वनाग्नि लगाने वालों की सूचना देने पर इनाम दोगुना, वन पंचायत समितियों को वनाग्नि रोकने के लिए 30 हजार रुपये की सहायता

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 19 फरवरी 2025 (Reward for Information about Forest Fires Double)। नैनीताल वन प्रभाग ने आगामी वनाग्नि काल-2025 के दौरान वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर बहुआयामी रणनीति अपनाई है। शीतलाखेत मॉडल के आधार पर तैयार इस योजना में वनाग्नि की रोकथाम के लिए कई सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत वनाग्नि की सूचना देने वालों के इनाम की राशि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दी गई है।
वन प्रभाग ने फायर वाचरों की नियुक्ति के साथ रिक्त पदों को भरकर अपनी कार्यबल को मजबूत किया है। मोबाइल ऐप के माध्यम से वनाग्नि की तत्काल सूचना प्राप्त करने, जनसहभागिता बढ़ाने और पिरूल के उन्मूलन के लिए भी व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।
वन विभाग की रणनीति और नई व्यवस्थाएं
प्रभागीय वनाधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि— ‘फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’ की साइट पर नियमित निगरानी रखी जा रही है।
वर्षामापी यंत्रों व मौसम विभाग के बुलेटिन के आधार पर संवेदनशील वन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
‘फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड’ मोबाइल ऐप से आम लोगों को जोड़ा जा रहा है, जिससे अब तक 6000 लोग जुड़ चुके हैं।
15 फरवरी से ही वनाग्नि काल शुरू हो गया है, इसीलिए एकांतर फुकान व वार्षिक फुकान की अवधि 1 मार्च तक बढ़ा दी गई है।
1 अप्रैल 2025 के बाद निजी भूमि पर ज्वलनशील सामग्री जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी।
वनाग्नि की रोकथाम के लिए बड़े इंतजाम
- 70 क्रू स्टेशन और 270 फायर वाचर नैनीताल वन प्रभाग में तैनात किए गए हैं।
- 1500 फायर वाचर नैनीताल जनपद में और 4500 राज्यभर में तैनात किए गए हैं।
- राज्यभर में कुल 11,000 वन कर्मी वनाग्नि रोकने में लगे हैं।
- 450 किमी लंबी फायर लाइन में से 250 किमी क्षेत्र के 1000 पेड़ों को हटाने का कार्य वन निगम को सौंपा गया है।
- 2200 वन कर्मियों की नई भर्ती की गई, जिससे रिक्त पदों की संख्या 65% से घटकर 15% रह गई है।
- आंदोलित वन आरक्षियों की तीन मांगों पर सहमति बन गई है।
पिरूल से कोयला बनाने की योजना
वनाग्नि के प्रमुख कारण पिरूल (चीड़ की सूखी पत्तियां) को हटाने के लिए— 5 बड़े प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
पिरूल की खरीद 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से होगी।
वन विभाग प्लांटों को पिरूल उपलब्ध कराएगा।
नैनीताल वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने बुधवार को पत्रकार वार्ता की और बताया कि वन विभाग द्वारा ‘फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’ की साइट पर नियमित निगरानी रखी जा रही है, साथ ही वर्षामापी यंत्रों व मौसम विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के आधार पर संवेदनशील वन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इसके अलावा आम लोगों से वनाग्नि की सूचनाएं तत्काल प्राप्त करने के लिये ‘फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड’ मोबाइल ऐप से जोड़ा जा रहा है। इस ऐप से अब तक 6000 लोग जुड़ चुके हैं।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष शीतकालीन वर्षा न होने से 15 फरवरी से ही वनाग्नि काल शुरू हो गया है। इसलिये नियंत्रित तरीके से होने वाला एकांतर फुकान व वार्षिक फुकान 1 मार्च तक बढा दिया है। और शीतलाखेत मॉडल की तर्ज पर 1 अप्रैल 2025 के बाद निजी भूमि पर उगी झाड़ियों, सूखी लकड़ी या अन्य ज्वलनशील सामग्री के निस्तारण के लिए आग लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह भी बताया कि शीतकालीन मॉडल के लिये वन कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। वन पंचायत समितियों को वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सहयोग के लिये 30 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। संवेदनशील वन क्षेत्रों व मोटर मार्गों के समीप वनाग्नि के प्रति सचेत करने के लिए चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। पत्रकार वार्ता में वन क्षेत्राधिकारी ममता चंद और भगवती प्रसाद जोशी भी उपस्थित रहे।
वनाग्नि की घटनाओं पर रोकथाम के लिये यह बड़े प्रबंध (Reward for Information about Forest Fires Double)
यह भी बताया कि वनाग्नि की रोकथाम के लिये नैनीताल वन प्रभाग में 70 क्रू स्टेशन और 270, नैनीताल जनपद में 1500 और राज्य में 4500 फायर वाचर यानी अग्नि निरीक्षकों के साथ राज्य में 11 हजार वन कर्मी लगे हुए हैं। यह भी बताया कि इसी उद्देश्य से नैनीताल वन प्रभाग की 450 किमी लंबी फायर लाइन में से 250 किमी में खड़े 1000 पेड़ों को छपान कर हटाने के लिये वन निगम को आवंटित कर दिया है। यह भी बताया कि राज्य में 2200 पदों पर वन कर्मियों की भर्तियां की गयी हैं।
इसके फलस्वरूप 2021 के 65 फीसद के सापेक्ष 2025 में राज्य में वन विभाग में रिक्त पदों की संख्या 50 फीसद घटकर केवल 15 फीसद रह गयी है। यह भी बताया कि आंदोलित वन आरक्षियों की तीन मांगों पर सहमति बन गयी है। वनाग्नि के कारण पिरूल से बड़े स्तर पर कोयला बनाने के लिये 5 बड़े प्लांट बनाये जाने और इनके लिये 10 रुपये प्रति किग्रा की दर से पिरूल खरीदे जाने और प्लांटों को विभाग की ओर से पिरूल उपलब्ध कराये जाने की योजना है। (Reward for Information about Forest Fires Double, Nainital News, Uttarakhand News, Forest Fire, Reward for giving information)
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