नवीन समाचार, नैनीताल, 14 फरवरी 2024 ((Senior Congress leaders do not want to contest))। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अबकी बार-400 पार’ के नारे के कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भी हारने के बाद लगता है कि उत्तराखंड के सभी बड़े नेतां आगामी लोक सभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं (Senior Congress leaders do not want to contest)हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अपने जनाधार को बचाये रखने के लिये बड़े नेताओं को जबरन चुनाव लड़ने के लिये विवश कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड अंतर से शर्मनाक तरीके से चुनाव हारे। इस बार वह कुछ महीनों पूर्व तक हरिद्वार से चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे। हरिद्वार सीट पर धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक समीकरण कुछ हद तक कांग्रेस के पक्ष में हैं भी। ऐसे में यहां से कांग्रेस पार्टी के दूसरे बड़े नेता डॉ. हरक सिंह रावत भी चुनाव लड़ने के लिये ताल ठोके हुए थे।
हरक ने हरीश रावत के लिये अपनी दावेदारी से पैर पीछे खींच लिये (Senior Congress leaders do not want to contest)
लेकिन इधर न जाने अचानक क्या हुआ कि ईडी का छापा पड़ने से पहले ही न केवल हरक ने हरीश रावत के लिये अपनी दावेदारी से पैर पीछे खींच लिये, बल्कि हरीश रावत ने भी अपनी जगह अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की बात कह दी। शायद बदली परिस्थितियों में इन दोनों राजनीतिक मौसम वेत्ताओं को चुनाव परिणाम पता चल गया होगा। इसलिये हरीश ने इस चुनाव में जीत न सही, आगे के लिये राजनीतिक कद बढ़ाने के लिये अपने पुत्र का नाम आगे बढ़ा दिया।
यशपाल अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के लिये तैयार नहीं (Senior Congress leaders do not want to contest)
इसी तरह की स्थिति उत्तराखंड में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता व नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के सामने भी बताई जा रही है। पार्टी नेतृत्व उन पर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिये दबाव बना रहा है, लेकिन यशपाल इसके लिये तैयार नहीं हैं। उन्हें इस चुनाव में जीत के साथ भविष्य के लिये कोई अन्य राजनीतिक लाभ भी नजर नहीं आ रहा है। सुरक्षित सीट से चुनाव हारने पर उनके राज्य के बड़े दलित नेता के ताज पर भी दाग लग सकता है, ऐसे में वह भविष्य के राजनीतिक लाभ को देखते हुये नैनीताल सीट से लड़ने को फिर भी तैयार हैं।
लेकिन बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय हाईकमान इसके लिये तैयार नहीं है, बल्कि हरीश रावत को जबरन हरिद्वार से चुनाव लड़ने को कह रहा है। इसी तरह अन्य सीटों पर भी पार्टी के बड़े नेताओं प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य आदि बड़े नेताओं को भी चुनाव लड़ने को कह रहा है।
प्रीतम भी टिहरी में नहीं उतरने पर अड़े (Senior Congress leaders do not want to contest)
कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष इसी तरह का संकट टिहरी संसदीय सीट पर भी है, जहां से पिछली बार चुनाव लड़े प्रीतम सिंह भी चुनावी मैदान में नहीं उतरने पर अड़े हुए हैं। इसी तरह पौढ़ी गढ़वाल सीट से पार्टी का एक बड़ा धड़ा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को चुनाव लड़ाने के पक्ष में है लेकिन वह भी अनिच्छा जता चुके हैं। (Senior Congress leaders do not want to contest)
इन स्थितियों में कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने संकट इसलिये भी गहरा है कि भाजपा के साथ कड़े मुकाबले के बीच यदि उनके दिग्गज नेता चुनाव से बाहर रहते हैं तो इससे खराब संदेश जाएगा। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व सभी प्रमुख नेताओं को चुनाव मैदान में जबरन उतार सकता है। ऐसे में इन सभी नेताओं के लिए पार्टी नेतृत्व का निर्देश टालना मुश्किल होगा। (Senior Congress leaders do not want to contest)
बहरहाल यह उस पार्टी के लिये बेहद दुर्भाग्यशाली स्थिति है, जिसके बारे में कभी कहा जाता था कि यदि वह किसी — को भी टिकट दे दे तो वह भी जीत सकता है, और आज कोई उनके टिकट पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। इन स्थितियों में पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेता आगे विधानसभा चुनाव के लिये अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिये यह लोकसभा का चुनाव केवल खानापूरी के लिये लड़ते दिखें तो आश्चर्य न होगा। (Senior Congress leaders do not want to contest)
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