नवीन समाचार, टिहरी, 21 अगस्त 2023। टिहरी जिले के चंबा में एक पार्किंग में ऊपर पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा (Bhooskhlan) गिर गया। जिसके कारण कई वाहन इसमें दब गये। मलबे में 2 महिलाओं व बच्चे सहित चार लोगों की दबने से मौत हो गई। शवों को घंटों चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बरामद कर लिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहाड़ों पर हो रही बारिश के दौरान टिहरी जिले के चंबा की एक पार्किंग में ऊपर से ढेर सारा मलबा गिर गया, जिसमें पार्किंग में खड़े कई वाहन दब गये। इनमें सुमन खंडूड़ी निवासी ग्राम जसपुर, कंडीसौड, टिहरी की कार भी थी, जिसे वह पार्किंग में खड़ी कर पत्नी पूनम, चार महीने के बच्चे व बहन सरस्वती को कार में छोड़कर कपड़े लेने चंबा बाजार की ओर जा रहे थे। जैसे ही सुमन कार से उतर कर बाजार की तरफ जाने लगे तभी पहाड़ी से मलबा गिरने लगा, जिसकी चपेट में उनकी स्विफ्ट कार भी आ गई।
साथ ही पार्किंग में खड़ी मैक्स गाड़ी और 4 दोपहिया वाहन भी मलबे में दब गए। कार में बैठे तीनों लोग भी मलबे में दब गए, साथ ही एक अन्य व्यक्ति प्रकाश के दबे होने की सूचना भी मिली। पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। घटना की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में भूस्खलन वाले क्षेत्र में विद्युत विभाग ने तत्काल विद्युत लाइन बंद की और राजस्व विभाग ने पास के घरों को खाली करवाया।
इसके बाद मौके पर तुरंत राहत बचाव दल पहुंचे। कई घंटों की मशक्कत के बाद मलबे में दबे चारों शवों को बरामद किया गया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि 6 जेसीबी और एसडीआरएफ, पुलिस जिला प्रशासन की टीम ने मौके पर तत्काल कार्य करते हुए 4 शवों को बरामद किया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए बौराड़ी अस्पताल भेज दिया गया है।
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- उत्तराखंड के बागेश्वर के कुंवारी गांव में हो रही हलचल सामान्य घटना नहीं, टेक्टोनिक प्लेटों टकराने का टकराना है वजह
- वैज्ञानिकों ने लगातार हो रही हलचल को गांव के लिये माना खतरा, बरसात से पहले गांव को विस्थापित करने की दी सलाह
रवीन्द्र देवलियाल, नैनीताल, 7 अप्रैल। उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद के कुंवारी गांव में पहाड़ी पर बेमौसम हो रहा भूस्खलन कोई सामान्य घटना नहीं है। यह भूगर्भीय हलचल का परिणाम है। इसे गांव के लिये खतरा माना जा रहा है। उत्तराखंड के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र (डीएमएमसी) ने कुंवारी गांव को लेकर तैयार रिपोर्ट में ये बात कही है।
देहरादून स्थित आपदा प्रबंधन केन्द्र की टीम पिछले 28 मार्च को गांव के दौरे पर गयी थी। टीम ने कई दिनों के अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंप दी है। प्रदेश सरकार ने इस घटना के प्रकाश में आने के बाद डीएमएमसी के वैज्ञानिकों के एक दल को गांव के दौरे पर भेजकर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। डीएमएमसी के दो वैज्ञानिकों डा. कृष्ण सजवाण व डा. सुशील खंडूड़ी की टीम ने मौके पर जाकर वृहद जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की है।
डीएमएमसी के वैज्ञानिकों ने पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन व हलचल को गांव के लिये खतरा करार दिया है और गांव को विस्थापित करने के लिये कहा है। रिपोर्ट के अनुसार मानसून शुरू होने से पहले गांव को विस्थापित किया जाये। जिससे खतरे को टाला जा सके। वैज्ञानिकों ने पूरे मामले की तह तक जाने के लिये वृहद भूगर्भीय व तकनीकी जांच कराने की भी संस्तुति की है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भूगर्भीय व तकनीकी जांच के बाद जो तथ्य सामने आयेंगे उसके अनुसार गांव की सुरक्षा व संरक्षा के लिये अल्पकालिक व दीर्घकालिक कदम उठाये जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि कुंवारी बागेश्वर जनपद के कपकोट तहसील के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बसा हुआ है। यह गढ़वाल व कुमाऊं की सीमा पर बसा हुआ सीमांत गांव है। कुंवारी गांव 10 मार्च से चर्चाओं में है। गांव के ठीक ऊपर की पहाड़ी पर भूस्खलन हो रहा है। पहाड़ी दरक रही है। पहाड़ी से मलबा व पत्थर गिर रहे हैं। इससे गांव के एक हिस्से को नुकसान हुआ है। कभी-कभी बड़े बोल्डर भी खिसक रहे हैं जिससे गांव के जनजीवन व मवेशियों के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है।
गांव का बैंगुनी तोक इससे खासा प्रभावित है और उस पर खतरा बना हुआ है। पूरे गांव में 106 परिवार रहते हैं। प्रशासन ने 18 परिवारों को यहां से विस्थापित कर दिया है। उनको बदियाकोट के पास एक स्कूल में टैंट में सुरक्षा दी गयी है। राजस्व विभाग व आपदा प्रबंधन की टीम गांव में डेरा डाले हुए है और मौके पर नजर बनाये हुए है।
रिपोर्ट के अनुसार बागेश्वर जनपद का अधिकांश हिस्सा ‘लेसर हिमालय’ के तहत आता है और यहां अवसादी चट्टान (सेडीमेंटरी), मेटासेडीमेंटरी, वितलीय (प्लूटोनिक) चट्टान हैं। कुवांरी गांव के पास कपकोट फोरमेसन व हत्थसिला फोरमेशन होकर गुजर रहे हैं और उनके आपस में टकराने से टैक्टोनिक जोन बन रहा है। माना जा रहा है कि कुंवारी गांव की पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन उसी के फलस्वरूप है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुंवारी गांव भूंकप की दृष्टि से आने वाले जोन पांच के तहत आता है और संवेदनशील क्षेत्र है। नवम्बर 2012 में भी इस क्षेत्र में इसी प्रकार की हलचल हुई थी और तब भी आपदा न्यूनीकरण एवं राहत केन्द्र की टीम ने इस क्षेत्र का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंवारी गांव को पहाड़ी पर हो रही इस हलचल से ही खतरा नहीं है बल्कि गांव के बायीं ओर बह रहा नाला भी गांव को खतरे की जद में ला रहा है। ब्यौरागाड़ नामक मौसमी नाला बरसात में सक्रिय हो जाता है और उसमें लगातार भूकटाव हो रहा है। इससे भी गांव को खतरा बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार पहाड़ी पर हो रही हलचल से कुंवारी गांव को ही नहीं, बल्कि पहाड़ी के पार चमोली जनपद के गांव को भी खतरा बना हुआ है।
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