यूसीसी पर नेता प्रतिपक्ष का सरकार पर बड़ा हमला, कहा-लिव-इन संबंधों को लेकर उठाए सवाल, कहा धामी सरकार ने देवभूमि की संस्कृति का किया अपमान
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नवीन समाचार, नैनीताल, 30 जनवरी 2025 (Yashpal Arya Questions on Live-in-Relationships)। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सभी धर्मों के संस्कारों में सुधार करना नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ उठाना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को कठोर भू कानून और मूल निवास का स्थायी समाधान चाहिए था, लेकिन सरकार ने ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी को जबरन थोप दिया है।
“लिव-इन रिलेशन को मान्यता देकर देवभूमि की संस्कृति पर प्रहार”
यशपाल आर्य ने कहा कि देश के किसी भी धर्म में लिव-इन रिलेशन को मान्यता नहीं दी जाती, और उत्तराखंड की सनातन बहुल जनसंख्या में इसे स्वीकार करना असंभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूसीसी में लिव-इन रिलेशन को कानूनी मान्यता देकर सरकार ने देवभूमि की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का घोर अपमान किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अन्य राज्यों के निवासियों को मात्र एक वर्ष लिव-इन रिलेशन में रहने पर स्थायी निवासी का दर्जा देने का प्रावधान उत्तराखंड के जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने की साजिश है।
“यूसीसी के लागू होने से विवाह संस्था होगी कमजोर” (Yashpal Arya Questions on Live-in-Relationships)
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यूसीसी के लागू होने से उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि इसके भाग 3 में धारा 378 से 389 तक लिव-इन रिलेशन संबंधी प्रावधान शामिल किए गए हैं। इन प्रावधानों में लिव-इन रिलेशन को कानूनी मान्यता दी गई है, ऐसे संबंधों से जन्मे बच्चों को वैध माना गया है, और पुरुष साथी द्वारा महिला को छोड़ने पर महिला को भरण-पोषण का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जहां यूसीसी के तहत विवाह विच्छेद को कठिन बना दिया गया है, वहीं लिव-इन रिलेशन को खत्म करना बेहद आसान कर दिया गया है। धारा 384 के तहत कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रार के समक्ष कथन प्रस्तुत कर लिव-इन संबंध समाप्त कर सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि इस कानून के कारण विवाह की पवित्र संस्था कमजोर होगी, और युवाओं के बीच विवाह के बजाय लिव-इन को प्राथमिकता मिलने लगेगी।
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