181 वर्षों का खेल इतिहास, वर्ष भर खेल, लेकिन राष्ट्रीय खेलों को तांकता रहेगा नैनीताल
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 जनवरी 2025 (181 Years longest Sports History of Nainital)। सरोवरनगरी नैनीताल की पहचान यहां नगर के हृदय स्थल पर नैनी झील के किनारे स्थित बेहद खूबसूरत ऐतिहासिक फ्लैट्स-डीएसए मैदान और यहां वर्ष भर होने वाली खेल स्पर्धाओं के लिये भी है। 181 वर्षों के खेल इतिहास वाले इस नगर में यहां 18वीं शताब्दी से यानी अंगेजी दौर से ही खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं और वर्ष भर में भीषण बर्फबारी या बारिश के दौरान भी शायद ही कोई ऐसा दिन होता हो, जब यहां कोई खेल न होता हो।
नगर की नैनी झील में भी उसी दौर से जल क्रीड़ाएं हो रही हैं। नगर ने कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी दिये हैं और कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी यहां खेले भी हैं। उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा नगर हो जो नैनीताल के बराबर स्वर्णिम खेल इतिहास रखता हो। किंतु इस सब के बावजूद जब उत्तराखंड राज्य में 18वें राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं, नैनीताल में इस आयोजन के तहत एक भी खेल प्रतियोगिता, यहां तक कि कोई अभ्यास मैच भी नहीं होने जा रहा है।
बसने के 2 वर्ष बाद ही 1843 में हो गयी थी नैनीताल जिमखाना की स्थापना
अंग्रेजों के द्वारा 1841 में बसाये गये माने जाने वाले नैनीताल में सबसे पहले हुई गतिविधि के रूप में खेलों का ही नाम आता है। वर्ष 1843 में ही यहां नैनीताल जिमखाना एवं जिला क्रीड़ा संघ (एनटीजी एंड डीएसए) की स्थापना हो गई थी।
उस दौर में बिल्कुल समतल न होने के बावजूद वतर्मान फ्लैट्स मैदान के स्थान पर अंग्रेजों के द्वारा शुरू से घोड़ों के साथ पोलो और क्रिकेट खेले जाने की बात भी कही जाती है, जबकि 1861 में रायफल, 1867 में क्रिकेट व रोइंग, 1899 में टेनिस व 1900 में पोलो खेले जाने की ऐतिहासिक तस्वीर भी मिलती है।
आगे 18 सितंबर 1880 में इस क्षेत्र के ऊपर आल्मा पहाड़ी में हुए महाविनाशकारी भूस्खलन होने के बाद मलबे को फैलाकर यहां समतल फ्लैट्स मैदान अस्तित्व में आया और 1889 से आल इंडिया रामपुर कप फुटबाल, 1902 से मोदी हाकी कप, 1922 से आल इंडिया ट्रेड्स कप हॉकी, लैंडो लीग फुटबाल और आल इंडिया जिमखाना क्रिकेट प्रतियोगिताओं एवं 1947 में देश के प्रथम स्वतंत्रता दिवस के दिन से कक्षा 8 से नीचे के बच्चों के लिये एचएन पांडे स्मृति 4 फिट 9 इंच क्रिकेट प्रतियोगिताओं की शुरुआत हुई।नगर के इसी मैदान से सैयद अली व राजेंद्र सिंह रावत जैसे कई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं ओलंपिक खिलाड़ी दिये। पाकिस्तान की एक टीम भी यहां अपनी तरह के अनूठे कंक्रीट के ऐतिहासिक खेल मैदान में खेल चुके हैं। 1880 के आसपास से यहां नैनी झील में नौकायन और 1897 में नैनीताल सेलिंग क्लब व खासकर 1910 में नैनीताल याट क्लब के गठन के बाद यहां 1910 में बनारस चेलेंज कप पाल नौका दौड़ प्रतियोगिता शुरू हुई। इसके अलावा यहां नैनीताल राजभवन में 1926 से स्थापित गोल्फ कोर्स में गोल्फ भी लगातार खेला जाता है।
दुनिया में 2005 में लेकिन नैनीताल में 1980 में हो गई थी टी-20 की शुरुआत
दुनिया में टी-20 खेलों की शुरुआत 17 फरवरी 2005 को ऑकलेंड में न्यूजीलेंड व ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गये मैच से हुई, लेकिन नैनीताल में 1980 से 20-20 ओवरों की पृथ्वीराज सिंह बिष्ट स्मृति टी-20 प्रतियोगिता खेली जा रही है।
वर्तमान परिदृश्य (181 Years longest Sports History of Nainital)
हालिया समय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर यहां अत्याधुनिक बास्केटबॉल कोर्ट स्थपित हुआ है। साथ ही बास्केट बॉल कोर्ट के बगल में नगर के अयारपाटा में क्षेत्र में पहले से ही एशिया की सबसे श्रेष्ट पर्वतारोहण की प्राकृतिक एवं कृत्रिम दीवार होने के बावजूद नैनी झील के दृश्य को बाधित करती हुई कृत्रिम दीवार स्थापित की गयी है। इन सुविधाओं के साथ नगर में क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, बास्केटबाल, वॉलीबाल, पाल नौकायन, गोल्फ, बाक्सिंग, बैडमिंटन, एथलेटिक्स, खोखो, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, स्नूकर, बिलियर्ड्स, ऐंगलिंग, रायफ़लिंग व साइकिलिंग सहित अनेकों प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है।
नगर में 11 वर्षों से यहां मॉनसून माउंटेन मैराथन का भी आयोजन होता है। नगर के डीएसए मैदान में क्रिकेट खेले राजीव मेहता भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव भी रहे। इधर यहां बीते सितंबर माह में 5वें राज्य ओलंपिक खेलों के तहत जल क्रीड़ा की नौकायन, कयाकिंग, कैनोइंग प्रतियोगिताएं भी हुई थीं। लेकिन इन सब के बीच आधा मैदान पार्किंग के साथ ही वर्ष में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक तथा अन्य आयोजनों को समर्पित करते नगर का डीएसए मैदान और अन्य खेल सुविधाएं और यहां के खेल प्रेमी राज्य में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं को ताकते भर रहेंगे।
कारण उत्तराखंड ओलंपिक संघ के अध्यक्ष महेश नेगी ने कहा कि नैनीताल से राष्ट्रीय खेल कराने के लिये किसी तरह की पहल नहीं की गयी और यहां राष्ट्रीय खेलों के लिये उपयुक्त खेल सुविधाएं ही नहीं हैं। वहीं डीएसए के महासचिव अनिल गड़िया ने माना कि उन्हें शुरू में प्रदेश में राष्ट्रीय खेल होने पर ही संदेह था इसलिये समय पर यहां किसी तरह के आयोजन के लिये पहल नहीं कर पाये। (181 Years longest Sports History of Nainital, Nainital History, Sports History of Nainital, 181 years of sports history, sports throughout the year)
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