिए नए सिरे से कमंडल पार्ट-2 की राजनीति (Politics) को शुरू कर सकती है।

भाजपा विपक्षी दलों को हराने के लिए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने के मिशन में जुट गई है। भाजपा के दो शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है और आने वाले दिनों में भाजपा इसे लेकर कई अहम कदम भी उठा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंगलवार को छत्तीसगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर सीधा आरोप लगाया कि कांग्रेस हिंदुओं को बांटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, कांग्रेस ने नया राग अलापना शुरू किया है, ‘‘जितनी आबादी-उतना हक। इससे साफ है कि वो देशवासियों में आपसी खाई और वैर-भाव बढ़ाना चाहती है। सच्चाई ये है कि अगर हक की बात करनी ही है, तो वे कहेंगे कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक भारत के गरीबों का है। मोदी के लिए गरीब सबसे बड़ी आबादी है।’

दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बैठक कर राज्य में लागू किए जाने वाले यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता को लेकर नई दिल्ली में चर्चा की।

बताया जा रहा है कि शाह और धामी की बैठक के दौरान उत्तराखंड सरकार द्वारा यूसीसी को लेकर गठित की गई विशेषज्ञों की समिति की अध्यक्ष रंजना देसाई और समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। सूत्रों की मानें तो बैठक में इस वर्ष के अंत तक राज्य में यूसीसी लागू करने और इससे जुड़े विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई।

दरअसल, भाजपा यूसीसी को लेकर उत्तराखंड को एक उदाहरण या पायलट प्रोजेक्ट या एक ‘टेस्ट केस’ बनाना चाहती है और फिर इससे मिले अनुभवों के आधार पर अन्य भाजपा शासित राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

भाजपा को यह लगता है कि विपक्षी दल अल्पसंख्यक समुदाय की बात कहते हुए यूसीसी का जितना विरोध करेंगे, देश भर में हिंदू मतदाता उतने ही एकजुट होंगे। भाजपा के पास इसके अलावा भी तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा या उपलब्धि अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर के रूप में बनकर तैयार होता जा रहा है।

इस मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगले वर्ष जनवरी 2024 में किए जाने की संभावना है। लेकिन, भाजपा इस मंदिर को लेकर देशभर के कई शहरों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने की भी योजना बना रही है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह व यूपी के सीएम योगी के उत्तराखंड दौरे को इस योजना का श्रीगणेश करने के रूप में देखा जा रहा है।

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यह भी पढ़ें : Politics : 3 बड़े नेताओं मोदी, शाह व राहुल के दौरों से सर्दियों में बढ़ेगा उत्तराखंड का सियासी पारा, जानें कौन कहां और कब हैं आने वाले, व क्या करेंगे…?

नवीन समाचार, देहरादून, 21 सितंबर 2023 (Politics)। अगले वर्ष 2024 में आयोजित होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले ही उत्तराखंड का सियासी पारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दौरों से सर्दियों के मौसम में भी चढ़ने वाला है। यह भी माना जा रहा है कि हिमालय के पास तक आकर भाजपा-कांग्रेस के बड़े नेता देश को बड़ा संदेश देने की कोशिश करेंगे।

amit shah says people has to choose between modi and rahul in 2024 - अमित  शाह ने राहुल गांधी को बता दिया PM पद का दावेदार, बोले- मोदी से उनका ही  मुकाबला;प्राप्त जनकारी के अनुसार पीएम मोदी का अगले माह यानी अक्टूबर में 11 और 12 अक्टूबर को पिथौरागढ़ दौरा प्रस्तावित है। इसकी तैयारियां इन दिनों जोर-शोर से चल रही हैं। बताया गया है कि इस दौरान मोदी उत्तराखंड के सीमांत से बिना चीन गये चीन में स्थित कैलाश पर्वत के दर्शन करेंगे और इस स्थान को देश भर के कैलाश पर्वत के दर्शन करना चाहने वाले श्रद्धालुओं के लिये सार्वजनिक करेंगे। इस दौरान वह उत्तराखंड राज्य में चल रही तमाम योजनाओं का अपडेट लेने के साथ-साथ कई योजनाओं को हरी झंडी भी दिखाएंगे।

साथ ही यदि मौसम साफ हुआ तो ओम पर्वत के दर्शन भी करेंगे और चीन सीमा बॉर्डर पर एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे के बाद अगर यह ट्रेक सफल होता है तो इसके बाद चीन सीमा तक देशवासियों की चहलकदमी बढ़ेगी। इससे यहां से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी और यहां रोजगार के नये अवसर खुलेंगे। साथ ही अगर भविष्य में सब कुछ ठीक रहा तो यहां हेलीपैड व नई सड़कों का जाल भी बिछाया जाएगा और इस क्षेत्र के लिए कई योजनाएं भी बनाई जाएंगी।

जिससे इस इलाके का चहुमुखी विकास होगा। साथ ही इससे कहीं न कहीं चीन की बौखलाहट बढ़ेगी। पीएम मोदी के दौरे का लाभ भाजपा को खासकर नैनीताल व अल्मोड़ा संसदीय सीटों पर चुनाव में भी मिल सकता है। नैनीताल और अल्मोड़ा लोकसभा सीटों पर इसका सीधा असर भी पड़ेगा।

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इसी माह हल्द्वानी आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इस दौरान शाह यहां मिलेट यानी मोटे अनाजों के उत्सव में शामिल होंगे। इस आयोजन की तैयारियां शुरू हो गयी हैं।

जबकि अब बताया जा रहा है कि राहुल गांधी भी जल्द उत्तराखंड आ सकते हैं। हालांकि अभी राहुल के दौरे का कार्यक्रम या तिथि तय नहीं हुई है, अलबत्ता उम्मीद की जा रही है कि अगले राहुल पीएम मोदी के दौरे के बाद अगले माह ही उत्तराखंड पहुंचेंगे। बताया गया है कि राहुल गांधी को सितंबर महीने में ही भारत जोड़ो यात्रा के एक चरण में उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में भ्रमण करना था।

इसके लिए बीते महीने पूरी योजना भी तैयार कर ली गई थी, लेकिन, किन्हीं कारणों से राहुल गांधी के इस दौरे को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। ऐसे में कांग्रेस नेताओं की मानंे तो जल्द ही इस मामले में कोई फैसला लिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस राहुल गांधी को उत्तराखंड बुलाकर लोकसभा चुनाव से पहले अंकित भंडारी हत्याकांड से लेकर महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाने की पूरी कोशिश करेगी। कांग्रेस राहुल गांधी को छोटे-छोटे गांव में ले जाकर छोटी-छोटी जनसभाओं और बुजुर्ग लोगों के साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा का कहना है कि अभी फिलहाल ऊपर से यह आदेश है कि छोटे-छोटे संगठनों से संपर्क किया जाए। उनके साथ संबंध बनाये जाये।

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यह भी पढ़ें : Politics : उत्तराखंड की एक विधानसभा से I.N.D.I.A. में भूचाल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बयान से I.N.D.I.A. के टूटने की आहट ?

नवीन समाचार, लखनऊ, 14 सितंबर 2023 (Politics)। उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा के हाल में हुये उप चुनाव के परिणाम के बाद विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन में भूचाल जैसी स्थिति है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने एक ऐसा बयान दे दिया है जो लोकसभा चुनाव के लिए बन रहे I.N.D.I.A. गठबंधन पर भारी पड़ सकता है। अजय राय ने बागेश्वर उपचुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ दिया है। यह भी पढ़ें : बागेश्वर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत, जानें देश की अन्य सीटों के उपचुनावों में भाजपा प्रत्याशियों की क्या है स्थिति…

Politics अजय राय को यूपी अध्यक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है, क्यों हटा  दिए गए खाबरी? - ajay rai new upcc president lok sabha elections 2024  congress strategy brijlal khabri
अजय राय

एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि सपा बागेश्वर में अपना प्रत्याशी न उतारती तो कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव जीत जाता। उल्लेखनीय है कि बागेश्वर में कांग्रेस 2405 मतों के अंतर से चुनाव हारी, जबकि सपा प्रत्याशी को 637, जबकि उक्रांद प्रत्याशी को 857, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रत्याशी को 268 व नोटा को 1257 मत मिले। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यदि इन छोटे दलों का मत विभाजन न होता तो चुनाव का परिणाम कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में हो भी सकता है।

अलबत्ता, राय ने कहा है, बागेश्वर में सपा ने कांग्रेस को हराने का काम किया है। सपा को मालूम था कि वह चुनाव में कहीं नहीं हैं। इसके बावजूद उसने अपना प्रत्याशी खड़ा किया। वह भी तब जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा मिलकर I.N.D.I.A. गठबंधन के बैनर तले साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अजय राय ने कहा कि घोसी की सीट पर कांग्रेस ने सपा को समर्थन किया और सपा की जीत में कांग्रेस ने बड़ा योगदान दिया, लेकिन सपा ने ऐसा नहीं किया।

वहीं, इस विषय पर पर सपा का कहना है कि बागेश्वर की सीट के लिए कांग्रेस ने सपा से कोई समर्थन नहीं मांगा था। वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि दोनों चुनाव अलग-अलग राज्यों में थे। यदि कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई हमसे समर्थन मांगती तो हम निश्चित रूप से इस पर विचार करते।

दबाव बनाने की रणनीति भी

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस तरह के बयान गठबंधन में ज्यादा सीटें पाने की कोशिशें भी हो सकती हैं। अभी तक जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार सपा कांग्रेस को दस के अंदर सीटें देने के मूड में है, लेकिन कांग्रेस की उम्मीद इससे कहीं ज्यादा है। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि पार्टी के शीर्ष नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं।

भाजपा को मिला मौका
अजय राय के इस बयान ने भाजपा को बैठे-बैठाए मुद्दा थमा दिया है। भाजपा पहले से ही कहती रही है कि यह गठबंधन स्वाभाविक नहीं है। यह दल केवल सत्ता के लिए एक साथ चुनाव लड़ने के लिए राजी हो रहे हैं। अलबत्ता देखने वाली बात होगी कि उत्तराखंड में पहली परीक्षा में ही फेल हुआ I.N.D.I.A. गठबंधन आगे आगामी लोक सभा चुनाव में क्या गुल खिलाता है।

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यह भी पढ़ें Politics : देश के राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने को निकली भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी: उप्रेती

नवीन समाचार, नैनीताल, 25 जनवरी 2023 (Politics)। भारत निर्वाचन आयोग में राजनीतिक दल के रूप में 1996 से पंजीकृत भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी उत्तराखंड में राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश में है।

इसी कड़ी में बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उत्तराखंड के ही निवासी जेसी उप्रेती ने बुधवार को हल्द्वानी में जन संपर्क किया एवं क्षेत्रीय समस्याओं से अवगत हुए। उन्होंने कहा कि भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी देश में सभी राजनीतिक दलों को उत्तरदायित्वपूर्ण बनाने, उन्हें सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने एवं उनके द्वारा लिए जाने वाले राजनीतिक चंदे के प्रति जवाबदेह बनाने की पक्षधर है। यह भी पढ़ें : फिल्म की शूटिंग के बहाने नैनीताल की नाबालिग छात्रा की अश्लील फिल्म बनाई

बताया कि उन्होंने इस दौरान जनपद के सूर्यागांव के दलित वर्ग के लोगों से भी मुलाकात की व उनकी समस्याएं सुनीं। उन्हें क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि उनके गांव की अनाथ बच्चों की भूमि को गांव के ही निवासी बसपा नेता सुंदर लाल आर्य द्वारा गलत तरीके से हड़पा गया है और उनका शोषण किया जा रहा है। इसके खिलाफ वह लंबे समय से बुद्ध पार्क हल्द्वानी में आंदोलित हैं। श्री उप्रेती ने क्षेत्रीय लोगों को उनकी समस्या को मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री सहित अन्य उचित मंच पर उठाकर समाधान का प्रयास करने का आश्वासन दिया। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें (Politics): उत्तराखंड के नए मंत्रिमंडल से भी बने दो मिथक ! देखें एक पिछले मंत्री ने पांच वर्षों में क्या कमाया…

नवीन समाचार, देहरादून, 26 मार्च 2022 (Politics)। उत्तराखंड में दो मंत्रियों को लेकर अब तक मिथक जुड़े हुए हैं कि राज्य के शिक्षा और पेयजल मंत्री कभी चुनाव नहीं जीते। यह मिथक इस बार तो टूट गया। राज्य के पिछले शिक्षा और पेयजल मंत्री अरविंद पांडे और बिशन सिंह चुफाल इस बार चुनाव जीत गए, लेकिन नए अर्थ में यह मिथक आगे के लिए भी बढ़ गया है। अब तक तो चुनाव हारने के कारण राज्य के शिक्षा और पेयजल मंत्री को दुबारा मंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन इस बार चुनाव जीतने और उसकी पार्टी के भी चुनाव जीतने के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।

इसके साथ इन दोनों मंत्रियों के साथ एक और बात देखने को मिली कि उन्होंने अपने मंत्री के कार्यकाल में क्या कमाया। अरविंद पांडे का अपना यमुना विहार स्थित सरकारी आवास छोड़ने का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उनके कई कर्मचारी उनके घर छोड़ने पर आंसू बहाते भी नजर आ रहे हैं। देखें वीडियो :

वहीं बिशन सिंह चुुफाल के मंत्री नहीं बनाने पर उनके समर्थक काफी नाराज दिखे। इस पर चुफाल उन्हें समझाने लगे तो मीडिया में उसका जो अर्थ लगाया गया, उस पर चुफाल को सफाई देनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि वह मंत्रिमंडल से हटाए जाने पर बिल्कुल भी नाराज नहीं है। पार्टी जैसा उपयुक्त समझती है, वैसे काम लेती है।

बहरहाल, हम यह बताकर राजनीति (Politics) का एक पक्ष प्रस्तुत कर यह बताने की भी कोशिश कर रहे हैं कि नेताओं की जिंदगी कितनी अनिश्चितताओं से भरी होती है। हर पांच वर्ष में उन्हें चुनाव के रूप में परीक्षा देनी पड़ती है। और यह भी निश्चित नहीं है कि चुनाव जीतने यानी परीक्षा पास होने के बावजूद वह जनता के साथ अपनी पार्टी और राजनीतिक परिस्थितियों की कसौटी पर भी खरे उतरें।

अरविंद पांडे, बिशन सिंह चुफाल व बंशीधर भगत के उदाहरण सामने हैं, जिन्हें वरिष्ठ व अनुभवी मंत्री होते हुए भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला और सतपाल महाराज भी उन्हीं के हमउम्र होने के बावजूद मंत्री बनने में सफल रहे हैं।आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बहुत रोचक: वाकई भाजपा में ‘दाग’ अच्छे और कांग्रेस में बुरे निकले…. देखें दलबदलुओं की कहानी…

-भाजपा का सिर्फ एक बागी-दलबदलू चुनाव जीता, जबकि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए चार सहित कुल पांच नेता जीते, कांग्रेस में दूसरे दल से आया सिर्फ एक प्रत्याशी जीता
गद्दी और गद्दारी : दलबदल आम बात हो गई - gaddi and gaddi defection has  become commonडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 11 मार्च 2022। हालांकि आम जनता में दलबदल को ठीक नहीं समझा जाता मगर लगता है जो भी दल-बदलकर भाजपा में गया उसे जनता का प्यार मिला, जबकि जो भाजपा छोड़ कांग्रेस में गए उन्हें निराशा हाथ लगी। ऐसे में यही कहा जा रहा है, भाजपा में ‘दाग’ अच्छे जबकि कांग्रेस में बुरे निकले…।

कांग्रेस छोड़ कर दो घंटे में भाजपा से टिकट पाने वाले दुर्गेश्वर लाल ने पुरोला में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए मालचंद को हरा दिया है। वहीं 2017 के चुनाव से पहले पलटी मार कांग्रेस से भाजपा में गए और इस बार वापस लौटे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य भाजपा के एकमात्र बागी रहे जो बाजपुर से चुनाव जीते, मगर भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए उनके पुत्र संजीव आर्य नैनीताल से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आई पूर्व महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य से रिकॉर्ड वोटों से चुनाव हार गए हैं।

इस चुनाव में यशपाल को छोड़ भाजपा के एक भी बागी, चाहे नैनीताल सीट पर भाजपा से कांग्रेस में जाने के बाद आप से लड़े हेम आर्य हों या भीमताल सीट पर बागी होकर लड़े लाखन नेगी व मनोज साह, सभी चुनाव हार गए। भीमताल में पिछली बार निर्दलीय जीते पर मूलतः कांग्रेसी रहे राम सिंह कैड़ा भी इस बार भाजपा से जीत गए।

तो उनके सामने पूर्व भाजपा नेता दान सिंह भंडारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और वह भी चुनाव हार गए। रुद्रपुर से टिकट कटने से गुस्साए भाजपा के विधायक रहे राजकुमार ठुकराल ने निर्दलीय खम ठोका पर कुछ खास नहीं कर पाए। किच्छा में भी भाजपा के बागी अजय तिवारी को जीत नहीं मिली।

उधर, टिहरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत लिया, जबकि इसी सीट पर भाजपा से कांग्रेस में शमिल हुए धन सिंह नेगी सीधे मुकाबले में भी नहीं रहे और उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। नरेंद्रनगर विधानसभा में सुबोध उनियाल 2016 में हरीश रावत सरकार से बगावत से पहले कांग्रेस नेता थे, जबकि ओमगोपाल पहले उत्तराखंड क्रांति दल में थे।

फिर भाजपा में गए टिकट नहीं मिला तो 2017 में निर्दलीय लड़े और फिर भाजपा में आ गए। इस बार वह कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े, पर हार गए। इसी तरह कोटद्वार सीट में भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़े धीरेंद्र सिंह चौहान भी चुनाव हार गए। अलबत्ता, चकराता में पहले कभी कांग्रेसी रहे भाजपा उम्मीदवार राम शरण नौटियाल कांग्रेस के प्रीतम सिंह से हार गए।

वहीं भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़े अन्य नेताओं की बात करें तो यमुनोत्री से कांग्रेस के टिकट पर लड़े दीपक बिजल्वाण हार गए मगर कांग्रेस के बागी संजय डोभाल निर्दलीय ही चुनाव जीत गए। हरिद्वार जिले की झबरेड़ा सीट पर बीते चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे राजपाल सिंह इस बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े मगर हार गए।

धनौल्टी विस क्षेत्र में पिछली बार कांग्रेस से बागी होकर लड़ने वाले जोत सिंह बिष्ट कांग्रेस के टिकट से मैदान में थे तो बीते चुनाव में निर्दलीय जीते व पहले उक्रांद में रहे प्रीतम सिंह पंवार भाजपा के टिकट से चुनाव जीत गए। श्रीनगर विस में पहले निर्दलीय लड़े मोहन काला इस बार उक्रांद के टिकट पर हार गए। गदरपुर से पिछली बार बसपा से लड़े जनरैल सिंह काली इस बार आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव लडे़ पर हार गए। बीते चुनाव में बसपा के टिकट पर लड़े थे।

रुद्रप्रयाग से निर्दलीय खम ठोक रहे मातबर सिंह कंडारी भी चुनाव हार गए। चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में गई व लैंसडौन से लड़ रही डॉ. हरक सिंह रावत की पुत्रवधू को भी अगर दलबदलू माना जाए तो वह भी हार गईं।  आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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uttarakhand assembly election 2022 party gangotri and ranikhet assembly  seats myths smup | उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: गंगोत्री में जिस पार्टी  का जीता प्रत्याशी, बनती है उसकी ...डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 मार्च 2022। उत्तराखंड को बने अभी 21 वर्ष ही और इस अवधि में चार विधानसभा चुनाव ही हुए हैं, और इतना समय मिथकों व रिकॉर्डों के बनने-टूटने के लिए कम होता है, और यह भी कहा जाता है मिथक व रिकॉर्ड हमेशा कभी न कभी टूटने के लिए ही बनते हैं, बहरहाल आगामी 10 मार्च को ऐसे ही 10 मिथक हैं, जो बरकरार रहकर या टूटकर तय करेंगे कि राज्य में अगले पांच वर्षों के लिए किसकी सरकार बनेगी।

1. मुख्यमंत्री कोई चुनाव नहीं जीते: उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर सभी मुख्यमंत्री, बल्कि पिछले मुख्यमंत्री हरीश रावत तो दो सीटों से विधानसभा चुनाव हारते रहे हैं। यहां तक कि राज्य के कुछ मुख्यमंत्री तो आगे कोई चुनाव ही नहीं लड़े, जबक हरीश रावत विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी हारे हैं, और उन्हें कोई मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कोई जीत नसीब नहीं हुई है। निशंक जरूर इस मामले में बाद में लोकसभा चुनाव जीतकर मिथक तोड़ चुके हैं। जबकि एनडी तिवारी, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा बाद में कोई चुनाव नहीं लड़े।

2. हमेशा हारते हैं शिक्षा मंत्री: उत्तराखंड के चारों विधानसभा चुनावों में राज्य के शिक्षा मंत्री-नरेंद्र सिंह भंडारी, मंत्री प्रसाद नैथानी व गोविंद सिंह बिष्ट चुनाव हारे हैं। अब अरविंद पांडे पर इस मिथक के टूटने या बरकरार रहने का दारोमदार है।

3. हमेशा हारते हैं पेयजल मंत्री: यह मिथक भी मातबर सिंह कंडारी व प्रकाश पंत जैसे नेताओं की हार के साथ बना हुआ है। इस बार बिशन सिंह चुफाल पर इस मिथक के टूटने या बरकरार रहने का दारोमदार है।

4. हमेशा सत्ता में रहता है नैनीताल का विधायक: राज्य बनने से पूर्व से नैनीताल विधानसभा के हर विधायक सत्ता में रहे हैं। राज्य बनने के बाद भी उक्रांद के डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, भाजपा के खड़क सिंह बोहरा, कांग्रेस की सरिता आर्य व भाजपा के संजीव आर्य सत्ता में रहे हैं। इसके अलावा हर बार नैनीताल सीट से विधायक बदलता रहा है। किसी भी विधायक को लगातार दूसरी बार और किसी भी पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत नहीं मिली। ऐसी कई अन्य सीटें भी हैं।

5. अभेद्य किले: राज्य बनने के बाद से कालाढुंगी, डीडीहाट, काशीपुर, यमकेश्वर, देहरादून कैंट तथा हरिद्वार शहर सीटों से हमेशा भाजपा के और जागेश्वर व चकराता से हमेशा कांग्रेस के प्रत्याशी या कई जगह एक ही प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं। यानी यह सीटें एक ही पार्टी या प्रत्याशी के अभेद्य किले की तरह रही हैं। यह मिथक भी इस बार कसौटी पर कसा जाना बाकी है।

6. भाजपा कभी नहीं जीत पाई: कांग्रेस के किले बताई गई जागेश्वर व चकराता के अलावा भी पिथौरागढ़ की झूलाघाट सीट पर भाजपा पिछले चुनाव में मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद नहीं जीत पाई। पहले चुनाव में यहां निर्दलीय गगन सिंह रजवार जीते और उसके बाद कांग्रेस के हरीश धामी व हरीश रावत विधायक रहे। भाजपा को आज भी यहां से जीत का इंतजार है।

7. गंगोत्री से जीतने वाली पार्टी की बनती है सरकार: यह मिथक देश की आजादी के बाद से हर चुनाव में बना हुआ है, और राज्य बनने के बाद भी नहीं टूटा है।
8. रानीखेत से हारने वाली पार्टी की बनती है सरकार: राज्य बनने के बाद से रानीखेत के विधायक को हमेशा विपक्ष में बैठना पड़ा है। यहां से जब भाजपा के टिकट पर अजय भट्ट विधायक बने तो कांग्रेस की और जब कांग्रेस के करन महरा विधायक बने तो भाजपा की सरकार बनी है।

9. हर 5 वर्ष में बदलती है राज्य में सरकार: राज्य बनने के बाद से राज्य में कभी भी एक पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बनी है।
10. चुनाव से पूर्व भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए डॉ. हरक सिंह रावत के नाम भी एक रिकॉर्ड था कि वह हर बार सीट बदलकर चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं, इस बार भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी उन्हें टिकट नहंी दिया। अलबत्ता इस चुनाव में उनकी बहु अनुकृति गुसांई की जीत-हार के साथ हरक पर अपना मिथक बचाने की परोक्ष जिम्मेदारी बनी हुई है।  आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नेता हैं नेताओं का क्या… पांच साल में किसी की उम्र तीन तो किसी की सात साल बढ़ गई

-चुनाव आयोग के शपथ पत्र में नेताओं की उम्र का खुलासा
अपना नेता कैसे चुने : How To Choose Our Good Leader In Hindi (Hamara Neta  Kaisa Ho) |नवीन समाचार, देहरादून, 5 मार्च 2022। नेताओं के बारे मंे सच बोलने को लेकर हमेशा सवाल उठते हैं। वह शपथ पत्र में भी कुछ कहें तो भी कितना भरोसा करना चाहिए, यह उत्तराखंड के नेताओं द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में उनकी उम्र को लेकर दी गई जानकारी से स्पष्ट हो जाता है।

अपने नामांकन के साथ चुनाव आयोग द्वारा लिए गए शपथ पत्रों से नेताओं की उम्र को लेकर अनूठा खुलासा हुआ है। रामनगर से कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत रावत ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी उम्र 51 बताई थी। अब 2017 के चुनाव में यानी पांच वर्ष बाद ही उन्होंने अपनी उम्र 57 बताई है। इसका अर्थ है कि विगत पांच साल में उनकी उम्र शपथ पत्र के मुताबिक करीब दो साल ज्यादा बढ़ गई।

इसी तरह जागेश्वर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह कुंजवाल की आयु केवल चार साल ही बढ़ी है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मदन सिंह बिष्ट की उम्र पांच साल में महज तीन साल ही बढ़ी है। इसी तरह घनसाली से भाजपा विधायक भीमलाल आर्य की उम्र पिछले चुनाव में 30 साल थी और इस चुनाव में उनकी उम्र 33 साल है। वह इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यशपाल आर्य की उम्र पिछले चुनाव में 60 साल थी, लेकिन पांच साल बाद उनकी उम्र 67 हो गई।

ऐसे भी नेता हैं जो अपनी उम्र ही भूल गए। रानीपोखरी से भाजपा प्रत्याशी आदेश चौहान ने पिछली बार अपनी उम्र 33 दिखाई। इस बार वह अपनी उम्र बताना भूल गए। पुरोला विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मालचंद भी शपथ पत्र में अपनी उम्र दिखाना भूल गए। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : बड़ा राजनीतिक विश्लेषण: कृषि कानून वापसी व प्रधानमंत्री मोदी की माफी के मायने

-मोदी का बड़ा दांव और विपक्ष की झुंझलाहट
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 नवंबर 2021। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तीन विवादित कृषि कानून वापस लेने के बाद प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष में बिल्कुल विपरीत बातें चल रही हैं। सत्तापक्ष यानी भाजपा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद बैकफुट पर और विपक्षी पार्टियां खुश नजर आ रही हैं,

लेकिन सच्चाई यह है कि इस मामले से प्रधानमंत्री मोदी ने तीन राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत पूरे राजनीतिक समीकरणों को पलट कर रख दिया है। अलबत्ता इस मामले में राजनीति (Politics) जारी है और राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि संसद में यह तीनों बिल वापस लिए जाने के बाद भी इस मुद्दे पर किसानों का आंदोलन और विपक्ष की राजनीति (Politics) खासकर आगामी विधानसभा चुनावों तक जारी रहने वाली है। देखें वीडियो:

कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से पूर्व विपक्ष आश्वस्त था कि पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में उन्हें लाभ मिलेगा और सत्ता उनके हाथ में होगी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद अब सत्ता समीकरण बदलने की पूरी संभावना है। विपक्ष अच्छी तरह से जानता है कि उसके हाथ से किसानों का मुद्दा जा चुका है। ऐसे में विपक्ष की कोशिश इस प्रधानमंत्री के बड़े दांव से कुछ संभव लाभ ले लेने की है।

इस कोशिश में प्रधानमंत्री की माफी को दो तरह से दुष्प्रचारित किया जा रहा है। पहला, प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए यह कहकर देश से माफी मांगी है कि वह कुछ लोगों को कृषि कानूनों के बारे में ठीक से समझा नहीं पाए,

जबकि विपक्ष इसे इस तरह दुष्प्रचारित कर रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी तीन काले कृषि कानून लाने के लिए देश से माफी मांग रहे हैं। इस तरह विपक्ष की कोशिश है कि प्रधानमंत्री की माफी को उनके द्वारा एक गलत निर्णय लेने की स्वीकारोक्ति के रूप में जनता में स्थापित किया जाए।

दूसरे, विपक्ष मोदी की माफी को किसानों के संघर्ष और लोकतंत्र की जीत तथा मोदी के अहंकार का सिर झुकने के रूप में प्रचारित कर रहा है। यहां तक कि कुछ राजनीतिक दल इसे अपने संघर्ष की जीत बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे है। इसके पीछे रणनीति यह है कि मोदी की मजबूत नेता की छवि का भंजन यानी छवि को तोड़ने का प्रयास किया जाए, और खुद में भी यह विश्वास जगाया जाए कि मोदी को झुकाया और आगे चलकर हराया जा सकता है।

साथ ही उनमें यह उम्मीदें भी हिलोरें मार रही हैं कि एनआरसी, तीन तलाक व धारा 370 पर भी इसी तरह के निर्णायक आंदोलन कर सरकार को झुकाया जा सकता है। अब इसमें वह कितना सफल होते हैं, इसी पर विपक्ष एवं देश की भविष्य की राजनीति (Politics) निर्भर कर सकती है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Politics) : किसान आंदोलन व मुख्यमंत्री पद की जिजीविषा भाजपा छोड़ने का कारण बनी यशपाल आर्य के लिए !

Uttarakhand News: Yashpal Arya Joins Congress, Just A Few Days Ago Chief  Minister Pushkar Singh Dhami Meet Him - उत्तराखंड: यशपाल की कांग्रेस में  वापसी से भाजपा में भूचाल, अभी कुछ दिनरवीन्द्र देवलियाल @ नवीन समाचार, नैनीताल, 12 अक्टूबर 2021 (Politics)। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके सुपुत्र विधायक संजीव आर्य की मंगलवार को कांग्रेस में घर वापसी हो गयी। उन्होंने भाजपा का भगवा छोड़ कर दिल्ली में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। इससे भाजपा को कुमाऊं में जबर्दस्त धक्का लगा है। दूसरी ओर माना जा है कि किसान आंदोलन व मुख्यमंत्री पद की जिजीविषा ने यशपाल आर्य को भाजपा छोड़ने को मजबूर किया है।

(Politics) छह बार के विधायक रहे कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की लंबे समय से भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने की अफवाह चल रही थी। बताया जा रहा है कि वह पिछले कुछ समय से भाजपा से नाराज चल रहे थे। भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री बदलने के सियासी ड्रामे से भी वह बहुत खुश नहीं थे। पुश्कर सिंह धामी की ताजपोशी के दौरान भी अटकलें लगायी जा रही थीं कि कुछ नेता नाराज हैं और वह मंत्री पद की शपथ लेने से इनकार कर रहे हैं।

(Politics) यशपाल आर्य की नाराजगी तब सतह पर आ गयी थी जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं कुछ दिन पहले उन्हें मनाने देहरादून स्थित उनके आवास पर जा पहंुचे। इस मुलाकात को तब मुख्यमंत्री धामी ने औपचारिक मुलाकात करार दिया था लेकिन यह तभी तय हो गया था कि यशपाल आर्य अपने सुपुत्र संजीव के साथ जल्द ही कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। यशपाल आर्य राजनीति (Politics) के चतुर खिलाड़ी हैं और तब वह हरक सिंह रावत की बयानबाजी से काफी असहज हो गये थे और उन्होंने उन्हें इशारों मेें चुप रहने की नसीहत दे दी थी।

(Politics) यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने का बड़ा कारण तराई का किसान आंदोलन माना जा रहा है। उत्तराखंड के तराई वाले इलाकों- खटीमा, किच्छा, जसपुर व बाजपुर में किसान आंदोलित हैं। इन क्षेत्रों में किसान यूनियन का भी प्रभाव माना जा रहा है। यशपाल का बाजपुर विधानसभा क्षेत्र तो भारतीय किसान यूनियन का गढ़ है। वहां सबसे अधिक किसान हैं और किसान यूनियन के आंदोलन की प्रमुख धुरी भी वहीं मानी जाती है।

(Politics) यह शुरू से माना जा रहा है कि इस बार किसान आंदोलन के चलते भाजपा की सन् 2022 की विधानसभा चुनाव की राह बहुत आसान नहीं रहने वाली नहीं है। खासकर तराई वाले इलाके में भाजपा को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में यह भी तय था कि कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को भी बाजपुर से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता था।

(Politics) दूसरी ओर राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री पद की जिजीविषा को भी इसका अहम कारण माना जा रहा है। कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहले पंजाब में व फिर कुमाऊं के तराई में नया दांव चलकर मुख्यमंत्री के पद पर अनुसूचित जाति के व्यक्ति की वकालत कर प्रदेश की राजनीति (Politics) को नया मोड़ दे दिया था।

(Politics) हालांकि तब राजनीतिक पंडित उनके इस दांव को उनके खासमखास माने जा रहे राज्यसभा के पूर्व सांसद प्रदीप टमटा से जोड़कर देख रहे थे लेकिन राजनीति (Politics) में अपना कब पराया हो जाये यह भी सभी जानते हैं। हरीश रावत के खासमखास रहे रणजीत रावत इसका जीता जागता उदाहरण है।

(Politics) बहरहाल कुछ भी हो यशपाल आर्य व संजीव आर्य के आने से कुमाऊं में कांग्रेस को नया जीवन मिला है। कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से कुमाऊं में कांग्रेस में सूनापन आ गया था। दोनों के आने से यहां हाशिये पर गयी कांग्रेस को संजीवनी मिल गयी है।

(Politics) कांग्रेस नेताओं का मानना है कि दोनों के आने से जहां दो सीटें पक्की हैं वहीं उनके आने से अन्य सीटों पर भी असर पड़ेगा। हालांकि प्रदेश में अधिकांश लोग इस प्रकार की राजनीति (Politics) से खुश नहीं हैं और इसे अवसरवाद की संज्ञा दे रहे हैं। देखना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति (Politics) में और क्या गुल खिलते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Politics) : सबसे देर से आए-सबसे पहले गए यशपाल, सबसे कमजोर कड़ी साबित हुए, या उनके आने-आने के कुछ और हैं मायने, व क्या हैं दूसरों की प्रतिक्रियाएं…

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 10 अक्टूबर 2021 (Politics)। वरिष्ठ दलित नेता यशपाल आर्य ने सोमवार को राज्य के प्रभावशाली मंत्री रहते ठीक विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल को छोड़कर विपक्षी दल का दामन थामने के रूप में अपने ही इतिहास को दोहराया है।

(Politics) वर्ष 2017 में भाजपा के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के दिन वह तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रभावशाली मंत्री रहते हुए बिल्कुल इसी तरह भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें भाजपा में शामिल होने के चार घंटे के भीतर ही पुत्र संजीव आर्य के साथ दो टिकट हासिल हो गए थे। देखें संबंधित फोटो एवं वीडियो एक्सक्लूसिवली नवीन समाचार पर :

(Politics) इधर जबकि उनसे पूर्व 19 मार्च 2016 को बजट सत्र के दौरान भाजपा में शामिल होने वाले 9 कांग्रेस नेताओं में से एक काबीना मंत्री सहित कुछ अन्य की कांग्रेस में घर वापसी की अटकलें लग रही थीं, और तीन कांग्रेस से जुड़े विधायक भाजपा का दामन थाम चुके थे।

(Politics) ऐसे में गत 25 सितंबर के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चाय पर घर आने के बाद शुरू हुई एकमात्र चर्चा को पुरजोर तरीके से नकारने वाले यशपाल आर्य बिना किसी को भनक भी लगाए सत्तारूढ़ दल में 5 वर्ष से कम वर्ष का समय बिताकर पुत्र सहित घर वापसी कर गए हैं। इस पर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं।

(Politics) उनके भाजपा में शामिल होने पर हरीश रावत ने तब कहा था कि यदि यशपाल आर्य 2017 के चुनाव में उनके साथ होते तो कांग्रेस 11 की जगह 22 अधिक यानी 33 सीटें जीतते। यानी यशपाल के कांग्रेस में जाने से दलित वोट के कांग्रेस से छिटकने का हरीश रावत को हमेशा मलाल रहा। इस बीच किच्छा में एक श्रद्धांजलि के कार्यक्रम में यशपाल एवं हरीश के एक कार्यक्रम में साथ मौजूद रहने की चर्चाए भी सुर्खियों में रहीं।

(Politics) इधर पंजाब में दलित के मुख्यमंत्री बनने के बाद हरीश रावत ने उत्तराखंड में दलित के बेटे को मुख्यमंत्री देखने का बयान दिया तो इसके निहितार्थ लगाए गए कि वह यशपाल के लिए ऐसा कह रहे हैं। हालांकि उनके करीबियों ने इसे पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा से जोड़ा।

(Politics) जबकि यह भी कहा गया कि स्वयंभू तरीके से खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा बताने वाले हरीश रावत खुद के सिवाय किसी को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते। उनका यह बयान देने का मकसद केवल दलित वोट को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने का था।

(Politics) इसी उद्देश्य से कांग्रेस यशपाल की घर वापसी के लिए अधिक प्रयासशील रही और यशपाल बाजपुर में किसान आंदोलन के कारण सीट खतरे में पड़ने की आशंका से कांग्रेस में चले गए और आज्ञाकारी पुत्र की तरह संजीव भी उनके पीछे हो लिए।

(Politics) हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि राज्य का दलित वोट भले एक समय में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक था, लेकिन अब राज्य में भाजपा के सत्तासीन रहने तथा इस दौरान यशपाल के साथ ही रेखा आर्य के रूप में दो दलित नेताओं में मंत्रिमंडल में स्थान देने के साथ अन्य दलित नेताओं को भी महत्व देने के साथ दलित वोट बैंक अब भाजपा के साथ भी है। इसलिए यशपाल व संजीव के कांग्रेस में जाने से दलित वोट उस तरह प्रभावित नहीं होगा।

(Politics) टिकट कटा तो हम भी सोचने को मजबूर होंगे: सरिता
नैनीताल। यशपाल आर्य एवं संजीव आर्य के भाजपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर भाजपा-कांग्रेस दोनों जगह मिश्रित प्रतिक्रिया है। भाजपा के कैडर में जहां यशपाल-संजीव के जाने से नाराजगी देखी जा रही है, वहीं कांग्रेस का कैडर इसे घर वापसी बताकर खुश है।

(Politics) भाजपा कार्यकर्ता संजीव के कार्यकाल में मिली उपेक्षा, उनके द्वारा अपनी टीम बनाने की बात उनके जाने से कोई नुकसान नहीं होने की बात कह रहे हैं। जबकि भाजपा के संभावित प्रत्याशियों दिनेश आर्य ने जहां संजीव के जाने पर निरपेक्ष भाव से कहा न वह उनके आने से खुश थे न जाने से खुश हैं। वहीं अंबा आर्य ने रुक कर, सोच समझकर प्रतिक्रिया देने की बात कही।

(Politics) दूसरी ओर कांग्रेस के कार्यकर्ता मजबूत प्रत्याशी मिलने से खुश हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी के दावेदारों में से एक हेम चंद्र आर्य ने इस पर कहा कि वह उनके कांग्रेस से जाने पर भी खुश थे और और आने पर भी। पांच वर्ष से क्षेत्र में हैं, इसलिए उन्हें भरोसा है कि टिकट उन्हें ही मिलेगा। वहीं पूर्व विधायक व महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य ने कहा, पांच वर्ष से हमने कांग्रेस पार्टी के झंडे-डंडे उठाए हैं। अब किसी और को टिकट मिलेगा तो वह भी सोचने को मजबूर होंगी। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Politics) : उत्तराखंड में एक और दल ने किया 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान

Samajwadi Party Rajendra Chaudhary and Ahmed Hassan for Legislative Council  seat| समाजवादी पार्टी ने विधानपरिषद के लिए राजेंद्र चौधरी और अहमद हसन को  बनाया उम्मीदवार - India TV Hindi Newsनवीन समाचार, रुद्रपुर, 5 सितंबर 2021 (Politics)। भाजपा-कांग्रेस, उक्रांद व आआपा के बाद अब सपा यानी समाजवादी पार्टी ने भी उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने आए सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व प्रदेश प्रभारी राजेंद्र चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी उत्तराखंड में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। उन्होंने राज्य में विकास का मजबूत मॉडल लाने का दावा करते हुए विश्वास जताया कि 2022 में उत्तराखंड में सपा की सरकार बनेगी।

(Politics) चौधरी ने कहा कि प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकार ने जनता को लूटने का कार्य किया है। सपा बेरोजगार नौजवान, किसानों के लिए एक मजबूत विकास का मॉडल लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए भाजपा की वर्तमान सरकार बीते पांच सालों में ठोस रणनीति नहीं बना सकी।

(Politics) जिसका परिणाम यह है कि बीते एक वर्ष में दो बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े। इस कारण प्रदेश का विकास पूरी तरह थम गया है। उन्होंने कहा कि सपा की सरकार बनने पर किसानों को फसल का डेढ़ गुना मूल्य दिया जाएगा। लघु व कुटीर उदयोगों की स्थापना की कार्ययोजना बनाई जाएगी।

(Politics) उनका कहना था कि आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में प्रदेश के विकास को ब्रेक लग गया है। जिसे सपा सरकार बनने पर आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार का इंजन कहां खड़ा है, किस यार्ड मेें है अब तक कोई नहीं जान सका है। भाजपा की सरकार में सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Politics): ‘नवीन समाचार’ एक्सक्लूसिव: आप को उसी की भाषा में एआईएमआईएम से मिली चुनौती, अब कोठियाल के खिलाफ जारी किया गया पोस्टर

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 अगस्त 2021(Politics)। आप यानी आम आदमी पार्टी ने गत दिनों भारतीय जनता पार्टी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फोटो के साथ पार्टी के मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल की फोटो लगाकर चुनौती दी थी।

(Politics) अब एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने आप को उसी की भाषा में चुनौती दी है। एआईएमआईएम के कुमाऊं मंडल के प्रभारी फहीम मियां ‘बंटी’ ने एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें उनकी और कर्नल कोठियाल की फोटो आमने सामने लगाई गई है। पोस्टर पर लिखा है उत्तराखंड का सीएम कौन हो।

(Politics) इस बारे में पूछे जाने पर फहीम मियां ने कहा कि एआईएमआईएम के चुनाव जीतने पर वह अथना प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नय्यर काजमी प्रत्याशी होंगे। इस बारे में पार्टी में आम सहमति है और दोनों प्रमुख नेताओं में कोई विवाद भी नहीं है। कर्नल कोठियाल को चुनौती देने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कर्नल कोठियाल को अपने सेना के कार्यकाल की याद दिलाने की जरूरत नहीं है। जब वे सेना में थे, तब थे। लेकिन अब राजनीति (Politics) में हैं, तो राजनीति (Politics) ही करें। अपना अतीत न बताएं।

(Politics) उन्होंने कहा, एआईएमआईएम अपने दमदार राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैशी के नेतृत्व में उत्तराखंड के तराई की सभी सहित पहाड़ की अल्मोड़ा सहित कुछ अन्य सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, और जिस तरह ओवैशी ने संसद में एनआरसी का बिल सबके सामने फाड़ा और तीन तलाक सहित हर मुद्दे पर खुलकर बोले, वैसे ही उत्तराखंड में भी काम करेंगे।

(Politics) उन्होंने कहा, उत्तराखंड में जीतने पर एआईएमआईएम युवाओं को रोजगार भत्ता देगी। हाईस्कूल पास बेरोजगाार लड़कियों को शादी अथवा रोजगार के लिए एक लाख रुपए देगी, और पहाड़ में छोटे-छोटे उद्योग लगाएगी, ताकि पहाड़ के लोगों को पलायन न करना पड़े। उल्लेखनीय है कि एआईएमआईएमम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैशी ने गत दिनों उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उनका उत्तराखंड दौरा घोषित भी हुआ था, लेकिन बाद में किसी कारण टल गया था। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Politics) : बड़ा समाचार: अब ओवैसी उत्तराखंड आकर बढ़ाएंगे ध्रुवीकरण की राजनीति का पारा, 22 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान

Asaduddin Owaisi impact on Bihar Panchayat elections Election symbol kite  changed due to AIMIM Jagran Specialनवीन समाचार, देहरादून, 10 अगस्त 2021 (Politics)। 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में करीब 6 माह का समय शेष रहते राजनीतिक माहौल गरमाना तय है। इसी सप्ताह भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के राज्य आगमन की खबर के बीच सोमवार को भले केजरीवाल का उत्तराखंड दौरा टल गया हो, लेकिन अब देश के अन्य राज्यों में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के ऐलान कर दिया है।

(Politics) उत्तराखंड के आईएमआईएम अध्यक्ष डॉ. नय्यर काजमी ने कहा है कि पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अगले कुछ दिनों में राज्य का दौरा करेंगे। इसके साथ उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जबकि दोनों ने राज्य की जनता को ठगने का काम किया है, लेकिन इस बार जनता इनके जाल में फंसने वाली नहीं है। इसके साथ काजमी ने कहा कि इस बार हम राज्य की 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे और पूरी दमदारी के साथ प्रचार करते हुए जीत हासिल करेंगे।

(Politics) ओवैसी के पहली बार उत्तराखंड आने से राज्य में राजनीतिक चर्चाएं तेज होनी तय हैं। ओवैसी यहां चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ एआईएमआईएममें मुस्लिम वोटों के लिए दिलचस्प खींचतान देखने को मिल सकती है। एआईएमआईएम के कुमाऊं प्रभारी फहीम मियां ‘बंटी’ ने कहा कि कुमाऊं मंडल में भी पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में पूरी ताकत से चुनाव लड़ा जाएगा।

(Politics) उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और हल्द्वानी में मुस्लिम वोटर काफी संख्या में रहते हैं। कहा जाता है कि पर्वतीय जनपदों में भी मुस्लिम गांव-गांव तक पैर पसार रहे हैं। अब तक मुस्लिम वोटों को कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता रहा है, लेकिन सपा-बसपा भी पूर्व के चुनावों में इन वोटों में सेंधमारी करती रही हैं।

(Politics) बीते चुनाव में भाजपा ने भी मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा हासिल करने का दावा किया था। इधर आम आदमी पार्टी भी इस वर्ग को साधती नजर आई है, जबकि एआईएमआईएम के आने के आने के बाद स्थितियां और दिलचस्प हो सकती हैं। इससे राज्य में धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति (Politics) के चरम पर पहुंचने की संभावना भी बढ़ गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

यह भी पढ़ें (Politics) : दावा : एक सीट भी मिली तो 69 विधायकों को हिला देगी शिव सेना…-शिव सेना के प्रदेश प्रमुख गौरव कुमार आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत कुमाऊं भ्रमण के दौरान पहुंचे नैनीताल, कहा राज्य वासियों से एक सीट मांगेंगे

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जून 2021 (Politics)। आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत शिव सेना भी चुनाव की तैयारियों व जनता का मन लेने निकल पड़ी है। इसी उद्देश्य से कुमाऊं भ्रमण पर निकले पार्टी के प्रदेश प्रमुख गौरव कुमार रविवार को मंडल मुख्यालय पहुंचे। यहां नैनीताल क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य वासियों से एक सीट जिताने की मांग करेगी, और एक सीट भी जीती तो पार्टी का एक विधायक प्रदेश के 69 विधायकों को जनता के मुद्दों पर हिला कर रख देगा।

(Politics) गौरव कुमार ने कहा कि अब तक शिव सैनिकों की छवि सड़क पर निकलते तिलकधारियों की थी, लेकिन महाराष्ट्र में पार्टी ने सरकार चलाकर दिखा दिया है कि पार्टी को विकास करना आता है। साथ ही पार्टी धर्मांतरण, लव जिहाद व गौहत्या के प्रखर हिंदूवाद के मुद्दों पर मुखर है और 80 फीसद समाजसेवा व 20 फीसद राजनीति (Politics) के सिद्धांत पर चलती है। उत्तराखंड में पार्टी महाराष्ट्र की तरह ‘पानी-जवानी पर स्थानीयों को हक’ देने के लिए भी कार्य करेगी।

(Politics) इन्हीं मुद्दों को लेकर पार्टी आगामी चुनाव में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के निर्देशों पर चुनाव में उतरेगी। इस दौरान भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, भाजपा के पास कोई नीति ही नहीं है। भाजपा सरकार एक रात में आबकारी नीति बना लेती है, लेकिन 20 वर्षों में रोजगार की नीति नहीं बना पाई है। भाजपा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए 59 विधायकों में से एक योग्य नेता नहीं मिला।

(Politics) वहीं प्रदेश में पांव जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी को उन्होंने भाजपा की ‘बी’ टीम करार दिया। इस मौके पर पार्टी नेता रूपेंद्र नागर, भूपाल कार्की, मुन्ना लाल, शिवम गोयल, विकास मेहरोत्रा, हेमंत कुमार भैयू, सरयू पांडे, अशोक सिंह सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहा। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें (Politics) : विपक्षी दलों ने की ‘जनता जागी-सरकार हिले’ वर्चुअल रैली…

-कहा-कोविड-19 पर सरकार नहीं निभा रही जिम्मेदारी, सरकार स्वास्थ्य और राहत पर तुरंत जरूरी कदम उठाये
डॉ.नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 29 मई 2021 (Politics) सरकार पर कोविड काल में नाकामी का आरोप लगाते हुए आयोजित ‘जनता जागे-सरकार हिले’ नाम की वर्चुअल रैली शनिवार को आयोजित की गई। रैली में सात विपक्षी दलों के नेता, विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि, वरिष्ठ बुद्धिजीवी व पत्रकार, और अन्य लोगों के शामिल होने का दावा किया गया।

(Politics) वर्चुअल रैली में वक्ताओं ने सरकार की नीतियों और नाकाफी कदमों पर आक्रोश जताते हुए कहा कि सरकार स्वास्थ और राहत, दोनों मोर्चों पर आज तक पूरी तरह से नाकाम रही है। आज तक मरीजों को खुद ऑक्सीजन या दवाओं को ढूंढ़ना पड़ रहा है। सरकार ने स्वास्थ कर्मियों के लिए कोई कदम नहीं उठाये हैं। गया है। राज्य के मजदूर, ड्राइवर, होटल कर्मचारी, लौटे हुए युवा, और अन्य गरीब परिवार सबके बेरोजगार होने के बावजूद सरकार ने उनको कोई मदद नहीं दी, साथ ही उनकी सुरक्षा और रोजगार के लिए कोई कदम उठाए।

(Politics) रैली की अध्यक्षता उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने की, जबकि राजनैतिक दलों की और से कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण सचान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माले के गढ़वाल मंडल के सचिव इंद्रेश मैखुरी,

(Politics) तृणमूल कांग्रेस के राज्य संयोजक राकेश पंत व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी, उक्रांद के सतीश काला व और उक्रांद-डी के संरक्षक पीसी जोशी, वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, शेखर पाठक, रवि चोपड़ा, जगमोहन रौतेला, विनोद बडोनी, अशोक कुमार, राजाराम, पप्पू, सुनीता देवी, निर्मला बिष्ट, गीता सहित अन्य लोग भी शामिल रहे। संचालन चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने किया।

यह भी पढ़ें (Politics) : 29 को ’जनता जागे, सरकार हिले’ वर्चुअल रैली आयोजित करेगा ‘जन हस्तक्षेप’

-कहा-कोविड-19 पर सरकार नहीं निभा रही जिम्मेदारी, सरकार स्वास्थ्य और राहत पर तुरंत जरूरी कदम उठाये

डॉ.नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 28 मई 2021 (Politics) उत्तराखंड के विभिन्न राजनैतिक दलों, जन संगठनों और विचारशील व जागरूक नागरिकों के मंच ‘जन हस्तक्षेप’ की ओर से कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण सचान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माले के गढ़वाल मंडल के सचिव इंद्रेश मैखुरी, तृणमूल कांग्रेस के राज्य संयोजक राकेश पंत व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी द्वारा एक पत्र जारी किया गया है।

(Politics) नगर के वरिष्ठ पत्रकार एवं उत्तराखंड लोक वाहिनी के नेता राजीव लोचन साह द्वारा उपलब्ध कराए गए पत्र में कहा गया है कि 29 मई को पूर्वाह्न 11 बजे से एक वर्चुअल रैली ’जनता जागे, सरकार हिले’ आयोजित की जाएगी। उनका कहना है कि सरकार स्वास्थ्य पर और राहत पर तुरंत जरूरी कदम उठाये।

(Politics) पत्र में कहा गया है कि जन हस्तक्षेप कोविड की वैश्विक महामारी शुरू होने के बाद से लगातार उत्तराखंड सरकार को आम जनता की समस्याओं से अवगत करवा रहा है और उनके समाधान भी प्रस्तुत कर रहा है। दो माह पहले कोविड की दूसरी लहर आने के बाद उनके आह्वान पर प्रदेश भर में हजारों लोगों ने ‘सरकार की जिम्मेदारी’ हैशटैग के अंतर्गत 3, 8 और 11 मई को अपने घरों में बैठ कर जनता की माँगों को लेकर वर्चुअल धरना दिया और 20 मई को उनके एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मिल कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।

(Politics) इसके बावजूद प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है और जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा एवं आर्थिक मदद के लिए कुछ नहीं कर रही है। उनका कहना है कि हर जनपद में एक ही फोन नंबर वाला कंट्रोल रूम बनाया जाये, जिसके पास अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, टेस्ट और एम्बुलेंस की सही जानकारी हो। राज्य में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंट लाइन वर्करों के वेतन को तुरंत बढ़ाया जाये। उनको पीपीई किट मिलें और राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा योजनाओं को सरकार तुरंत लागू करे।

यह भी पढ़ें (Politics) : खुले में सीवर बहने पर आप मुखर, कांग्रेस बूथों के गठन को जुटी…

-पाषाण देवी मंदिर व नैनी झील के पास बह रही सीवर पर आम आदमी पार्टी मुखर
नवीन समाचार, नैनीताल, 13 मार्च 2021 (Politics) नगर में कई स्थानों पर सीवर लाइनों के उफनने का सिलसिला जारी है। एक दिन पूर्व नगर के स्टाफ हाउस कंपाउंड क्षेत्र के सभासद सागर आर्य ने अपने क्षेत्र में सीवर लाइनों के उफनने पर जल संस्थान कार्यालय के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी।

(Politics) अब नगर के ठंडी सड़क क्षेत्र पर नगर के प्राचीन पाषाण देवी मंदिर के पास खुले में बह रही सीवर से तालाब बन गया है, और सीवर बगल में स्थित नैनी झील में रिसकर पहुंच रही है। इस पर आम आदमी पार्टी की नैनीताल इकाई के अध्यक्ष शाकिर अली ने आज उत्तराखंड जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संतोष उपाध्याय से दूरभाष पर बात कर सीवर लाइन को तुरंत सही करने की मांग की है।

(Politics) उन्होंने बताया कि यहां बीते दो-तीन दिन से डीएसबी परिसर की ओर से सीवर लाइन का गंदा पानी सीधे ठंडी सड़क में बह रहा है और नैनी झील में समा रहा है। इससे इस मार्ग पर चलने वाले राहगीरों और श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और सीवर का गंदा पानी सीधे झील को प्रदूषित कर रहा है। हालांकि बताया गया है कि अपराह्न में सीवर लाइन को दुरुस्त कर लिया गया है।

(Politics) शुभान व देवेश कांग्रेस पार्टी के बूथ अध्यक्ष मनोनीत
नैनीताल (Politics) नगर में राज्य की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी की ओर से वार्ड स्तर पर पार्टी को मजबूत प्रयास शुरू होते दिखाई दे रहे हैं। शनिवार को नगर के शेर का डांडा वार्ड स्थित बिड़ला चुंगी में नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनुपम कबडवाल की अध्यक्षता और नगर महामंत्री व वार्ड प्रभारी कैलाश अधिकारी के संचालन में बैठक हुई।

(Politics) बैठक में बूथ कमेटी संख्या 69 के अध्यक्ष शुभान अली व बूथ कमेटी संख्या 70 का अध्यक्ष देवेश कुमार को मनोनीत किया गया। बैठक में धीरज बिष्ट, धर्मा चंदेल, नगर सचिव अंकित चंद्रा, बंटू आर्या, सरस्वती देवी, कुमारी मुन्नी, शोभा देवी, कमला देवी, चेतना देवी, विद्या आर्या, मनीष कुमार, संदीप कुमार, पंकज कुमार, शिवा, अजय बिष्ट व अभिषेक तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें (Politics) : कांग्रेसियों ने काले झंडे दिखाकर व आप ने बयानों में जताया सीएम का विरोध… कांग्रेसी हुए गिरफ्तार, बाद में रिहा किए गए..

नवीन समाचार, नैनीताल, 27 फरवरी 2021 (Politics) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नैनीताल आगमन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाने का प्रयास किया। इस पर मुख्यमंत्री की फ्लीट गुजरने से करीब 15 मिनट पहले फ्लीट गुजरने के स्थान तक पहुंचे करीब 25 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तल्लीताल थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अलबत्ता मुख्यमंत्री के शहर से लौटने के बाद सभी को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया।

(Politics) उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही नगर कांग्रेस अध्यक्ष अनुपम कबडवाल ने प्रदेश में बेरोजगारी व महंगाई के बेतहाशा बढ़ने का आरोप लगाते हुए एवं नगर की पार्किंग समस्या, बढ़े हुए बिजली-पानी के बिलों, ऐतिहासिक रैमजे अस्पताल की कथित अनदेखी एवं जिला विकास प्राधिकरणों की अस्पष्ट स्थिति आदि को लेकर मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का ऐलान किया था।

(Politics) इस पर कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के नगर में आगमन के प्रस्तावित समय साढ़े 11 बजे से करीब 15 मिनट पहले ही तल्लीताल बाजार स्थित क्रांति चौक पर एकत्र हुए और यहां से एकत्र होकर तल्लीताल डांठ पर पहुंचे, जहां उन्हें तल्लीताल थाना प्रभारी विजय मेहता की अगुवाई में एसआई दीपक बिष्ट सहित मौजूद भारी पुलिस बल ने पकड़कर गाड़ी में डाल दिया। गाड़ी से भी उन्होंने काले झंडे लहराए, अलबत्ता तब तक मुख्यमंत्री की फ्लीट वहां नहीं पहुंची थी।

(Politics) गिरफ्तार किए गए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नगर अध्यक्ष अनुपम कबडवाल के साथ ही त्रिभुवन फर्त्याल, गिरीश पपनै, हिमांशु पांडे, हेम आर्य आदि प्रमुख रहे। उधर हल्द्वानी में हेमंत साहू के नेतृत्व में बुध पार्क में नैनीताल में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर भाजपा सरकार का पुतला दहन किया गया।

(Politics) आम आदमी पार्टी ने बताया सीएम के दौरे को हवा-हवाई
नैनीताल। आम आदमी पार्टी की नैनीताल इकाई ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मंडल मुख्यालय नैनीताल के दौरे को हवा हवाई दौरा बताया है।

(Politics) पार्टी के नगर अध्यक्ष शाकिर अली, विधानसभा प्रभारी प्रदीप दुम्का, वरिष्ठ नेता देवेंद्र लाल व महामंत्री महेश आर्य आदि पदाधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री रावत ने जो घोषणाएं नैनीताल नगर के लिए की हैं, वह मात्र औपचारिकताएं है और चुनावी वर्ष को देखते हुए एक रस्म अदायगी भर हैं। साथ ही कहा कि शिलान्यास के पत्थर आम जनता को धोखे में रखने के लिए है, जिससे आम जनता भली भांति परिचित है।

यह भी पढ़ें (Politics) : उत्तराखंड के एक आईएएस व पूर्व आईपीएस अधिकारी आम आदमी पार्टी में हुए शामिल

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 03 दिसम्बर 2020 (Politics) दिल्ली में बृहस्पतिवार को उत्तराखण्ड पुलिस के एक आईएएस अधिकारी पूर्व चुनाव आयुक्त सुवर्धन शाह तथा 2005 बैच के एक आईपीएस अधिकारी पूर्व आईजी अंनतराम चौहान ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।

(Politics) आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अंनत राम चौहान व सुवर्धन शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड में प्रबुद्ध लोग आम आदमी पार्टी का लगातार दमन थाम रहे हैं। भट्ट ने कहा कि जहां एक ओर भाजपा सरकार उत्तराखंड के शहीदों के सपनों को साकार करने में विफल रही,

(Politics) और उत्तराखण्ड में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के मामलों में त्रिवेंद्र सरकार नाकाम साबित हुई। वहीं कांग्रेस आपस मे लड़-झगड़ कर गुटबाजी में लीन है। भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही उत्तराखंड और उत्तराखंड के लोगों के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं रहा है। ऐसे में लोग विकल्प के रूप में आप पार्टी की ओर देख ही नहीं रहे बल्कि आप का दामन थाम रहे हैं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की राजनीति (Politics) के सबसे बड़े यक्ष प्रश्न का जवाब: अगले विधानसभा चुनाव में किस ओर होंगे हरक ?

नवीन समाचार, देहरादून, 2 नवम्बर 2020 (Politics) उत्तराखंड में डा. हरक सिंह रावत बदलती राजनीति (Politics) का दूसरा नाम हैं। शायद राज्य में हरक से अधिक किसी अन्य नेता ने दल बदले हों। 90 के दशक में भाजपाई रहे हरक पहले बसपा, फिर उत्तराखंड जन विकास पार्टी का गठन कर कांग्रेस में चले गए थे और इधर 2016 में वापस भाजपा में लौट आए।

(Politics) इधर उनके आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चाओं के साथ उन्होंने अगला विधान सभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है तो कांग्रेस के एक धड़े ने उनके प्रति नरम और दूसरे से गरम संकेत दिए हैं। ऐसे में यदि आज की तिथि में राज्य के किसी राजनेता के बारे में अगले विधानसभा चुनावों को लेकर सर्वाधिक अनिश्चितता है तो वह हरक ही हैं। हरक अगले विधानसभा चुनाव मंे किस ओर होंगे, यह उत्तराखंड की राजनीति (Politics) का सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है।

(Politics) 2016 में डा. हरक सिंह रावत की भाजपा में घरवापसी हुई है। इससे पहले नब्बे के दशक में वह भाजपा में थे, लेकिन वहां से निष्कासन के बाद बसपा से होते हुए वह कांग्रेस में चले गए थे। हरीश रावत सरकार में कांग्रेस से बगावत करते हुए हरक और अन्य तमाम नेता भाजपा में आए, लेकिन करीब पौने चार साल के दौरान भाजपा और मुख्यमंत्री के साथ वह अच्छे से पटरी नहीं बैठा पाए हैं। बहुत पहले से मुख्यमंत्री बनने की चाह रखने वाले हरक को भाजपा के घर में बहुत ‘फ्री हैंड’ नहीं मिल पाया है।

(Politics) श्रम विभाग के कर्मकार बोर्ड से जुडे़ ताजा प्रकरण ने हरक को एक के बाद एक कई झटके दिए हैं। आप के कार्यक्रम में साइकिलों के वितरण के मामले में हरक सिंह रावत के श्रम विभाग में जांच बैठा दी गई है। बोर्ड के पुनर्गठन के फैसले ने हरक सिंह रावत कैंप को बड़ा झटका दिया है। इन स्थितियों के बीच 2022 के विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ सवा साल का समय रह गया है। हरक की उलटफेर करने की राजनीति (Politics) कई बार उत्तराखंड देख चुका है।

(Politics) ऐसे में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि हरक ‘आप’ से कितने नजदीक और कितने दूर हैं। कांग्रेस में वापसी उनके लिए हरीश रावत के रहते बहुत कठिन है। उत्तराखंड के लिहाज से नई पार्टी में जाना, उसे संभालना मुश्किल लक्ष्य है, जिसका अनुभव हरक नब्बे के दशक में तब कर चुके हैं, जबकि वह बसपा में शामिल हुए थे। इसके बाद उत्तराखंड जन विकास पार्टी का गठन करना भी उन्हें रास नहीं आया था।

(Politics) ऐसे में हरक सिंह रावत भाजपा में रहकर ही संघर्ष करेंगे या फिर जोखिम उठाएंगे, इस तरह के कई सारे सवाल हैं। वैसे हरक सिंह रावत के समर्थकों को लगता है कि दिल्ली की तरह उत्तराखंड में भी झाडू चलाई जा सकती है। इन स्थितियों के बीच हरक सिंह रावत से जितनी बार भी आप से जुडे़ सवाल हुए हैं, उन्होंने अटकल कहते हुए उन्हें खारिज ही किया है।

(Politics) हालांकि हरक की तुनकमिजाजी को जानने वालों की मानें तो वह 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व अपना नफा-नुकसान न देखकर कोई आत्मघाती राजनीतिक कदम भी उठा सकते हैं, परंतु फिर भी यदि उनसे राजनीतिक समझ की उम्मीद की जाए तो वह आगामी विधानसभा चुनाव का ठीक से आंकलन करने के बाद ही, और यह भांपने के बाद ही कि अगले चुनाव के बाद किस दल की सरकार आएगी, अपना कोई अगला राजनीतिक कदम उठाएंगे।

यह भी पढ़ें : बड़ा समाचार: उत्तराखंड की राजनीति (Politics) में बड़ा मोड़, खुद घिरे तो ‘रावत’ के खिलाफ याचिका वापस लेने चले ‘रावत’ !

नवीन समाचार, देहरादून, 4 नवंबर 2019(Politics) उत्तराखंड की राजनीति (Politics) क्या एक बार फिर नये मोड़ पर आ खड़ी हुई है ? प्रदेश के बहुचर्चित विधायकों की खरीद के स्टिंग प्रकरण में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले उनके पूर्व सहयोग काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत अब याचिका वापस लेने का मन बनाने लगे हैं।

उन्होंने कहा है, बदली राजनीतिक परिस्थितियों में अब उस याचिका का कोई औचित्य नहीं रह गया है। उनके इस एक लाइन के कथन से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस मामले में हरीश रावत के साथ स्वयं हरक के खिलाफ भी सीबीआई द्वारा गत 23 अक्तूबर को राज्य बनाम हरीश रावत का मुकदमा दर्ज कर लिये जाने के बाद क्या राज्य के राजनीतिक हालात किसी नये मोड़ पर आ खड़े हुए हैं, जहां खुद को घिरता देख हरक का भाजपा से भी मोहभंग हो गया है, और वे किसी नई राजनीतिक दिशा की ओर चलेंगे ?

(Politics) क्या सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमे पर हरक के याचिका वापस लेने का कोई प्रभाव पड़ेगा, या कि मुकदमा अपनी तरह से चलता रहेगा ? गौरतलब है कि इस मुकदमे को पहले ही हरीश रावत नियमविरुद्ध बताकर उच्च न्यायालय में चुनौती दे चुके हैं। और वैसे भी यह मुकदमा हरीश रावत के विरुद्ध पहले से चल रहे मामले के अंतिम निर्णय पर निर्भर रहने वाला है,

(Politics) जिसमें उच्च न्यायालय को तय करना है कि मार्च 2016 में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के दौर में राज्यपाल द्वारा सीबीआई को मामले की जांच सोंपने और फिर डा. इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस जांच की जगह एसआईटी से जांच कराने के निर्णय में क्या सही और क्या गलत था। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आगे भविष्य ही देगा।

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नवीन समाचार, नैनीताल, 07 अक्टूबर 2020 (Politics) प्रदेश की नई राजनीतिक पार्टी एसएसपी यानी सर्वजन स्वराज पार्टी के वरिष्ठ महासचिव डीके पाल ने बुधवार को प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए बताया कि पार्टी अपने संगठन को तीव्र गति से बनाने के प्रयास में लगी है। अगले 30 के अंदर प्रदेश के सभी 13 जनपदों व 8 महानगरों में पूरा संगठन बनाने के साथ ही सभी विधानसभाओ में विधानसभा अध्यक्षों का मनोनयन जिलाध्यक्षों की संस्तुति पर कर लिया जाएगा।

(Politics) साथ ही इसके अगले 15 दिन के अंदर विधानसभा अध्यक्ष अपनी विधासभाओं की 16 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन कर लेंगे। वहीं अगले 60 दिनों के अंदर राज्य के समस्त 10670 बूथों पर बूथ अध्यक्ष व 10 सदस्यीय समिति का गठन करने का कार्य पूरा करेंगे।

(Politics) इस अवसर डीके पाल ने बताया कि पार्टी राज्य के प्रधानों की मांग पर प्रधान संगठनों के साथ खड़ी है, और राज्य में सम्पूर्ण पंचायती कानून को पूर्णतः लागू करने की मांग करती है उन्होंने राज्य के आंदोलनकारियों की 3 माह से भी ज्यादा की पेंशन बकाया होने पर भी चिंता जताई। इस अवसर पर अनुज ठाकुर, सुनील उप्रेती, नवीन जोशी व आशीष कन्याल ने पार्टी की सदस्यता ली।

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-कहा-सरकारों के भ्रष्टाचार की हर हद तक पोल खोलेंगे

नवीन समाचार, नैनीताल, 17 सितंबर 2020 (Politics) राज्य में नवगठित सर्वजन स्वराज पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस पाटियों को एक-एक कर राज्य को लूटने वाले ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ और प्रदेश की राजनीति (Politics) में आ रही आम आदमी पार्टी को इन ‘मौसेरे भाइयों की मौसी’ करार दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डीके पाल ने कहा कि भाजपा-कांग्रेस अपनी सरकारों में भ्रष्टाचार करते हैं और दूसरी सरकारों के भ्रष्टाचारों की जांच कराने की बात कहती हैं, पर आज तक कोई जांच नतीजे तक नहीं पहुंचती।

(Politics) जबकि आप का पहाड़ से कोई सरोकार ही नहीं है। सर्वजन स्वराज पार्टी एक नए तरह का राजनीतिक विचार लेकर आई है। वह सरकारों के भ्रष्टाचार को सुप्रीम कोर्ट तक जाकर उजागर करेंगे। जल्द पार्टी सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों पर लगाम लगाने के लिए ‘शेडो मंत्रिमंडल’ की एवं 15-20 दिन के भीतर 11 सूत्रीय कार्यक्रमों की घोषणा भी करने जा रही है।

(Politics) बृहस्पतिवार को नगर के मल्लीताल स्थित एक रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव-संगठन राजेश बनवाल ने कहा कि पार्टी जल्द ही जिलों, विधानसभाओं एवं बूथ स्तर तक अपने संगठन को स्थापित करने, तीन माह में एक लाख व 6 माह के अंदर पांच लाख सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। इसके लिए पार्टी दूसरी निष्क्रिय पार्टियों व संगठनों, राज्य के सेवानिवृत्त अधिकारियों को जोड़ने व उनके विचार लेने का कार्य कर रही है।

(Politics) उन्होंने बताया कि पार्टी का गठन गत एक अगस्त को और एक सितंबर को पार्टी के देहरादून में मुख्यालय की स्थापना हुई है। जल्द हल्द्वानी में भी पार्टी के उप मुख्यालय की स्थापना होने जा रही है। पार्टी महासचिव पाल ने राज्य की पहली अंतरिम सरकार से लेकर 2017 तक की सभी सरकारों पर भ्रष्टाचार की इंतहा करने एवं वर्तमान में राज्य में मुख्यमंत्री ही न होने जैसे आरोप भी लगाए। इस मौके पर पार्टी के प्रचार सचिव पूरन सिंह नेगी व राष्ट्रीय सह सचिव प्रताप सिंह करासी भी मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें (Politics) : कांग्रेस नेता ने ग्रामीणों से सड़क के लिए जनांदोलन करने को कहा, विधायक ने कहा पहले ही धन स्वीकृत..

नवीन समाचार, नैनीताल, 08 अगस्त 2020 (Politics) कांग्रेस नेता हेम आर्य ने बताया कि बेतालघाट क्षेत्र की रतोडा ग्राम सभा के वाशिंदों में रोड नहीं बनने पर उनके समक्ष भारी आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने ग्रामीणों के हवाले से बताया कि वर्तमान विधायक संजीव आर्य ने तीन साल पहले रोड बनाने की घोषणा की थी, पर अभी तक इस पर किसी तरह का कोई भी काम नहीं किया है। इस कारण जनता में भारी आक्रोश दिख रहा है। इस पर हेम ने ग्राम वासियों से सड़क की मांग को जनांदोलन बनाने पर जोर देने को कहा।

(Politics) वहीं विधायक संजीव आर्य ने बताया कि तिवारीगांव से रतौड़ा के दो किमी मार्ग के लिए स्क्रपर निर्माण तथा कच्चे भाग में डामरीकरण के लिए एक मई 2020 को 104.11 लाख रुपए का चेक भी कार्यदायी संस्था को दिया जा चुका है। बरसात के बाद नवंबर-दिसंबर में कार्य शुरू हो जाएगा।

(Politics) उन्होंने कुछ हिस्से कच्चे होने के बावजूद इस ग्रामीण मार्ग को राज्य मार्ग में बदला है। मौजूदा कार्यकाल में यह पहला राजमार्ग बन रहा है। इस पूरी 18 किमी सड़क में से 12 किमी का डामरीकरण पूरा कराया जा चुका है। शेष पांच किमी के हॉट मिक्स के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।

यह भी पढ़ें (Politics) : विपक्षी नेताओं ने बलूनी से लगायी बाहर फंसे लोगों को लाने के लिए गुहार

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 अप्रैल 2020 (Politics) पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहित उत्तराखंड के सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने प्रदेश व प्रदेश के बाहर लॉक डाउन में फँसे उत्तराखंडियों को वापस राज्य में लाने के लिए राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी से गुहार लगाई है। उनसे फोन पर बात करने के साथ ही पत्र के जरिये भी सहयोग की अपेक्षा की है।

(Politics) बलूनी को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि वे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि विभिन्न प्रदेशों व विदेश में फंसे हुये उत्तराखंडियों के बारे में चिन्तित हैं। इनमें महिलायें, युवतियाँ, बच्चे, छात्र-छात्राएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। वे कोरोना महामारी के दौर में मानसिक वेदना के साथ-साथ अनेकों अन्य प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे है।

(Politics) साथ ही राज्य में फंसे अन्य प्रदेशों के लोगों को भी अपने घर जाने देने की अपील की गई है। प्रेस को जारी किये गये पत्र में पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही बच्चीराम कंसवाल, राजीव लोचन साह, प्रो. एसएन सचान, समर भंडारी, राकेश पंत, त्रेपन सिंह, राजेंद्र सिंह भंडारी, शंकर गोपाल, आनंद उपाध्याय, याकूब सिद्दीकी, अंशुल श्रीकुंज, सुरेंद्र रांगड़, मनोज खुल्बे, आशीर्वाद गोस्वामी, पंकज रतूड़ी, नेम चंद्र सोमवंशी आदि के नाम हैं।

यह भी पढ़ें : एक्सक्लूसिव : क्या बदल रही है नैनीताल की राजनीति (Politics) ? पालिकाध्यक्ष ने किया सांसद का अभिनंदन, निकाले जा रहे निहितार्थ

नवीन समाचार, नैनीताल, 27 जनवरी 2020(Politics) देश की दूसरी सबसे पुरानी ऐतिहासिक नगर पालिका नैनीताल के सांसद सचिन नेगी ने रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट का अपने कार्यालय में पुष्पगुच्छ से स्वागत अभिनंदन किया।

(Politics) इसके उपरांत पालिकाध्यक्ष नेगी क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य के साथ चलने के आमंत्रण को स्वीकार कर सांसद व अन्य अन्य भाजपा नेताओं के साथ नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्थाओं में शुमार श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष मनोज साथ एवं उत्तराखंड जल संस्थान के कर्मचारी नेता विजय साह की माता के देहावसान पर उनके घर श्रद्धांजलि देने भी साथ पहुंचे। इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

(Politics) बताया गया है कि गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक फ्लैट्स मैदान में हुए कार्यक्रम के उपरांत डीएसए के पैविलियन में चाय पीने के बाद सांसद अजय भट्ट, विधायक संजीव आर्य के आमंत्रण पर नगर पालिका परिषद कार्यालय पहुंचे, जहां पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी ने पहली बार नगर पालिका कार्यालय में आगमन पर सांसद भट्ट का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत अभिनंदन किया।

(Politics) गौरतलब है कि पालिकाध्यक्ष नेगी अपने कार्यालय के सामने ही ऐतिहासिक फ्लैट्स मैदान में आयोजित हुए गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। इसके उपरांत विधायक संजीव ने पालिकाध्यक्ष नेगी से कहा, ‘आगे साथ चलना है; इसके बाद सभी लोग साथ आगे गए। भाजपा-कांग्रेस दो अलग दलों से होने के बावजूद बीते कुछ समय से ‘नगर हित में अच्छी समझ’ बनने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है अगले कुछ दिन में इस मुलाकात-अभिनंदन का प्रभाव सार्वजनिक तौर पर सामने आ सकता है।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड राजनीति (Politics) : …तो सरकार-संगठन में इतनी नाराजगी थी अजय भट्ट से, जाते ही मिले 2 बड़े संकेत..

नवीन जोशी @ नवीन समाचार, देहरादून, 17 जनवरी 2020 (Politics) उत्तराखंड की राजनीति (Politics) इन दिनों बदलाव के दौर से गुजरती नजर आ रही है। खासकर सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई के तुरंत बाद जिस तरह के दो बडे संकेत नजर आ रहे हैं, उससे यह संकेत नजर आ रहा था कि अजय भट्ट को लेकर सरकार एवं संगठन में भारी नाराजगी थी। भट्ट के जाने के बाद ही सरकार ने अपने 10 नेताओं को राज्य मंत्री स्तर के दायित्व एवं 13 मंडी परिषदों में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों की नियुक्ति की गई।

(Politics) दूसरे भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष बनते हुए बंशीधर भगत भाजपा के उन बागी नेता के साथ भाजपा जिला मुख्यालय पहुंचे, जिन्हें अजय भट्ट पिछले तीन सालों में दो बार पार्टी से 6 वर्ष के निष्कासित कर चुके हैं। एक बार उनके कुछ दिनों के लिए पद से अलग होते इन बागी नेता का 6 वर्ष का निष्कासन रद्द कर दिया गया था, और अब दूसरी बार भी ऐसा होना तय माना जा रहा है, बल्कि इस बात की भी पूरी संभावना है कि उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट की परंपरागत रानीखेत विधानसभा से टिकट ही दे दिया जाए।

(Politics) पहले बात राज्य में पौने तीन साल का वक्त बिता चुकी भाजपा सरकार द्वारा पहली बार बड़े स्तर पर दायित्वों के बंटवारे की। दायित्वों के बंटवारे की यह टाइमिंग केवल दो कारणों से ही हो सकती है। पहला अजय भट्ट के जाने के कारण और दूसरा भाजपा का झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों में मिली हार के कारण। बताया जा रहा है कि भट्ट अपनी पसंद के संगठन से जुड़े नेताओं को दायित्व दिलाना चाहते थे।

(Politics) उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को लंबी-चौड़ी सूची काफी पहले थमाई भी थी, किंतु सरकार इसे टालती रही और उनके जाते ही इस सूची से बाहर के भी कुछ लोगों को दायित्व दे दिये गये। लेकिन यदि झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों में मिली हार के कारण अब दायित्व दिये गये हैं तो इसे सरकार के बैकफुट पर आने के रूप में देखा जा सकता है।

(Politics) वहीं दूसरी गौर करने वाली बात भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत की ताजपोशी के दौरान यह दिखी है कि वह पार्टी के बागी-छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित नेता प्रमोद नैनवाल के साथ पार्टी मुख्यालय में प्रवेश करते दिखे। प्रमोद नैनवाल अजय भट्ट से अदावत रखने वाले सबसे प्रमुख नेता रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में वे तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की परंपरागत रानीखेत सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।

(Politics) टिकट अजय भट्ट को मिला तो प्रमोद बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। खुद तो नहीं जीत पाए लेकिन अजय भट्ट की हार के प्रमुख कारण जरूर साबित हुए। वह भी तब, जब प्रदेश में भाजपा को 70 में से 57 सीटें जीतीं लेकिन खुद पार्टी का मुखिया चुनाव हार गया। ऐसी हिमाकत पर प्रमोद का पार्टी से निष्कासित होना तय ही था।

(Politics) अन्य बागी नेताओं के साथ उन्हें भी छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया, किंतु 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान जब अजय भट्ट नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उतरे और चुनाव के दौरान के लिए उनकी जगह नरेश बंसल को भाजपा का कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, प्रमोद नैनवाल का छह वर्ष का निष्कासन रद्द कर दिया गया।

(Politics) इसमें अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रमुख भूमिका बताई गई। स्वयं मुख्यमंत्री की ओर से अल्मोड़ा में इसकी घोषणा की गई। लेकिन प्रमोद हालिया त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में फिर बागी तेवर अपना बैठे। अपने परिवार की सदस्यों को बागी चुनाव में उतार दिया, फलस्वरूप भाजपा के घोषित प्रत्याशी चुनाव हारे। फलस्वरूप प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने दुबारा उन्हें छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

(Politics) लेकिन अब अजय भट्ट के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद जिस तरह उनकी नये प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के साथ प्रदेश मुख्यालय में इंट्री हो चुकी है, तो उनकी पार्टी में इंट्री भी अधिक कठिन नहीं होगी। साथ ही यह भी संभावना जताई जा रही है कि वे ही आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट की परंपरागत रानीखेत विधानसभा से पार्टी के प्रत्याशी होंगे।

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