‘नमक क्रांति’ की ओर उत्तराखंड, यहाँ तैयार हो रहा 20 से 30 हजार रुपये प्रति किलो कीमत का नमक, इसके गुण जान हो जाएंगे हैरान, 4000 रुपये प्रति किलो वाला नमक तो एक दशक से जमकर बिक रहा…

नवीन समाचार, देहरादून, 17 फरवरी 2025 (Uttarakhand towards Salt Revolution-Bamboo Salt)। उत्तराखंड ‘नमक क्रांति’ की ओर अग्रसर नज़र आ रहा है। राज्य जल्द ही एक विशेष प्रकार का नमक बाजार में उतारने जा रहा है, जिसे ‘बंबू सॉल्ट’ कहा जाता है। यह कोरियन नमक के रूप में प्रसिद्ध है और इसे सबसे पहले कोरिया में तैयार किया गया था। इसकी विशेषता यह है कि यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है और इसमें अनेक प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपये प्रति किलो के बीच होती है।
उत्तराखंड में हो रही बंबू साल्ट की तैयारी
उत्तराखंड का वन विभाग, बांस एवं फाइबर विकास बोर्ड तथा जायका मिलकर इस विशेष बंबू साल्ट को तैयार कर रहे हैं। यह नमक पूरी दुनिया में अपनी उच्च कीमत और गुणों के कारण प्रसिद्ध हो चुका है। उत्तराखंड वन विभाग इस पर अध्ययन कर इसे बड़े पैमाने पर तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। अब तक इसके निर्माण के लिए छह से अधिक बार परीक्षण किया जा चुका है।
कैसे बनता है बंबू साल्ट?
बंबू साल्ट को तैयार करने की प्रक्रिया अत्यंत लंबी एवं वैज्ञानिक होती है। सामान्य नमक को विशेष बांस के खोखले तनों में भरा जाता है। इसके दोनों सिरों को मिट्टी से लेपकर बंद कर दिया जाता है। इसके बाद इन बांस के टुकड़ों को एक भट्टी में लगभग 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पकाया जाता है। यह प्रक्रिया कुल नौ बार दोहराई जाती है। अंत में नमक को बाहर निकालकर पाउडर के रूप में बदला जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 20 दिन लगते हैं। बांस के अंदर पकने के कारण उसमें मौजूद पोषक तत्व नमक में घुल जाते हैं, जिससे यह अत्यंत पौष्टिक बन जाता है।
बंबू साल्ट की विशेषताएं
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यह सामान्य नमक की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है।
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इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, कॉपर और जिंक सहित 73 प्रकार के खनिज तत्व होते हैं।
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लगातार उच्च तापमान पर पकाने के कारण इसका रंग बैंगनी (पर्पल) हो जाता है।
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इसे बाजार में ‘पर्पल बंबू सॉल्ट’ के नाम से बेचा जाता है।
कीमत और बाजार में मांग
बंबू साल्ट की कीमत अत्यंत अधिक है। यह 20 हजार से 30 हजार रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इसकी उच्च कीमत के बावजूद यह तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इसमें अत्यंत महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।
बंबू साल्ट और उत्तराखंड
उत्तराखंड में इसे पारंपरिक कोरियन विधि के अनुसार तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में इसे छह बार रोस्ट किया गया है, जबकि कोरियन विधि के अनुसार इसे नौ बार रोस्ट किया जाता है। वन विभाग एवं अन्य संस्थान इस प्रक्रिया को पूर्ण करने की दिशा में कार्यरत हैं।
बंबू साल्ट का स्वास्थ्य पर प्रभाव
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यह शरीर में मिनरल्स की पूर्ति करता है।
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पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है।
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त्वचा संबंधी रोगों में लाभकारी होता है।
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यह एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त रखने में सहायक है।
बंबू साल्ट की वैश्विक स्थिति
यह नमक दुनियाभर में उच्च गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य उत्पादों में गिना जाता है। कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इसे ‘पर्पल बंबू सॉल्ट’ के नाम से बेचा जा रहा है। इसके गुणों और उपयोगिता को देखते हुए उत्तराखंड भी इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार कर रहा है।
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-‘सिल पिसी नूंण’ बना ब्रांड, सैकड़ों महिलाएं प्रतिवर्ष करती हैं दो दर्जन से अधिक स्वादों के नमक का उत्पादन
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 फरवरी 2025। सुप्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार ने अपनी कविता ‘ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो’ में लिखा, ‘कैसे आकाश में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’। दुश्यंत की इस कविता को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं ने। यह महिलाएं प्रतिवर्ष पर्वतीय औषधीय गुणों युक्त जड़ी-बूटियों व मसालों से तैयार 27 स्वादों के करीब 10 टन ‘सिल पिसी नूंण’ का प्रतिवर्ष उत्पादन करती हैं। ‘सिल पिसी नूंण’ भी लगभग 300 रुपये का 75 ग्राम यानी लगभग 4000 रुपये प्रति किग्रा के भाव बिक रहा है।
उनके नमक का ऐसा स्वाद है कि यह देश ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों तक भी पहुंचता है और फिर भी मांग पूरी नहीं हो पा रही हैं, और ‘सिल पिसी नूंण’ अब एक तरह से उत्तराखंड का ब्रांड बन चुका है। इसे एफएसएसआई का फूड लाइसेंस भी प्राप्त है। इसके पेटेंट और ‘जियो टैगिंग’ के प्रयास भी किये जा रहे है, तथा इसे करीब 52 स्वादों में और नये ‘बोतल बंद’ स्वरूप में भी लाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि इस कार्य से राज्य की 30 हजार महिलाओं को उनके घर पर रोजगार मिल सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ की मुहिम वर्ष 2020 में शुरू की थी। लेकिन उत्तराखंड के नैनीताल जनपद की ‘हिमालयन फ्लेवर्स’ स्वयं सेवी संस्था ने वर्ष 2013 में जनपद मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 109 पर काकड़ीघाट के पास कुमाऊं मंडल विकास निगम के निष्प्रयोज्य पड़े टीआईसी यानी टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर से इसकी शुरुआत कर दी थी।
ऐसे हुई शुरुवात
हुआ यह था कि इस वर्ष आई बड़ी प्राकृतिक आपदा में इस राजमार्ग का बड़ा हिस्सा काकड़ीघाट से पहले कोसी नदी में समा गया था। इससे इस मार्ग पर कई महीनों तक आवागमन बंद रहा था। इस पर संस्था के अध्यक्ष सौरभ पंत के नये विचार से चार-पांच महिलाओं से परंपरागत तौर पर पहाड़ में हर घर में सिल-बट्टे पर पीसे जाने वाले नूंण यानी नमक को नये स्वरूप में उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की शुरुआत की गई थी,
जिसका विस्तार अब 300 महिलाओं के द्वारा करीब 52 स्वादों के नमक तैयार करने तक हो चुका है। इनकी देखादेखी राज्य में कई अन्य संस्थाएं भी महिलाओं से अलग-अलग प्रकार के सिल-बट्टे से पीसे हुए नमक तैयार कर अपनी आजीविका बढ़ा रही हैं
पौष्टिकता से भरपूर
नमक के परीक्षण व अन्य जिम्मेदारियां संभालने वाले संस्था के सचिव संदीप पांडे बताते हैं, पंतनगर विश्वविद्यालय में कराये गये परीक्षण में ‘सिल पिसी नूंण’ बाजार के सामान्य नमक के मुकाबले पौष्टिकता में बेहतर सिद्ध हुआ है। आगे संस्था का उद्देश्य राज्य की 30 हजार महिलाओं को ‘सिल पिसी नूंण’ का प्रशिक्षण देकर इसे उत्तराखंड के ब्रांड के रूप में प्रसिद्धि दिलाने का और राज्य की अनपढ़ व ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का है।
औषधीय गुणों से भी युक्त होता है ‘सिल पिसी नूंण’
नैनीताल। पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के हर घर में परंपरागत तौर पर पत्थर के सिल-बट्टे पर पिसा हुआ नमक ही प्रयोग किया जाता है। इसकी खासियत यह भी होती है कि खास तरह के पत्थर की तीसरी परत से बनने वाले सिल (शिला या पत्थर का अपभंश) में नमक या मसाले अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पिसते हैं,
जबकि चक्की, मशीन या मिक्सी आदि में मसाले पीसने में 70 डिग्री तक का तापमान उत्पन्न हो जाता है। इससे मसाले अपना स्वाद व गुण खो देते हैं। खासकर नमक नमी व 40 डिग्री की गर्मी में अपने अवयवों को छोड़ देता है। इसीलिए पहाड़ी घराट या हाथ की चक्की में पिसने वाला आटा भी पौष्टिकता के लिहाज से मशीनी चक्की या मिल के आटे से कहीं अधिक बेहतर होता है।
‘सिल पिसी नूंण’ ऐसे होता है तैयार (Uttarakhand towards Salt Revolution-Bamboo Salt)
‘सिल पिसी नूंण’ मूलतः काले व सफेद नमक से तैयार किया जाता है और इसमें तिमूर, काला जीरा, यारसा गंबू-कीड़ा जड़ी, लहसुन, मिर्च, हरा धनिया, पुदीना, दैंण, राई, भांग, अलसी सहित अन्य फ्लेवर्स यानी स्वादों में उपलब्ध हैं, जो तीन माह से लेकर तीन वर्ष तक चलते हैं। इनमें से प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइडेड युक्त काला जीरा व तिमूर आदि के नमक मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों में भी औषधीय लाभ प्रदान करते हैं। इसलिए लोग दूर-दूर से इन्हें खरीदने आने के साथ कोरियर से भी मंगाते हैं। (Uttarakhand towards Salt Revolution-Bamboo Salt, Uttarakhand News, Vocal for Local, Bamboo Salt, Sil Pisi Noon)
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