उत्तराखंड के सबसे पुराने (नवंबर 2009 से) डिजिटल मीडिया पर सक्रिय विश्वसनीय समाचार प्लेटफार्म ‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.41 करोड़ यानी 24.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, ‘समाचारों को नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने वाले’ डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन हमें भेजें ह्वाट्सएप 8077566792 पर। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर ‘निःशुल्क’ ‘नवीन समाचार’ उपलब्ध कराते रह सकें...

Holi Essentials | Beauty Edit

April 6, 2025

उत्तराखंड में भी एक रामेश्वर, रामेश्वरम की तर्ज पर भगवान राम ने की थी शिव लिंग की स्थापना, यहीं ली थी शिक्षा…

Dharm-Astha Hindu

नवीन समाचार, नवीन समाचार, नैनीताल, 2 अप्रैल 2025 (Rameshwar-Uttarakhand-Rama Established ShivLinga)। इस आलेख में आज हम आपको उत्तराखंड में स्थित भगवान राम के उस पौराणिक मंदिर की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने स्वयं यहां रामेश्वरम की तर्ज पर शिव लिंग की स्थापना की थी। इसीलिये इस स्थान का नाम भी रामेश्वर है। कहते हैं कि यहीं भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। देखें वीडिओ:

रामेश्वर धाम उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जनपद मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर पहले घाट-पनार के बीच रामगंगा और सरयू नदी के संगम पर स्थित है। कहते हैं कि इस स्थान पर सरयू व रामगंगा के अलावा पाताल भुवनेश्वर से निकली गुप्त गंगा का संगम भी होता है।

स्कन्द पुराण के मानस खंड में कूर्मांचल के रामेश्वर माहात्म्य में वर्णित है कि भगवान राम ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा गया है कि यहां स्थित शिव लिंग के पूजन से काशी विश्वनाथ के पूजन की अपेक्षा दस गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। देखें वीडिओ:

कहा जाता है कि सेतुबंध रामेश्वर में जब भगवान श्री राम ने शिव लिंग की स्थापना करनी चाही तो उन्होंने श्री हनुमान जी को कैलाश पर्वत पर भेजकर शिवलिंग लाने के लिए कहा किन्तु शुभ मुहूर्त निकल जाने व हनुमान जी द्वारा शिवलिंग लाने पर देरी हो जाने पर श्री राम ने बालू से रामेश्वर में शिवलिंग की स्थापना की और बाद में अपनी नर लीला समाप्त करने से पूर्व स्वर्ग जाने से पहले 72 यज्ञ सम्पन्न करने के पश्चात यहां पर जन कल्याण के लिये शिवलिंग प्रतिष्ठित किया।

Rameshwar-Uttarakhand-Rama Established ShivLinga, Uttarakhand, Kumaon, Dharm-Astha, Rameshwar Dham, Pithauragarh, Lord Ram, Ayodhya, Skanda Purana, Saryu River, Ramganga River, Rameshwar Mahatmya, Vashishta Ashram, Kailash Mansarovar, Shivling, Hindu Pilgrimage, Makar Sankranti, Maha Shivratri, Shiva Worship, Spiritual Tourism, Religious Heritage, Indian Mythology, There is a Rameshwar in Uttarakhand too, Lord Rama had established Shiv Linga on the lines of Rameswaram, he had taken education here, Rameswaram,Uttarakhand News: यहां शिव मंदिर की स्थापना कर श्रीराम ने किया था  स्वर्गारोहण, एक जगह होंगे दोनों भगवान के दर्शन - Shri Ram had ascended to  heaven by establishing Shiva temple here भगवान राम और उनके भाइयों को शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा इसी संगम पर दी गयी (Rameshwar-Uttarakhand-Rama Established ShivLinga)

स्कन्दपुराण में इस बात का भी जिक्र है कि अयोध्या के राजकुमारों यानी राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न की शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा के लिये ब्रह्मा के पुत्र वशिष्ठ का चयन किया गया। गुरु वशिष्ठ ने राजकुमारों की शिक्षा के लिये हिमालय की घाटियों का भ्रमण शुरू किया। तब उन्हें सरयू और रामगंगा के इस संगम पर भगवान विष्णु के चरण चिन्ह मिले। यहीं वशिष्ठ ने आश्रम की स्थापना की।

इस प्रकार भगवान राम और उनके भाइयों को शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा इसी संगम पर दी गयी। रामेश्वर से एक किलोमीटर दूर बौतड़ी ग्राम में महर्षि वशिष्ठ के आश्रम के खंडहर आज भी विद्यमान बताये जाते हैं। स्कंद पुराण के मानस खण्ड के 95वे अध्याय में इस स्थान का वर्णन मिलता है।

श्री राम चन्द्र ने यहां पर जगत कल्याण के लिए शिवलिंग स्थापित किया

कहा जाता है कि कौशल देश यानी अयोध्या में जन्मे दशरथ के पुत्र अवतार पुरुष भगवान श्री राम चन्द्र ने सत्यलोक जाने की इच्छा से यहां पर शंकर का पूजन किया। शिव कृपा से उन्होंने सशरीर बैकुण्ठ धाम को प्रस्थान किया। उन्होंने यहां पर जगत कल्याण के लिए शिवलिंग स्थापित किया। रामेश्वर में एक शिला स्वर्गारोहण की दिव्य शिला भी कही जाती है।

कुछ दशक पूर्व तक कैलाश मानसरोवर यात्री यहां स्नान और पूजन करके ही आगे की यात्रा प्रारम्भ करते थे। मकर संक्रांति और महा शिव रात्रि के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जहां स्थानीय जनता बढ़-चढ़कर भागीदारी करती है।

यह पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा और गंगोलीहाट के लोगों का शमशान घाट भी है। परम्परानुसार यहां दाह करने पर अस्थियां अन्य तीर्थों हरिद्वार, काशी, प्रयाग आदि में नहीं पहुंचाई जाती है। यहां पर शिव की पूजा-अर्चना करने से मानव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा वह शिव लोक को प्राप्त करता है। साथ ही माना जाता है कि श्रद्धा पूर्वक यहां पूजन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना शुभ आशीष प्रदान करते हैं।

कहते हैं कि रामेश्वर आदिकाल से ही राजाओं के अधीन न रहने वाला क्षेत्र है। यहां के पुजारियों को दीप धृत चन्द राजा चित्तौड़गढ़ से लेकर यहां आये जिनके वंशज गिरी लोग यहां आये जिनके वंशज गिरी लोग यहां पूजा-अर्चना का कार्य देख रहे हैं। यहां राजा उद्योत चंद का शाके 1604 का एक विशाल ताम्र पत्र उत्कीर्ण है। जिसमें लिखा है कि राजा रुद्र चन्द ने यहां भक्तों के दर्शन के लिए व्यवस्था की थी। यहां सन 1789 ई. का राजा महेंद्र चन्द का भूमिदान सम्बन्धी शासनादेश भी उपलब्ध है जिसमें यहां पूजा, नित्यभोग और अखंड दीप सेवा का आदेश दिया गया है। (Rameshwar-Uttarakhand-Rama Established ShivLinga, Uttarakhand, Kumaon, Dharm-Astha, Rameshwar Dham,)

आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे थ्रेड्स चैनल से, व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..। 

(Rameshwar-Uttarakhand-Rama Established ShivLinga, Uttarakhand, Kumaon, Dharm-Astha, Rameshwar Dham, Pithauragarh, Lord Ram, Ayodhya, Skanda Purana, Saryu River, Ramganga River, Rameshwar Mahatmya, Vashishta Ashram, Kailash Mansarovar, Shivling, Hindu Pilgrimage, Makar Sankranti, Maha Shivratri, Shiva Worship, Spiritual Tourism, Religious Heritage, Indian Mythology, There is a Rameshwar in Uttarakhand too, Lord Rama had established Shiv Linga on the lines of Rameswaram, he had taken education here, Rameswaram,)

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page