उत्तराखंड का एक मेडिकल कॉलेज राजधानी में दे रहा सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ के दावों को चुनौती, इंटर्नशिप के लिये मांग रहा एक लाख रुपये और छात्रवृत्ति भी नहीं दे रहा…
नवीन समाचार, नैनीताल, 14 अक्टूबर 2024 (Medical College demanding 1 Lakh for Internship)। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के मामले में ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही जाती है, लेकिन राज्य का एक मेडिकल कॉलेज-विश्वविद्यालय राज्य की राजधानी में ही सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ के दावों पर चुनौती खड़ी कर रहा है। यहां मेडिकल इंटर्न छात्र-छात्राओं से कथित तौर पर 1-1 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं और उन्हें मानदेय भी नहीं दिया जा रहा है। यह भी पढ़ें संबंधित समाचार : ‘नवीन समाचार’ का बड़ा असर: सैकड़ों मेडिकल इंटर्न छात्र-छात्राओं के लाखों रुपये बचे, संबंधित संस्थानों को लगा करोड़ों रुपये का झटका
‘नवीन समाचार’ का बड़ा असर: सैकड़ों मेडिकल इंटर्न छात्र-छात्राओं के लाखों रुपये बचे, संबंधित संस्थानों को लगा करोड़ों रुपये का झटका
एक मेडिकल कॉलेज को किये गये हैं 150 में से सर्वाधिक 115 आवंटन, वही मांग रहा एक लाख रुपये और छात्रवृत्ति भी नहीं दे रहा (Medical College demanding 1 Lakh for Internship)
मामला विदेशों से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से जुड़ा है। एनएमसी यानी नेशनल मेडिकल काउंसिल यानी राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने इधर उत्तराखंड सहित देश के अन्य प्रांतों के 150 छात्र-छात्राओं को काउंसिलिंग के माध्यम से अपनी ओर से उत्तराखंड के विभिन्न मेडिकल कॉलेज एक वर्ष की इंटर्नशिप के लिये आवंटित किये हैं। बताया गया है कि इनमें से सर्वाधिक 115 छात्र-छात्राओं को देहरादून के एक मेडिकल कॉलेज/विश्वविद्यालय को, जबकि अन्य को अल्मोड़ा, श्रीनगर आदि के अन्य मेडिकल कॉलेज आवंटित किये गये हैं।
इन छात्र-छात्राओं को आगामी 21 अक्टूबर तक प्रवेश लेने हैं। इनमें से देहरादून के मेडिकल कॉलेज/विश्वविद्यालय पर छात्र-छात्राओं से प्रवेश के समय 1 लाख रुपये लेने और इसकी कोई रसीद भी नहीं देने का आरोप है। अनेक छात्र-छात्राओं ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग को और उत्तराखंड के सीएम पोर्टल व ग्रीवांस सेल आदि में की है और एक लाख रुपये दिये बिना प्रवेश दिलाने की मांग की है।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने जारी किया है सर्कुलर (Medical College demanding 1 Lakh for Internship)
इस मामले में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने एक सर्कुलर के माध्यम से स्पष्ट किया है कि कुछ मेडिकल कॉलेज-संस्थान अपने यहां इंटर्नशिप करने वाले भारतीय और विदेशी मेडिकल स्नातकों से इंटर्नशिप शुल्क ले रहे हैं तथा उन्हें छात्रवृत्ति भी नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में यह सूचित किया जाता है कि एनएमसी के 18 नवंबर 2021 से लागू अनिवार्य रोटेटरी मेडिकल इंटर्नशिप विनियम-2021 में निहित प्रावधानों के तहत विनियमित सभी विदेशी चिकित्सा स्नातकों को भारतीय चिकित्सा स्नातकों के समान इंटर्नशिप से गुजरना आवश्यक है।
उन्हें केवल उन मेडिकल कॉलेजों या संस्थानों में ही इंटर्नशिप करनी होगी जो भारतीयों को सीआरएमआई प्रदान करने के लिए अनुमोदित हैं। इस हेतु आवंटित मेडिकल कॉलेज द्वारा इन छात्र-छात्राओं को इंटर्नशिप करने की अनुमति देने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। वरन उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षित होने वाले भारतीय मेडिकल स्नातकों के बराबर ही संस्थान-विश्वविद्यालय या राज्य सरकार द्वारा तय छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाएं देनी होंगी।
इसके बावजूद छात्र-छात्राओं से एक लाख रुपये मांगे जा रहे हैं और उन्हें छात्रवृत्ति तथा छात्रावास की सुविधा भी नहीं दी जा रही है। इस संबंध में राज्य की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तारा आर्या से बात करने का कई बार प्रयास किया गया, किंतु उन्होंने फोन नहीं उठाया। (Medical College demanding 1 Lakh for Internship)
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