December 22, 2025

उत्तराखंड के विद्यालयों में गीता के श्लोक पाठ अनिवार्य, राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भी किया गया शामिल

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Schooli Bachche Chhutti Avkash
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नवीन समाचार, देहरादून, 21 दिसंबर 2025 (Bhagavad Gita Recitation in School)। देहरादून जनपद से सामने आए इस निर्णय ने उत्तराखंड की विद्यालयी शिक्षा को नई वैचारिक दिशा दी है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों में श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों के पाठ को अनिवार्य कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और जीवन दर्शन से जोड़ना है, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अब श्रीमद् भगवत गीता और रामायण को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भी शामिल कर लिया गया है।

शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव-श्लोक पाठ और व्याख्या के निर्देश

Uttarakhand government mandates recitation of Bhagavad Gita shlokas in  secondary school prayer assemblies. Students will learn the scientific  meaning of shlokas weekly. A new step towards traditional Indian knowledge  in modern education.राज्य सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग पहले ही शिक्षकों को यह दिशा-निर्देश जारी कर चुका था कि वे समय-समय पर श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों की व्याख्या करें। विद्यार्थियों को यह भी बताया जाए कि गीता के सिद्धांत किस प्रकार नैतिकता, व्यवहार, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की योग्यता और भावनात्मक संतुलन विकसित करते हैं। अब मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर स्वयं इसकी घोषणा कर इसे औपचारिक रूप से सार्वजनिक किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को समझने और संतुलित ढंग से जीने का मार्गदर्शन है।

पाठ्यचर्या में गीता और रामायण-अगले शिक्षा सत्र से लागू होने की तैयारी

(Bhagavad Gita Recitation in School) उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में गूंजने लगे हैं श्रीमद्  भागवत गीता के श्लोक | Geeta Shlok in Uttarakhand Government schoolsमाध्यमिक शिक्षा निदेशक मुकुल कुमार सती के अनुसार राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा की सिफारिश के अनुरूप पाठ्य पुस्तकों को अगले शिक्षा सत्र से लागू किए जाने का प्रस्ताव है। उनका कहना है कि श्रीमद् भगवत गीता में मनोविज्ञान, व्यवहार विज्ञान, तर्कशास्त्र और नैतिक दर्शन के ऐसे सिद्धांत निहित हैं, जो धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे विद्यार्थियों में कर्तव्यनिष्ठा, तनाव प्रबंधन और विवेकपूर्ण जीवन दृष्टि विकसित होगी।

शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक प्रभाव-क्या बदलेगा आगे

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि गीता के श्लोकों का नियमित पाठ विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और नैतिक दृष्टिकोण को मजबूत कर सकता है। वहीं कुछ लोगों के मन में यह प्रश्न भी है कि इसे कक्षा-कक्ष में किस रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि सभी वर्गों के छात्र इससे जुड़ सकें। सरकार का कहना है कि यह पहल किसी धार्मिक आग्रह के बजाय मूल्य आधारित शिक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में है।

मुख्यमंत्री धामी इससे पहले गौतम बुद्ध नगर के नोएडा स्टेडियम में आयोजित महाकौथिग कार्यक्रम में भी यह कह चुके हैं कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है। उनका कहना है कि राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंडी भी इस सांस्कृतिक पहचान के सच्चे प्रतिनिधि हैं।

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