आखिर कौन है ‘भाजपा का विभीषण’, जिसका वोट हुआ वायरल, अवैध और खुली उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस की जीत

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 अगस्त 2025 (BJPs Vibhishan whose vote got Viral and Invalid)। गत14 अगस्त यानी पिछले एक सप्ताह से नैनीताल जिला पंचायत चुनाव पर सबकी नजरें लगी रहीं। लेकिन आज 22 अगस्त को मतदान की वीडियो फुटेज की रिपोर्ट उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पेश किये जाने के साथ अब यह मामला समाप्त माना जा रहा है। देखें संबंधित वीडिओ :
न्यायालय ने भी आज इस संबंध में स्वयं संज्ञान याचिका पर सुनवाई के साथ इसमें प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में गत दिनों हुई गोलीबारी और अवैध खनन आदि की घटनाओं को भी जोड़ दिया है, यानी याचिका अब अन्य कोणों को भी मुड़ती नजर आ रही है।
बहरहाल एक बड़ा सवाल अभी अनुत्तरित है, जो अपने खुलासे तक बहुत लोगों के मन को कौंधता रहेगा कि भाजपा का वह विभीषण कौन है, जिसका वोट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, अवैध घोषित हुआ। इसकी जांच के लिये उच्च न्यायालय को एक समिति गठित कर पूरी मतगणना की प्रक्रिया की वीडियो देखने के आदेश देने पड़े और इसके बाद मामला ‘खोदा पहाड़-निकली चुहिया’ जैसा साबित हुआ। बताया यह भी जा रहा है, जिस भाजपाई विभीषण का यह बहुचर्चित मत था, उसी के वोट से कांग्रेस प्रत्याशी की उपाध्यक्ष पद पर जीत की राह भी खुली।
इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि यह है कि नैनीताल जिला पंचायत के चुनाव में कुल 27 सदस्यों में से मतदान के दिन 5 सदस्यों का रेनकोटधारियों के द्वारा कथित अपहरण कर लिया गया, हालांकि बाद में कथित अपहृत 5 सदस्य दो दिन बाद स्वयं वीडियो के जरिये सोशल मीडिया पर प्रकट हुए और मीडिया में ‘अपनी मर्जी से घूमने’ की बात कहने पर जमकर ‘ट्रोल’ हुए। हालांकि अभी भी लोग उनके अपहरण को लेकर प्रश्न पूछ रहे हैं।
ऐसे हुआ मतदान और आये चुनाव परिणाम
बहरहाल, अब उस दिन हुए मतदान की बात करें तो साफ तौर पर भाजपा से जुड़े 12 सदस्यों ने पहले मतदान किया और फिर उच्च न्यायालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सुरक्षा के साथ 10 कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने मतदान किया। यानी कुल 22 सदस्यों ने मतदान किया और इन्हीं 22 सदस्यों के मतों की गणना हुई और जो परिणाम आया, उसके अनुसार अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी दीपा दर्म्वाल को 11 और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पुष्पा नेगी को 10 मत पड़े,
और भाजपा की अध्यक्ष प्रत्याशी दीपा दर्म्वाल विजयी रहीं। वहीं उपाध्यक्ष पद पर भाजपा व कांग्रेस समर्थित दोनों प्रत्याशियों को 11-11 मत मिले और बराबर मत मिलने के बाद हुई लॉटरी के माध्यम से कांग्रेस की उपाध्यक्ष प्रत्याशी देवकी बिष्ट विजयी घोषित हुईं।
बड़ा प्रश्न (BJPs Vibhishan whose vote got Viral and Invalid)
यह चुनाव परिणाम जो एक बड़ा प्रश्न छोड़ गये, और जो स्थिति छोड़ कर गये, वह यह कि साफ तौर पर जिन 12 जिला पंचायत सदस्यों को भाजपा समर्थित माना जा रहा था, उनमें से एक सदस्य ने उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, जिसके कारण कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को भी मतदान करने वाले कांग्रेस समर्थित 10 सदस्यों से एक अधिक 11 मत मिले, और वह लॉटरी के माध्यम से जीत गयीं। यदि यह भाजपायी सदस्य कांग्रेस की जगह भाजपा समर्थित उपाध्यक्ष प्रत्याशी बहादुर सिंह नदगली को मतदान करता जो उपाध्यक्ष पद पर 12-10 के अंतर से जीत मिली होती।
वहीं अध्यक्ष पद की बात करें तो एक भाजपा समर्पित सदस्य ने ही साफ तौर पर अपने मतपत्र में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पुष्पा नेगी के नाम के आगे ‘दो’ लिखा। विषय के जानकारों की मानें तो यह गड़बड़ी करने वाला केवल एक ही भाजपा के खेमे का सदस्य है, जिसे ‘भाजपाई विभीषण’ कहा जा रहा है। इस ‘भाजपाई विभीषण’ पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि उसने ही मतदान करने के बाद मतदान के गुप्त होने के बावजूद इसकी फोटो खींची और इसकी गोपनीयता भंग की।
किसी कम्प्यूटर स्क्रीन से खींची हुई लग रही इस मतपत्र की फोटो कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पुष्पा नेगी के पति लाखन नेगी के द्वारा सोशल मीडिया पर इस शंकायुक्त प्रश्न के साथ डाली गयी कि इस मत में पुष्पा नेगी के नाम के आगे पहले 1 लिखा गया था और उसे बाद में 2 कर दिया गया। यानी मत की लूट की गयी। उनका मानना था कि अध्यक्ष पद पर भी दोनों प्रत्याशियों को बराबर 11-11 मत मिले थे।
उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में मतदाताओं को अपनी पसंद के प्रत्याशियों को 1 या 2 लिखकर पहली और दूसरी प्राथमिकता के मत देने थे और नियमों के अनुसार किसी प्रत्याशी को पहली प्राथमिकता बताये बिना किसी एक प्रत्याशी को दूसरी प्राथमिकता नहीं बताया जा सकता था। इसी कारण यह मत नियमानुसार अवैध घोषित हुआ।
यदि इस मत पत्र में पहले पुष्पा नेगी के आगे 1 लिखा होता तो स्पष्ट तौर पर दोनों प्रत्याशियों को बराबर 11-11 मत मिलते और अध्यक्ष पद पर भी लॉटरी से ही निर्णय होता, लेकिन अब जबकि इस संबंध में हुई वीडियो की जांच की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में रखी जा चुकी है, और इस संबंध में जाहिर तौर पर उच्च न्यायालय से कुछ नहीं कहा गया है और दोनों पक्ष मान चुके हैं 1 को 2 करने में कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी।
इन स्थितियों में यह साफ लग रहा है कि ‘भाजपाई विभीषण’ कांग्रेस प्रत्याशी के संपर्क में था। उसने उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी देवकी बिष्ट के नाम के आगे 1 लिखकर अपनी पहली प्राथमिकता का मत दिया था और अध्यक्ष पद के मतपत्र में शायद किसी गफलत के कारण या जानबूछकर अपनी दूसरी प्राथमिकता का मत दिया और पहली प्राथमिकता का मत किसी भी प्रत्याशी को न देने के कारण उनका यह मत अवैध घोषित हो गया।
उम्मीद करनी होगी कि इस ‘भाजपाई विभीषण’ का नाम जल्दी ही स्पष्ट होगा और इस मामले के अन्य कई प्रश्नों की तरह अनुत्तरित नहीं रहेगा, क्योंकि यह पता लगाना अधिक कठिन नहीं है। यह केवल इतने भर से पता चल जाएगा कि इस मतपत्र की फोटो सबसे पहले किसे प्राप्त हुई थी। जिसे प्राप्त हुई थी, वह ‘भाजपाई विभीषण’ उसी के संपर्क में था, और उससे स्पष्ट तौर पर इस सदस्य का पता लगाया जा सकता है।
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डॉ.नवीन जोशी, पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय, ‘कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीएचडी की डिग्री प्राप्त पहले और वर्ष 2015 से उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। 15 लाख से अधिक नए उपयोक्ताओं के द्वारा 150 मिलियन यानी 1.5 करोड़ से अधिक बार पढी गई आपकी अपनी पसंदीदा व भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ के संपादक हैं, साथ ही राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्थान समाचार आदि समाचार पत्र एवं समाचार एजेंसियों से भी जुड़े हैं। देश के पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) उत्तराखंड’ के उत्तराखंड प्रदेश के प्रदेश महामंत्री भी हैं और उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त राज्य आंदोलनकारी भी हैं।











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