उत्तराखंड में 2866 एकड़ वन भूमि पर निजी कब्जों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती, निजी कब्जों को पर्यावरण और हिमालयी पारिस्थितिकी के लिए बड़ा खतरा बताया, राज्य सरकार को जांच समिति गठित करने के निर्देश

नवीन समाचार, नैनीताल, 24 दिसंबर 2025 (Supreme Court Order on Govt Land)। उत्तराखंड में वन भूमि पर निजी कब्जों के मामलों को लेकर न्यायिक स्तर पर गंभीर चिंता सामने आई है। देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्य में लगभग 2866 एकड़ वन भूमि पर निजी कब्जों को पर्यावरण और हिमालयी पारिस्थितिकी के लिए बड़ा खतरा बताया है। इस मामले में अदालत की सख्त टिप्पणियां न केवल प्रशासनिक जवाबदेही तय करती हैं, बल्कि भविष्य में वन संरक्षण और भूमि प्रबंधन की दिशा भी तय कर सकती हैं।
यह विषय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखंड में विकास जरूरी या पर्यावरण ? इस विषय पर बहस चल रही है और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में वन क्षेत्र ही पर्यावरणीय संतुलन और आपदा रोकथाम की रीढ़ हैं। देखें संबंधित वीडिओ :
उत्तराखंड में वन भूमि अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि उत्तराखंड में वन भूमि पर निजी कब्जे किसी एक व्यक्ति या छोटे समूह तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक संगठित प्रक्रिया का रूप ले चुके हैं। अदालत ने इसे पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बताया और राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश ने राज्य प्रशासन को मूक दर्शक की संज्ञा देते हुए कहा कि वर्षों से चले आ रहे इन कब्जों के बावजूद प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
भूमि का ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान स्थिति

अदालत के समक्ष प्रस्तुत तथ्य बताते हैं कि यह मामला वर्ष 1950 से जुड़ा है, जब ऋषिकेश क्षेत्र में पशुलोक सेवा समिति को भूमिहीनों के लिए भूमि लीज पर दी गई थी। वर्ष 1984 में समिति ने 594 एकड़ भूमि सरकार को वापस कर दी, लेकिन शेष भूमि पर धीरे-धीरे निजी कब्जे बनते चले गए। समय के साथ यह कब्जा हजारों एकड़ वन भूमि तक फैल गया। अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि इतने बड़े स्तर पर अतिक्रमण होने के बावजूद संबंधित विभागों और अधिकारियों ने समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए।
प्रशासनिक जवाबदेही और जांच प्रक्रिया
सर्वोच्च अदालत ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। राज्य के मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को स्पष्ट रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे विस्तृत जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वन विभाग और जिला प्रशासन खाली पड़ी वन भूमि पर तत्काल कब्जा लें। यह आदेश प्रशासनिक प्रक्रिया को मजबूत करने और भविष्य में ऐसी स्थितियों की पुनरावृत्ति रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
आदेशों का पर्यावरण और समाज पर प्रभाव
अदालत ने विवादित भूमि पर वर्तमान स्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इसका अर्थ है कि न तो भूमि की बिक्री होगी, न हस्तांतरण और न ही किसी तीसरे पक्ष को अधिकार दिए जाएंगे। आवासीय मकानों को छोड़कर नई निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण रोक रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आदेशों से उत्तराखंड में घटते वन क्षेत्र पर रोक लग सकती है। वन क्षेत्र सिकुड़ने से भूस्खलन, बाढ़ और जलवायु असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ती हैं, जिनका सीधा असर आम लोगों के जीवन, स्वास्थ्य और आजीविका पर पड़ता है। क्या यह न्यायिक सख्ती भविष्य में राज्य की पर्यावरण नीति को और मजबूत करेगी। यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है।
आगे क्या हो सकता है
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 5 जनवरी 2026 निर्धारित की है। तब तक राज्य सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट और उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि नीतिगत स्तर पर भी उत्तराखंड के लिए दिशा तय कर सकता है। यदि आदेशों का प्रभावी पालन होता है, तो वन संरक्षण के साथ ही हल्द्वानी में रेलवे की भूमि जैसे सरकारी भूमियों पर हुए अतिक्रमणों के मामलों में भी यह एक उदाहरण बन सकता है।
पाठकों से आग्रह है कि इस समाचार से संबंधित अपनी राय और विचार नीचे दिए गए कमेन्ट बॉक्स में अवश्य साझा करें।
नैनीताल जनपद में हाल के दिनों में हुई अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी पूरी रिपोर्ट यहाँ क्लिक करके पढ़ी जा सकती है। इसी तरह पिथौरागढ़ के समाचारों के लिए यहाँ👉, अल्मोड़ा के समाचारों के लिए यहाँ👉, बागेश्वर के समाचारों के लिए यहाँ👉, चंपावत के समाचारों के लिए यहाँ👉, ऊधमसिंह नगर के समाचारों के लिए यहाँ👉, देहरादून के समाचारों के लिए यहाँ👉, उत्तरकाशी के समाचारों के लिए यहाँ👉, पौड़ी के समाचारों के लिए यहाँ👉, टिहरी जनपद के समाचारों के लिए यहाँ👉, चमोली के समाचारों के लिए यहाँ👉, रुद्रप्रयाग के समाचारों के लिए यहाँ👉, हरिद्वार के समाचारों के लिए यहाँ👉और उत्तराखंड से संबंधित अन्य समाचार पढ़ने के लिये यहां👉 क्लिक करें।
आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से यहाँ, एक्स से, थ्रेड्स चैनल से, टेलीग्राम से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..।
Tags (Supreme Court Order on Govt Land) :
Supreme Court Order on Govt Land, Uttarakhand News On Forest Land Encroachment Case, Nainital News Supreme Court Hearing Update, Hindi News On Uttarakhand Forest Protection, Political News On Uttarakhand Government Accountability, Crime News Related To Forest Land Encroachment, Supreme Court Order On Uttarakhand Forest Land, Uttarakhand Environment News Himalayan Ecology, Nainital District News On Forest Land Case, Hindi News On Supreme Court Environmental Orders, Uttarakhand Government Policy News On Forest Protection, Forest Encroachment Legal Action News India, Public Interest Litigation News Uttarakhand, Environmental Law News In Hindi India, Uttarakhand Forest Conservation News Update, Supreme Court Latest News On Uttarakhand Environment,
#UttarakhandForestLandEncroachment, #SupremeCourtUttarakhandCase, #ForestLandProtectionIndia, #UttarakhandEnvironmentNews, #HimalayanEcologyProtection, #ForestEncroachmentCaseIndia, #EnvironmentalLawIndia, #UttarakhandForestPolicy, #GreenCoverUttarakhand, #LandEncroachmentLegalAction, #HindiNewsUttarakhand, #NainitalNews, #EnvironmentalJusticeIndia, #PublicInterestLitigationIndia, #ForestConservationLaw
डॉ.नवीन जोशी, पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय, ‘कुमाऊँ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीएचडी की डिग्री प्राप्त पहले और वर्ष 2015 से उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। 15 लाख से अधिक नए उपयोक्ताओं के द्वारा 150 मिलियन यानी 1.5 करोड़ से अधिक बार पढी गई आपकी अपनी पसंदीदा व भरोसेमंद समाचार वेबसाइट ‘नवीन समाचार’ के संपादक हैं, साथ ही राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्थान समाचार आदि समाचार पत्र एवं समाचार एजेंसियों से भी जुड़े हैं। देश के पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) उत्तराखंड’ के उत्तराखंड प्रदेश के प्रदेश महामंत्री भी हैं और उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त राज्य आंदोलनकारी भी हैं।











सोचिए जरा ! जब समाचारों के लिए भरोसा ‘नवीन समाचार’ पर है, तो विज्ञापन कहीं और क्यों ? यदि चाहते हैं कि ‘नवीन समाचार’ आपका भरोसा लगातार बनाए रहे, तो विज्ञापन भी ‘नवीन समाचार’ को देकर हमें आर्थिक तौर पर मजबूत करें। संपर्क करें : 8077566792, 9412037779 पर।
