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November 21, 2024

उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश के लिये पहली बार होगी संयुक्त परीक्षा, कुमाऊ विवि को मिली जिम्मेदारी, पीएचडी शोधार्थियों को छात्रवृत्ति भी मिलेगी

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नवीन समाचार, देहरादून, 5 जुलाई 2024 (First Joint entrance exam for admission in PhD)। उत्तराखंड में पहली बार पीएचडी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा होगी और बड़ी बात यह भी कि कुमाऊ विविं को इसका नोडल विश्वविद्यालय बनाया गया है, यानी कुमाऊं विवि राज्य में संचालित कुमाऊं विवि, श्रीदेव सुमन विवि, एसएसजे विवि और उत्तराखंड मुक्त विवि के लिये यह संयुक्त प्रवेश परीक्षा करायेगा। साथ ही काउंसिलिंग के माध्यम से इन विवि के महाविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले 826 अभ्यर्थियों को शोध के लिए संस्थान भी आवंटित करेगा।

(First Joint entrance exam for admission in PhD) Is a PhD the right option for you? | Guardian Careers | The Guardianउल्लेखनीय है कि पूर्व में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराते थे। लेकिन इस बार शासन ने प्रवेश परीक्षा को प्रदेश में संयुक्त रूप से कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए कुमाऊं विवि को नोडल विवि और कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. नंद गोपाल साहू को इस परीक्षा का नोडल अधिकारी बनाया गया है। परीक्षा के लिए समर्थ पोर्टल के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। पूरी जानकारी https://ukentrancephd.samarth.edu.in/ से प्राप्त कर सकते हैं।

कहां कितनी सीटें

पीएचडी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा कुमाऊं विवि नैनीताल में 134, श्रीदेव सुमन विवि में 487, सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा में 140 और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में 65 यानी कुल 826 सीटों के लिये होगी।

ये हैं तिथियां

समर्थ पोर्टल पर पीएचडी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिये ऑनलाइन आवेदन-पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 जुलाई, ऑनलाइन परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 23 जुलाई और प्रवेश परीक्षा की तिथि 11 अगस्त है।

यह है आवेदन शुल्क

सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 2550 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति व दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 2050 रूपया शुल्क देय होगा।

ऐसे होगा चयन

प्रवेश परीक्षा में लिखित एवं मौखिक परीक्षा के आधार पर संबंधित विश्वविद्यालयों को मैरिट यानी योग्यता सूची जारी की जाएगी। इसके आधार पर ही प्रवेशित अभ्यर्थियों को सीटें आवंटित की जाएंगी। लिखित परीक्षा के लिए 70 जबकि मौखिक परीक्षा के लिए 30 प्रतिशत अंकों को आधार बनाया जाएगा।

पीएचडी शोधार्थियों को भी छात्रवृत्ति भी मिलेगी (First Joint entrance exam for admission in PhD)

देहरादून। राज्य के सरकारी विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालयों से पीएचडी कर रहे शोध विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शोध, अनुसंधान व नवाचार के लिए राज्य सरकार पहली बार स्कॉलरशिप यानी छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया है। सचिव शैलेश बगौली की ओर से इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा विभाग के अधीन संचालित राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पीएचडी के लिए पंजीकृत शोधार्थी इसके लिए पात्र होंगे।

सरकार प्रतिवर्ष ऐसे 100 शोधार्थियों को प्रति माह 5000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। इसमें कुमांऊ विवि, सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा, श्रीदेव सुमन विवि बादशाहीथौल टिहरी के 26-26, उत्तराखंड मुक्त विवि हल्द्वानी के 12 और दून विवि के 10 शोधार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाए शोधार्थियों का चयन यूजीसी या सीएसआइआर की नेट परीक्षा के प्राप्तांक एवं रैंक के आधार पर किया जाएगा।

नेट परीक्षा उत्तीर्ण शोधार्थी नहीं मिलने पर, चयन यूसेट के प्राप्तांक के आधार पर किया जाएगा। चयन के बाद शोधार्थियों की सूची विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराएंगे। छात्रवृत्ति शोधग्रंथ जमा करने की तिथि या अधिकतम तीन वर्ष तक जो भी पहले हो, तक अनुमन्य होगी। किसी भी शोधार्थी को केंद्र या राज्य सरकार की एक ही छात्रवृत्ति दी जायेगी। (First Joint entrance exam for admission in PhD)

शासनादेश के अनुसार शोधार्थी किसी सरकारी, गैर सरकारी सेवा, व्यवसाय में नहीं होगा। नियमित या संस्थागत पीएचडी शोधार्थी के रूप में विश्वविद्यालय परिसर या महाविद्यालय में उपस्थिति दर्ज कराएगा। प्रत्येक शोध का आउटकम इवेल्यूएशन आडिट भी किया जाएगा। प्रत्येक शोध को मासिक प्रगति आख्या से लिंक किया जाएगा। (First Joint entrance exam for admission in PhD)

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